शारदीय नवरात्र के नौवें दिन होगा दशहरा, अस्त्र-शस्त्र की पूजा का यह रहेगा समय

कोरोना काल के बीच इस वर्ष शारदीय नवरात्र के नौवें दिन विजयादशमी पर्व पड़ रहा है। इसके अलावा अष्टमी और नवमी की तिथियों की दुर्गा पूजा भी एक ही दिन होगी। नवरात्र को लेकर भक्तों में उत्साह है। सितंबर और अक्टूबर में आने वाले नवरात्र को शरदीय नवरात्र कहा जाता है।

17 अक्तूबर से शुरू होने जा रहे शारदीय नवरात्र में इस बार अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, 24 अक्तूबर को सुबह 6रू58 बजे तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी लग जाएगी। ऐसे में अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन करने वाले भक्त इसी दिन पूजा कर सकते हैं। अष्टमी और नवमी तिथियों की दुर्गापूजा एक ही दिन होगी। नवमी की तिथि को विजयदशमी पर्व मनाया जाएगा।

अधिमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास 16 अक्टूबर को संपन्न होने जा रहा है। इसके बाद माता की भक्ति और उपासना का मुख्य पर्व 17 अक्तूबर से शुरू हो जाएगा, जो इस बार नौ की जगह आठ दिन का रहेगा। 17 से 24 अक्तूबर तक नवरात्र और उसके अगले दिन 25 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।

नवरात्र के नौवें दिन दशमी अर्थात दशहरा होगा। 23 अक्टूबर को सुबह 6ः55 बजे अष्टमी लगेगी, जो 24 की सुबह 6ः54 तक रहेगी। इसके बाद 6ः55 पर नवमी लग जाएगी। उन्होंने बताया कि हवन और कन्या पूजन नवमी को होगा। इसके बाद विजयदशमी पर मध्याह्न में अस्त्र शस्त्र पूजन होगा और दशहरा पूजन का समय दोपहर 1ः52 से 2ः38 तक रहेगा।

मुहूर्त का समय
अश्विनी घटस्थापना शनिवार, 17 अक्टूबर, 2020, घटस्थापना मुहूर्त – प्रातः 06ः23 से प्रातः 10ः12 तक, अवधिः 03 घंटे 49 मिनट

अंबानी परिवार ने बढ़ाया हाथ, देवस्थानम बोर्ड के लिए किए पांच करोड़ रूपये अनुदान

उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे मुकेश अंबानी ने पांच करोड़ रूपये का दान उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम एवं प्रबंधन बोर्ड के लिए किया है। इससे 650 कर्मचारियों का वेतन में समस्या नहीं आड़े नहीं आएगी।

बता दें कि प्रत्येक वर्ष उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मगर, कोरोना के चलते इस वर्ष कुल 60 हजार के करीब श्रद्धालु आए। इस कम संख्या का असर सीधे बोर्ड के राजस्व पर भी पड़ा है। इन मुश्किल हालात में अंबानी परिवार से उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को मिले पांच करोड़ को बड़ी राहत माना जा रहा है।

बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह के अनुरोध पर अनंत अंबानी ने देवस्थानम बोर्ड को पांच करोड़ दिए। अनंत अंबानी पूर्व में श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व सदस्य भी रह चुके हैं। बीडी सिंह ने बताया कि मुकेश अंबानी सहित पूरे अंबानी परिवार की श्री बदरीनाथ एवं केदारनाथ सहित चारों धामों में अपार आस्था है।

बोर्ड कर्मचारियों ने उद्योगपति अनंत अंबानी सहित प्रदेश सरकार, देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन तथा अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह का आभार व्यक्त किया है

