नई दिल्ली में दो दिवसीय आरोग्य मंथन कार्यक्रम का समापन, उत्तराखंड को आयुष्मान उत्कृष्ठ अवार्ड-2023 के दो पुरस्कारों से नवाजा गया

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबीपीएम-जय) के पांच साल और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के दो साल पूरे होने पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ‘आरोग्य मंथन’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में इस दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन हो गया। इस दौरान दोनों योजनाओं से संबंधित चुनौतियों, रुझानों और सर्वाेत्तम प्रथाओं पर चर्चा और विचार-विमर्श किया गया। आरोग्य मंथन 2023 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने समापन सत्र को संबोधित किया। कार्यक्रम में राज्य मंत्री (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल, सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण), सुधांश पंत और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भी उपस्थित रहे।

वहीं ‘आरोग्य मंथन’ कार्यक्रम में बेहत्तर कार्य करने वाले राज्यों को सम्मानित भी किया गया। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार को आयुष्मान उत्तराखंड अवार्ड 2023 के दो पुरस्कारों से नवाजा। यह राष्ट्रीय पुरस्कार राज्य को आयुष्मान क्लेम सेटलमेंट औऱ डेली क्विक ऑडिट सिस्टम के सफल किर्यान्वयन के क्षेत्र में बेहत्तर कार्य करने के लिए दिया गया है।

आपको बता दें उत्तराखंडवासियों के लिए आयुष्मान योजना वरदान साबित हो रही है। समाज का कमजोर व मध्यम वर्ग परिजन की बीमारी में अपने जेवर व मकान बेचने की स्थिति में आ जाता था। उपचार बेहद महंगे होने के कारण गरीब तबके के मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। लेकिन अब वो समय है कि बीमार होते ही गरीब पूरे अधिकार के साथ सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में अपना उपचार करा सकते हैं, वो भी पूरी तरह मुफ्त में। ऐसा संभव किया जरूरतमंदो का सहारा बनी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली केन्द्र की भाजपा सरकार ने। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई आयुष्मान योजना ने समाज के कमजोर वर्ग को संबल प्रदान करने का कार्य किया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के दिशा निर्देशों में उत्तराखंड में आयुष्मान योजना की प्रगति अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे बेहत्तर है। इसी का नतीजा है कि केन्द्र सरकार ने क्लेम सेटलमेंट में उत्तराखंड को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा है। नई दिल्ली में आज राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। उत्तराखंड समूचे भारतवर्ष में एकमात्र ऐसा राज्य है जो अपने प्रदेश के समस्त नागरिकों (लगभग 25 लाख परिवार) को ‘अटल आयुष्मान योजना’ के तहत स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी दे रहा है। तमाम गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों को इस योजना के लाभ से नई जिंदगी मिली है। ऐसा कोई गांव, कस्बा या शहर नहीं जहां इस योजना का लाभान्वित व्यक्ति आपको न मिले।

आयुष्मान क्लेम में उत्तराखंड का बेहतर काम
उत्तराखंड को आयुष्मान योजना में क्लेम भुगतान में बेहतर काम करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया। नई दिल्ली में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया। आयुष्मान योजना में कार्ड धारकों को पांच लाख तक के मुफ्त इलाज के लिए प्रदेश में 248 अस्पताल सूचीबद्ध हैं। इसमें 102 सरकारी और 146 निजी अस्पताल शामिल हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) की ओर से क्लेम भुगतान करने के लिए 15 दिन के मानक निर्धारित किए हैं। लेकिन उत्तराखंड में सात दिन के भीतर अस्पतालों को क्लेम का भुगतान किया जा रहा है। अस्पताल कार्ड धारक मरीज के इलाज पर आने वाले खर्च का क्लेम राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को भेजते हैं। प्राधिकरण की ओर से क्लेम का ऑडिट किया जाता है। जिसके बाद अस्पतालों को भुगतान किया जाता है। बता दें कि 2022 में उत्तराखंड को आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया था।

उत्तराखंड मॉडल अपनायें अन्य राज्य
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इलाज के बिलों में फर्जीवाड़ा करने वाले निजी अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। साथ ही गलत तरीके से प्राप्त क्लेम राशि की वसूली कर योजना से बाहर किया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी फर्जीवाड़े रोकने पर राज्य की सराहना की थी। साथ ही सभी राज्यों को उत्तराखंड के मॉडल को अपनाने को कहा था।

