भरतघाट और अयोध्या आस्थापथ का कृषिमंत्री ने किया लोकापर्ण

मुनिकीरेती का पूर्णानंद खेल स्टेडियम को अब विश्व स्तरीय मैदान के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू हो गई। स्टेडियम में राज्य नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिताएं आयोजित की जायेगी। मुनिकीरेती स्थित गंगा तट पर भरतघाट और अयोध्या आस्थापथ का लोकार्पण कृषिमंत्री सुबोध उनियाल ने किया। उन्होंने कहा की अब पूर्णानंद मैदान मं बने खेल स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय स्तर को बनाने की तैयारी चल रही है। प्रदेश सरकार से इस पर वार्ता चल रही है। यहां पर अंतरराष्ट्री स्तर के टूर्नामेंट का आयोजन किया जायेगा। इसे क्षेत्र को पहचान तो मिलेगी। साथ ही उत्तराखंड के युवाओं के लिए बेहत्तर सुविधा मिलेगी।
मौके पर नगर पालिकाध्यक्ष रोशन रतूड़ी, एसडीएम नरेंद्रनगर युक्ता मिश्रा, मंडी समिति अध्यक्ष विनोद कुकरेती, सभासद गजेंद्र सजवाण, वीरेंद्र चैहान, मनोज बिष्ट धर्म सिंह, सचिन रस्तोगी, रोशनी रस्तोगी, मनीष डिमरी, तहसीलदार अयोध्या प्रसाद उनियाल, सिंचाई विभाग अधीक्षण प्रेम सिंह पंवार, अधिशासी अभियंता कमल सिंह, सहायक अभियंता मंगल सिंह, लोनिवि के अधिशासी अभियंता मोहम्मद आरिफ खान आदि थे।

35 लाख के बजट से जानकीझूला पुल रोशनी से होगा जगमग
कृषिमंत्री सुबोध उनियाल ने विधयाक निधि से जानकीझूला पुल पर लाइट लगाने के 35 लाख दिए हैं। इस बजट से झला पुल अत्याधुनिक लाइटे लगाई जायेगगी।

निशुल्क गर्म वस्त्र कैंप का किया उद्घाटन
कृषिमंत्री सुबोध उनियाल पूर्णानंद पाकिंग में क्रेजी फेडरेशन संस्था के गर्म कंबल निशुल्क बांटने के कैंप का उदघाटन किया। कहा कि संस्था की ओर से चलाया जा रहा अभियान काबिलेतौर है। इस मौके पर मनीष डिमरी ने बताया कि कंबल गरीब व असहाय को लोगों निशुल्क वितरित किये जायेंगे।

झुला पर पर बनेगी दुकानें
नवनिर्मित्त जानकी झूला पुल के आसपास मुनिकीरेती पालिका दुकाने बनायेगा। इस दुकानों को बेराजगार युवाओं को प्रोवाइड कराया जायेगा। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि बेरोजगार युवाओं रोजगार उपलब्ध कराया। पुल के बनने से यहां पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। स्थानीय युवाओं के लिए यह पहल शुरू की जा रही है।

बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिर्पोट का मुख्यमंत्री ने किया विमोचन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की बैठक आयोजित हुई। आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के पश्चात आयोग की यह पहली बैठक रही जिसमें उपाध्यक्ष सहित सभी नामित सदस्य एवं उच्चाधिकारी मौजूद रहे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनपद बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक व आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने एवं पलायन को कम करने हेतु आयोग द्वारा की गई सिफारिशों से सम्बन्धित पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि पलायन आयोग द्वारा पलायन के मूल कारणों से सम्बन्धित दी गई प्राराम्भिक रिपोर्ट से ही स्पष्ट था कि राज्य से पलायन मुख्यतः शिक्षा व स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा एवं रोजगार की कमी रही है। उन्होंन कहा कि आयोग के सुझावो पर राज्य सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिये जा रहे है। उन्होंने कहा कि आयोग को वर्किंग एजेन्सी के रूप में नहीं अपितु राज्य से पलायन रोकने तथा ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिये थिंकटेक के रूप में कार्य करना होगा। आयोग के सदस्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों पर कार्य करने का अनुभव है। उनके अनुभव राज्य के समग्र विकास में उपयोगी होंगे इसका उन्होंने विश्वास जताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोविड-19 से पूर्व ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, सोलर स्वरोजगार योजना तथा ग्रोथ सेन्टरों की स्थापना, एलईडी योजना का कार्य गतिमान रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास एवं स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करना इसका उद्देश्य था। सीमान्त क्षेत्रों के समग्र विकास के लिये मुख्यमंत्री सीमान्त सुरक्षा निधि की व्यवस्था की गई है। स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की सरकारी खरीद के लिये 5 लाख तक की सीमा निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा यूनीफार्म आपूर्ति के क्षेत्र में भी कार्य किया जा रहा है, पर्वतीय क्षेत्रों में इसे और विस्तार दिये जाने की जरूरत है। इनमें आत्मविश्वास जगाने की भी उन्होंने जरूरत बतायी। मुख्यमंत्री ने अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिये भी सदस्यों से सुझाव देने को कहा। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के कारगर ढ़ंग से उपयोग की दिशा में पहल की गई है। चीड़ से बिजली व पेलेटस बनाये जा रहे है। एलईडी निर्माण में 15 संस्थाये कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य में स्वयं का रोजगार खड़ा कर समाज को प्रेरणा देने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करने पर भी ध्यान देने को कहा। उन्होंने क्षेत्रीय स्तर पर युवाओं को तकनीकि प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था पर भी ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने ग्रोथ सेन्टरों में क्रेडिट कार्ड योजना आरम्भ किये जाने की भी बात कही।
बैठक में उपाध्यक्ष, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग डॉ0 एस0एस0नेगी ने बताया कि आयोग द्वारा अब तक राज्य के पर्वतीय जनपदों, ईको टूरिज्म, ग्राम्य विकास एवं कोविड-19 के प्रकोप के दौरान राज्य में लौटे प्रवासियों एवं उनके पुनर्वास पर आधारित 11 सिफारिशे प्रस्तुत की जा चुकी है।
बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट के सम्बन्ध में डॉ. नेगी ने बताया कि जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार जनपद बागेश्वर की जनसंख्या 2,59,898 है, इनमें 1,24,326 पुरूष तथा 1,35,572 महिलाएं है। पिछले 10 वर्षों में 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 व्यक्तियों द्वार अस्थायी रूप से पलायन किया गया है। पिछले 10 वर्षों में 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों द्वार पूर्णरूप से स्थायी पलायन किया गया है। आंकड़े दर्शाते है कि जनपद के सभी विकासखण्डों में स्थायी पलायन की तुलना में अस्थायी पलायन अधिक हुआ है। जनपद की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 के लिए अनन्तिम रूप से 1,00,117 रूपये है।
आयोग द्वारा जनपद हेतु जो सिफारिशें रखी हैं उनमें प्रमुख रूप से पशुधन की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों की संख्या बढ़ाना, दुग्ध उत्पादन एवं दुग्ध उत्पादकों की उपज हेतु पनीर, घी आदि बनाने का प्रशिक्षण दिये जाने, दुग्ध समितियों की सक्रियता बढ़ाने एवं दुग्ध प्रसंस्करण केन्द्र खोले जाने। होम स्टे की संख्या बढ़ाये जाने, इकोटूरिज्म गतिविधियों को पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित किए जाने, पर्यटन से जुड़े कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ाए जाने, क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किये जाने, मनरेगा में समान अवसर और भागीदारी सुनिश्चित करके महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बनाए रखना, फसलों को बंदरों और जंगली सूअरों जैसे जानवरों से नुकसान से बचाव हेतु वन विभाग की सहायता से बन्दरबाड़ो, सोलर पावर फैन्सिंग का निर्माण कराये जाना, ग्राम पंचायतों में नर्सरियों बनाये जाना तथा औषधीय एवं सुगंधित पौंधों की कृषि को महत्वपूर्ण आजीविका उत्पादन गतिविधियों में विकसित किए जाना, जनपद में जड़ी-बूटी की खेती एवं कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना, जनपद में चाय के क्षेत्रफल को बढ़ावा दिया जाना, जनपद में बागवानी के क्षेत्रों को बढ़ाये जाना शामिल है।
इस अवसर पर आयोग के सदस्यों रामप्रकाश पैन्यूली, सुरेश सुयाल, दिनेश रावत घण्डियाल, अनिल सिंह शाही एवं वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से रूद्रप्रयाग से रंजना रावत ने अपने सुझाव रखे।
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने आयोग की सिफारिशों पर की जा रही कार्यवाही की जानकारी दी। आयोग के सदस्य सचिव रोशन लाल एवं अन्य अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

मेयर अनिता के अभिनव मॉडल पर पर्यटन विभाग का सकारात्मक रूख

मेयर अनिता ममगाईं के अभिनव मॉडल पर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने सकारात्मक कार्रवाई के संकेत दिए हैं। मेयर अनिता ने इस संदर्भ में उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के संयुक्त निदेशक विवेक सिंह चैहान को जिला पर्यटन अधिकारी के माध्यम से पत्र लिखा था।

