आपदा मोचन तथा आपदा न्यूनीकरण निधि के प्रस्तावों को लेकर हुई बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में सचिवालय में राज्य आपदा मोचन निधि एवं राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि के प्रस्तावों के अनुमोदन हेतु राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक आयोजित हुयी।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि समिति में प्रस्तावों के लाने से पूर्व जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय मूल्यांकन समिति द्वारा प्रस्तावों की जांच अनिवार्य रूप से करा ली जाए। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर विभिन्न जनपदों द्वारा प्रस्तावों की स्वीकृति के लिए अलग-अलग प्रक्रियाएं अपनाई जा रही है। इसमें सुधार लाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी जनपदों से सुझाव मांगते हुए प्रस्तावों के अनुमोदन के लिए एक समान प्रक्रिया अपनाए जाने के निर्देश दिए।

शीतलहर को देखते हुए मुख्य सचिव ने जनपदों द्वारा आवश्यकता के अनुसार अतिरिक्त धनराशि के प्रस्ताव शासन को शीघ्र प्रेषित किए जाने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित समिति की बैठक में वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य में शीतलहर के प्रकोप से बचाव के लिए जनपद पौड़ी के लिए 15 लाख सहित बाकी 12 जनपदों को 10 -10 लाख (कुल ₹135 लाख) आबंटित कर कार्याेत्तर स्वीकृति सहित विभिन्न प्रस्तावों को स्वीकृति दी गयी।

इस अवसर पर सचिव रंजीत कुमार सिन्हा, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जनपदों से जिलाधिकारी सहित शासन से अन्य वरिष्ठ उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो को मजबूत बनाते हुए 15 दिन में मीटिंग कराए जाने के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं के कार्य-कलापों का प्रभावी ढंग से अनुश्रवण एवं उनके कार्मिकों के अधिष्ठान सम्बन्धी विषयों के समाधान के सम्बन्ध में बैठक ली।

मुख्य सचिव ने कहा कि सार्वजनिक उद्यम एवं निगमों को 3 श्रेणियों में बांटा जाए। अच्छा प्रदर्शन कर मुनाफे में रहने वाले सार्वजनिक उपकर्म एवं निगम श्रेणी ‘ए‘ में, औसत प्रदर्शन करने वाले सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों एवं स्वायत्तशासी संस्थानों को श्रेणी ’बी’ में और निम्न प्रदर्शन करने वाले सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों एवं स्वायत्तशासी संस्थानों को ‘सी‘ श्रेणी में रखा जाए। अच्छा प्रदर्शन करने वाले निगम एवं संस्थानों को भत्तों आदि के लिए स्वतंत्रता दी जाएगी एवं अपने स्तर से निर्णय ले सकेंगे। ’बी’ और ’सी’ श्रेणी के सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम आदि अच्छा प्रदर्शन कर निर्धारित मानदण्डों को पूरा कर श्रेणी ‘ए‘ में आ सकेंगे। इससे निगमों में प्रतियोगी भावना भी जागृत होगी और प्रदर्शन में सुधार आएगा।

मुख्य सचिव ने सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो को मजबूत बनाते हुए 15 दिन में मीटिंग कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं के कार्य-कलापों का प्रभावी ढंग से अनुश्रवण एवं लक्ष्य आदि निर्धारित करने सम्बन्धी विषयों के समाधान हेतु केन्द्र सरकार द्वारा की गयी व्यवस्था को राज्य में भी लागू करने के निर्देश दिए।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम, अरविन्द सिंह ह्यांकी, विनय शंकर पाण्डेय सहित विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने की पीएम ग्राम सड़क योजना के तहत किए कार्यों की समीक्षा

