मुख्यमंत्री ने कहा-पर्यावरण दिवस मात्र एक दिन नही मनाया जाये, प्रतिदिन प्रकृति का संरक्षण करने पर दिया जोर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं वन मंत्री सुबोध उनियाल ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास के समीप वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्कूल के छात्र-छात्राओं को जूट के बैग भी प्रदान किये।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर घोषणा की कि राज्य के चार जनपदों देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर एवं नैनीताल में 50-50 किमी के साईकिल ट्रैक बनाये जायेंगे एवं 9 जनपदों में यथा संभव साईकिल ट्रैक बनाये जायेंगे। राज्य में स्प्रिंग व रिवर रिजुवनेशन बोर्ड बनाया जायेगा। सभी 13 जनपदों में स्वच्छता के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाली एक-एक ग्राम पंचायत को पुरस्कृत किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री आवास से वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारियों की बैठक लेते हुए निर्देश दिये कि जनपदों में पर्यावरण संरक्षण के लिए नियमित जन जागरूकता अभियान चलाये जाए और इस दिशा में विभिन्न विभागों के माध्यम से लगातार कार्य किये जाएं। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण एवं स्वच्छता अभियान के लिए जन सहयोग भी लिया जाए। उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध जल, हवा, मिट्टी एवं पर्यावरण मिले, इसके लिए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सभी को ध्यान देना होगा। वैश्विक तापमान में वृद्धि एवं जल स्तर का नीचे जाना सभी के लिए चिंता का विषय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे प्रदेश का अधिकांश क्षेत्र वनों से आच्छादित है, वनों के संरक्षण के लिए हमें इससे होने वाले फायदे को लोगों की आजीविका से जोड़ना होगा जिससे इकोलॉजी पर आधारित रोजगार को बढ़ाना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मिट्टी को बचाने के लिए हमें 5 प्रमुख बातों पर फोकस करना होगा। मिट्टी को केमिकल फ्री कैसे बनाएं। मिट्टी में जो प्राकृतिक जैविक खाद के रूप में काम आने वाले जीव रहते हैं, हम उन्हें कैसे बचाएं। मिट्टी की नमी को कैसे बनाए रखें और उस तक जल की उपलब्धता कैसे बढ़ाएं। भूजल कम होने की वजह से मिट्टी को जो नुकसान हो रहा है, उसे कैसे दूर करें। वनों का दायरा कम होने से मिट्टी का जो लगातार क्षरण हो रहा है, उसे कैसे रोकें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने का बहुत बड़ा अभियान चलाया, जिससे किसानों को काफी लाभ हुआ। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश में पिछले 9 साल से जो भी प्रमुख विकास योजनाएं संचालित हो रही हैं, उन सभी में किसी न किसी रूप से पर्यावरण संरक्षण की बात होती है, स्वच्छ भारत मिशन, अमृत मिशन के तहत शहरों में आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण, सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान हो या फिर नमामि गंगे के तहत गंगा स्वच्छता का अभियान हो, पर्यावरण रक्षा के क्षेत्र में हमारे देश के प्रयास बहुआयामी रहे हैं। जल संरक्षण की दिशा में देशभर में अमृत सरोवर की शुरुआत की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रदेश के लिए गर्व का विषय है कि राज्य को जो 975 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य मिला था, उसके सापेक्ष अब तक करीब 1092 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। यह चुनौती पूरे विश्व की है। उन्होंने कहा कि जिस तेज गति से भौगोलिक एवं जलवायु परिवर्तन हो रहा है, यह चिंता का विषय है। राज्य में पर्यटन आधारित गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं, इसके दृष्टिगत भी हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक वृक्षारोपण एवं स्वच्छता की दिशा में और प्रयास करने होंगे। जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में विशेष प्रयास करने होंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए जन सहभागिता को बढ़ाना होगा, इसमें जनपदों में जिलाधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि वन सम्पदाओं को लोगों की आजीविका से जोड़ना जरूरी है। वन पंचायतों को मजबूत बनाना जरूरी है, लाखों लोग इससे जुड़े होते हैं।
बैठक के दौरान जिलाधिकारियों ने जनपदों में पर्यावरण संरक्षण के लिए किये जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी। बैठक शुरू होने से पूर्व उड़ीसा के बालासोर में हुई रेल दुर्घटना में मृतकों के प्रति शोक संवेदना प्रकट करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव वन आर. के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित रहे।

