सीएम त्रिवेंद्र ने किसानों से कालावासा की खेती करने का किया आह्वान

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जनपद उत्तरकाशी के विकास खण्ड डुण्डा के ग्राम चकोन धनारी में 25 लाख लागत की 25 किलोवाट क्षमता की पिरूल से विद्युत उत्पादन की पहली परियोजना का लोकार्पण किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पर्यावरणीय चक्र को आग से बचाने के लिए यह परियोजना बेहद उपयोगी होगी। जंगलों में आग लगने के कारण जहां अनेक पेड, औषधीय पौधे, वनसपत्तियां नष्ट हो जाती थी वहीं बड़ी संख्या में जंगली जानवर भी प्रभावित होते हैं।

पिरूल से विद्युत उत्पादन परियोजना के बनने से वनों एवं जीव जन्तुओं को आग से सुरक्षा होगी तथा इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होगें। अभी राज्य को 1 हजार करोड़ की बिजली क्रय करनी पड़ रही है, इस प्रकार की परियोजना के बनने से राज्य को आर्थिक मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में 23 लाख मिट्रीक टन सालाना पिरूल उत्पादन होता है, जिससे लगभग 200 मेगावाट बिजली उत्पादित की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में कालावासा काफी मात्रा में पाया जाता है। इसमें औषधीय तत्व विद्यमान हैं। यह विकरण किरणों से भी बचाता है तथा एंटीबायटिक हैं। मुख्यमंत्री ने किसानों से कालावासा की खेती करने का आहवान किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सीमान्त क्षेत्रों में नेटवर्किंग की समस्या को देखते हुए 250 सेटेलाईट फोन दिये गए है ताकि सीमान्त वासियों को नेटवर्क को लेकर कोई समस्या न हो। इसी तरह प्रदेश भर में जहां कनेक्टिविटी नहीं है तथा टावर लगाये जाने हैं वहां टावर लगाने के लिए सरकार द्वारा 40 लाख रूपये स्वीकृत किये हैं। सीमान्त वासियों की समस्याओं के निस्तारण के लिए बीएडीपी की तर्ज पर मुख्यमंत्री सीमान्त क्षेत्र विकास निधि में इस वर्ष 20 करोड़ रूपये की व्यवस्था की गई है, ताकि उनकी समस्याओं को हल किया जा सके। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सामरिक दृष्टि से सीमान्त क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय का होना अति आवश्यक है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश में जल जीवन मिशन के अन्तर्गत हर घर नल द्वारा जल देना है। इस वर्ष में 10 लाख लोगों को पानी का कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। इस हेतु हर जिले की दैनिक रूप से मॉनिटरिंग की जा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 14 लाख कनेक्शन दिये जाने है। वर्तमान में तीन माह के भीतर 51 हजार कनेक्शन दिये जाने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें आज तक 67 हजार कनेक्शन दिए जा चुके हैं।

अटल आयुष्मान योजना के अन्तर्गत अब तक 2 लाख लोगों ने इसका लाभ लिया है। तथा देश भर में 22 हजार अस्पतालों में गोलडन कार्ड से 5 लाख रूपये तक का ईलाज निःशुल्क करवा सकते हैं। इस योजना के अन्तर्गत 23 लाख लोगों को जोड़ा गया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में तीन मेडिकल कालेज उद्यमसिंह नगर, हरिद्वार, व पिथोरागढ़ की स्वीकृति मिल चुकी है। जिसका शीघ्र ही निर्माण कार्य करवाया जाएगा। मेडिकल कालेज के क्षेत्र में उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य हैं जहां छोटी सी आबादी में 6 मेडिकल कालेज होगें। किसानों को पहले 2 लाख तक बिना ब्याज के ऋण दिया जाता है अब यह बढ़ाकर 3 लाख रूपये कर दिये है।

मुख्यमंत्री ने धनपति व इन्दिरावती नदी में बाढ़ सुरक्षा कार्य धन स्वीकृत व सौरा-सारी-पिलंग-बुढ़ाकेदार-पवाली केदारनाथ 45 किमी. सड़क स्वीकृत करने की घोषणा की। गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र का आभार जताया। उन्होंने कहा कि जनपद में सोलर व पिरूल प्लांट के स्थापित होने से यहां के स्थानीय लोगों को इससे रोजगार मिलेगा। उन्होंने नौजवानों से स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के नए आयाम विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गांव के नौजवान स्वरोजगार अपनाने के लिए आगे आयें तथा समूह बनाएं उन्हें सरकार की ओर से हर स्तर पर सहयोग करने की बात कही। गंगाड़ी पिरूल प्लांट के स्वामी महादेव सिंह गंगाड़ी ने भी मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।

लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी सहित सभी आरोपियों को बाबरी विध्वंस मामले में क्लीनचीट

आखिरकार 28 साल के लंबे इंतजार के बाद बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया। छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के आपराधिक मामले में सभी आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया गया है। सीबीआई न्यायधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। फैसला सुनाते वक्त सीबीआई की विशेष अदालत के जज ने कहा कि बाबरी विध्वंस की घटना कोई पूर्व नियोजित नहीं थी। मस्जिद को ढाए जाने की घटना आकस्मिक थी।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना में साजिश के प्रबल साक्ष्य नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं, कैसेट्स को सील नहीं किया गया और फोटोज की निगेटिव नहीं पेश की गई।

कोर्ट ने यह भी कहा कि 12 बजे विवादित ढांचा के पीछे से पथराव शुरू हुआ। अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं। कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था। बता दें कि किसी ने कोर्टरूम में किसी ने जय श्री राम के नारे भी लगाए।

फैसला कानून और हाईकोर्ट के खिलाफ
वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह फैसला कानून और हाईकोर्ट दोनों के खिलाफ है। जफरयाब जीलानी ने कहा कि विध्वंस मामले में जो मुस्लिम पक्ष के लोग रहे हैं उनकी तरफ से हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। उन्होंने कहा कि एलआईयू की रिपोर्ट में पहले से थी 6 दिसम्बर 1992 को अनहोनी की आशंका, लेकिन उसकी जांच नहीं की गई।

यह आरोपी हुए बरी
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश वर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण सिंह, कमलेश्वर त्रिपाठी, रामचंद्र, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमरनाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, स्वामी साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर। यह सभी आरोपी वर्तमान में जीवित है। अब वह आरोपी जो इस दुनिया में नहीं है। इसमें अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, विजयाराजे सिंधिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, डीबी राय (तत्कालीन एसएसपी), रमेश प्रताप सिंह, महात्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल शामिल है।

डोईवाला विस के लिए सीवर सफाई के लिए जेटिंग मशीनों की क्रय को स्वीकृति

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने डोईवाला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पेयजल नलकूपों में डी.जी. सेटों एवं सीवर सफाई हेतु जेटिंग मशीनों के क्रय की स्वीकृति प्रदान की है।
मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा क्षेत्र राजपुर के अन्तर्गत चक्खुवाला में निर्मित जर्जर पेयजल लाइनों के निर्माण व मरम्मत के लिये प्रथम चरण में 71.25 लाख की धनराशि स्वीकृत की है। किरसाली ऊषा कॉलोनी पेयजल योजना के प्रथम चरण हेतु भी मुख्यमंत्री द्वारा 37.72 लाख की धनराशि की स्वीकृति प्रदान की है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सुसवा जलागम क्षेत्र के अन्तर्गत रिसपना बिन्दाल तथा सौंग नदी के साथ ही कोसी एवं गोला नदी क्षेत्र में बाढ नियंत्रण से सम्बन्धित कार्य योजना तैयार करने हेतु 92.79 लाख की धनराशि स्वीकृत की है।

गांधी जयंती पर खादी वस्त्रों की बिक्री पर रहेगी 10 प्रतिशत की छूट
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गांधी जयन्ती के अवसर पर आगामी 02 अक्टूबर से 108 कार्यकारी दिवसों के लिये खादी वस्त्रों की बिक्री पर 10 प्रतिशत छूट दिये जाने तथा इस मद में अपेक्षित आवश्यक धनराशि की स्वीकृति प्रदान की है।

वन गूजरों के पुनवार्स हेतु समिति गठन की मुख्यमंत्री ने दी स्वीकृति
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वन गूजरों के पुनर्वास एवं उन्हें विधिक अधिकार आदि दिये जाने के सम्बन्ध में समिति गठित करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। समिति इस संबंध में 06 माह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। समिति के अध्यक्ष प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव होंगे तथा निदेशक राजाजी सदस्य सचिव होंगे। मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, निदेशक भारतीय वन्य जीव संस्थान एवं डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ द्वारा नामित प्रतिनिधि समिति के सदस्य होंगे।

