14 महीने बाद जिन काूननों को लिया केन्द्र ने वापस, जानिए उनके बारे में

किसानों के हठ के आगे आखिरकार मोदी सरकार को झुकना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इस ऐलान के लिए दिन चुना गया प्रकाश पर्व का। पीएम ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम 18 मिनट के संबोधन में यह बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून किसानों के हित में नेक नीयत से लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे।

मोदी के संबोधन की 5 बड़ी बातें

1. सबसे पहले प्रकाश पर्व और देव दीपावली की शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मेरे प्यारे देशवासियों आज देव दीपावली का पावन पर्व है। आज गुरु नानक देव जी का भी पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्व में सभी लोगों और सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। यह भी बेहद सुखद है कि डेढ़ साल बात करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खुल गया है।

2. हमारी सरकार देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी
मोदी ने कहा कि गुरुनानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। न जाने कितनी पीढ़ियां जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन्हें साकार करने की कोशिश कर रहा है।

3. कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे
मोदी ने कहा कि हमारी 10 हजार एफपीओ किसान उद्पादक संगठन बनाने की प्लानिंग है। हमने एमएसपी और क्रॉप लोन बढ़ा दिया है। यानी हमारी सरकार किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। इसी अभियान में तीन कृषि कानून लाए गए थे, ताकि किसानों को फायदा हो। हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। लेकिन इतनी पवित्र बात कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।

4. कानून वापसी का फैसला, इसी महीने शुरू होगी प्रॉसेस
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने किसानों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था उन्हें बदलने को भी तैयार थे। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है। यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आज देशवासियों को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने इनकी वापसी की प्रक्रिया पूरी कर देंगे।

5. किसान कल्याण हमारी सरकार की प्राथमिकता
देश के हर 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इनकी संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है। हमने किसान कल्याण को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी। हमारी सरकार ने फसल बीमा योजना को प्रभावी बनाया गया। आज छोटे किसानों को फसल बीमा का लाभ मिल रहा है। 22 करोड़ किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं। छोटे किसानों को ताकत देने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।

तीनों कृषि कानून, जिनके खिलाफ आंदोलन कर रहे थे किसान
तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर, 2020 को लोकसभा ने मंजूर किया था। राष्ट्रपति ने तीनों कानूनों के प्रस्ताव पर 27 सिंतबर को दस्तखत किए थे। इसके बाद से ही किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। ये तीनों कानून इस तरह हैं..

1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
इस कानून में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है, जहां किसानों और कारोबारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी होगी। कानून में राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। साथ ही मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम करने की बात भी इस कानून में है।

2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
इस कानून में कृषि करारों (एग्रीकल्चर एग्रीमेंट) पर नेशनल फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। ये कृषि उत्पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्म, प्रॉसेसर्स, थोक और खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जोड़ता है। इसके साथ किसानों को क्वालिटी वाले बीज की आपूर्ति करना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, कर्ज की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा देने की बात इस कानून में है।

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से हटाने का प्रावधान है। सरकार के मुताबिक, इससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिल सकेगी, क्योंकि बाजार में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा।

पीएम मोदी का ऐलान, कृषि कानून वापस लेने की घोषणा

देश के लिए आज की सबसे बड़ी खबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा आगामी संसद सत्र में इन तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाएगा प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि हमारी कोशिश देश के प्रगतिशील किसानों की आय बढ़ाने और किसानों को राहत देने की थी लेकिन हम कुछ किसानों को मना नहीं पाए या फिर उन्हें समझा नहीं पाए।
लेकिन हमारी कोशिश यही है थी कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को राहत मिल सके और उनकी आर्थिक स्थिति ठीक हो सके लेकिन अब हमने इन तीनों कानूनों को वापस लेने का बड़ा फैसला ले लिया है आपको बता दें पंजाब सहित कई राज्यों में इन कृषि कानूनों का जमकर विरोध हो रहा है जिसके चलते अब मोदी सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है आज प्रकाश पर्व है ऐसे में प्रधानमंत्री के बड़े ऐलान से पंजाब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को राहत मिलने जा रही है

