आयुष मंत्रालय ने इम्यूनिटी बूस्टर ड्रिंक को प्रमाणिक माना, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी

सारंडा वन प्रमण्डल ने आयुष मंत्रालय की गाइड लाइन पर आधारित इम्यूनिटी बूस्टर ड्रिंक तैयार किया है। आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज चाईबासा के पूर्व प्राचार्य डॉ मधुसूदन मिश्रा की देखरेख में इस काम को किया जा रहा है। मिश्रा का मानना है कि वायरल संक्रमण का इलाज संभव तो नहीं लेकिन उसके लिए शरीर में एंटीजेन तैयार कर हम उसे मात दे सकते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से ही संभव होता है।
साल के वृक्षों के लिए मशहूर एशिया प्रसिद्ध सारंडा का वन क्षेत्र औषधीय पौधों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहीं से प्राप्त जड़ी बूटियों और अन्य वन उपजों को इकट्ठा कर स्थानीय वन समिति के जरिए इम्यूनिटी बूस्टर ड्रिंक का वृहद पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है। सारंडा के डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि इसे जिले के पुलिस कर्मियों और स्वास्थ्य कर्मियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें दिया जाएगा।
पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त अरवा राजकमल ने इस ड्रिंक को उपयोगी बताते हुए कहा कि इसके उत्पादन से वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों की आमदनी को बढ़ाने में मदद तो मिलेगी ही, कोरोना के फ्रंटलाइनर योद्धाओं के लिए भी यह ड्रिंक सहायक साबित होगी। कोरोना संक्रमण काल में जब तक इसका कोई इलाज नहीं मिल जाता तब तक रोग प्रतिरोधक झमता बढ़ाना भी एक कारगर उपाय माना जा रहा है।
कोरोना संकट ने हमारे समक्ष जहाँ स्वास्थ्य चुनौती पेश की है वही यह हमें जीने की नई राह भी दिखा रहा। बड़े तो बड़े बच्चे तक इस संक्रमण काल में अब नवाचारों की ओर बढ़ रहे है। गुमला के एक बच्चे ने करेंसी सैनिटाइजर मशीन का निर्माण किया है जिसको बनाने में महज 1500 रूपए का खर्च आया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनौती को अवसर में बदलने पर हमेशा जोर दिया करतें हैं। कोरोना काल में संक्रमण का खतरा मंडराया तो गुमला के अर्जित आर्य ने सोचा की करेंसी नोट भी संक्रमण का वाहक बन सकता है। इस खतरे को भांपते हुए उन्होंने मात्र 1500 रूपए खर्च कर मुख्यतः जुगाड़ तकनीक से एक मोटर और दो रोलर समेत कुछ अन्य चीजों के सहयोग से करेंसी सैनिटाइजर मशीन बना डाला है।
जिले के उपायुक्त शशि रंजन ने गुमला के इस होनहार बालक के इस इनोवेशन की जमकर तारीफ की है। उपायुक्त ने कहा कि इसमें और अधिक सुधार करके बैंकों को उपलब्ध कराए जाने पर विचार किया जा रहा है। जनजातीय बहुल गुमला में नवाचार की बात यही नहीं रूकती। गुमलावासियों ने काफी सुरक्षित फेस कवर का भी निर्माण किया है।
जिसमें फेस कवर आई विजन के साथ सिर को ढकने की भी व्यवस्था है। इस फेस कवर को बनाने में महज 40 रुपए की लागत आती है। कोरोना काल निश्चित रूप से परेशान करने वाला है लेकिन आने वाले समय में इसके द्वारा दिया गया सबक मानव जाति के कल्याण के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