मेयर अनिता ने बताया कि बैराज जलाशय को साहसिक पर्यटन के रूप में विकसित करने की योजना उनके चुनावी घोषणा पत्र के 11वें बिंदु में शामिल रही है। इसको लेकर विगत 18 नवम्बर वर्ष 2019 में बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। बताया कि योग नगरी के रूप में समूचे विश्व में अपना विशेष स्थान रखने वाले ऋषिकेश के बैराज क्षेत्र में बोटिंग, राफ्टिंग क्याकिंग की गतिविधियां साहसिक खेलों में रुचि रखने वालों के लिए उपहार साबित होगा। पर्यटकों के यहां आने से व्यापार को बल मिलेगा।

1600 किमी सड़कों के निर्माण के लिए धनराशि मंजूर

उत्तराखंड की करीब 1600 किमी सड़कों का उद्धार होने की आस जगी है। शासन ने मरम्मत और सुधारीकरण के अभाव में खराब हो गई सड़कों को चमकाने के लिए 305 करोड़ रुपये मंजूर किए है। इस बजट से 74 मोटर मार्गों पर सुधारीकरण के नए काम होंगे, जबकि सड़कों पर पहले से चल रहे 25 कार्यों को सुधारा जाएगा।
बता दें कि कोविडकाल के दौरान लोनिवि सड़कों की मरम्मत नहीं कर पाया था। रही सही कसर मानसून के दौरान पूरी हो गई। बजट के अभाव में कई मोटर मार्गों पर सुधारीकरण के कार्य शुरू नहीं हो पा रहे थे। लेकिन अब उम्मीद जगी है।
शासन ने 74 सड़कों को चमकाने के लिए 238 करोड़ 47 लाख रुपये की धनराशि जारी की गई है। इसी तरह 25 चालू कार्यों के लिए 67.43 करोड़ की धनराशि जारी हुई है। ये धनराशि पूंजीगत व्यय के तहत विशेष सहायता योजना में मंजूर की गई है। पिछले दिनों मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इस योजना की समीक्षा की थी और लोनिवि व अन्य विभागों को धनराशि 31 मार्च से पहले खर्च करने के निर्देश दिए थे।

15 मार्च तक दुरुस्त कर लें सड़कें
शासन ने सड़कों के निर्माण के लिए बजट जारी करने के साथ इसकी डेडलाइन भी तय कर दी है। सचिव लोनिवि आरके सुधांशु के मुताबिक, 15 मार्च 2021 तक सड़कों के सुधारीकरण के कार्य पूरे होने हैं। साथ ही सुधारीकरण के कार्यों की गुणवत्ता की जांच के लिए रैंडम सैंपलिंग भी कराई जाएगी।

आबादी बहुल क्षेत्र में हैं सड़कें
शासन ने जिन सड़कों के लिए बजट को मंजूरी दी है, उनमें अधिकांश सड़कें आबादी बहुल क्षेत्रों में हैं। इन सड़कों पर यातायात का खासा दबाव है। सड़कों में सुधार होने के बाद इससे यात्रियों को सुविधा होगी।

डबल लेन होगा दिवालीखाल-भराड़ीसैंण में मोटर मार्ग, बजट जारी
ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को जोड़ने वाली दिवालीखाल-भराड़ीसैंण मोटर मार्ग को डबल लेन बनाने को शासन ने बजट जारी किया है। अभी यह मोटर मार्ग सिंगल लेन है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मोटर मार्ग को डबल लेन की करने घोषणा की थी। संयुक्त सचिव (लोनिवि) श्याम सिंह ने मोटर मार्ग को डबल लेन करने के लिए आठ करोड़ 53 लाख 16 हजार की धनराशि मंजूर करने का आदेश जारी किया।

