केन्द्र सरकार ने दोगुनी रफ्तार से समीओं में निर्माण कार्यों को बढ़ाने का काम किया शुरु

(एनएन सर्विस-डेस्क)
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के द्वारा बाधाएं पैदा करने के बाद भी केन्द्र सरकार ने निर्माण परियोजनाएं को नही रोकने का निर्णय लिया है। केन्द्र सरकार निर्माण कार्य रोकने के बजाय दोगुनी रफ्तार से इन्हें आगे बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है। दरबुक से श्योक नदी और फिर दौलत बेग ओल्डी एयरबेस तक 255 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण चीन को सबसे ज्यादा अखर रहा है। 
सूत्रों ने बताया कि श्योक और गलवां नदी के संगम स्थल के पास जैसे ही पुल का निर्माण शुरू किया गया, चीन ने आपत्ति जताने के साथ तनातनी का माहौल बनाना शुरू कर दिया। इसके बावजूद सेना ने इस बेहद महत्वपूर्ण पुल को अपग्रेड करने का काम पूरा कर लिया। गलवां घाटी की घटना के बाद से रोड कनेक्टिविटी से जुड़ी परियोजनाओं में भी तेजी लाई जा रही है। हिंसक झड़प वाली जगह से कुछ ही दूर पुल बनाया जा रहा था। चीन की कोशिश थी कि किसी तरह से पुल का निर्माण रुकवा दिया जाए। एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना से और हिंसक संघर्षों की आशंका बन गई थी। ऐसे में पुल तैयार होना और भी जरूरी हो गया था। इसके लिए पुल निर्माण दल से कहा गया, किसी भी सूरत में इस पुल के निर्माण को अंजाम तक पहुंचाए। बताया जा रहा है कि सैनिकों की शहादत के तीन दिन में इसे टेस्टिंग के साथ सैन्य मूवमेंट के लिए तैयार भी कर लिया गया। इस तरह का पहला पुल ब्रिटिश वार ऑफिस में तैनात डोनाल्ड बेली के मॉडल पर वर्ष 1940-41 में तैयार किया गया था। उन्हीं के नाम से पुल के डिजाइन का नामकरण हो गया।
नागरिक सेवाओं के काम भी नहीं करने देता ड्रैगन- एलएसी के उस पार चीन धड़ल्ले से निर्माण करता आ रहा है लेकिन इस पार छिटपुट निर्माण पर भी चीन आपत्ति जताकर काम रुकवाता रहा है। लद्दाख के स्थानीय प्रतिनिधियों के अनुसार कई मर्तबा एलएसी से सटे ग्रामीणों के लिए सिंचाई कूहल समेत बुनियादी सुविधाओं से जुड़े निर्माण भी केवल चीन की आपत्ति को देखते हुए बंद कर दिए गए। 
वहीं, सीमा पर तनाव को देखते हुए छुट्टी पर घर पहुंचे भारतीय सेना के जवानों और अधिकारियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गईं हैं। सभी को जल्दी से जल्द अपने अपने बटालियनों में उपस्थिति देने के आदेश दिए गए हैं। जोशीमठ स्थित सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर में सेना की बैठक में चमोली जिले से लगी सीमा पर जारी गतिविधियों की जानकारी ली गई। सेना व आईटीबीपी के अधिकारियों ने सीमा पर स्थिति का जायजा लिया। सूत्रों के अनुसार शनिवार को जोशीमठ स्थित सेना के हेलिपैड पर दो चेतक हेलिकॉप्टर उतरे। सीमा पर सेनाओं की अलर्टनेस बढ़ गई है। सीमा पर प्राइवेट ट्रकों से भी जरूरी सामान पहुंचाया जा रहा है। 
वहीं, एक महत्वूपर्ण जानकारी देते हुए गिलगित बाल्टिस्तान के राजनीतिक कार्यकर्ता और इंस्टीट्यूट ऑफ गिलगित बाल्टिस्तान स्टडीज के निदेशक सेंगे एच सेरिंग ने कहा कि लद्दाख में भारत के बुनियादी ढांचा निर्माण से चीन डरता है। इसलिए वह भारत को धमकाने की कोशिश कर रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ गिलगित सेरिंग ने कहा, भारत बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है और काराकोरम पास तक पहुंच को और आसान बना रहा है। इसके जरिये अब भारत गलवां घाटी से चीन के राष्ट्रीय राजमार्ग जी 219 तक पहुंच सकता है। ऐसे में अगर भारत पूर्व और उत्तर की ओर बढ़ता है तो वह तिब्बत को जिनजियांग से काट सकता है। साथ ही साथ व पूर्वी रूट को भी काट सकता है, जोकि सीपेक का दूसरा रास्ता है।

