उमेश शर्मा काऊ ने बनाए रखा अपना दबदबा

देहरादून। रायपुर विधानसभा सीट पर भाजपा से उमेश शर्मा काऊ का दबदबा बरकरार है। रायपुर विधानसभा क्षेत्र देहरादून में आता है, यहाँ भारतीय जनता पार्टी से उमेश शर्मा काऊ ने 30052 वोटों से जीत हासिल किया है। उत्तराखंड में काऊ दूसरी बार सबसे अधिक वोटों से जीतने वाले विधायक बने। वहीँ दूसरे नंबर पर कांग्रेस के हीरा सिंह विष्ट रहे। यहां उमेश के सामने कांग्रेस से हीरा सिंह बिष्ट, आप से नवीन पिरशाली, बसपा से सर्मिष्ठा प्रालियम और सपा से नरेन्द्र सिंह वर्मा भी मैदान में थे।

पत्रकारों से बात करते हुए विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि मुझे मिटाने वाले आज खुद ही मिट गए। जनता जानती है लंबे समय तक मेरा उत्पीड़न किया गया। अगर मेरी सीट पर भितरघात न होती तो जीत का मारजन 45 हजार से अधिक होता। विरोधी ताकतों ने पूरा प्रयास किया लेकिन उनके नापाक मंसूबे कामयाब नहीं हुए। आने वाले पांच सालों में अधूरे कामों को पूरा करेंगे। युवाओं को अधिक से अधिक स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास करेंगे। हर वर्ग का विकास करेंगे।

आपको बता दें कि यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्‍तित्‍व में आई थी। इस सीट पर उमेश शर्मा काऊ का दबदबा है। अब तक हुए दोनों चुनाव उन्‍होंने जीते हैं। 2012 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे, तब भाजपा के दिग्‍गज नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हराया था। 2017 में पाला बदलकर भाजपा से चुनावी मैदान में कूदे और दोबारा जीत दर्ज की। 2017 विधानसभा चुनाव में उमेश शर्मा काऊ को रिकॉर्ड 59764 वोट मिले थे। उन्‍होंने कांग्रेस के प्रत्‍याशी प्रभु लाल बहुगुणा को 36771 वोट से हराया था। बहुगुणा को 22993 वोट ही मिल सके थे। वहीं 2012 में उमेश शर्मा काऊ को 29900 वोट मिले थे। भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत को मात्र 474 वोट से पीछे रह गए थे, उन्‍हें 29426 मत प्राप्‍त हुए थे।

