देवभूमि की विधानसभा ने समान नागरिकता कानून पारित कर देश में की नई शुरूआत-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता विधान सभा सदन में बहुमत से पास होने पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं, उन्होंने सदन के सदस्यों तथा उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता का आभार जताया है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि यह उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक पल है जब देवभूमि के अन्दर देवभूमि की विधानसभा सदन से देश के पहले समान नागरिकता कानून को मंजूरी मिली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधान सभा से पारित नागरिकता संहिता कानून संवैधानिक प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 12 फरवरी 2022 को प्रदेश की जनता से समान नागरिक संहिता कानून को प्रदेश में लागू करने का वायदा किया था। आज वह वायदा पूर्ण हो गया है मुख्यमंत्री ने कहा कि जो संकल्प हमारी सरकार ने लिया था वह आज सिद्धि तक पहुँच गया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना ने इस समानता के कानून को लागू करने की प्रेरणा दी है।” यह कानून समानता और एकरूपता का कानून है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा कि यह कानून किसी के विरुद्ध नहीं है। बल्कि यह कानून महिलाओं को कुरीतियों और रूढ़िवादी प्रथा से दूर करते हुए सर्वांगीण उन्नतिका रास्ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कानून में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, उत्तराधिकार और दत्तक ग्रहण जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस क़ानून के निर्माण हेतु पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था इसके बाद लगभग 2 सालों के कालखंड में समिति ने हर वर्ग, समुदाय, संप्रदाय के लोगों के साथ बातचीत करते हुए 10 हज़ार से अधिक लोगों के साथ प्रत्यक्ष रूप से बातचीत, करते हुए 72 बैठकों के बाद 2 लाख 33 हज़ार सुझावों को इस कानून में शामिल किया है।मुख्यमंत्री ने अन्य राज्यों से भी अपेक्षा की है वे भी इस कानून की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य हित में जो भी निर्णय लिया जाना उचित होगा वह लिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष के परिणाम स्वरूप उत्तराखण्ड बना है। वे स्वयं खटीमा, मसूरी तथा मुजफ्फरनगर काण्ड के साक्षी रहे है। राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिये गठित विधान सभा की प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधान सभा द्वारा आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण विधेयक को मंजूरी प्रदान करने को भी उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों का सम्मान बताया है।

