गैस वितरण परियोजना से दूनवासियों को नई सौगात मिलेगीः त्रिवेन्द्र

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरूवार को विज्ञान भवन नई दिल्ली से 9वें नगर गैस वितरण बोली चक्र के अन्तर्गत देश के 19 राज्यों के 129 जिलो में स्थित 65 भौगोलिक क्षेत्रों में गैस वितरण की परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसमें जनपद देहरादून भी शामिल है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने 14 राज्यों में फैले 124 जिलो के 50 भौगोलिक क्षेत्रों के लिये 10वें गैस वितरण बोली चक्र का भी शुभारंभ किया। जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देहरादून जनपद की गैस वितरण परियोजना का शुभारंभ किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोयले और अन्य तरल ईंधनों की तुलना में प्राकृतिक गैस पर्यावरण अनुकूल, सुरक्षित, सस्ता, उत्कृष्ट ईंधन है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व के 23.4 प्रतिशत प्राकृतिक गैस उपयोग की तुलना में भारत का ऊर्जा क्षेत्र में प्राकृतिक गैस का प्रतिशत 6.2 है। इसे 15 प्रतिशत तक किये जाने की दिशा में हम अग्रसर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 10वें नगर गैस वितरण बोली चक्र के पश्चात् देश के 27 राज्यों के 52 प्रतिशत क्षेत्रफल के 402 जनपदो की 70 प्रतिशत आबादी को यह सुविधा उपलब्ध हो जायेगी। इससे आम आदमी का जीवन आसान होगा। 2014 तक सीएनजी स्टेशनों की संख्या 947 थी, वह आज 1470 हो गयी है। इस दशक के अन्त तक इसकी संख्या 10 हजार के पार किये जाने की व्यवस्था की जा रही है। सिटी गैस वितरण का कार्य तेजी से बढ़ रहा है। इसमें वितरण की परेशानियों का भी समाधान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह रिफार्म, ट्रांसफार्म व परफार्म का अच्छा उदाहरण है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले गैस कनेक्शन के लिये लाईन में लगना होता था, जिससे अब निजात मिल गई है। एलपीजी कनेक्शन व्यवस्था जहां 1955 में आरम्भ हुई थी तथा 2014 तक 13 करोड़ कनेक्शन वितरित हुए, जबकि पिछले चार वर्षों में ही 12 करोड़ गैस कनेक्शन वितरित किये गये है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास देश की 40 प्रतिशत ऊर्जा की जरूरत गैस व अन्य पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों से पूरा करने का है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देहरादून जनपद को नगर गैस वितरण परियोजना से जोडने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने अपेक्षा की कि गेल इस परियोजना को एक से डेढ़ वर्ष में पूर्ण कर लेगा। उन्होंने इसे देहरादूनवासियों के लिये नई सौगात बताते हुए इसे दून वैली के पर्यावरण को भी मजबूती प्रदान करने वाला बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गैस पाइप लाईन से जहां लोगों को तमाम तरह की कठिनाईयों से निजात मिलेगी वहीं सीएनजी स्टेशनों की स्थापना से सीएनजी वाहनों की संख्या भी बढ़ेगी तथा इससे वाहनों से होने वाले प्रदूषण से भी दूनवासियों का छुटकारा मिल सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देहरादून में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में आबादी का दबाव निरन्तर बढ़ रहा है। उसी क्रम में आगे भी वाहनों का दबाव बना रहेगा, इसका बेहतर रास्ता सीएनजी ही है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने आईआईपी, देहरादून में स्थापित बायोगैस संयत्र का अवलोकन कर संयत्र के संबंध में भी वैज्ञानिकों से जानकारी प्राप्त की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर तथा देहरादून के बाद नैनीताल के साथ ही अन्य स्थानों में भी गैस पाइप लाइन का कार्य आरम्भ होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को गैस ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने पर जोर दिया है। बिजली के संकट से जूझ रहे अनेक कारखानों को गैस ईंधन नई ऊर्जा मिल रही है। उन्होंने कहा कि गैस ईंधन कम खर्चीला तथा इको फ्रेन्डली है। इससे दूनवासियों के जीवन में निश्चित रूप में बदलाव आयेगा तथा आम जिंदगी खुशहाल होगी।