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि योजना के तहत 31 मार्च, 2024 तक फेज 1 और 2 के सभी कार्यों को पूर्ण करने की अंतिम तिथि है, इसके उपरांत राज्य को अपने वित्तीय संसाधनों से योजनाओं को पूर्ण करना होगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि सभी सम्बन्धित विभाग अपने आपसी सामंजस्य से कार्यों में आ रही समस्याओं का निराकरण कर सभी कार्य निर्धारित समय पर पूरा करें। उन्होंने कहा कि जिन कार्यों में माननीय सर्वाेच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के आदेश के कारण बाधाएं आ रही हैं, ऐसे मामलों में शीघ्र इंटरलोक्यूटरी एप्लीकेशन दाखिल की जाए, साथ ही अपने पक्ष को मजबूती से रखा जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि गंभीर समस्या वाले मामलों में विशेष ध्यान देते हुए समस्या के निस्तारण का रास्ता निकाला जाए। कहा कि सभी कार्यों को समय से पूर्ण किया जा सके इसके लिए रूटीन में फाइल चलाने के बजाय, फाइलों का निस्तारण हाथों हाथ कराया जाए। वन विभाग द्वारा जिन कार्यों में सैद्धांतिक स्वीकृति दी जानी है, प्रस्तावों का परीक्षण कर शीघ्र स्वीकृति दी जाए।
इससे पूर्व मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की भी समीक्षा की। मुख्य सचिव ने पीएम आवास योजना (ग्रामीण) में राष्ट्रीय रैंकिंग में प्रदेश की प्रथम रैंक आने पर अधिकारियों को बधाई देते हुए अपनी रैंक बरकरार रखे जाने की बात कही। कहा कि योजना से प्रदेश को पूर्ण रूप से आच्छादित किया जाए।
मुख्य सचिव ने सभी प्रभागीय वन अधिकारियों को भी वन भूमि प्रकरणों को तेजी से निस्तारित किए जाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने वन मुख्यालय स्तर पर आने वाले मामलों को तेजी से निस्तारित किए जाने के निर्देश दिए।
सचिव श्रीमती राधिका झा ने बताया कि योजना के अंतर्गत सभी कार्य समय से पूर्ण कर लिए जाएंगे। विभाग द्वारा योजना में वित्तीय एवं भौतिक प्रगति बेहतर है।
इस अवसर पर वन प्रमुख (हॉफ) अनूप मलिक सहित अन्य उच्चाधिकारी एवं जनपदों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रभागीय वनाधिकारी उपस्थित थे।

प्रदेश में ठोस कूड़ा प्रबंधन के तहत कार्यों की प्रगति की हुई समीक्षा

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने सचिवालय में प्रदेश में ठोस कूड़ा प्रबंधन के तहत् कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि ठोस कूड़ा के 100 प्रतिशत निस्तारण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डोर टू डोर कूड़ा एकत्रीकरण, सोर्स सेग्रीगेशन एवं डस्टबिन फ्री सिटी की दिशा में कार्य किया जाए।

मुख्य सचिव ने अगले 15 दिनों में प्रदेश में विश्वस्तरीय ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रणाली विकसित हेतु एक आदर्श प्लान प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए बजट की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। कहा कि विभिन्न योजनाओं से योजना पर कार्य करने के बाद गैप फंडिंग के लिये स्टेट बजट से प्राविधान किया जाएगा। मुख्य सचिव ने प्रदेशभर में विभिन्न स्थानों से लेगेसी वेस्ट को भी शीघ्र हटाए जाने के निर्देश दिए। कहा कि लेगेसी वेस्ट हटाए जाने के बाद ख़ाली पड़ी भूमि का अधिकतम उपयोग हो सके इसके लिए स्थानीय आवश्यकताओं एवं परिस्थितियों के अनुरूप भूमि उपयोग की योजना तैयार की जाए।

मुख्य सचिव ने प्रदेशभर को अगले 15 दिनों में डस्टबिन फ्री किए जाने के भी निर्देश दिये। कहा कि 100 प्रतिशत डोर टू डोर कूड़ा उठान तभी संभव होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए कूड़ा उठाने वाले वाहनों की जितनी भी आवश्यकता होगी उसके लिए बजट उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही मैन पावर भी बधाई जाए। उन्होंने लोगों में जागरूकता के लिए भी योजना संचालित किए जाने के निर्देश दिये। कहा कि जहां पर लोगों द्वारा कूड़ा अक्सर फेंका जाता रहा है, उन स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। लोगों को भी योजना में शामिल करते हुए कूड़ा फेंकने वाले की फोटो खींच कर भेजने वाले को कूड़ा फेंकने वाले पर लगे चालान की रक़म का 50 प्रतिशत इनाम में दिया जाए। इससे लोगों को डोर टू डोर कूड़ा उठान के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर की सड़कों के किनारे से डस्टबिन हटाए जाने के बाद डस्टबिन उठाने के अनुकूल बनी गाड़ियाँ अप्रयोज्य न हो जाएं और उनसे कार्य लिया जाता रहे, इसका ध्यान रखते हुए उन वाहनों का मॉडिफिकेशन प्लान भी तैयार कर किया जाए।

मुख्य सचिव ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट्स के निर्माण में भी तेज़ी लाए जाने के निर्देश दिए। कहा कि सभी प्लांट्स के प्रत्येक स्तर के पूर्ण होने तिथि सहित पूरा प्लान प्रस्तुत किया जाए. उन्होंने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का थर्ड पार्टी ऑडिट कराए जाने के भी निर्देश दिए।

