नजरियाः मोटे अनाज से उत्तराखंड के किसानों की बढ़ी रही आय, सर्वे में हुआ खुलासा

देहरादून । भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) काशीपुर की ओर से 2100 से अधिक किसानों पर किए एक अध्ययन से पता चला कि उत्तराखंड में 75 फीसदी किसानों की वार्षिक आय 10 से 20 फीसदी के बीच बढ़ गई है। संस्थान ने कोदो कुटी (मिलेट्स) की फसल के उत्पादन जोर दिया है।आईआईएम में आयोजित कार्यक्रम में चार वरिष्ठ प्रोफेसरों और पांच डेटा संग्राहकों ने छह महीने के अध्ययन- उत्तराखंड में बाजरा उत्पादन, इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और विपणन चुनौतियों का एक अनुभवजन्य विश्लेषण, जारी किया। इसमें कहा गया कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर बाजरा-आधारित उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई है। केंद्र और राज्य सरकार के हालिया प्रयास से बाजार में बाजरा फसलों की मांग बढ़ी है, लेकिन अधिकतर किसान लाभ कमाने के बजाय स्वयं के लिए बाजरा उगा रहे हैं। अध्ययन के मुख्य अन्वेषक, संस्थान के सहायक प्रो. शिवम राय ने बताया कि स्वयं उपभोग के लिए बाजरा उगाने वाले अधिकतर किसान इसे चावल और गेहूं की तरह धन फसल के रूप में उपयोग नहीं कर रहे हैं।

अध्ययन के सह-जांचकर्ता डॉ. दीपक संगरोया, ओपी जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गौरव काबरा और बेनेट यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर डॉ. निशांत सिंह हैं। उन्होंने बताया कि इस अध्ययन को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद की ओर से वित्त मदद दी गई थी। प्रो. राय ने कहा कि बाजरा एक टिकाऊ फसल है जो न केवल पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक है बल्कि भंडारण में भी आसान है और मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाती है।

बताया कि सर्वेक्षण के लिए राज्य के प्रमुख पहाड़ी क्षेत्रों पिथौरागढ़, जोशीमठ, रुद्रप्रयाग, चमोली और अन्य से नमूने एकत्रित किए गए। बाजरा को स्थानीय समुदाय के लिए मुख्य भोजन माना जाता है। उधर मुख्य वक्ता जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के प्रोफेसर डॉ. पुष्पा लोहानी और डॉ. जितेंद्र क्वात्रा ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में मडुवे का एमएसपी 35.78 रुपये किग्रा करने की घोषणा की है। किसानों को इसकी जानकारी नहीं है। बताया कि भारत में मिलेट्स उगाने का इतिहास हड़प्पा सभ्यता में मिलता है जो भारत में हरित क्रांति तक जारी रही लेकिन हरित क्रांति के बाद किसान गेहूं-चावल उगाने पर ज्यादा जोर देने लगे और हमने प्राचीन व पौष्टिक भोजन खो दिया। उन्होंने बताया कि हरित क्रांति के बाद बाजरा की खेती का क्षेत्र 40 से घटकर 20 फीसदी रह गया। धारवाड़ में बाजरा किसानों पर कर्नाटक विवि की ओर से किए एक शोध से पता चलता है कि बावजूद इसके किसानों ने मोटे अनाज से अपनी आय में दोगुनी वृद्धि की है।

मंत्री जोशी ने अधिकारियों को राजस्व विभाग के साथ समन्वय बनाकर विसंगतियों को शीघ्र दूर करने के दिए निर्देश

कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की समीक्षा बैठक की। इस बैठक में प्रदेश के सभी जिलों के कृषि अधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़े।