एसआरएचयू ने चिकित्सा के क्षेत्र में नया मुकाम हासिल कियाः डा. मनमोहन सिंह

हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट के संस्थापक ब्रह्मलीन डॉ. स्वामी राम का 22वां महासमाधि दिवस पर उज्जैन के सेवाधाम आश्रम को स्वामी राम मानवता पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने किया।

पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने संस्था के निदेशक सुनील गोयल को स्वामी गोल्ड मेडल, प्रशस्ति पत्र व पांच लाख रुपये का नगद पुरस्कार प्रदान किया। डा. सिंह ने कहा कि स्वामी राम का सपना हिमालयन हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआइएचटी) और स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय वर्तमान में अध्यात्म, स्वास्थ्य व तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में विश्वस्तर पर अपनी पहचान बन चुका है। स्वामी राम हिमालयन विवि परिसर में आयोजित समारोह का पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और एसआरएचयू के कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि मानवता की सेवा के लिए डा. स्वामी राम ने 1989 में इस संस्थान की नींव रखी थी। उनका संकल्प आज विश्व के उन चुनिंदा संस्थानों में से एक बन गया है, जहां एक ही छत के नीचे डाक्टर, इंजीनियर, नर्सेज, मैनेजमेंट व योग के छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। संस्थान के विकास क्रम में तमाम चुनौतियां भी जुड़ी रही, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता।

विश्वविद्यालय के कुलपति डा. विजय धस्माना ने कहा कि यह संस्थान एक परिवार के रूप में स्वामी राम के सपनों को साकार करने का प्रयास कर रहा है। 300 बेड से शुरू हुआ हिमालयन हास्पिटल 1200 बेड का बन गया है। जल्द ही तीन सौ वेड की नई विंग के साथ यह 1500 बेड का मल्टीस्पेशिलिटी हास्पिटल बनने जा रहा है। कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की पत्नी गुरुशरण कौर मौजूद थीं।

अल्प समय में एम्स ऋषिकेश ने किये नये कीर्तिमान हासिलः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एम्स में एनाटॉमिकल सोसाइटी आफ इंडिया की ओर से आयोजित 66वें राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्धाटन किया। इस दौरान उन्होंने एम्स द्वारा दी जा रही बेहतर स्वास्थ्य सेवा की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस अधिवेशन से यहां अध्ययनरत भावी चिकित्सकों को लाभ मिलेगा। इस दौरान नेटकॉम-66 की पुस्तिका का विमोचन भी किया।

सोमवार को आयोजित नॉटकाम के 66वें अधिवेशन में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि एम्स में आयोजित इस सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों व विदेश से आए एनाटॉमी के विशेषज्ञ अपने अनुभवों को एक-दूसरे के साथ साझा करेंगे। जो आने वाले समय में चिकित्सा सेवाओं की बेहतरी के लिए मजबूत आयाम बनेगा। जो छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, उनको इन विशेषज्ञों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

उन्होंने आशा व्यक्त करते हुये कहा इस सम्मेलन से भावी चिकित्सकों को लाभ मिलेगा। एनॉटोमी विभाग एम्स ऋषिकेश में चिकित्सा से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिये जा रहे हैं। यह प्रसन्नता का विषय है कि इस सम्मेलन में चिकित्सा से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर 400 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि एम्स ऋषिकेश में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के साथ चिकित्सा से सम्बंधित अनेक कोर्स संचालित किये जा रहे हैं। एम्स ऋषिकेश तेजी से प्रगति कर रहा है। जिसके परिणामस्वरूप एम्स दिल्ली पर 30 प्रतिशत का दबाव कम हुआ है। वर्तमान में एम्स में मरीजों के लिए 900 बेड की उपलब्धता है। उन्होंने आशा व्यक्त कि एम्स से प्रशिक्षण लेकर यहां के छात्र देश भर में जाकर एम्स का नाम रोशन करेंगे। इस अवसर पर विधायक खजान दास, एम्स निदेशक प्रो. रविकान्त, प्रो. सुरेखा किशोर, प्रो. विजेन्द्र सिंह, प्रो. सुरजीत घटक, प्रो. जीएस लोंगिया आदि उपस्थित थे।