इस अवसर पर अपर सचिव नितिन भदौरिया एवं सदस्य सचिव उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सुशांत पटनाईक सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

इन्वेस्टर्स समिट-2023 की तैयारियों के संबन्ध में बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने गुरूवार को सचिवालय स्थित अपने सभागार में 8 एवं 9 दिसम्बर, 2023 को देहरादून में आयोजित हो रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 की तैयारियों के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने सभी अधिकारियों को सभी तैयारियों समय से पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि समिट के दौरान आयोजित हो रहे प्रत्येक इवेंट की विस्तृत रूपरेखा तैयार कर ली जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान शहर के यातायात एवं सुरक्षा से सम्बन्धित सभी तैयारियां पूर्ण कर ली जाएं। उन्होंने कहा कि यातायात के कारण देश-विदेश से आ रहे निवेशकों के साथ ही आमजन को परेशानी न झेलनी पड़े इसका ध्यान रखा जाए। इसके लिए अन्य जनपदों से भी यातायात पुलिस की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कार्यक्रम स्थल के आसपास पार्किंग की भी समुचित व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट के दौरान निवेशकों को आसपास के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण भी कराया जा सकता है। उन्होंने समिट से पहले शहर के सौन्दर्यीकरण कार्य को पूरा करने के साथ ही सड़कों की स्थिति दुरूस्त किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने बिजली, फाईबर लाइन्स एवं केबल टीवी आदि की तारों को अंडरग्राउण्ड किए जाने के भी निर्देश दिए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम, शैलेश बगोली, अरविन्द सिंह ह्यांकी, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरूषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, डॉ. वी. षणमुगम, विनोद कुमार सुमन एवं उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्य सचिव ने वाइब्रेंट विलेज योजना पर मुख्य सचिव ने दिए निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में वाईब्रेंट विलेज योजना के सम्बन्ध में सम्बन्धित विभागों के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वाईब्रेंट विलेज से सम्बन्धित प्रस्तावों को सभी विभाग शीघ्र भारत सरकार को भेज दिए जाएं। उन्होंने कहा कि वाईब्रेंट विलेज को फिर से जीवंत करने के लिए सभी विभागों को आपसी सामंजस्य से कार्य कर अपनी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

मुख्य सचिव ने कहा कि वाईब्रेंट विलेज में पर्यटन की सम्भावनाओं को तलाशते हुए योजनाएं तैयार की जाएं। उन्होंने जिला पर्यटन अधिकारी के साथ कन्सल्टेंट को सभी वाईब्रेंट विलेज जाकर पर्यटन योजनाओं की सम्भावनाएं तलाशे जाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने संस्कृति विभाग को भी सांस्कृतिक समूहों को तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा स्थानीय सांस्कृतिक दलों को तैयार करने के साथ ही वाईब्रेंट विलेज में प्रदेश की प्रसिद्ध सांस्कृतिक दलों के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाए। वाईब्रेंट विलेज प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में होने के कारण यात्रा एवं अन्य देय भत्तों को बढ़ाकर दिया जा सकता है, ताकि कलाकार इन क्षेत्रों में जाने के लिए प्रोत्साहित हों।

इस अवसर पर सचिव राधिका झा, अरविन्द सिंह ह्यांकी, सचिन कुर्वे, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय एवं अपर सचिव विजय कुमार जोगदण्डे भी उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने 30 सूत्री कार्यक्रम के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में 30 सूत्री कार्यक्रम के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि जिलों द्वारा प्रत्येक बिंदु पर एक नोडल अधिकारी तैनात किया जाए। नोडल अधिकारियों को दिए गए बिंदु की प्रगति की जिम्मेदारी तय की जाए। उन्होंने कहा कि जनपदों द्वारा इन 30 बिंदुओं पर लक्ष्य निर्धारित कर प्रतिदिन अपलोड किया जाए। यह एक डायनामिक पोर्टल है इसपर अपनी प्रगति के अनुरूप एक दिन में कई बार डाटा अपडेट किया जा सकेगा। इससे रातों रात रैंकिंग बदल सकती है।

मुख्य सचिव ने जनपदों से पोर्टल से सम्बन्धित मुद्दों पर सुधार के लिए भी सुझाव मांगे। कहा कि जनपदों को जो भी समस्याएं आ रही है उन्हें शीघ्र ठीक किया जाएगा। उन्होंने निदेशक आईटीडीए को जिलाधिकारियों द्वारा दिए गए सुझावों को पोर्टल पर शामिल किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी अपने जनपदों की संभावनाओं को तलाशे जाने और जनपद में लागू करने के लिए योजना तैयार किए जाने हेतु प्रतिदिन समय अवश्य निकालें। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों को अपने अधीन कार्य कर रहे कर्मियों के कार्यों को सरल बनाए जाने पर भी ध्यान दें।

मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी जमीनों में अतिक्रमण, 100 प्रतिशत सेग्रीगेशन एट सोर्स करने पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन अथॉरिटी (सारा) को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत प्रदेश में नदियों और जल स्रोतों के संरक्षण के लिए चेक डैम अधिक से अधिक संख्या में बनाए जाने हैं। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए जल श्रोतों का पुनर्जीविकरण और भूमिगत जल स्तर को रिचार्ज किए जाने हेतु अत्यधिक कार्य किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने वन पंचायतों के माध्यम में जड़ी बूटी को भी अधिक से अधिक बढावा दिये जाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर अपर सचिव विजय कुमार जोगदाण्डे एवं निदेशक आईटीडीए नितिका खण्डेलवाल सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारी उपस्थित थे।

सार्वजनिक सम्पत्तियों का अधिकतम और बेहतर उपयोग किया जा सकेः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने गुरुवार को सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों के साथ कार्यालय अवधि के उपरान्त सार्वजनिक संपत्तियों को नागरिकों के उपयोग हेतु उपलब्ध कराए जाने के सम्बन्ध में अब तक हुयी प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि सार्वजनिक सम्पत्तियों का अधिकतम और बेहतर उपयोग किया जा सके इस उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। इससे सामुदायिक विकास, सांस्कृतिक गतिविधियों और सामाजिक क्रियाकलापों को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि परिसम्पत्ति का स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप अधिकतम उपयोग हो सके इसके लिए जिला स्तर पर इस हेतु बनायी गयी समिति द्वारा निर्णय लिया जाएगा, इसके लिए समिति में प्रबुद्ध नागरिकों को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रबुद्धजनों के एक समूह को तैयार किया जाए, जिनकी मासिक अथवा त्रैमासिक बैठक आयोजित की जा सकती है। इस बैठक में क्षेत्र के विकास और इन सम्पत्तियों के अधिकतम उपयोग के लिए सुझाव प्राप्त हो सकेंगे।

मुख्य सचिव ने कहा कि इन सार्वजनिक सम्पत्तियों के उपयोग के लिए कोई शुल्क रखा जाएगा या नहीं इस सम्बन्ध में जिला स्तरीय समिति को ही अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन सार्वजनिक सम्पत्तियों का शुल्क कितना होना चाहिए? होना चाहिए या नहीं होना चाहिए इसका निर्णय भी समिति द्वारा लिया जा सकेगा। इन सम्पत्तियों से प्राप्त शुल्क का कुछ हिस्सा उस सम्पत्ति के रखरखाव के लिए ही खर्च किया जाएगा। इस सम्बन्ध में शासनादेश जारी किया जा चुका है। जिसमें अभी आने वाले समय में सुधार किया जा सकेगा।

मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों से इस सम्बन्ध में अब तक की प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि जिन सम्पत्तियों की जानकारी प्राप्त हो चुकी है, उनके लिए समिति की बैठक शीघ्र आयोजित की जाए। कहा कि सभी परिसम्पत्तियों की पूर्ण जानकारी आने का इंतजार न किया जाए, जिसकी जानकारी आ गयी उसके लिए समिति की बैठक आयोजित कर निर्णय ले लिया जाए। प्रत्येक सम्पत्ति की अपनी अलग परिस्थिती है, इसलिए स्थानीय परिस्थिती के अनुरूप सबके लिए अलग अलग निर्णय लिया जाए। एक पॉलिसी बनाकर सब पर लागू करने से उस परिसम्पत्ति का अधिकतम उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

मुख्य सचिव ने इसका उद्देश्य बताते हुए कहा कि सार्वजनिक सम्पत्तियाँ नागरिकों के टैक्स के पैसे से ही तैयार की जाती हैं। इन परिसम्पत्तियों को नागरिकों के व्यापक उपयोग में लाकर प्रभावी उपयोग किया जा सकेगा, जिससे सामुदायिक विकास और नागरिक भागीदारी के लिए एक समावेशी वातावरण बनाया जा सकेगा।

