वरिष्ठ पत्रकार की सीएम केजरीवाल को चिट्ठी-पूछा वायदों को कैसे करेंगे पूरा

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 का बिगुल बज चुका है। उत्तराखंड की सियासी पिच पर अभी तक भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा चुनावी घमासान होता रहा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के लिए सिरदर्द बनने जा रही है। कारण साफ है कि आप की ओर से की जाने वाली तमाम घोषणाओं ने यहां का माहौल गर्माना शुरू किया है। आप की ओर से की जारही लगातार चुनावी घोषणाएं एक ओर लोक लुभावन है। तो वहीं, सियासी पार्टियों के साथ ही राज्य के बुद्धिजीवी भी इन घोषणाओं को लेकर तमाम सवाल खड़े कर रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मीडिया सलाहकार और वरिष्ठ पत्रकार रमेश भट्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को उनकी ही घोषणाओं पर चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि वह अरविंद केजरीवाल का साक्षात्कार कर यह जानना चाहते हैं कि जनता को फ्री सुविधाएं देने के पीछे केजरीवाल का इकोनॉमिक प्लान क्या है?
बताया जा रहा है कि वरिष्ठ पत्रकार रमेश भट्ट ने दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को खुला पत्र भेजकर चुनौती दी है। उन्होंने केजरीवाल से साक्षात्कार के लिए समय देने का आग्रह किया है। अपने पत्र में श्री भट्ट ने केजरीवाल को लिखा है कि आपने उत्तराखंड के युवाओं के लिए कई घोषणाओं के साथ तमाम चुनावी वादे किए हैं। राज्य का निवासी होने के नाते मैं जानना चाहता हूं कि उत्तराखंड के लिए केजरीवाल का इकोनॉमिक प्लान क्या है? अपनी घोषणाओं को पूरा करने के लिए वे बजट की व्यवस्था कहां से करेंगे? एक आम उत्तराखंडी होने के नाते यह जानना मेरा हक है कि प्रदेश से किए जा रहे वादों के बारे में जानकारी लूं।
श्री भटट ने पत्र में लिखा है कि केजरीवाल, आप समय और स्थान तय करें ताकि मैं इन वादों पर आपका साक्षात्कार कर सकूं। आप की ओर से फिलहाल इस पत्र पर कोई जवाब तो नहीं आया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो केजरीवाल श्री भटट को समय दे सकते है। इस पर वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि उनकी भी तैयारी पूरी है। जिससे कि जनता को राजनीतिक पार्टियों का एजेंडा साफ पता चल सके।

स्वरोजगारः पिरूल प्रोजेक्ट में प्रति क्विंटल 100 रूपए की धनराशि देगी राज्य सरकार

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा जिलाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और सौलर व पिरूल परियोजनाओं की समीक्षा की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में वास्तव में जरूरतमंदों और बेरोजगार को प्राथमिकता दी जाए। सभी विभागों में चल रही स्वरोजगार योजनाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के साथ जोङा जाए। सोलर व पिरूल प्रोजेक्ट की आवश्यक प्रक्रियाएं समय से पूरी हों। मुख्यमंत्री ने सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा जिलाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और सोलर व पिरूल परियोजनाओं की समीक्षा की।

होप पोर्टल पर स्वरोजगार योजनाओं को अपलोड करे
मुख्यमंत्री ने कहा कि होप पोर्टल पर स्वरोजगार की सभी योजनाओं की सूचना अपलोड की जाए। एक प्लेटफार्म पर आने से लोगों को इन योजनाओं की जानकारी मिल पाएगी और इसका लाभ उठा सकेंगे। जन प्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाए।

प्रत्येक जिले में दो-दो स्वरोजगार प्रेरक
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की कोशिश है हर बेरोजगार साथी अपना रोजगार प्रारम्भ कर सके। लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए प्रत्येक जिले में एक महिला और एक पुरूष स्वरोजगार प्रेरक तैनात किए जाएंगे।

किसानो के उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान अपने उत्पादों की बिक्री के लिए निश्चिंत होना चाहिए। उनके उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था पर काम किया जाए। हॉर्टीकल्चर, पॉल्ट्री, मत्स्य, बकरी और भेड़पालन लाभदायक हो सकते हैं। इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाए। कोशिश की जाए कि अदरक, हल्दी आदि के बीज मांग के अनुरूप स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हों। किसानों को उन्नतशील खेती का प्रशिक्षण बंद कमरों तक ही सीमित न रहे, यह प्रशिक्षण का लाभ खेतों तक पहुंचे। कृषि विज्ञान केंद्रों का अधिकाधिक उपयोग हो।