एम्स में भर्ती महिला की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में भर्ती हल्द्वानी, नैनीताल निवासी 56 वर्षीय महिला की शुक्रवार तड़के ब्रेन हैमरेज के कारण मौत हो गई। हालांकि पांच दिन पहले कराई गई कोरोना वायसर जांच में महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। मगर एम्स प्रशासन ने ब्रेन स्ट्रोक की समस्या से गंभीर रूप ग्रसित महिला की मौत की वजह ब्रेन ब्लीड बताई है। इस दौरान महिला की मौत के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया।
महिला की मौत को कोरोना की वजह से प्रदेश में पहली मौत की तरह प्रसारित किया जाने लगा। आखिरकार एम्स प्रशासन ने सामने आकर महिला की मौत का कारण स्पष्ट किया। शुक्रवार को यहां जारी मेडिकल बुलेटिन में एम्स प्रशासन ने हल्द्वानी, नैनीताल निवासी 56 वर्षीय महिला की मौत की पुष्टि की है। एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि बीते माह 22 अप्रैल को ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी से ग्रसित इस महिला को एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसका उपचार चल रहा था। महिला की 27 अप्रैल को कोरोना वायरस की जांच भी की गई थी, जिसमें वह पॉजिटिव पाई गई। उन्होंने बताया कि उक्त महिला की शुक्रवार सुबह मृत्यु हो गई है। निदेशक एम्स ने महिला की मौत की वजह ब्रेन ब्लिड की समस्या से होना बताया है। उन्होंने बताया कि उच्च रक्तचाप की वजह से इस महिला के ब्रेन के ऐसे हिस्से में जहां पर शरीर का सारा सिस्टम कंट्रोल होता है, वहां पर स्ट्रोक की वजह से ब्रेन ब्लिड की समस्या थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हुई है। उन्होंने बताया कि हालांकि महिला कोरोना पॉजिटिव थी, मगर उसे सबसे बड़ी समस्या अत्यधिक ब्लड प्रेशर के कारण ब्लिडिंग थी, साथ ही महिला को निमोनिया व यूरिन इंफेक्शन भी था, गंभीर बीमारियों और अधिक उम्र की वजह से शुक्रवार को उसकी मृत्यु हो गई।

एम्स से पहले नैनीताल और फिर बरेली में भर्ती रही थी महिला
एम्स ऋषिकेश के संकायाध्यक्ष (अस्पताल प्रशासन) प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि नैनीताल निवासी 56 वर्षीया महिला बीती 22 अप्रैल को एम्स में भर्ती हुई थी। जिसे ब्रेन स्ट्रोक की शिकायत थी। यह महिला नैनीताल में पहले बृजलाल अस्पताल फिर स्वामी विवेकानंद अस्पताल में भर्ती थी, जहां इसका स्ट्रोक का उपचार चल रहा था। वहां से महिला श्रीराम मूर्ति हॉस्पिटल बरेली रेफर किया गया था। श्रीराममूर्ति अस्पताल से महिला 22 को एम्स ऋषिकेश के लिए रेफर किया गया था।
उन्होंने बताया कि उक्त दोनों अस्पतालों से प्राप्त रिपोर्ट में महिला रोगी का कोरोना का टेस्ट भी हुआ था, लेकिन वहा महिला की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। एम्स में भर्ती इस महिला को 27 अप्रैल को फीवर आया था, जिसके कारण इसका संस्थान में कोरोना का टेस्ट किया गया। जिसकी रिपोर्ट बीते मंगलवार पॉजिटिव आई थी।

प्राइमरी कांट्रेक्ट में आए सभी लोगों होंगे क्वारंटीन
एम्स में संकायाध्यक्ष (अस्पताल प्रशासन) प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव पाई गई महिला के प्राइमरी कांटेक्ट में आए लोगों की जांच चल रही है। स्वामी विवेकानंद अस्पताल नैनीताल व श्रीराममूर्ति अस्पताल बरेली में इस महिला के संपर्क में करीब 50 लोग आए थे। बताया कि इस बाबत महिला जिन अस्पतालों में भर्ती रही है, वहां भी इसकी जांच चल रही है। उन्होंने बताया कि संस्थान में इस महिला के प्राइमरी व सेकेंड्री कांटेक्ट में आए करीब 70 से 80 स्टाफ को क्वारंटीन किया गया है।

अन्य बीमारियों का भी किया जा रहा इलाज
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स संस्थान लगातार सभी तरह के गंभीर रोगियों के इलाज में जुटा हुआ है। चाहे मरीज कोरोना पॉजिटिव, कोरोना निगेटिव अथवा किसी भी अन्य तरह की बीमारी से ग्रसित हो। उन्होंने बताया कि संस्थान में सभी तरह के सुरक्षात्मक उपाय बरते जा रहे हैं। ऐसा नही है कि एम्स में कोरोना पॉजिटिव केस आ गए हैं तो अन्य बीमारियों का इलाज बंद कर दिया गया हो।