यौवन अवस्था में पहुंचा उत्तराखंड, राज्यपाल सीएम ने दी शुभकामना

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राज्य स्थापना दिवस की 18वीं वर्षगांठ पर पुलिस लाइन में आयोजित रैतिक परेड का निरीक्षण कर सलामी ली। इस दौरान उन्होंने विशिष्ट सेवाओं के लिए ‘‘राष्ट्रपति पुलिस पदक’’ प्राप्त 03 पुलिस अधिकारियों और ‘‘पुलिस पदक’’ प्राप्त 18 अधिकारियों तथा जवानों को सम्मानित भी किया। वहीं, उन्होंने विशिष्ट विवेचना हेतु मनोज कुमार ठाकुर, पुलिस उपाधीक्षक, उत्तरकाशी तथा सर्वोत्तम थाने के लिये संजय कुमार निरीक्षक थाना सितारगंज को भी पुरस्कृत किया।

राज्य स्थापना दिवस के मौके पर राज्यपाल ने राज्य की जनता को शुभकामनाएं देकर राज्य आन्दोलनकारियों को नमन किया। राज्यपाल ने अनुशासित और भव्य पुलिस परेड के लिए पुलिस परिवार को बधाई दी।

राज्यपाल ने कहा कि 18 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर हमें ईमानदारी से मूल्यांकन करना होगा तथा आगे बढ़ने का लक्ष्य निर्धारित करना होगा। अपनी स्थापना के 18 वर्षों में उत्तराखण्ड ने विकास के कई मापदण्डों पर अच्छा प्रदर्शन किया है, परन्तु फिर भी कई चुनौतियां अभी भी है जिनका समाधान किया जाना जरूरी है।

राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने कहा कि राज्य के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों के मध्य आर्थिक-सामाजिक विकास के गैप को मिटाना होगा। पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं और युवाओं के हाथों में रोजगार देकर ही इस कार्य को किया जा सकता है। उन्होंने युवाओं से प्रदेश व देश के विकास में योगदान करने का आह्वान किया। राज्यपाल ने राज्य निर्माण में मातृशक्ति के योगदान का उल्लेख करते हुए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को शत प्रतिशत सफल बनाने का भी आह्वान किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड आज 18 वर्ष पूर्ण कर रहा है और किशोरावस्था से यौवन की ओर आगे बढ़ रहा है। राज्य निरंतर प्रगति करता रहेगा, ऐसा विश्वास है। इस अवसर पर हम उन नौजवानों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने राज्य के लिए अपना बलिदान दिया। हम सभी राज्य आंदोलनकारियों को जिन्होंने राज्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया, शुभकामनाएं देते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड पुलिस ने नित नये आयाम स्थापित किए हैं। चाहे साइबर क्राइम हो या अन्य अपराध। उत्तराखंड पुलिस ने पूरे समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है। इसके लिये उत्तराखंड पुलिस बधाई की पात्र है। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य के दो थानों को देश के टॉप 10 सर्वोत्तम थानों में स्थान मिला है।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर दो पुलिस पत्रिकाओं का विमोचन भी किया।

रैतिक परेड की प्रथम कमाण्डर देहरादून एसएसपी निवेदिता कुकरेती, द्वितीय कमाण्डर लोकेश्वर सिंह तथा परेड एडजुटेण्ट शेखर चन्द्र सुयाल थे। रैतिक परेड के उपरांत उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा महिला पाइप बैण्ड, डॉग शो, एण्टीटेररिस्ट स्क्वाड डेमो, एसडीआरएफ डेमो, मोटर साइकिलिंग और घुड़सवारी के हैरतअंगेज प्रदर्शन दिखाये गए। इस दौरान कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक सहित आला अधिकारी मौजूद रहे।