कुंभ के तहत आस्था पथ के पुनरोद्धार एवं बाढ़ सुरक्षा निर्माण का कार्य शुरु

आस्था पथ के पुनरोद्धार एवं बाढ़ सुरक्षा निर्माण के साथ ही गंगा की जलधारा को मोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है। सिंचाई विभाग के अनुसार, 40 से 50 प्रतिशत गंगा का पानी डार्यवट करने के बाद ही आस्था पथ के पुररोद्धार एवं बाढ़ सुरक्षा के कार्य शुरू हो पाएंगे।
आस्था पथ के पुनरोद्धार एवं बाढ़ सुरक्षा निर्माण के कार्य कुंभ शुरू होने से पहले पूरे किए जाने हैं। लेकिन गंगा का जलस्तर कम नहीं होने की वजह से सिंचाई विभाग काम शुरू नहीं कर पा रहा है। कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता अनुभव नौटियाल ने बताया कि क्यू-नेट चैनल बनाकर गंगा की धारा को मोड़ने का कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके लिए करीब छह पोकलैंड को काम पर लगाया गया है। उन्होंने बताया कि इस काम के लिए बाकायदा वन विभाग और मेला अधिकारी की परमिशन ली गई है। उन्होंने बताया कि गंगा का 40 से 50 प्रतिशत पानी इस चैनल की ओर डायर्वट किया जाएगा, इसके बाद आस्था पथ के पुनरोद्धार एवं बाढ़ सुरक्षा निर्माण का काम शुरू किया जाएगा। महाकुंभ-2021 के तहत 1157.65 लाख की लागत से आस्थापथ के पुनरोद्धार एवं बाढ़ सुरक्षा निर्माण का काम किया जाना है। इसके तहत 2013 की आपदा में क्षतिग्रस्त हुए आस्थापथ के सीसी ब्लाक का निर्माण, नए ब्लाक का निर्माण और जो ब्लाक पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, उन्हें तोड़कर नए ब्लाक लगाए जाने हैं।
वहीं, सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता अनुभव नौटियाल ने बताया कि गंगा डायवर्जन के दौरान त्रिवेणीघाट पर गंगा अविरल बहती रहेगी। एक दिन पहले बृहस्पतिवार को गंगा का जलस्तर घटने से घाट पर पानी कम हो गया था। लेकिन फिर से जेसीबी लगाकर धारा को पुनरू घाट की तरफ मोड़ दिया गया। इसके अलावा गंगा की धारा को क्यू-नेट चैलन की ओर मोड़ने के दौरान भी गंगा की धारा को त्रिवेणीघाट पर अविरल रखा जाएगा। ताकि स्ननार्थियों को कोई दिक्कत न हो।

आबकारी विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरु

उत्तराखंड में अब बार का लाइसेंस लेना और भी आसान हो गया है। शासन ने आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन करने के शासनादेश जारी कर दिए हैं। इससे पहले गुरुवार को इसको लेकर निर्देश जारी किए गए थे। बार लाइसेंस के लिए एक ओर जहां शर्तों का सरलीकरण किया गया है तो वहीं दूसरी ओर आवेदक के ऑनलाइन आवेदन करने के 35 दिन के भीतर आवेदन को निस्तारित किया जाना है।
राज्य में अब बार लाइसेंस के लिये औपचारिकताएं पूरी होने के लिए सालों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। 35 दिन के अंदर सभी औपचारिकताएं पूरी होने पर आबकारी विभाग को लाइसेंस देना ही होगा। इसके साथ ही इस पूरी व्यवस्था के लिए हर अधिकारी के स्तर पर ऑनलाइन रिपोर्ट लगाने की समय सीमा निर्धारित है। अब बिना आबकारी कार्यालय जाए लाइसेंस लिया जा सकता है।
वहीं, एक दिवसीय बार लाइसेंस की व्यवस्था भी पूरी तरह से ऑनलाइन कर दी गई है। पंजीकृत आवेदक को आवेदन करने के दो घंटे के अंदर लाइसेंस ऑनलाइन मिल जाएंगे। इस व्यवस्था से जहां आबकारी विभाग को भी राजस्व मिलने के साथ ही लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया सरल होने के साथ ही पारदर्शी भी होगी।

मेयर अनिता ने निगम अफसरों के साथ किया गंगा अवलोकन केंद्र का स्थलीय निरीक्षण

मेयर अनिता ममगाईं की अगुवाई ने नगर निगम की टीम ने आज त्रिवेणी घाट परिसर पर बनने वाले गंगा अवलोकन केंद्र का स्थलीय निरीक्षण किया।

मेयर अनिता ममगाईं ने बताया कि गंगा अवलोकन केंद्र का प्रोजेक्ट निगम द्वारा तैयार कर लिया गया है। जल्द ही इसको लेकर नमामि गंगे को डीपीआर बनाकर भेजी जाएगी। नमामि गंगे द्वारा प्रस्तावित गंगा अवलोकन केंद्र का निर्माण उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत शहरों में से एक ऋषिकेश में कराया जाएगा। मेयर के अनुसार, गंगा अवलोकन केंद्र में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को गंगा के उद्गम स्थल से लेकर गंगासागर तक की महत्वपूर्ण जानकारियां दी जायेंगी।