बैठक में कृषि मंत्री जोशी ने किसान सम्मान निधि में जिन किसानों की ईकेवाईसी होनी शेष है उनकी जल्द से जल्द सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने के मंत्री जोशी ने अधिकारियों को निर्देश दिए। कृषि मंत्री जोशी ने जिला कृषि अधिकारियों से वर्चुअल माध्यम से वार्ता कर किसानों की ईकेवाईसी संबंधित औपचारिकताओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने अधिकारियों को राजस्व विभाग से आ रही दिक्कतों को एक सप्ताह के भीतर दूर करने के सख्त निर्देश दिए। मंत्री ने किसान सम्मान निधि में राजस्व विभाग से आ रही विसंगतियों को दूर करने के लिए अपर सचिव को प्रदेश के सभी डीएम को पत्र भेजने के निर्देश दिए। इसके साथ ही मंत्री जोशी ने सभी जिले के कृषि अधिकारियों को जिलाधिकारी के संपर्क में रहने और पटवारी को शामिल कर राजस्व से आ रही समस्या को शीघ्र समाधान करने के सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि समीक्षा के बाद यह ज्ञात हुआ कि तहसील स्तर पर सत्यापन के कार्य न हो पाने से किसानों को दिक़्क़त हो रही है। मंत्री ने कृषि विभाग के अधिकारियो को निर्देशित किया कि न्यायपंचायत स्तर के कर्मचारियों को गाँव-गाँव जाकर किसान सम्मान निधि के पात्र व्यक्तियों का सत्यापन करे।

मंत्री जोशी ने कहा कि पूरे प्रदेश भर में किसानों को मिलने वाली किसान सम्मान निधि में अब तक 84ः किसान ईकेवाईसी की औपचारिकताएं पूर्ण कर चुके हैं। मंत्री ने कहा पिछले वर्ष सेल्फ रजिस्ट्रेशन में 1 लाख 43 हजार 266 केस पेंडिंग थे, जो अब मात्र 32 हजार केस पेंडिंग है। मंत्री ने भरोसा जताते हुए कहा कि राजस्व विभाग की सक्रियता से अब 1 सप्ताह के भीतर सभी कार्य पूर्ण कर दिए जायेंगे।

मंत्री जोशी ने कहा कि जहां देश के प्रधानमंत्री किसानों की चिंता कर रहे हैं, वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद किसानों की की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूर्ण करने के लिये प्रयत्नशील हैं। उन्होंने कहा मैं कृषि मंत्री होने के नाते लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहा हूं और जो शेष कार्य है और वह शीघ्र ही पूर्ण कर लिए जाएंगे।

बैठक में अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान, अपर निदेशक केसी पाठक सहित सभी जिलो के मुख्य कृषि अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने सम्मान देकर सगंध कृषकों का बढ़ाया मान


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के सगन्ध कृषिकरण से जुड़े किसानों सम्मानित कर सगन्ध पौधों का वितरण किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सगन्ध पौघों की खेती से जुड़े किसान देश विदेश में फूलों की खुशबू ही नहीं बल्कि प्रदेश की पहचान भी बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की प्राकृतिक जलवायु सगन्ध पौधों के उत्पादन के अनुकूल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सगन्ध पौधों की खेती किसानों की आय दुगनी करने में भी मददगार हो सकता है। इसके लिये राज्य सरकार द्वारा ऋृण एवं अनुदान की व्यवस्था की गई है। हमारे पारम्परिक उत्पाद आजीविका का आधार बने, इस दिशा में भी पहल की जा रही है। एप्पल एवं कीवी मिशन के माध्यम से राज्य में सेब, कीवी तथा चाय आदि के क्षेत्र में पहचान बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। 2025 के कालखण्ड में राज्य कृषि, उद्यान, बागवानी एवं ग्राम्य विकास के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बने इसका भी रोड मेप तैयार किया जा रहा है।

