साइंस सिटी को यूकॉस्ट के महानिदेशक और सचिव एनसीएसएम ने किया समझौता

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थित में आज साइंस सिटी देहरादून के लिए उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) उत्तराखण्ड शासन एवं राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद् (एनसीएसएम ) के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल एवं सचिव एनसीएसएम ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। एनसीएसएम भारत सरकार के संस्कृत मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था है जो देश में विज्ञान संग्रहालयों का निर्माण तथा संचालन करती है। साइंस सिटी देहरादून में विज्ञान धाम, झाझरा में विकसित होगी। साइंस सिटी लगभग चार वर्षों में बनकर तैयार हो जायेगी। 173 करोड़ रूपये की इस परियोजना के लिए 88 करोड़ रूपये केन्द्र सरकार एवं 85 करोड़ रूपये राज्य सरकार वहन करेगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि देहरादून में बनने वाले साइंस सिटी सबके आकर्षण का केन्द्र बने इसके लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है। इसे निर्धारित समयावधि से पूर्व पूर्ण करने के प्रयास किये जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े प्रोजक्ट को पूरा करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति का होना जरूरी है। सबके सामुहिक प्रयासों से यह प्रोजक्ट समय से पहले पूरा करने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत की वैज्ञानिक संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। राज्य सरकार का प्रयास होगा कि उत्तराखण्ड के वैशिष्ट्य को लोग साइंस सिटी के माध्यम से देख सकें। साइंस सिटी के लिए स्थान का चयन भी छात्र-छात्राओं एवं लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

साइंस सिटी देहरादून में खगोल एवं अंतरिक्ष विज्ञान ,रोबोटिक्स, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विरासत, भूगर्भीय जीवन, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, वर्चुअल रियलिटी, ऑग्मेंटेड रियलिटी, आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स के साथ स्पेस थियेटर सहतारामंडल, हिमालय की जैवविविधता पर डिजिटल पैनोरमा, सिम्युलेटर, एक्वेरियम, उच्च वोल्टेज व लेजर, आउटडोर साइंस पार्क, थीम पार्क, बायोडोम, बटरफ्लाई पार्क, जीवाश्म पार्क एवं मिनिएचर उत्तराखंड आदि होंगे। साथ ही अन्य सुविधाओं के रूप में कन्वेंशन सेंटर तथा प्रदर्शनी हॉल आदि भी साइंस सिटी का हिस्सा होंगे।

साइंस सिटी प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संचार, लोकव्यापीकरण तथा नवप्रवर्तन की दिशा में विद्यार्थियों, शिक्षकों, आम नागरिकों एवं पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण तथा आकर्षण का केन्द्र होगी। केंद्र सरकार की स्पोक्स योजना के तहत क्षेत्र्रीय विज्ञान केंद्र देहरादून के साइंस सिटी देहरादून में उन्नयन के लिए राज्य सरकार के प्रस्ताव को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी। इस सैद्धांतिक मंजूरी के बाद संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के डेलीगेटेड इन्वेस्टमेंट बोर्ड (डीआईबी) की मंजूरी भी साइंस सिटी देहरादून के लिए अप्रैल 2020 में प्राप्त हो गई थी।

इस अवसर पर विधायक सहदेव सिंह पुण्डीर, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आर.के सुधांशु, एनसीएसएम के पूर्व महानिदेशक गंगा सिंह रौतेला, निदेशक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम डॉ. अजंन रे, अपर सचिव विजय यादव, अपर प्रमुख वन संरक्षक डॉ. समीर सिन्हा, डॉ. प्रकाश चैहान आदि उपस्थित थे।

वैश्विक भारत वैज्ञानिक समिट का पहला सत्र एम्स ऋषिकेश में हुआ आयोजित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई वैश्विक भारत वैज्ञानिक समिट का पहला सत्र एम्स ऋषिकेश में संपन्न हुआ। डीआरडीओ के माध्यम से आयोजित समिट के पहले सत्र में एक थीम भारत के पहाड़ी एवं दुर्गम क्षेत्रों में ट्रॉमा एवं इमरजेंसी सेवाओं का विकास थी।

गौरतलब है कि वैभव समिट प्रधानमंत्री मोदी की दूरगामी सोच और पहल पर आयोजित की जा रही है। एम्स ऋषिकेश ने पिछले चार वर्षों में निदेशक पद्मश्री प्रो. रविकांत की अगुवाई में इन विषयों पर संपूर्ण देश में अद्वितीय कार्य किया है। इसी कारण से भारत सरकार द्वारा इन विषयों के लिए एम्स ऋषिकेश को चैंपियन इंस्टीट्यूट बनाया गया है।

