केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आयुष्मान ग्राम को लेकर निर्धारित किये गये हैं 6 इंडिकेटर्स

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संचालित आयुष्मान भव अभियान के अंतर्गत प्रदेश में आयुष्मान ग्राम व आयुष्मान शहरी वार्ड घोषित करने के लिये केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित सभी मानकों को पूर्ण करना होगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को संबंधित ग्राम पंचायतों व शहरी वार्डों का समय-समय पर विभिन्न स्तरों से मूल्यांकन कराना होगा। मार्च 2024 तक के मूल्यांकन व प्रमाणीकरण की रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा देशभर में आयुष्मान ग्रामों व आयुष्मान शहरी वार्डों की घोषणा की जायेगी।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि आयुष्मान भव अभियान पूरे प्रदेश में निरंतर गतिमान है। जिसके तहत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविरों एवं आयुष्मान सभाओं के माध्यम से जनमानस को केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी प्रदान की जा रही है। प्रत्येक ग्राम पंचायत व शहरी वार्डों में आयुष्मान कार्ड व आभा आईडी बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इसके साथ ही गैर संचारी रोगों की जांच, टीबी रोग की जांच व उपचार, सिकल सेल एनिमिया की जांच एवं कार्ड वितरण का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जो ग्राम पंचायत एवं शहरी वार्ड स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्धारित 06 मानकों को शत प्रतिशत पूर्ण कर लेंगे उन्हें भारत सरकार द्वारा आयुष्मान ग्राम पंचायत एवं आयुष्मान शहरी वार्ड का दर्जा दिया जायेगा। इसके लिये समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन, ग्राम्य एवं शहरी विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा मानकों का मूल्यांकन किया जायेगा। इसके उपरांत ही ग्राम पंचायत व शहरी वार्डों की संबंधित विवरण 31 मार्च, 2024 से पूर्व भारत सरकार के पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। सभी मानकों का परीक्षण करने के उपरांत भारत सरकार देशभर के आयुष्मान ग्राम पंचायत एवं शहरी वार्डों की सूची जारी करेगी। इस अभियान के तहत चयनित सभी पंचायतों व शहरी वार्डों को भारत सरकार द्वारा आयुष्मान ग्राम पंचायत व शहरी वार्ड का प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा।

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अधिकारियों को दिये आयुष्मान भव के विशेष अभियान चलाने के निर्देश

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तत्वाधान में प्रदेशभर में चलाया जा रहा आयुष्मान भव अभियान अब सभी शिक्षण संस्थानों में भी विशेष रूप से चलाया जायेगा। इसके लिये सभी सम्बंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। जनपद स्तर एवं विकासखण्ड स्तर पर तैनात अधिकारी अभियान नोडल अधिकारी रहेंगे। यह अभियान आगामी 23 सितम्बर से 30 सितम्बर तक सप्ताहभर चलाया जायेगा। जिनका शुभारम्भ देहरादून से प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा किया जायेगा।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉॅ. धन सिंह रावत ने आज राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण देहरादून के सभागार में प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के शत-प्रतिशत आयुष्मान कार्ड, आभा आईडी बनाने के साथ ही स्वैच्छिक रक्तदान व नशामुक्ति को लेकर जनजागरूता कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की। डॉ. रावत ने बताया कि आयुष्मान भव अभियान के तहत प्रदेश के समस्त शिक्षण संस्थानों उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, विद्यालयी शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, जनजातीय आवसीय विद्यालयों व मदरसों में 23 सितम्बर से 30 सितम्बर तक विशेष अभियान चलाये जायेंगे। जिसमें शत-प्रतिशत छात्र-छात्राओं के आयुष्मान कार्ड, आभा आईडी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जिन शिक्षण संस्थानों में शत-प्रतिशत आयुष्मान कार्ड एवं आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउण्ट (आभा आईडी) बनाई जायेगी उनको आयुष्मान विद्यालय का दर्जा दिया जायेगा। इसके लिये संबंधित विद्यालयों के शिक्षकों का सहयोग लिया जायेगा। इसके अतिरिक्त समस्त शिक्षण संस्थानों में एक सप्ताह तक प्रतिदिन प्रार्थना सभा के दौरान छात्र-छात्राओं को नशा मुक्त अभियान, स्वैच्छिक रक्तदान, नेत्रदान एवं अंगदान तथा टीबी मुक्त अभियान के प्रति जागरूक किया जायेगा।