333 युवा सैन्य अफसर बनकर देश सेवा को हुए समर्पित

देश के 333 भावी सैन्य अफसर आज देश सेवा में समर्पित हुए। इसके अलावा 90 विदेशी कैडेट्स भी अपने देश की सेना में शामिल हुए। इनमें 90 युवा सैन्य अधिकारी नौ मित्र देशों अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, भूटान, मॉरीशस, मालद्वीव, फिजी, पपुआ न्यू गिनी, श्रीलंका व वियतनाम की सेना का अभिन्न अंग बने। कड़े प्रशिक्षण में खरा उतरने के बाद जांबाज कैडेट्स ने आज आईएमए में अंतिम पग भरा। इसके साथ ही वे भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। परेड में सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर भाग लिया।

आज सुबह छह बजकर 42 मिनट पर कैडेट परेड स्थल पहुंचे और परेड शुरू हुई। डिप्टी कमांडेंट ने सबसे पहले परेड की सलामी ली। ठीक सात बजकर पांच मिनट पर कमांडेंट ले. ज. जयवीर सिंह नेगी ने परेड की सलामी ली। इसके बाद सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने परेड का निरीक्षण किया। रिव्यूइंग ऑफिसर ने विजेताओं को पुरुस्कार वितरित किए। फिर ये जांबाज अंतिम पग भर सेना में शामिल हो गए। पीपिंग व ओथ सेरेमनी के बाद 423 जेंटलमैन कैडेट बतौर लेफ्टिनेंट देश-विदेश की सेना का अभिन्न अंग बन गए।

मुंह पर मास्क पहनकर की परेड
इस बार 333 भारतीय और 90 विदेशी कैडेट आईएमए से प्रशिक्षण पूरा कर भारतीय सेना और विदेशी कैडेट अपने देशों की कमान संभालने को तैयार हो गए हैं। ऐसा पहली बार है जब कैडेट बिना अपने माता-पिता और रिश्तेदारों के अंतिम पग भरा। परेड भी कैडेट मुंह पर मास्क पहनकर कर रहे हैं।
पहली बार ऐसा हुआ कि आईएमए की पासिंग आउट परेड (पीओपी) के दौरान ड्रिल स्क्वायर पर सीना चैड़ा किए कदमताल करके अपने बेटे को देखने और उसके कंधों पर पीप्स (सितारे) सजाने की माता-पिता की इच्छा पूरी नहीं हुई।
बता दें कि कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार पीओपी में आईएमए की ओर से किसी भी कैडेट्स के परिजनों को बुलावा नहीं भेजा गया है।

ये बने सर्वश्रेष्ठ
– स्वार्ड आफ आनर-आकाशदीप सिंह ढिल्लो
– स्वर्ण-शिवकुमार सिंह चैहान
– सिल्वर-सक्षण राणा
– ब्रांज-सूरज सिंह
– टीजी सिल्वर-भरत योगेंद्र
– सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट-डोनवान सोन वियतनाम
– चीफ आफ आर्मी स्टाफ बैनर-अलामिन/सिंहगढ कंपनी