शिक्षकों के संवेदनशील बनने से लाई जा सकती है शिक्षा में गुणवत्ता

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षकों को शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिये नैतिकता, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षक शिक्षा के साथ बच्चों को संस्कार भी दें। कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए। यही बच्चे आने वाले समय में देश का भविष्य तय करेंगे।

उत्तराखंड के उच्च शिक्षा विभाग और पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से पतंजलि योगपीठ में आयोजित दो दिवसीय ज्ञानकुंभ में 18 राज्यों के उच्च शिक्षामंत्री व उच्च शिक्षा सचिव और 131 विश्वविद्यालयों के कुलपति भाग ले रहे हैं। इसमें उच्चतर शिक्षा में गुणात्मक सुधार और भविष्य की चुनौतियों पर मंथन किया जा रहा है। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के तीन प्रमुख स्तंभ हैं। शिक्षक, विद्यार्थी और प्रबंधन। इनमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षक की है।

उन्होंने आचार्य चाणक्य, पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए शिक्षक की भूमिका को रेखांकित किया। कहा कि यह शिक्षक का दायित्व है कि वह शिष्य की प्रतिभा को पहचान उसे निखारे। भारत रत्घ्घ्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के जीवन का उदाहरण देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उनके गुरु ने डॉ. भीमराव की मेधा को पहचाना था और उन्हें अपना उपनाम आंबेडकर दिया। आयोजन के लिए उत्तराखंड सरकार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इस मंथन से निकलने वाले परिणाम की उन्हें भी प्रतीक्षा रहेगी।

योग गुरु बाबा रामदेव के कार्य को सराहते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा ने योग को कंदराओं से निकाल घर-घर पहुंचा दिया। इससे पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने शिक्षा में तकनीक का समावेश करने के साथ ही संस्कृत को बढ़ावा देने पर जोर दिया। वहीं योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाना है तो हर नागरिक को शिक्षित करना होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ज्ञानकुंभ के आयोजन पर प्रकाश डालते हुए देश में उच्च शिक्षा के हालात रखे।

एम्स का दीक्षांत समारोहः स्वास्थ्य लाभ के लिये बापू देते थे उत्तराखंड को महत्वः कोविंद

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के प्रथम दीक्षांत समारोह में पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म की अपार संभावनाएं है। इस राज्य के विकास को यदि सही गति मिले तो यह यूरोप से भी बेहतर सेवायें दे सकता है। स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से महात्मा गांधी भी उत्तराखंड को खास महत्व देते थे। कहा कि योग, अध्यात्म और आयुर्वेद उत्तराखंड की धरोहर हैं। इस दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार की भी प्रशंसा की। एम्स की आठ बेटियों को गोल्ड मेडल व उपाधि देने पर राष्ट्रपति ने प्रसन्नता जाहिर की।

एम्स ऋषिकेश की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलना चाहिए। चिकित्सा सेवाओं का स्तर ऊंचा उठने से यहां के लोगों की महानगरों पर निर्भरता कम होगी। उन्होंने उम्मीद जताई की एम्स यहां महिलाओं में बढ़ रहे एनीमिया और रक्तचाप जैसे रोगों को लेकर शोध करेगा। चिकित्सकों को टेलीमेडिसिन का लाभ पहुंचाया जा सकता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना से देश की 40 फीसदी आबादी जुड़ चुकी है। एम्स शोध, चिकित्सा विज्ञान और शिक्षा की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि कैंसर उपचार के लिए ऋषिकेश एम्स श्रेष्ठ संस्थान बनेगा। कहा कि जल्द ही केंद्र सरकार 14 और नये एम्स खोलने जा रही है।

एम्स के निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने संस्थान की शैक्षणिक व चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में प्रगति का उल्लेख किया। कहा कि नए खुले छह एम्स में ऋषिकेश एक मात्र संस्थान है जिसमें आयुष्मान भारत योजना सबसे पहले लागू की है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की देन है।

