ऊर्जा निगम ने मार्च माह में तीन करोड़ का वसूल किया बकाया

देहरादून। उत्तराखंड में ऊर्जा निगम ने बिजली बकायादारों के खिलाफ सख्त रूख अपना लिया है। विद्युत वितरण उपखंड कर्णप्रयाग के अधीन गौचर, कर्णप्रयाग, नौटी आदि सबस्टेशनों से जुड़े व्यावसायिक और घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा समय पर बिलों का भुगतान न होने पर विभाग द्वारा मार्च माह में चले विशेष अभियान में तीन करोड़ रुपये वसूला है जबकि शेष एक करोड़ 60 लाख रुपये के लिए अभियान जारी है। विद्युत वितरण उपखंड कर्णप्रयाग के जेईई मुनेश कुमार ने बताया विद्युत पावर स्टेशन के अधीन कर्णप्रयाग, गौचर के ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र सहित नौटी के उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए बीते फरवरी और मार्च माह में विशेष शिविर आयोजित किए गए थे।

इनमें उपभोक्ताओं के बिलों का संसोधन सहित बिल जमा करने की सुविधा प्रदान की गई थी लेकिन उसके बाद भी कई निजी और सरकारी विभागों द्वारा बिजली के बिलों की धनराशि समय पर जमा नहीं की जिससे अब हर दिन विद्युत कटौती कर कनेक्शन विच्छेदित करने पड़ रहे है। बीते मार्च माह में चले अभियान में 170 उपभोकताओं को नोटिस देते हुए कनेक्शन काटे गए थे जिसमें से 110 द्वारा बिलों का भुगतान कर दिया है जबकि शेष बकायादार जिनमें शिक्षा विभाग, नगर निकाय, सीवेज प्लांटों सहित अन्य उपभोक्ताओं ने अपने बकाया धनराशि को पखवाड़े भर में जमा करने का समय मांगा गया है। बीते मार्च माह में चले अभियान में तीन करोड़ 70 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है। शेष एक करोड़ से अधिक के भुगतान को अभियान जारी है।

नगरपालिका क्षेत्र गौचर में आजकल बाधित विद्युत आपूर्ति से व्यावसायिक प्रतिष्ठान सहित सभी लोग भारी परेशान हैं। बिजली की आंख मिचौनी से बिजली आधारित उद्यमियों को नुकसान पहुंच रहा है।
व्यापार मंडल अध्यक्ष राकेश लिंगवाल का कहना है कि बाधित विधुत आपूर्ति से व्यावसायिक प्रतिष्ठान सहित सभी लोग भारी परेशान हैं और विभाग बकायादारों के विद्युत कनेक्शन काटने के चक्कर में बिजली सप्लाई लम्बे समय तक बाधित कर रहा है। इससे विद्युत व्यवस्था से संचालित सभी काम धंधे प्रभावित हो रहे हैं।इस संबध में सहायक अभियंता मुनेश कुमार ने कहा आंधी तूफान और कई स्थानों पर नगर व ग्रामीण अंचलों में तकनीकि खामियों के चलते भी बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है जिसे ठीक करने में विभागीय कर्मचारी डटे हुए है।

उद्योगपतियों को समस्याओं का समाधान करने का दिया आश्वासन

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवालय में इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के प्रतिनिधिमंडल एवं विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक संपन्न हुई। बैठक के दौरान इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड द्वारा मुख्य सचिव को विभिन्न समस्याओं द्वारा अवगत कराया गया। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उनकी समस्याओं के निस्तारण के लिए प्राथमिकता से कार्य किया जाए।
मुख्य सचिव ने ऊर्जा निगमों से सम्बन्धित समस्याओं के निस्तारण के लिए अधिशासी अभियंता स्तर पर प्रत्येक तीन माह में इंडस्ट्री के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं के निस्तारण किए जाने के निर्देश दिये। उन्होंने सिंगल विंडो सिस्टम को और प्रभावी बनाने के लिए अन्य राज्यों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को अपनाकर विभिन्न विभागों द्वारा दी जाने वाली स्वीकृतियों को शीघ्रातिशीघ्र उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में प्लास्टिक कचरा निस्तारण के लिए क्यूआर कोड सहित उद्योग संघ द्वारा सुझाये उपायों एवं अन्य उपायों पर भी कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश को प्लास्टिक मुक्त किए जाने के लिए प्रदेश सरकार, इंडस्ट्रीज एवं आमजन को मिलकर कार्य करना होगा।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव मीनाक्षी सुंदरम, विनय शंकर पाण्डेय, सदस्य सचिव उत्तराखण्ड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड सुशांत पटनायक, अपर सचिव रोहित मीणा, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता सहित एसोसिएशन के अन्य सदस्य एवं सम्बन्धित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

