एम्स ऋषिकेशः नर्सिंग क्षेत्र के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ शुभारंभ


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में तीन दिवसीय रिसर्च मैथेडोलॉजी बायो स्टेटिसटिक्स और एविडेंस बेस्ड मेडिसिन विषय पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसमें संस्थान के नर्सिंग ऑफिसरों, असिस्टेंड नर्सिंग सुपरिटेंडेंट व विभाग से जुड़े अन्य लोगों ने प्रतिभाग किया।

एडवासं सेंटर ऑफ कंटिन्यूअस प्रोफेशनल डेवलपमेंट सीपीडी विभाग व कॉलेज ऑफ नर्सिंग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा कि यह प्रशिक्षण नर्सिंग के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए बेहद जरुरी है। जिसका उद्देश्य नर्सेस को अधिक से अधिक रिसर्च के लिए प्रेरित करना है। बताया कि एम्स संस्थान द्वारा शुरू किया गया यह ट्रेनिंग प्रोग्राम नर्सिंग प्रैक्टिस, नर्सिंग एजुकेशन और नर्सिंग एडमिनिस्ट्रेशन में बहुत लाभकारी साबित होगा।

डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने कहा कि रिसर्च केवल चिकित्सकों के लिए ही नहीं बल्कि नर्सिंग ऑफिसरों के लिए भी जरुरी है। उन्होंने कहा कि नर्सेस मरीजों को अधिक समय देते हैं, ऐसे में वह ​अधिक समय तक उनके बीच काम करके पेशेंट को और बेहतर सेवाएं दे सकते हैं।
डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सेना ने नर्सिंग ऑफिसर्स के लिए शुरू किए गए इस कोर्स को महत्वपूर्ण बताया और इस पहल के लिए आयोजकर्ता विभागों को बधाई भी दी। प्राचार्य कॉलेज ऑफ नर्सिंग डा. वसंथा कल्याणी ने कहा कि संस्थान नर्सिंग के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने में जुटा हुआ है, जिससे मरीजों को और अच्छी नर्सिंग केयर मिल सके।

प्रशिक्षण कार्यशाला की समन्वयक रूपेंद्र देयोल ने उम्मीद जताई कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला में शामिल होने वाले नर्सिंग ऑफसर्स जल्द ही अपना रिसर्च प्रोजेक्ट संस्थान के रिसर्च सेल में पंजीकृत कराएंगे। उन्होंने कहा कि यह अनुसंधान अनुभव तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसका उपयोग मरीजों की बेहतर सेवा के लिए भी किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि अनुसंधान को बढ़ावा देने वाले इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए अब तक एम्स संस्थान के 1000 नर्सिंग ऑफिसरों ने अपना पंजीकरण कराया है। जिन्हें प्रतिमाह 40-40 नर्सिंग ऑफिसर्स के बैच में रिसर्च ट्रेनिंग दी जाएगी। जो कि आने वाले समय में नियमिततौर पर जारी रहेगी।
कार्यशाला में प्रशिक्षक जेवियर बैल्सिआल, प्रसूना जैली, डा. राजेश कुमार, मलार कोडी, रूचिका रानी, राखी मिश्रा डा. राकेश शर्मा, कल्पना ठाकुर, नीतू कटारिया आदि ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया। इस अवसर पर मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. बीके बस्तिया, नर्सिंग प्रभारी डा. प्रदीप अग्रवाल, नर्सिंग सुपरिटेंडेंट मनीष शर्मा समेत सभी नर्सिग फैकल्टी मौजूद थे।

सरकार की दरों से अधिक वसूली करने पर निजी अस्पताल पर होगी कार्रवाई

केंद्र सरकार की तय दरों के आधार पर प्रदेश के निजी अस्पताल कोरोना मरीजों से इलाज का खर्चा 20 प्रतिशत कम लेंगे। यानी निजी अस्पताल केवल 80 प्रतिशत तक खर्च वसूल कर सकेंगे। इसके विपरीत यदि कोई निजी अस्पताल तय दरों से अधिक वसूली करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।

निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए नीति आयोग के सदस्य डॉ.विनोद पाल की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने इलाज की दरें तय की हैं। केंद्र की ओर से तय दरों का 80 प्रतिशत उपचार शुल्क निजी अस्पतालों की ओर से लिया जाएगा। इसमें 1200 और 2000 रुपये पीपीई किट का खर्च और बिस्तर, भोजन, निगरानी, नर्सिंग देखभाल, डॉक्टरों का परामर्श, कोविड जांच, ऑक्सीजन समेत अन्य सुविधाएं भी शामिल हैं। 

प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने कोरोना इलाज की दरों को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि केंद्र की ओर से जो दरें तय की गई हैं, उसके आधार पर प्रदेश में निजी अस्पताल कोरोना मरीजों से इलाज के लिए 80 प्रतिशत उपचार शुल्क लेंगे। शासन की ओर से जारी आदेश में भी 80 प्रतिशत के हिसाब से इलाज की दरें तय करने का उल्लेख किया गया है।