इससे पहले राष्ट्रपति ने पीएचडी की एक एमबीबीएस की पांच और नर्सिंग की दो छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किए। इसके अलावा 162 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। इनमें 44 एमबीबीएस और 117 बीएससी नर्सिंगग शामिल है।

समारोह में उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और माला राज्य लक्ष्मी शाह, मुख्य सचिव उत्पल कुमार, पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी आदि उपस्थित थे।

900 छात्रों ने छोड़ा संस्थान, राष्ट्रपति सहित मुख्य न्यायधीश को किया सूचित

एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) में स्थायी कैंपस पुख्ता इंतजाम न होने के कारण यहां के करीब 900 छात्र-छात्राओं ने संस्थान छोड़कर अपने घरों का रूख किया। छात्रों ने कहा कि स्थायी कैंपस और पुख्ता सुरक्षा इंतजाम होने पर ही वह संस्थान में वापस लौटेंगे। छात्रों ने मेल, फैक्स आदि के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और मानव संसाधन मंत्री के साथ ही उत्तराखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को अपने निर्णय की सूचना दी है।

स्थायी परिसर का निर्माण जल्द शुरू कराने और तब तक अस्थायी परिसर अन्यत्र शिफ्ट करने की मांग को लेकर संस्थान में पढ़ रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों के छात्र-छात्रएं 19 दिनों से कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे थे। मंगलवार सुबह ये सभी हास्टल में अपने कमरों पर ताले डालकर घर चले गए।

छात्र-छात्रओं ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में उल्लेख किया है कि सामूहिक चर्चा के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया है। अब वे संस्थान में तभी लौटेंगे, जब उनकी मांगों पर कार्रवाई शुरू हो जाएगी। इधर, एनआइटी के कुलसचिव कर्नल सुखपाल सिंह का कहना है कि निदेशक डॉ. श्याम लाल सोनी ने घटनाक्रम से मानव संसाधन मंत्रलय के उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।

एनआईटी की कक्षाएं दो परिसरों में संचालित हो रही है। प्रयोगशाला और प्रशासनिक भवन पुराने आईटीआई की जमीन पर बनाए गए हैं, जबकि कक्षाएं यहां से दो सौ मीटर दूरी पर पालीटेक्निक भवन में संचालित की जा रही हैं। हॉस्टल के लिए संस्थान ने यहां से कुछ दूरी पर होटल किराये पर ले रखे हैं। छात्र-छात्रएं इस व्यवस्था से खफा हैं। उनका कहना है कि ये सब एक ही कैंपस में होना चाहिए। मौजूदा व्यवस्था में सुरक्षा को लेकर भी बच्चे सशंकित रहते हैं, इसी महीने की शुरुआत में एक से दूसरे कैंपस में जाते वक्त दो छात्रएं वाहन की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इनमें एक का अभी उपचार चल रहा है।

हाईकोर्ट बोला, मरीज की पर्ची पर अंग्रेजी के कैपिटल लेटर में लिखे दवा का नाम

प्रदेश के सरकारी व निजी अस्पतालों को आदेश देते हुये हाईकोर्ट ने कहा कि सभी चिकित्सक मरीजों की पर्ची पर कंप्यूटर से दवा व बीमारी का नाम लिखे। साथ ही दवा का नाम अंग्रेजी के कैपिटल लेटर में लिखे। साथ ही अस्पतालों में जांच की दरें समान करने व जेनेरिक दवाएं ही दिए जाने संबंधित आदेश को चुनौती देती याचिकाएं खारिज कर दी।

हिमालयन मेडिकल कॉलेज जौलीग्रांट, सिनर्जी हॉस्पिटल की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। जिसमें 14 अगस्त को पारित आदेश पर पुनर्विचार करने की प्रार्थना की गई थी। इस आदेश में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विपरीत संचालित अस्पतालों को बंद करने के निर्देश दिए थे। शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए सरकारी व प्राइवेट चिकित्सकों को निर्देश दिए कि मरीजों की पर्ची में बीमारी का नाम व दवा कंप्यूटर प्रिंटेड हो।

खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका में जेनेरिक से दूसरी दवा अंकित करने के आग्रह को भी नामंजूर करते हुए ब्रांडेड के बजाय जेनेरिक दवा लिखने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि राज्य के सभी चिकित्सकों को कंप्यूटर प्रिंटर आदि उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं है, लिहाजा उनको समय दिया जाए। इस तर्क से सहमत होते हुए कोर्ट ने कहा कि इसे प्रभावी करने में कम से कम समय लिया जाए।

पूर्व में कोर्ट ने प्रदेश में अवैध ढंग से संचालित अस्पतालों को सील करने व मेडिकल जांच व परीक्षणों के दाम तय करने को कहा था। बाजपुर निवासी अख्तर मलिक की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हैरानी जताई थी कि बाजपुर दोराहा स्थित बीडी अस्पताल, केलाखेड़ा स्थित पब्लिक हॉस्पिटल के खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई।

राज्य की न्याय पंचायतें ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित हो रहीः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री ने राज्य स्तरीय कार्यशाला व पोषण अभियान का शुभारंभ करते हुये कहा कि राज्य में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना व राष्ट्रीय पोषण अभियान के द्वारा महिला व बाल कुपोषण को समाप्त करने हेतु प्रभावी प्रयास किये जा रहे है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रकाशित कैलेण्डर व पोषण गीत का विमोचन किया।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय पोषण मिशन का उद्देश्य ठिगनापन, अल्पपोषण दूर करना व छोटे बच्चों, महिलाओं एवं किशोरियों में एनीमिया को कम करना है। इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं, दूध पिलाने वाली माताओं और तीन साल के कम आयु के बच्चों को शामिल किया जाएगा। योजना में आईसीडीएस कर्मचारियों तथा सामुदायिक पोषक कार्यकर्ताओं में कौशल व क्षमता में सुधार लाने के लिए निवेश किया जाएगा।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड के परम्परागत पर्वतीय खानपान पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। हमारा स्थानीय अनाज, सब्जियॉं, वनों से मिलने वाले फल-फूल, वनस्पति अत्यन्त पौष्टिक है। हमारे बुर्जुगों ने खानपान की स्वास्थ्य वर्धक परम्पराओं को अपनाया था।

उन्होंने कहा कि कुपोषण को समाप्त करने के लिए सभी विभागों को मिलजुल कर कार्य करना होगा। आंगनबाड़ी केन्द्रों को बाल कुपोषण को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। कुपोषण को दूर करने व बिमारियों से बचाव में स्वच्छता का विशेष महत्व है। आमजन को स्वच्छता व टीकाकरण के प्रति जागरूक करना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पोषण अभियान के प्रति आमजन विशेषकर महिलाओं को जागरूक किए जाने की आवश्यकता है। हमें कुपोषण के प्रति जन अभियान चलाना होगा ताकि हम पूर्णतः स्वस्थ राज्य व देश बन सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 670 न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेन्टर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इनमें से 107 को चयन कर लिया गया है। गांव के आस-पास के स्थानीय उत्पादों का उत्पादन, प्रसंस्करण, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, ब्रांडिग, वैल्यू एडिशन आदि स्थानीय लोगों के माध्यम करवाने की मूल परिकल्पना पर आधारित न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेन्टर के रूप विकसित किया जा रहा है। ग्रोथ सेन्टरों में महिला लाभार्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी।

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि राज्य को कुपोषण मुक्त करने के लिये मुख्यमंत्री बाल पोषण अभियान आरम्भ किया गया है। समेकित बाल विकास सेवाओं के तहत टेक होम राशन अनुपूरक पोषाहार के रूप में वितरित किया जा रहा है। प्रत्येक माह की पांच तारीख को वजन एवं पोषण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिस दिन समस्त लाभार्थियों को आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से पोषाहार वितरित किया जाता है।