सीएम की अच्छी पहल से कई की विद्युत समस्याओं का होगा निदान

सिर्फ बड़ी परियोजनाओं के निर्माण से ही सरकार के राजकाज और कामकाज की समीक्षा नहीं की जानी चाहिए। यह भी देखा जाना चाहिए कि सरकार आमजन के लिए कितनी सुलभता के साथ बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेश में एक अच्छी पहल हुई है। आजकल ऊर्जा निगम के कर्मचारी मिशन मोड में हैं। पूरे प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं के समस्याओं के समाधान के लिए जगह-जगह कैंप लगाए जा रहे हैं। संबंधित जेई से लेकर चीफ इंजीनियर रैंक के अफसर इन कैंपों में मौजूद रहकर कंज्यूमर्स की शिकायतों को हल कर रहे हैं।

बीते 23 जनवरी से शुरू हुए ये कैंप पूरे फरवरी माह तक जारी रहेंगे। प्रत्येक विकास खण्ड में कम से कम 7-8 कैंप आयोजित किए जाएंगे। पिछले 5 दिनों के दौरान अब तक राज्य में 278 कैंपों का आयोजन किया जा चुका है, जिनमें मिलीं हजारों शिकायतों (बिजली के बिलों में गड़बड़ी, खराब मीटर, लो वोल्टेज, ट्रांसफार्मर आदि) में से अधिकांश का तत्काल निस्तारण किया जा रहा है। इन शिविरों की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विकासखण्ड स्तर पर आयोजित किए जा रहे इन कैंपों की सीधी मॉनिटरिंग ऊर्जा भवन देहरादून से की जा रही है। निगम के एमडी अनिल कुमार रोजाना अपडेट ले रहे हैं। डायरेक्टर ऑपरेशन एमएल प्रसाद को इस अभियान की कमान सौंपी गई है। निगम के अधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई है कि शिविर में दर्ज की जा रही शिकायतों का समयबद्ध समाधान किया जाए। अभियान की एक फाइनल रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भी सौंपी जाएगी। यह पहला मौका है जब ऊर्जा निगम पूरे राज्य में एक साथ उपभोक्ताओं की शिकायतों का तत्काल समाधान कर रहा है।

विद्युत शिविरों में समय पर बिल भुगतान और बिजली के अनाधिकृत प्रयोग को रोकने के लिए जनता को भी जागरूक किया जा रहा है। एक हकीकत यह भी है कि मौजूदा समय में उत्तराखण्ड में बिजली की खपत और उपलब्धता में तकरीबन 4 गुने का फर्क है। रोजाना जरूरत 39 मिलियन यूनिट की है जबकि इसके सापेक्ष उत्पादन महज 10 मिलियन यूनिट के आसपास है। ऐसी स्थिति में समय पर बिल जमा करके और बिजली चोरी रोककर जनता भी प्रदेश को किभी प्रकार के विद्युत संकट से बचाने में अपना योगदान दे सकती है।

इधर, राज्य में ठिठुरती ठंड के बीच बिजली की उपलब्धता में भारी कमी आ गई है। नदियों का जल स्तर घटने से जल विद्युत परियोजनाओं से बिजली उत्पादन भी आधा हो गया है। केंद्र से मिल रही 17 मिलियन यूनिट बिजली को मिलाकर प्रतिदिन उपलब्धता 27 मिलियन यूनिट ही पहुंच रही है, बाकी 10 से 12 मिलियन यूनिट बाहरी राज्यों से खरीदनी पड़ रही है। इन तमाम परिस्थितियों के बीच सरकार का प्रयास है कि जनता को निर्बाध विद्युत आपूर्ति हो और उपभोक्ताओं की समस्याएं भी समय रहते हल हों। इसके लिए अधिकारियों को खुद जनता के दरवाजे पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। आम जनता भी राज्य सरकार की इस पहल की सराहना कर रही है।

उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर से कसेगी बिजली चोरों पर नकेल

देहरादून। उत्तराखंड में बिजली चोरों पर नकेल कसने और आम उपभोक्ता को सहूलियत प्रदान करने के लिए स्मार्ट बिजली मीटर लगाने की तैयारी है। ऊर्जा निगम की ओर से प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इसे धरातल पर शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए तमाम औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।