प्रदेश भाजपा चुनाव प्रभारी ने की सीएम धामी की प्रशंसा, दिया जीत का श्रेय

सीएम पुष्कर सिंह धामी भले ही खुद अपना चुनाव हार गए हैं। लेकिन भाजपा की नजरों में उनकी कीमत कम नहीं हुई है। भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी ने पार्टी की सत्ता में वापसी का पूरा श्रेय सीएम धामी को ही दिया है। धामी की इस तरह की सार्वजनिक तारीफ से साफ लग रहा है कि पार्टी की नजरों में उनकी कीमत कम नहीं हुई है। जोशी के इस बयान के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि आने वाले दो-चार दिनों में इस तारीफ का मकसद सामने आ जाएगा। एक विधायक कैलाश गहतौड़ी ने धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने का एलान भी कर दिया है।
खटीमा सीट पर अपना चुनाव कुछ हद तक फंसे होने की जानकारी के बाद सीएम धामी ने पूरे प्रदेश में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार और जनसभाएं कीं। सीएम धामी प्रदेश भाजपा के अकेले ऐसे नेता रहे जिन्होंने पूरे उत्तराखंड का दौरा किया और भाजपा को वोट देने की अपील की। बाकी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और अन्य मंत्रीगण तो अपनी सीट से बाहर झांक भी नहीं सके। मतदान के बाद भी धामी भाजपा की बहुमत से सरकार बनाने का लगातार दावा करते रहे। गुरुवार को नतीजा सामने आया तो साफ हुआ कि भाजपा ही सरकार बनाने जा रही है।
अपनी हार की सूचना के बाद भी धामी सक्रिय रहे। भाजपा प्रदेश कार्यालय में हुई प्रेस कांफ्रेंस में भी उन्होंने शिरकत की। इस मौके पर प्रदेश चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने धामी के हार के घाव पर अपने लफ्जों से मरहम लगाई। उन्होंने कहा कि धामी की मेहनत और उनके छह माह के अल्प कार्यकाल की बदौलत ही भाजपा एक मिथक को तोड़ते हुए फिर से सरकार बनाने जा रही है।
सीएम धामी की इस तारीफ के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या इस ताऱीफ में कोई संदेश छुपा है। भाजपा अपनी दम पर सरकार बनाने जा रही है। ऐसे में उसे बसपा या किसी निर्दलीय विधायक की जरूरत नहीं है। ऐसे में भाजपा हाईकमान मुख्यमंत्री के बारे में कोई भी निर्णय आसानी से ले सकता है। अब यह आने वाले चंद रोज में ही साफ होगा कि भाजपा ने सीएम धामी के लिए क्या सोचा है।
इधर, चंपावत से चुनाव जीतने वाले विधायक कैलाश गहतोड़ी ने कहा कि चुनाव में जीत धामी की वजह से ही हुई है। उनके विधायक बनने के लिए वे अपनी सीट से इस्तीफा देने को तैयार हैं। माना जा रहा है कि विधायक का यह बयान भी भाजपा की रणनीति का ही एक हिस्सा है।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष यशपाल से मिले पूर्व स्पीकर कुंजवाल, हरीश रावत को लेकर कही ये बड़ी बात


पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। इस दौरान बातचीत में कुंजवाल ने कहा कि पूर्व सीएम और कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत के पास राज्य के विकास को लेकर सोच और ठोस विजन है।

उत्तराखंड के हित के लिए वह हमेशा आगे रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश की जनता भी उन्हें ही चाहती है। आम लोगों से लेकर कार्यकर्ताओं तक की नजर में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर हरदा ही पहली पसंद हैं। चुनाव से पूर्व हुए तमाम सर्वे में वह सबसे आगे दिखे। इसलिए कांग्रेस की सरकार बनने पर उत्तराखंड की कमान हरीश रावत को ही मिलनी चाहिए।

पोस्टल बैलेट संबंधी वीडियो की शिकायत भाजपा पहले ही कर चुकी है, कांग्रेस भ्रम न फैलायेः डॉ. देवेंद्र भसीन

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ देवेंद्र भसीन ने कहा कि विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने वाली है इसलिए कांग्रेस जिसे विपक्ष में ही बैठना ह। नेता प्रतिपक्ष चुनने पर ध्यान दे तो बेहतर होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि हरीश रावत पोस्टल बैलट संबंधी जिस वीडियो को वायरल कर रहे हैं उसके बारे में भाजपा पहले ही डीडीहाट में कर चुकी है। अतः कांग्रेस इस मामले में भ्रम न फैलाए।

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉक्टर देवेंद्र भसीन ने कहा कि विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की भारी बहुमत से विजय होना तय है और सारे मिथक तोड़ते हुए प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनने वाली है। ऐसे में कांग्रेस का विपक्ष में बैठना तय है। उन्होंने कांग्रेस को सलाह दी कि वह मुख्यमंत्री पद को लेकर आपस में लड़ने के बजाय नेता प्रतिपक्ष को लेकर विचार करें तो बेहतर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वैसे कांग्रेस के लिए यह काम भी मुश्किल है, क्योंकि कांग्रेस के कई बड़े नेता अपने विधानसभा क्षेत्रों में हारने की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में चल रहा अंतर्द्वंद फिर एक बार जनता के बीच में आ गया है।