प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के लाभार्थियों की संख्या की गई दोगुनी
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत प्राप्त होने वाले आवेदनों की बढ़ती संख्या के दृष्टिगत मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत स्वरोजगार योजनाओं के लिए व्यक्तिगत उपादान सब्सिडी की अनुमन्यता के लिए लाभार्थियों की संख्या 1500 से बढ़ाकर 3000 करने की स्वीकृति प्रदान की है। इस प्रकार अब यह संख्या दो गुनी कर दी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के कारण प्रदेश में लौटे प्रवासी प्रदेशवासियों को स्वरोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी जनपदों को लक्ष्य भी आवंटित किए गए हैं। इसके लिए एमएसएमई के साथ ही जिला योजनाओं में स्वरोजगार योजनाओं को भी सम्मिलित किया गया है।

सीएम त्रिवेंद्र ने जताया केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार, जानिए क्या है मामला…

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में चिन्हित रेलवे क्रॉसिंगों पर निर्मित होने वाले आर.ओ.वी-आर.यू.वी की 50 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार के बजाय केन्द्रीय सड़क अवस्थापना निधि से वहन किये जाने के प्रति केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी का आभार जताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे राज्य सरकार द्वारा व्यय किये जाने वाली बड़ी धनराशि राज्य के विकास में उपयोग की जा सकेगी। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री गडकरी को पत्र के माध्यम से स्थिति से अवगत कराते हुए इस हेतु राज्य सरकार द्वारा वहन की जाने वाली 50 प्रतिशत धनराशि को केन्द्रीय सड़क अवस्थापना निधि से वहन किये जाने का अनुरोध किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में रेलवे क्रॉसिंग पर अत्यधिक दुर्घटनायें घटित होती रहती हैं तथा रेलवे क्रॉसिंग पर यातायात का दबाव अधिक होने से दिन-प्रतिदिन जाम की समस्या उत्पन्न होती रहती है, जिससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि राज्य में रेलवे क्रॉसिंग पर होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव एवं जाम की समस्या को कम करने हेतु एक लाख से अधिक टी.यू.वी. वाले 09 लेवल क्रॉसिंग चिन्हित किये गये हैं।

राज्य की सीमित संसाधनों के कारण इन 09 लेवल क्रॉसिंग पर आर.ओ.बी.-आर.यू.बी बनाये जाने हेतु राज्य सरकार के सीमित वित्तीय संसाधनों के दृष्टिगत राज्य सरकार ने महाराष्ट्र सरकार के साथ किये गये एम.ओ.यू. की भांति राज्य द्वारा वहन किये जाने वाले 50 प्रतिशत व्यय भार को केन्द्रीय सड़क निधि से वहन किये जाने के लिये उनके द्वारा केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी से अनुरोध किया गया था। उक्त प्रस्ताव पर भारत सरकार द्वारा सहमति प्रदान कर दी गयी है। उक्त 09 आर.ओ.बी.-आर.यू.बी. के निर्माण में 50 प्रतिशत व्यय भार रेलवे द्वारा तथा 50 प्रतिशत व्यय भार, जो राज्य द्वारा वहन किया जाना था को केन्द्रीय सड़क अवस्थापना निधि से वहन किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग को उक्त परियोजनाओं पर आने वाले व्यय भार का आंकलन किये जाने के भी निर्देश दिये हैं। राज्य में निर्मित होने वाले उपरोक्त आर.ओ.बी- आर.यू.बी देहरादून व हरिद्वार क्षेत्र में है।

नर्सिंग स्टाफ नर्स का पद नाम होगा नर्सिंग अधिकारी

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से उत्तराखण्ड नर्सेज सर्विसेज एसोसिएशन की अध्यक्ष मीनाक्षी जखमोला एवं महामंत्री कान्ति राणा ने भेंट की। उन्होंने नर्सेज सर्विसेज एसोसिएशन की विभिन्न समस्याओं एवं मांगों से सम्बन्धित मांगपत्र भी मुख्यमंत्री को सौंपा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कोविड-19 के इस संकट काल में नर्सिंग स्टाफ द्वारा कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है। महामारी के इस दौर में चिकित्सा सेवा से जुड़े कार्मिकों का मानवीयता का परिचय देते हुए कर्तव्यों का पालन करना सराहनीय है। मुख्यमंत्री ने एसोसिएशन की विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्सों के खाली पदों पर नियुक्ति के साथ ही नर्सिंग स्टाफ नर्स का पद नाम नर्सिंग अधिकारी किये जाने की कार्यवाही भी शीघ्र की जायेगी।