मिलेगी जीतः देश में डबलिंग रेट के साथ रिकवरी रेट में भी सुधार

गुरुवार को कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में हिन्दुस्तान को अच्छी खबरें मिली हैं। एक तरफ कोरोना के डबलिंग रेट में सुधार हो रहा है। वहीं, मरीजों की संख्या की तुलना में ठीक होने वालों का अनुपात भी सुधर रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश में डबलिंग रेट के साथ रिकवरी रेट में भी सुधार हुआ है।
आपको बता दें कि देश में कोरोना वायरस केसों का डबलिंग रेट अब बढ़कर 11 दिन हो गया है, जोकि लॉकडाउन से पहले महज 3.4 दिन था। कई राज्यों ने राष्ट्रीय स्तर से भी अच्छा प्रदर्शन किया है। चार राज्यों में तो केसों का डबलिंग रेट 40 दिन से भी अधिक है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश जम्मू-कश्मीर, ओडिसा, राजस्थान, तमिलनाडु और पंजाब में डबलिंग रेट 11 से 20 दिन का है तो कर्नाटक, लद्दाख, हरियाणा, उत्तराखंड और केरल में कोरोना संक्रमण के केस 20 से 40 दिन में दोगुने हो रहे हैं। असम, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश में कोरोना केस डबल होने में 40 दिन से अधिक का समय लग रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण केसों की संख्या बढ़कर 33050 हो गई है। 1074 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक 8325 लोग ठीक हो चुके हैं। 24 घंटे में 630 ठीक हुए हैं। इसके साथ ही देश में रिकवरी रेट सुधरकर 25.19 पर्सेंट हो चुका है, जोकि 14 दिन पहले 13.06 फीसदी था।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में कोरोना वायरस की वजह से मृत्यु दर 3.2 पर्सेंट हैं। मृतकों में 78 फीसदी ऐसे लोग हैं जो दूसरी बीमारियों से भी ग्रस्त थे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में कोरोना मरीजों की मृत्य दर 3.20 पर्सेंट है। इनमें से 65 पर्सेंट पुरुष और 35 पर्सेंट महिलाएं हैं। उम्र के लिहाज से देखें तो मृतकों में 14 पर्सेंट 40 साल से कम के हैं। मृतकों में 34.8 पर्सेंट 40-60 उम्र के हैं तो 51.2 पर्सेंट की उम्र 60 साल से अधिक थी।

केन्द्र ने राज्यों को 30 अरब रुपये की अतिरिक्त राशि जारी की

सरकार ने कोविड-19 महामारी के प्रबंधन के लिए राज्यों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निधि से अतिरिक्त तीन हजार करोड़ रूपए जारी किए हैं। इससे पहले इस निधि में 11 सौ करोड रुपये जारी किए जा चुके हैं।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नई दिल्ली इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान देशभर में अब तक 16 लाख 94 हजार मीट्रिक टन अनाज का परिवहन किया गया। इस बीच, देश में पिछले 24 घंटे में छह सौ 93 लोगों में कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि हुई। इसके साथ ही संक्रमित लोगों की संख्या चार हजार 67 हो गई। इनमें से दो सौ 91 लोगों को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है, जबकि एक सौ नौ लोगों की मृत्यु हुई है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि कुल मामलों में से 76 प्रतिशत पुरूष और 24 प्रतिशत महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि संक्रमित लोगों में से एक हजार चार सौ 45 तब्लीगी जमात से संबंधित हैं।
अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 के शिकार एक सौ नौ लोगों में से 63 प्रतिशत की उम्र 60 वर्ष से अधिक थी। मृतकों में 40 से 60 वर्ष की उम्र के 30 प्रतिशत जबकि 40 वर्ष से कम उम्र के सात प्रतिशत लोग थे। उन्होंने उच्च जोखिम वाले लोगों को सरकार के निर्देशों और दिशानिर्देशों का पालन करने का सुझाव दिया।
अग्रवाल ने देशवासियों से कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकेने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने और दिशा निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया।
अग्रवाल ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान देशभर में अब तक 16 लाख 94 हजार मीट्रिक टन अनाज का परिवहन किया गया। उन्होंने कहा कि 13 राज्यों में एक लाख 30 हजार मीट्रिक टन गेहूं और आठ राज्यों में एक लाख 32 हजार मीट्रिक टन चावल आवंटित किया गया। कहा कि भारतीय खाद्य निगम के पास केंद्र के हिस्से वाला 55 लाख 47 हजार मीट्रिक टन अनाज है।
अग्रवाल ने कहा कि इस महामारी के प्रबंधन के लिए राज्यों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निधि से 11 अरब रुपये जारी किए गए हैं। इस संबंध में 30 अरब रुपये की अतिरिक्त राशि जारी की गई है।
गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि लॉकडाउन के उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तुओं और चीजों की उपलब्धता संतोषजनक है।
तब्लीगी जमात से संबंधित मामलों के बारे में सुश्री श्रीवास्तव ने कहा कि अथक प्रयायों से तब्लीगी जमात के 25 हजार पांच सौ से अधिक स्थानीय लोगों और उनके सम्पर्क में आए लोगों को क्वारेंटीन किया गया है।