उत्तराखंड आंदोलन में पत्रकारों की भूमिका और अनुभव को लेकर संगोष्ठी का आयोजन

उत्तराखंड के मीडियाकर्मियों की प्रमुख संस्था नेशनलिस्ट यूनियन आफ जर्नलिस्ट द्वारा यहां आयोजित एक संगोष्ठी में पत्रकारों ने राज्य आंदोलन में मीडिया कवरेज के अनुभव और आंदोलन में उनकी भूमिका पर विचार साझा किये।
’नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट’ (एनयूजे उत्तराखंड) की हरिद्वार जनपद इकाई द्वारा ’राज्य आंदोलन की कहानी, कलमकारों की जुबानी’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उत्तराखंड राज्य आंदोलन में अपनी लेखनी से योगदान देने वाले पत्रकार और राज्य आंदोलनकारी एक मंच पर जुटे।
अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवल और उनके पुष्पाभिनन्दन के साथ आरंभ हुए कार्यक्रम में
यूनियन के जिलाध्यक्ष प्रमोद कुमार पाल ने अपनी कार्यकारिणी के साथ अतिथियों का स्वागत करते हुए अतिथियों के सम्मान में स्वागत संबोधन प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्य आंदोलन के दौर में अमर उजाला और हिमालय दर्पण को अपनी सेवाएं दे चुके वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल ने नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स द्वारा मीडिया के माध्यम से आयोजित इस परिचर्चा को एक अच्छी शुरुआत बताते हुए कहा कि उस समय आंदोलन में जो घट रहा था हमने उस सच्चाई को देश दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा हमने कोई अहसान नहीं किया बल्कि जनता तक वास्तविकता पहुंचाने के लिए अपने कर्तव्य का पालन किया। उन्होंने कहा कि आन्दोलन तो उत्तराखंड को विरासत में मिले हैं। इनमें आजादी का आंदोलन हो या राजशाही के विरुद्ध आंदोलन हो या सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए चला राज्य आंदोलन हो। डोभाल ने कहा कि राजधानी के मामले में गैरसैंण हमारे लिए गैर हो गया है क्योंकि छत्तीसगढ़ और झारखंड के मुकाबले 22 साल में सरकार उत्तराखंड को एक स्थाई राजधानी नहीं दे पाई है।
देश की प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी पीटीआई की संवाददाता रही शशि शर्मा ने राज्य आंदोलन के दौर की पत्रकारिता में, समाचार संकलन और प्रेषण में आने वाली कठिनाईयों के साथ मसूरी गोलीकांड और हरिद्वार में चले वृहद आंदोलन का संस्मरण बयां किया। उन्होंने मसूरी में गोली चलने के बाद अपने छायाकार पति बालकृष्ण शर्मा के साथ कर्फ्यू में फंसने और भूखे प्यासे रहकर कवरेज करने का घटनाक्रम सुनाया। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलन में मीडिया कवरेज की कठिनाइयां आज भी उनके आंखों के सामने जीवंत होकर तैरती हैं। शर्मा ने कहा कि हरिद्वार जनपद के जिस राज्य आन्दोलन को उन्होंने कवर किया, वह अभूतपूर्व और अविस्मरणीय आंदोलन रहा।
दैनिक जागरण में लंबे समय तक पत्रकारिता करने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण झा ने कहा कि हरिद्वार में मीडिया कवरेज करते हुए एक समय ऐसा भी आया कि उन्हें आंदोलनकारियों के गुस्से और आक्रोश से भी डर लगने लगा था। उन्होंने कहा आंदोलनकारियों का जो जज्बा था उसी जज्बे ने इस राज्य का निर्माण किया है। उन्होंने कहा आंदोलनकारियों ने अपना काम किया और मीडियाकर्मी के रूप में हमने अपना फर्ज निभाया। राज्य बनने के बाद जहां सरकार और शासन तक हमारी पहुंच आसान हुई है वहीं विकास भी हुआ है। उत्तर प्रदेश के समय 3 विधानसभा सीटों वाला हरिद्वार 11 सीटों तक पहुंच गया। उन्होंने कहा जिन लोगों ने राज्य निर्माण के लिए बलिदान दिया उनके सपने जरूर पूरे होने चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलन को कवर करने वाले पत्रकारों की भूमिका किसी भी आंदोलनकारी से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि असली क्रांति पैदा करने और उसका विस्तार देने में मीडियाकर्मियों की बहुत बड़ी भूमिका रही है जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता।बताया कि राज्य आंदोलन के दौरान हरिद्वार जनपद में 25 नामजद और 8000 अज्ञात आंदोलनकारियों के खिलाफ 14 मुकदमे दर्ज हुए थे, जिनमें से 9 कोतवाली हरिद्वार, 3 थाना गंगनहर (रूड़की) और एक मंगलौर कोतवाली में दर्ज हुआ था उन्होंने बताया कि जनपद के 11 मुकदमे शासन के आदेश पर वापिस हुए।
इस अवसर नेशनलिस्ट यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे उत्तराखंड) द्वारा राज्य आंदोलन को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण झा, रतनमणि डोभाल, शशि शर्मा, विक्रम छाछर, ललितेन्द्र नाथ, श्रीगोपाल नारसन, दीपक नौटियाल, बालकृष्ण शर्मा आदि को राज्य आंदोलन में निष्पक्ष और उत्कृष्ट कवरेज के लिए सम्मानित किया गया। जबकि उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष हर्ष प्रकाश काला ने भी राज्य आंदोलनकारियों को उनकी सराहनीय भूमिका के लिए अपने संगठन की ओर से सम्मानित किया।
यूनियन के पूर्व अध्यक्ष विक्रम सिंह सिद्धू ने अगन्तुक अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उनकाआभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन यूनियन के संगठन मंत्री मुकेश कुमार सूर्या ने किया।
इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय पक्षी विज्ञानी डा. दिनेश भट्ट, जगत सिंह रावत, जसवंत सिंह बिष्ट एसपी चमोली, ख्यातसिंह रावत, घनश्याम जोशी, विजय जोशी, शांति मनोड़ी, सरिता पुरोहित, डा. शिवा अग्रवाल, सुनील पाल, बालकृष्ण शास्त्री, शैलेन्द्र सिंह, सचिन तिवारी, प्रमोद गिरी, विक्रम सिंह सिद्धू, सुदेश आर्या, नवीन पांडे, विनोद चौहान, सूर्या सिंह राणा, वीरेंद्र चड्ढा, मुकेश कुमार सूर्या, हरिनारायण जोशी, धीरेंद्र सिंह रावत, हिमांशु भट्ट, संजू पुरोहित आदि उपस्थित रहे।

