उत्तराखंडः राष्ट्रीय खेलों को एण्टी ड्रग्स अभियान, ग्रीन नेशनल गेम्स तथा राज्य में खेल संस्कृति विकसित करने के अभियान से जोड़ेंगे

राज्य में प्रस्तावित 38वें राष्ट्रीय खेलों के साथ ही दूरदर्शी योजना के साथ उत्तराखण्ड में लम्बी अवधि के लिए खेल इन्फा्रस्ट्रक्चर एवं खेल सुविधाओं का विकास पर विशेष बल देते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में विश्व स्तरीय खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर व सुविधाएं निर्धारित समयसीमा में विकसित करने के निर्देश खेल विभाग को सचिवालय में 38वें राष्ट्रीय खेलों के लिए गठित उच्चाधिकार समिति (एचपीसी) की बैठक के दौरान दिए हैं। प्रस्तावित नेशनल गेम्स के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास से सम्बन्धित 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखण्ड को ग्रीन स्पोर्ट्स तथा ग्रीन टूरिज्म के विश्व स्तरीय मेजबान के रूप में स्थापित करने का स्वर्णिम अवसर है। उन्होंने निर्देश दिए कि खेल सुविधाओं एवं खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास इस प्रकार किया जाना चाहिए ताकि राज्य के खिलाड़ी एवं युवा भविष्य में लम्बी अवधि तक इन सुविधाओं का लाभ उठा सके तथा राज्य में स्पोर्ट्स स्प्रिट एवं खेल संस्कृति का विकास हो।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में प्रस्तावित राष्ट्रीय खेलों को एण्टी ड्रग्स अभियान, ग्रीन नेशनल गेम्स तथा राज्य में खेल संस्कृति विकसित करने के अभियान से जोड़ने के निर्देश दिए हैं। प्रस्तावित राष्ट्रीय खेलों को ग्रीन नेशनल गेम्स के रूप में आयोजित करने अवधारणा पर बल देते हुए मुख्य सचिव ने रिसाइक्लड मेडल के उपयोग के निर्देश दिए हैं। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध किया है कि विभिन्न अवसरों पर अधिकारियों को मिलने वाले स्मृति चिन्ह् इस कार्य के लिए दान किये जा सकते हैं। इसके साथ ही मुख्य सचिव ने प्रस्तावित राष्ट्रीय खेलों के स्टेडियम एवं खेल स्थलों को ग्रीन कॉन्सेप्ट तथा सेल्फ सस्टेनबल की अवधारणा पर विकसित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्टेडियम तथा खेल स्थलों पर उरेडा के सहयोग से सोलर लाइट आदि की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने प्रस्तावित राष्ट्रीय खेलों के दृष्टिगत सड़कों के सुधार एवं मजबूती के लिए इस सम्बन्ध में लोक निमार्ण विभाग तथा अन्य सम्बन्धित विभागों के साथ एक बैठक तत्काल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होनें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के दौरान इंटरनेट सुविधाओं पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं।

बैठक में विशेष प्रमुख सचिव खेल एवं युवा कल्याण अमित सिन्हा, सचिव शैलेश बगौली सहित खेल विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

स्वास्थ्य सेवा 108 की पुरानी एवं खराब गाड़ियों को शीर्ष प्राथमिकता पर जल्द बदलने के कड़े निर्देश दिएः राधा रतूड़ी

राज्य में गर्भवती महिलाओं की कठिनाइयों को शीर्ष प्राथमिकता पर लेते हुए नवनियुक्त मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय में अपनी पहली बैठक में राज्य में गर्भवती महिलाओं की चुनौतियों एवं समस्याओं की समीक्षा की। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को उनके जनपदों में होने वाली किसी भी गर्भवती महिला की गर्भावस्था या प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु के ऑडिट या मेटरनल डेथ ऑडिट व्यवस्था का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इस सम्बन्ध में रतूड़ी ने सभी जिलों जल्द से जल्द आंकडे़ स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करवाने तथा प्रत्येक मातृ मृत्यु प्रकरण का अलग-अलग (केस टू केस) अध्ययन के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जनपदों में विशेषरूप से दुर्गम एवं दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में सभी गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच (एण्टी नेटल चेक अप ) को अनिवार्यतः सुनिश्चित करवाने हेतु स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। इस सम्बन्ध में मुख्य सचिव रतूड़ी ने प्रत्येक जनपद में सभी गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण हुआ है या नही तथा कितनी गर्भवती महिलाओं की नियमित प्रसवपूर्व जांच की जा रही है, का टै्रक रिकॉर्ड रखने की सख्त हिदायत दी है। उन्होंने इस सम्बन्ध में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को समुचित प्रशिक्षण देने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने इस सम्बन्ध में आशा एवं आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए एसओपी भी तैयार करने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जानकारी दी गई कि वर्तमान में प्रदेश में 82 प्रतिशत महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जा रही है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अत्यन्त जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं (हाई रिस्क प्रेगन्सी) को चिहिन्त करके उनके स्वास्थ्य का नियमित फॉलोअप करने की कार्ययोजना पर पूरी गंभीरता से कार्य करने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं। वर्तमान में उत्तराखण्ड में संस्थागत प्रसव 91 प्रतिशत हैं, जोकि 81 प्रतिशत से बढ़कर 91 प्रतिशत हो गया है। मुख्य सचिव ने संस्थागत डीलवरी को अधिक से अधिक बढ़ाने हेतु कार्य करने के निर्देश दिए हैं।

