उत्तराखंडः सबसे ज्यादा क्रिटिकल बूथ हरिद्वार जनपद में और वल्नरबल बूथ देहरादून में

देहरादून। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस ब्रीफिंग करते हुए कहा कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा क्रिटिकल और वल्नरबल बूथों के चिन्हीकरण के निर्देश दिये गये हैं। राज्य में 1365 क्रिटिकल बूथ और 809 वल्नरबल बूथ चिन्हित किये गये हैं। वल्नरबल बूथ की श्रेणी में ऐसे बूथ आते हैं, जिनमें पूर्व में निर्वाचन के दौरान कोई घटना हुई हो, जिसमें आपराधिक मामला शामिल हो। वहां पर कोई गंभीर घटना या अपराध घटित हुआ हो जिससे चुनाव बाधित हुआ हो। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा क्रिटिकल बूथ के भी मानक तय किये गये हैं। यदि किसी बूथ में गत निर्वाचन में 10 प्रतिशत से कम मतदान हुआ हो उसे क्रिटिकल बूथ की श्रेणी में रखा गया है।

ऐसे बूथ जिनमें गत वर्ष 90 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है और उसमें से 75 प्रतिशत से अधिक मतदान किसी एक ही प्रत्याशी के पक्ष में हुआ हो, उसे भी क्रिटिकल बूथ की श्रेणी में चिन्हित किया जाता है। यदि किसी बूथ पर मतदान के दिवस पर औसत से अधिक लोगों ने एपिक के अलावा अन्य दस्तावेजों का प्रयोग किया है, तो उस बूथ को भी क्रिटिकल बूथ की श्रेणी में चिन्हित किया जाता है। क्रिटिकल और वल्नरबल बूथों के चिन्हीकरण की कार्यवाही सेक्टर ऑफिसर और सेक्टर पुलिस ऑफिसर के माध्यम से की जाती है।

अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि चिन्हित वल्नरबल बूथों में विशेष रूप से ध्यान रखने के लिए पुलिस बल और अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती की जाती है। क्रिटिकल बूथों पर माईक्रो आर्ब्जवर की तैनाती, वेबकास्टिंग और वीडियोग्राफी की व्यवस्था, अतिरिक्त मतदान टीम की व्यवस्था की जाती है। राज्य में सर्वाधिक क्रिटिकल बूथ हरिद्वार जनपद में 344, देहरादून जनपद में 278 और उधमसिंह नगर में 158 पाये गये हैं। सबसे अधिक वल्नरबल बूथ देहरादून में 243, उधमसिंह नगर में 229 और नैनीताल जनपद में 201 पाये गये हैं। सभी जनपदों में उनकी भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार क्रिटिकल और वल्नरबल बूथों की संख्या कम और अधिक हो सकती हैं।

भाजपा बड़े मार्जिन से उप चुनाव जीते, इसकी रणनीति तैयार

भाजपा ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के चंपावत उप चुनाव में बड़े मार्जिन से जीत के लिए रणनीति का खाका तैयार किया। इसके लिए जल्द ही एक टीम का ऐलान भी किया जाएगा। धामी खटीमा से चुनाव हार गए थे। भाजपा हाईकमान ने उन पर भरोसा जताते हुए दोबारा मुख्यमंत्री की बागडोर सौंपी है। चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी उनके लिए अपनी सीट खाली कर चुके हैं।
माना जा रहा है कि निर्चावन आयोग जून में उप चुनाव का ऐलान कर सकता है। भाजपा ने चंपावत उप चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के लिए अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी है। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष की मौजदगी में इसके लिए रणनीति बनाई गई। पार्टी वरिष्ठ पदाधिकारियों की एक टीम भी बनाएगी, जो उप चुनाव में मानिटरिंग का काम देखेगी। उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों को बड़े मार्जिन से जीत का लक्ष्य दिया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि मुख्यमंत्री उप चुनाव रिकार्ड मतों से जीतेंगे। भाजपा उपचुनाव के लिए पूरी ताकत झोंकने वाली है, ताकि सीएम की जीत हो सके।
वहीं, दायित्वों का ख्वाब पाले भाजपा नेताओं को अभी इंतजार करना पड़ सकता है। पार्टी हाईकमान अभी दायित्व बांटने के पक्ष में नहीं है। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का उप चुनाव संपन्न होने के बाद ही दायित्व बांटें जा सकते हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने दायित्वों के लिए संगठन में अर्जियां देनी भी शुरू कर दी हैं।
तय रुपरेखा के अनुसार, भाजपा मई माह में प्रदेशभर में कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष कौशिक ने बताया कि मंडल स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हो चुके हैं। अब जिलास्तर और प्रांतस्तर के प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होंगे। इसके साथ ही शीर्ष नेतृत्व से दिए जा रहे कार्यक्रमों को पूरे प्रदेश स्तर पर शुरू किया जाएगा।