तीलू रौतेली पुरस्कार और आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार की धनराशि 51 हजार रूपये

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि अगले वर्ष से तीलू रौतेली पुरस्कार एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार की धनराशि बढ़ाकर 51 हजार रूपये किया जायेगा। भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वन्दना कटारिया उत्तराखण्ड में महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की ब्रांड एम्बेसेडर होंगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी सभागर में ‘‘तीलू रौतेली पुरस्कार एवं ‘‘आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार‘‘ हेतु चयनित राज्य की महिलाओं को सम्मानित किया। इस वर्ष 22 महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार एवं 22 महिलाओं को आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। तीलू रौतेली पुरस्कार प्राप्तकताओं को 31 हजार रूपये की सम्मान धनराशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। जबकि आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार के तहत 21 हजार रूपये की सम्मान राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड में हर क्षेत्र में मातृ शक्ति की बड़ी भूमिका रही है। उत्तराखण्ड अलग राज्य निर्माण की मांग हेतु महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने मातृ शक्ति को नमन करते हुए कहा कि कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना शुरू की गई है। कोरोना काल में जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या सरंक्षक को खोया है, उनको राज्य सरकार प्रति माह 3 हजार रूपये एवं निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था कर रही है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थित मजबूत होनी जरूरी है। बच्चों के शुरूआती चरण के विकास में आंगनबाडियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। माता-पिता के बाद बच्चों को संस्कार देने के शुरूआत आंगनबाड़ी से ही होती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जो लोग सीमित संसाधन होने पर बड़ी उपलब्धि हांसिल करते हैं, उनकी अलग ख्याति होती है। प्रधानमंत्री का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का जीवन सामान्य परिस्थितियों में बीता, लेकिन आज उनकी कार्यशैली से भारत को वैश्विक पटल पर एक अलग पहचान मिली है। आज देश हर क्षेत्र में तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है। मुख्यमंत्री ने अपने बचपन के संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि प्रारम्भिक शिक्षा के दौरान हम भी तख्ती (पाटी) पर लिखते थे। जिसके लिए चूने का घोल इस्तेमाल किया जाता था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में अनेक कार्य किये जा रहे हैं। राज्य सरकार का प्रयास है कि मातृ शक्ति को इन योजना का लाभ मिले। राज्य में मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना चलाई जा रही है। जिसमें गर्भवती महिलाओं एवं नवजात कन्या शिशु के लिए किट दी जा रही है। राज्य सरकार जनता के साथ साझीदार की भूमिका में कार्य कर रही है। समाज के हर वर्ग के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि उत्तराखण्ड की वीरांगना तीलू रौतेली के जन्म दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाली राज्य की चयनित महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार एवं आंगनबाड़ी में अच्छा कार्य करने वाली महिलाओं को आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मात्र 15 वर्ष की आयु में ही वे रणभूमि में कूद पड़ी थी। उन्होंने बहुत कम आयु में सात युद्ध लड़े। यह दिन प्रदेश की महिलाओं को सम्मानित करने का सबसे अच्छा दिन है। तीलू रौतेली ने जिस वीरता का परिचय दया, आज यह हमारे सामने एक इतिहास है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने में आंगनबाड़ी कार्यकत्रयों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कोविड के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा सराहनीय कार्य किया गया है। उन्होंने कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की वेशभूषा में प्रतिभाग किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के पिताजी ने आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए अपनी जमीन दान दी थी।।

इनको किया गया सम्मानित-तीलू रौतेली पुरस्कार
डॉ. राजकुमारी भंडारी चौहान, श्यामा देवी, अनुराधा वालिया, डॉ. कंचन नेगी, रीना रावत, वन्दना कटारिया, चन्द्रकला तिवाड़ी, नमिता गुप्ता, बिन्दुवासिनी, रूचि कालाकोटी, ममता मेहता, अंजना रावत, पार्वती किरौला, कनिष्का भण्डारी, भावना शर्मा, गीता जोशी, बबीता पुनेठा, दीपिका बोहरा, दीपिका चुफाल, रेखा जोशी, रेनू गडकोटी, पूनम डोभाल।