52 लाख से अधिक लोगों के आयुष्मान कार्ड
प्रदेश में 52 लाख से अधिक लोगों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। इसमें अब तक 8.28 लाख कार्ड धारक मरीजों को निशुल्क इलाज पर सरकार ने 1554 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेई की स्मृति में शुरू की गई इस योजना को आज दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम माना जाता है। पूरे देश में 25 दिसंबर 2018 को इस योजना की जब शुरूआत हुई तो उत्तराखंड के गरीब तबके के करीब 5.25 लाख लोगों को इसमें शामिल किया गया। उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस योजना की अहमियत को समझते हुए हर उत्तराखंडी को इसका लाभ देने का फैसला लिया। योजना का नतीजा यह हुआ कि उत्तराखंड के सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में कहीं भी लोग पांच लाख रुपये तक अपना और परिजनों का मुफ्त में इलाज करा सकते हैं। आज इस योजना में लोग कैंसर, हार्ट, गुर्दा रोग जैसी जटिल बीमारियों का मुफ्त इलाज करा रहे हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मिले कैबिनेट मंत्री डॉ. रावत

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से मुलाकात की। इस दौरान डॉ. रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ऊधमसिंह नगर जनपद में एम्स ऋषिकेश के सैटालाइट सेंटर के भूमि पूजन कार्यक्रम में आमंत्रित किया। इसके अलावा उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को सूबे के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शैक्षिक सत्र 2023-24 से हिन्दी माध्यम में एमबीबीएस पाठ्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ करने के लिये भी आमंत्रित किया। जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी सहमति प्रदान कर दोनों कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने उत्तराखंड आने का आश्वासन दिया।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि उन्होंने नई दिल्ली में आज केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से मुलाकात कर उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधाओं एवं भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की। डॉ. रावत ने बताया कि उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ऊधमसिंह नगर जनपद में स्वीकृत एम्स ऋषिकेश के सेटेलाइट सेंटर के भूमि पूजन हेतु आमंत्रित किया। उन्होंने बताया कि ऊधमसिंह नगर में एम्स ऋषिकेश का सेटेलाइट सेंटर स्थापित होने पर पूरे कुमाऊं मंडल को इसका लाभ मिलेगा और प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को और मजबूती मिलेगी। इसके अलावा मुलाकात के दौरान डॉ. रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को सूबे के मेडिकल कॉलेजों में शैक्षिक सत्र 2023-24 से एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में कराये जाने की जानकारी दी। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को हिन्दी मीडियम में एमबीबीएस पाठ्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ करने के लिये भी आमंत्रित किया। जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दोनों कार्यक्रमों में शामिल होने पर अपनी सहमति जताई और शीघ्र उत्तराखंड आने का सकारात्मक आश्वासन दिया। डॉ. रावत ने बताया कि मध्य प्रदेश की भांति उत्तराखंड में भी मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी माध्यम में होगी। इसके लिये चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपनी सभी तैयारियां पूरी कर ली है। उन्होंने बताया कि मेडिकल पाठ्यक्रम हिन्दी में तैयार करने के लिये विभाग ने राजकीय मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक विशेष समिति गठित की। इस समिति ने मध्य प्रदेश में लागू एमबीबीएस के हिन्दी पाठ्यक्रम का अध्ययन कर राज्य के मेडिकल कॉलेजों के लिये हिन्दी माध्यम में सिलेबस तैयार किया और इसे हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय को सौंपा। विश्वविद्यालय ने भी हिन्दी मीडियम पाठ्यक्रम लागू करने की सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी है। शीघ्र ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के हाथों इसे प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में लागू कर दिया जायेगा। यह उन छात्रों के लिये बड़ी सौगात होगी जो हिन्दी मीडियम के स्कूलों से पढ़कर आये हैं।

धन सिंह रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. मनसुख मंडाविया से मिलकर की चर्चा

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. मनसुख मंडाविया से मुलाकात की। इस अवसर पर उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ उत्तराखंड में आयोजित होने वाली देशभर के स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन को लेकर विस्तृत चर्चा की। डा. रावत ने चार धाम में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण में सहयोग को लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आभार जताया, साथ ही उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को प्रदेश के ऊधमसिंह नगर जनपद में स्वीकृत एम्स सेटेलाइट सेटर के भूमि पूजन में आमंत्रित किया। मुलाकात के दौरान डा. रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को प्रदेश संचालित स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी, जिस पर केन्द्रीय मंत्री ने डा. रावत के सकारात्मक पहलों की जमकर तारीफ की।