बैठक में राज्य स्वास्थ्य प्रधिकरण के सीईओ आनंद श्रीवास्तव, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. विनीता शाह, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत, निदेशक यूसर्क प्रो. अनीता रावत, निदेशक विद्यालयी शिक्षा सीमा जौनसारी, संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. ए.एस. उनियाल, यूसैक के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. उपाध्याय, सहित तकनीकी शिक्षा, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक विभाग, जनजाति कल्याण विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

यूकॉस्ट, यूसर्क एवं यूसेक शिक्षण संस्थानों को देंगे सहयोग
प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में विज्ञान प्रयोगशाल व वर्चुअल लैब की स्थापना के साथ ही विज्ञान शिक्षकों के विशेष प्रशिक्षण एवं छात्र-छात्राओं को विज्ञान प्रदर्शनी हेतु विज्ञान एवं तकनीकी से जुडे तीनों संस्थान उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट), उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) एवं उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) सहयोग करेंगे। यही नहीं विज्ञान विषयों से जुड़े विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राएं अपने शैक्षणिक भ्रमण के दौरान यूकॉस्ट के अंतर्गत झाझरा देहरादून में स्थित विज्ञान धाम जाकर विज्ञान एवं तकनीकी की बारीकियां समझेंगे। इस संबंध में संबंधित संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों व शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों के बीच आपसी सहमती बनी है।

जनजातीय क्षेत्र के बच्चों में होगी सिकल सेल की जांच
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण देहरादून के सभागार में आयोजित बैठक में स्वास्थ्य विभाग एवं जनजाति कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से प्रदेशभर के जनजाति क्षेत्रों के शिक्षण संस्थानों में सिकल सेल उन्मूलन अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। इस अभियान के अंतर्गत जनजाति क्षेत्र के बच्चों को सिकल सेल के प्रति जागरूक करने के साथ ही स्कूल एवं महाविद्यालय स्तर पर मेडिकल कैम्प लगाकर स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जायेगा। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही अल्पसंख्यक एवं जनजाति कल्याण विभाग शामिल रहेंगे।

एमएसजी में बतौर सदस्य नामित हुए स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में गठित मिशन स्टेरिंग ग्रुप (एमएसजी) में सूबे के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को बतौर सदस्य नामित किया गया है। जिसके आदेश केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी कर दिये गये हैं। मिशन संचालन समूह देशभर में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के समग्र कार्यान्वयन एवं प्रगति की निगरानी के साथ-साथ नीति-निर्देशन का कार्य भी करेगा। मिशन स्टेरिंग ग्रुप का सदस्य नामित किये जाने पर रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया का आभार व्यक्त किया।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को मिशन स्टेरिंग ग्रुप (एमएसजी) का सदस्य नामित किया गया है। एमएसजी को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत गठित सर्वाेच्च नीति निर्धारण एवं संचालन निकाय का दर्जा दिया गया है, जो आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के प्रभावी कार्यान्वयन एवं प्रगति की निगरानी कर नीति-निर्देश एवं मार्गदर्शन का काम करेगा। स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में व्यापक सुधार करने वाले केरल एवं सिक्कम राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों को भी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एमएसजी में बतौर सदस्य नामित किया है। इसके अलावा नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ), स्वास्थ्य एवं रेखीय मंत्रालयों के मंत्रीगण, प्रमुख मंत्रालयों के सचिव सहित देशभर के प्रतिष्ठित सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों को एमएसजी में शामिल किया गया है। एमएसजी में बतौर सदस्य नामित किये जाने पर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया का आभार जताते हुये उन्होंने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जिस उद्देश्य के साथ मिशन स्टेरिंग ग्रुप का गठन किया गया है, निश्चित रूप से उन उद्देश्यों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास किया जायेगा। उन्होंने बताया कि बुधवार को दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में एमएसजी की पहली बैठक आयोजित की गई है जिसमें वह स्वयं भी प्रतिभाग करेंगे। बैठक में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के साथ ही भविष्य का रोड़मैप तैयार करने पर विचार विमर्श किया जायेगा।
स्वास्थ्य मंत्री रावत ने कहा कि राज्य में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत लोगों के डिजीटल हेल्थ आईडी कार्ड बनाये जा रहे हैं। सूबे में अब तक 22 लाख से अधिक लोगों की डिजिटल हेल्थ आईडी बन चुकी है। विभागीय मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के तहत स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों जैसे अस्पताल, क्लीनिकों और स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का डिजिटलीकरण किया जायेगा। जिसके तहत सभी अस्पतालों एवं अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं को डिजीटल माध्यमों से जोड़ कर प्रक्रियाओं को सरल एवं ई ऑफ लिविंग में वृद्धि करेगा। डिजिटल इकोसिस्टम भी कई अन्य सुविधाओं में सक्षम बनाएगा, जिसमें टेलीकंसल्टेशन, पेपर-लेस हेल्थ रिकॉर्ड, क्यूआर कोड आधारित ओपीडी पंजीकरण आदि सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। यही नहीं डिजिटल हेल्थ आईडी बनाने के बाद मरीजों का स्वास्थ्य रिकार्ड ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा, जिसको कभी भी कहीं भी एक्सेस किया जा सकेगा।