जिलाधिकारियों को मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश, सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन हो

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों से फोन के माध्यम से कोविड-19 के प्रभावी नियंत्रण के लिए की जा रही तैयारियों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुचारु रखी जाए, खाद्यान्न एवं आवश्यक वस्तुओं की पूर्ण उपलब्धता रखी जाए, सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन कराया जाए, प्रदेश की जनता को सुरक्षित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी प्रकार की आवश्यकताओं के लिए शासन के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाए, यह ध्यान रहे कि खाद्यान्न एवं अन्य सामग्री में ओवर रेटिंग की शिकायत ना हो।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों से भी स्वास्थ्य सुविधाओं एवं आवश्यक व्यवस्थाओं की जानकारी ली। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी आवश्यक सामग्री के लिए स्वास्थ्य सचिव एवं डीजी स्वास्थ्य से संपर्क करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री के पूरे परिवार ने मुख्यमंत्री राहत कोष में दी धनराशि
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोरोना वायरस के दृष्टिगत अपने 5 माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता रावत ने कोरोना वायरस के दृष्टिगत 1 लाख रुपए का चेक, मुख्यमंत्री की बेटी कृति रावत ने 50,000 एवं सृजा ने 2000 रुपए का चेक मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए दिए हैं।

अन्य बीमारी से राहत दिलाने के लिए अब खुलेगी अन्य अस्पतालों की ओपीडी

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सीएम आवास में कोविड-19 कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के साथ महत्वपूर्ण बैठक की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए राज्य सरकार हर सम्भव कोशिश कर रही है। इसमें प्राईवेट चिकित्सा संस्थानों का सहयोग बहुत जरूरी है। वर्तमान में दून अस्पताल, महंत इंद्रेश अस्पताल, एम्स ऋषिकेश व हिमालयन अस्पताल में कोविड-19 कोरोना के मरीजों के लिए बेड आरक्षित रखे गए हैं। यहां के चिकित्सकों को कोरोना के ईलाज मे नियुक्त किया गया है। इससे अन्य निजी अस्पतालों की जिम्मेदारी बढ गई है। इसलिए सभी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम अपने यहां ओपीडी खुली रखें। ताकि आमजन अन्य बिमारियों की दशा में अपना ईलाज सुगमता से करा सके। सरकार निजी चिकित्सा संस्थानो को हर प्रकार की सहायता देगी। मुख्यमंत्री ने पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को निर्देशित किया कि निजी अस्पतालों में ओपीडी की व्यवस्था सही रखने में सहयोग करें। मेडिकल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि कोरोना से लङाई में सरकार का पूरा सहयोग किया जाएगा। यह लङाई केवल सरकार की नहीं पूरे देश और समाज की है।
बैठक में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ धनसिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, सचिव स्वास्थ्य नितेश झा, एनएचएम के निदेशक युगल किशोर पंत, आईएमए के अध्यक्ष डॉ अजय खन्ना, सीएमआई के चेयरमैन डॉ आरके जैन, डॉ महेश कुडियाल, डॉ अरविंद ढाका, डॉ डीडी चैधरी, डॉ अजीत गैरोला, डॉ सिद्धार्थ गुप्ता, डॉ संजय गोयल, डॉ कृष्ण अवतार, डाॅ प्रवीण मित्तल, डॉ शनवीर बामरा आदि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए प्रमुख अस्पतालों की ली बैठक
मुख्यमंत्री कोविड-19 कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के संबंध में प्रमुख अस्पतालों के प्रबंधन के साथ महत्वपूर्ण बैठक की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए राज्य सरकार हर सम्भव कोशिश कर रही है। इसमें प्राईवेट चिकित्सा संस्थानों का सहयोग बहुत जरूरी है। वर्तमान में दून अस्पताल, महंत इंद्रेश अस्पताल, एम्स ऋषिकेश व हिमालयन अस्पताल में कोविड-19 कोरोना के मरीजों के लिए बेड आरक्षित रखे गए हैं।
एम्स ऋषिकेश, हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट, दून अस्पताल व महंत इंद्रेश अस्पताल में कोरोना के ईलाज के लिए पृथक से व्यवस्था की जा रही है। आवश्यकता अनुसार स्वास्थ्य संबंधी उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है। इनमें कोरोना के मरीजों के लिए बेड आरक्षित किए गए हैं। बताया गया कि एम्स ऋषिकेश व दून अस्पताल में 400-400 बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं। हिमालयन अस्पताल व महंत इंद्रेश अस्पताल में 200-200 बेड इसके लिए उपलब्ध हैं। जरूरत पङने पर इन दोनों अस्पतालों में इसे बढ़ाया जा सकता है। आर्मी अस्पताल देहरादून में भी इसके लिए 200 बेड की व्यवस्था रहेगी। इन अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आईसीयू और वेंटिलेटर की संख्या आवश्यकता पङने पर बढाई जायेगी और एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाएगी। समुचित समन्वय के दृष्टिगत एम्स ऋषिकेश व हिमालयन अस्पताल के लिए आईपीएस नीरू गर्ग और दून अस्पताल व महंत इंद्रेश अस्पताल के लिए आईपीएस केवल खुराना को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
बैठक में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ धनसिंह रावत, महंत देवेन्द्र दास, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल राजेन्द्र सिंह ठाकुर, सचिव नितेश झा, एनएचएम के निदेशक युगल किशोर पंत, हिमालयन अस्पताल के विजय धस्माना, एम्स ऋषिकेश के प्रोफेसर डॉ रविकांत उपस्थित थे।

