जनकवि डा. अतुल शर्मा की कलम से….
डा. सुनील दत्त थपलियाल से मैं जब भी मिला तब तब उन्हें ऊर्जा और उत्साह से भरा हुआ पाया। ऋषिकेश में हुए एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मैने शिरकत की। तब वहां डा. थपलियाल से मिला। एक स्वाभिमानी चेहरा, गठीला शरीर, चेहरे पर हमेशा की तरह मुस्कान। जब कार्यक्रम शुरु हुआ तो उन्हें सबसे पहले बुलाया गया। उद्बोधन की अदभुत कला बाजी शब्द के अनुशासन और सलीके से बात करते हुए वे धाराप्रवाह बोलने लगे। स्वागत का कार्यक्रम चला और साथ ही डॉ थपलियाल द्वारा संस्कृत की सूक्तियां के साथ मंत्रपाठ भी अनवरत् जारी रहा। बहुत गरिमामय वातावरण पूरे कार्यक्रम में उनकी वजह से बना रहा। मैने तो वहां कहा कि आपकी जिव्हा पर सरस्वती विजमान है। इस पर वे विनम्रता से झुक कर प्रणाम करने लगे चेहरे पर मुस्कान दिल में सम्मान की सूक्ति, यही पहचान है उनकी, संपूर्ण ऋषिकेश के साथ ही सम्पूर्ण उत्तराखंड के मंच संचालन का दायित्व संभालने में दक्ष हर प्रकार के कार्यक्रम के प्रबंधन में बेहतरीन भूमिका निभाने वाले डॉ सुनील दत्त अपने व्यवहार वाणी सेवा व सहयोग के लिए संपूर्ण क्षेत्र मै अच्छी प्रतिष्ठा रखते हैं।
वैश्विक संकट की घड़ी में
कोरोना महामारी से जब संपूर्ण जगह लॉकडाउन हो गया था। सब कुछ बंद हो गया। पर डॉ सुनील ने सामाजिक सेवा के साथ साहित्यिक सेवा को सोशलमीडिया के माध्यम से सक्रिय रखने का निर्णय अपने पूरी आवाज साहित्यिक संस्था की टीम के साथ लिया । 22 जून 2020 से आवाज साहित्यिक संस्था पेज पर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया, जिसमें साहित्य, संस्कृति, संवाद की तीन धाराओं को जोड़कर आवाज की आवाज को जन जन की आवाज के रूप में प्रस्तुत किया गया, जो लाखों लोगों की बेहतरीन पसंद बनी हुई है।
इसी बीच मैंने डा. सुनील दत्त थपलियाल को मोबाइल पर देखा। वे आवाज साहित्य संस्था ऋषिकेश द्वारा एक कार्यक्रम चला रहे थे। इसमें साहित्य कला संस्कृति से जुड़े व्यक्तित्वो को आमंत्रित करके बड़ा काम कर रहे थे। अपने लाईव प्रसारण के एक वर्ष पूरे करने पर 22जून को डिजिटल आवाज कार्यक्रम की वर्ष गांठ थी तो मै उनके पेज से जुड़ा था।
आवाज के साहित्यकारों की कवि गोष्ठी में जुड़ा। लेकिन इस पेज पर भी जब डॉ सुनील मुखर होते है। तो एक अलग ही आनन्द आ जाता है। यही पहचान है। शब्दो का अपार भंडार है उनके पास। संपूर्ण देश के साहित्यकारों को ऋषिकेश से जोड़कर सात समंदर पार भी आवाज को प्रसिद्धि दी है ।
कुछ समय पहले जब ….
एक दिन वे घर पर आये। मैं अजबपुर में रहता था। बारिश से भीगते हुए। उनके साथ शिवप्रसाद बहुगुणा भी थे। मैने समझ लिया। खैर मैने बहुगुणा जी के काव्य संग्रह मै देवभूमि से बोल रहा हूं को वही पढा और भूमिका लिख कर उन्हे सौप दी। इस समय भी साहित्य की चोकड़ी जम गई काफी देर तक साहित्य पर चर्चा चलती रही।
पिछले दिनो इसी पेज पर कवि गोष्ठी मे भाई प्रबोध उनियाल, रामकृष्ण पोखरियाल, महेश चिटकारिया, सत्येन्द्र सोशल, अशोक क्रेजी, नरेंद्र रयाल आदि ने काव्य पाठ किया तो मैंने उसकी अध्यक्षता की। डॉ सुनील के अदभुत संचालन में चले कार्यक्रम मै आंनद आ गया।
सबसे बड़ी बात है उनकी विनम्रता, कर्मठता, अध्ययन और परमार्थ
समय व परिस्थिति के साथ बेहतरीन अनुकूलन करने वाले, आवाज साहित्यिक संस्था के लाईव प्रसारण के संयोजक सुनील आज प्रत्येक साहित्यकार, संस्कृति संवाहक, संवाद के विशेषज्ञों के साथ ही आम दर्शकों में अपनी बेहतरीन पहचान बनाए हुए हैं। वर्तमान में श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज में सेवा देते हुए हर कार्य को बखूबी से निभाते हैं।
मै ईश्वर और ऋषिकेश नारायण से कामना करता हूं कि वे दीर्घायु हो लगातार उन्नति के नये आयाम छुये।
503 Service Unavailable
Service Unavailable
The server is temporarily unable to service your
request due to maintenance downtime or capacity
problems. Please try again later.
Additionally, a 503 Service Unavailable
error was encountered while trying to use an ErrorDocument to handle the request.