मनमोहन सरकार से दुगुना किया खर्च मगर नहीं रूकी घटनाएं

आतंकवाद के खिलाफ लड़ने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वाली केंद्र सरकार के तीन वर्षो के कार्यकाल में जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं। सूचना के अधिकार द्वारा गृह मंत्रालय से मांगी गई सूचना के मुताबिक, बीते तीन वर्षो में जम्मू एवं कश्मीर में 812 आतंकी घटनाएं हुईं, जिनमें 62 नागरिक और 183 भारतीय जवान शहीद हो गए।
बीती मनमोहन सरकार के आखिर के तीन वर्षो के कार्यकाल में कुल 705 आतंकी घटनाओं में 59 नागरिक एवं 105 जवान शहीद हुए थे।
अधिकारी ने बताया कि इसी दौरान मनमोहन सरकार के अंतिम तीन वर्ष में गृह मंत्रालय ने आतंकवाद से लड़ने के लिए तकरीबन 850 करोड़ रुपये जारी किए, जबकि मोदी सरकार के समय गृह मंत्रालय ने 1,890 करोड़ रुपये इस बाबत जारी किए।
गृह मंत्रालय के लोक सूचना अधिकारी ने जवाब में बताया, मई, 2011 से मई, 2014 के बीच में जम्मू एवं कश्मीर में 705 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जिसमें 59 आम नागरिक मारे गए एवं 105 जवान शहीद हो गए, जबकि मोदी सरकार अर्थात मई, 2014 से मई, 2017 तक 812 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जिनमें 62 नागरिक मारे गए एवं 183 जवान शहीद हो गए।
उत्तर प्रदेश के नोएडा निवासी आरटीआई कार्यकर्ता रंजन तोमर ने गृह मंत्रालय से हासिल सूचना के आधार पर बताया कि उन्होंने गृह मंत्रालय से चार सवाल पूछे थे। मोदी की सरकार के आने के तीन साल एवं उसके पहले मनमोहन सिंह सरकार के आखिरी तीन साल में जम्मू एवं कश्मीर में कितनी आतंकवादी गतिविधियां हुई एवं उनमें कितने आम नागरिक एवं कितने जवान शहीद हुए? उन्होंने कहा, तीसरा सवाल यह था कि इस दौरान आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए गृह मंत्रालय ने मनमोहन सरकार के अंतिम तीन वर्ष में कितनी धनराशि जारी की एवं चौथा प्रश्न था कि मोदी सरकार ने प्रथम तीन वर्ष में कितनी धनराशि जारी की।
राजनाथ बोले, रोज मार रहे 5-6 आतंकी
इससे इतर केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हर रोज पांच से छह आतंकवादी सुरक्षा बलों के हाथों मारे जा रहे हैं। एक कार्यक्रम में राजनाथ ने कहा कि सेना, अर्धसैनिक बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के अनवरत प्रयासों के चलते जम्मू-कश्मीर में हर दिन पांच-छह आतंकवादी मारे जा रहे हैं। मैं उनकी तारीफ करता हूं।

रेप माना जाएगा, नाबालिग पत्नी से संबंध बनाने पर

नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना रेप का अपराध है। कोर्ट ने फैसले में कहा है कि सहमति से सेक्स करने की उम्र बनाने को कम नहीं किया जा सकता है। 15 से 18 साल की पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना रेप की श्रेणी में आएगा। कोर्ट ने फैसले में कहा है कि पत्नी पुलिस के पास शिकायत कर सकती है। कोर्ट ने इस प्रावधान को पोक्सो के साथ जोड़ा है।
दरअसल आईपीसी 375 (2) कानून का यह अपवाद कहता है कि अगर कोई 15 से 18 साल की पत्नी से संबंध बनाता है तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। केन्द्र सरकार ने कोर्ट में कानून की तरफदारी करते हुए कहा कि संसद ने सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए इस कानून को नहीं छेड़ा। देश में आर्थिक रूप से पिछड़े समाज में आज भी बाल विवाह के मामले देखने को मिलते हैं।
बता दें कि देश में विवाह की उम्र महिलाओं के लिए 18 और पुरुषों के लिए 21 साल रखी गई है। इससे कम उम्र में हुई शादी को जुर्म माना गया है। इंडियन पीनल कोर्ड के तहत मामले में दो साल की सजा हो सकती है। बावजूद इसके देश के बड़े शहरों में बाल विवाह का आंकड़ा 0.7 फीसदी बढ़ा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इसका ग्राफ 0.3 फीसदी घटा है।
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार देश में साल 2014 से 16 के बीच 1785 मामले रजिस्टर हुए और 4,777 लोगों की गिरफ्तारी हुई। हालांकि इसमें सिर्फ 274 को ही अपराधी साबित किया जा सका।with a minor wife

