यूएचएसडीपी से एनएबीएच एक्रिडिएशन को जुटाये जायेंगे संसाधन

केन्द्र पोषित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम्स डेवलपमेंट परियोजना के जरिये जिला अस्पतालों की सूरत बदली जायेगी। परियोजना के प्रथम चरण में सूबे के पांच जिला चिकित्सालयों का चयन कर सुधारीकरण का कार्य गतिमान है। जिसके तहत अस्पतालों की गुणवत्ता संवर्द्धन के लिये एनएबीएच स्तरीय मानकों के अनुरूप संसाधन जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं। ताकि आने वाले समय में जिला अस्पतालों को आसानी से एनएबीएच मान्यता मिल सके।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने स्वास्थ्य महानिदेशालय देहरादून में एनएचएम के अंतर्गत केन्द्र पोषित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम्स डेवलपमेंट परियोजना की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने अधिकारियों को परियोजना के अंतर्गत चयनित पांच जिला चिकित्सालयों अल्मोड़ा, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग, चमोली तथा जिला महिला चिकित्सालय पिथौरागढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़करण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि परियोजना के अंतर्गत चयनित चिकित्सालयों में एनएबीएच स्तरीय मानक पूर्ण करने के लिये गैप एसेसमेंट के आधार पर शासन द्वारा पूर्व में ही डीपीआर अनुमोदित कर लगभग रूपये 74 करोड़ की धनराशि जारी की जा चुकी है। जिसके तहत चयनित जिला चिकित्सालयों में 10 विशेषज्ञ चिकित्सक, 10 स्टॉफ नर्स, 2 लैब टेक्निशियन, एक एक्स-रे टेक्नीशियन तथा एक मैट्रन तैनात किये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा परियोजना के अंतर्गत अस्पतालों में बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। इस कार्य हेतु रूपये 20 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी गई है जबकि शीर्ष प्रशिक्षण संस्थान आईआईएचएमआर जयपुर एवं एएससीआई हैदराबाद के माध्यम से सीएमओ, सीएमएस व एसीएमओ को कौशल संबर्द्धन हेतु प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी प्रकार चयनित चिकित्सालयों में लोक निजी सहभागिता के अंतर्गत कम्युनिकेशन कार्य योजना एवं डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान भी अपडेट किया जा रहा है। विभागीय मंत्री ने उम्मीद जताई है कि वर्ष 2023 तक परियोजना के पूर्ण क्रियान्वयन पर चयनित जिला चिकित्सालयों में अमूलचूल परिर्वतन देखने को मिलेगा, जिससे चिकित्सालयों को एनएबीएच एक्रिडिएशन कराने में खासी मदद मिलेगी।
समीक्षा बैठक में प्रभारी अधिकारी डॉ0 अमित शुक्ला ने बताया कि परियोजना के अंतर्गत विशेषज्ञ चिकित्सकों के स्वीकृत 50 पदों के सापेक्ष 28 पदों पर तैनाती दे दी गई है। इसी प्रकार स्टॉफ नर्स के स्वीकृत 50 पदों, एक्स-रे टेक्नीशियन तथा मैट्रन के 05 पदों एवं लैब टेक्नीशियन के 10 पदों के सापेक्ष पूर्ण तैनाती कर दी गई है। जबकि अधिकारियों के प्रशिक्षण का कार्य गतिमान है।

बैठक में प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ0 आर0 राजेश, निदेशक एनएचएम डॉ0 सरोज नैथानी, एपीडी यूएचएसडीपी डॉ0 प्रेम लाल, संयुक्त निदेशक पीपीपी डॉ0 अमित शुक्ला, वित्त नियंत्रक बिरेन्द्र कुमार, डॉ0 विपुल विश्वास, डॉ0 राजन अरोड़ा सहित विभगाय अधिकारी उपस्थित रहे।

त्रिवेंद्र सरकार कर रही कोरोना संक्रमण पर वार

चीन की लैब से जन्मे कोरोना वायरस ने आज संपूर्ण विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है। भारत में ताजा आंकड़ों के अनुसार, अब तक 49,30,236 लोग संक्रमित हो चुके है, जबकि 38,59,399 मरीज कोरोना से जंग जीत चुके है। वहीं, 80,776 ने संघर्ष करते हुए कोरोना से जंग हार ली। उत्तराखंड में नजर डालें तो यहां अब तक एक्टिव केस मात्र 5445 हैं, जो अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम हैं। मगर, इन आंकड़ों से संतुष्ट होने के बजाए इसे रोकना एक चुनौती है और इस चुनौती को उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र सरकार ने स्वीकार किया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार लगातार इस मामले में अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। इसके लिए राज्य सरकार ने 104 हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। यहीं नहीं, शुरूआत से ही रावत सरकार ने एक्टिव केस को बढ़ने से रोकने को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, इनमें राज्य की सीमाओं पर पुलिस की चैकसी है।

कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन के चलते राज्य के ज्यादातर नागरिकों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है, ऐसे में कोरोना टेस्ट शुल्क व्यय करना भी इन नागरिकों के लिए काफी मुश्किल था। इस मुश्किल दौर में त्रिवेंद्र सरकार ने एक बहुत बड़ा राहत पहुंचाने वाला फैसला लिया। निजी अस्पतालों में अटल आयुष्मान योजना के तहत कोरोना का ईलाज किया जायेगा। यह अन्य रोगों की भांति निःशुल्क होगा। वहीं इस फैसले के अलावा भी प्रदेश के निजी अस्पतालों में केंद्र की ओर से तय दरों का 80 प्रतिशत उपचार शुल्क लिया जाएगा। इसमें 1200 और 2000 रुपये पीपीई किट का खर्च और बिस्तर, भोजन, निगरानी, नर्सिंग देखभाल, डॉक्टरों का परामर्श, कोविड जांच ऑक्सीजन समेत अन्य सुविधाएं भी शामिल हैं।

लोगों में कोरोना के प्रति जागरूकता लाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य की पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं। राज्य में बिना मास्क आवागमन करने वाले लोगों पर पुलिस चालानी कार्रवाई कर मास्क उपलब्ध करवा रही है, तो वहीं, सोशल डिस्टेंस का पालन कराने में भी मित्र पुलिस अहम रोल अदा कर रही है। स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनका मंत्रिमंडल भी इस नियम को फाॅलो कर रहा है।

एक्टिव केस को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने अब अहम निर्णय लिया है, इसके चलते नेगेटिव रिपोर्ट के बिना कोई भी राज्य की सीमा पर प्रवेश नहीं कर सकेगा। चार दिन की नेगेटिव रिपोर्ट लेकर आने वालों को क्वांरटीन नहीं होना होगा। रिपोर्ट न होने पर कोविड लोड शहरों से आने वालों को सात दिन संस्थागत क्वारंटीन जबकि अन्य शहरों से आने वालों को 14 दिन के लिए होम क्वारंटीन होना होगा।

इसके अलावा सरकार ने सावन मास की कांवड़ यात्रा को स्थगित किया लेकिन आस्था से कोई समझौता ना करते हुए गंगाजल को अन्य शहरों में उपलब्ध कराया। इससे कोरोना के मामले में बढ़ोतरी होने से बड़ी कामयाब मिली। इसके अलावा त्रिवेंद्र सरकार ने 21 सितंबर से कक्षा नौ और 12वीं तक के छात्रों के लिए खुलने जा रहे स्कूलों पर भी रोक लगा दी है। राज्य सरकार का यह निर्णय कोरोना के मामले को रोकने में महत्वपूर्ण निर्णय साबित हो रहा है। सरकार के इस निर्णय से न सिर्फ अभिभावक बल्कि विशेषज्ञों ने भी सराहा है।

शासन के बड़े अधिकारियों की मानें तो सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए जिस प्रकार से कार्य किया है वह अन्य राज्यों की तुलना में इक्कीस साबित हुआ है। कोविड सेन्टर के लिए सरकार ने प्राईवेट सेन्टर बनाये है जिनमें कई होटल भी शामिल है। जिससे लोगों को बड़ी राहत मिल रही है। शुरुआत दौर में सरकार को थोड़ा कठिनाई जरुर हुई लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत की इच्छा शक्ति से इस ओर कामयाबी मिली है। निरन्तर जिलाधिकारियों और शासन के उच्च स्तर के अधिकारियों से संवाद और निर्देशन मुख्यमंत्री की कार्यकुशलता को दर्शाता है।

कोरोना नियंत्रण के लिए मास्क और सोशल दूरी का कड़ाई से हो पालन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में कोविड-19 के प्रभावी नियंत्रण के लिए अधिकारियों की बैठक ली। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि बाहरी राज्यों से उत्तराखण्डवासी काफी संख्या में आ रहे हैं, ये जिन जनपदों में आ रहे हैं, वहां पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की जाए ताकि उत्तराखण्ड के बोर्डर ऐरिया पर स्क्रीनिंग का लोड कुछ कम हो सके। बाहर से आने वाले लोगों को जहां पर क्वारंटाइन किया जा रहा है, उसकी नियमित मोनिटरिंग की जाए। इसके लिए कर्मिकों की तैनाती की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना पर नियंत्रण के लिए सोशल डिस्टेंसिंग एवं मास्क की अनिवार्यता का कड़ाई से पालन करवाया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि लोगों के पास मास्क की उपलब्धता हो। मास्क का इस्तेमाल न करने वालों एवं सार्वजनिक स्थानों पर थूकने वालों पर जुर्माने की कारवाई की जाए। बाहरी राज्यों के जो श्रमिक उत्तराखण्ड में हैं, अगर वो अपने राज्यों में वापस जाना चाहतें हैं, तो सम्बन्धित राज्यों से जो वाहन आ रहे हैं, उन्हें उन वाहनों में भेजने की व्यवस्था की जाए।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि बाहरी राज्यों से जितने भी लोग आ रहे उनका पूरा डाटा रखा जाए कि ये कहां पर क्वारंटाइन किये गये हैं। यदि इनमें से कोई कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो अन्य लोगों को भी ट्रेस किया जा सके। इसके लिए पुलिस द्वारा संबंधित लोगों को अलर्ट के लिए एस.एम.एस भेजने की व्यवस्था भी की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कन्ट्रोल रूम एवं आईटी सेक्टर को और मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जिन लोगों को क्वारंटीन किया जा रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधानों द्वारा अच्छा कार्य किया जा रहा है एवं पूरा सहयोग दिया जा रहा है।