लाभकारी प्रोजेक्ट पर संबंधित विभाग गाइडलाइन तैयार करें
आवेदकों को प्रोजेक्ट बनाने के लिए सारी जानकारी दें। इसमें ऑफलाईन आवेदन की भी व्यवस्था हो। विभिन्न व्यवसायों के प्रोजेक्ट किस प्रकार लाभकारी हो सकते हैं, इसके लिये संबंधित विभाग गाइडलाइन तैयार करें। जिला रोजगार समितियां आवेदकों की काउंसिलिंग भी करें। डीएम हर जिले में कुछ मॉडल प्रोजेक्ट स्थापित करें। बैंकों से समन्वय स्थापित किया जाए और ऋण प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं का निस्तारण तुरंत किया जाए।

सोलर व पिरूल प्रोजेक्ट में प्रक्रियाएं समय पर पूरी हों
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोलर व पिरूल प्रोजेक्ट को प्राथमिकता से लिया जाए। किसी भी एसडीएम के पास इनसे संबंधित फाईल एक सप्ताह से ज्यादा लम्बित नहीं रहनी चाहिए। जिलाधिकारी लगातार इसकी समीक्षा करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में पिरूल प्रोजेक्ट में पिरूल एकत्रीकरण पर स्वयं सहायता समूहों को एक रूपया प्रति किलो वन विभाग और 1.5 रूपया (एक रूपया पचास पैसे) प्रति किलो विकासकर्ता द्वारा दिया जाता है। अब राज्य सरकार भी अतिरिक्त 1 रूपया प्रति किलो अर्थात 100 रूपए प्रति क्विंटल की राशि देगी।

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में ट्रेडिंग भी शामिल
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने बताया कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में विनिर्माण व सेवा क्षेत्र के साथ ट्रेडिंग को भी लिया गया है। योजना की वेबसाइट पर मॉडल प्रोजेक्ट अपलोड किए गए हैं। प्रोजेक्टों की डीपीआर के स्टैंडर्ड फार्मेट भी उपलब्ध कराए गए हैं। वेबसाइट लांच करने के कुछ ही दिनों में काफी लोगों ने आवेदन किया है।

सोलर और पिरूल प्रोजेक्ट
सचिव राधिका झा ने प्रदेश में सोलर व पिरूल प्रोजेक्टों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि सोलर में 283 परियोजनाएं आवंटित की गई हैं जिसमें 203 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा और 800 करोङ रूपए का निवेश होगा। बहुत सी परियोजनाओं का यूपीसीएल का करार हो चुका है। पिरूल के भी 38 प्रोजेक्ट आवंटित किए जा चुके हैं। इनका भी यूपीसीएल के साथ करार किया जा चुका है।
वीडियो कांफ्रेंसिग में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट, आईटी सलाहकार रवीन्द्र दत्त, सचिव एल फैनई, अमित नेगी, आर मीनाक्षी सुंदरम, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल सहित अन्य अधिकारी व जिलाधिकारी उपस्थित थे।

त्रिवेन्द्र का दम, राज्य के लिये लिए है 11 बड़े फैसले, जो बदलेंगे राज्य की दशा और दिशा

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने बताया कि त्रिवेन्द्र सरकार ने तीन वर्षों में कई ऐसे फैसले लिए है जो जनता के हित के साथ ही जनभावनाओं के लिए बेहद जरुरी थे। इनमें 11 फैसले तो सीधे जनता से जुड़े हुए है। जिनका लाभ बड़ी संख्या में राज्य के लोगों को मिल रहा है या आने वाले समय में मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत लगातार जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर सक्रिय रहते है। रोजगार और स्वास्थ्य के विषय में मुख्यमंत्री ने बड़े और दूरगामी फैसले लिए है।
मीडिया सलाहकार इन 11 बड़े फैसलों की दे रहे है जानकारी-

’11 बड़े फैसले’

’1. जनभावनाओं की राजधानी’: गैरसैंण (भराड़ीसैंण) को राज्य जी ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करके जनभावनाओं का ख्याल रखा।