नर्सेज एसोसिएशन द्वारा अपने मांग पत्र में कोविड के कारण नर्सों की वेतन में की जा रही एक दिन की वेतन कटौती को रोकने, मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद स्टाफ नर्स का पदनाम नर्सिंग अधिकारी तथा सिस्टर का पदनाम वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी किये जाने का शासनादेश शीघ्र किये जाने, नर्सेज की पदोन्नतियां करने एवं रिक्त पदों पर नई भर्ती का अनुरोध किया है। उनके द्वारा मांग पत्र में वेतन विसंगति एवं सेवा नियमावली आदि से सम्बन्धित प्रकरणों के निस्तारण की भी अपेक्षा की गई है।

अब पूरी यात्री क्षमता के साथ चलेंगे आटो, सिटी बस, विक्रम, सोशल डिस्टेंस की बाध्यता समाप्त

सिटी बस, आॅटो, विक्रम और ई-रिक्शा वाले के लिए सरकार की ओर से राहत भरी खबर है। सरकार ने इन तमाम वाहनों में पूरी यात्री क्षमता की छूट दे दी है। सोशल डिस्टेंस की बाध्यता समाप्त होने के बाद सरकार ने पूर्ववर्ती किराए रखने के भी निर्देश दिए हैं।

सरकार, शासन की ओर से जारी की गई नई एसओपी के तहत सिटी बस, ऑटो, विक्रम समेत तमाम सार्वजनिक वाहनों में सोशल डिस्टेंसिंग के कानूनों को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। शासन की ओर से नई एसओपी जारी होने के साथ ही सिटी बस, ऑटो, विक्रम संचालकों ने राहत की सांस ली है।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से जारी एसओपी में साफ शब्दों में कहा गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग समाप्त होने के बाद सिटी बस ऑटो विक्रम संचालक राज्य परिवहन प्राधिकरण की ओर से तय किए गए किराए के मुताबिक ही किराया वसूलेंगे ऐसे में अब किराए की पूर्व दरें लागू होंगी।

प्रसव पीड़ा होने पर रोडवेज बस में बुजुर्ग महिला ने कराई डिलीवरी, रोडवेज कर्मियों ने किया नामकरण

उत्तर प्रदेश की महोबा डिपो की रोडवेज बस में एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया। तो रोडवेज कर्मियों ने उसका नाम महोबा डिपो ही रख दिया।

दरअसल, एक खानाबदोश महिला को जब असहनीय प्रसव पीड़ा हुई तो परिवार के लोगों ने एंबुलेंस बुलाने के लिए फोन घुमाया। एंबुलेंस उपलब्ध न होने पर परिवार के सदस्यों ने जिला अस्पताल जाने के लिए रोडवेज की बस को चुना। महिला को रोडवेज की बस दर्द उठना शुरू हो गया। इसी दौरान बस में मौजूद एक बुजुर्ग महिला का दिल पसीजा और बस में पर्दा डालकर उसने गर्भवती महिला का प्रसव करा दिया। बस में नवजात की किलकारियां गूंजी और सभी लोग खुश नजर आ रहे थे। रोडवेज कर्मियों ने भी अपने अधिकारियों को घटना की जानकारी दी और बस को सीधे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां जज्बा और बच्चा को भर्ती कराया गया। चिकित्सक ने दोनों को खतरे से बाहर बताया है। वहीं, परिवहन विभाग के कर्मचारियों ने मिठाई बांटकर खुशी मनाई और नवजात शिशु का नाम महोबा डिपो रख दिया।

आशिक के लिए पत्नी ने दे दी पति की बलि, शव को जंगल में फेंका

पति को पत्नी के अवैध संबधों का पता चल जाने से पत्नी इतना आगबगुला हो गई कि उसने अपने प्रेमी के साथ पति को मौत की सजा दे दी। इसके बाद अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर पति की लाश जंगल में फेंक आए। कोतवाली ऋषिकेश पुलिस ने सभी आरोपियों को घटना में प्रयुक्त हथियारों के साथ अरेस्ट कर लिया है।