फ्रंट लाइन वॉरियर्स पर भारतीय सेना ने हेलीकॉप्टर से बरसाए फूल

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में रविवार को भारतीय सेना ने संस्थान के कोरोना फ्रंट लाइन वॉरियर्स को सम्मानित किया। इसी दौरान कोरोना वायरस कोविड19 संक्रमित मरीजों की चिकित्सकीय सेवा से जुड़े चिकित्सकों,नर्सिंग ऑफिसर्स व अन्य सहकर्मियों के सम्मान में आसमान से सेना के हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई।

रविवार को एम्स ऋषिकेश में भारतीय सेना की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कोविड19 से ग्रसित मरीजों की चिकित्सा सेवा में दिन- रात जुटे कोरोना फ्रंट लाइन वॉरियर्स के सम्मान स्वरूप हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए। निदेशक प्रो. रविकांत कहा कि संस्थान कोविड19 की जंग के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार के साथ है।संस्थान इससे ग्रसित मरीजों को तत्परता के साथ चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान करता रहेगा। इस अवसर पर सेना के रायवाला कैंट के कमांडर ब्रिगेडियर आकाश बजाज ने एम्स निदेशक को भारतीय सेना की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता, वरिष्ठ सर्जन व आईबीसीसी प्रमुख प्रो. बीना रवि, डीन अस्पताल प्रशासन प्रो. यूबी मिश्रा आदि को सम्मानित किया।

आइएमए परेडः 306 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बनें

आइएमए गीत पर कदमताल करते हुए जैसे ही जेंटलमैन कैडेट ड्रिल स्क्वायर पहुंचे, तो दर्शक दीर्घा में बैठे हर व्यक्ति के अंदर एक जोश भर कर गया। एक साथ उठते कदम और गर्व से तने सीने हर किसी को अपने ओर आर्कषित कर रहे थे। शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में अंतिम पग भरते ही 306 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। इसके साथ ही 71 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परेड की सलामी ली। उन्होंने कहा कि पासिंग आउट परेड का रिव्यू करते मुझे बेहद खुशी हो रही है। क्योंकि आज भारतीय सेना की गौरवशाली परम्परा की नयी कड़ी को जुड़ते हुए मैं प्रत्यक्ष देख रहा हूं। अपने नपे तुले और सधे कदमों से कदमताल करते कैडेटों में सुरक्षित और सुनहरे भारती की तस्वीर दिख रही है। सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ। कंपनी सार्जेंट मेजर रोनिश कुमार, हर्षित मिश्रा, संजय सिंह, शिवकुमार सारंग, मंजिल राय, विश्वन काटल, सबा उमा महेश व सत्यम पंत ने ड्रिल स्क्वायर पर अपनी-अपनी जगह ली। 8 बजकर 50 मिनट पर एडवास कॉल के साथ ही छाती ताने देश के भावी कर्णधार असीम हिम्मत और हौसले के साथ कदम बढ़ाते परिमल पराशर के नेतृत्व में परेड के लिए पहुंचे। परेड कमांडर विनय विलास गरड़ ने ड्रिल स्क्वायर पर जगह ली। कैडेट्स ने शानदार मार्चपास्ट से दर्शक दीर्घा में बैठे हर शख्स को मंत्रमुग्ध किया।
युवा सैन्य अधिकारी अंतिम पग भर रहे थे, तो आसमान से हेलीकाप्टरों के जरिए उन पर पुष्प वर्षा हो रही थी। रक्षा मंत्री ने कैडेटों को ओवरऑल बेस्ट परफारमेंस व अन्य उत्कृष्ट सम्मान से नवाजा। उन्होंने कहा इस पूरी ड्रिल में कैडेटों की मेहनत व लगन के साथ ही प्रशिक्षण का प्रतिबिंब भी साफ-साफ दिख रहा है। कदम से कदम और कंधे से कंधा मिलाकर चलने की यह काबिलियत किसी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होती है। यही काबिलियत हमारी सशस्त्र सेनाओं को मजबूत भी बनाती है।
भारतीय सैन्य अकादमी, भारत की उस शौर्य परम्परा से जुड़ी हुई है जिसने हमें देश और समाज के मान-सम्मान व स्वाभिमान के लिए मरते दम तक बलिदान देने की प्रेरणा दी है। कैडेटों से कहा कि जितना गर्व आपको अपनी वर्दी पर है उतना ही गर्व उन माता-पिता को भी है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने कलेजे के टुकड़े को समर्पित कर दिया। इसलिए यह दिन आपके परिवार के लिए भी खास है। क्योंकि उन्हें आज यह गौरव मिला है जिसका सपना उनकी आंखों में वर्षों से पल रहा था। रक्षा मंत्री ने सभी अभिभावकों का आभार जताया कि उन्होंने अपने बच्चे देश की हिफाजत के लिए भारतीय सेना को सौंप दिए हैं।