स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि दिल्ली प्रवास के दौरान आज उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. मनसुख मंडाविया से मुलाकात कर राज्य से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न मसलों पर लम्बी चर्चा की। डा. रावत ने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में उत्तराखंड में देशभर के स्वास्थ्य मंत्रियों का सम्मेलन आयोजित होगा, जिसको लेकर केन्द्रीय मंत्री के साथ विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मलेन में भविष्य की स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं का रोड़मैप तैयार किया जायेगा। डा. रावत ने बताया कि उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को जनपद ऊधमसिंह नगर में स्वीकृत एम्स सेटेलाइट सेंटर के भूमि पूजन हेतु आमंत्रित किया, जिस पर उन्होंने अपनी सहमति प्रदान की है। डा. रावत ने बताया कि चार धाम यात्रा में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किये जा रहे सहयोग को लेकर उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आभार जताया। जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भविष्य में भी सूबे में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण को लेकर हर संभव सहयोग करने की बात कही। उन्होंने बताया कि चार धाम में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण एवं तीर्थयात्रियों को सुलभ चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने हेतु विगत माह केन्द्र सरकार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के तहत 32.85 करोड़ के अतिरिक्त बजट का प्रस्ताव भेजा था। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकर के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुये चार धाम यात्रा के लिये अतिरिक्त बजट मंजूर कर 28 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की थी।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित हुई एमएसजी बैठक

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुढृढ करने, केन्द्रीय वित्त पोषित स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ आम जन को उपलब्ध कराने की दिशा में राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत राज्य में डिजिटल हेल्थकेयर इकोसिस्टम को मजबूत किया जा रहा है। जिसके तहत राज्य में अब तक 26 लाख से अधिक लोगों की डिजिटल हेल्थ आईडी बनाई जा चुकी है। राज्य में एकीकृत डिजिटल हेल्थ सिस्टम विकसित करने के लिये ग्रास रूट पर काम किया जा रहा है।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में बुधवार को दिल्ली में मिशन स्टेरिंग ग्रुप (एमएसजी) की पहली बैठक में सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने उपरोक्त तथ्य रखे। मीडिया को जारी एक बयान में डॉ0 रावत ने बताया कि मिशन स्टेरिंग ग्रुप में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि डिजिटल इंडिया को फोकस में रखते हुये जन-धन खातों की तर्ज पर एबीडीएम के तहत देशभर में प्रत्येक व्यक्ति का आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) बनाये जा रहे हैं। ताकि प्रत्येक व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री को संरक्षित रखा जा सके और भविष्य में जरूरत पड़ने पर या फिर बीमार होने पर चिकित्सक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मेडिकल हिस्ट्री देखकर संबंधित व्यक्ति का सही उपचार कर सके।

डॉ0 रावत ने बताया कि उत्तराखंड में अब तक 26 लाख से अधिक लोगों ने अपनी डिजिटल हेल्थ आईडी बना ली है, जिसमें 1032 हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स (एचपीआर) एवं 168 हेल्थ फैसिलिटी पंजीकरण (एचएफआर) भी शामिल है। एमएसजी बैठक में डॉ0 रावत ने प्रत्येक जनपद में सेमीनार आयोजित कर निःशुल्क डिजिटल हेल्थ आईडी बनाने का प्रस्ताव रखा, जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया सहित अन्य सदस्यों ने भी सहमति जताई।

उन्होंने बताया कि अधिक से अधिक लोगों की डिजिटल हेल्थ आईडी बनाने के लिये अब जनपद स्तर पर सेमीनार आयोजित कर आम लोगों को डिजिटल हेल्थ आई बनाने के लिये प्रेरित किया जायेगा। आशाओं एवं अन्य हेल्थ वर्करों के सहयोग से शत-प्रतिशत लोगों की डिजीटल हेल्थ आईडी बनाई जायेगी। इससे पहले आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत उत्तराखंड, हिमाचल एवं हरियाणा राज्य की प्रगति को लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक हुई, जिसमें आयुष्मान योजना का लाभ पहुंचाने एवं सभी लोगों का आयुष्मान कार्ड बनवाने को लेकर विस्तारपूर्वक विचार-विमार्श किया गया।