कोतवाल रितेश साह के अनुसार, मृतक की बहन चंदा साहनी पत्नी जितेंद्र साहनी ने पुलिस को बताया था कि उसका भाई अमरजीत साहनी (32) पुत्र जीवन साहनी निवासी मायाकुंड 18 सितंबर की दोपहर तीन बजे अपने दो अन्य साथियों के साथ काम पर गया था, शाम होते ही दोनों साथी तो वापस घर आ गए। मगर, उसका भाई वापस न लौटा। पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज किया और मामले की तब्दीश की, तो लापता व्यक्ति की पत्नी के अवैध संबंध की बात सामने आई।

पुलिस ने पत्नी से सख्ती के साथ पूछताछ की तो पत्नी से सब उगल दिया और अपने साथियों की भी पहचान करा दी। पत्नी की निशानदेही पर पुलिस ने शव को जंगल से बरामद भी कर लिया। पुलिस ने बताया कि मृतक की पत्नी सुनीता का राजन निवासी रामनगर बेतिया, बिहार, हाल निवासी शीशमझाड़ी से प्रेम प्रंसग चल रहा था। इसकी भनक अमरजीत को लग चुकी थी। पत्नी ने प्रेमी के सथ 18 सितंबर की शाम को अन्य साथी सुनील और अनिल प्रसाद के साथ घटना को अंजाम दे दिया।

…तो क्या महात्मा गांधी के सपनों को संवार रही त्रिवेंद्र सरकार

गांधी ने अपने उत्तराखंड दौरे के दौरान की थी प्रशंसा, बताया था फिल्म शूटिंग के लायक
वर्तमान की त्रिवेंद्र सरकार ने इस महत्वता को न सिर्फ समझा बल्कि फिल्म निर्माताओं को किया आमंत्रित

महात्मा गांधी अक्सर कहा करते थे कि धरती में यदि कहीं स्वर्ग हैं तो वह उत्तराखंड के कौसानी में है। इस बात को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने न सिर्फ अच्छे से समझा, बल्कि मुंबई में बैठे फिल्म निर्माताओं को भी समझा पाने में कामयाबी हासिल अर्जित की। त्रिवेंद्र सरकार की यह कामयाबी ही हैं, कि अब तक बत्ती गुल मीटर चालू, कबीर सिंह, केदारनाथ, जर्सी, कुतुबमीनार आदि करीब 200 से ज्यादा बाॅलीवुड की छोटी-बड़ी फिल्में, टीवी सीरियल, दक्षिण भारतीय फिल्में, वेब सीरिज की शूटिंग हो चुकी है और आगे भी शूटिंग के लिए निर्माता उत्तराखंड का रूख कर रहे हैं। त्रिवेंद्र सरकार की ही बदौलत राज्य को द मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का पुरस्कार भी मिला है। जो वाकई में उत्तराखंड और त्रिवेंद्र सरकार की उपलब्धि को दर्शाता है।

एक नजर त्रिवेंद्र सरकार के फैसले पर
त्रिवेंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक उत्तराखंड में शूटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक अनुमति को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत आॅनलाइन आवेदन से किया जाएगा। राज्य सरकार के विभागों के स्तर पर कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा। साथ ही सुरक्षा के लिए पुलिस की उपलब्धता भी त्रिवेंद्र सकरार सुनिश्चित कराएगी। राज्य में फिल्म निर्माण के लिए अनुदान के संबंध में सरकार एक प्राथमिकता सूची तैयार करेगी। इसमें फिल्म की 75 प्रतिशत शूटिंग का उत्तराखंड में किया जाना अनिवार्य होगा। वित्त पोषण फिल्म निर्माण की लागत का 30 प्रतिशत या डेढ़ करोड़ रूपये, जो भी कम हो रहेगा।

जिन फिल्मों की 75 प्रतिशत शूटिंग या कुल आउटडोर शूटिंग की आधे से अधिक शूटिंग उत्तराखंड में होगी, एसजीएसटी लागू होने की तिथि से जमा किए गए एसजीएसटी के 30 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की जाएगी।

फिल्म शूटिंग होने से राज्य को क्या फायदा
त्रिवेंद्र सरकार का यह मानना है कि राज्य की प्राकृतिक सौंदर्यता कैमरे में कैद होगी तो निश्चित तौर पर विश्व पटल पर उत्तराखंड का कद बढ़ेगा। यही नहीं, राज्य के ऐसे युवा जो फिल्मी दुनिया में अपना कैरियर देखते हैं या इस क्षेत्र का शौक भी रखते हैं। उन्हें शूटिंग में काम मिलेगा। उन्होंने मानना है कि उत्तराखंड के युवाओं ने बाॅलीवुड में मेहनत के बल पर मुकाम हासिल किया है, इनमें हिमानी शिवपुरी, हेमंत पांडेय, उर्वशी रौतेला सहित तमाम लोग शामिल है।