इस मंथन में देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक ही नहीं अपितु विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के कई प्रसिद्ध चिकित्सा वैज्ञानिक भी सम्मिलित हुए। विशेषज्ञों द्वारा कई दौर के मंथन के पश्चात भारत के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में ट्रॉमा एवं इमरजेंसी सेवाओं का ब्ल्यू प्रिंट एम्स के ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम की अध्यक्षता एवं ट्रॉमा सर्जरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के डा. मधुर उनियाल के नेतृत्व में तैयार किया गया।

इस अवसर पर निदेशक प्रो. रविकांत ने विशेषज्ञ मंडल की सराहना करते हुए बताया कि एम्स ऋषिकेश पहले से ही उत्तराखंड के दुर्गम एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रॉमा एंड इमरजेंसी चिकित्सा सेवाओं को पहुंचाने के लिए सतत प्रयासरत रहा है और अब प्रधानमंत्री श्री मोदी की इस दूरगामी योजना के द्वारा इस कार्य और भी उत्साह के साथ आगे बढ़ाया जाएगा। जो कि न केवल उत्तराखंड में वरन देश के अन्य दुर्गम एवं पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी एक वरदान साबित होगा।

डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि सरकार की इस सक्रिय भागीदारी से यह उम्मीद की जानी चाहिए कि वैभव समिट में तैयार किए गए ब्ल्यू प्रिंट पर शीघ्रता से कार्य होगा एवं इसका लाभ शीघ्र ही देश की जनता तक पहुंच सकेगा।

डा. उनियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री की इस योजना के कारण विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के प्रदत्त वैज्ञानिक एवं चिकित्सकों में अत्यधिक उत्साह है। अपनी मातृभूमि के लिए सरकार द्वारा उनकी भागीदारी सुनिश्चित कराने के निर्णय पर वह गर्व महसूस कर रहे हैं।
डॉ. उनियाल ने बताया कि कि सर्वसम्मति से विशेषज्ञों का यह निर्णय हुआ है कि उत्तराखंड में ऐसी सुविधाओं को सर्वप्रथम लॉंच कर एक सफल मॉडल बनाया जाएगा स इस मॉडल को उत्कृष्ट रूप से तराशने के बाद इसे देश के अन्य दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकेगा।

समिट में एम्स ऋषिकेश से प्रो. कमर आजम, डा. मधुर उनियाल, अरुण वर्गीश, अमेरिका से प्रो. मंजरी जोशी, प्रो. मयूर नारायणन, प्रो. सुनिल आहूजा, प्रो. रानी कुमार, इंग्लैंड से प्रो. अजय शर्मा, आस्ट्रेलिया से प्रो. शांतनु भट्टाचार्य, एम्स दिल्ली से प्रो. अमित गुप्ता, प्रो. संजीव भोई, प्रो. तेज प्रकाश, केजीएमयू लखनऊ से प्रो. संदीप तिवारी, प्रो. समीर मिश्रा आदि शामिल हुए।

संक्रमण से बचने के लिए दो गज की दूरी और मास्क का रखें ध्यानः प्रो. रविकांत

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर भारत सरकार द्वारा घोषित कार्यक्रम के तहत चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ व अन्य कर्मचारियों ने कोरोना काल में आवश्यक दिशा निर्देशों का पालन करने व दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करने की सामूहिक शपथ ली। इस अवसर पर एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा कि नियमित मास्क पहनने, एक-दूसरे से दो गज की दूरी बनाए रखने से ही हम सामुदायिक स्तर पर एक दूसरे व्यक्ति में फैलने वाले संक्रमण से सुरक्षित रह सकते हैं। इस दौरान एम्स अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज में शपथ कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें डीन (एकेडमिक) प्रो. मनोज गुप्ता व डीन (हॉस्पिटल अफेयर्स) प्रो. यूबी मिश्रा तथा प्रो. सुरेश कुमार शर्मा ने सभी को शपथ दिलाई।

इस दौरान कार्मिकों ने कोविडकाल में कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने का संकल्प लिया। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में एक ही स्थान पर अधिक भीड़भाड़ नहीं हो, इसका ध्यान रखते हुए विभिन्न विभागों में विभागाध्यक्षों ने अधिनस्थों को शपथ दिलाई। साथ ही कई लोगों ने संबंधित वेबसाइट पर ऑनलाइन संकल्पपत्र भरकर कोविड के खिलाफ जनांदोलन में हिस्सा लिया।

