हरेला पर्व के उपलक्ष्य में दो कैबिनेट मंत्रियों ने किया पौधरोपण

वन मंत्री सुबोध उनियाल और कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने हरेला पर्व के उपलक्ष्य में पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी लिया गया। इस मौके पर मंत्री डॉ अग्रवाल के सुपुत्र पीयूष अग्रवाल के जन्मदिन पर भी पौधरोपण किया। साथ ही प्रत्येक नागरिक से जन्मदिन पर पौधरोपण करने का आवाहन किया गया।

आज बायपास मार्ग स्थित स्मृति वन में पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हरेला सुख, समृद्धि और खुशहाली का पर्व है। हरेला पर्व पर्यावरण संरक्षण का त्यौहार है। ऋग्वेद में भी हरियाली के प्रतीक हरेला का उल्लेख किया गया है। बताया कि इस त्यौहार को मनाने से समाज कल्याण की भावना विकसित होती है। आज का युवा जिस तरह से पुराने त्योहारों को भूलता चला जा रहा है उस बीच हरेला त्यौहार की प्रसिद्धि आज की युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम भी कर रही है।

कहा कि शास्त्रों में लिखा गया है कि एक पेड़ लगाने से एक यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। कहा कि पीपल का पेड़ लगाने से व्यक्ति को सैंकड़ों यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। केवल इतना ही नहीं भारतीय संस्कृति में एक पेड़ लगाना, सौ गायों का दान देने के समान माना गया है। श्री उनियाल जी ने कहा कि ऐसे त्यौहार अगर समय-समय पर मनाते जाएं तो युवा भी अपनी संस्कृति के प्रति रुझान करेंगे और युवा पीढ़ी भविष्य में इसके महत्व को भी समझ सकेगी।

कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डॉ प्रेमचंद अग्रवाल जी ने कहा कि पौधारोपण हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है, हमें अपने जीवन में जितना हो सके उतना अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिये। उन्होंने कहा कि पेड़-पौधों की कमी से निरंतर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए पौधारोपण बहुत जरूरी है। हम सभी का फर्ज बनता है कि पृथ्वी की खूबसूरती को बनाए रखने में अपना योगदान दें। उन्होंने युवाओं को अधिक से अधिक पौधे लगाने की अपील की।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि प्रकृति समस्त जीवों के जीवन का मूल आधार है। प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन सभी जीव जगत के लिए बेहद ही अनिवार्य है। प्रकृति पर ही पर्यावरण निर्भर करता है। यदि प्रकृति असन्तुलित होगी तो पर्यावरण भी असन्तुलित होगा। कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से बचने और पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए पेड़ों का होना बहुत जरूरी है। पेड़ प्रकृति का आधार हैं। पेड़ों के बिना प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

इस अवसर पर पीयूष अग्रवाल ने कहा कि यदि प्रकृति को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाए तो कदापि गलत नहीं होगा। पेड़ों पर प्रकृति निर्भर करती है। पेड़ लगाना प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन है और प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है। एक पेड़ लगाने से असंख्य जीव-जन्तुओं के जीवन का उद्धार होता है और उसका अपार पुण्य सहजता से हासिल होता है। एक तरह से पेड़ लगाने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है।

इस मौके पर हरेला पर्व व मंत्री डॉ अग्रवाल के सुपुत्र के जन्मदिन पर आम, पीपल, तुलसी, लीची, बेलपत्र, नींबू सहित फलदार व छायादार पौधे रोपे गए। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति से अपने जन्मदिन पर पौधरोपण करने का आवाहन किया गया।

इस मौके पर महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल, जिला महामंत्री सुदेश कंडवाल, पूर्व दर्जाधारी संदीप गुप्ता, सुरेंद्र मोंगा, संजय शास्त्री, जितेंद्र अग्रवाल, मंडल अध्यक्ष ऋषिकेश दिनेश सती, श्यामपुर गणेश रावत, वीरभद्र अरविंद चौधरी, सुमित पंवार, जयंत शर्मा, प्रदीप दुबे, प्रदेश सह सोशल मीडिया प्रभारी प्रशान्त चमोली, पर्यावरणविद विनोद जुगलान, महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष उषा जोशी, पुनिता भंडारी, निर्मला उनियाल, अनिता तिवारी, सतपाल सैनी, आरती गौड़, मानवेन्द्र कण्डारी, सुंदरी कंडवाल, प्रदीप कोहली, जसविंदर राणा, मीना गौड़, पुष्पा ध्यानी, कमला नेगी, मैत्री स्वयं सेवी संस्था की अध्यक्ष कुसुम जोशी, राजपाल ठाकुर, रूपेश गुप्ता, देवव्रत शर्मा, विजय जुगलान, समा पंवार, अमित गांधी, हरि शंकर प्रजापति, राकेश पारछा, जितेंद्र भारती सहित अन्य मौजूद रहे।

बेटे के जन्मदिन पर कुष्ठ रोगियों को बांटे

ऋषिकेश। कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने सुपुत्र पीयूष अग्रवाल के जन्मदिन के अवसर पर भजन गढ़ रोड स्थित कुष्ठ रोग कॉलोनी में रोगियों को छाता, फल व शॉल वितरित किए।

उत्तराखंड के वन मंत्री को अदालत ने सुनाई तीन साल की सजा, वर्ष 2012 के विस चुनाव का है मामला

वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव के दौरान सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के मामले में आज सीजेएम कोर्ट रूद्रप्रयाग ने उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत को सजा सुनाई है। सजा के रूप में वन मंत्री हरक सिंह रावत को तीन साल की सजा सुनाई है।