उत्तराखंडः मतदान केंद्रों पर विशेष सुरक्षा के साथ पुलिसकर्मी तैनात

उत्तराखंड में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान कराने के लिए पुलिस तैयार है। विभिन्न जिलों में 145 संभावित विवाद वाले मतदान केंद्रों पर विशेष सुरक्षा के साथ ही सीसीटीवी की निगरानी में रहेंगे। राज्य में 8624 मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के लिए करीब 50 हजार सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है।

विवाद वाले केंद्रों में वायरलैस व मोबाइल नेटवर्क के जरिए पल-पल की जानकारी ली जाएगी। इनमें एक-एक सेक्शन फोर्स भी तैनात रहेगा। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि सुरक्षा के लिए 110 कंपनी केंद्रीय अर्धसैनिक बल, 26 कंपनी पीएसी, राज्य से 4604 व दूसरे राज्यों से 13200 होमगार्ड जवान, 4178 पीआरडी और 26 कंपनी वन रक्षकों की सुरक्षा में तैनाती की गई है।

उन्होंने बताया कि विवाद वाले सबसे सबसे मतदान केंद्र हरिद्वार में 51, देहरादून में 40, नैनीताल में 20, यूएसनगर में 17, अल्मोड़ा में 14, पौड़ी में दो और रुद्रप्रयाग में एक शामिल हैं। इन सभी केंद्रों पर 11 कंपनी अतिरिक्त फोर्स की तैनाती रिजर्व के तौर पर की गई है, ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल से सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने को लगाया जा सकें। उत्तराखंड में 145 स्पेशल ट्रबल वाले मतदान केंद्र चिह्नित किए गए हैं । हालांकि इन सभी में स्थिति पूरी तरह से सामान्य है। लेकिन एहतियात के तौर पर वहां अन्य मतदान केंद्रों से ज्यादा फोर्स की तैनाती की गई है। शांति और निष्पक्ष मतदान के लिए वहां सभी राजनीतिक दलों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी पूरी तरह से पुलिस प्रशासन ने संपर्क कर लिया है।

लगता है इस बार नही हो सकेगी बड़ी रैली और जनसभा

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में प्रचार समाप्त होने के लिए अब छह दिन ही बचे हैं। लेकिन निर्वाचन आयोग ने अब भी पार्टियों और प्रत्याशियों को बड़ी रैलियों, रोड शो, वाहन रैली और पदयात्रा की इजाजत नहीं दी है। इस कारण इस बार चुनाव प्रचार बिना धूम धड़ाका के ही समाप्त हो जाएगा। निर्वाचन आयोग ने आठ जनवरी को विधानसभा चुनाव की घोषणा करते हुए, कोविड के खतरे को देखते हुए बड़ी रैलियों पर रोक लगाते हुए, चुनाव प्रचार मुख्य रूप से डिजिटल माध्यम तक सीमित कर दिया था। अब चौथे दौर की समीक्षा के बाद आयोग ने रविवार को जारी आदेश में बड़ी रैलियों, रोड शो, पदयात्रा और वाहन रैलियों पर रोक जारी रखी है।
इसके साथ ही डोर टू डोर प्रचार में अधिकतम बीस लोगों के शामिल होने और इंडोर मीटिंग में हॉल की पचास प्रतिशत और आउटडोर में तीस प्रतिशत क्षमता के साथ मीटिंग की इजाजत दे दी है। आयोग के संयुक्त निदेशक अनुज चंडाक की ओर से जारी आदेश के अनुसार आयोग ने उक्त निर्णय सभी चुनाव वाले राज्यों और आयोग के स्पेशल ऑजरर्वर की रिपोर्ट पर लिया है। आयोग के मुताबिक राज्यों ने कोविड की स्थिति में सुधार का दावा किया है, इसके साथ ही इन राज्यों में स्कूल कॉलेज भी फिर खोले जा रहे है। इस कारण आयोग ने सभी इंनडोर और आउटडोर मीटिंग में उपस्थिति की छूट बढ़ा दी है। हालांकि सभी गतिविधियों में कोविड के अनुरूप व्यवहार करना जरूरी होगा। उत्तराखंड की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने सभी दलों और प्रत्याशियों से गाइडलाइन का पालन करने की अपील की है।

