संत समाज ने की नागरिकों से अपील, गंगा में न डालें पूजन सामाग्री

गंगा में राफ्टिंग का संत समाज विरोध नहीं करता है, मगर राफ्टिंग की आड़ में गंगा में मादक पदार्थ लेकर पर्यटकों का जाना से अमर्यादित है। इससे गंगा तो दूषित हो ही रही है, साथ ही आस्था पर भी ठेस पहुंचती है, तो ऐसे लोग जो गंगा में मादक पदार्थ लेकर आते है, इसका विरोध संत समाज करता है। संत समाज सरकार से यह भी मांग करता है कि इसके लिए कानून बनाया जाए। यह बात महामंडलेश्वर ईश्वरदार महाराज ने कही।

आज नमामि गंगे और अखिल भारतीय संत समिति की महाकुंभ 2021 को लेकर मायाकुंड स्थित कृष्ण कुंज आश्रम में आयोजित की गई। इसमें नमामि गंगे के प्रदेश प्रमुख कपिल गुप्ता व उनकी टीम ने संत समाज के साथ एक स्वर में ऋषिकेश में भी महाकुंभ को लेकर विकास कार्य किए जाने पर सहमति बनाई। साथ ही गंगा की अविरलता को बनाए रखने के लिए लोगों से भी अपील की। संत समाज ने कहा कि गंगा में पूजन सामग्री न प्रवाहित की जाए। संतों की ओर से निश्चित तिथि पर गंगा की सफाई के लिए प्रयास किए जाएं। कुंभ में स्नान के लिए त्रिवेणी घाट का विस्तार किया जाए।

इस मौके पर महामंडलेश्वर दयाराम दास, महामंडलेश्वर गणेश दास, महंत केशव स्वरूव ब्रह्मचारी, महंत बलवीर सिंह, महंत सुखवीर सिंह, महंत स्वामी अखंडानंद महाराज, महंत गोपाल गिरी, महंत लोकेश दास, पंडित रवि शास्त्री, जुगल किशोर शर्मा, संतोष मुनि, अभिषेक शर्मा, हर्षित गुप्ता, मिंटू तिवारी, पंकज गुप्ता, प्रदीप कोहली, सिमरन गाबा, दिनेश शर्मा, अशोक अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज का जीवन प्रेरणादायीः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राघव कुटीर भारत माता जनहित ट्रस्ट, हरिपुर कलां में निवृत्त जगद्गुरू शंकराचार्य पद्मभूषण ब्रह्मलीन पूज्य गुरूदेव स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज की दिव्य स्मृति में नवनिर्मित समाधि मन्दिर के शिलान्यास कार्यक्रम व श्री सद्गुरूदेव पुण्य स्मृति दर्शन सभागार के लोकार्पण कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। श्री सद्गुरूदेव पुण्य स्मृति दर्शन सभागार में स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज के जीवन से सम्बन्धित दुर्लभ चित्रों, महान हस्तियों की प्रतिमायें, ग्रन्थों व पुस्तकों के संकलन को बड़े ही व्यवस्थित ढंग से प्रत्येक के लिये निर्धारित स्थानों में प्रदर्शित किया गया है। इस अवसर पर सहकार्यवाह डॉ0 कृष्ण गोपाल सह सरकार्यवाह, भारत माता मन्दिर एवं समन्वय ट्रस्ट के अध्यक्ष जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द्र अग्रवाल, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, विशिष्ट जन-प्रतिनिधि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज के जीवन से सम्बन्धित संकलित वस्तुओं का अवलोकन किया तथा उन्हें प्रेरणादायी बताया।
इस अवसर पर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज ने मुख्यमंत्री व उपस्थित विशिष्टजनों को अंगवस्त्रम् भेंटकर सम्मानित किया। आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में महाकुम्भ सम्पन्न होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज प्रेरणादायी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने भारत माता ट्रस्ट मन्दिर की स्थापना की। वह एक बहुत बड़े सन्त थे। उनको शंकराचार्य की उपाधि मिली और उन्होंने उसका परित्याग किया और जो धर्मदण्ड है, उसे उन्होंने मां गंगा को समर्पित किया। वे आध्यात्म व व्यवहार दोनों के समन्वयक थे। आज उनकी याद में स्मृति मन्दिर का शिलान्यास किया गया है, जो युगों-युगों तक हमारे आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देगा।
इस अवसर पर आई0डी0 शास्त्री, सचिव समन्वय सेवा ट्रस्ट एवं भारत माता जनहित ट्रस्ट, भारत माता मन्दिर, महामण्डलेश्वर गोविन्द गिरि महाराज, स्वामी ललितानन्द, स्वामी रामदेव, ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, स्वामी हरचेतनानन्द, सतपाल ब्रह्मचारी, लक्सर विधायक संजय गुप्ता, ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर, मेला अधिकारी दीपक रावत, जिलाधिकारी सी0 रविशंकर आदि उपस्थित थे।