उन्होंने बताया कि सूबे में अब तक करीब 50 लाख लोगों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं तथा योजना के अंतर्गत 5.50 लाख से अधिक लोगों का उपचार भी किया जा चुका है। जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे बेहत्तर कार्यों के लिये डॉ0 धन सिंह रावत की जमकर सराहना की।

तीसरी लहर को देखते हुए सीएम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को दी राज्य सरकार की तैयारियों की जानकारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया से शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने कोविड की सम्भावित तीसरी लहर को देखते हुए उत्तराखण्ड सरकार द्वारा की गई तैयारियों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र के सहयोग से राज्य में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर में काफी सुधार किया गया है। प्रदेश में वर्तमान में कोविड पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया गया है। अभी भी राज्य सरकार पूरी तरह सतर्क है। सम्भावित तीसरी लहर को देखते हुए विशेषकर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सारी तैयारी की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एम्स ऋषिकेश उत्तराखण्ड को केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण देन है। कोविड से लड़ाई में इसकी बड़ी भूमिका रही है। राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए कुमायूं मण्डल में भी इसी प्रकार के एक एम्स की स्थापना की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से इसके लिए अनुरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार इसके लिए भूमि उपलब्ध कराएगी। कुमायूं में एम्स की स्थापना से विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं से क्षेत्र की जनता लाभान्वित हो सकेगी।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव शैलेश बगोली भी उपस्थित थे।

कोविड काल में केंद्र की ओर से मदद मिलने पर सीएम ने जताया पीएम और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आभार

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की अध्यक्षता में कोविड-19 की स्थिति एवं वैक्सिनेशन के संबंध में आयोजित बैठक में प्रतिभाग किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोविड को नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में टेस्टिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन बेड, आईसीयू और वेंटिलेटर बढ़ाये जा रहे हैं। उन्होंने कोविड काल में केन्द्र सरकार से हर संभव मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री तीरथ ने कहा कि राज्य में वैक्सीनेशन तेज गति से हो रहा है। 18 से 45 वर्ष के आयु वर्ग को भी राज्य में फ्री में वैक्सीन लगाई जा रही है। राज्य में 400 करोड़ से अधिक का व्ययभार इस आयु वर्ग के वैक्सीनेशन पर आ रहा है, जिसका वहन राज्य सरकार करेगी।

मुख्यमंत्री तीरथ ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड को 60 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का आवंटन झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल से किया गया है, जबकि राज्य में काशीपुर, रूड़की एवं देहरादून में ऑक्सीजन प्लान्ट स्थापित हैं। राज्य को इन्हीं ऑक्सीजन प्लान्ट से ऑक्सीजन आवंटित की जाय, जिससे समय की बचत भी होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि केन्द्र सरकार वैक्सीन लिये जाने हेतु एक निविदा जारी करे और उसकी दरें फिक्स करे। उन्होंने राज्य को 10 हजार ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर, 02 लाख पल्स ऑक्सीमीटर एवं 10 हजार ऑक्सीजन डी टाईप सिलिन्डर देने के लिए अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि अभी एसडीआरएफ की 50 प्रतिशत धनराशि कोविड कार्यों हेतु अनुमत है। यदि इसे शत प्रतिशत कर दिया जाए तो राज्य अपने चिकित्सालयों में ऑक्सीजन सप्लाई और अन्य व्यवस्थाएं बढ़ा सकते हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि राज्यों को टेस्टिंग, ट्रैकिंग, ट्रेसिंग एवं माइक्रो कन्टेंटमेंट जोन की दिशा में विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग गई है, यह सुनिश्चित हो कि उनको दूसरी डोज भी समय पर लग जाए। राज्यों का पॉजिटिविटी रेट और मृत्युदर को कम करने पर विशेष ध्यान हो। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से राज्यों की हर तकलीफ को दूर करने एवं जरूरतों को पूरा करने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं।

इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनि कुमार चैबे, विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी आदि उपस्थित थे।

सीएम ने किया इन्टेग्रेटेड हेल्थ इनफार्मेशन प्लेटफार्म के लाँचिंग कार्यक्रम में प्रतिभाग