सचिवालय एवं विधानसभा को प्लास्टिक मुक्त बनाया जायेगा-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय के निकट कैंट रोड पर वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की शपथ भी दिलाई। कार्यक्रम में वन मंत्री सुबोध उनियाल एवं पर्यावरणविद्, पद्मभूषण प्राप्तकर्ता डॉ. अनिल प्रकाश जोशी भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखण्ड पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘‘एनुअल वाटर क्वालिटी रिपोर्ट 2021‘‘ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि चंपावत को वोकल फॉर लोकल आधारित आर्थिकी एवं पारिस्थितिकी के रूप में खड़ा किया जायेगा, ताकि हिमालय के लिए यह एक मॉडल बन सके। उन्होने कहा कि सचिवालय एवं विधानसभा को प्लास्टिक मुक्त बनाया जायेगा। प्लास्टिक मुक्ति का अभियान निरन्तर चलाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी शहरों में स्वच्छता अभियान चलाया जाए। देहरादून से इसकी शुरुआत की जाए, उसके बाद अन्य शहरों में स्वच्छता के अभियान चलाये जाए। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रत्येक जनपद में 75 आर्द्रभूमियों की पहचान कर उनका जीर्णाेद्धार करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा, पर्यावरण पर्यटन की दिशा में भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी विशेष ध्यान रखें कि जनपदों के दुर्गम क्षेत्रों में मार्गों की कनेक्टिविटी अच्छी हो, कनेक्टिविटी की छोटी-छोटी योजनाओं को प्राथमिकता पर रखा जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड को प्रकृति का वरदान है। हमारा प्रदेश जैव विविधताओं वाला प्रदेश है। पर्यावरण का संरक्षण करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें पर्यावरण मॉडल की दिशा में कार्य करना होगा। हमारी आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध जल, हवा, मिट्टी एवं पर्यावरण मिले, इसके लिए पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण पर सभी को विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि तापमान में वृद्धि एवं जल स्तर का नीचे जाना चिंता का विषय है। जल संचय एवं जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में कार्य किये जाएं। जल संरक्षण की दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा देशभर में अमृत सरोवर की शुरुआत की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘‘केवल एक पृथ्वी’’ है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी ने हमको सब कुछ दिया है। हमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना होगा। जीडीपी के साथ जीईपी का आकलन करना जरूरी है।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्वतीय राज्य होने के कारण पर्यावरण संरक्षण के लिए सबको अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। जंगल हमें विरासत में मिला है। इनके संरक्षण के लिए हमें इनको लोगों की आजीविका से जोड़ना होगा। इकोलॉजी बेस एम्प्लॉयमेंट को जनरेट करना होगा। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण और उनके संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। वृक्षारोपण एवं उनके संरक्षण के लिए हर विभाग को अलग-अलग क्षेत्र क्षेत्र देकर उनकी जिम्मेदारी तय करनी होगी। वन पचायतों को मजबूत करने के साथ ही उनको आजीविका से जोड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विकास सतत चलने वाली प्रक्रिया है। विकास एवं पर्यावरण में संतुलन बनाये रखना जरूरी है।
पर्यावरणविद्, डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य को इकोलॉजी और इकोनॉमी से जोड़कर आगे बढ़ाना चाहते हैं, यह एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बहुत जरूरी है। उत्तराखण्ड देवभूमि है और देवों का हमेशा प्रकृति से जुड़ाव रहा है। उन्होंने कहा कि तापमान वृद्धि से ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, चिंताजनक है। राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए निरन्तर प्रयोग होने चाहिए।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, निदेशक पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड श्री एस.के सुबुद्धि, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी व जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।

जलवायु परिवर्तन संबंधी कार्यों को मुख्यधारा में लाने हेतु क्लाईमेंट बजटिंग प्रारंभः तीरथ सिंह रावत