सीएम बोले, राज्य में महिलायें स्वावलंबी बन रही

सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि केदारनाथ में 19 लाख का प्रसाद वितरित किया गया। यह आंकड़ा भविष्य में डेढ़ करोड़ रूपये तक पहुंचने की उम्मीद है। सीएम ने बताया कि यह सभी प्रसाद केदारनाथ क्षेत्र की ही महिलाओं ने बनाया था। इससे जहां महिलाओं को रोजगार मिला। वहीं पलायन पर भी रोक लगी। उन्होंने बताया कि प्रसाद के बदले मिला रूपया सीधे महिलाओं को मिला।

सीएम ने चौलाई, मंडवा आदि पारंपरिक उत्पादों को लेकर कहा कि ग्रोथ सेंटर भविष्य में रोजगार का एक बड़ा बनेंगे। मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि 22 जुलाई को रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान के अंतर्गत लंढौर मसूरी से लेकर मोथरोवाला तक पेड़ लगाएं। बैठक में सीएम ने डोईवाला में सीपेट की स्थापना का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि इससे पहले साल 1500 बच्चे निकलेंगे, जिन्हें कम से कम 30000 रुपये महीने का रोजगार मिलेगा। क्योंकि सीपेट की डिमांड बच्चों की तुलना में 300 फीसद अधिक है और सीपेट में 85 फीसद बच्चे उत्तराखंड से ही लिए जाएंगे। सीएम ने निफ्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इसके लिए 200 करोड़ स्वीकृत हुआ है पर इसमें सीपेट के मुकाबले रोजगार सृजन की इतनी गारंटी नहीं है।

इजरायल से सीखना होगा बर्षा जल का इस्तेमाल

वहीं, सीएम ने बताया कि झाझरा में बनने वाली साइंस सिटी के लिए जमीन उपलब्ध कराने पर काम चल रहा है। मुख्यमंत्री ने पिरुल के लिए भी वित्त उपलब्ध कराने की बात कही। इसके साथ ही सूखते हुए नदी-नाले और स्त्रोत को लेकर उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा में आज 45 प्रतिशत जल कम हो गया है। हमें इजराइल से सीखना होगा कि वो किस तरह से बारिश के पानी का 95 प्रतिशत तक दोबारा इस्तेमाल कर लेता है।

देहरादून में बन रहे सौंग बांध को लेकर सीएम ने कहा, हमारी योजना है कि करीब एक साल में बांध को तैयार कर लिया जाए। उन्होंने बताया कि समय सीमा में कार्य करने के कारण इसकी लागत 1200 सौ करोड़ से घटकर 750 करोड़ हो गई है। वहीं, मलढूंग बांध और सौंग बांध से देहरादून की पेयजल की समस्या भी हल होगी और विद्युत उत्पादन के साथ लैंड रिचार्ज भी होगा।

आईडीपीएल वापस पाना एक बड़ी उपलब्धि

कार्यसमिति की बैठक में सीएम ने कहा कि ऋषिकेश आईडीपीएल वापस पाना एक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि इस पूरी 936 एकड़ जमीन का मूल्य करीब दो हजार करोड़ रुपये है। जिसमें से 200 एकड़ एम्स को, कुछ भूमि आईडीपीएल को और शेष लगभग 700 एकड़ भूमि पर कन्वेंशन सेंटर बनाया जाएगा, जो पूरे भारत में एक अनूठी मिसाल होगा।

सीएम ने मलिन बस्तियों के मुद्दे पर कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2021 तक एक लाख चालीस हजार घर बनाने का लक्ष्य है। इसे समय से पूरा करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। प्रभारी मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि जनता ने हमें जनादेश दिया है और इस कारण तोड़फोड़ से जनता को होने वाली परेशानी को हमें ही समझना होगा। उन्होंने एक दिन पहले बुलाई बैठक का हवाला देते हुए कहा कि हमने इस संबंध में वीसी एमडीडीए और जिलाधिकारी को आदेश दे दिए हैं। वहीं, कार्यसमिति के समापन पर बस दुर्घटनाओं और आपदाओं में मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया ।

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