इससे इतर शूटिंग होने से यहां होटल, ढाबों, हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े कामगारों को काम मिलेगा। तमाम हस्तियों के यहां पहुंचने से राज्य के हथकरघा वस्तुओं को भी बढ़ावा मिलेगा और अहम बात यह है कि टूरिज्म को बहुत बढ़ावा मिलेगा। यहां के चार धाम के अलावा अन्य कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनका वर्णन पुराणों में भी वर्णित हैं।

फिल्म सिटी बनने से राज्य का टैलेंट निकलकर आएगा
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के सानिध्य में ही फिल्म सिटी बनाने का प्रस्ताव अब जोर पकड़ने लगा हैं। पूर्व में निर्माता निर्देशक राजकुमार संतोषी फिल्म सिटी बनाने का प्रस्ताव दे चुके है। इसके बाद राज्य में जमीन तलाशने का काम भी जोर पकड़ चुका है। फिल्म सिटी के लिए काफी ज्यादा जमीन की आवश्यकता है साथ ही उस जगह से एयरपोर्ट नजदीक ही होना आवश्यक है। इसके लिए ऋषिकेश के श्यामपुर क्षेत्र में गंगा नदी से सटा इलाके को भी फिल्म सिटी के नजरिए से देखा जा चुका है।

ताजा जानकारी के मुताबिक फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री एवं उनके पति हिमालय दासानी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की है। उन्होंने उत्तराखण्ड में फिल्म सिटी के क्षेत्र में कार्य करने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखण्ड में फिल्मी हस्तियों का रूझान बढ़ा है। राज्य में युवाओं को फिल्म के क्षेत्र में विभिन्न प्रशिक्षण दिये जाय तो युवा इस क्षेत्र में अच्छा करियर बना सकते हैं।

फिल्म निर्माताओं की पसंद उत्तराखंड ही क्यों
सवाल यह उठता है कि फिल्म निर्माताओं की पंसद उत्तराख्ंाड क्यों बना हुआ है। इसका जवाब भी साफ है, त्रिवेंद्र सरकार निर्माताओं और निर्देशकों को राज्य की नैसर्गिक सौंदर्यता के बारे में बताने में कामयाब रही है। इसके चलते राज्य में अब निर्माताओं का रूख बढ़ रहा है। राज्य की सुंदरता, खास तौर पर प्राकृतिक झरने, वाटर फाॅल, गंगा नदी, खूबसूरत पहाड़, मंसूरी, देहरादून, ऋषिकेश, रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, नैनीताल, नैनी झील, टिहरी झील, कौसानी, बर्फ से ढ़की चोटियां आदि तमाम वह चीजें जो एक फिल्म की लोकेशन के लिए चाहिए। उत्तराखंड में सहज ही मिल जाती है।

एक रूपये प्रति टिकट से भरेगा फिल्म विकास कोष
सिनेमा टिकटों पर एक रुपये प्रति टिकट की दर से फिल्म विकास निधि के रूप में सिनेमा मालिक दर्शकों से वसूलेंगे और इस राशि को कोषागार में जमा कराएंगे। इसका इस्तेमाल क्षेत्रीय, हिंदी और अन्य भाषा की फिल्मों को अनुदान उपलब्ध कराने में किया जाएगा। इससे अवस्थापना सुविधाओं के लिए भी धनराशि दी जाएगी।

क्षेत्रीय फिल्म प्रमाणीकरण परिषद
फिल्मों को प्रोत्साहन देने के लिए क्षेत्रीय फिल्म प्रमाणीकरण परिषद बनाई जाएगी। उत्तराखंड में बनने वाली फिल्मों और क्षेत्रीय भाषाओं में बनने वाली फिल्मों के प्रमाणीकरण की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।

क्षेत्रीय फिल्म के प्रति त्रिवेंद्र सरकार
उत्तराखंड की क्षेत्रीय फिल्मों को सेंसर सर्टिफिकेट मिलने के बाद प्रदेश के सभी सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स स्वामियों को क्षेत्रीय फिल्म को एक सप्ताह तक प्रतिदिन प्रदर्शित करने की अनिवार्यता होगी।