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अपने जीएमएस रोड स्थित भागीरथीपुरम आवास पर पौधारोपण किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जामुन का पेड़ लगाया।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर घोषणा की है कि राज्य में स्थित समस्त गांवों एवं गांवों के आस-पास के क्षेत्र में स्थित तालाबों-जल निकायों, जो राजस्व अभिलेखों में दर्ज हैं, उन सब का अगले 01 वर्ष में पुनर्जीवन किया जायेगा तथा वित्तीय वर्ष 2022-23 में जलवायु परिवर्ततन सम्बन्धी कार्यों को मुख्यधारा में लाने हेतु राज्य में क्लाईमेंट बजटिंग प्रारम्भ किया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की कि प्रत्येक व्यक्ति एक-एक पौधारोपण कर पर्यावरण के संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। पर्यावरण की सुरक्षा आम आदमी के जीवन से जुड़ा विषय है। पर्यावरण का संरक्षण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली है। इकोसिस्टम रेस्टोरेशन के तहत पेड़ लगाकर एवं पर्यावरण की रक्षा कर हमें प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम करने और इकोसिस्टम पर बढ़ते दबाव को कम करने की दिशा में विशेष ध्यान देना होगा।

मानव अस्तित्व के लिए सरला बहन ने दिया था प्रकृति संरक्षण का मंत्र

केशव भट्ट (वरिष्ठ पत्रकार)
जंगल में जानवरों को भेजने की जगह खेतों में चारा लगाओ। छोटे पेड़ बचाओ। पत्तियां न तोड़ो ,पेड़ों से प्रेम करो, प्रकृति की चाल के साथ चलो। पर्यावरण संरक्षण शब्द की रचियता और जिन्होंने अपना पूरा जीवन प्रकृति में आत्मसात करके जिया और प्रकृति पर आने वाले संकट के प्रति सचेत किया और दर्शन भी विश्व को प्रदान किया। शोर से दूर हिमालय के आगोश में शांत वातावरण में विश्व पर्यावरण के संरक्षण पर गहन चिंतन और मनन करने वाली सरला बहन के जन्मदिन 5 अप्रैल को उनकी कहीं और लिखी एक एक बात मार्ग दर्शक की तरह विकास की सही दिशा की ओर आज ही इशारा करती है।
गांधी जी ने कुछ सोच कर सरला बहन को कौसानी भेजा होगा। उनको सरला बहन में एक बड़ी संभावना दिखी होगी। सरला बहन ने कौसानी से ही स्त्री शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और जय जगत को सिद्ध करने के लिए अपना जीवन आहूत किया।
प्रथम विश्व युद्ध की विभीषिका और पागलपन को देख उन्होंने शांति और अहिंसा का मार्ग खोजने की अपनी यात्रा में गांधी जी को एक अडिग पड़ाव ही नही मंजिल के रूप में पाया। युद्ध और विकास के उफनते उन्मांद और युद्ध रोमांस से दुनिया विनाश की उस नाव में बैठी हुई है, जिसका चप्पू उनके हाथ के नियंत्रण से बेकाबू होने के कगार पर होता जा रहा है। प्रकृति की अपनी एक चाल होती है। सतत और निरंतर, कोई जल्दबाजी नही, उतावलापन नही जीत और हार की रेस से परे केवल चलते जाना ही है। गांधी ने इस चाल को अनुभव किया और उसकी चाल और उससे निकल रहे संगीत को समझा और उसकी चाल में कदम मिलाकर ग्राम स्वराज्य का मॉडल निर्मित किया। शिक्षा की नई तालीम में इन सब को पिरो दिया। प्रकृति ने जो दिया है, उसकी चाल के साथ सतत चला जा सकता है। प्रकृति के इर्द गिर्द ही मानव अपना विकास कर सकता है। मानव अस्तित्व के लिए प्रकृति का विनाश नही अपितु संरक्षण ही मंत्र हो सकता है। शिक्षा प्रकृति के अनुसार होनी चाहिए, उसके विरुद्ध नही। प्रकृति के परे कोई मार्ग हो ही नही सकता।
गांधी के जीवन दर्शन और जीवन ने ये सब एक सूत्र में सरला बहन ने विश्व को प्रदान किया। विश्व युद्ध की विभीषिका को देख कैथरीन, उनका असली नाम, संमझा की युद्ध जीतने वाला और युद्ध हारने वाला दोनों ही हारते है। केवल मानव के भीतर दम्भ और दूसरे को हराने का उन्माद जो विनाश का पर्याय है, ही जीतता है। आज ये सब हमारे सामने चरितार्थ हो रहा है।
सरला बहन के जन्मदिन पर उनकी हिमदर्शन की धार पर बैठना और प्रकृति के संरक्षण की गहन चिंतन करना मानव को एक दिशा प्रदान करता है। लक्ष्मी आश्रम का सतत परिवेश आज ही एक आशा प्रदान तो करता ही है। हालांकि विश्व में बेतरतीव भागता विकास सब कुछ लील लेने को अंधी दौड़ में चारो ओर भाग रहा है। उसकी अंधी दौड़ को रोक पाना संभव नही है। लेकिन गांधी के ग्राम स्वराज्य में अभी भी गांव को गांव बनाने की दिशा और मार्ग संरक्षित है। पुरखों की सतत और मेहनत के परिचायक खेत और गांव आज भी मानव सभ्यता को अमरता प्रदान करने की असीम क्षमता है।