सीएम ने की कुंभ मेला की समीक्षा, हरिद्वार-ऋषिकेश में कूड़ा निस्तारण करने का दिया निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कुम्भ मेला 2021 की समीक्षा करते हुए स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि हरिद्वार व ऋषिकेश में कूड़ा निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। कुम्भ का आयोजन दिव्य और भव्य होगा। मेला क्षेत्र का सौंदर्यीकरण समय पर पूरा कर लिया जाए। कुम्भ मेले के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बरकरार रखते हुए कोविड के दृष्टिगत सुरक्षित आयोजन किया जाना है। इस संबंध में अखाड़ों के संत महात्माओं का मार्गदर्शन और सहयोग लिया जाएगा। कुम्भ के सभी स्थायी प्रकृति के काम दिसम्बर माह तक पूरे कर लिये जाएं। अस्थायी कामों के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। मुख्य सचिव हर सप्ताह कुम्भ की तैयारियों की समीक्षा करें। स्वास्थ्य विभाग सामान्य रूप से होने वाली तैयारियों के साथ ही कोविड के दृष्टिगत भी योजना बनाकर काम करे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी धर्मशालाओं, आश्रमों व होटलों को कोविड के दृष्टिगत क्या करें और क्या न करें, की मार्गदर्शिका उपलब्ध कराने के साथ ही वहां काम करने वालों को यथासम्भव प्रशिक्षित किया जाए। सभी काम समय पर पूरे हो, इसके लिए दो शिफ्ट में भी काम किया जा सकता है। व्यापार मंडल के सहयोग से अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की जाए। हरिद्वार में सड़कों को जल्द से जल्द दुरुस्त किया जाए। राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ समन्वय स्थापित कर जरूरी काम कराए जाएं।

मेलाधिकारी दीपक रावत ने कुम्भ मेले के विभिन्न कार्यों की प्रगति की जानकारी दी। बताया कि हरिद्वार के कूड़ा निस्तारण के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। इस पर लगभग 35 करोड़ रूपए का व्यय अनुमानित है। हरिद्वार में 1000 बेड का कोविड केयर सेंटर बनाया जाएगा। लगभग 493 चिकित्सकों की व्यवस्था की जा रही है। एम्बुलेंस की भी आवश्यकतानुसार व्यवस्था की जा रही है। बाईक एम्बुलेंस और बोट एम्बुलेंस के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। पूरे कुम्भ मेला क्षेत्र को 23 सेक्टर में विभाजित किया गया है। किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए अतिरिक्त टीमें रिजर्व में रहेंगी। अधिकारियों के लिंक अधिकारी भी नामित किए जाएंगे।

बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव आरके सुधांशु, नितेश झा, शैलेश बगोली, सौजन्या, पंकज पाण्डेय, गढ़वाल मंडल आयुक्त रविनाथ रमन, आईजी अभिनव कुमार, संजय गुन्ज्याल आदि उपस्थित रहे।

मुख्य हरकीपैड़ी क्षेत्र में आम लोगों को स्नान के लिए अनुमति नहीं

2021 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ मेला में सिर्फ मुख्य स्नान पर ही श्रद्धालुओं के लिए पास की व्यवस्था होगी। इसके अलावा सामान्य दिनों में कोई भी श्रद्धालु आकर गंगा में स्नान कर सकता है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने इसकी पुष्टि की है।
उन्होंने बताया कि शाही स्नान का दिन और समय तय होता है। कौन सा अखाड़ा किस समय स्नान करेगा, यह पूर्व निर्धारित होता है। इस दौरान मुख्य हर की पैड़ी क्षेत्र में आम लोगों का स्नान नहीं होता है।

उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर मुख्य स्नान के दिन करोड़ों लोगों के हरिद्वार आने की संभावना रहती है। इसलिए सरकार मुख्य स्नान पर पास व्यवस्था लागू करने पर विचार कर रही है। इसके लिए देखा जा रहा है कि हरिद्वार के घाटों की क्षमता कितनी भीड़ वहन करने की है। इसी आधार पर मुख्य स्नान के दिन श्रद्धालुओं की संख्या तय की जा सकती है। हालांकि इस पर विचार ही चल रहा है, अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।