बड़ी रैली के बिना ही सम्पन्न होंगे उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चुनाव आयोग ने नई गाइडलाइन जारी की है। चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनावों में एक हजार लोगों की अधिकतम क्षमता वाली रैलियों को इजाजत दे दी है। इससे राज्य के राजनैतिक दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों को प्रचार के लिए कुछ हद तक राहत मिल गई है। हालांकि बड़ी रैलियों पर 11 फरवरी तक रोक जारी रहेगी।
चुनाव आयोग की ओर से चुनावी रैलियों के संदर्भ में सोमवार को नए सिरे से गाइडलाइन जारी की गई। जिसमें एक हजार लोगों तक की रैली की इजाजत के साथ ही इनडोर आयोजनों में 500 लोगों की अधिकतम भीड़ एकत्र करने और डोर-टू-डोर कैंपेन के लिए बीस लोगों को शामिल करने की छूट दी गई है। दरअसल उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में चुनाव तारीखों के एलान के साथ ही चुनाव आयोग ने रैलियों पर रोक लगा दी थी।
कुछ दिन पूर्व जारी गाइडाइन में प्रचार के लिए छोटी रैलियों की इजाजत दी गई थी लेकिन उसमें अधिकतम पांच सौ लोगों के ही एकत्र होने की छूट थी। रैलियों में पांच सौ तक लोगों को एकत्र करने की छूट का लाभ राज्य में एक फरवरी से मिलना था। लेकिन अब इसमें बदलाव करते हुए चुनाव आयोग ने एक फरवरी से रैलियों में एक हजार तक लोगों को एकत्र करने की छूट दे दी है।
राज्य में विधानसभा चुनावों के लिए सोमवार को नामांकन वापसी का दिन तय था और अब प्रत्याशियों पर स्थिति साफ हो गई है। इसके बाद अब मंगलवार से प्रचार अभियान तेज होना है। ऐसे में चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन से राजनैतिक दलों और निदर्लीय प्रत्याशियों को राहत मिल गई है। राज्य में भाजपा, कांग्रेस के साथ ही सभी दलों की ओर से अब प्रचार अभियान को तेज किया जाना है। सोमवार को जारी गाइडलाइन के अनुसार मंगलवार से डोर टु डोर कैंपेन में अब 10 की जगह 20 लोगों को शामिल किया जा सकेगा। जबकि इनडोर बैठक में 300 की जगह 500 लोग शामिल हो सकते हैं।

उत्तराखंड में 1 फरवरी से राजनीतिक दल कर सकेंगे चुनावी रैली

कोविड संक्रमण के बीच चुनाव आयोग ने एक बार फिर राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों को कुछ राहत दी है। आयोग ने यह तय कर दिया है कि एक फरवरी से 12 फरवरी तक राजनीतिक दल या नेता अपनी जनसभाएं कर सकेंगे। दूसरी ओर, आयोग ने राजनीतिक दलों को खुले मैदान में अधिकतम 500 लोगों की मौजूदगी में वीडियो वाहन से प्रचार की अनुमति दे दी है।
लगातार बढ़ रहे कोविड संक्रमण के बीच चुनाव आयोग ने उत्तराखंड में सभी दलों, नेताओं की फिजिकल रैलियों, रोड शो पर रोक 31 जनवरी तक बढ़ा दी है। आयोग ने दलों व प्रत्याशियों को एक फरवरी से 12 फरवरी के बीच जनसभाएं करने की इजाजत दी है। ये जनसभाएं खुले स्थान पर करनी होंगी, जिनमें अधिकतम 500 या उस ग्राउंड की क्षमता के 50 प्रतिशत लोग ही शामिल हो सकेंगे।
वहीं आयोग ने डोर-टू-डोर प्रचार में भी राहत दी है। आयोग ने अब पांच के बजाए दस लोगों के साथ डोर-टू-डोर प्रचार की अनुमति दे दी है। चुनाव आयोग की ओर से जारी गाइडलाइंस के मुताबिक, कोई भी राजनैतिक दल या प्रत्याशी किसी भी खुले स्थान पर वीडियो वाहन की सहायता से प्रचार कर सकता है। यहां भी अधिकतम 500 या उस मैदान की क्षमता के 50 प्रतिशत लोग ही शामिल हो सकेंगे।