चारधाम यात्राः विजयादशमी के मौके पर धामों के कपाट बंद होने की तिथियां घोषित

उत्तराखंड के चारधाम यानी (बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के कपाट शीतकाल में किस तिथि को बंद होंगे। इसका ऐलान आज किया गया। बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को तीसरे पहर तीन बजकर 35 मिनट पर बंद होंगे। इसी तरह गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर को दोपहर 12.35 मिनट पर बंद होंगे। वहीं, केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज पर 16 नवंबर को प्रातः 8.30 बजे बंद होंगे। साथ ही यमुनोत्री धाम के कपाट 16 नवंबर और गंगोत्री के कपाट अन्नकूट पर्व पर 15 नवंबर को बंद किए जाएंगे।

शीतकाल के लिए गोपीनाथ मंदिर में विराजित हुए भगवान रूद्रनाथ

भगवान रूद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए है। शनिवार को पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना के बाद भगवान रूद्रनाथ को गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में विराजित किया गया। इससे पूर्व चतुर्थ केदार भगवान रूद्रनाथ को भक्तों ने नए अनाज का भोग लगाया और परिवार की कुशलता की कामना की।

मंदिर के कपाट बंद होने के बाद सुबह सात बजे पंडित महादेव प्रसाद भट्ट के नेतृत्व में रुद्रनाथ की उत्सव डोली पंचगंगा, पित्रधार, पनार बुग्याल, ल्वींटी बुग्याल होते हुए सगर गांव पहुंची। यहां ग्रामीणों ने अपने आराध्य देवता को भोग लगाया और पूजा-अर्चना की। इस दौरान रुद्रनाथ भगवान की पंचमुखी आरती भी की गई।

मुख्य हरकीपैड़ी क्षेत्र में आम लोगों को स्नान के लिए अनुमति नहीं

2021 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ मेला में सिर्फ मुख्य स्नान पर ही श्रद्धालुओं के लिए पास की व्यवस्था होगी। इसके अलावा सामान्य दिनों में कोई भी श्रद्धालु आकर गंगा में स्नान कर सकता है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने इसकी पुष्टि की है।
उन्होंने बताया कि शाही स्नान का दिन और समय तय होता है। कौन सा अखाड़ा किस समय स्नान करेगा, यह पूर्व निर्धारित होता है। इस दौरान मुख्य हर की पैड़ी क्षेत्र में आम लोगों का स्नान नहीं होता है।

उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर मुख्य स्नान के दिन करोड़ों लोगों के हरिद्वार आने की संभावना रहती है। इसलिए सरकार मुख्य स्नान पर पास व्यवस्था लागू करने पर विचार कर रही है। इसके लिए देखा जा रहा है कि हरिद्वार के घाटों की क्षमता कितनी भीड़ वहन करने की है। इसी आधार पर मुख्य स्नान के दिन श्रद्धालुओं की संख्या तय की जा सकती है। हालांकि इस पर विचार ही चल रहा है, अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।

5100 दिये जलाकर मनाया गया दीपोत्सव, सीएम त्रिवेन्द्र बोले जन समर्थन से सपना हुआ साकार

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अयोध्या में किये गये राम मन्दिर शिलान्यास को भविष्य के भारत के प्रति प्रधानमंत्री की स्पष्ट सोच को प्रदर्शित करता है। उन्होंने इसे सबका साथ सबका विश्वास का भी मंत्र बताया है।