मुख्यंत्री ने एक से अधिक फसलों के उत्पादन के साथ कृषि क्षेत्र में हो रहे वैज्ञानिक अनुसंधानों को उपयोग में लाकर कृषि को बढ़ावा देने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर सम्मानित होने वाले किसान अन्य किसानों के भी प्रेरणाश्रोत बनेंगे तथा तकनीकि ज्ञान के प्रसार से अधिक से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। इससे एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार करने में भी मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के 75 साल के इस कालखण्ड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले 8 सालों का नेतृत्व किसानों के जीवन में बदलाव लाने के रहे हैं। किसानों की आय दुगनी करने के लिये अनेक योजनाओं का लाभ किसानों को दिया गया है। पहले योजनाये व्यक्ति विशेष को देखकर बनायी जाती रही है। मोदी जी के नेतृत्व में बनायी जा रही नीतियों के केन्द्र में गरीब मजदूर किसान व समाज के अन्तिम पंक्ति में खड़ा व्यक्ति शामिल है। आज भारत उन देशों में शामिल है जो खाद्यान्न में आत्मनिर्भर ही नही निर्यात भी कर रहा है। देश में दलहन व तिलहन की पैदावार भी बढ़ी है। वैज्ञानिक अनुसंधान के द्वारा कृषि क्षेत्र में बदलाव आया है। सामुहिक एवं कलस्टर बेस खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जिन किसानों को सम्मानित किया उनमें चमोली के आत्मा राम, ऊखीमठ के रमेश प्रसाद, टिहरी के अजय पंवार, कीर्तिनगर के राजेश चौहान, नैनीताल के माधो सिंह, भीमताल के धर्म सिंह, चम्पावत के त्रिलोक सिंह, उधम सिंह नगर के गुरूप्रीत सिंह, रानीपोखरी के वेदभारती शर्मा व भगवानपुर के योगेन्द्र सिंह आदि प्रमुख थे।

कार्यक्रम को कृषि मंत्री गणेश जोशी तथा संगन्ध पौंध केन्द्र के निर्देशक डॉ. नृपेन्द्र चौहान ने भी सम्बोधित किया।

किसान क्रेडिट कार्ड बनाने को विभाग और बैंकों को लक्ष्य दिया जाएः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने किसान क्रेडिट कार्ड के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना से अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करने हेतु हर संभव प्रयास किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में इसके लिए नोडल अधिकारी बनाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु मैनपावर सुनिश्चित किए जाने हेतु मैनपावर राजस्व, ग्राम विकास, कृषि, हॉर्टिकल्चर, सहकारिता, पशुपालन, मत्स्य एवं डेरी विकास विभाग से उपलब्ध कराए जाने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि पीएम किसान पोर्टल पर सभी किसानों की जनपद और तहसीलवार जानकारी भी उपलब्ध है।

मुख्य सचिव ने किसानों को क्रेडिट कार्ड लेने हेतु जागरूक किया जाने के निर्देश देते हुए कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाने हेतु विभागों और बैंकों के लिए लक्ष्य निर्धारित किए जाएं। फील्ड स्टाफ को ग्राम स्तर पर टारगेट दिए जाएं। उन्होंने अधिकारियों को बैंक स्तर पर किसानों की एप्लीकेशन प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि प्राईमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाईटीज और कॉपरेटिव सोसाईटीज का इसमें सक्रिय साझेदारी सुनिश्चित की जाए।

बैठक में बताया गया कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसानों को 3 से 5 साल तक के लिए 3 लाख रूपए तक का लोन कम ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है। बताया गया कि किसान सम्मान निधि के लाभार्थी इस योजना का लाभ ले सकते हैं। साथ ही इस योजना में प्रोसेसिंग, डॉक्यूमेंटेशन, इंस्पेशन और सर्विस चार्ज नहीं लिया जाता है।
इस अवसर पर सचिव वी.वी.आर.सी. पुरूषोत्तम सहित अन्य संबंधित विभागों के उच्चाधिकारी भी उपस्थित थे।