कहा बोले रक्षा मंत्री-हमारा पड़ौसी है कि सुधरता ही नही

देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में आयोजित पासिंग आउट परेड के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना में शामिल हुए युवा सैन्य अधिकारियों से सेवा एवं शांति का संदेश दुनिया तक ले जाने को कहा। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि भारत की कभी भी अतिरिक्त क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाएं नहीं रही हैं। भारत ने आज तक न तो दुनिया के किसी देश पर कभी आक्रमण किया है और न किसी की एक इंच भूमि पर कब्जा किया है। न ही हम किसी अन्य देश के मामले में दखल देते हैं। इसके बावजूद सीमाओं पर ऐसे खतरे मंडराते रहते हैं जहां आपको वीरता ही नहीं विवेक की भी जरूरत पड़ती है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर हमलावर होते हुए कहा कि वह विचित्र पड़ोसी है, सुधार के रास्ते पर चलते को तैयार नहीं है। कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को अपनी राष्ट्र नीति बना लिया है। पाकिस्तान में चरमंपथी तत्व इतने मजबूत हैं कि राजनीति के केंद्र में बैठे लोग उनके हाथों की कठपुतलियों से ज्यादा कुछ नहीं लगते। यही कारण है कि भारतीय सुरक्षाबलों को पाकिस्तान के खिलाफ अधिक चैकन्ना रहने की जरूरत है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने हमारे साथ चार लड़ाइयां लड़ीं, पर हर बार उसे हार मिली। पर वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। इसलिए हमें पाकिस्तान जैसे पड़ोसी से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ एक मल्टी प्रोम्प्ट स्ट्रेटेजी अपनाई हुई है। जिसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आ रहे हैं। इसके बावजूद आतंकवाद के खतरे के प्रति हमेशा सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद दुनिया के लिए कितना बड़ा खतरा है यह आज बताने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हमने अपनी आंखों के सामने 9/11 और 26/11 की घटना देखी है। आज किसी भी सभ्य देश की आतंकवाद के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है। दुनिया यह जानती है कि 26/11 को अंजाम देने वाले संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लोग पाकिस्तान में बैठे हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि मुम्बई हमले में जो 166 बेगुनाह लोग मारे गए, उन्हें और उनके परिवार को उस दिन न्याय मिलेगा जिस दिन 26/11 को अंजाम देने वालों को उनके अंतिम अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत और चीन की क्षेत्रीय अवधारणाएं एक-दूसरे से अलग हो सकती हैं लेकिन चीन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बाकी दुनिया के साथ खड़ा है। सीमांकन कार्य लंबे समय से लंबित होने के कारण चीन के साथ सीमा को लेकर कुछ मतभेद जरूर हैं। इस स्थिति में उत्तरी और पूर्वी सीमा पर सेना को अक्सर वीरता के साथ ही विवेक से भी काम लेना पड़ता है। इसका परिचय भारतीय सेना ने पिछले कुछ वर्षों में कई बार दिया है।