चुनाव आयोग ने इंडोर मीटिंग की अनुमति दी, लेकिन 22 तक रैली और रोड शो की मनाही

चुनाव आयोग ने 22 जनवरी तक चुनावी राज्यों, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनावी रैलियों और रोड शो पर रोक लगा दी है। हालांकि, आयोग ने पार्टियों और उम्मीदवारों को कुछ राहत देते हुए इंडोर मीटिंग की अनुमति दी, लेकिन इसमें शर्त होगी कि इन बैठकों में केवल 300 लोग या फिर हॉल या वेन्यू की 50 प्रतिशत क्षमता के साथ ही मीटिंग कर सकते हैं।
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को अधिकतम 300 व्यक्तियों या 50 प्रतिशत हॉल की क्षमता के साथ इनडोर बैठकें आयोजित करने की अनुमति दी है। आयोग ने राजनीतिक दलों को आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों और कोविड-19 पर व्यापक दिशानिर्देशों का पालन करने का भी निर्देश दिया।
चुनाव आयोग ने राज्य और जिला प्रशासन को चुनाव आचार संहिता और महामारी नियंत्रण उपायों से जुड़े सभी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
8 जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड मणिपुर, गोवा और पंजाब के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए, चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक सार्वजनिक रैलियों, रोड शो और इसी तरह के फिजिकल प्रचार कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने का एक अभूतपूर्व कदम उठाया था। अब यह प्रतिबंध एक और हफ्ते के लिए बढ़ा दिया गया है।
आयोग ने चुनाव प्रचार के लिए 16-सूत्रीय दिशानिर्देशों को भी लिस्टेड किया था, जिसके तहत सार्वजनिक सड़कों और चौराहे पर श्नुक्कड़ सभाओंश् (कोने की बैठकों) पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इसमें डोर-टू-डोर कैंपेन के लिए लोगों की संख्या को पांच तक सीमित कर दिया गया था। साथ ही मतगणना के बाद प्रत्याशीओं के विजय जुलूसों पर भी रोक लगा दी गई।

वर्चुअल रैलियों में तेजी लाने के लिए भाजपा ने बनाई ये रणनीति

कोरोना संक्रमण ने लोगों की जीवनशैली से लेकर सियासत तक गहरा असर छोड़ा है। अब इसका असर विधानसभा चुनावों पर भी दिख रहा है। इसकी काट निकालने के लिए राजनीतिक दलों ने डिजिटल माध्यम को हथियार बनाया है। कांग्रेस फिलहाज भाजपा से डिजिटिल माध्यम में आगे नजर आ रही है। वहीं अब भाजपा ने निर्णय लिया है कि उत्तराखंड की हर विधानसभा क्षेत्र में एक आईटी एक्सपर्ट को नियुक्त करेगी। भाजपा का यह फैसला चुनाव आयोग द्वारा 15 जनवरी तक रोड शो और रैलियों के आयोजन पर रोक लगाने के बाद आया है।

मोबाइल फोन पर भेजा जाएगा एक लिंक
उत्तराखंड भाजपा के महासचिव कुलदीप कुमार ने बताया कि पार्टी बूथ और राज्य स्तर पर सभी महत्वपूर्ण बैठकें करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। पार्टी ने पूरी योजना बना ली है। हम एक साथ एक हजार लोगों को वन-वे एड्रेस दे सकते हैं। इंटरैक्टिव वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर कम से कम 500 लोगों से जुड़ सकते हैं। बैठकों और कार्यक्रमों को मूर्त रूप देने के लिए देहरादून में एक स्टूडियो खोला जाएगा। जोकि एक-दो दिन में बनकर तैयार हो जाएगा। स्टूडियो में दो लोगों के बैठने का मंच होगा। निर्वाचन क्षेत्र के सभी लोगों को उनके मोबाइल फोन पर एक लिंक भेजा जाएगा। इसके जरिए लोग जुड़ सकते हैं।
कुलदीप कुमार ने कहा कि भाजपा ने राजधानी देहरादून में एक वॉर रूम आईटी सेल बनाने का भी प्रस्ताव रखा है। जिससे पार्टी एक बार में 15 वरिष्ठ नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक कर सकती है। इसके जरिए पार्टी एक दिन में 10 से अधिक विधानसभा सीटों को कवर करने में सक्षम होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भाजपा नेताओं की रैली देहरादून कार्यालय से दिल्ली कार्यालय से जोड़कर संपन्न कराई जा सकेगी। जिसके बाद पार्टी के नेता विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों को संबोधित कर सकेंगे। 70 सदस्यीय उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव के लिए मतदान होगा। 14 फरवरी जबकि मतगणना 10 मार्च को होनी है।