सरला बहन ने लक्ष्मी आश्रम को एक मॉडल के रूप में विकसित किया। ये गांधी का ही जीवित मॉडल है। दूसरी और हिमदर्शन कुटीर को चिंतन स्थली के रूप में सरला बहन ने विश्व को प्रदान किया।
आज विकास के बेतरतीव मॉडल को मानव ही नही वन्य प्राणियों की सहज और नीरव जीवन शैली को भी प्रभावित किया है। विकास की तुरत गति ने सतत गति को बाधित ही किया है। वन्य प्राणियों का जंगल से बाहर आना इसका संकेत है। पर्यावरण संरक्षण ही इसका एक मात्र समाधान हो सकता है।
विश्व में जल संकट का गहराता भयावह रूप प्रकृति की चाल को बाधित करने वाले तुरत विकास का ही परिणाम है। मुट्ठी भर लोग दुनियां को तेजी से भागना चाहते है, इस भागमभाग में वो न जाने किस मंजिल को छूना चाहते है और पूरी मानव जाति को इस चाल में अपने अंधकूप में झोंकना चाह रहे है। ये आज प्रकृति के विनाश से संमझा जा सकता है। जब महानगर की चकाचैंध में सांस लेना कठिन हो जाती है, उस वक्त सब बेमानी लगता है। खाने के स्वाद में तेजी से आये बदलाव, विश्व में पिघलते ग्लेशियर, भारत में गंगा नदी समेत सारी नदियों को नालों में परिवर्तित होते देख प्रकृति की सतत चाल को समझना भी कहाँ रह गया है, संभव।
ये सब सहसा सरला बहन के जन्मदिन पर याद हो चला। कृत्रिम शोर से दूर प्रकृति के संगीत के साथ कैसे सुरताल मिल कर चला जा सकता है। ये सरला बहन के जीवन दर्शन और उनकी यादों में आज भी कौसानी के लक्ष्मी आश्रम और उनकी चिंतन स्थली हिमदर्शन में खोजा जा सकता है, बस प्रकृति की चाल के संग चलने मात्र से, जंगल के संगीत में सराबोर हुए, आज भी तमाम कोलाहल के बावजूद भी पक्षियों का कलरव ध्यान खींच ही लेता है। हिमालय की बर्फानी चोटियां अपनी ओर आकर्षित आज भी करती है। घाटियों से आती हवा एक संगीत ही तो है। घने जंगल में अनहद का संगीत तनिक एकाग्र होने से सुना जा सकता है। आज भी सूर्यास्त की लालिमा, रात का सन्नाटा, चन्द्रमा का प्रकाश अपने होने का अहसास छोड़ ही जाता है। ये सब सतत और निरंतर ही है। तुरत विकास की अवधारणा से ये कब तक रहेगा, इस पर चिंतन तो करना ही होगा, ये तय है।

पर्यावरण की सुरक्षा होगी तो प्राकृतिक आपदाओं से मिलेगा छुटकाराः महापौर अनिता ममगाईं

विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ नगर निगम प्रशासन ने निगम जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय पार्क में पौधारोपण किया। महापौर अनिता ममगाई की अगुवाई में आज सुबह निगम पार्षदों ने निगम वाटिका में विभिन्न फलदार और औषधीय पौधे रोंपे। इस अवसर पर महापौर ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के अभाव में पृथ्वी कई रूप में प्रभावित हो रही है। पृथ्वी का प्रभावित होना जन जीवन के लिए घातक सिद्ध होने लगा है। जिसका ज्वलंत उदाहरण जल संकट के रूप में देखने को मिल रहा है। यदि पृथ्वी पर जल संकट गहराता रहा तो मानव सहित सभी जीव जंतु खतरे में पड़ जाएंगे। जल के अभाव में सुरक्षित जीवन की कल्पना यथोचित नहीं होगा। अर्थात हमें पृथ्वी पर पेड़ पौधों की संख्या बढ़ानी होगी और पर्यावरण की सुदृढ़ता कर कार्य करने होंगे।
महापौर ममगाई ने कहा कि दुनिया और देशभर में कोविड-19 के कहर के कारण मचे हाहाकार के बीच इससे निपटने के लिए लगाये गये देशव्यापी लॉकडाउन ने इंसान को जहां बंदिशों में रखा। वहीं प्रकृति को फिर से सजने और संवरने का मौका मिला है। लॉकडाउन प्रकृति के लिए नायाब तोहफे की तरह आया जिसमें विभिन्न प्रकार के प्रदूषण पर लगी रोक ने पयार्वरण को खुद से खुद को ठीक करने का मौका दिया। उन्होंने पौधारोपण कार्यक्रम में मौजूद सभी से पर्यावरण पहरी के तौर पर कार्य करने का आह्वान भी किया। इस दौरान पार्षद विजय बडोनी, विजेंद्र मोगा, सुजीत यादव, विपिन कुकरेती, हर्ष गवाढ़ी, शिवम गर्ग, सफाई निरीक्षक अभिषेक मल्होत्रा, हवलदार नरेश खैरवाल, राजेंद्र बाल्मीकि, मुकेश खैरवाल आदि शामिल थे।

मुख्यमंत्री ने निर्देश, गैरसैंण ई-विधानसभा बनने की ओर

ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जायेगा। पर्यावरण का संरक्षण हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति एवं जैव विविधता को बनाये रखने के लिए हमें जनभागीदारी से प्रयास करने होंगे। यह बात मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सचिवालय में सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियों कांफ्रेंसिंग के दौरान कही। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और मानव के बीच कैसे संतुलन बना रहे, इस दिशा में अनुसंधान की आवश्यकता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड राज्य की पर्यावरण रिपोर्ट की बुक का विमोचन भी किया।

गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जायेगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जायेगा। उत्तराखण्ड सरकार ने ई-कैबिनेट की शुरूआत की है। हमने अपने ऑफिसों को ई-ऑफिस बनाने का निर्णय लिया। अभी 17 कार्यालय, ई-ऑफिस हो गये हैं। प्रयास है कि राज्य के ब्लॉक स्तर तक जितने भी कार्यालय हैं, इनको ई-ऑफिस बनाया जाय।

हरेला पर्व पर फिजीकल डिस्टेंस रखते हुए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला पर्व पर फिजीकल डिस्टेंस का पालन करते हुए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया जायेगा। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि हरेला पर्व पर वृक्षारोपण के लिए जन सहभागिता पर विशेष ध्यान दिया जाय। किसी भी अभियान को सफल बनाने के लिए जन सहयोग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी अपने जनपदों में नदियों, नौलों, एवं जल के स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में कार्य करें। राज्य सरकार ने मिशन रिस्पना टू ऋषिपर्णा एवं कोसी के पुनर्जीवन का लक्ष्य रखा है। रिस्पना नदी के लिए आईआईटी रूड़की ने प्रोजक्ट रिपोर्ट तैयार की है। इस अभियान के तहत मिशन मोड में कार्य किया जायेगा।

भारत में जैव विविधता को बनाये रखने में उत्तराखण्ड का अहम योगदान
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि भारत में जैव विविधता को बनाये रखने में उत्तराखण्ड का महत्वपूर्ण योगदान है। उत्तराखण्ड में देश की 28 प्रतिशत जैव विविधता पायी जाती है। यहां की जैव विविधता का प्रभाव भारत ही नहीं अपितू सम्पूर्ण विश्व पर पड़ता है। प्रकृति हमें सब कुछ देती है। मानव को प्रकृति के साथ पूरा संतुलन बनाकर आगे बढ़ना होगा। पर्यावरण संतुलन के लिए लोगों में सजगता होना बहुत जरूरी है। हम छोटे-छोटे प्रयासों से भी इस दिशा में अपना योगदान दे सकते हैं। हम भावी पीढ़ी को कैसा पर्यावरण देना चाहते हैं, यह हम पर निर्भर है।

बैठक में जानकारी दी गई कि झाझरा, देहरादून में ‘आनंद वन’ के नाम से सिटी फॉरेस्ट विकसित किया जा रहा है। उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रत्येक जनपद के लिए जनपद स्तरीय प्रदूषण नियंत्रण मैनेजमेंट प्लान बनाया जा रहा है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम जैव विविधता है। बैठक में मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, प्रमुख सचिव वन आनन्द वर्द्धन, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, निदेशक उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एस.पी. सुबुद्धि आदि उपस्थित थे।

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