सेना में भर्ती होने का मौका, अवसर को कॅरिअर में बदलें युवा

देश की सेना के अलग-अलग हिस्सों में भर्ती होने का सुनहरा मौका है। अगर आप भी 10वीं, 12वीं या ग्रेजुएट हैं तो इन भर्तियों के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जानिए, अलग-अलग भर्तियों के बारे में।

टेक्निकल भर्ती का मौका
ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई में टेक्निकल पदों पर भर्ती के लिए आवेदन शुरू हो चुके हैं। इस भर्ती के लिए आवेदक की आयु 20 से 27 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इसके अलावा आवेदक का बीटेक या बीई पास होना जरूरी है। इसके तहत 189 पदों पर भर्ती होगी। सिविल इंजीनियरिंग के 50, मैकेनिकल के 16, इलेक्ट्रिकल के 24, एयरोनॉटिकल के 12, कंप्यूटर साइंस के 47, इलेक्ट्रॉनिक्स के 25, फाइबर ऑप्टिक्स के 8, प्रोडक्शन इंजीनियरिंग के तीन और आर्किटेक्चर के चार पदों पर यह भर्ती होगी। इसके लिए 22 अगस्त की रात 12 बजे तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

एलएलबी पास के लिए जैग एंट्री
सेना में एलएलबी पास युवाओं के लिए जैग एंट्री स्कीम के तहत आवेदन शुरू हो चुके हैं। इसके लिए आवेदक का एलएलबी पास होना अनिवार्य है। इसके अलावा आवेदक की आयु 01 जनवरी 2020 को 21 से 27 वर्ष होनी चाहिए। इसके तहत पांच पुरुष और तीन महिला की भर्ती होगी। शर्त यह भी है कि आवेदक अविवाहित हो। इन पदों के लिए 14 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।

10वीं, 12वीं पास के लिए यहां भर्ती का मौका
आर्मी रिक्रूटिंग ऑफिस अल्मोड़ा की ओर से बनबसा में सात से 13 सितंबर के बीच सेना भर्ती रैली होगी। रैली में अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर के युवा हिस्सा ले सकते हैं। इसके लिए छह सितंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके तहत सोल्जर जनलर ड्यूटी, सोल्जर टेक्निकल, सोल्जर नर्सिंग असिस्टेंट, सोल्जर क्लर्क, सोल्जर ट्रेड्समैन के पदों पर भर्ती की जाएगी।
वहीं, आर्मी रिक्रूटिंग ऑफिस पिथौरागढ़ की ओर से बनबसा में ही 21 से 23 सितंबर के बीच भर्ती रैली का आयोजन किया जाएगा। इस रैली में पिथौरागढ़ और चंपावत के युवा हिस्सा ले सकते हैं। इसके लिए पांच सितंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। सोल्जर जनरल ड्यूटी के लिए आयु 17.6 से 21 वर्ष होनी चाहिए। कम से कम 45 परसेंट अंकों के साथ 10वीं पास हो। सोल्जर टेक्निकल के लिए आयु 17.6 वर्ष से 23 वर्ष हो। 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स और अंग्रेजी के साथ कम से कम 50 परसेंट अंक हों। सोल्जर नर्सिंग असिस्टेंट के लिए आयु 17.6 वर्ष से 23 वर्ष के बीच हो। 12वीं में फि जिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और अंग्रेजी के साथ कम से कम 50 परसेंट अंक हों। सोल्जर क्लर्क के लिए आवेदक के 12वीं में कम से कम 60 परसेंट अंक हों। सोल्जर ट्रेड्समैन के लिए कम से कम 33 परसेंट मार्क्स के साथ 10वीं पास होना जरूरी है।