गौरतलब है कि बीते सप्ताह आगामी त्योहारों व ठंड के मौसम में कोरोना महामारी से बचाव के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए जनांदोलन में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उन्होंने देशवासियों से कोविडकाल में बचाव के लिए जरुरी सावधानियां बरतने का आह्वान किया व इस मुहिम को एक जनांदोलन का रूप देने की आवश्यकता बताई।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत दी जा रही है छूटः सीएम

ऐसे उद्योग जहां 100 या इससे कम श्रमिक कार्यरत हैं और 90 प्रतिशत श्रमिकों का वेतन 15 हजार रूपए प्रतिमाह से कम है, इस योजना से लाभ उठा सकते हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सभी औद्योगिक संस्थानों से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में भारत सरकार द्वारा ईपीएफ में दी गई छूट का लाभ उठाने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों में आमजन को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना प्रारम्भ की गई है। इसी के अंतर्गत मार्च 2020 से अगस्त 2020 तक 6 माह के लिए ऐसे उद्योगों, जिनमें 100 या इससे कम श्रमिक कर्मचारी कार्यरत हों और साथ ही 90 प्रतिशत श्रमिक कर्मचारी 15 हजार रूपए से कम वेतन ले रहे हों, के भविष्य निधि का अंशदान (नियोक्ता और कर्मचारी दोनों) का वहन भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, देहरादून के क्षेत्राधिकार में कुल 4502 ऐसे संस्थान हैं, जो कि उक्त योजना के तहत कवर हो सकते हैं, परंतु अभी आधे से भी कम संस्थानों ने इसका लाभ लिया है। मुख्यमंत्री ने शेष संस्थानों से आग्रह किया है कि भारत सरकार की इस योजना में आवेदन करें ताकि नियोक्ता व श्रमिक दोनों को लाभ मिले।

केन्द्र सरकार जागरुकता के लिए मीडिया संस्थानों को करेगी पुरस्कृत

सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आशा व्यक्त की है कि इस वर्ष 21 जून को योग दिवस पर बड़ी संख्या में लोग भाग लेंगे। आज नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में जावडेकर ने कहा कि योग भारत की अपनी विरासत है साथ ही यह अच्छे स्वास्थ्य के लिए विश्व को उपहार भी है। प्रकाश जावडेकर ने कहा कि इस वर्ष योग के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न मीडिया संस्थानों को पुरस्कृत किया जायेगा।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर झारखण्ड के रांची में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में भाग लेंगे। इसमें लगभग तीस हजार लोगों के भाग लेने की आशा है। इसमें योग संगठन और योग गुरूओं के अलावा राज्य की जानी-मानी हस्तियां भी शामिल होंगी।

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जानिए कौन है उत्तराखंड से, जिन्हें मिला है मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा

अजीत डोभाल देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने रहेंगे। साथ ही भारत सरकार में उनका दर्जा कैबिनेट मंत्री स्तर का होगा। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में उन्हें राज्य मंत्री स्तर का दर्जा प्राप्त था। राष्ट्रीय सुरक्षा में उनके योगदान को देखते हुए डोभाल को फिर से यह जिम्मेदारी दी गई है।
सोमवार को कार्मिक मंत्रालय के एक आदेश में इसकी जानकारी दी गई है। आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने डोभाल को इस पद पर दोबारा नियुक्त किये जाने के संबंध में अपनी मंजूरी दे दी है और यह व्यवस्था 31 मई 2019 से प्रभावी होगी। प्रधानमंत्री के कार्यकाल के साथ-साथ उनकी नियुक्ति भी स्वतः समाप्त हो जाएगी ।
आदेश में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर नियुक्ति के दौरान उन्हें कैबिनेट मंत्री का रैंक दिया गया है। डोभाल को पहली बार मई 2014 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया था और उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था।

एक नजर में डोभाल ….