राज्य में गर्भवती महिलाओं के प्रसव के दौरान डॉक्टर्स एवं गाइनाकॉलिस्टस की कमी को पूरा करने के सम्बन्ध में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अधिक से अधिक नर्सिंग ऑफिसर्स को इस सम्बन्ध में प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने सम्बन्धित विभाग को स्वास्थ्य सेवा 108 की पुरानी एवं खराब गाड़ियों को शीर्ष प्राथमिकता पर जल्द बदलने के कड़े निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने सभी जनपदों से डोली पालकी की डिमाण्ड शीघ्र स्वास्थ्य विभाग को भेजने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जल्द ही 78.60 लाख के बजट के साथ 262 डोली पालकियां जिलों को उपलब्ध करवाया जाना प्रस्तावित है। महिलाओं के स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से मुख्य सचिव ने जनपदों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी को पूरा करने की कार्ययोजना पर कार्य करने के निर्देश भी सभी जिलाधिकारियों को दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 796 एएनएम तथा 1376 नर्सिंग ऑफिसर्स की भर्ती की गई है। इसके साथ ही 36 विशेषज्ञ डॉक्टर्स को यू कोट वी पे के आधार पर तैनात किया गया है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने गर्भवती महिलाओं को सरकारी योजनाओं के तहत दिए जाने वाले आहार की रैण्डम सैम्पलिंग करके इसको क्रॉस चौक करवाकर भोजन की पौष्टिकता की नियमित जांच के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं के भोजन में स्थानीय अनाजों को प्रोत्साहित करने की हिदायत दी है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों से उनके जिलों में कितनी गर्भवती महिलाओं द्वारा वन स्टॉप सेन्टर को बर्थ वेटिंग हॉम के रूप में उपयोग किया जा रहा है, की जानकारी जल्द उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य में हाई रिस्क प्रेगनेंसी के केसों के सम्बन्ध में वन स्टॉप सेन्टर हेतु 76 लाख रूपये के बजट का प्रावधान किया गया है।

मुख्य सचिव ने 104 कॉल सेन्टर व्यवस्था जिसके तहत एएनएम द्वारा गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य संबंधी फॉलों अप किया जाता हैं, को और अधिक मजबूत करने तथा इसके माध्यम से सभी गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का टै्रक रिकॉर्ड रखने के निर्देश दिए। उन्होंने इस सम्बन्ध में एक सॉफटवेयर जल्द से जल्द लॉच करके सभी जनपदों में इसे लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही मुख्य सचिव रतूड़ी ने स्वास्थ्य विभाग को गर्भवती महिलाओं की सहायता हेतु टेलीमेडिसिन को भी राज्य में अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं हेतु राज्य में 109 डिलीवरी पॉइन्टस को उपकरणों तथा मानव संसाधनों की दृष्टि से मजबूत किया जा रहा है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी सभी जिलाधिकारियों से उनके जनपदों में हीमोग्लोबिन मीटर की डिमाण्ड जल्द से जल्द स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिसपॉन्सिबिलिटी) फण्ड की सहायता से कार्य किया जाएगा। मुख्य सचिव ने प्रदेश में गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से आयरन फॉलिक एसिड टेबलेट की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने के भी निर्देश दिए हैं।

मातृ मृत्यु दर के सम्बन्ध में उत्तराखण्ड की स्थिति 103 है। राज्य सरकार द्वारा 2030 तक उत्तराखण्ड के मातृ मृत्यु दर को 70 पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में भारत में मातृ मृत्यु दर 197 है।

बैठक में सचिव डा0 आर राजेश कुमार, एच सी सेमवाल, अपर सचिव आन्नद श्रीवास्तव एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जनपदों के जिलाधिकारी सहित सम्बन्धित अधिकारी मौजूद रहे।

निवर्तमान सीएस संधु ने नवनियुक्त राधा रतूड़ी को सौंपा पदभार


नवनियुक्त मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय स्थित मुख्य सचिव कार्यालय में पदभार ग्रहण किया। निवर्तमान मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मुख्य सचिव रतूड़ी को पदभार सौंपा।

इस अवसर पर नवनियुक्त मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि यह दशक उत्तराखण्ड का दशक होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप उत्तराखण्ड को आगे ले जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के मूल मंत्र सरलीकरण, समाधान, निस्तारण और संतुष्टि की दिशा में एक टीम के रूप में कार्य करते हुए देश का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाने के लिए कार्य करेंगे। मुख्यमंत्री के विजन के अनुरूप अंतिम व्यक्ति तक विकास योजनाओं का लाभ पहुंचाने की दिशा में लगातार कार्य किया जाएगा।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, अरविंद सिंह ह्यांकी, राधिका झा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

धामी कैबिनेट ने महत्वपूर्ण फैसलों पर लगाई मुहर

कैबिनेट द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

1- उत्तराखंड वित्तीय नियम समिति की संस्तुतियों के अनुसार विभिन्न संवर्ग के कार्मिकों को वाहन भत्ता अनुमन्य किये जाने के संबंध में।
राज्य सरकार के सरकारी सेवकों को जिन्हें अपने पदेन कर्तव्यों से सम्बन्धित कार्यों को करने के लिए बहुधा अल्प दूरी की यात्राएँ करनी पड़ती हैं एवं जिसके लिए यात्रा भत्ता अनुमन्य नहीं है तथा जिन्हें वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-3 के नियम-82 के अधीन परिशिष्ट-8 में उल्लिखित सूची एवं समय-समय पर शासन द्वारा निर्गत आदेशों के अन्तर्गत वाहन भत्ता अनुमन्य कराया जा रहा है, को वित्तीय नियम समिति की संस्तुतियों के अनुसार मासिक रूप से प्राप्त वाहन भत्ता तालिकानुसार दिनांक 01 जनवरी, 2024 से अनुमन्य किये जाने हेतु प्रस्तुत प्रस्ताव पर विचलन के माध्यम से प्राप्त मा० मंत्रिमण्डल के अनुमोदन के क्रम में शासनादेश संख्या-174877/XXVII(7)/E- 42461/2022 दिनांक 13 दिसम्बर, 2023 निर्गत (संलग्न) किये जाने के पश्चात कृत कार्यवाही से मा० मंत्रिमण्डल को अवगत कराये जाने हेतु प्रस्ताव मा० मंत्रिमण्डल के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

2- वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुए स्टाफिंग पैटर्न के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रू0 4800/- में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किये जाने के संबंध में।

वैयक्तिक सहायक संवर्ग में ग्रेड वेतन रू0 4800/- में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी पदनाम से नया पद सृजित किये जाने एवं वैयक्तिक सहायक संवर्ग में तालिका के स्तम्भ-6 के अनुसार संशोधित स्टाफिंग पैटर्न लागू किये जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है।

3- उत्तराखण्ड पशु चिकित्सा सेवा (संशोधन) नियमावली, 2024 के संबंध में।
उत्तराखण्ड पशु चिकित्सा सेवा हेतु वर्तमान में उत्तराखण्ड पशु चिकित्सा सेवा नियमावली. 2021 प्रख्यापित है। उक्त नियमावली में पशुचिकित्साधिकारियों हेतु पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-2 व पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-1 पदनाम उल्लिखित है।) (राजकीय पशुचिकित्सालयों/रोग अनुसंधान प्रयोगशालाओं/राजकीय पशुधन प्रक्षेत्रों / निदेशालय / अपर निदेशक कार्यालयों/ बोर्डो /विभिन्न कार्यालयों में सेवारत पशुचिकित्सा अधिकारियों हेतु पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-1 एवं पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-2 पदनाम सृजित किये गये है) पशुचिकित्साविदों हेतु सृजित वर्तमान पदनाम, राजकीय पशुचिकित्सालयों के अतिरिक्त अन्य कार्यालयों में पदस्थापित पशुचिकित्साविदों के कार्य प्रकृति से मेल नहीं खाते हैं। अतः उक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों के दृष्टिगत विभागीय आवश्यकतानुरूप पशु चिकित्सा संवर्ग में पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-2 एवं पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-1 का वेतनमान यथावत् रखते हुए केवल पदनाम परिवर्तन तालिकानुसार किया जाना है ।

4- विभिन्न विभागों में कार्यरत सहायक अभियन्ताओं को मोटरकार के लिए वाहन भत्ता अनुमन्य किये जाने के सम्बन्ध में।
राज्य में वाहन भत्ता दिये जाने के सम्बन्ध में लागू संगत शासनादेशों तथा वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-3 के नियम-82 के अधीन राजकीय विभागों में कार्यरत सहायक अभियन्ताओं को मोटर कार (जहां औसत स्थानीय यात्रा 400 किलोमीटर प्रतिमाह से अधिक होती है) के लिए वाहन भत्ता अनुमन्य किये जाने के प्रस्ताव पर विचलन के माध्यम से प्राप्त मा० मंत्रिमण्डल के अनुमोदन के क्रम में शासनादेश संख्या-174509/XXVII(7)/E-65724/2023 दिनांक 12 दिसम्बर, 2023 (संलग्न) निर्गत किये जाने के पश्चात कृत कार्यवाही से मा० मंत्रिमण्डल को अवगत कराये जाने हेतु प्रस्ताव मा० मंत्रिमण्डल के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

5- मत्स्य विभागान्तर्गत जलाशयों के ठेकेदारों को 05 वर्षों हेतु ठेका प्राप्त होने पर प्रथम वर्ष में मत्स्य बीज संचय करने के उपरान्त जलाशय की क्षमतानुसार उत्पादन प्राप्त करने हेतु लगभग 02 वर्षों का समय लगता है, इसके अतिरिक्त अन्तिम वर्षों में ठेका समाप्त होने के दृष्टिगत ठेकेदार द्वारा जलाशय में उपलब्ध स्टॉक को पूर्णतः खाली किये जाने का भरसक प्रयास किया जाता है जिस कारण जलाशय की उत्पादकता पर असर पड़ता है। अतः प्रस्तावित संशोधित नियमावली “उत्तराखण्ड मत्स्य (संशोधन) नियमावली, 2024” में ठेका अवधि “05 वर्ष से 10 वर्ष” एवं “खुली ई-निविदा” किये जाने पर मुख्यतः निग्नवत लाभ होंगे:-
1. जलाशयों की वर्तमान उत्पादकता 41 कि०ग्रा० प्रति हैक्टेयर से 60-65 कि०ग्रा० प्रति हैक्टेयर होगी।
2. राज्य को प्राप्त होने वाले राजस्व में लगभग 50 से 60 प्रतिशत तक वृद्धि होगी।
3. वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर मत्स्य बीज संचय एवं मत्स्य आखेट से जलाशय का जलजैविक संतुलन बना रहेगा।
4. जलाशयों का उचित प्रबन्धन, व्यापक जनहित एवं राज्य हित में होगा।
5. “खुली ई-निविदा” किये जाने पर निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता आयेगी।

6- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय को कार्यालय भवन निर्माण हेतु लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व की भूमि का निःशुल्क हस्तान्तरण।
राज्य में स्थित राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण एवं रख-रखाव तथा सड़क परिवहन एक राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार (मोर्थ) द्वारा केन्द्र पोषित योजनाओं यथा-केन्द्रीय सड़क अवसंरचना निधि (सी०आर०आई०एफ०), एन०एच० (ओ०) आदि परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु देहरादून में क्षत्रीय कार्यालय स्थापित है। यह कार्यालय किराये के भवन में संचालित है। उल्लेखनीय है कि विगत 05 वर्षों में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एन०एच० (ओ०) के अन्तर्गत लगभग रु० 15,000.00 करोड़ तथा सी०आर०आई०एच० के अन्तर्गत लगभग रु० 12,00.00 करोड क्री स्वीकृतियां निर्गत की गयी है। केन्द्र सरकार की सहायता से सड़क एवं सेतुओं के निर्माण में राज्य ने आशातीत प्रगति की गयी है। केन्द्र सरकार के कार्यालय भवन हेतु भूमि की उपलब्धता होने पर राज्य के राष्ट्रीय राजमार्ग खण्ड, डोईवाला एवं देहरादून (वर्तमान में किराये के भवन पर संचालित) अधीक्षण अभियन्ता (एन० एच०, गढ़वाल) तथा मुख्य अभियन्ता (एन०एच०, उत्तराखण्ड) के कार्यालय को भी प्रस्तावित भवन में स्थानांतरित किया जाना प्रस्तावित है। अतः लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व की 06 नम्बर पुलिया, रिंग रोड, देहरादून स्थित 0.0266 हेक्टेयर भूमि को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के क्षेत्रीय कार्यालय के भवन निर्माण हेतु निःशुल्क उपलब्ध करायी जानी है। कार्यालय भवन निर्माण का व्यय भारत सरकार द्वारा स्वयं वहन किया जाना है।