टिहरी के अदरक को पहचान दिलाने के लिए अंतराष्ट्रीय अदरक महोत्सव का आयोजन

टिहरी जनपद के अदरक को विश्वभर में पहचान मिलेगी। इसके लिए मुनिकीरेती क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय अदरक महोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। बुधवार को पोखरी, चाका में आयोजित सम्मान समारोह के संबोधन के दौरान कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने यह बात कही।
पोखरी, चाका में भाजपा मंडल के पदाधिकारियों और स्थानीय ग्रामीणों ने नरेंद्रनगर मंडी अध्यक्ष पद पर वीर सिंह रावत को मनोनीत किए जाने पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का आभार जताया। सभी ने कैबिनेट मंत्री और मंडी अध्यक्ष का फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिले यही सरकार का उद्देश्य है। बताया कि नरेंद्रनगर की मंडी प्रदेश की बेहतरीन मंडियों में शुमार है, इसमें पर्वतीय क्षेत्र का किसान सुनियोजित प्लान के तहत अपने उत्पादों को मंडी में बेच सकेगा। साथ ही मंडी में अत्याधुनिक सुविधाएं होने के कारण ऑफसीजन में भी उचित मूल्य पर उत्पाद बिक सकेंगे। उन्होंने बताया कि किसानों की सुविधा हेतु उत्तरकाशी जनपद में 13 करोड़ की लागत से जल्द मंडी खुलेगी। इसके साथ ही आराकोट में 23 करोड़ की लागत से कोल्ड स्टोरेज भी खोला जाएगा। बताया कि इससे प्रदेश में कृषि उत्पादों के बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी।
मौके पर ब्लाक प्रमुख राजेन्द्र भंडारी, मीना खाती, मंडल अध्यक्ष अरविंद उनियाल, क्रेजी फेडरेशन अध्यक्ष मनीष डिमरी, जिला अध्यक्ष रेखा राणा, रोशनी राणा, गजेंद्र खाती आदि उपस्थित थे।

उत्तराखण्ड के 8.82 लाख किसानों के खाते में 176.46 करोड़ की राशि हस्तांतरित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 9,75,46,378 किसान परिवारों के खातों में 1,95,09,27,56,000 रूपए सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित किये। इनमें उत्तराखण्ड के 8.82 लाख किसानों के खाते में 176.46 करोड़ रूपए की राशि हस्तांतरित की गई है।

टिहरी के मशरूम उत्पादक सुशांत उनियाल से की बात
प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के लाभार्थी किसानों से भी बात की और उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। उन्होंने उत्तराखण्ड के टिहरी जिले के चंबा विकासखण्ड के सुशांत उनियाल से भी बात की। सुशांत, डिंगरी मशरूम उत्पादन इकाई के माध्यम से मशरूम उत्पादन का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें सरकारी योजनाओं से बहुत लाभ हुआ है। अपने मशरूम उत्पादन से आस पास के ग्रामीणों को भी जोड़ा है।

पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आए- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती है, हमें इसे उलट करना है। सुशांत उनियाल जैसे युवाओं को देखकर लग रहा है कि अब पहाड़ की जवानी फिर पहाड़ के काम आ रही है। युवा जब खेती करता है तो बड़ा बदलाव आना निश्चित है। सरकार का प्रयास है कि शहरों और गांवों में सुविधाओं के भेद को कम करना है।

भारतीय कृषि को नई दिशा देनी है
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। ये महत्वपूर्ण पड़ाव हमारे लिए गौरव का तो है ही, ये नए संकल्पों, नए लक्ष्यों का भी अवसर है। देश जब आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, 2047 में तब भारत की स्थिति क्या होगी, ये तय करने में हमारी खेती, हमारे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका है। ये समय भारत की कृषि को एक ऐसी दिशा देने का है, जो नई चुनौतियों का सामना कर सके और नए अवसरों का लाभ उठा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने खरीफ हो या रबी सीज़न, किसानों से एमएसपी पर अब तक की सबसे बड़ी खरीद की है। कुछ साल पहले जब देश में दालों की बहुत कमी हो गई थी, तो देश के किसानों से दाल उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। उस आग्रह को देश के किसानों ने स्वीकार किया। परिणाम ये हुआ कि बीते 6 साल में देश में दाल के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन के लिए 11 हजार करोड़ का निवेश
प्रधानमंत्री ने कहा कि खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के लिए अब राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम का संकल्प लिया गया है। इस मिशन के माध्यम से खाने के तेल से जुड़े इकोसिस्टम पर 11 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जाएगा। आज भारत कृषि निर्यात के मामले में पहली बार दुनिया के टॉप-10 देशों में पहुंचा है। कोरोना काल में देश ने कृषि निर्यात के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। जम्मू-कश्मीर का केसर विश्व प्रसिद्ध है। सरकार ने ये फैसला लिया है कि जम्मू-कश्मीर का केसर देशभर में नाफेड की दुकानों पर उपलब्ध होगा।