इस वर्ष भी आयोजित होगी छड़ी यात्रा, कुंभ मेले को लेकर तैयारियां शुरु

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कुम्भ मेला 2021 दिव्य एवं भव्य रूप से आयोजित किये जाने के लिये राज्य सरकार दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी अखाड़ों के सन्त महात्माओं के सहयोग एवं आशीर्वाद से यह आयोजन सफल होगा। सचिवालय में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महामंत्री तथा अन्य पदाधिकारियों के साथ कुम्भ मेले के आयोजन के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने व्यापक विचार विमर्श किया। इस अवसर पर नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार के साथ ही शासन के उच्चाधिकारी एवं मेले से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले की व्यवस्थाओं के तहत किये जा रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए सभी स्थायी व अस्थायी निर्माण कार्यों को 15 दिसम्बर से पूर्व सम्पन्न करने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये।
बैठक में सभी अखाड़ों के सुझावों पर मुख्यमंत्री ने नील धारा सहित अन्य क्षेत्रों में निर्मित होने वाले स्नान घाटों के नाम 13 अखाड़ों के ईष्ट देवों के नाम पर रखे जाने, 2010 कुम्भ मेले की भांति इस बार भी उतने ही क्षेत्रफल में कुम्भ मेले के आयोजन, मंशा देवी हिल वाई पास सड़क को मेले के दौरान प्रयोग में लाये जाने तथा आन्तरिक सड़कों के निर्माण में तेजी लाये जाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में संत महात्माओं को भू समाधि के लिये स्थान चयन को संत समाज के हित में लिया गया निर्णय बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष भी सभी अखाड़ों के सहयोग से छड़ी यात्रा आयोजित की जायेगी धर्मस्व एवं संस्कृति विभाग इसका नोडल विभाग होगा। उन्होंने कहा कि कुम्भ मेले को भव्य एवं दिव्य रूप से आयोजित किये जाने के लिये लगातार बैठकें की जाती रही हैं। कोविड के कारण उत्पन्न समस्याओं का तत्समय आभास नहीं था। पूरा विश्व इस संकट का सामना कर रहा है। इससे सभी स्तरों पर कार्यों की गति में अवरोध पैदा हुआ है उन्होंने कहा कि इस दौरे से भी हम निजात पायेंगे तथा संतों के आशीर्वाद से इस आयोजन को बेहतर तरीके से सम्पन्न कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में देश काल व परिस्थिति के अनुसार भी निर्णय लिया जायेगा। आगे स्थितियां कैसी होगी, इसका पूर्वानुमान लगाया जाना कठिन है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी संत महात्माओं को उनकी अगुवाई में राम मन्दिर निर्माण के शिलान्यास के लिये भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि इसके लिये हमारे संत महात्माओं ने भी अपना बलिदान दिया। आखिर वह शुभ दिन आया जब प्रधानमंत्री ने श्री राम के भव्य मन्दिर का शिलान्यास किया।
इस अवसर पर नगर विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कुम्भ मेले के आयोजन में सभी अखाड़ों का सहयोग मिल रहा है। अखाड़ों की सुविधा के लिये भी सभी व्यवस्थायें की जा रही हैं। निर्माण कार्यों में तेजी लायी गई है। कोरोना के कारण इसकी गति कुछ धीमी जरूर हुई है। कुम्भ मेले से सम्बन्धित सभी पुलों, स्नान घाटों, सड़कों, आस्था पथों आदि का निर्माण 15 दिसम्बर तक पूर्ण हो इसका प्रयास किया जा रहा है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने उज्जैन व प्रयाग राज कुम्भ की भांति अखाड़ों को धनराशि व अन्य सुविधायें उपलब्ध कराये जाने की बात रखी। उन्होंने अखाड़ों में साफ-सफाई व अतिक्रमण को हटाने, आवागमन व पेशवाई मार्ग निर्धारण, पुलों, घाटों के निर्माण में तेजी लाये जाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कुम्भ मेले के सफल आयोजन के लिये सभी अखाड़ों की ओर से हर संभव सहयोग का भी आश्वासन दिया।
इस अवसर पर मेलाधिकारी दीपक रावत द्वारा निर्माण कार्यों से संबंधित प्रस्तुतीकरण दिया गया। बैठक में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महन्त हरि गिरि, महन्त प्रेम गिरि, महन्त महेश पुरी, महन्त सत्यगिरि, महन्त कैलाशपुरी, महन्त मुकुन्दानन्द ब्रहमचारी, महन्त सोमेश्वरानन्द ब्रहमचारी, महन्त ओंकार गिरि, महन्त रविन्द्र पुरी सहित बड़ी संख्या में संत महात्मा एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।