बता दें कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में डा. हरक सिंह रावत और उनके चार समर्थक वीरेंद्र बुटोला, अंकुर रौथाण, वीर सिंह बुडेरा के साथ ही रघुवीर सिंह के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालना, चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करना और प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों के साथ अभद्रता करने का आरोप लगा था। इस मामले में रुद्रप्रयाग सीजेएम कोर्ट में मुकदमा चला।

इसी साल फरवरी में मामले को लेकर हरक सिंह रावत को जमानत मिली थी। हालां, मामले में सुनवाई जारी रही। जमानत के दौरान हरक सिंह रावत को न्यायालय में एक घंटे खड़ा भी रहना पड़ा था। दरअसल, न्यायालय ने मंत्री को कोर्ट में हाजिर होने का समन दिया था, लेकिन मंत्री पूर्व में उपस्थित नहीं हो सके थे। आठ फरवरी को मंत्री सीजेएम कोर्ट में हाजिर हुए, जहां लगभग एक घंटे की प्रक्रिया के बाद उन्हें जमानत मिली।

वन मंत्री हरक सिंह बोले, अगला चुनाव तो नहीं लडूंगा पर सन्यास भी नहीं लूंगा

उत्तराखंड सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने 2022 में विधानसभा का चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। साथ ही राजनीति से संयास न लेने का भी निर्णय किया है। पत्रकार वार्ता में डा. हरक ने यह जानकारी दी। यह भी बताया कि उन्होंने चुनाव न लड़ने वाली बात को भाजपा प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार को दे दी है। जानकार हरक सिंह के चुनाव न लड़ने के पीछे उन्हें भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड के अध्यक्ष पद को छिन लेना भी मान रहे है।

हाल ही में राज्य सरकार ने उनसे भवन और सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्घ्यक्ष पद भी छिन लिया है। उनकी जगह शमशेर सिंह सत्याल को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई थी।

हरक सिंह रावत के पास श्रम और सेवायोजन मंत्रालय भी है। भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर अब तक हरक सिंह रावत ही काबिज थे। गढ़वाल दौरे के बाद वह देहरादून पहुंचे। जानकार हरक सिंह के चुनाव न लड़ने के पीछे उन्हें भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड के अध्यक्ष पद को छिन लेना भी मान रहे है।

हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका को वापस लेने के मूड़ में है वन मंत्री

उत्तराखंड में 2016 के हॉर्स-ट्रेडिंग केस में सीबीआई द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग केस में चल रही जांच मामले बीजेपी नेता हरक सिंह रावत हाईकोर्ट से अपनी याचिका वापस ले सकते हैं। कोर्ट को इस बारे में जानकारी दे दी गई है।

बता दें कि सीबीआई जांच मामले में हरक सिंह रावत ने याचिका दाखिल की है। उन्होंने सीबीआई की जांच को कैबिनेट द्वारा निरस्त कर एसआईटी जांच को चुनौती दी है। पूरे मामले पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी, जिसके बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है. सीबीआई ने हरक सिंह रावत को भी आरोपी बनाया है।

यह है पूरा घटनाक्रम
गौरतलब है कि 2016 में विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप में किए गए एक स्टिंग में केंद्र सरकार ने 2 अप्रैल, 2016 को राज्यपाल की मंजूरी के बाद सीबीआई जांच शुरू की थी। तब राज्य में कांग्रेस सरकार की बहाली हो गई और सरकार ने कैबिनेट बैठक में सीबीआई जांच को निरस्त कर मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया। इसके बाद भी सीबीआई ने जांच जारी रखी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जांच के लिए 9 अप्रैल, 2016 को समन भेजा।

सीबीआई के लगातार समन भेजे जाने को हरीश रावत ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि राज्य सरकार ने 15 मई, 2016 को सीबीआई जांच के आदेश को वापस ले लिया था और एसआईटी का गठन कर दिया गया था। इसलिए सीबीआई को इस मामले की जांच का कोई अधिकार ही नहीं है। सीबीआई की पूरी कार्रवाई को निरस्त किया जाए। हाईकोर्ट ने सीबीआई को केस की जांच जारी रखने की इजाजत देते हुए यह कहा था कि कोई भी कदम उठाने से पहले उसे हाईकोर्ट की अनुमति लेनी होगी।

बहरहाल, हरीश रावत के सामने सीबीआई केस के रूप में बड़ी चुनौती है. 70 की उम्र पार कर चुके हरीश रावत के लिए राजनीति का यह दौर इतना भारी पड़ेगा इसका अंदाजा उन्हें शायद ही रहा हो। केस दर्ज होने के बाद अब उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

बड़ी खबरः हरक सिंह ने प्रेस वार्ता कर लगाई वन आरक्षी की भर्ती पर रोक

उत्तराखंड में वन विभाग ने फॉरेस्ट गार्ड भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि जबतक नियमावली में संसोधन नहीं हो जाता, तब तक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगी रहेगी। दरअसल, राज्य में वन विभाग के 1218 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही थी। इसके लिए पिछली सरकार ने शैक्षणिक योग्यता इंटर साइंस रखी थी और आयु की सीमा भी कम थी। जिसे लेकर राज्य के युवाओं में आक्रोश बना हुआ था।
भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि आयु सीमा और शैक्षणिक योग्यता में बदलाव को लेकर फैसला किया जाएगा। जबतक नियमावली में संसोधन नहीं हो जाता, तबतक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगी रहेगी। वन विभाग के इस फैसले से कहीं न कहीं युवाओं को भी राहत मिल सकती है।