7- पुरानी जेल परिसर, देहरादून में स्थित न्याय विभाग के स्वामित्व की कुल 0.7401 है० भूमि में से 05 बीघा भूमि बार एसोसिएशन, देहरादून में अधिवक्ताओं के चैम्बर निर्माण हेतु 1.00 रूपये प्रतिवर्ष की दर से 30 वर्षों के लिए लीज पर दिया जाना।
पुरानी जेल परिसर, देहरादून में स्थित न्याय विभाग के स्वामित्व की कुल 0.7401 है० भूमि में से 05 बीघा भूमि बार एसोसिएशन, देहरादून में अधिवक्ताओं के चैम्बर निर्माण हेतु 1.00 रूपये प्रतिवर्ष की दर से 30 वर्षों के लिए लीज पर दिये जाने के प्रस्ताव को विचलन के माध्यम से मा० मुख्यमंत्री जी, उत्तराखण्ड सरकार की अनुमति के क्रम में शासनादेश क्रमांक- 09/XXXVI-A-3/2024-10/ सा0 /2018, दिनांक 16.01.2024 द्वारा उक्त 05 बीघा भूमि बार एसोसिएशन, देहरादून को हस्तान्तरित किये जाने के आदेश निर्गत कर दिये गये हैं। प्रस्ताव मा० मंत्रिमण्डल के संज्ञानार्थ प्रस्तुत ।

8- उत्तराखण्ड बाढ़ मैदान परिक्षेत्रण अधिनियम, 2012, समय-समय पर यथा संशोधित के प्राविधानानुसार जनपद हरिद्वार में तहसील हरिद्वार के अन्तर्गत गंगा नदी के दांये तट पर हरिपुर कलां से चण्डी पुल तक एवं जनपद देहरादून के अन्तर्गत ऋषिकेश क्षेत्र में ढालवाला ड्रेन से पशुलोक बैराज एवं पशुलोक बैराज से हरिपुर कला तक गंगा नदी के दांये तट पर (ऋषिकेश, खड़कमाफ, गौहरीमाफी, रायवाला एवं हरिपुर परगना-परवादून) तक हेतु अन्तिम अधिसूचना निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में समयबद्धता के दृष्टिगत प्रकरण में विचलन के माध्यम से मा० मुख्यमंत्री जी की संस्तुति / अनुमोदन प्राप्त करने के उपरान्त अधिसूचना संख्या-40 एवं 41 दिनांक 08.01.2024 को निर्गत कर दी गयी है। प्रस्तुत प्रस्ताव को मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा विचलन से संस्तुति / अनुमोदन की सूचना मा० मंत्रिमण्डल के अवगतार्थ प्रस्तुत किया जाना।

9- भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के पुनर्गठित ढांचे में अतिरिक्त अवशेष पदों के सृजन के सम्बन्ध में।
मा० मंत्रिमण्डल की बैठक दिनांक 04.12.2023 में लिये गये निर्णय के अनुपालन में दिनांक 16.12.2023 द्वारा पुनर्गठित भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के ढांचे में औचित्यपूर्ण पाये गये 07 अतिरिक्त पदों को सृजित कराया जा रहा है।

10- उत्तराखण्ड रिवर ड्रेजिंग नीति, 2021 में आंशिक संशोधन किये जाने के सम्बन्ध में।
मा० उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड द्वारा जनहित याचिका सं0 169/2022 ‘गगन परासर बनाम उत्तराखण्ड राज्य व अन्य’ में पारित आदेश दिनांक 14.12.2023 के अनुपालन में तथा उक्त नियमावली के प्राविधानों को सरलीकृत / व्यवहारिक बनाये जाने के दृष्टिगत उत्तराखण्ड रिवर ड्रेजिंग नीति, 2021 के कतिपय प्राविधानों को संशोधित किया जा रहा है।

11- व्यवसाय संघ (उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2020 को सदन के पटल से वापस लिये जाने के संबंध में।
राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के उद्देश्य से व्यवसाय संघ अधिनियम, 1926 की धारा 04 एवं धारा 09 में संशोधन करते हुए व्यवसाय संघ (उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया था, जिसमें किसी व्यवसाय संघ को रजिस्ट्रीकृत किये जाने हेतु उसमें नियोजित कर्मकारों की संख्या दस प्रतिशत या एक सौ कर्मकारों के स्थान पर तीस प्रतिशत रखा गया था। जिसे केन्द्रीय व्यवसाय संघ अधिनियम, 1926 के प्राविधानों के विरूद्व पाते हुए भारत सरकार ने वापस लिये जाने की अपेक्षा की गयी है। तत्क्रम में व्यवसाय संघ (उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2020 को सदन के पटल से वापस लिये जाने हेतु मा० मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।

