सुखरो नदी पर बने पुल के समीप हुए कटाव को लेकर मंत्री ने दिए निर्देश

वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने बाढ सुरक्षा को लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इससे पूर्व उन्होंने आपदा से हुए लालढांग-चिलरखाल मार्ग पर हुए कटान का निरीक्षण जेसीबी मशीन में बैठकर किया। उन्होंने सुखरो नदी पर बने पुल के समीप हुए कटाव का देखते हुए अपने आवास पर अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने अधिकारियों को कटाव के कारण पुल को उत्पन्न खतरे को देखते हुए सिंचाई विभाग के अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। साथ ही जेसीबी मशीन लगाकर चैनलाइज कर नदी का बहाव बीच में करने के निर्देश दिए। साथ ही पुल के पिलर की सुरक्षा के लिए वायरक्रेट लगा सुरक्षा दीवार बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को बरसात बंद होने का इंतजार किए बगैर तुरंत बाढ सुरक्षा कार्य शुरू कराने के निर्देश भी दिए। साथ ही विधानसभा क्षेत्र में सभी जगहों का निरीक्षण कर जहां जहां नुकसान हुआ है, वहां भूकटाव रोकने और आपदा से नुकसान को रोकने के प्रबंध करने के निर्देश भी दिए।
इस मौके पर उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता शिवराम जगूडी, लोनिवि दुगड्डा के अधिशासी अभियंता निर्भय सिंह, नगर निगम के सहायक नगर अधिकारी संजय कुमार, जेई अखिलेश खंडूडी, मीडिया प्रभारी धर्मवीर गुसाई आदि मौजूद रहे।

चौरासी कुटिया को भव्य बनाने के लिए जल्द ही निविदाएं आमंत्रित की जाएगीः डा. हरक

वन मंत्री हरक सिंह रावत शुक्रवार को तीर्थनगरी पहुंचे। वह यहां से श्रीनगर की ओर जा रहे थे, तभी पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया। पत्रकारों की ओर से चौरासी कुटिया के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चौरासी कुटिया का विकास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा। बकायदा शासन स्तर पर इसका रोडमैप तैयार कर लिया गया। जल्द इस संबंध में निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी।

उन्होंने कहा कि तीर्थगरी में स्थित चौरासी कुटिया दुनिया में अपनी पहचान रखती है। लेकिन, हम अभी तक उसे भव्य स्वरूप प्रदान नहीं कर पाए है। लेकिन अब इस संबंध में शासन स्तर पर रोडमैप तैयार कर लिया गया है। इसके लिए प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन को जिम्मेदारी सौंपी गई है। चौरासी कुटिया को भव्य और दिव्य रूप प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी। इसके बाद के विकास का कार्य किया जाएगा।

डॉ. हरक सिंह रावत ने संजय झील के विकास और वन भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों को लेकर भी बातचीत की। उन्होंने कहा संजय झील के विकास में उनके विभाग की ओर से कोई अड़चन नहीं आने दी जाएगी। उनका मानना है कि यह एक थीम पार्क बने, जो शहर की सुंदरता को और बढ़ाए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जो भी मदद चाहिए होगी, उनकी तरफ से दी जाएगी। इसके अलावा वन भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों को लेकर उन्होंने कहा इस संबंध में विभाग जरूरी कानूनी प्रक्रिया को अपनाकर कब्जों को हटाने का काम कर रहा है।

कार्बेट पार्क में पर्यटकों की सुविधाएं बढ़ायेगी सरकार

कार्बेट टाइगर रिजर्व में प्रायोगिक तौर पर गैण्डे का रिइन्ट्रोडक्शन किया जाए। मानव वन्य जीव संघर्ष से प्रभावित गांवों में वॉलण्टरी विलेज प्रोटेक्शन फोर्स की स्थापना जल्द से जल्द की जाए। कॉर्बेट व राजाजी पार्क में टाइगर व हाथी की अधिकतम धारण क्षमता का अध्ययन कराया जाएगा। हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर बंदरों को पीड़क घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में गरतांग गली ट्रेल में मार्ग निर्माण, उसके प्राचीन स्वरूप को बनाए रखते हुए किया जाए। प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के निकट स्थित टोंगिया व अन्य ग्रामों में सोलर लाईट, शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएं नियमानुसार उपलब्ध करवाने के काम को प्राथमिकता से लिया जाए। मंगलवार को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित राज्य वन्य जीव बोर्ड की 14 वीं बैठक में उक्त निर्णय लिए गए।
गैण्डे के रिइन्ट्रोडक्शन के संबंध में प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की भौगोलिक व पर्यावरणीय परिस्थितियां गैण्डे के अनुकूल है। गैण्डे द्वारा मानव के साथ संघर्ष की जीरो सम्भावना होती है और यह अन्य जीवों के लिए भी सहायक होता है। इससे राज्य में पर्यटन गतिविधियां भी काफी बढ़ेंगी। इस पर बोर्ड द्वारा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में प्रायोगिक तौर पर गैण्डे का रिइन्ट्रोडक्शन पर सहमति दी गई।
मछलियों को पकड़ने में अवैधानिक तरीकों के प्रयोग को रोकने के लिए युवक मंगल दलों, महिला मंगल दलों, वन पंचायतों का सहयोग लिया जाए। प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के निकट स्थित टोंगिया व अन्य ग्रामों में सोलर लाईट, शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएं नियमानुसार उपलब्ध करवाने के काम को प्राथमिकता से लिया जाए। संरक्षित क्षेत्रों से दूसरे स्थानों पर बसाए जाने पर वन्य ग्रामों के लोगों भूमि संबंधी वही अधिकार मिलने चाहिए जो कि उन्हें अपनी पहले की भूमि पर प्राप्त थे। इसके लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए।
राज्य वन्य जीव बोर्ड द्वारा संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत व संरक्षित क्षेत्रों के 10 किमी परिधि में आने वाली वन भूमि हस्तांतरण व अन्य प्रकरणों पर स्वीकृति प्रदान की गई। इनमें लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि की राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव भेजने, रूद्रप्रयाग के उखीमठ नगर पंचायत में पेयजल योजना के लिए पाईप लाईन बिछाने की अनुमति, जनपद अल्मोड़ा में एनटीडी-कफड़खान मोटरमार्ग के 2 किमी से ग्राम भूल्यूड़ा सब्जी उत्पादन क्षेत्र हेतु मोटरमार्ग का नवनिर्माण, रामनगर-लालढांग मोटर मार्ग के 9 किमी व 13 किमी में सेतु का निर्माण, सोनप्रयाग से त्रिजुगीनारायण व कोठियालसैण से ऊषाड़ा तक मोटरमार्ग के किनारे ओएफसी लाईन बिछाए जाने की अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजना प्रमुख हैं।
बैठक में वन मंत्री डा.हरक सिंह रावत, विधायक सुरेश राठौर, दीवान सिंह बिष्ट, प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन, मुख्य वन संरक्षक जयराज, डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार सहित वन विभाग के अधिकारी और राज्य वन्य जीव परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित थे।