बुधवार को राम मन्दिर शिलान्यास के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री आवास में अपनी पुत्री श्रृजा के साथ दीपोत्सव कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 21 वीं सदी में इस भूमि पर प्रधानमंत्री द्वारा किये गये राम मन्दिर के शिलाल्यास से यह संदेश भी गया है कि भविष्य के भारत के प्रति प्रधानमंत्री की सोच क्या है। उन्होंने कहा कि आज देश का बहुप्रतीक्षित सपना पूरा हुआ है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली दृढ़ इच्छा शक्ति वाली सरकार तथा जन समर्थन से यह सपना पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज देश व प्रदेश में दीपावली जैसा माहौल है, उन्होंने सबको साथ लेकर प्रदेश को आगे बढ़ाने का संकल्प भी दोहराया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि माता सीता का उत्तराखण्ड से भी सम्बंध रहा है। पौड़ी जनपद के सितोलस्यूँ पट्टी में फलस्वाड़ी के सीतासैण के पास विदाकोटी स्थान पर माता सीता ने भूसमाधि ली थी उसके पास ही ऋषि वाल्मीकि का उत्तराखण्ड का अकेला मन्दिर है जो माता सीता के मन्दिर की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि यहां पर मेला भी आयोजित होता है। इस स्थान पर माता सीता का भव्य मन्दिर बनाकर उसे पहचान दिये जाने की बात भी मुख्यमंत्री ने कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राम मन्दिर के शिलान्यास से राम जन्म भूमि आन्दोलन के साक्षी रहे लोगों को असीम सुख की प्राप्ति हुई है तथा इस आन्दोलन में अपना जीवन उत्सर्ग करने वालों की आत्मा को निश्चित रूप से शांति मिली होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम मन्दिर के निर्माण के लिए जब 1989 में आन्दोलन चल रहा था, तब वे मेरठ में थे। भेष बदलकर हमने इस आन्दोलन में भाग लिया था। हमारे साथ हजारों लोगों ने इस आन्दोलन में भाग लिया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वे परिस्थितियां सामान्य होते ही अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम के दर्शन करेंगे।

समूची अयोध्या हुई राममय, हर जगह लहरा रही केसरिया पताका

अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए जिस तरह से समूचे क्षेत्र को सजाया जा रहा है, यहां हर घर में उल्लास, जश्न, भजन-कीर्तन का माहौल हो रहा है। इससे त्रेतायुग जैसा माहौल बना हुआ है। शास्त्र और पुराणों में उल्लेख के अनुसार त्रेतायुग में भी कुछ इसी तरह का माहौल था। राम राज्य वाले उस युग में हर कोई प्रेम, श्रद्धा और भजन-कीर्तन में मग्न रहता था। ईश्वर को सदैव स्मरण करना वहां की दैनिक दिनचर्चा थी। न किसी को कोई भय था और न ही अत्याचार होता था। हर जगह दीपक जगमगाते थे। आज एक बार फिर अयोध्या में वैसा ही माहौल देखा जा रहा है। भूमिपूजन से पहले अयोध्या राममय है। मंदिरों में रंग-रोगन, छतों पर केसरिया पताका, दीवारों पर रामायणकालीन नयनाभिराम दृश्य, जगह-जगह तोरण द्वार सजाए गए हैं। 

साकेत कालेज से हनुमानगढ़ी और श्रीरामजन्मभूमि तक पीएम जिस मार्ग से गुजरेंगे वहां के दोनों तरफ घर-दुकान से लेकर धर्मस्थल तक पीले रंग से रंग दिए गए हैं। श्रीरामजन्मभूमि के मुख्य कार्यक्रम स्थल को भव्य सजाया जा रहा है, इसके थाईलैंड से खास फूल मंगाए गए हैं। अवध विवि की छात्राएं फूलों-रंगों, कलश-रंगोली की कलाकृतियों से अयोध्या की मौलिकता की झांकी परिसर में सजा रही हैं। उधर, संत-धर्माचार्य और विहिप-संघ से जुड़े अतिथि अयोध्या पहुंचने लगे हैं। ट्रस्ट ने सभी अतिथियों को चार अगस्त तक कारसेवकपुरम में आने का आग्रह किया है। 
 