सरकारी मंडियों को विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से मदद
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में हो रहे बदलावों को अनुभव किया है। मोटे अनाज, मसाले, सब्जी, फलों, ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। सरकार ने तय किया है कि जो राज्यों में सरकारी मंडियां है उनको भी विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से मदद मिल सके। इस फंड का उपयोग करके हमारी सरकारी मंडियां बेहतर होंगी, ज्यादा मजबूत होगी, आधुनिक होगी।
अब देश की कृषि नीतियों में इन छोटे किसानों को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर फंड हो, या 10,000 किसान उत्पादक संघों का निर्माण, कोशिश यही है कि छोटे किसानों की ताकत को बढ़ाया जाए। छोटे किसानों की बाजारों तक पहुंच भी अधिक हो और बाजारों में मोलभाव करने की उनकी क्षमता भी अधिक हो।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल सहित विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री व अन्य महानुभाव उपस्थित थे।
कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के अधिकारियों को निर्देशित किया कि युवाओं को खेती और बागवानी से जोड़ने के लिए विभिन्न स्थानों पर की जा रही नई पहलों का अध्ययन किया जाए। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वेल्यु एडीशन पर ध्यान दिया जाए और सप्लाई चौन सुनिश्चित की जाए।

सीएम से मिले किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर, कई विषयों पर हुई चर्चा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से किसान मौर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने भेंट की। उन्होंने किसान हित से जुड़े विभिन्न विषयों पर मुख्यमंत्री से चर्चा की।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के कल्याण एवं उनकी समस्याओं के समाधान के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के हित में संचालित योजनाओं का लाभ सभी किसानों को समय पर मिले तथा उनकी कठिनाईयों का तत्परता से निराकरण हो इसके लिये भी प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, उपाध्यक्ष मुकेश मान, महामंत्री शंभु कुमार, प्रदेश अध्यक्ष किसान मौर्चा अनिल चैहान, देवी सिंह राणा, महेन्द्र सिंह नेगी आदि उपस्थित थे।

सीएम त्रिवेंद्र के समक्ष उन्नत प्रजाति की आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च के पौधों की खेती की हुई प्रस्तुति

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के समक्ष सचिवालय में राज्य में उन्नत प्रजाति के आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च के पौधों की खेती के प्रोत्साहन हेतु प्रस्तुतीकरण दिया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने में आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। राज्य में इसको बढ़ावा देने के लिए और क्या प्रयास हो सकते हैं, इस ओर ध्यान दिया जाय। इसका बहुआयामी उपयोग किस तरह किया जा सकता है, इसकी भी जानकारी दी जाय।

आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च खेती को बढ़ावा देने के लिये इस क्षेत्र में कार्य कर रहे छत्तीसगढ़ के विशेषज्ञ कृषक डॉ. राजाराम त्रिपाठी एवं ग्राम्य विकास एवं पंचायतीराज संस्थान रूद्रपुर के अधिशासी निदेशक हरीश चन्द्र काण्डपाल ने प्रस्तुतीकरण दिया। राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च खेती उत्तराखण्ड में गेम चेंजर हो सकती है। इस खेती में मेहनत भी कम है और अधिक आमदनी अर्जित की जा सकती है। राज्य में इस क्षेत्र में कार्य करने की पर्याप्त संभावनाएं हैं। रूद्रपुर में ग्राम्य विकास एवं पंचायतीराज संस्थान द्वारा आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च की खेती की शुरूआत की गई है, इसके अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, सचिव हरबंस सिंह चुघ, अपर सचिव वन्दना, निदेशक सगंध पौध केन्द्र डॉ. नृपेन्द्र चैहान एवं सबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