80 करोड़ लोगों को अगले तीन महीने तक पांच किलो चावल या गेंहू मुफ्त मिलेगा

सरकार ने कोविड-19 से प्रभावित प्रवासी मजदूरों और गरीबों के लिए एक लाख 70 हजार करोड़ रूपये के राहत पैकेज की घोषणा की है। नई दिल्ली में आज संवाददाता को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री सीतारामन ने बताया कि कोरोना के मुकाबले में लगे विभिन्न वर्ग के लोगों के लिए तीन महीने के लिए 50 लाख रूपये का बीमा भी कराया जाएगा। इनमें चिकित्सक, पैरा-मेडीकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी, सफाई कर्मचारी और आशा कार्यकर्ता शामिल है।
वित्तमंत्री ने बताया कि 80 करोड़ लोगों को अगले तीन महीने तक पांच किलो चावल या गेंहू मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा। यह इस समय दिए जा रहे 5 किलो राशन के अलावा होगा। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक परिवार को एक किलो दाल भी मुफ्त दी जाएगी।
वित्तमंत्री ने ये भी बताया कि मौजूदा प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत आठ करोड़ 70 लाख किसानों और अन्य लोगों को अप्रैल के पहले सप्ताह तक उनके खाते में 2 हजार रूपये जमा कर दिए जाएंगे। इससे बड़ी संख्या में गरीबी पेंशन पाने वाले लोग लाभान्वित होंगे जिनमें गरीब विधवाएं, दिव्यांगजन, स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं और उज्ज्वला योजना का लाभ ले रही महिलाएं भी शामिल हैं। वित्घ्त मंत्री ने मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी में भी वृद्धि की घोषणा की जिससे 5 करोड़ परिवारों को फायदा मिलेगा।
वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगजनों को अगले तीन महीनों के दौरान एक-एक हजार रूपये की दो किस्तों में तदर्थ अनुदान दिया जाएगा। इससे करीब तीन करोड़ गरीब वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगजनों को लाभ पहुंचेगा।

समझें क्यों कहा मोदी ने कोताही बरती गई तो देश को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 के प्रकोप से देश को बचाने के लिए देशवासियों से निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार हो जाने का आह्वान किया है। देश के नाम अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा है कि आज रात बारह बजे से पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह एक तरह से जनता कर्फ्यू की ही तरह होगा, लेकिन इसमें पूरी सख्ती बरती जाएगी। मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव का एकमात्र तरीका सोशल डिस्टेंसिंग यानी एक-दूसरे से मिलते समय करीब एक मीटर की दूरी बनाए रखना है और इस नियम का पालन करना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर इसमें कोताही बरती गई तो देश को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
प्रधानमंत्री ने एहतियात को ही बचाव का सबसे अच्छा उपाय बताते हुए लोगों से कहा कि वे इक्कीस दिनों की परीक्षा की इस घडी में घरों से बाहर न निकलें। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना का मतलब है कोई भी रोड पर न निकले और इस नियम का पालन हम सभी को करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम इक्कीस दिन तक संयम नहीं बरत पाए तो हम इक्कीस साल पीछे धकेल दिए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस आग की तरह से तेजी से फैलने वाली बीमारी है। दुनिया के अनेक देशों के अनुभव का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि बेहतरीन चिकित्सा सुविधाओं वाले देशों को भी कोरोना से निपटने में भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हमें उनके अनुभवों से फायदा उठाते हुए अपनी पूरी तैयारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि कुछ देशों ने जिस तरह से इस बीमारी पर काबू पाया है वह हमारे लिए एक मिसाल होगी। हमें कोविड-19 के फैलाव की श्रृंखला को तोड़कर इस बीमारी से निपटना होगा।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आह्वान किया कि जान है तो जहान है इसलिए हमें पूरी तैयारी करनी होगी और सोशल डिस्टेन्सिंग के नियम का कडाई से पालन करना होगा। उन्घ्होंने बीमारी से निपटने में चिकित्साकर्मियों, पुलिस कर्मियों और आवश्यक सेवाओं से जुडे अन्य कर्मियों के योगदान की सराहना की। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि सरकार आम लोगों की परेशानियों को दूर करने का हरसंभव प्रयास करेगी।