कुंभ मेले में मान्यताओं एवं परम्पराओं का रखा जायेगा ध्यान, निर्धारित समय पर होगा आयोजनः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में नगर विकास मंत्री मदन कौशिक एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी एवं अन्य अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ आगामी कुम्भ मेले के आयोजन के संबंध में विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अखाड़ा परिषद के सदस्यों के विचार एवं सुझावों पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने अखाड़ा परिषद के सदस्यों से अपनी समस्याओं से नगर विकास मंत्री को अवगत कराने को कहा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2021 में हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुम्भ निर्धारित समय पर आयोजित होगा। इसका स्वरूप कैसा रहेगा यह उस समय की परिस्थितियों पर भी निर्भर रहेगा। उन्हो।ने कहा कि अखाड़ों द्वारा श्रद्धालुओं के लिये अपने स्तर पर की जाने वाली व्यवस्थाओं के लिये जिनके पास भूमि उपलब्ध होगी उन्हें ग्रान्ट के रूप में धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी, कार्यों की गुणवत्ता आदि की जांच हेतु विभागीय अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्भ से पूर्व हरिद्वार में संचालित सभी स्थायी निर्माण कार्य पूर्ण कर दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि हरिद्वार को जोड़ने वाले पुलों एवं सड़कों के निर्माण में भी तेजी से कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अखाड़ा परिषद के सदस्यों को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान किया जायेगा। अखाड़ों को जोड़ने वाली सड़कों के पुनर्निर्माण के साथ ही अतिक्रमण को हटाने तथा साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने मुख्यमंत्री से हरिद्वार कुम्भ मेले में घाटों का नाम 13 अखाड़ों के ईष्ट देवों तथा सेक्टरों के नाम भी अखाड़ों के नाम पर रखे जाने का अनुरोध किया। उन्होंने अखाड़ों को दी जाने वाली धनराशि से होने वाले कार्यों की गुणवत्ता की जांच आदि के लिये किसी अधिकारी को नामित करने का भी अनुरोध किया, उन्होंने अखाड़ों के सम्पर्क मार्गों की मरम्मत, बिजली, पानी, साफ-सफाई, शौचालयों की मरम्मत आदि के लिए भी मेले से जुड़े अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध मुख्यमंत्री से किया।

कोर्ट का फैसला आने के बाद बोले मुख्यमंत्री, राज्य गठन के बाद सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है। मुख्यमंत्री आवास में आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से बोर्ड का गठन किया गया है। पिछले वर्ष 36 लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आए। आने वाले समय में इसमें बहुत वृद्धि होने की सम्भावना है। इसलिए इतनी बड़ी संख्या मे आने वाले यात्रियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। माननीय उच्च न्यायालय ने एक तरह से राज्य सरकार के निर्णय पर अपनी मुहर लगाई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है। जहां भी धर्म और संस्कृति का विषय होता है, वहां परम्पराओं का बहुत महत्व है। हमने चारधाम के संबंध में सभी परम्पराओं का बनाए रखा है। सैंकड़ों सालों से स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और पण्डा समाज ने चारधाम की पवित्र परम्पराओं का संरक्षण किया है। विपरीत परिस्थितियों के होने पर भी दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का ध्यान रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्वयं देखा है कि बरसात में रास्ते बंद हो जाने पर किस प्रकार तीर्थ पुराहितों ने श्रद्धालुओं के रूकने, खाने आदि की व्यवस्था की है। इसी भावना के कारण उत्तराखण्ड को देवभूमि का मान मिलता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थ पुराहितों ने यहां की परम्पराओं का संरक्षण किया है और देवभूमि का मान बढ़ाया है, उनके हितों की रक्षा, सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर किसी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए। राज्य गठन के बाद चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय को किसी की जीत हार से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। यह राजनीतिक विषय नहीं है। आने वाले समय में चारधाम देवस्थानम बोर्ड, चारधाम यात्रा के प्रबंधन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहा है।