कृषक समूहों को भी प्रदान किये जायेंगे 5 लाख तक का बिना ब्याज का ऋण

प्रदेश में आगामी 6 फरवरी को पं. दीन दयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के तहत 25 हजार किसानों को बिना ब्याज के 3 लाख तथा समूहों को 5-5 लाख का ऋण वितरण किया जायेगा।यह कार्यक्रम राज्य मुख्यालय के साथ ही प्रदेश के विकास खण्ड स्तर पर आयोजित किया जायेगा। राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री देहरादून में किसान भवन के निकट मैदान में इस योजना का शुभारम्भ करेंगे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास में आयोजित बैठक में कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लिये किसानों का हित सर्वोपरि है। किसानों के हित में राज्य सरकार द्वारा अनेक कल्याणकारी कदम उठाये गये हैं। किसानों को 3 लाख तक का ऋण ब्याज बिना ब्याज के उपलब्ध कराये जाने से किसानों को निश्चित रूप से फायदा होगा तथा उनकी आर्थिकी को और अधिक मजबूती मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषक समूहों को 5 लाख तक का बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराने से खेती एवं कृषि को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इस आयोजन को व्यापक रूप से आयोजित करने को कहा ताकि अधिक से अधिक किसान व समूह इसका लाभ ले सकें।

शून्य ब्याज दर पर ऋण वितरण कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर सीएम आवास में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत सहित विभागीय अधिकरी मौजूद रहे। बैठक में जिलामुख्यालयों एवं ब्लॉक मुख्यालयों में ऋण वितरण की रूपरेखा तय की गई। साथ ही जनपद व ब्लॉक मुख्यालयों में स्थानीय विधायक एवं जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित की गई।

बैठक में सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि रिंग रोड स्थित किसान भवन के निकट मैदान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जनपद के लगभग 250 किसानों को तीन लाख तक के चेक शून्य ब्याज दर पर वितरित करेंगे, जबकि प्रदेश के अन्य जनपदों में जिला मुख्यालय एवं ब्लॉक मुख्यालय में चेक वितरण का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम की खास बात यह है कि देहरादून से मुख्यमंत्री द्वारा ऋण वितरण कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से जिला मुख्यालयों में एनआईसी केंद्रों एवं ब्लाक मुख्यालयों में स्वान केन्द्रों के माध्यम से सीधे किसान एवं कार्यकर्ता लाइव देख सकेंगे।

इसी के साथ प्रत्येक ब्लॉक मुख्यालय एवं जिला मुख्यालय में भी संबंधित लाभार्थियों को स्थानीय सांसद, क्षेत्रीय विधायक एवं दायित्वधारियों द्वारा चेक वितरित किये जायेंगे। जिला एवं ब्लॉक मुख्यालयों में जनप्रतिनिधियों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए बकायदा सूची तैयार की गई है जिसकी सूचना सहकारिता विभाग के अधिकारियों द्वारा संबंधित को दी जायेगी। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि एनआईसी एवं आईटीडीए मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का जनपद एवं ब्लॉक स्तर तक लाइव प्रसारण की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।

बैठक में सचिव श्री आर.के. सुधाशु, आर. मिनाक्षी सुन्दरम, राधिका झा, महानिदेशक सूचना डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट, अपर सचिव बंदना, निदेशक आईटीडीए अमित सिन्हा आदि उपस्थित थे।

जैविक खेती से दिवोली गांव के खेत लहलहा रहे, ग्रामीणों की मेहनत हो रही सफल

पौड़ी गढ़वाल। कोरोना काल के दौरान प्रवासी बड़ी संख्या में गांवों को लौटे। इसी प्रकार पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लॉक के ग्रामसभा शीला तल्ला के दिवोली गांव में भी बड़ी संख्या में प्रवासी गांव लौटे। ग्रामसभा में करीब 50 से अधिक प्रवासी गांव पहुंचे हैं। ये सभी दिल्ली, मुंबई और दुबई में नौकरी करते थे, परिवार भी साथ था। लेकिन, अब सभी गांव आ गए हैं।