’2. चारधाम देवस्थानम बोर्ड गठित’: चार धाम यात्रा के सफल व बेहतर प्रबंधन के लिए चार धाम देवस्थानम बर्ड का गठन किया गया। इससे बद्री केदार, गंगोत्री यमुनोत्री के अलावा 51 बड़े मंदिरों के रखरखाव व प्रबंधन की जिम्मेदारी सरकार को मिली।

’3 अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना’: आयुष्मान भारत की तर्ज पर प्रदेश के समस्त परिवारों को सालाना 5 लाख रुपए तक का निशुल्क इलाज उपलब्ध कराने हेतु अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना लागू की गई। अपने राज्य के समस्त परिवारों को सुरक्षा कवच देने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य बना। अब तक 2 लाख से ज्यादा लोग मुफ्त उपचार करवा चुके हैं।

’4. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार’ : साल 2017 में प्रदेश में 1031 डॉक्टर थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 2600 के करीब हो गई है। 400 डॉक्टरों को केवल कोरोना काल मे ही नियुक्ति दी गई है। हर जिला अस्पताल में प्ब्न् की सुविधा है। दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को लाभ देने के लिए 35 अस्पतालोंध्केन्द्रों में टेली मेडिसिन सुविधा शुरू की गई है।

’5. ग्रोथ सेंटर’: ग्रामीण संसाधनों से लोकल इकोनॉमी जुटाने का तथा स्वरोजगार से जोड़ने के लिए करीब 100 ग्रोथ सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं।

’6. सभी 13 जिलों में 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन’ : पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 13 जिलों में 13 नए थीम बेस्ड टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित किए जा रहे हैं। टिहरी झील, गूलरभोज जलाशय, ट्यूलिप गार्डन प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं।

’7. होम स्टे’: ग्रामीण पर्यटन को मजबूत करने के लिए राज्य में 5000 होमस्टे बनाने का लक्ष्य है, जिसमे से अभी तक 2100 होमस्टे बनाये जा चुके हैं।

’8. इन्वेस्टर्स समिट’ : राज्य में उद्योगों और निवेश को विस्तार देने के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस सुविधा लागू है। 2018 में राज्य में पहली बार इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हुआ जिसमें सवा लाख करोड़ के डवन् साइन हुए। इनमें से भी अब तक 21 हजार करोड़ के निवेश प्रोजेक्ट ग्राउंडेड हो चुके हैं।

’9. फिल्म पॉलिसी’: उत्तराखण्ड में फिल्म निर्माण की संभावनाओं को देखते हुए फिल्म नीति लाई गई। इससे फिल्मकारों को कई तरह की रियायतें दी जा रही हैं। पिछले 3 साल में राज्य में 250 से अधिक फिल्मों व सीरियल्स की शूटिंग हो चुकी है। इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल रहा है।

’10. कोरोना से लड़ाई’ : उत्तराखण्ड सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए हैं। लॉकडाउन पीरियड में कोई भूखा नहीं रहे इसका ख्याल रखा, प्रदेश में रह रहे अन्य प्रदेशों के मजदूरों को कभी भूखा नहीं सोने दिया, उनको उनके घर तक पहुंचाने के पर्याप्त इंतजाम किए। अन्य राज्यों से प्रवासी उत्तराखण्डियों को लाने के लिए भी सभी व्यवस्थायें की।

कोरोना काल मे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया गया। आज राज्य में कोरोना मरीजों की देखभाल व इलाज के लिए 5 डेडिकेटेड कोविड अस्पताल, 10 डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर व 94 कोविड केयर सेंटर स्थापित किए गए हैं।

राज्य में आईसीयू की संख्या को 62 से बढ़ाकर 251 किया गया है। वेंटीलेटर्स कि संख्या को 37 से बढ़ाकर 113 किया गया है। बाइपैप मशीनों की संख्या 4 से बढ़कर 33 की गई है।

’11. मुख्यमन्त्री स्वरोजगार योजना’ : कोरोना के कारण घर लौटे प्रवासियों को घर मे काम देना हमारी प्राथमिकता है। हम राज्य के अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना चाहते हैं इसलिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसके तहत अपना कोई भी काम शुरू करने के लिए ऋण लेने पर 25 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है।

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