एसटीपी निर्माण कार्य में देरी करने पर नाराजगी डीएम ने जताई नाराजगी

मृत पशुओं के अवशेष गंगा नदी में न डाले जाएं, इसके लिए नगर निगम और प्रशासन मिलकर भूमि की जल्द तलाश करें। साथ ही कांजी हाउस को भी इसी भूमि के समीप बसाया जाए। यह निर्देश जिलाधिकारी देहरादून डा. आशीष श्रीवास्तव ने जिला गंगा सुरक्षा समिति की बैठक के दौरान दिए।
मंगलवार को नगर निगम के स्वर्ण जयंती सभागार में जिला गंगा सुरक्षा समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी देहरादून डा. आशीष श्रीवास्तव ने नगर निगम से प्रगति कार्यों की जानकारी जुटाई। इस पर एमएनए ने उन्होंने बताया कि गंगा की सहायक नदी चंद्रभागा में मिल रहे पांच नालों में से तीन को पूरी तरह से टैप किया जा चुका है, जबकि दो नालों को टैप करने का कार्य चल रहा है। वहीं, नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर संदीप कश्यप ने बताया कि गंगा नदी में गिर रहे अलग-अलग सात नालों को टैप किया जा चुका है। जिलाधिकारी डा. आशीष श्रीवास्तव ने नमामि गंगे की ओर से एसटीपी निर्माण कार्य में देरी करने पर नाराजगी भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य कर रही संस्था एसपीएमजी को पत्र भेजकर कोई भी कार्य करने से पूर्व जिला गंगा सुरक्षा समिति से सहमति लेनी होगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि गंगा नदी में मानसूत्र सत्र के बाद जहां तेज धारा नहीं हो, जाली लगाई जाए। इससे गंगा में गिरने वाले फूल, पूजन सामग्री, हवन सामग्री को निकाला जा सके। उन्होंने एसडीएम वरूण चैधरी को गुमानीवाला स्थित कांजी हाउस की खाली पड़ी करीब तीन बीघा भूमि की स्थिति स्पष्ट करने तथा वहां पर पशुओं की संख्या नियंत्रण केंद्र (बन्ध्याकरण) की स्थापना करने के निर्देश दिए। इस मौके पर नगर आयुक्त नरेन्द्र सिंह क्वीरियाल, एसएनए विनोद लाल, डीएफओ राजीव धीमान, सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता अनुभव नौटियाल, सहायक अभियंता सीवर विंग हरीश बंसल, अधिशासी अभियंता पीडल्ब्यूडी विपुल सैनी, समिति सदस्य पर्यावरण विद विनोद जुगलान आदि उपस्थित रहे।

खादर क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा का प्रबंधन किया जाए
सम‌ित सदस्य ‌विनोद जुगलान ने खड़गमाफ के खादर क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा का मामला उठाया। इस पर सिंचाई विभाग के एई अनुभव नौटियाल ने बताया कि सौंग नदी से बाढ़ सुरक्षा के लिए छिद्दरवाला से ठाकुरपुर तक तीन किलोमीटर की सुरक्षा तटबंध बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। इस पर विनोद जुगलान ने असंतोष जताया। इसके बाद जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग को छोटे तटबंध बनाने के ‌संबंध में एई को मौके पर जाकर निरीक्षण कर सुरक्षा तटबंध बनाने को कहा।