कोरोना महामारी के इस दौर में पौड़ी जनपद के विभिन्न गांवों में बड़ी संख्या में प्रवासी घर लौटे हैं। घर लौट कर रोजगार न होने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट था, ऐसे में उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू की गई तमाम योजनाओं ने इनके संकट को कम करने का काम किया। सरकारी मद्द और प्रवासियों के कुछ कर गुजरने के हौंसले ने गांव में रहकर ही काम करने की एक नई राह दिखाई। वहीं कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने बिना सरकारी मद्द के जैविक खेती, मशरूम उत्पादन, कृषि बागवानी कर स्वरोजगार के क्षेत्र में नई शुरूआत की और आज उसमें सफल होते हुए दिखाई दे रहे हैं।

स्वरोजगार से जुड़े युवाओं ने बंजर खेतों को किया आबाद
कोरोना महामारी में बदली हुई परिस्थितियों में पौड़ी जनपद के बीरोंखाल ब्लॉक के ग्रामसभा शीला तल्ला के दिवोली गांव में भी बड़ी संख्या में प्रवासी घर लौटे। कुछ के घर सलामत थे तो कुछ के घर खंडहर बन चुके थे। ऐसे में गांव के अपने परिचितों के यहा शरण ली। कोरोना संकट को खत्म न होता देख प्रवासियों ने गांव में रहकर ही स्वरोजगार करने की राह चुनी। लेकिन करें क्या जिससे उनकी आर्थिकी मजबूत हो। ऐसे में दिवोली गांव के रहने वाले और न्यूज नेशन चैनल के पत्रकार धनंजय ढौडियाल ग्रामीणों की मद्द को आगे आये। धनंजय ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने में जुटे अधिकारियों से बातचीत की। धंनजय के निवेदन पर बीडियो आशा राम पंत, पौड़ी तकनीकी संस्थान के विवेकानंद कोठारी, ग्राम विकास अधिकारी और पटवारी दिवोली गांव पहुंचे जहां उन्होंने स्थानीय लोगों को जैविक खेती, बागवनी और मशरूम उत्पादन के लिये प्रोत्साहित किया। जैविक खेती, पर्यटन के लिए प्रवासियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं और कई युवाओं ने इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया है। बैंक से ऋण दिलाने के लिए पत्रावलियां तैयार करने के साथ ही सरकार की ओर से दी जाने वाली विभिन्न योजनाओं की जानकारियां भी अधिकारी प्रवासियों को उपलब्ध करा रहे हैं। ग्राम विकास से जुड़े अधिकारी सभी प्रवासियों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। साथ ही सरकार की ओर से संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी दे रहे हैं।

दिवोली में जैविक फसलों ने जगाई नई उम्मीद
दिवोली गांव में प्रवासी और ग्रामीण लोंगों ने मिलकर जैविक खेती पर काम करना शुरू किया। पत्रकार धंनजय ढौडियाल की पहल से जनार्धन नौंगाई, श्याम सुंदर नौंगाई, गीताराम नौंगाई, बिलोचन ढौंडियाल, शेखरानंद ढौडियाल, सुबोध नौंगाई, मोहित ढौंडियाल, सुनील ढौंडियाल, मोहन ढौंडियाल, देवेन्द्र ने मिलकर जैविक खेती की शुरूआत की। ग्रामीणों ने देवली गांव में पानी के निकट के बंजर खेतों में मेहनत शुरू की। आज उस मेहनत का फल मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। यह खेत फसलों से लहलहा उठे हैं। आज इन खेतों में मटर सहित कई सब्यिजां उग रही हैं।

दिवोली गांव के बिलोचन ढौंडियाल बताते हैं कि गांव मे स्थायी रोजगार बढ़ाने की जरूरत है। गांव में रोजगार के लिए पर्यटन, जैविक खेती जैसी योजनाओं को बढ़ावा देना होगा। उत्तराखंड में अपार संभावनाएं हैं। कहा कि सभी प्रवासी गांव में जैविक खेती, पर्यटन, बागवानी, फलोत्पादन के लिए काफी उत्साहित हैं। जल्द गांव में प्रवासी नया जीवन शुरू करेंगे।