हरीश रावत की प्रेस वार्ता, कहा-14 फरवरी को भाजपा की विदाई निश्चित

पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने सरकार पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्‍होंने कहा बैकडेट पर तबादले और राजनीतिक नियुक्तियां की गईं। चुनाव आयोग से शिकायत की गई। उन्‍होंने आबकारी व तबादलों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्‍होंने प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता में ये बात कही।
प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कहा कि 14 फरवरी को राज्य से भाजपा की विदाई निश्चित है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले पांच साल में राज्य का विकास ठप हो गया है। रविवार को राजपुर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की उपस्थिति में हरिद्वार के पूर्व जिला पंचायत सदस्य विजेंद्र चौधरी व लक्सर से गन्ना विकास परिषद के चेयरमैन चौधरी राजेंद्र सिंह ने अपने 59 समर्थकों के साथ कांग्रेस का दामन थामा। सभी को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी की सदस्यता दिलाई।
पार्टी की सदस्यता दिलवाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने वालों की संख्या से साफ जाहिर होता है कि भाजपा के कुशासन से समाज का हर तबका त्रस्त हो चुका है। पिछली कांग्रेस सरकार के समय जिन जनहित की योजनाओं को शुरू किया गया था, भाजपा ने सत्ता में आते ही उन्हें बंद कर दिया। कांग्रेस को सत्ता सौंपकर राज्य में विकास के पहियों को चलाना चाहती है। इस अवसर पर चौधरी उदयवीर, चौधरी पुलकित, सचिन कुमार, विनोद चौधरी उपस्थित रहे।

उत्तराखंड में 14 फरवरी को चुनाव, 10 मार्च को परिणाम

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों का ऐलान आज चुनाव आयोग ने कर दिया है। उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होगा। 21 जनवरी को अधिसूचना जारी होगी। 28 जनवरी को नामांकन का अंतिम दिन होगा। नामांकन पत्रो की जांच 29 जनवरी और नाम वापसी के लिए 31 जनवरी का दिन निर्धारित किया गया है। पांचों राज्यों के परिणाम 10 मार्च को आयेंगे। नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि किसी भी राज्य में रैलियों और रोड शो के आयोजन की परमिशन नहीं होगी। इसके अलावा किसी नुक्कड़ सभा का आयोजन भी सार्वजनिक स्थानों पर नहीं किया जा सकेगा। साइकिल रैली और बाइक रैली जैसी चीजों पर भी रोक रहेगी। कई नियमों का ऐलान करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चन्द्रा ने कहा कि उम्मीदवार ऑनलाइन नामांकन भी दाखिल कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि गोवा, पंजाब और उत्तराखंड में एक फेज में चुनाव होगा।
यूपी में पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होगा। 14 फरवरी को दूसरे मतदान का चुनाव होगा। पंजाब और उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होगा। यूपी में 20 फरवरी को तीसरे चरण का मतदान होगा। यूपी में 23 फरवरी को चौथे चरण का मतदान होगा। यूपी में 27 फरवरी को पांचवे चरण का मतदान होगा। मणिपुर में दो चरणों में मतदान होगा। चुनाव आयुक्त ने कहा कि मीडिया का चुनाव में अहम रोल है। मीडिया हमारा दोस्त है। आपके जरिए हमारी बातें लोगों तक पहुंचती है। नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की जाएगी। कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य होगा। वहीं, उत्तराखंड सहित तीन राज्यों में उम्मीदवार 40 लाख ही चुनाव खर्च कर पाएंगे। डिजिटल और वर्चुअल तरीके से चुनाव प्रचार होगा। पदयात्रा और रोड शो, साइकिल रैली और बाइक रैली नहीं होगी। 15 जनवरी तक इन पर रोक रहेगी। चुनाव आयुक्त ने कहा कि जीत के बाद जश्न या विजय जुलूस की इजाजत नहीं होगी। डोर टू डोर कैंपने के लिए पांच लोगों की ही इजाजत रहेगी। कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। किसी भी तरह के नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। चुनाव आयुक्त ने कहा हम मेडिकल एक्सपर्ट्स से सलाह भी ले चुके हैं। सभी चुनाव कर्मी फ्रंटलाइन कर्मी हैं। पोलिंग बूथ पूरी तरह से सैनिटाइज होगा। पोलिंग की टाइमिंग एक घंटे से ज्यादा होगी। चुनाव आयोग ने लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में मतदान की अपील की है।
पांच राज्यों में मतदान की घोषणा के बाद चुनाव की अधिसूचना तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। चुनाव आयुक्त ने बताया कि 80 प्लस और दिव्यांग और कोविड प्रभावित के लिए पोस्टिंग बैलेट की व्यवस्था बनेगी। उम्मीदवारों के लिए आपराधिक जानकारी देना जरूरी होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि 5 जनवरी को मतदाता की सूची डाली गई थी। 24.9 लाख मतदाता की पहली बार वोट डालेंगे।