उन्होंने आगे कहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा की विजय और कांग्रेस की पराजय को कांग्रेस नेता भी इस बात को अंदर से महसूस कर रहे हैं। इसीलिए अब कांग्रेस चुनाव में हार को लेकर बहाने खोज रही है। इसी के चलते कांग्रेस द्वारा कभी ईवीएम पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं तो कभी पोस्टल बैलट पर। जनता अपने निर्णय दे चुकी है जो भाजपा के पक्ष में रहने वाला है।

यूकेडी प्रत्याशी मोहित डिमरी ने चुनाव में किया भ्रामक, खुद पर हमले की झूठी कहानी रची

14 फरवरी को हुए मतदान से दो दिन पहले आई एक खबर ने सबको चौंका दिया। 12 फरवरी की रात ये खबर आई की रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) से उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशी मोहित डिमरी पर अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया है। इसमें मोहित डिमरी को चोटें भी आई औऱ उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। लेकिन इस मामले की (Police says attack on Mohit Dimri was fake and scripted) जांच के बाद पुलिस का कहना है कि हमले की यह पूरी कहानी फर्जी है औऱ मोहित डिमरी द्वारा चुनाव में फायदा लेने के लिए यह स्वांग रचा गया।

रुद्रप्रयाग पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने बताया कि 12 फरवीर को हमले की सूचना मिलते ही पुलिस हरकत में आ गई थी। पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाकर उनके बयान लिए गए और मामले की जांच शुरू हुई। कॉल डिटेल्स, सीसीटीवी फुटेज खंगालने और तमाम जांच के बाद ये सामने आया कि हमले की कहानी फर्जी थी। मोहित डिमरी और उनके साथियों ने चुनाव में फायदा लेने के लिए ये स्वांग रचा था।

पुलिस के मुताबिक विवेचनात्मक कार्यवाही में यह बात स्पष्ट रूप से सामने आयी है कि, उस दिन पुलिस को जो भी सूचना दी गयी थी, भ्रामक दी गयी थी, वास्तव में ऐसी कोई घटना घटित ही नहीं हुई थी। विवेचनात्मक कार्यवाही के दौरान सीसीटीवी फुटेज एवं कॉल डिटेल्स इत्यादि का गहरायी से विश्लेषण किया गया, जो लोग उस समय वहां पर मौजूद थे या जो भी इनके साथ कार में थे, तथा जो इनको लेकर निजी चिकित्सालय ले गये थे, सभी के बयानों के आधार पर यह बात सामने आयी है कि, इनके द्वारा चुनाव में फायदा लेने व सहानुभूति प्राप्त करने के इरादे से झूठी सूचना पुलिस को दी गयी थी, और एक ऐसा अपराध का घटनास्थल एवं वातावरण तैयार किया गया था, जिसमें इनके द्वारा खुद ही अपने वाहन के शीशे पत्थर से तोड़े गये तथा अपने पर कुछ हल्की चोटें लगवाईं गयी। और उस दिन इस घटनाक्रम को काफी बढ़ा-चढ़ा कर विभिन्न सोशल मीडिया एवं मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से प्रस्तुत कराया गया था। इस सम्बन्ध में पुलिस के स्तर से रिपोर्ट न्यायालय में प्रेषित की जा रही है तथा न्यायालय के आदेश से इस सम्पूर्ण घटनाक्रम में संलिप्त लोगों के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही अमल में लायी जायेगी।

उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष के आदेश पर स्ट्रांग रूम के बाहर ईवीएम की सुरक्षा में तैनात कांग्रेस कार्यकर्ता

विधानसभा चुनाव के नतीजे तो 10 मार्च को आएंगे, मगर कांग्रेस को ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की चिंता सता रही है। यहां तक की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कार्यकर्ताओं को यहां तक आदेश तक दिया है कि ईवीएम मशीन की सुरक्षा में जुट जाएं। इसका असर अब दिखने भी लगा है स्ट्रांग रूम मे बाहर कांग्रेस के सिपाही अब तंबू लगाकर निगरानी करने में जुट गए है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ईवीएम की सुरक्षा पर उठाए थे। पार्टी अध्यक्ष गणेश गोदियाल जिलाध्यक्षों और कार्यकर्ताओं से सर्तक रहने की अपील कर चुके हैं। निर्वाचन आयोग ने ईवीएम की सुरक्षा के मद्देनजर त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की है। इसके बावजूद भी कांग्रेस को ईवीएम से छेड़छाड़ का डर सता रही है। इसी कड़ी में कार्यकर्ता स्ट्रॉन्गरूम के बाहर डेरा डाले हुए हैं। रुद्रपुर से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जहां कांग्रेस कार्यकर्ता ईवीएम की निगरानी के लिए तंबू लगाकर रह रहे हैं। खासतौर से कार्यकर्ता खटीमा विधानसभा के स्ट्रॉन्गरूम के बाहर कड़ा पहरा दे रहे हैं।