इस तरह रहेगा पीएम का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच अगस्त को 11 बजकर 15 मिनट पर साकेत कालेज के हेलीपैड पर उतरेंगे। यहां से हनुमानगढ़ी जाकर 7 मिनट तक पूजन करेंगे, फिर श्रीरामजन्मभूमि के गेट नं. 3 से रामलला के दगबार में 12 मिनट पूजन का कार्यक्रम है, यहां से सीधे गर्भगृह में भूमिपूजन करके राममंदिर की ईंट रखेंगे। यहां 45 मिनट तक संबोधन का कार्यक्रम भी है। वह दो घंटे से अधिक समय यहां पर रहेंगे, सूत्र बताते हैं कि पूजन के बाद हेलीपैड जाने से पहले सीएम योगी के साथ सरयूपूजन भी करने घाट तक जा सकते हैं।

श्री भरत मंदिर के तीसरे महंत बने वत्सल प्रपन्न शर्मा, नगर में उत्साह

हृषीकेश नारायण श्री भरत मंदिर गद्दी पर महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा तीसरे महंत के रूप में विराजमान हुए। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज की अध्यक्षता में आयोजित पट्टाभिषेक महोत्सव में साधु समाज सहित नगर के तमाम लोगों ने शिरकत की। जनप्रतिनिधियों, समाजिक कार्यकर्ताओं, व्यापारियों सहित आम नागरिकों ने उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

शुक्रवार को पट्टाभिषेक महोत्सव वैष्णव परंपरा के साथ आयोजित किया गया। ब्रह्मलीन महंत अशोक प्रपन्नाचार्य के गुरुस्थान से महंत हरिनारायणचार्य महाराज, डा. रामकमल दास वेदांती महाराज, उत्तराखंड पीठाधीश्वर कृष्णाचार्य महाराज, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, हनुमंत पीठाधीश्वर स्वामी डा. रामेश्वरदास महाराज, जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा को महंताई की चादर ओढ़ाकर पट्टाभिषेक किया। 
बीते आठ जुलाई को श्री भरत मंदिर के महंत अशोक प्रपन्नाचार्य ब्रह्मलीन हो गए थे। उनके बाद से ही श्री भरत मंदिर की गद्दी का स्थान रिक्त चल रहा था।

एक नजर महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा पर…
ऋषिकेश। 15 जनवरी 1983 को महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा का जन्म स्व. महंत अशोक प्रपन्नाचार्य व निशा शर्मा के घर हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा द दून स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने मास्टर आफ बिजनेश एडमिनिस्ट्रेटर किया। अपने छोटे भाई वरूण शर्मा के साथ उन्होंने बाल्यावस्था में स्वामी अहोवल मठ में वैष्णव परंपरा की दीक्षा वर्ष 1995 में ग्रहण की। विन्रम स्वभाव के वत्सल शर्मा शुरूआत से ही स्व. पिता महंत अशोक प्रपन्नचार्य के साथ श्री भरत मंदिर प्रबंधन के साथ जुड़े रहे।

कार्यक्रम में यह भी रहे मौजूद
ऋषिकेश। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, मेयर अनिता ममगाई, अखाड़ा परिषद के महामंत्री महामंडलेश्वर हरिगिरी, निर्मल आश्रम के महंत राम सिंह महाराज, महंत जोध सिंह महाराज, झंडा दरबार देहरादून के महंत देवेन्द्र दास महाराज, तुलसी मानस मंदिर हरिद्वार के महंत महामंडलेश्वर अर्जुनपुरी महाराज, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी महाराज, दक्षिणकालीपीठाधीश्वर महामंडलेश्वर कैलाशनंद ब्रह्मचारी, अवधूत बाबा अरूण महाराज, भरत मिलाप आश्रम के परमाध्यक्ष महंत रामकृपालुुदास महाराज, रामानंदाश्रम के परमाध्यक्ष महंत अभिरामदास महाराज, कैलाश पीठाधीश्वर मुनिकीरेती के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर दिव्यानंद महाराज, हरिहर पीठाधीश्वर हरिद्वार आश्रम के महंत प्रेमानंद महाराज, शिवानंद आश्रम के अध्यक्ष योग स्वरूपानंद महाराज, रामतपस्थली ब्रह्मपुरी परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वरदास महाराज, महंत अखंडानंद महाराज, महंत हरिनारायण महाराज, महंत विश्वेश्वरानंद महाराज, मौनीबाबा महाराज, श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेन्द्रजीत सिंह बिंद्रा, स्वामी पदभनामानंद महाराज आदि शामिल रहे।