50 के दशक में मिजो मूल के भारतीय सेना के एक हवलदार लालडेंगा को केंद्र सरकार की नीतियां अपने क्षेत्र के लिए अनुचित लगीं। नतीजतन उसने सेना की नौकरी छोड़ी, बागी होकर मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) बनाया और मिजोरम को भारत से पृथक एक संप्रभु राष्ट्र बनाने के लिए हिंसक आंदोलन छेड़ दिया। मिजो जिला उस समय असम का हिस्सा था। एमएनएफ ने सरकारी कार्यालयों और सुरक्षाबालों पर हमले शुरू कर दिए। इस आंदोलन से सेना तो निपट ही रही थी, केरल काडर के एक युवा आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल को पृथकतावादियों से वार्ता में लगाया गया।
डोभाल ने वार्ता के दौरान इस आंदोलन के नेताओं का दृष्टिकोण न केवल भारत के साथ रहने के लिए बदला बल्कि अंततः खुद लालडेंगा ने भी शांति प्रस्ताव को स्वीकार किया। इन वार्ताओं की सफलता ने अजित डोभाल को अपने सेवाकाल के मात्र छठवें वर्ष में पुलिस सेवा मेडल दिलवाया, यह सम्मान पाने वाले वे सबसे युवा पुलिस अधिकारी बने। यह एक घटना इंटेलीजेंस और राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े मामलों में अजित डोवाल की भूमिका को केवल समझाने के लिए काफी है।
डोभाल ने अपने करीब 37 वर्ष के कॅरिअर में सिक्कम के भारत में विलय, आईएसआई समर्थित खालिस्तानी आतंकवाद, रोमानियाई राजदूत लिवियू राडु की पंजाब में अपहरण के बाद रिहाई, स्वर्ण मंदिर को आतंकियों के कब्जे से छुड़ाने के लिए चले ऑपरेशन ब्लैक थंडर, इस्लामाबाद में सात वर्ष हाईकमीशन में सेवा और 90 के दशक में कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ इख्वान उल मुस्लेमून संगठन स्थापित करने जैसे कारनामे अंजाम दिए। इनके लिए उन्हें विशेष रूप से पहचाना जाता है।

बीएसएनएल के नंबर 10 से 13 डिजिट के होंगे

अब भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के नई सीरीज के नंबर दस के बजाए 13 डिजिट के होंगे। केंद्रीय सूचना मंत्रालय के निर्देश पर बीएसएनएल ने इस पर अपना काम भी शुरू कर दिया है।

पिछले दिनों दिल्ली में संपन्न हुयी बैठक में इस व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया गया। चर्चा यह है कि 10 अंकों के लेवल में अब नए मोबाइल नंबरों की गुंजाइश पूरी हो चुकी है, इसी वजह से नई सीरीज शुरू की जा रही है। इस वर्ष के अंत तक पुराने दस अंकों के मोबाइल नंबरों को भी 13 अंकों में तब्दील कर दिया जाएगा।

हालांकि, वर्तमान नंबर कैसे बदले जाएंगे, यह प्रक्रिया अभी तय नहीं हो पाई है। नंबर तो वही रहेगा, लेकिन डिजिट आगे जुड़ेंगे या पीछे, इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। बीएसएनएल के जीएम (मोबाइल) एसके सिंह के अनुसार इस संबंध में हमें अभी तक कोई निर्देश नहीं मिले हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से ही ऐसी खबर सुनने में आ रही हैं। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन की ओर से निर्देश मिलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

मीरवाइज ने फिर उगला घाटी में जहर, दस आंतकी पैदा होने का किया दावा!

हुर्रियत कांफ्रैंस (एम) चेयरमैन मीरवाइज उमर फारुख के बयान ने एकबार फिर से घाटी में हलचल पैदा कर दी है। मीरवाइज ने कहा कि दिल्ली में बैठी सरकार को लगता है कि हथियार के बल पर जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित की जा सकती है लेकिन मैं उनको कहना चाहूंगा किए अगर आप एक आतंकी को मारोगे तो दस आतंकी पैदा होंगे।
मीरवाइज उमर फारुख को पिछले 57 दिनों से अपने घर में नजरबंद किया गया था। नजरबंद से छूटते ही मीरवाइज उमर फारुख जामिया मस्जिद पहुंचे और भीड़ को संबोधित किया। मीरवाइज ने कहा कि पिछले 70 साल से कश्मीर की यही परंपरा रही है। कश्मीर में लोग पैदा होते हैं और उन्हें मालूम होता है कि यह विवादित क्षेत्र है। इसी सोच के साथ वे युवा होते हैं और एक दिन मारे जाते हैं। यह लड़ाई अनवरत जारी है।
मीरवाइज ने कहाकि कश्मीर के युवा और छात्र आए दिन स्कूल और कॉलेज में प्रदर्शन करते हैं जिसकी वजह से बार-बार घाटी बंद का ऐलान होता है। इससे साफ पता चलता है कि कश्मीर के लोग क्या चाहते हैं। मीडिया पर निशाना साधते हुए मीरवाइज ने कहा कि मीडिया में कश्मीर और कश्मीर के लोगों को लेकर गलत प्रचार किया जा रहा है। ऐसा करने से सरकार को कुछ हासिल होने वाला नहीं है।

देश की सबसे लंबी सुरंग कहलायेगी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन

ऋषिकेश एशिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क भारतीय रेलवे के खाते में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के साथ ही एक उपलब्धि और जुड़ जाएगी। प्रस्तावित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर देश में अब तक की सबसे लंबी सुरंग बनने जा रही है। जिसकी लंबाई 15 किलोमीटर होगी। अभी तक भारतीय रेलवे जम्मू-कश्मीर में ही सबसे लंबी रेल सुरंग बना पाया है, जो सवा ग्यारह किलोमीटर लंबी है।
भारतीय रेलवे की बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना अपने आप में कई मायनों में अनूठी है। 125 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर कुल 16 सुरंगें और 16 पुल बनने हैं। बड़ी बात यह कि इस रेल लाइन पर देश में अब तक की सबसे लंबी सुरंग बनने जा रही है। जिसकी लंबाई 15.100 किलोमीटर होगी। देश में अब तक सबसे लंबी रेल सुरंग उत्तर रेलवे ने जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2013 में तैयार की थी। जबकि, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की बात करें तो यहां प्रस्तावित 16 सुरंगों में से पांच सुरंग नौ किलोमीटर से भी लंबी हैं। इसके अलावा छह सुरंगें छह से नौ किलोमीटर तक लंबाई की हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर इसी वर्ष नंवबर-दिसंबर में काम शुरू होने की उम्मीद है।

छह किमी से लंबी सुरंग में बनेगी निकासी सुरंग
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की एक और खासियत यह है कि इस पर रेल सिर्फ 20 किलोमीटर का सफर ही खुले आसमान के नीचे तय करेगी। बाकी रेल लाइन का 105 किलोमीटर हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। इस रेल लाइन पर छह किलोमीटर व इससे अधिक लंबाई की प्रत्येक सुरंग पर एक निकासी सुरंग भी बनाई जाएगी। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच प्रस्तावित 18 सुरंगों में से 11 सुरंगों की लंबाई छह किलोमीटर से अधिक है। इन सभी के साथ निकासी सुरंगें बनाई जानी हैं, जो आपात स्थिति में काम आएंगी।

रेल यात्रियों को महसूस नहीं होगी घुटन
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर जब यात्री 105 किलोमीटर का सफर 18 सुरंगों से तय करेंगे तो यहां उन्हें किसी भी तरह की घुटन महसूस नहीं होगी। रेल विकास निगम के परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि इन सुरंगों में वेंटीलेशन की पर्याप्त व्यवस्था होगी। वेंटीलेशन सिस्टम पूरी तरह से आधुनिक व तकनीकी से लैस होगा। प्रत्येक सुरंग का डायमीटर आठ से दस फीट का होगा।

देश की सबसे लंबी पांच रेल सुरंग
टनल का नाम-जगह-लंबाई
पिर पंजल-जम्मू कश्मीर-11.215 किमी
करबड़े-महाराष्ट्र-6.506 किमी
नाथूवाड़ी-महाराष्ट्र-4.389 किमी
टाइक-महाराष्ट्र-4.077 किमी
बर्डेवाड़ी-महाराष्ट्र-4.000 किमी

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर प्रस्तावित सुरंग
ढालवाला से शिवपुरी-10.850 किमी
शिवपुरी से गूलर-6.470 किमी
गूलर से व्यासी-6.720 किमी
व्यासी से कौड़ियाला-2.200 किमी
कौड़ियाला से बागेश्वर-9.760 किमी
राजचौरा से पौड़ी नाला-220 मीटर
पौड़ी नाला से सौड़ (देवप्रयाग)-1.230 किमी
सौड़ से जनासू-15.100 किमी
लछमोली से मलेथा-2.800 किमी
मलेथा से नैथाणा (श्रीनगर)-4.120 किमी
श्रीनगर से परासू (धारी)-9.000 किमी
परासू से नरकोट-7.080 किमी
नरकोट से तिलनी-9.420 किमी
तिलनी से घोलतीर-6.460 किमी
घोलतीर से गोचर-7.160 किमी
रानो से सिवई-6.400 किमी

सुरंगों के लिए हो चुका भूगर्भीय सर्वेक्षण
रेल विकास निगम के परियोजना प्रबंधक ओम प्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर 18 सुरंगों के लिए भूगर्भीय सर्वेक्षण हो चुका है। सुरंग निर्माण के लिए टीबीएम (टनल बोङ्क्षरग मशीन) व एनएटीएम (न्यू आस्ट्रीयन टनलिंग मैथड) से काम किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में अब तक की सबसे बड़ी रेल सुरंग का निर्माण करने वाले इंजीनियर व विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है।

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