गांधी की हत्या पर एससी की सुनवाई अब 30 को…

महात्मा गांधी पर तीन गोलियां चलाई गई थीं, लेकिन क्या चौथी गोली भी थी जिसे नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और ने चलाया था? ऐसे कई सवालों को लेकर उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने अब महात्मा गांधी हत्याकांड की फिर से जांच कराने की इस याचिका पर अब 30 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। इस मामले में पूर्व एएसजी अमरेंद्र शरण एमिकस क्यूरी होंगे। वहीं शुक्रवार को कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कई सवाल किए। कोर्ट ने पूछा इस हत्याकांड में दो दोषियों को फांसी हो चुकी है और मामले से जुड़े तमाम लोग मर चुके हैं। ऐसे में इसका कानूनी औचित्य क्या होगा? कोर्ट ने पूछा कि क्या इस मामले में कोई नया सबूत है ?
आपको बता दें कि यह याचिका अभिनव भारत, मुंबई के शोधकर्ता और ट्रस्टी पंकज फडनिस ने फाइल की है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में गांधी की मौत को इतिहास का सबसे बड़ा कवर-अप बताते हुए केस को दोबारा से खोलने की मांग की गई है।
याचिका में अनुरोध किया गया है कि नया जांच आयोग गठित करके गांधी की हत्या के पीछे की बड़ी साजिश का खुलासा किया जाए। याचिका में गांधी की हत्या की जांच के बारे में भी सवाल उठाए गए हैं जिसमें कहा गया कि क्या यह इतिहास में मामला ढकने की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है और क्या उनकी मौत के लिए विनायक दामोदर सावरकर को जिम्मेदार ठहराने का कोई आधार है या नहीं।
अभिनव भारत मुंबई के शोधार्थी और डाक्टर पंकज फडनिस की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया कि वर्ष 1966 में गठित न्यायमूर्ति जे एल कपूर जांच आयोग साजिश का पता लगाने में पूरी तरह नाकाम रहा। यह साजिश राष्ट्रपिता की हत्या के साथ पूरी हुई।
गांधी की हत्या को दोषियों को 15 नवंबर 1949 को फांसी पर लटकाया गया था जबकि सावरकर को सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ दिया गया। सावरकर से प्रेरित होकर अभिनव भारत, मुंबई की स्थापना 2001 में हुई थी और इसने सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए काम करने का दावा किया था।