राज्य स्तरीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ती पुरस्कार
गौरा कोहली, पुष्पा प्रहरी, पुष्पा पाटनी, गीता चन्द, गलिस्ता, अंजना, संजू बलोदी, मीनू, ज्योतिका पाण्डेय, सुमन पंवार, राखी, सुषमा गुसांई, आशा देवी, दुर्गा बिष्ट, सोहनी शर्मा, वृंदा, प्रोन्नति विस्वास, हन्सी धपोला, गायत्री दानू, हीरा भट्ट, सुषमा पंचपुरी, सीमा देवी।

राज्य के विकास में यहां की मातृ शक्ति का बहुत महत्वपूर्ण योगदानः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड के विकास में महिला शक्ति की भूमिक विषय पर आयोजित वेबनार में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य निर्माण से लेकर राज्य के विकास में हमारी माताओं-बहनों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बड़ी संख्या में महिला स्वयं सहायता समूह बेहतरीन काम कर रहे हैं। राज्य में स्थापित किये गये ग्रोथ सेंटरों में महिलाएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं। महिला शक्ति की भागीदारी के बिना राज्य की आर्थिकी में सुधार की कल्पना नहीं की जा सकती। राज्य सरकार, महिला कल्याण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। कोविड-19 के दौरान आशा, आंगनबाङी कार्यकत्रियों, महिला चिकित्साकर्मियों और महिला पुलिस कर्मियों ने जो काम किया उसकी जितनी सराहना की जाए कम है। महिला शक्ति के सहयोग से ही आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड सम्भव है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। ई-ऑफिस, ई-कैबिनेट, सीएम डैशबोर्ड, सीएम हेल्पलाईन सुशासन की दिशा में बङा कदम है। स्कूलों में वर्चुअल क्लासेज प्रारंभ की गई है। टेलीमेडिसीन, टेलीरेडियोलाजी बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है। हर गांव को इंटरनेट से जोङने पर काम चल रहा है। पिछले तीन वर्ष में उत्तराखण्ड फिल्म शूटिंग के केन्द्र के रूप मे उभर कर सामने आया है। राज्य को बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का अवार्ड मिला है।
वेबनार में माता मंगला, विधायक ऋतु खण्डूड़ी, अपर मुख्य सचिव राधा रतूङी, सचिव सौजन्या, पेटीएम की सीनियर वाईस प्रेसीडेंट रेणु सती, लेखिका अद्वैता काला, क्रिकेटर एकता बिष्ट सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं ने प्रतिभाग किया।

मुख्यमंत्री ने निर्देश, गैरसैंण ई-विधानसभा बनने की ओर

ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जायेगा। पर्यावरण का संरक्षण हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति एवं जैव विविधता को बनाये रखने के लिए हमें जनभागीदारी से प्रयास करने होंगे। यह बात मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सचिवालय में सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियों कांफ्रेंसिंग के दौरान कही। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और मानव के बीच कैसे संतुलन बना रहे, इस दिशा में अनुसंधान की आवश्यकता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड राज्य की पर्यावरण रिपोर्ट की बुक का विमोचन भी किया।

गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जायेगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जायेगा। उत्तराखण्ड सरकार ने ई-कैबिनेट की शुरूआत की है। हमने अपने ऑफिसों को ई-ऑफिस बनाने का निर्णय लिया। अभी 17 कार्यालय, ई-ऑफिस हो गये हैं। प्रयास है कि राज्य के ब्लॉक स्तर तक जितने भी कार्यालय हैं, इनको ई-ऑफिस बनाया जाय।

हरेला पर्व पर फिजीकल डिस्टेंस रखते हुए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला पर्व पर फिजीकल डिस्टेंस का पालन करते हुए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया जायेगा। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि हरेला पर्व पर वृक्षारोपण के लिए जन सहभागिता पर विशेष ध्यान दिया जाय। किसी भी अभियान को सफल बनाने के लिए जन सहयोग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी अपने जनपदों में नदियों, नौलों, एवं जल के स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में कार्य करें। राज्य सरकार ने मिशन रिस्पना टू ऋषिपर्णा एवं कोसी के पुनर्जीवन का लक्ष्य रखा है। रिस्पना नदी के लिए आईआईटी रूड़की ने प्रोजक्ट रिपोर्ट तैयार की है। इस अभियान के तहत मिशन मोड में कार्य किया जायेगा।