12- राज्य सरकार की महिला सरकारी सेवकों / एकल अभिभावक (महिला एवं पुरूष) सरकारी सेवकों को बाल्य देखभाल अवकाश (Child Care Leave) अनुमन्य किये जाने सम्बन्धी कार्यालय ज्ञाप दिनांक 01 जून, 2023 में आंशिक संशोधन किये जाने के सम्बन्ध में।
राज्य सरकार की महिला सरकारी सेवकों / एकल अभिभावक (महिला एवं पुरूष) सरकारी सेवकों को वित्त विभाग, उत्तराखण्ड शासन के कार्यालय ज्ञाप दिनांक 01 जून, 2023 द्वारा विशिष्ट परिस्थितियों यथा सन्तान की बिमारी अथवा परीक्षा आदि में सन्तान की 18 वर्ष की आयु तक देखभाल हेतु सम्पूर्ण सेवाकाल में अधिकतम दो वर्ष (730 दिन) का बाल्य देखभाल अवकाश इस शर्त / प्रतिबन्ध के साथ अनुमन्य किया गया है किः-
बाल्य देखभाल अवकाश में रहते हुए कार्मिक को पहले 365 दिनों में उन्हें अनुमन्य अवकाश वेतन का 100 प्रतिशत तथा अगले 365 दिनों में उन्हें अनुमन्य अवकाश वेतन का 80 प्रतिशत वेतन दिया जायेगा। जिन महिला सरकारी सेवकों द्वारा पूर्व से बाल्य देखभाल अवकाश लिया जा रहा है, के सम्बन्ध में यह प्रावधान अवकाश लेखे में बचे हुए अवकाशों पर ही नियमानुसार लागू होगा।”
विभिन्न माध्यमों से उक्त शर्त / प्रतिबन्ध को विलोपित किये जाने हेतु राज्य सरकार को प्राप्त प्रत्यावेदनों का पुनः परीक्षण किये जाने के क्रम में उक्त उल्लिखित शर्त / प्रतिबन्ध को निम्नवत् संशोधित किये जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है:-
“राज्य सरकार की महिला सरकारी सेवकों / एकल अभिभावक (महिला एवं पुरुष) सरकारी सेवकों को बाल्य देखभाल अवकाश की अवधि के दौरान अवकाश पर प्रस्थान करने से पूर्व प्राप्त हो रहे /आहरित वेतन के समतुल्य ‘अवकाश वेतन देय होगा।”

13- उत्तराखण्ड राज्य के अनेक प्रतिभावान खिलाड़ियों द्वारा अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से राज्य को खेलों के क्षेत्र में नई पहचान दी है: अतः प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किए जाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के कुशल खिलाड़ियों को लोक सेवाओं और पदों में 04 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण अनुमन्य किये जाने के सम्बन्ध में उत्तराखण्ड लोक सेवा (अन्तर्राष्ट्रीय / राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में पदक विजेता / प्रतिभाग करने वाले कुशल खिलाड़ियों के लिए क्षैतिज आरक्षण) विधेयक, 2024 को विधानसभा के पटल पर रखे जाने हेतु कैबिनेट द्वारा दी गयी मंजूरी।

14- उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अधीन सहासिक पर्यटन विंग के कार्मिकों के ढांचे में सृजित विषय-विशेषज्ञ (जल, थल एवं वायु कीड़ा) के नियत वेतन (संविदा) के पदों हेतु निर्धारित अर्हताओं में संशोधन किये जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अधीन सहासिक पर्यटन विंग के कार्मिकों के ढांचे में सृजित विषय विशेषज्ञ (जल, थल एवं वायु क्रीडा) के नियत वेतन (संविदा) आधारित पदों पर भर्ती / नियुक्ति हेतु अर्हताओं में संशोधन किया गया है, जिससे राज्य में सहासिक पर्यटन क्षेत्र की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

15- वाईब्रेन्ट विलेज योजानान्तर्गत सीमान्त गांव जादुंग उत्तरकाशी के पर्यटन विकास हेतु होम स्टे कलस्टर के रूप में विकसित करने हेतु योजना प्रख्यापित किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
सीमान्त गांव जादूंग भारत सरकार द्वारा संचालित “चाईब्रेन्ट विलेज” के अन्तर्गत चिन्हित है जिसे टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाना है, जिससे उत्तराखण्ड राज्य में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि एवं गांव के मूल निवासियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो पायेंगें। अतः वाईब्रेन्ट विलेज योजानान्तर्गत सीमान्त गांव जादुंग उत्तरकाशी के पर्यटन विकास हेतु होम स्टे कलस्टर के रूप में विकसित करने हेतु योजना प्रख्यापित किये जाने पर अनुमति प्रदान की गयी है।

16- लखवाड-व्यासी जल विद्युत परियोजना के पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन हेतु पूर्व निर्गत शासनादेश सं० 66 दिनांक 13.01.2016 के प्रस्तर-8 (ब) के अन्तर्गत अल्प तकनीकी लघु कार्य परियोजना प्रभावितों को प्रभावित क्षेत्र की सहकारी समिति के माध्यम से कराये जाने की वित्तीय सीमा को रू0 05 लाख से वृद्धि करते हुए रू 10.00 लाख किये जाने विषयक।
300 मेगावॉट की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना हेतु परियोजना हित में लखवाड़ व्यासी जल विद्युत परियोजना के पुनर्वास एवं पुनर्वास हेतु पूर्व में निर्गत ऊर्जा विभाग के शासनादेश संख्या-66 दिनांक 13.01.2016 के प्रस्तर 8 द्वितीयक रोजगार (ब) अल्प तकनीकी लघु कार्यों को प्रभावितों के माध्यम से कराया जाना- रू0 05.00 लाख के स्थान पर रु 10.00 लाख तक के अल्प तकनीकी लघु कार्य परियोजना प्रभावितों को परियोजना प्रभावित क्षेत्र की सहकारी समिति, जिसके पास ई०पी०एफ० पंजीकरण हो के माध्यम से एकल निविदा के आधार पर सार्वजनिक निर्माण विभाग की अनुसूची की दरों पर तथा उत्तराखण्ड प्रोक्योरमेंट पॉलिसी-2008 के अन्तर्गत दिये जायेंगे।”, पर उक्तानुसार संशोधित किये जाने हेतु प्रस्ताव पर मा० मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया।