भीड़ ने लिया सांप्रदायिकता का रूप, अवैध संबंध के चलते हुयी हत्या

मंगलवार को ट्रेन से कटे युवक की हत्या का मामला तूल पकड़ने लगा है। दरअसल युवक की हत्या कर उसे पटरी पर फेंका गया। जिससे यह प्रतीत हो कि युवक की ट्रेन से कटकर मौत हो गयी। यह बात जब क्षेत्रवासियों को पता चली तो उन्होंने सभी आरोपियों की तत्काल गिफ्तारी की मांग को ले कर प्रदर्शन किया और देखते ही देखते यह प्रदर्शन उग्र होकर सांप्रदायिकता का रूप ले लिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने रायवाला बाजार में कुछ दुकानों को निशाना बनाया और तोड़फोड़ की। लोगों ने आरोपियों को पकड़ने में हीलाहवाली बरतने का आरोप लगाते हुए पुलिस प्रशासन के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया।
इस दौरान पत्थरबाजी में एक महिला व एक युवक जख्मी हुए। तोड़फोड़ व आगजनी का प्रयास कर रहे लोगों को पुलिस ने बल प्रयोग कर खदेड़ा। रायवाला बाजार व अन्य संवेदनशील जगहों पर पीएसी की तीन प्लाटून तैनात की गई हैं। आसपास के थानों से भी पुलिस बल रायवाला में तैनात किया गया है।
गुरुवार को गौहरीमाफी निवासी लक्ष्मण सिंह पुत्र निहाल सिंह की हत्या के एक आरोपी की गिरफ्तारी की बात सामने आते ही कई हिंदू संगठनों के लोग बड़ी संख्या में रायवाला थाने में एकत्र हो गए। इन लोगों ने हत्याकांड में अन्य लोगों के भी शामिल होने का संदेह जताया और सभी को तत्काल गिफ्तार करने की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
प्रदर्शनकारियों ने बाजार बंद कराने की कोशिश की। इनमें से कुछ प्रदर्शनकारी अचानक उग्र हो उठे और दुकानों व कुछ घरों में घुस कर तोड़फोड़ करने लगे। देखते ही देखते पूरे बाजार में अफरातफरी का माहौल बन गया। इस दौरान हुई पत्थरबाजी में एक महिला आबिदा और एक युवक साबीर जख्मी हो गए। प्रदर्शनकारियों ने खेल मैदान के किनारे लगे खोखे उखाड़ कर फेंक दिए।
इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। करीब एक दर्जन वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर स्थिति को काबू पाया। एसडीएम ऋषिकेश हरगिरी, एसपी ग्रामीण सरिता डोबाल, एएसपी श्वेता चौबे, पुलिस क्षेत्राधिकारी मंजूनाथ टीसी, समेत कोतवाल ऋषिकेश, कोतवाल हरिद्वार व थानाध्यक्ष रानीपोखरी भी मय फोर्स मौके पर मौजूद रहे। एसपी ग्रामीण सरिता डोभाल ने बताया कि युवक की हत्या से लोग आक्रोशित थे।
फिलहाल पीएसी की तीन प्लाटून और आसपास के थानों की पुलिस संवेदनशील जगहों पर तैनात की गई है। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। वहीं विधान सभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी रायवाला थाने पहुंचकर पुलिस अधिकारियों से कानून व्यवस्था को लेकर निर्देशित किया। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

नन्हीं लड़की से किया रेप, आरोपी गिरफ्तार

दिल्ली के मालवीय नगर में एक स्कूल के अंदर मासूम छात्रा से रेप की सनसनीखेज वारदात सामने आई है। पीड़िता छात्रा ने परिजनों को आपबीती सुनाई, तो वे लोग सन्न रह गए। परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने आरोपी कर्मचारी के खिलाफ केस दर्ज गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है।
जानकारी के मुताबिक, राजधानी के मालवीय नगर थाना स्थित निरंकारी स्कूल में कक्षा एक की छात्रा के साथ उसके स्कूल के कर्मचारी ने टॉयलेट में रेप की वारदात को अंजाम दिया। वारदात के बाद पीड़िता की हालत बिगड़ने पर इसका खुलासा हुआ है। परिजनों की सूचना पर पहुंच पुलिस ने पीड़िता की मेडिकल जांच कराई हैं।
पुलिस के मुताबिक, पीड़िता के परिजनों की तहरीर पर आरोपी स्कूल कर्मचारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। पीड़िता की मेडिकल जांच के साथ ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। स्कूल के कर्मचारियों और प्रसाशन से भी पूछताछ हो रही है।

चोटी काट आरोपी पर तीन लाख का इनाम

दिल्ली, यूपी और राजस्थान सहित कई राज्यों में चोटी कटने घटनाएं बंद क्या हुई अब जम्मू-कश्मीर में शुरू हो गई हैं। कश्मीर में रहस्यमय तरीके से चोटी कटने के मामले सामने आ रहे हैं। इस वजह से महिलाओं और बच्चों में दहशत का माहौल बना हुआ है। कश्मीर पुलिस ने चोटी काटने वाले शख्स पर 3 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जानकारी के मुताबिक, कश्मीर से चोटी कटने के करीब 30 मामले सामने आए हैं। इससे परेशान होकर श्रीनगर के बाटमालू इलाके में लोगों ने जमकर हंगामा मचाया। यहां कुछ नकाबपोश लोगों ने घर के अंदर घुसकर एक महिला के चेहरे पर स्प्रे छिड़का और चोटी काटकर फरार हो गए। अनंतनाग जिले के एक गांव में अज्ञात शख्स एक घर की किचन में घुस गया।
वहां उसने कुछ स्प्रे छिड़का, जिसके बाद खाना बना रही 16 वर्षीय लड़की बेहोश हो गई। उसी दौरान उसकी चोटी काट ली गई। दूसरी तरफ, सिजीमर गांव में एक महिला की सोते हुए चोटी काट ली गई। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन कुछ हाथ नहीं लग पाया। कुलगाम जिले से 12 और अनंतनाग जिले से 2 चोटी काटने के मामले दर्ज हो चुके हैं।
यह मामला सीएम महबूबा मुफ्ती तक पहुंच गया है। इसे संज्ञान में आते ही उन्होंने पुलिस अधिकारियों से बात की। उन्होंने आरोपियों को पकड़ने के लिए स्पेशल टीम बनाने के लिए कहा है। इसके साथ ही चोटी काटने वाले आरोपी के सिर पर 3 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है। स्थानीय महिलाओं और बच्चों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
बताते चलें कि बीते दिनों भारत के कई राज्यों में चोटी कटने के मामले सामने आए थे। दिल्ली के छावला गांव से शुरू हुआ यह मामला एनसीआर, राजस्थान, मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार और कई अन्य राज्यों में अचानक फैल गया था। इन घटनाओं में पुलिस अभी तक कोई सुराग नहीं ढूंढ पाई है। चोटी काटने की अफवाहों में कई लोग अपनी जान तक गंवा चुके हैं।