कुंभ मेले में मान्यताओं एवं परम्पराओं का रखा जायेगा ध्यान, निर्धारित समय पर होगा आयोजनः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में नगर विकास मंत्री मदन कौशिक एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी एवं अन्य अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ आगामी कुम्भ मेले के आयोजन के संबंध में विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अखाड़ा परिषद के सदस्यों के विचार एवं सुझावों पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने अखाड़ा परिषद के सदस्यों से अपनी समस्याओं से नगर विकास मंत्री को अवगत कराने को कहा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2021 में हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुम्भ निर्धारित समय पर आयोजित होगा। इसका स्वरूप कैसा रहेगा यह उस समय की परिस्थितियों पर भी निर्भर रहेगा। उन्हो।ने कहा कि अखाड़ों द्वारा श्रद्धालुओं के लिये अपने स्तर पर की जाने वाली व्यवस्थाओं के लिये जिनके पास भूमि उपलब्ध होगी उन्हें ग्रान्ट के रूप में धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी, कार्यों की गुणवत्ता आदि की जांच हेतु विभागीय अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्भ से पूर्व हरिद्वार में संचालित सभी स्थायी निर्माण कार्य पूर्ण कर दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि हरिद्वार को जोड़ने वाले पुलों एवं सड़कों के निर्माण में भी तेजी से कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अखाड़ा परिषद के सदस्यों को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान किया जायेगा। अखाड़ों को जोड़ने वाली सड़कों के पुनर्निर्माण के साथ ही अतिक्रमण को हटाने तथा साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने मुख्यमंत्री से हरिद्वार कुम्भ मेले में घाटों का नाम 13 अखाड़ों के ईष्ट देवों तथा सेक्टरों के नाम भी अखाड़ों के नाम पर रखे जाने का अनुरोध किया। उन्होंने अखाड़ों को दी जाने वाली धनराशि से होने वाले कार्यों की गुणवत्ता की जांच आदि के लिये किसी अधिकारी को नामित करने का भी अनुरोध किया, उन्होंने अखाड़ों के सम्पर्क मार्गों की मरम्मत, बिजली, पानी, साफ-सफाई, शौचालयों की मरम्मत आदि के लिए भी मेले से जुड़े अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध मुख्यमंत्री से किया।

सोमवती अमावस्या पर घर पर ही करें पवित्र भावों से स्नानः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि आगामी 20 जुलाई को सोमवती अमावस्या के दिन कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण हरिद्वार में मां गंगा में स्नान करने के बजाय हम सब घर पर ही मां गंगा का स्मरण करके पवित्र भावों से स्नान करें ताकि इस महामारी के काल में आप सब उत्तराखण्ड सरकार को सहयोग कर सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सोमवती अमावस्या के दिन तमाम हिन्दुओं की इच्छा होती है कि हरिद्वार जा कर के, मां गंगा में, हर की पैड़ी में सामुहिक स्नान करें लेकिन वर्तमान परिस्थितियां इसके लिए अनुमति नहीं दे रही हैं। परिस्थितियां सामान्य होंगी तो फिर हम पूरी सादगी के साथ, श्रद्धा के साथ व विश्वास के साथ हरिद्वार में मां गंगा में स्नान कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि देश में पिछले चार पांच महीनों से कोरोना महामारी का प्रकोप चल रहा है। ऐसे में आप सबके सहयोग से इस महामारी को रोकने का प्रयास किया जा रहा है और उसके परिणाम भी सामने देखने को मिल रहे हैं। भारत एक त्योहारों का देश है हमारी धार्मिक मान्यताएं हैं और तमाम ऐसे सामाजिक कार्य इस दौरान होते रहे हैं लेकिन उसका स्वरूप परिस्थितियों के अनुसार हमने परिवर्तित किया है। उन्होंने कहा कि मेरी आप सभी से विनम्र प्रार्थना है कि आप सरकार के साथ मिल कर के इस महामारी से लड़ने के लिए संकल्प लें ‘‘कोरोना को भगाना है और देश को जिताना है‘‘। आप पूरे श्रद्धापुर्वक अपने घरों पर मां गंगा का स्मरण करके और पवित्र भावों से स्नान करें उसका पूण्य लाभ हम सबको मिलेगा। मुझे विश्वास है आप सब का अर्शीवाद एवं सहयोग हमें प्राप्त होगा।

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