एम्स प्रशासन ने अस्थमा रोगियों को किया अलर्ट, दिए आवश्यक सुझाव

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश ने शीतकाल के मद्देनजर अस्थमा रोगियों को विशेष सावधानी बरतने का सुझाव दिया है। संस्थान के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि ठंड और कोहरे की यह समस्या सबसे अधिक अस्थमा रोगियों के लिए नुकसानदेय है। ऐसे में अस्थमा रोगियों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि नियमततौर पर मास्क लगाने से कोरोना से तो बचाव होगा ही, साथ ही मास्क का उपयोग अस्थमा रोगियों के लिए ठंडी हवा से रोकथाम में भी बेहतर विकल्प साबित होगा। बताया कि ठंड और कोहरे के कारण वायुमंडल में जल की बूंदें संघनित होकर हवा के साथ मिल जाती हैं। यह हवा जब सांस के माध्यम से शरीर के भीतर प्रवेश करती है, तो सांस की नलियों में ठंडी हवा जाने से उनमें सूजन आने लगती है। ऐसे में अस्थमा के रोगी गंभीर स्थिति में आ जाते हैं। उन्होंने मास्क के इस्तेमाल को इस समस्या से बचने का सबसे बेहतर उपाय बताया।

पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा. गिरीश सिंधवानी ने बताया कि अस्थमा किसी भी व्यक्ति को और किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन समय पर इसके लक्षणों की पहचान होने से इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह रोग संक्रमण से नहीं फैलता है यह एलर्जी से होने वाली बीमारी है। जुकाम और बार-बार आने वाली छींकों से उत्पन्न यह एलर्जी जब नाक व गले से होते हुए छाती में फेफड़ों तक पहुंचती है तो अस्थमा का रूप ले लेती है। डा. सिंधवानी के अनुसार अस्थमा रोगियों को रात के समय अधिक दिक्कत होती है। उन्होंने बताया कि इस मर्ज का समय पर उपचार नहीं कराने से मरीज की सांस फूलने लगती है और दम घुटने के कारण उसे अस्थमा अटैक पड़ जाता है।
डा. सिंधवानी ने सुझाव दिया कि अस्थमा के रोगी नियमिततौर से दवा लेना नहीं भूलें। उन्होंने आगाह किया कि बीच-बीच में दवा छोड़ने से यह बीमारी घातकरूप ले लेती है। बताया कि लोगों में भ्रांति है कि इनहेलर का उपयोग केवल संकट के समय ही किया जाता है। जबकि यह तर्क पूरी तरह से गलत है। विशेषज्ञ चिकित्सक ने बताया कि इनहेलर का उपयोग अस्थमा के रोगी को नियमिततौर से करना चाहिए। इस बीमारी में इनहेलर सबसे उत्तम उपाय है। इससे बचना, नुकसानदेह होता है। उन्होंने बताया कि ऋषिकेश एम्स में इस बीमारी की सभी तरह के परीक्षण व उपचार की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं।

