अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर परमार्थ निकेतन की ओर से महिला सशक्तिकरण हेतु विभिन्न गतिविधियों का आयोजित हुआ। ऋषिकेश के खारास्रोत और चन्द्रेश्वर नगर की महिलाओं और बालिकाओं के साथ ’’शिक्षा, स्वास्थ्य, गरिमा, सुरक्षा और सशक्तिकरण’’ विषयों पर विशेष चर्चा और जिज्ञासा समाधान सत्र का आयोजन किया।
डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती को ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी देहरादून में ’’मोटिवेशनल स्पीकर विशेष अतिथि’’ के रूप में आमंत्रित कर साध्वी जी को सम्मानित किया। तत्पश्चात मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, कोलकत्ता की अध्यक्ष स्निग्धा शाह ने बहुत ही सौहार्दपूर्वक डा साध्वी भगवती सरस्वती को ’’समकालीन दुनिया में आध्यात्मिकता के महत्व’’ विषय पर उद्बोधन देने हेतु आमंत्रित किया। साध्वी जी ने आनॅलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से सभी को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनायें देते हुये सम्बोधित किया। ’
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने आनॅलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारत की मातृशक्तियों को शुभकामनायें दीं। ’’मातृशक्ति के बिना संसार की कल्पना नहीं की जा सकती। ‘‘मातृशक्ति के बिना तो संसार ही नहीं है। आप है तो संसार हैय बेटियाँ हैं तो सृष्टी है बाकी सब बाद में है। अपनी शक्ति का मातृशक्ति को अनुभव करना है और शक्ति को अपने भीतर जगाना है।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हो रहे सभी प्रकार के भेदभावों को हर जगह से समाप्त करना ही सही मायने में महिला सशक्तिकरण है। हम सभी को यह विचार करना जरूरी है कि जो नारी प्रति दिन अपने घरों, समुदायों और दुनिया में व्यापक स्तर पर प्रेम, सद्भाव, स्वास्थ्य और सुरक्षा लाने के लिए लगन से काम करती हैं उन सभी माताओं, बहनों, मित्रों शिक्षकों, कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों, लेखकों आदि अनेक क्षेत्रों में कार्यरत सभी नारी शक्तियों की सेवा को नमन जो अपने से अधिक देखभाल दूसरों की करती है। आज का दिन उन सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है। साध्वी जी ने नारियों को संदेश देते हुये कहा कि आप स्वयं से प्रेम करें और फिर प्रेममय समाज की नींव रखें।
32 वाँ अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्वस के दूसरे दिन की शुरूआत आनॅलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से आध्यात्मिक व्याख्यान श्रृंखला में लॉस एंजिल्स में अगापे इंटरनेशनल स्पिरिचुअल सेंटर के संस्थापक डॉ माइकल बेकविथ ने ’जीवन का उद्देश्य, चेतना और आध्यात्मिक विकास’ विषय पर उद्बोधन दिया। तत्पश्चात योग और संगीत की कक्षाओं की शुरूआत हुई।
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