17- बाल देखरेख के क्षेत्र में SOS Children Village, भीमताल, नैनीताल संस्था के बेहतरीन कार्यशैली एवं उचित व्यवस्था के अनुकरणीय मॉडल की तर्ज पर SOS संस्था के साथ मिलकर राज्य की भौगोलिक स्थिति के दृष्टिगत इसी तरह के केन्द्र / गृह गढ़वाल क्षेत्र में विकसित किया/चलाया जाना है। उक्त मॉडल की भांति गढ़वाल क्षेत्र में भी बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण हेतु सुविधाओं व सेवाओं की व्यवस्था किये जाने हेतु प्रथम 05 वर्षों तक राज्य सरकार द्वारा अंशदान दिया जाना हैं। छठवें वर्ष से संस्था द्वारा योजना का संचालन अपने संसाधनों से किया जाएगा।

18- वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 उत्तराखण्ड राज्य में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में आने वाले व्यक्तियों हेतु कोविड-19 टेस्ट (आर०टी०पी०सी०आर०/एंटीजन टेस्ट) हेतु विभिन्न लैब अधिकृत किये गये, होटल/आश्रम/लॉज अधिकृत किये गये, संक्रमित स्थानों के मार्गों में बैरीकेडिंग / महाराणा प्रताप स्टेडियम को कोविड-19 सेन्टर बनाया गया, कंटेनमेंट / क्वारंटीन जोन का निर्धारण किया गया, वैक्सीनेशन केन्द्र भवन का निर्माण कराये गये थे, वाहन आदि की व्यवस्था की गयी थी। जिसके क्रम में तत्समय अधिकृत लैब के सापेक्ष अवशेष 10 लैब के बीजक, अधिकृत किये गये होटल/आश्रम के आवासीय एवं भोजन के बीजक, प्रयुक्त वाहन के ईधन के बीजक आदि का भुगतान तत्समय न होने के कारण उक्त बीजक कुल रू0 23.0993 करोड़ (रू० तेईस करोड़ नो लाख तिरानवें हजार मात्र) वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2023-24 में राज्य आपदा मोचन निधि मद से अवमुक्त किये जाने के प्रस्ताव के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

19- दो से अधिक जीवित संतान वाले व्यक्तियों हेतु त्रिस्तरीय पंचायतों की सदस्यता के लिए अनर्हता सम्बन्धी उपबन्ध विषयक।
उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 की धारा 8 (1) (द). 53 (1) (द) एवं धारा 90(1) (द) में वर्णित दो से अधिक जीवित संतान वाले व्यक्तियों के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों की सदस्यता के लिए अनर्हता सम्बन्धी उपबन्धित व्यवस्था को प्रतिस्थापित किये जाने हेतु उत्तराखण्ड पंचायतीराज (संशोधन) विधेयक, 2024 प्रख्यापित किये जाने के लिए कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

20- पुलिस विभाग में समस्त संवर्ग के आरक्षियों (कान्स्टेबल) की सेवा नियमावली में एकरूपता लाये जाने के उद्देश्य से आरक्षी, चालक की वरिष्ठता अपने मूल संवर्ग में मौलिक नियुक्ति की तिथि से निर्धारित किये जाने एवं परिवहन शाखा में पूर्व में अपने मूल संवर्ग से स्थानान्तरित हो कर नियुक्त आरक्षी चालकों को एक बार अपवाद स्वरूप अपने मूल संवर्ग में वापस जाने पर पदोन्नति के अवसर प्राप्त होने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड पुलिस मोटर परिवहन शाखा अधीनस्थ सेवा (संशोधन) नियमावली, 2024 के प्रख्यापन के लिए कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

21- पेराई सत्र 2023-24 हेतु गन्ने का राज्य परामर्शित मूल्य एवं गन्ना विकास अंशदान (कमीशन) की दर निर्धारित किये जाने के सम्बन्ध में।
पेराई सत्र 2023-24 हेतु राज्य सरकार द्वारा विगत पेराई सत्र 2022-23 हेतु निर्धारित गन्ना मूल्य में रू० 20.00 प्रति कुन्तल की वृद्धि करते हुए गन्ने की अगेती प्रजाति हेतु रू० 375.00 प्रति कुन्तल (मिल गेट पर) तथा सामान्य प्रजाति हेतु रू० 365.00 प्रति कुन्तल (मिल गेट पर) निर्धारित किये जाने एवं विगत पेराई सत्र सत्र 2022-23 की भांति पेराई सत्र 2023-24 हेतु भी गन्ना विकास अंशदान (कमीशन) की दर रू० 5.50 प्रति कुन्तल निर्धारित किये जाने एवं इसके फलस्वरूप गन्ना विकास समिति के कार्मिकों के वेतन इत्यादि देयकों के भुगतान हेतु रु० 136.48 लाख (रू० एक करोड़ छत्तीस लाख अड़तालीस हजार मात्र) की आर्थिक सहायता राज्य सरकार द्वारा दिये जाने का निर्णय लिया गया है।
22- एकल सदस्यीय समर्पित आयोग का कार्यकाल 01 वर्ष विस्तारित किये जाने के संबंध में।
राज्य के भीतर प्रति स्थानीय निकायों में पिछडेपन की प्रकृति और निहितार्थों की समसामयिक कठोर अनुभवजन्य जांच (contemporaneous rigorous empirical inquiry) कराये जाने हेतु गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग का कार्यकाल आगामी 01 वर्ष अर्थात् 31 जनवरी, 2025 तक के लिए बढ़ाये जाने के लिए कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

गंगा समिति बैठकः सीएस बोले, योजना फंडिंग में आ रही समस्या तो मिसिंग लिंक में प्रस्ताव भेंजें

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में राज्य गंगा समिति की बैठक आयोजित हुयी। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गंगा समितियों में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बनाए जाने वाले स्थानीय सामुदायिक समूहों ऐसे लोगों को जोड़ा जाए जो इस कार्य में दिल से रूचि लेते हैं। उन्होंने कहा कि जिला गंगा समितियों की बैठकें निर्धारित समयसीमा में अवश्य करा ली जाएं।