ऋषिकेश के द्वितीय महंत अशोक प्रपन्नाचार्य का निधन, शोक की लहर

(एनएन सर्विस)
आज प्रात: 7:30 बजे श्री भरत मन्दिर के महन्त अशोक प्रपन्नाचार्य महाराज ने अतिंम सांस ली। उनके देहावसान की खबर से पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गयी। शहर के साथ ही देहरादून और अन्य स्थानों से लोगो ने उनके आवास पहुचकर परिवार को सान्त्वना दी। शहर के कई व्यापारियों ने अपने अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
आपको बता दे कि श्री महन्त का जन्म 10 फ़रवरी 1942 को तत्कालीन महंत परशुराम जी के घर उनके बेटे ज्योति प्रसाद शर्मा के यहा हुआ। अशोक प्रपन्नाचार्य परिवार में बड़े पुत्र थे उनसे बड़ी एक बहन व छोटी बहन व छोटे भाई श्री हर्षवर्धन शर्मा हैं। उनके दादा श्री भरत मन्दिर के गद्दी नसीन मंहन्त परशुराम जी महाराज जोकि नगर पालिका परिषद ऋषिकेश के प्रथम अध्यक्ष भी रहे। उनके पश्चात अशोक प्रपन्नाचार्य श्री भरत मन्दिर ऋषिकेश की गद्दी वर्ष 1956 में शुषोभित हुए। इसके साथ ही श्री भरत मन्दिर द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज, श्री भरत मन्दिर संस्कृत महाविद्यालय, ज्योति विशेष विद्यालय के साथ ही उत्तराखंड एवं अन्य स्थानों की धार्मिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं के संचालन व संवर्द्धन में सराहनीय भूमिका रही।
अशोक प्रपन्नाचार्य श्री भरत मंदिर एजुकेशन सोसाइटी व शिक्षण संस्थाओं के संचालक मंडल के अध्यक्ष पद पर सुशोभित रहे।
पंडित ललित मोहन शर्मा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, शान्तिप्रपन्न शर्मा राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश व कई अन्य संस्थाओं को वृहत्तर भूखंड प्रदान कर क्षेत्र के युवाओं के लिए उच्च शिक्षा के प्रवेश द्वार खोले व नगरीय क्षेत्र के साथ गढ़वाल के नागरिकों की स्वास्थ्य सुविधाओं के संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
वर्ष 1962 के भारत चीन युद्ध में भारतीय सेनाओं को शिविर कैम्प संचालित करने के लिये महन्त अशोक प्रपन्नाचार्य ने श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज के विशाल प्रांगढ को प्रदान करने के साथ ही रायवाला में सेना को छावनी बनाने का सुझाव प्रदान किया था।
स्वाधीनता संग्राम में भी श्री भरत मंदिर परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा। महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी के चाचा शान्ति प्रपन्न शर्मा कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक व उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन, उद्योग व ऊर्जा मंत्री पद पर रहे। ऋषिकेश में आईडीपीएल की स्थापना का सुझाव तत्कालीन केन्द्र सरकार को उनके द्वारा ही प्रदान किया गया था।
स्वर्गीय मंहन्त अशोक प्रपन्न शर्मा के छोटे भाई हर्षवर्धन शर्मा क्षेत्र के सार्वजनिक, सामाजिक सेवा जीवन के साथ शिक्षण संस्थाओं के संचालन में प्रबंधकीय व्यवस्था देखते हैं।
उत्तरकाशी भूकंप,केदारनाथ आपदा व कोरोना महामारी में लॉक डाउन के दौरान स्व० मंहन्त जी व उनके परिवार द्वारा राहत कार्यों में बड़े स्तर सहायता प्रदान की।
स्वर्गीय मंहन्त अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं आपके दो पुत्र वत्सल शर्मा व वरुण शर्मा हैं। वे भी सामाजिक, शिक्षण संस्थाओं व धार्मिक संस्थाओं के संचालन व संवर्धन में सक्रिय हैं। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि अशोक प्रपन्नाचार्य महाराज विगत कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे, उनका अंतिम संस्कार ऋषिकेश चंद्रेश्वर घाट मुक्ति धाम पर अपराह्न 3 बजे सम्पन्न होगा।

तीन लोग हरिद्वार आकर कर सकेंगे दिवंगत परिजन की अस्थियां विसर्जित, कैबिनेट ने लिया फैसला

हरिद्वार में लॉकडाउन के बाद से पिछले 40 दिनों से अस्थि विर्जसन पर लगी रोक को कैबिनेट ने हटा लिया है। कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर सभी ने सहमति दी। फैसले के अनुसार, गाड़ी चालक के अलावा दो व्यक्ति हरिद्वार आकर अपने दिवंगत परिजन की अस्थियां विसर्जित कर सकता है।

लॉकडाउन के बाद से हरिद्वार में अस्थि विसर्जन के लिए अन्य राज्यों से लोग अस्थियां लेकर पहुंच रहे थे मगर, हरिद्वार के तीनों बॉर्डर से ही उन्हें वापस लौटना पड़ रहा था। इस मामले में हरिद्वार की श्री गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा और महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को ज्ञापन भी दिया था, इसमें अस्थि विसर्जन पर रोक हटाने की मांग की गई थी।

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि प्रदेश सरकार ने जो निर्णय लिया है उसके अनुसार गाड़ी लेकर आने वाले चालक के अलावा दिवंगत व्यक्ति के दो परिजन भी अस्थि विसर्जन के लिए आ सकते हैं।  40 दिनों से हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित कोई भी अस्थि विसर्जन नहीं करा पा रहे थे।