भर्ती रैली की जानकारी यहां देखें: www.joinindianarmy.nic.in

भारतीय सेना के अंग बने 382 युवा अधिकारी

भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होकर 382 जांबाज अधिकारी भारतीय सेना का हिस्सा बन गए, जबकि मित्र राष्ट्रों के 77 कैडेट्स भी पास आउट हुए। पासिंग आउट परेड में मुख्य अतिथि दक्षिण पश्चिम कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन रहे, जिन्होंने परेड की सलामी ली। सुबह 6 बजकर 40 मिनट पर मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ। इसके बाद ड्रिल स्क्वायर पर कदमताल करते हुए 459 जेंटलमैन कैडेट्स चैटवुड भवन के सामने पहुंचे। इस दौरान इन कैडेट्स पर हेलीकाॅप्टर से पुष्प वर्षा भी की गई। परेड की सलामी लेने के बाद दक्षिण पश्चिम कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन ने कैडेट्ों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद देश का सबसे बड़ा दुश्मन है, जिस पर अब काफी हद तक काबू पाया जा चुका है। उन्होंने कैडेट्स को दुश्मन के बोलने पर विश्वास न करने को लेकर सचेत किया तो वही ऐसे प्रोपेगेंडा को अनदेखा कर आगे बढ़ने की सलाह दी।

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राजकीय सम्मान के साथ “श्रीमन” को अंतिम विदाई

इसके साथ ही आज आईएमए के इतिहास में 61 हजार 536 अफसर देने का रिकॉर्ड भी जुड़ गया। इनमें 2 हजार 2 सौ 59 विदेशी जेंटलमैन कैडेट्स भी शामिल हैं।
आज पास आउट हुए 77 युवा सैन्य अधिकारियों में 9 मित्र देशों- अफगानिस्तान, भूटान, मालदीव, फिजी, मॉरीशस, पपुआ न्यू गिनी, टोंगा, लेसोथो और तजाकिस्तान की सेना का अभिन्न अंग बने हैं। इस बार सबसे ज्यादा 72 अधिकारी उत्तर प्रदेश से हैं, जबकि उत्तराखंड से 33 युवा अधिकारी हैं।

ऑपरेशन क्लीन से कश्मीर में होगा आंतकवादियों का सफाया

पिछले वर्ष जुलाई में जब हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी को मारा था, उसके बाद से ही घाटी में घुसपैठ जारी है और माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत खुद कई बार घाटी का दौरा कर चुके हैं। वर्ष 1990 के बाद से घाटी में आतंकियों को खदेड़ने के बाद सबसे बड़ा ऑपरेशन ऑपरेशन क्लीन अप लॉन्च हो चुका है। सेना ने मई में कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन की शुरुआत के साथ ही आतंकियों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान शुरू किया था। इस समय घाटी में करीब 4,000 से ज्यादा सेना के जवान, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान इस ऑपरेशन का हिस्सा हैं।
शनिवार को सेना ने कश्मीर के सोपोर में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को मार गिराया। इसके साथ ही अब तक इस वर्ष सेना ने 122 आतंकियों का खात्मा कर डाला है। दिसंबर 2016 तक सेना ने घाटी में करीब 120 आतंकी मारे थे। आतंकियों के मारे जाने की आंकड़ें मे इजाफा होगा, इस बात की पूरी गारंटी है। सेना ने घाटी से आतंकियों के सफाए के लिए डेडलाइन तय की है। इस डेडलाइन के तहत घाटी में सर्दियों के शुरू होने से पहले सेना ने सभी आतंकियों को मार गिराने और घाटी को आतंकियों से आजाद कराने का लक्ष्य तय किया है। सेना ने कश्मीर के आतंकियों के खिलाफ अब अपनी रणनीति बदल ली है। मई में जब हिजबुल कमांडर सबजार भट को मार गया था तो उस ऑपरेशन ने साफ कर दिया था कि सेना किस तरह से कश्मीर खासतौर पर साउथ कश्मीर में मौजूद आतंकियों के खिलाफ आक्रामक हो गई है।

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