कोरोनावायरस से बचने के लिए इन उपायों को करें

कोरोनावायरस से पूरा विश्व में दहशत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोरोनावायरस से भी खतरनाक वायरस पहले भी सक्रिय हुए हैं। इनसे बड़ी संख्या में लोग ग्रसित हुए और मौत का शिकार भी हुए जबकि कोरोना में राहत वाली बात यह है कि इसमें मृत्यु दर बहुत कम है। फिर भी कोरोना को लेकर दहशत का माहौल बहुत ज्यादा है। ऐसे में डॉक्टर दहशत में न आने और एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं।

क्या है कोरोनावायरस
चिकित्सकों ने बताया कि कोरोना (कोविद-19) वायरस विषाणुओं का एक बड़ा समूह है। जो इंसानों में सामान्य जुकाम से लेकर श्वसन तंत्र की गंभीर समस्या तक पैदा कर सकता है। इसके अलावा कोरोनावायरस से सार्स और मर्स जैसी जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं।

कोरोना इंफेक्शन के लक्षण
कोरोनावायरस की वजह से रेस्पेरेटरी ट्रेक्ट यानी श्वसन तंत्र में हल्का इंफेक्शन हो जाता है। जैसा कि आमतौर पर कॉमन कोल्ड यानी सर्दी, जुकाम में देखने को मिलता है। हालांकि इस बीमारी के लक्षण बेहद कॉमन है और कोई भी कोरोनावायरस से पीड़ित न हो तब भी उसमें ऐसे लक्षण दिख सकते हैं। जिसमें नाक बहना, सिर में तेज दर्द, खांसी और कफ, गला खराब, बुखार, थकान और उल्टी महसूस होना, सांस लेने में तकलीफ होना, निमोनिया और ब्रांकाइटिस।

कैसे फैलता है कोरोना
यह वायरस बीमार रोगी के खांसने, छींकने से स्वस्थ इंसान के शरीर में सांस व मुंह के रास्ते प्रवेश करता है।

कैसे बचे-सुझाव
– जब कोई खांसे या छींके तो आपको उस व्यक्ति से छह फीट से अधिक रखनी चाहिए, ताकि विषाणु आप तक जीवित न पहुंच सके।
– मुंह को मास्क से कवर कर रखें और रोज बदलें
– मास्क न होने पर कुहनी से मुंह ढक कर खांसे
– बचाव के लिए भीड़भाड़ वाले इलाके में प्रवेश न करें। शुरुआती दौर में संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखते बल्कि यह रोग को फैलाने मेें सक्षम होता है।
– किसी भी संभावित संक्रमित वस्तु को छूने के बाद हाथों को पानी साबुन से 20 सेकेंड तक धोएं।
– हाथ मिलाने से बचें, अभिवादन के लिए नमस्ते कर सकते हैं।

वहीं, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने बताया कि कोरोना को लेकर घबराने की नहीं सावधानी बरतने की जरूरत है। अफवाहों पर ध्यान न दें। उत्तराखंड में कोरोना का कोई केस अब तक सामने नहीं आया है। एक कोरोना मरीज के निजी अस्पताल में भर्ती होने का जो पत्र वायरल हुआ है, वह निराधार हैं। देहरादून के किसी निजी अस्पताल में कोरोना का मरीज भर्ती नहीं है। पत्र में गलत तथ्य लिखने वाले संबंधित चिकित्सा अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब किया है।

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