भारत में जैव विविधता को बनाये रखने में उत्तराखण्ड का अहम योगदान
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि भारत में जैव विविधता को बनाये रखने में उत्तराखण्ड का महत्वपूर्ण योगदान है। उत्तराखण्ड में देश की 28 प्रतिशत जैव विविधता पायी जाती है। यहां की जैव विविधता का प्रभाव भारत ही नहीं अपितू सम्पूर्ण विश्व पर पड़ता है। प्रकृति हमें सब कुछ देती है। मानव को प्रकृति के साथ पूरा संतुलन बनाकर आगे बढ़ना होगा। पर्यावरण संतुलन के लिए लोगों में सजगता होना बहुत जरूरी है। हम छोटे-छोटे प्रयासों से भी इस दिशा में अपना योगदान दे सकते हैं। हम भावी पीढ़ी को कैसा पर्यावरण देना चाहते हैं, यह हम पर निर्भर है।

बैठक में जानकारी दी गई कि झाझरा, देहरादून में ‘आनंद वन’ के नाम से सिटी फॉरेस्ट विकसित किया जा रहा है। उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रत्येक जनपद के लिए जनपद स्तरीय प्रदूषण नियंत्रण मैनेजमेंट प्लान बनाया जा रहा है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम जैव विविधता है। बैठक में मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, प्रमुख सचिव वन आनन्द वर्द्धन, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, निदेशक उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एस.पी. सुबुद्धि आदि उपस्थित थे।

जनभावनाओं का मुख्यमंत्री ने किया सम्मान, गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित

उत्तराखंड बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बड़ी घोषणा की। लंबे समय से चले आ रहे कयासों के बीच मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक ही मास्टर स्ट्रोक से विपक्ष को चारो खाने चित कर दिया। इस घोषणा के साथ ही प्रदेश में अब दो राजधानियां हो जाएंगी।
मुख्यमंत्री के इस कार्ड की भनक सरकार ने भराड़ीसैंण में पहुंचे विपक्ष को और अन्य आंदोलनकारी संगठनों तक को नहीं लगने दी। बीते दिनों ही कैबिनेट में इस पर चर्चा हुई थी, लेकिन मंत्रियों को साफ हिदायत दे दी गई थी कि किसी को इसकी भनक नहीं लगने दी जाए। सदन में घोषणा होने के साथ ही गैरसैंण में जश्न का माहौल शुरू हो गया। सत्ता पक्ष के विधायक लोगों से फूल मालाएं स्वीकार करते हुए दिखाई दिए।
वहीं, गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का भाजपा का यह चुनावी संकल्प था। उसने चुनाव संकल्प पत्र में इस मुद्दे को शामिल किया था। आम तौर पर सत्तारूढ़ दल के लिए चैथा साल चुनावी घोषणाओं को पूरा करने का साल होता है। प्रदेश में भाजपा सरकार तीन साल पूरे होने जा रहे हैं। इससे पहले ही सरकार ने यह एतिहासिक फैसला लिया है।
उत्तराखंड में राजधानी का मुद्दा जनभावनाओं से जुड़ा है। राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बनाए जाने को लेकर आवाज उठती रही हैं। राज्य आंदोलन के समय से ही गैरसैंण को जनाकांक्षाओं की राजधानी का प्रतीक माना गया है। यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा की सरकारें गैरसैंण को खारिज नहीं कर पाई।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जब गैरसैंण में विधानमंडल भवन बनाया तब उन पर भी राजधानी घोषित करने का दबाव बना था। लेकिन उन्होंने घोषणा नहीं की। राजनीतिक आंदोलन से जुड़ा एक वर्ग गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाए जाने की वकालत करता है।