लाइन लास कम करने के बाद बिजली चोरी रोकना ऊर्जा निगम के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। विजिलेंस टीम की सक्रियता के बावजूद बिजली चोरी पर नकेल कसने में ऊर्जा निगम नाकाम साबित हो रहा है। साथ ही आम उपभोक्ताओं को भी बिजली बिल और खपत आदि के मामलों में पेश आने वाली दिक्कतों से निपटने को भी निगम गंभीर है। ऐसे में निगम प्रबंधन ने स्मार्ट मीटर लगाकर दोनों ही समस्याओं के निदान पर विचार कर रहा है। इसके लिए तैयारी भी की जा रही है। प्रथम चरण में ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। इसके लिए 80 हजार घरों को चिह्नित कर लिया गया है। उपभोक्ता स्मार्ट मीटर लगने से प्रीपेड, पोस्टपेड और सोलर बिजली की सप्लाई की बिलिंग कर सकते हैं।

अनिल कुमार (प्रबंध निदेशक, ऊर्जा निगम) का कहना है कि बिजली चोरी रोकने और उपभोक्ताओं को मन मुताबिक बिजली प्रयोग की स्वतंत्रता देने के लिए स्मार्ट मीटर बेहतरीन जरिया है। ऊर्जा निगम की ओर से प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने को योजना के तहत कार्य किया जा रहा है। स्मार्ट मीटर को रिचार्ज कराने के बाद ऊर्जा निगम का किसी भी प्रकार का बकाया नहीं रहेगा। ऊर्जा की बचत होगी और छोटे उपभोक्ता भी बिजली का इस्तेमाल अपने मुताबिक कर सकेंगे। स्मार्ट मीटर से बिजली के इस्तेमाल की ऊर्जा निगम आसानी से निगरानी कर सकेगा।

निशुल्क बिजली के बाद अब बिजली चोरी पर सरकार की रहेगी सख्ती

ऊर्जा मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने प्रदेश में बिजली चोरी पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए निर्देश जारी किए है।

ऊर्जा मंत्री डा हरक सिंह रावत विभाग को 100 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं का बिल माफ करने और 200 यूनिट तक खपत करने वालों से 50 फीसद बिल लेने के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दे चुके हैं। इस पर करीब 400 करोड़ से अधिक का बोझ सरकारी खजाने पर पड़ेगा। इसकी भरपाई के लिए बिजली चोरी पर सख्ती से अंकुश लगाया जाएगा। ऊर्जा मंत्री के इस संबंध में निर्देश के बाद विभाग इसे लेकर भी जल्द कार्ययोजना को अंतिम रूप देगा।

बता दें कि बीते दिनों ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक हुई। इसमें मुख्य सचिव डा. एसएस संधू भी राज्य में बिजली चोरी रोकने और लाइन लास में कमी लाने के लिए लगातार प्रयास जारी रखने की हिदायत दे चुके हैं। हालांकि ऊर्जा निगम ने बीते चार वर्षों में राजस्व वृद्धि को उपायों पर जोर दिया है। विद्युत चोरी हतोत्साहित करने को ऊर्जागीरी अभियान चलाया जा रहा है। वहीं बिलिंग दक्षता में चार फीसद वृद्धि हुई है। वर्ष 2020-21 में लाइन लास में कमी आई। ट्रांसमिशन लास 2017-18 में 1.39 फीसद था, जो वर्ष 2020-21 में 1.11 फीसद है। लाइन लास कम करने और बिजली चोरी रोकने के लिए अब सख्त कदम उठाने की पैरोकारी की जा रही है।

प्रदेश में 2.56 प्रतिशत महंगी होने जा रही है बिजली दरें

देहरादून। उत्तराखंड पावर कारपोरेशन बिजली की दरों को बढ़ाने के लिए एक बार फिर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाएगा। आयोग ने उसकी अपील को मान लिया तो प्रदेश में बिजली 2.56 प्रतिशत महंगी हो सकती है। निदेशक मंडल ने यूपीसीएल को अपील करने की अनुमति दे दी है।

निगम का मानना है कि आयोग ने एक अप्रैल से लागू बिजली की दरों का निर्धारण करते समय निगम के खर्चों का सही आकलन नहीं किया। 2018-19 व 2019-20 के कई ऐसे प्रशासनिक खर्च थे, जिन्हें छोड़ दिया गया है। इससे निगम को 180 करोड़ की वित्तीय हानि होने के आसार है।

इसकी भरपाई के लिए निगम ने दरों में वृद्धि के लिए अपील करने का फैसला किया है। निगम के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा के मुताबिक, आयोग ने अपील मानी तो इससे निगम को काफी राहत मिलेगी। वहीं, बोर्ड ने ऊर्जा निगम कर्मचारियों पर बिजली की संशोधित दरें लागू करने को अनुमति दे दी है।