कांग्रेस मनाई शहीद भगत सिंह की जयंती

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शहीद सरदार भगत सिंह की जयन्ती पर नगर निगम परिसर में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर जयेन्द्र रमोला ने कहा कि शहीद भगत सिंह ने ही देश के नौजवानों में ऊर्जा का ऐसा गुबार भरा कि विदेशी हुकूमत को इनसे डर लगने लगा। हाथ जोड़कर निवेदन करने की जगह लोहे से लोहा लेने की आग के साथ आजादी की लड़ाई में कूदने वाले भगत सिंह की दिलेरी की कहानियां आज भी हमारे अंदर देशभक्ति की आग जलाती हैं। देश के एक नौजवान क्रांतिकारी को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दे दी। लेकिन मरने के बाद भी भगत सिंह मरे नहीं, वह आज भी देश के हर शख्स के हृदय में हैं। हर देशवासी के लिये भगत सिंह एक आदर्श शख्सियत हैं, जिनसे हम सबको सीख लेनी चाहिए।
प्रदेश सचिव मदन मोहन शर्मा ने कहा कि जिस देश की आज़ादी के लिये भगत सिंह ने अपने प्राण न्योछावर कर दिये। वहीं आज का अन्नदाता सड़कों पर कई महीनों से आंदोलन कर रहा है, जो कि देश की गद्दी पर बैठे लोगों के लिये शर्मसार करने वाली बात है। हम आज भी शहीद भगत सिंह के बलिदान को सलाम करते हैं और उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ।
श्रद्धांजलि देने वालों में जितेन्द्र पाल, राकेश सेमवाल, प्रिंस सक्सेना, यश अरोड़ा, आदित्य झा, हिमांशु जाटव, इमरान सैफी, बुरहान अली, नीरज चौहान, जगजीत सिंह, अमरजीत सिंह आदि मौजूद थे ।

किसानों का समर्थन कर कांग्रेस ने नगर में निकालीं रैली

प्रदेश कांग्रेस के निर्देश पर किसानों के भारत बंद आंदोलन को समर्थन देने के लिये महानगर कांग्रेस कमेटी के तत्वावधान में एक स्कूटर रैली मुख्य मार्गों होती हुई नगर में सरदार भगत सिंह की प्रतिमा पर उनको पुष्पांजलि देकर समापन किया। रैली के माध्यम से दुकानदारों से किसानों के आंदोलन को समर्थन देने का आग्रह किया गया।
महानगर अध्यक्ष विनय सारस्वत ने कहा कि हमने बाज़ार बंद करने के लिये कल सभी व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों से वार्ता कर समर्थन पत्र सौंपा था। उन्होंने कहा कि कुछ व्यापारिक संगठन के नेता दल विशेष से प्रेरित होकर बंद का विरोध किया। तब भी हम लोगों ने शालीनता से बाज़ार बंद करने का आग्रह किया और जिन व्यापारी भाइयों ने समर्थन देकर दुकानें बंद रखी, उनका हम आभार व्यक्त करते हैं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला ने कहा है कि यह भारत बंद ना किसी व्यक्ति विशेष, ना ही दल विशेष का है। यह उन किसान भाइयों के हितों की लड़ाई का आंदोलन है जो अनाज उगाकर हमारे पेट भरता है। उन्होंने कहा कि कुछ दल विशेष के लोग नहीं चाहते कि किसानों का आंदोलन आगे बढ़े इसलिये हमने भी शालीनता के साथ गांधीवादी तरीक़े से लोगों से बाज़ार बंद करवाने की अपील की।
कार्यक्रम में प्रदेश सचिव मदन मोहन शर्मा, प्रदेश सचिव शैलेन्द्र बिष्ट, पार्षद मनीष शर्मा, प्रदेश सचिव विवेक तिवारी, प्रदेश सचिव त्रिलोकीनाथ तिवारी, राजकुमार तलवार, महानगर अध्यक्ष जितेन्द्र पाल, एकांत गोयल, राहुल पाण्डेय, विक्रम भण्डारी, रूकम पोखरियाल, नवीन रमोला, भारत शर्मा, बलबीर रौतेला, अप्रेस पंचभईया, सोहन सिंह रौंतेला, नीरज चौहान, हिमांशु कश्यप, इमरान, जयपाल सिंह, राजेन्द्र गैरोला, अभिनव मलिक, प्रिंस सक्सेना, हिमांशु जाटव, इमरान सैफी, बुरहान अली, कार्यालय प्रभारी अशोक शर्मा आदि बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे ।