निरीक्षण के दौरान मुख्य नगर आयुक्त नरेंद्र सिंह क्वींरियाल, सहायक नगर आयुक्त विनोद लाल, नमामि गंगे से मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन ऑफिसर रोहित जयाड़ा, पार्षद मनीष बनवाल, व्यापारी व भाजपा नेता पवन शर्मा, राजपाल ठाकुर, पंकज शर्मा आदि मौजूद रहे।

अब स्वच्छता की ओर बढ़ेगा तीर्थनगरी का हर कदम

अब तीर्थनगरी की दीवारें स्वच्छता का संदेश देती नजर आएंगी। इसके अलावा राज्य की हर संस्कृति को भी पर्यटकों से रूबरू कराएंगी।

नगर पालिका से अपग्रेड होकर नगर निगम बनने के बाद पिछले दो वर्षों में देवभूमि तेजी के साथ बदलाव के दौर से गुजर रही है। शहर को सजाने संवारने की कवायद में निगम प्रशासन लगातार जुटा हुआ है। मेयर अनिता ममगाई ने बताया कि नगर निगम का लक्ष्य हर कदम स्वच्छता की ओर है। शहर को संवारने के लिए खूबसूरत पेंटिग की मदद ली जा रही है। इस योजना के तहत शहर के महत्वपूर्ण स्थलों पर पेंटिग बनाई जा रही है। यहां जल्द ही दीवारें आपको बोलती नजर आएंगी। शहर के महत्वपूर्ण स्थानों की दीवारें एक नई कहानी और अपील करती नजर आयेंगी। पेंटिंग में कई विविधताएं होगी जिसमें हर पेंटिंग में उत्तराखंड की संस्कृति के रंग दिखाई देंगे।

गैरसैंण को राजधानी बनाकर सीएम त्रिवेंद्र ने बातें कम काम ज्यादा… को किया सार्थक

देहरादून। गैरसैंण राज्य निर्माण के शहीदों और आन्दोलनकारियों की भावनाओं का प्रतीक है। पहाड़ की राजधानी पहाड में जैसे नारे अब सार्थक होते जा रहे हैं। जी हां और ये सपना एक राज्य आन्दोलनकारी ही पूरा कर सकता था, जो मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने किया। राज्य आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले सीएम त्रिवेन्द्र का गैरसैंण को लेकर भावनात्मक लगाव किसी से छुपा नहीं है। उत्तराखंड में त्रिवेन्द्र सिंह रावत पहले ऐसे सीएम हैं जो लगातार गैरसैंण जाकर अपने इस लगाव के साथ काम करते भी दिखाई देते हैं। सीएम त्रिवेन्द्र ने गैरसैंण के विकास की इबारत लिखने में केवल बाते हीं नहीं की बल्कि धरातल पर भी इसे उतराने में पूरी शिद्दत से काम किए हैं।

इसकी पहली झलक मार्च माह में सीएम त्रिवेन्द्र ने विधानसभा सत्र के दौरान गैरसैंण मे ही दिखा दी थी। जब किसी को अपेक्षा नहीं थी कि गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी को लेकर फैसला इस सत्र में होगा लेकिन दृढनिश्चियी सीएम ने वो फैसला गैरसैंण के हित में और उत्तराखंड के हित में ले लिया जिसकों लेने में बाकी मुख्यमंत्रियों ने कभी हिम्मत तक नहीं दिखाई। हां दिखावा जरूर करते रहे लेकिन त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दिखा दिया था की वो केवल बातें नहीं करते बल्कि उसे पूरा करने की हिम्मत भी रखते हैं। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा के दौरान ही सीएम की आखों से बहे आंसूओं ने साफ बता दिया था की मुख्यमंत्री के लिए गैरसैंण सियासी मुद्दा नहीं बल्कि भावनाओं से जुड़ा और उनके दिल से जुडा मुद्दा है। उसी दिन लग गया था कि शहीदों के सपनों को पूरा करने में सीएम त्रिवेन्द्र कोई कसर नहीं छोडेंगे।

साफ है गैरसैंण पर फैसला लेते हुए सीएम कभी भी एक सीएम की तरह नहीं बल्कि राज्य के लिए आन्दोलन करने वाले एक आन्दोलनकारी, राज्य आन्दोलन के लिए शहीद होने वालों के परिवार के सदस्य की तरह उनके सपनों को अपना सपना बनाते हुए उसे पूरा करने की सोच के साथ काम करते रहे हैं। इसलिए राज्य के मुद्दों के लिए उनकी टीस और भावनाएं ठीक उसी तरह हैं जैसी एक राज्य आन्दोलनकारी के मन की टीस। यही वजह है कि सीएम ने गैरसैंण में ही घर बनाने का फैसला भी किया है।

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