इसके लिए कार्यकर्ताओं की बकायदा शिफ्ट लगाई गई है। दिन में तीन शिफ्ट में कार्यकर्ता तंबू में रह रहे हैं। औऱ ईवीएम की निगरानी कर रहे हैं। यहां अपने मोबाइल लैपटॉप के जरिए जानकारी अपने आलाकमान को दे रहे हैं।

प्रदेश में हरीश रावत का सीएम बनाए जाने को लेकर कोई विरोध नहींः यशपाल आर्य

अभी मतगणना हुई नहीं है और ना ही यह तय हो पाया है कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी लेकिन कांग्रेस में अभी से मुख्यमंत्री को लेकर जिस तरीके से रस्साकशी चल रही है उसने राजनैतिक पारा गरम कर दिया है हरीश रावत प्रदेश में मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो बाकी हरीश रावत का विरोध कर रहे हैं वही पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने सीधे तौर पर हरीश रावत को ही सीएम बनाए जाने की पैरवी की है

मतदान खत्म होने के बाद कांग्रेस सरकार बनाने के दावे कर रही है. अभी से मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस में बयानबाजी शुरू हो गई हैं. पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा है कि वह या तो मुख्यमंत्री बनेंगे या घर बैठेंगे. इस पर कांग्रेस के ही नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. हरीश रावत के इस बयान पर कांग्रेस नेता यशपाल आर्य ने कहा कि हरीश रावत का कोई भी विरोध नहीं है. हालांकि अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को करना है.

गौर हो कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि जो भी कांग्रेस हाईकमान आदेश करेगा उसका पालन किया जाएगा. वहीं हरीश रावत के करीबी और पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा है कि हरीश रावत उत्तराखंड का बड़ा चेहरा हैं और हरीश रावत बड़ा नाम हैं. उत्तराखंड के निर्माण में और उत्तराखंड के विकास में हरीश रावत का बड़ा योगदान है. हरीश रावत चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष भी थे. उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था. साथ ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. ऐसे में हरीश रावत का कोई भी विरोध नहीं है.

यशपाल आर्य ने कहा है कि कांग्रेस में परंपरा है कि विधायक दल की बैठक होगी. उसमें केंद्रीय हाईकमान अंतिम निर्णय लेता है और सभी उस निर्णय का आदर करते हैं. लेकिन अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को करना है. उन्होंने कहा कि हरीश रावत का स्वभाव नहीं है कि वह घर बैठ सकें. हरीश रावत इस उम्र में भी पहाड़ से लेकर मैदान तक पार्टी और लोगों के लिए लगातार काम कर रहे हैं. प्रीतम की नाराजगी पर उन्होंने कहा कि हरीश रावत का कोई विरोध नहीं है.

यशपाल आर्य इसलिए कर रहे हरीश रावत का समर्थन
हरीश रावत के साथ यशपाल आर्य की गणित सही बैठती है. हालांकि 2016 में यशपाल आर्य हरीश रावत सरकार को मझधार में छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. बीजेपी सरकार में करीब पांच साल कैबिनेट मंत्री बने रहे. ठीक चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर बेटे संजीव आर्य के साथ कांग्रेस में वापसी की. लेकिन यशपाल आर्य ने बीजेपी सरकार में रहते हुए कभी कांग्रेस या कांग्रेस के नेताओं के लिए कोई विरोधी बयानबाजी नहीं की थी. इसलिए जब उन्होंने बीजेपी छोड़ी तो उन्हें तुरंत कांग्रेस में ले लिया गया था. उनको और उनके बेटे को टिकट भी मिल गया. शायद यही कारण है कि यशपाल आर्य मुख्यमंत्री पद के लिए हरीश रावत का समर्थन कर रहे हैं.