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत रावत ने वर्चुअल माध्यम से इन्टेग्रेटेड हेल्थ इनफार्मेशन प्लेटफार्म के लाँचिंग कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज आई.एच.आई.पी को लाँच किया। आई.एच.आई.पी पोर्टल के अन्तर्गत अभी 33 तरह की बीमारियों को जोड़ा गया। इस पोर्टल के माध्यम से विभिन्न प्रकार की बीमारियों की ऑनलाईन रिपोर्टिंग होगी। किसी राज्य के किसी भी क्षेत्र में फैल रही बिमारियों के बारे में इस सिस्टम के माध्यम पता चलेगा, जिससे उसको जल्द नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कहा कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की दृष्टि से यह देश में एक ऐतिहासिक कदम है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के संकल्प की दिशा में स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने कहा कि आई.एच.आई.पी को विकसित करने के लिए अनेक प्रयास किये गये हैं, इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी पूरा सहयोग मिला। आने वाले समय में इसके तहत अन्य बीमारियों को शामिल किया जायेगा, ताकि उनकी भी सतत निगरानी हो सके। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों से भी आई.एच.आई.पी में पूरा सहयोग मिल रहा है।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि आई.एच.आई.पी के शुभारम्भ होने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जल्द नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आई.एच.आई.पी के क्रियान्वयन के लिए राज्य में 1282 टेबलेट उपलब्ध कराये गये हैं। एएनएम, आशा और लेब टैक्निशियन को प्रशिक्षण दिया गया है। न्याय पंचायत स्तर तक प्रशिक्षण दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अभी कोविड के 03 हजार केस एक्टिव हैं, राज्य में कोविड का रिकवरी रेट 95 प्रतिशत है। जिन राज्यों में पिछले कुछ दिनों में कोरोना के अधिक मामले आये, उन राज्यों से उत्तराखण्ड आने वाले लोगों को कोविड नेगेटिव रिपोर्ट लाने पर ही प्रवेश दिया जा रहा है। हरिद्वार कुंभ राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती है, कुंभ में केन्द्र सरकार की कोविड गाईडलाईन का पूरा पालन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री तीरथ ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से राज्य को जल्द 05 लाख और कोविड वैक्सीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार राजेश भूषण आदि उपस्थित थे।

कोविड के बचाव को राज्य में पर्याप्त मात्रा में डेडीकेटेड अस्पतालः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन द्वारा कोविड-19 के सम्बन्ध में वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से ली गयी बैठक में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को बताया कि त्योहार के सीजन को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए प्रचार व प्रसार पर विशेष ध्यान दिये जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोविड के बचाव के लिए पर्याप्त मात्रा में डेडीकेटेड अस्पताल हैं। इसके साथ ही अस्पताल में वेंटीलेटर, आईसीयू बेड एवं ऑक्सीजन सप्लाई भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में सैंपल टेस्टिंग की 10 लैब कार्यरत है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने बताया कि बिना मास्क के लिए एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने के लिए लगातार चालान भी काटे जा रहे हैं। इसके साथ ही, जिनका मास्क न पहनने पर चालान काटा जा रहा है, उन्हें मास्क भी उपलब्ध कराये जा रहे ताकि लोग मास्क के प्रति जागरूक हो सकें। इस संबंध में जन जागरूकता के लिये भी प्रयास किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि त्योहारी सीजन के चलते राज्य में काफी लोग दिल्ली व अन्य प्रदेशों से वापस आ रहे हैं, इससे कोविड के संक्रमण का खतरा भी बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि लोग जागरूक हो सकें इसके लिए ग्राम स्तर तक कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग एवं जागरूकता पर कार्य किया जा रहा है। सर्दी बढ़ने एवं त्योहारी सीजन के कारण कोविड-19 के संक्रमण के खतरे को देखते ही प्रदेश सरकार द्वारा संक्रमण की रोकथाम के लिये लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि उत्तराखण्ड ने कोविड-19 के संक्रमण पर काफी हद तक कंट्रोल किया है। परन्तु सर्दी बढ़ने एवं त्योहारी सीजन को देखते हुए अभी लापरवाही की गुंजाईश नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग एवं टेस्टिंग के साथ ही जागरूकता बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर सचिव श्री अमित नेगी एवं डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय भी उपस्थित थे।

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