प्रदेश की 70 फीसदी जनता गैरसैंण में स्थायी राजधानी चाहती है। राज्य गठन से पहले यूपी की मुलायम सरकार की गठित कौशिक समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा था। वही उक्रांद ने 27 साल पहले गैरसैंण में राजधानी का शिलान्यास किया था।
बजट सत्र शुरू होने से पहले ही बदरीनाथ और कर्णप्रयाग के विधायकों ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने के संकेत दे दिए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था कि पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में इस संकल्प को शामिल किया है। सरकार गठन के तीन साल हो चुके हैं। अब घोषणा का समय आ गया है। मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया था।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने का संकल्प लिया था। इस संकल्प को आज पूरा कर दिया गया है। समय के साथ गैरसैंण में बुनियादी ढांचे का विकास होगा और ये राजधानी के रूप में विकसित होगी।
बदरीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री और भाजपा संगठन का आभारी हूं कि उन्होंने पहाड़ की जनाकांक्षाओं के प्रतीक गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है। इससे पहाड़ के विकास को मजबूती मिलेगी।
उधर, गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने पर भाजपाइयों ने आतिशबाजी कर जश्न मनाया। बुधवार को भाजपा महानगर कार्यालय में मेयर सुनील उनियाल गामा, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी समेत पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी ने कहा कि सरकार का निर्णय बेहद सराहनीय है। सरकार का यह निर्णय शहीद आंदोलनकारियों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। मेयर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर प्रदेशवासियों को बड़ा तोहफा दिया है। भाजपा ने इसे अपने चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल किया था। जिसे आज पूरा कर लिया है।

आंदोलन को धार देने के लिए की थी राजनीति, ऐसे थे रणजीत सिंह वर्मा

जननायक और पूर्व विधायक रहे रणजीत सिंह वर्मा की अंतिम यात्रा में आज सुबह भारी हुजूम उमड़ा। सुबह दस बजे उनके आवास से अंतिम यात्रा निकली और लक्खीबाग देहरादून में उनका अंतिम संस्कार किया। बतातें चले कि सोमवार सुबह सात बजे उनका स्वर्गवास हो गया था।
पूर्व विधायक और राज्य आंदोलनकारी रणजीत सिंह वर्मा का सोमवार सुबह जौलीग्रांट अस्पताल में निधन हो गया। वे 86 वर्ष के थे। अस्पताल में पिछले पांच दिनों से उनका इलाज चल रहा था। वे अविभाजित उत्तरप्रदेश की मसूरी विधानसभा के दो बार विधायक रहे थे। उनके निधन पर उनके निकट सहयोगी रहे क्षेत्र के तमाम लोगों ने दुख जताया है। जौलीग्रांट के पूर्व प्रधान और उनके सहयोगी रहे कुंवर सिंह मनवाल कहते हैं कि उनके निधन की खबर डोईवाला के लिए अपूर्णनीय क्षति है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति एवं दुरूख की इस घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथक उत्तराखंड के निर्माण में रणजीत सिंह के संघर्षों को सदैव याद रखा जाएगा।

शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान
पूर्व विधायक रणजीत सिंह वर्मा के निधन पर डोईवाला क्षेत्र के लोग स्तब्ध हैं। उनका नाम शिक्षा के प्रचार प्रसार और गन्ना राजनीति में बेहद आदर के साथ लिया जाता है। आजीवन मूल्यों और सिद्धांतों पर चलकर उन्होंने गन्ना राजनीति और डोईवाला में शिक्षा को बढ़ावा देने का काम किया। पृथक राज्य निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले पूर्व विधायक रणजीत सिंह वर्मा का कार्य क्षेत्र डोईवाला रहा।
तरली जौलीग्रांट में उनका निवास स्थान है। क्षेत्र में उनके पास काफी खेती बाड़ी होने के कारण प्रगतिशील किसान कहा जाता रहा है। गन्ना राजनीति में करीब तीन दशक से भी अधिक समय तक उनकी पकड़ रही है। गन्ना परिषद डोईवाला में करीब 25 सालों तक लगातार अध्यक्ष का दायित्व निभाया।
डोईवाला शुगर मिल के पुनर्निर्माण में भी उनका बड़ा योगदान रहा। अविभाजित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे स्व. नारायणदत्त तिवारी से उनका स्नेह होने के कारण डोईवाला चीनी मिल की पेराई क्षमता बढ़ाकर उसको आधुनिक रूप दिलाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ ही एक शिक्षक के रूप में भी उन्होंने काम किया। क्षेत्र के सबसे पुराने पब्लिक इंटर कॉलेज डोईवाला के प्रबंधक का काम साल 1966 से 2018 तक निभाया। जबकि आर्य कन्या पाठशाला इंटर कॉलेज के वह अभी तक प्रबंधक रहे।

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