मुख्यमंत्री ने दिया, सीमांत क्षेत्र की सड़क कनेक्टिविटी को सुधारने पर जोर

(एनएन सर्विस)
उत्तराखंड सरकार ने चीन और नेपाल सीमा की सामरिक महत्व की सड़कों को लेकर समीक्षा की। सीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में सड़कों के निर्माण को तय समय में पूरा करने और मानसून में सड़कों पर यातायात को बनाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश करना तय किया गया। 
सामरिक महत्व को देखते हुए सीमा सड़क की समीक्षा बैठक को गोपनीय रखा गया। शासन के आला अफसरों से लेकर सूचना विभाग ने तक जानकारी देने से इनकार किया। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में सीमा सड़क संगठन के अधिकारी भी शामिल थे। तय किया गया कि केंद्र के संबंधित मामलों पर केंद्रीय स्तर पर बातचीत की जाएगी। यह भी कहा गया कि मानसून में भूस्खलन से सीमा की सामरिक महत्व की सड़कें अगर बंद होती हैं तो इन सड़कों को जल्द से जल्द खोला जाए।
यह भी बताया गया कि इस तरह के मामलों में चीन सीमा से लगी चमोली जिले की नीति घाटी में मलारी मार्ग के लिए 35 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण होना है। इसमें राजस्व विभाग से कहा गया है कि मुआवजे की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। इसी तरह नेपाल सीमा से लगी सड़कों के प्रस्ताव पर भी सीएम ने तेजी से काम करने को कहा है। बैठक में सीमांत क्षेत्र विकास योजना के तहत सीमांत क्षेत्र की सड़क कनेक्टिविटी को सुधारने के लिए अधिक प्रस्ताव बनाने पर जोर दिया गया।
बाद में सचिवालय में मीडिया कर्मियों से बातचीत में सीएम ने कहा कि सामरिक महत्व की सड़कों को मानसून में बंद न होने देने के लिए अधिकारियों को कहा गया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार के साथ ही राजस्व, लोक निर्माण विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, बीआरओ के अधिकारी शामिल थे। 

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने गुपचुप तरीके से गजट नोटिफिकेशन जारी किया

देहरादून।
समूह ‘ग’ की परिधि में आने वाले ग्राम्य विकास विभाग में ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी के पदों पर निर्धारित योग्यता तकनीकी तरीके से बढ़ा कर पहाड़ के युवाओं को इन पदों से दूर करने का षडयत्र उजागर हुआ है। इसके लिए योग्यता में बदलाव लाने वाले प्रावधानों को गुपचुप तरीके से गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। निकट भविष्य में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी के सैकड़ों पदों का अधियाचन पहुंचा है। इन पदों से सीधे तौर पर पहाड़ में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र बाहर हो जाएंगे।
ग्राम्य विकास अधिकारी के जिन पदों पर अब तक इंटरमिडिएट अर्हता थी। अब उसे स्नातक कर दिया गया है। स्नातक में भी कृषि, विज्ञान, अर्थशास्त्र, कामर्स होना अनिवार्य है। पहाड़ों में विज्ञान के शिक्षकों का नितांत अभाव है, इसलिए जो विज्ञान पढ़ता है मैदानों में ही आता है। इंटरमिडिएट में कृषि विषय किसी भी पहाड़ के इंटर कालेज में नहीं है, यही स्थिति कामर्स की भी है। इस तरह ग्राम्य विकास अधिकारी के लिए इस तरह की अर्हता तय कर पर्वतीय क्षेत्र के अभ्यर्थियों को सीधे तौर पर इससे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
इसके लिए बाकायदा गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। निकट भविष्य में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ग्राम विकास अधिकारी के 400 से अधिक पदों पर भर्ती करने का जा रहा है। इन पदों की भर्ती के लिए यह नई अर्हता लागू हो जाएगी। इसका मतलब यह है कि पहाड़ के इंटर कालेजों में पढ़ने वाले छात्र छात्राए इन पदो के लिए पहली ही सीढ़ी में अनर्ह हो जाएंगे। क्योंकि इंटर में जिन छात्रों के पास कृषि, विज्ञान, अर्थशास्त्र, कामर्स विषय होंगे वही ग्रेज्युयेशन में इन विषयों के साथ पढ़ेगा। पहाड़ से इंटर मिडिएट करके आने वाला छात्र इन विषयों को कैसे पढ़ पाएगा?
उत्तराखंड के निवासियों की भर्ती के लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन किया गया था। जो राज्य गठन के पंद्रह साल बाद हो पाया। अब इस आयोग के दायरे में आने वाले सबसे अधिक पदों पर इस तरह की अर्हता लगाकर एक क्षेत्र विशेष के लोगों को बड़ी चोट पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड अधिकांश मामलों में उत्तर प्रदेश की नकल करता रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश में परंपरा रही है कि यदि किसी पद की योग्यता में बदलाव करना आवश्यक हो तो उसके लिए बाकायदा कमेटी का गठन किया जाता है। कमेटी इसके समाज के सभी वर्गों में पढ़ने वाले प्रभावों का आंकलन करती है, साथ ही कई बार जन सुनवाई कर जन सामान्य के पक्ष को भी सुना जाता रहा है। इसके बाद ही योग्यता में परिवर्तन किया जाता है। उत्तराखंड में कुछ अधिकारी अपनी मानसिकता थोपकर इस तरह के निर्णय ले रहे हैं। चुपचाप गजट नोटिफिकेशन जारी कर परीक्षा के ठीक पहले उसे सामने लाया जा रहा है, ताकि प्रभावित पक्ष को इसका विरोध करने का भी मौका तक न मिले। एक क्षेत्र विशेष के युवाओं को टारगेट कर ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी के पदों से पूरी तरह उन्हें दरकिनार करने की यह कार्यवाही निंदनीय है। गौरतलब है कि इस पदों पर अर्हताएं शासन स्तर पर तय होती हैं, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग इसे लागू करता है।