भीतरधात वाली बात विधायक सार्वजनिक न कहें, पार्टी स्तर पर रखेंः धामी

मतदान के बाद से ही भाजपा के कई नेता भीतरघात होने की आशंका जता रहे हैं। संजय गुप्ता, हरभजन चीमा, कैलाश गहतोड़ी, केदार सिंह रावत के बाद अब कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने भी भीतरघात की आशंका जताई है। लेकिन मुख्यमंत्री धामी ने भीतराघात की बात उठाने वाले विधायकों को नसीहत दी है कि वे ऐसी बातें सार्वजनिक रूप से न कहकर पार्टी फोरम में रखें।

दरअसल संजय गुप्ता ने सबसे पहले लक्सर में भितराघात की बहात उठाई थी। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पर ही गद्दारी करने का आरोप लगाया था। इसके बाद काशीपुर विधायक हरभजन चीमा, चंपावत से कैलाश गहतोड़ी, यमुनोत्री से केदार सिंह रावत ने भी भितराघात के मुद्दे को हवा दे दी। अब कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने भी कहा है कि राज्य की कई विधानसभा सीटों पर पार्टी को कड़ा मुकाबला मिल सकता है और जिन सीटों पर पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठन के अधिकारियों ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है, उन लोगों पर आलाकमान को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। चुफाल ने कहा कि उनकी सीट डीडीहाट में भी भितरघात हुआ है, लेकिन इससे उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं होगा। चुफाल का कहना है कि चुनावों में कुछ कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने पार्टी के खिलाफ काम किया और हाईकमान को चाहिए कि ऐसे नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भीतरघात पर आवाज उठा रहे विधायकों को नसीहत दी है। कहा कि प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा पुनः सरकार बनाने जा रही है। पार्टी के भीतर किसी भी तरह की नाराजगी नहीं है। विधायक भीतरघात की बात सार्वजनिक न कहकर पार्टी स्तर पर रखें।

कांग्रेस के पोस्टल मतों में धांधली के आरोपों को भाजपा ने नकारा

भाजपा ने पोस्टल वैलेट में कांग्रेस के आरोपों को शिरे से ख़ारिज करते हुए इसे कांग्रेस की बौखलाहट बताया। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि नतीजे आने से पहले कांग्रेस असहज और घबराई हुई है। इसी लिए अपनी खराब स्थिति को देखते हुए अब तमाम तरह के बयांन और आरोप प्रत्यारोप लगा रही है। निर्वाचन आयोग ने राज्य में निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराया है और दिव्यांग तथा बुजुर्गाे के मत के लिए भी बेहतर व्यवस्था की थी, लेकिन कांग्रेस को किसी न किसी तरह बस अपनी सुविधा के अनुसार मीन मेख निकालने की आदत है। कहा कि कभी ईवीएम तो कभी पोस्टल बैलेट, पोलिंग या अन्य तरह से मशीनरी के दुरूपयोग जैसे आरोप लगाकर कांग्रेस हताशा में है।

कहा कि कांग्रेस इस समय भ्रामक स्तिथि से गुजर रही है। पूर्व सीएम हरीश रावत खुद मुख्यमंत्री की दौड़ में बने रहने को लेकर समर्थन जुटाओ अभियान में जुटे हैं तो प्रीतम सिंह पार्टी के घोषणा पत्र के ऑपरेशन में लगे है तो वही प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल अब पोस्टल वैलेट का नया राग अलाप रहे हैं। किसी को मतगणना तक सब्र नहीं है। हालांकि जिस तरह से बौखलाहट कांग्रेस में दिख रही है उससे उसे हार का डर सता रहा है।

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