मुख्य सचिव ने कहा कि सोशल ऑडिट और थर्ड पार्टी से योजनाओं का मूल्यांकन के लिए मैकेनिज्म तैयार करें। उन्होंने प्रदेश में गंगा के किनारे बसे क्षेत्रों में प्राकृतिक और जैविक खेती पर अधिक से अधिक फोकस किया जाए। उन्होंने कहा कि एसटीपी से उपचारित जल को खेती के लिए पुनः प्रयोग किया जाए, विशेषकर मैदानी क्षेत्रों में योजनाओं को इस प्रकार से डिजाईन किया जाए कि उपचारित जल को पुनः प्रयोग हो सके। उन्होंने कहा कि योजना के तहत् आजीविका सृजन कार्यक्रम को ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित हाऊस ऑफ हिमालयाज से जोड़ा जाए, इससे योजना को बढ़ाने में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि कला, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में स्कूल, कॉलेज और स्थानीय लोगों को अनिवार्य रूप से जोड़ा जाए।

मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों से योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं को साझा करने के साथ ही सुझाव भी मांगे। कहा कि किसी भी योजना में फंडिंग की समस्या आ रही है तो मिसिंग लिंक में प्रस्ताव भेजे जाएं। एक हफ्तें में फंडिंग की जाएगी। योजनाओं की प्रत्येक स्तर की टाईमलाईन निर्धारित की जाए। उन्होंने वन विभाग को वन क्षेत्र में सड़कों के किनारे जमा होने वाले कचरे को साफ करने के लिए लगातार अभियान चलाकर साफ किए जाने के भी निर्देश दिए।

परियोजना निदेशक नमामि गंगे रणवीर सिंह चौहान ने बताया कि नमामि गंगे के तहत् प्रदेश में निर्मल गंगा, अविरल गंगा, जन गंगा, ज्ञान गंगा और अर्थ गंगा के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत् 62 एसटीपी तैयार किए जाने हैं, जिसमें से 42 पूर्ण हो गए हैं, और 20 पर कार्य गतिमान है। गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे स्थित ग्राम सभाओं के ग्राम प्रधानों को जिला गंगा समिति द्वारा नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। योजना में आईईसी गतिविधियों के तहत् गंगा को पुनर्जीवन से सम्बन्धित कार्यकलापों का लगातार प्रचार प्रसार किया जा रहा है।

इस अवसर पर वन विभाग से प्रोजेक्ट निदेशक नमामि गंगे मनोज चंद्रन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं जनपदों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारी उपस्थित थे।

प्रदेश में अमृत सरोवर की स्थिति को लेकर मुख्य सचिव ने ली विभागवार बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में मिशन अमृत सरोवर के सम्बन्ध में सम्बन्धित विभागों के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने कहा कि मिशन अमृत सरोवर प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी योजना है जिससे प्राकृतिक जल स्रोतों का पुनरोद्धार किया जा सकता है, साथ ही साथ यह स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराएगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि मिशन अमृत सरोवर के तहत् पूरे प्रदेश को परिपूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कुल क्षेत्र का 70 प्रतिशत वन क्षेत्र होने के कारण वन विभाग इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। साथ ही ग्राम्य विकास विभाग द्वारा भी इस दिशा में अच्छा कार्य किया जा रहा है, जिसे लगातार जारी रखा जाए। उन्होंने कहा कि योजना के तहत् बनने वाले बड़े सरोवरों में स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप क्या-क्या आर्थिक गतिविधियां शुरू की जा सकती हैं, इस पर ग्राम्य विकास एवं वन विभाग मंथन कर लें। उन्होंने कहा कि अमृत सरोवरों के निर्माण में गुणवत्ता और मात्रा को ध्यान में रखते हुए इनके माध्यम से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए। इनके आसपास ईको पार्क आदि विकसित कर रोजगार सृजन पर फोकस किया जाए।

सचिव राधिका झा ने कहा कि मिशन अमृत सरोवर के तहत् पूरे प्रदेश में कुल 1283 अमृत सरोवर बनाये जा चुके हैं। जिसमें ग्राम्य विकास विभाग ने 1071 एवं वन विभाग ने 212 अमृत सरोवरों का निर्माण किया है। ग्राम्य विकास द्वारा 31 मार्च, 2024 तक 97 और अमृत सरोवरों का निर्माण कर लिया जाएगा। विभाग द्वारा अमृत सरोवर निर्माण के लिए 467 अन्य स्थानों का चिन्हांकन कर लिया गया है। इन चिन्हित स्थानों में से 300 स्थानों पर अगले वित्तीय वर्ष में अमृत सरोवरों का निर्माण कर लिया जाएगा। उन्होेेंने बताया कि बनाए जा चुके 340 अमृत सरोवरों में मत्स्य पालन किया जा रहा है एवं 109 सरोवरों को पर्यटन गतिविधियों के लिए चिन्हित किया गया है।

इस अवसर पर एपीसीसीएफ रंजन कुमार मिश्रा, अपर सचिव आनन्द स्वरूप एवं विनीत कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

कृषि और बागवानी के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने को असीम संभावनाएंः सीएस

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में सचिवालय में मुख्यमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 2023- 24 के तहत् राज्य स्तरीय अनुमोदन समिति की बैठक आयोजित हुई। मुख्य सचिव ने कहा कि कृषि और बागवानी के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने को असीम संभावनाएं हैं। कृषि और बागवानी के क्षेत्र में अधिक से अधिक योजनाओं का लाभ कृषकों को उपलब्ध कराने हेतु सम्बन्धित विभाग सक्रिय भूमिका निभाएं।