यह हैं अस्थमा के प्रमुख लक्षण-
खांसी, जुकाम, छींकें आना, सांस फूलना, सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना आदि।

यह है अस्थमा रोग को बढ़ाने वाले कारक-
ठंड, कोहरा, धुंध, धुवां, धूल, प्रदूषण, संक्रमण, पेंट की गंध, परागकण। इसके अलावा बंद घरों के भीतर रहने वाले पालतू कुत्ते और बिल्लियों के बालों से भी अस्थमा मरीजों की परेशानियां बढ़ जाती हैं।

इस तरह अस्थमा से बचाव का उपाय-
फ्रिज का पानी, ठंडी और बासी चीजों का सेवन कदापि नहीं करें। सर्दी से बचाव के सभी जरुरी उपाय जैसे गर्म कपड़े पहनना, धूप आने से पहले बाहर नहीं निकलना, कमरों के भीतर बैठने के बजाय धूप में बैठना आदि को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। धूप में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है और यह जनरल बूस्टर का कार्य करते हुए शरीर की इम्यूनिटी क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा ग्रसित मरीज दवा का सेवन नियमित तौर पर करें।

एम्स में रोबोटिक सजरी अब किडनी, मूत्राशय और किडनी के कैंसर में भी संभव

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश की ओर से मूत्राशय, प्रजनन अंगों और किडनी के कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है। संस्थान के यूरोलाॅजी विभाग में इस बीमारी के निदान के लिए रोबोटिक सर्जरी की सुविधा के साथ ही उच्चस्तरीय तकनीक आधारित उपचार उपलब्ध है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार इस तकनीक से की जाने वाली सर्जरी के दौरान जहां जोखिम का खतरा निहायत कम हो जाता है, साथ ही रोगी को अस्पताल से जल्दी छुट्टी दे दी जाती है।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि ऋषिकेश एम्स राज्य का एकमात्र ऐसा स्वास्थ्य संस्थान है, जिसमें किडनी, मूत्राशय और प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए रोबोटिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

संस्थान के यूरोलाॅजी विभागाध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर डा. अंकुर मित्तल ने बताया कि मूत्र संबंधी विकृतियों में सबसे आम समस्या प्रोस्टेट कार्सिनोमा से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि प्रोस्टेट ग्रन्थि पुरुषों में पाई जाती है। इस छोटी सी ग्रंथि का वजन लगभग 20 ग्राम होता है। यूरोलाॅजी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार प्रोस्टेट ग्रन्थि शुक्राणु परिवहन करने वाले वीर्य का उत्पादन करती है। बढ़ती उम्र के साथ ही अधिकांश पुरुषों की इस ग्रन्थि में रोग पैदा होने लगते हैं। खासतौर से बुजुर्ग अवस्था में मूत्र रोग से उत्पन्न यह समस्या कैंसर का रूप ले लेती है। भारत में एक लाख की जनसंख्या में से 8 से 9 प्रतिशत लोग गुर्दे के कैंसर से जूझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत के यह आंकड़े एशिया के अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक हैं।

प्रोस्टेट कैंसर के प्रमुख लक्षण-
पेशाब करते समय परेशानी होना, पेशाब में रक्त आना, वीर्य में रक्त आना, पेल्विक क्षेत्र में असुविधा और रीढ़ की हड्डी में दर्द होना शामिल हैं। प्रोस्टेट कैंसर का पता स्क्रीनिंग, डिजिटल रेक्टल जांच और रक्त परीक्षण (यानी सीरम पीएसए) के माध्यम से लगाया जाता है।

मूत्राशय के कैंसर के प्रमुख लक्षण-
पेशाब में रक्त आना, पेशाब करते समय दर्द होना, पेल्विक( पेड़ू ) में दर्द और बार-बार पेशाब आना इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में शामिल है।

किडनी के कैंसर के प्रमुख लक्षण-
पेशाब में खून आना, भूख में कमी होना, वजन में गिरावट, थकान होना, बुखार और पेट में गांठ बन जाना।