गौरक्षकों की गुंडागर्दी रोके राज्य सरकार

गौ रक्षकों की गुंडागर्दी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर राज्यों को जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि राज्य सरकारें इसे रोके। कोर्ट ने कहा कि कानून और व्यवस्था का मामला पूरी तरह राज्य का विषय है। कोर्ट को केंद्र सरकार से इस बारे में नीति बनाने के लिए नहीं कहना चाहिए।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस बारे में सीधे तौर पर राज्यों के लिए आदेश पारित किए जाएंगे। कोर्ट का कहना है कि हमारे आदेश प्राथमिकता के आधार पर होंगे। गौ रक्षकों की गुंडागर्दी के शिकार लोगों को मुआवजा देने के मामले को अलग से डील किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने सभी राज्यों को टास्क फोर्स के गठन पर अपनी रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है। मामले पर अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
कोर्ट मे दिया था नोडल ऑफिसर नियुक्त करने का आदेश
बता दें कि पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बढ़ते कथित गौरक्षकों के तांडव पर रोक लगाने के लिए हर जिले में सीनियर पुलिस ऑफिसर तैनात करने का आदेश दिया था। ताकि इस तरह की हिंसा की घटनाओं को रोकने और इसे अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कदम उठाएं।
शीर्ष अदालत ने राज्यों को एक सप्ताह में अपना टास्क फोर्स बनाने के लिए कहा था, जिसमें वरिष्ठ पुलिसकर्मियों को नोडल अधिकारी के रूप में रखा जाएगा।

डेरे की जमीन में 600 कंकाल

डेरा सच्चा सौदा की चेयरपर्सन विपश्यना इंसा और वाइस प्रेसिडेंट डॉ. पीआर नैन से हरियाणा पुलिस की एसआईटी लगातार पूछताछ कर रही है। पुलिस जांच में पता लगा है कि डेरा सच्चा सौदा के सिरसा मुख्यालय की जमीन और खेतों में करीब 600 लोगों की हड्डियां और कंकाल मौजूद हैं। पीआर नैन ने भी पूछताछ के दौरान ये बात स्वीकार की है।
पीआर नैन ने पुलिस को दलील दी है कि डेरा अनुयायियों का ऐसा विश्वास है कि मौत के बाद यदि उनकी अस्थियां डेरे की जमीन में दबा दी जाएंगी, तो उन्हें मोक्ष मिलेगा। इसी वजह से डेरे की जमीन में करीब 600 लोगों की अस्थियां और कंकाल हैं। हालांकि, पुलिस इस एंगल पर भी जांच कर रही है कि लोगों को मारकर खेतों में उनकी लाशें दबा दी गई हैं।
डेरे के कुछ पूर्व सेवादारों ने आरोप लगाया था कि डेरा या राम रहीम के खिलाफ बोलने वाले लोगों की हत्या करके उनकी लाश खेतों में दफना दी जाती थीं। उसके उपर पेड़ लगा दिए जाते थे, ताकि किसी को इसके बारे में पता न चल सके। उनका कहना था कि राज फाश होने के डर से डेरे में इन जगहों पर खुदाई करने या पेड़ काटने तक की मनाही थी।
इससे पहले एसआईटी ने विपश्यना इंसा से करीब सवा तीन घंटे तक गहन पूछताछ की थी। डीएसपी कुलदीप बैनीवाल ने उससे 100 से ज्यादा सवाल किए, लेकिन वह उसके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए हैं। इसलिए उससे दोबारा पूछताछ की तैयारी की जा रही है। वहीं डेरा के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. पीआर नैन और विपश्यना के जवाब में विरोधाभास देखने को मिल रहा है।
पुलिस का कहना है कि यदि इन दोनों ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया, तो इनको गिरफ्तार भी किया जा सकता है। दोनों ने पंचकूला में हुई हिंसा को लेकर अलग-अलग बातें कही है। पीआर नैन पर हिंसा कराने के लिए 5 करोड़ की फंडिंग का आरोप है। इन पैसों से पंचकूला डेरा प्रभारी चामकुमार सिंह ने गुंडों को हिंसा के लिए तैयार किया था। चामकुमार हिरासत में है।