उत्तराखण्ड के 8.82 लाख किसानों के खाते में 176.46 करोड़ की राशि हस्तांतरित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 9,75,46,378 किसान परिवारों के खातों में 1,95,09,27,56,000 रूपए सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित किये। इनमें उत्तराखण्ड के 8.82 लाख किसानों के खाते में 176.46 करोड़ रूपए की राशि हस्तांतरित की गई है।

टिहरी के मशरूम उत्पादक सुशांत उनियाल से की बात
प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के लाभार्थी किसानों से भी बात की और उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। उन्होंने उत्तराखण्ड के टिहरी जिले के चंबा विकासखण्ड के सुशांत उनियाल से भी बात की। सुशांत, डिंगरी मशरूम उत्पादन इकाई के माध्यम से मशरूम उत्पादन का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें सरकारी योजनाओं से बहुत लाभ हुआ है। अपने मशरूम उत्पादन से आस पास के ग्रामीणों को भी जोड़ा है।

पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आए- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती है, हमें इसे उलट करना है। सुशांत उनियाल जैसे युवाओं को देखकर लग रहा है कि अब पहाड़ की जवानी फिर पहाड़ के काम आ रही है। युवा जब खेती करता है तो बड़ा बदलाव आना निश्चित है। सरकार का प्रयास है कि शहरों और गांवों में सुविधाओं के भेद को कम करना है।

भारतीय कृषि को नई दिशा देनी है
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। ये महत्वपूर्ण पड़ाव हमारे लिए गौरव का तो है ही, ये नए संकल्पों, नए लक्ष्यों का भी अवसर है। देश जब आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, 2047 में तब भारत की स्थिति क्या होगी, ये तय करने में हमारी खेती, हमारे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका है। ये समय भारत की कृषि को एक ऐसी दिशा देने का है, जो नई चुनौतियों का सामना कर सके और नए अवसरों का लाभ उठा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने खरीफ हो या रबी सीज़न, किसानों से एमएसपी पर अब तक की सबसे बड़ी खरीद की है। कुछ साल पहले जब देश में दालों की बहुत कमी हो गई थी, तो देश के किसानों से दाल उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। उस आग्रह को देश के किसानों ने स्वीकार किया। परिणाम ये हुआ कि बीते 6 साल में देश में दाल के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन के लिए 11 हजार करोड़ का निवेश
प्रधानमंत्री ने कहा कि खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के लिए अब राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम का संकल्प लिया गया है। इस मिशन के माध्यम से खाने के तेल से जुड़े इकोसिस्टम पर 11 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जाएगा। आज भारत कृषि निर्यात के मामले में पहली बार दुनिया के टॉप-10 देशों में पहुंचा है। कोरोना काल में देश ने कृषि निर्यात के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। जम्मू-कश्मीर का केसर विश्व प्रसिद्ध है। सरकार ने ये फैसला लिया है कि जम्मू-कश्मीर का केसर देशभर में नाफेड की दुकानों पर उपलब्ध होगा।

सरकारी मंडियों को विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से मदद
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में हो रहे बदलावों को अनुभव किया है। मोटे अनाज, मसाले, सब्जी, फलों, ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। सरकार ने तय किया है कि जो राज्यों में सरकारी मंडियां है उनको भी विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से मदद मिल सके। इस फंड का उपयोग करके हमारी सरकारी मंडियां बेहतर होंगी, ज्यादा मजबूत होगी, आधुनिक होगी।
अब देश की कृषि नीतियों में इन छोटे किसानों को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर फंड हो, या 10,000 किसान उत्पादक संघों का निर्माण, कोशिश यही है कि छोटे किसानों की ताकत को बढ़ाया जाए। छोटे किसानों की बाजारों तक पहुंच भी अधिक हो और बाजारों में मोलभाव करने की उनकी क्षमता भी अधिक हो।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल सहित विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री व अन्य महानुभाव उपस्थित थे।
कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के अधिकारियों को निर्देशित किया कि युवाओं को खेती और बागवानी से जोड़ने के लिए विभिन्न स्थानों पर की जा रही नई पहलों का अध्ययन किया जाए। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वेल्यु एडीशन पर ध्यान दिया जाए और सप्लाई चौन सुनिश्चित की जाए।