अमेरिकी सोसाइटी ने ऋषिकेश एम्स को दिया अनुदान, रक्त कैंसर पर होंगे रिसर्च

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश को अमेरिकन सोसायटी ऑफ हेमेटोलॉजी से ब्लड कैंसर पर अनुसंधान के लिए अनुदान मिला है, जिस पर संस्थान के हेमेटोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक रिसर्च का कार्य जल्द शुरू करेंगे। एम्स ऋषिकेश भारत देश की ऐसी पहली संस्था है जिसे यह अनुदान ग्रांट मिली है, रक्त कैंसर पर अनुसंधान को बढ़ावा देने वाली अमेरिकन सोसायटी की ओर से अब तक देश के किसी भी मेडिकल संस्थान को यह ग्रांट नहीं दी है।
गौरतलब है कि भारत में दुनिया के मुकाबले रक्त कैंसर के रोगियों की मृत्यु दर अधिक है। जिसका सबसे मुख्य वजह कैंसर के शरीर में दोबारा लौटना भी है, साथ ही जानकार इसकी एक वजह देश में रक्त कैंसर के प्रति लोगों में जनजागरुकता का अभाव को भी मानते हैं। ऐसे कई कारण हैं जिनके बारे में वैज्ञानिक मानते हैं कि किसी व्यक्ति के पहली बार कैंसर ग्रसित होने पर उसे खत्म करने के लिए जो दवा अथवा कीमोथेरेपी दी जाती है, वह उसी व्यक्ति में कैंसर के दोबारा लौटने की स्थिति में अपेक्षाकृत प्रतिरोधक नहीं होती, जिससे व्यक्ति की मृत्यु की संभावनाएं बढ़ जाती है।
उनका मानना है कि कैंसर के दूसरी बार व्यक्ति में आने पर कैंसर सेल में कई तरह के बदलाव आते हैं, मसलन जीन म्यूटेशन, चेंज इन द माइक्रो इन्वायरमेंट आदि। लिहाजा ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को पूर्व में दी गई दवा अथवा उपचार काम नहीं कर पाता है।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि संस्थान को इस अंतर्राष्ट्रीय अमेरिकन सोसायटी ऑफ हेमेटोलॉजी द्वारा दिए गए अनुदान से रक्त कैंसर रिसर्च में नए विषयों पर अनुसंधान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस विषय में रिसर्च के दौरान एम्स के अनुसंधान कर्ताओं का फोकस कीमो रिस्टेन्सेंस कोशिकाओं द्वारा प्राप्त अंतर आणविक परिवर्तनों को समझने पर रहेगा। इस अनुसंधान के लिए जिनोमिक्स, प्रोटियोमिक्स और क्रिस्पर जैसी तकनीकियों का प्रयोग किया जाएगा।

बताया कि यह अध्ययन कीमोथैरेपी प्रतिरोधी रोगियों के लिए कुछ नए चिकित्सीय पद्धतियों के आविष्कार में मदद करेगा। बताया गया कि एम्स संस्थान में इस परियोजना का नेतृत्व मेडिकल ओंकोलॉजी एंड हेमेटोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नीरज जैन करेंगे। जो कि डीबीटी रामलिंगस्वामी फैलोशिप प्राप्त हैं।

विभाग प्रमुख डा. नाथ ने बताया कि यह अनुदान भारत में पहली बार एम्स संस्थान के रक्त कैंसर अनुसंधान विशेषज्ञ डा. नीरज जैन को प्राप्त हुआ है। जिसके लिए उन्होंने सोसायटी से रक्त कैंसर पर अनुसंधान के लिए आवेदन किया था।
बताया गया है कि इस रिसर्च परियोजना को ढाई वर्ष में पूर्ण किया जाएगा। जिसके लिए अमेरिकन सोसायटी की ओर से डेढ़ लाख डॉलर (1.10 करोड़) की स्वीकृति प्रदान की गई है। संस्थान की डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सैना ने जानकारी दी कि संस्थान उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा अनुसंधान करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। जिसके लिए एम्स में विभिन्न विस्तृत अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा रही है।