आधी रात में हथियारबंद बदमाशों का कहर

झबरेड़ा थाना क्षेत्र के लखनौता-झबरेड़ा मार्ग पर शेरपुर गांव के समीप हथियारबंद बदमाशों ने सड़क पर पेड़ डालकर कई वाहनों में चढ़कर लूटपाट कर ली। लूटपाट के शिकार लोगों में देहरादून ग्रामीण रोडवेज डिपो के सहायक महाप्रबंधक, उनके स्टाफ के अलावा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के एक कर्मचारी भी शामिल हैं। करीब पौने घंटे तक बदमाशों ने लूटपाट की।
झबरेड़ा की लखनौता पुलिस चौकी से थोड़ा आगे शेरपुर गांव के समीप बीती रात्रि करीब दो बजे बदमाशों ने एक पेड़ काटकर सड़क पर गिरा दिया। इसी बीच यहां से कार से परिवार के साथ गुजर रहे देहरादून नेहरू ग्राम निवासी प्रकाश चंद्र पंत ने रास्ता बंद होने पर कार को रोक दिया। बदमाशों ने जबरन कार की खिड़की खुलवाकर आठ हजार की नकदी, सूटकेस और मोबाइल लूट लिया। प्रकाश चंद पंत ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में कार्यरत हैं। इसी बीच देहरादून ग्रामीण डिपो के सहायक महाप्रबंधक प्रतीक जैन, यातायात निरीक्षक राजबीर, संजय और चालक राजकुमार सरकारी गाड़ी से दिल्ली से बसों की चेकिंग कर लौट रहे थे। तभी बदमाशों ने उनकी गाड़ी को भी रोककर उनसे 12 हजार की नकदी और अन्य सामान लूट लिया।
इसके बाद बदमाशों ने एक लोडर को लूटा। लोडर के बाद बदमाशों ने एक ट्रक चालक और उसके क्लीनर से 700 रुपये की नकदी और तीन मोबाइल फोन लूट लिये। इसी बीच एक ट्रक चालक ने वाहनों को खड़े देखा तो वह समझ गया कि बदमाश हैं, उसने ट्रक को पीछे मोड़ दिया और लखनौता चौकी पर तैनात होमगार्ड को इसकी सूचना दी।
होमगार्ड ने इसकी सूचना पुलिसकर्मियों को दी। इस बीच, दो पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे तो चारों बदमाश दो बाइक पर सवार होकर भाग निकले। रात में ही एसएसपी कृष्ण कुमार वीके ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। डीआइजी ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया। साथ ही लापरवाही बरतने पर एक सिपाही को निलंबित करते हुये एसओ को फटकार लगाई। प्रकाश चंद पंत और रोडवेज के अधिकारी रामवीर ने मामले में पुलिस को तहरीर दी गई है।

बॉम्बे हाईकोर्ट में बम की खबर से मचा हड़कंप

बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को फोन कॉल पर धमकी दी गई है। जस्टिस मंजुला चुल्लर को ये धमकी भरा फोन कॉल किया गया है।
फोन कॉल पर हाई कोर्ट के कमरा नंबर 51 में बम होने की धमकी दी गई है। इस कमरे में चीफ जस्टिस के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और रजिस्ट्रार बैठते हैं। फोन पर धमकी मिलने के बाद एटीएस कंट्रोल रूम को सूचित गया। जिसके बाद बम निरोधक दस्ता बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंच गया है।
एटीएस को कुछ नहीं मिला
एटीएस ने मौके पर पहुंचकर पूरा रूम खाली कराया। जिसके बाद पूरे रूम की तलाशी ली गई। मगर, बम निरोधक दस्ते को वहां कुछ नहीं मिला। बताया जा रहा है कि किसी ने फर्जी कॉल कर माहौल बिगाड़ने की हरकत की है, जिसका पता लगाया जा रहा है।

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