इस अवसर पर अपर सचिव सी. रविशंकर, आशीष श्रीवास्तव, विनीत कुमार एवं योगेन्द्र यादव सहित सभी जनपदों से जिलाधिकारी एवं अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने नाबार्ड से ऋण के लक्ष्यों को लेकर की बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने गुरुवार को सचिवालय में विभिन्न विभागों द्वारा नाबार्ड से ऋण के लक्ष्यों के सम्बन्ध में समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि स्वीकृत प्रस्तावों के सापेक्ष विभागों द्वारा डिस्बर्शमेंट की प्रगति संतोषजनक नहीं है। सभी विभागों को इसमें तेजी लाने की आवश्यकता है। मुख्य सचिव ने नाबार्ड को भी प्रस्तावों की स्वीकृति में तेजी लाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने सभी विभागों के सचिवों एवं विभागाध्यक्षों को ऋण वितरण एवं अदायगियों में तेजी लाने के लिए साप्ताहिक समीक्षाएं किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विभागों को वितरण और अदायगियों में आ रही समस्याओं का निवारण कर शीघ्र कार्यों को पूर्ण किया जाए। उन्होंने विभागीय सचिवों को आरआईडीएफ के अंतर्गत प्रस्तावों को विभागीय कैलेंडर से जोड़ते हुए स्वीकृति से लेकर डिस्बर्शमेंट तक निर्धारित समयसीमा में पूर्ण कराया जाए। उन्होंने प्रोजेक्ट कम्प्लीशन रिपोर्ट्स भी शीघ्र जमा कराए जाने के भी निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि अच्छे प्रस्ताव लगातार तैयार कर प्रस्ताव वित्त को भेजे जाने के साथ ही डीपीआर नाबार्ड को भी भेज दी जाए, ताकि समय पर नाबार्ड की भी संस्तुति मिल सके। उन्होंने प्रत्येक सप्ताह और पाक्षिक रूप से प्रस्तावों की लगातार मॉनिटरिंग किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने पीएम गति शक्ति उत्तराखण्ड पोर्टल पर भी लगातार अपडेट किए जाने के निर्देश दिए।

बैठक में सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि नाबार्ड से लिए जाने वाले 1090 करोड़ के ऋण के लक्ष्य के सापेक्ष विभागों ने 907.93 करोड़ के प्रस्ताव नाबार्ड को भेज दिए हैं, नाबार्ड ने 501.20 करोड़ के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। शेष प्रस्तावों का परीक्षण प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि 900 करोड़ के डिस्बर्शमेंट के लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक विभागों द्वारा मात्र 273.82 करोड़ का डिस्बर्शमेंट किया गया है।

इस अवसर पर सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरूषोत्तम, दीपेन्द्र कुमार चौधरी, एस.एन. पाण्डेय, अपर सचिव सी. रविशंकर एवं विनीत कुमार सहित विभागों के विभागाध्यक्ष एवं उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

टिहरी झील के चारों ओर रिंग रोड बनाने को लेकर सीएम ने ली बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में टिहरी झील के चारों ओर रिंग रोड बनाए जाने के सम्बन्ध में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक ली। मुख्य सचिव ने टिहरी झील के चारों ओर रिंग रोड निर्माण के कार्य को चरणबद्ध तरीके से पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए। पहले चरण में पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र के चारों ओर की सड़क को विकसित किया जाए। उन्होंने पूरे क्षेत्र को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि आने वाले समय में टिहरी और देहरादून टनल के माध्यम से जुड़ जाएंगे, जिससे दिल्ली से टिहरी मात्र साढ़े तीन घंटे में पहुँच सकेंगे, इससे राज्य में पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से अधिक से अधिक विकसित कर प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत किया जाएगा। इसके लिए टिहरी झील के चारों ओर रिंग रोड एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

मुख्य सचिव ने निर्देश दिये कि इस रिंग रोड को तैयार करने हेतु तेजी से कार्य किया जाए। सड़क के आसपास अधिक से अधिक व्यू पॉइन्ट विकसित किए जाएं। उन्होंने रिंग रोड के किनारे अधिक से अधिक पार्किंग क्षेत्र विकसित किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने रिंग रोड की शीघ्र फीजिबिलिटी स्टडी कराए जाने के निर्देश दिए। कहा कि भूमि अधिग्रहण की दिशा में शीघ्र कार्रवाई की जाए। उन्होंने रिंग रोड क्षेत्र में आने वाले गदेरों और नालों पर पुल बनाकर सड़क को छोटा रखे जाने के निर्देश भी दिये, पुलों के माध्यम से गदेरों और नालों के कारण पर्यटकों को झील से अधिक दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी।

इस अवसर पर सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, अपर सचिव युगल किशोर पंत एवं विनीत कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।