मुख्य सचिव ने प्रदेश में फार्म मशीनरी बैंकों की सफलता को देखते हुए योजना से प्रदेश को परिपूर्ण किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रति वर्ष कम से कम 50 करोड़ का बजट का प्रावधान किया जाए, ताकि अगले 5 वर्षों में प्रदेश को सैचुरेट किया जा सके। उन्होंने फार्म मशीनरी बैंकों की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों के साथ-साथ सहकारी समितियों (पैक्स) को भी दिए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रदेश में पावर टिलर और पावर वीडर की मांग को देखते हुए इसके लिए भी बजट बढ़ाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कार्यों की गुणवत्ता के लिए नियोजन विभाग में सूचीबद्ध एजेंसियों द्वारा थर्ड पार्टी मूल्यांकन अनिवार्य रूप से करवाया जाए।

इस अवसर पर सचिव डॉ. बी. वी. आर. सी. पुरुषोत्तम एवं विनोद कुमार सुमन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तराखंडः हर बड़े शहर में ऑडियोटोरियम, इन्डोर एवं आउटडोर स्टेडियम बनाएं जाएंगे

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु ने सचिवालय में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने सभी विभागीय मुखियाओं को अच्छे प्रोजेक्ट्स तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने राज्य को मिले लक्ष्य के अनुरूप विभागों द्वारा प्रस्ताव न आने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि राज्य में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है इसके बावजूद विभाग प्रस्ताव नहीं भेज पा रहे हैं, यह स्थिति ठीक नहीं है।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के हर बड़े शहर में ऑडिटोरियम, इन्डोर एवं आउटडोर स्टेडियम बनाए जाएं। उन्होंने खेल सुविधाओं के लिए पूरे प्रदेश का मास्टर प्लान तैयार किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि प्राथमिकताएं तय करते हुए अगले 5-10 सालों का प्लान तैयार किया जाए। प्रदेश के रिवर फ्रंट डेवेलपमेंट की योजनाओं के लिए पर्यटन विभाग को एंकर विभाग बनाया जाए ताकि रिवर फ्रंट डेवेलपमेंट के कार्यों को पर्यटन की दृष्टि से तैयार किया जा सके।

मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग को स्कूलों में विद्यालय भवनों, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय आदि निर्माण में तेजी लाते हुए शीघ्र प्रस्ताव तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन विभागों द्वारा योजना की अगली किस्त के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र दिए जाने हैं, शीघ्र उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध कराएं। एस.ए.एस. योजनाओं की तकनीकी मूल्यांकन प्राथमिकता के आधार पर किया जाए ताकि केन्द्र द्वारा दी जा रही विशेष सहायता का लाभ राज्य को मिल सके।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव शैलेश बगोली, अरविन्द सिंह ह्यांकी, डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, एसएन पाण्डेय सहित अन्य विभागीय उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

प्रदेश के स्कूलों की प्रयोगशालाओं व छात्रावासों के निर्माण प्रगति की हुई समीक्षा

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में प्रदेश के स्कूलों में प्रयोगशालाओं एवं छात्रावासों के निर्माण की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने प्रदेश में सभी छात्र-छात्राओं को प्रयोगशालाओं की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं को कैरियर काउंसिलिंग की सुविधा भी मिल सके इसके लिए बेस्ट काउंसलर एजेंसियों का सहयोग लिया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि शुरूआत में आदर्श विद्यालयों में तेजी से योजनाओं को धरातल पर उतारा जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रतिभा की कमी नहीं है, प्रयोगशालाएं और कैरियर काउंसिलिंग प्रदेश के युवाओं में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के छात्र-छात्राओं को और क्या अच्छा दिया जा सकता है, इसके लिए देश की बेस्ट कैरियर काउंसिलिंग एजेंसियों के साथ सेमिनार आयोजित कर उनके सुझाव लिए जाएं। और प्राप्त सुझावों को शीघ्र से शीघ्र लागू कर प्रदेश के युवाओं को एक अच्छे करियर की दिशा प्रदान की जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में सभी प्रकार की शैक्षिक सुविधाएं तुरन्त उपलब्ध नहीं कराई जा सकती, ऐसे विद्यालयों के आसपास के आदर्श विद्यालयों में छात्रावास की सुविधा उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए बजट की किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने दी जाएगी। इससे प्रदेश के भावी युवाओं को अच्छी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करायी जा सकती है।

इस अवसर पर सचिव रविनाथ रमन उपस्थित थे।

सीएस ने प्रदेश के किसानों को उनके उत्पादों को अधिक लाभ दिलाने के लिए लगातार प्रयास करने दिए निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने के लिए बनाए गए अम्ब्रेला ब्रांड ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के किसानों को उनके उत्पादों का अधिक से अधिक लाभ दिया जा सके और उनके उत्पादों को एक अच्छी ब्रांडिंग और बाजार मिल सके इसके लिए सभी संबंधित विभागों द्वारा लगातार प्रयास किए जाएं।

मुख्य सचिव ने कहा कि हाउस ऑफ हिमालयाज के लिए विश्वस्तरीय वेबसाइट तैयार की जाए, साथ ही मोबाइल ऐप भी तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों से उत्पाद खरीदने के बाद वैल्यू एडिशन के लिए पूरे प्रदेश में उत्पादन क्षेत्रों के आसपास ही प्रोसेसिंग और पैकेजिंग सेंटर तैयार किए जाएं। उन्होंने कहा कि हाउस ऑफ हिमालयाज में उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित किए जाने के बाद ही शामिल किया जाए। गुणवत्ता मानकों को पूरा करने वाले स्थानीय उत्पादों को लगातार हाउस ऑफ हिमालयाज में शामिल किया जाए।

मुख्य सचिव ने हाउस ऑफ हिमालयाज को शीघ्र शुरू किए जाने हेतु प्रत्येक स्तर के पूर्ण होने की टाईमलाईन निर्धारित करते हुए निर्धारित समय सीमा में कार्य पूर्ण किया जाना सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि हाउस ऑफ हिमालयाज को विश्वस्तरीय ब्रांड बनाने के लिए सभी संबंधित विभागों द्वारा अपने अंतर्गत उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर सचिव राधिका झा एवं अपर सचिव मनुज गोयल, आनन्द स्वरूप सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।