यूसीसी की अध्यक्ष ने की विधि आयोग के अध्यक्ष से नई दिल्ली में मुलाकात

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की अध्यक्ष न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई ने विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी से उत्तराखंड सदन, नई दिल्ली में शिष्टाचार भेंट की।

मीडिया से अनौपचारिक संवाद के दौरान यूसीसी की अध्यक्ष रंजना प्रकाश देसाई ने जानकारी दी कि उन्होंने आज उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के संबंध में अभी तक हुए कार्य की सामान्य जानकारी राष्ट्रीय विधि आयोग के अध्यक्ष के साथ सांझा की। रंजना प्रकाश देसाई ने बताया कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पर अभी तक बेसिक कंसल्टेशन का कार्य हो चुका है। यूसीसी पर काफी काम किया जा चुका है। राज्य में समान नागरिक संहिता के सभी हितधारकों से चर्चा की जा चुकी है। यूसीसी की उप समितियों ने विभिन्न धर्माे, समुदायों, हितधारको तथा वर्गों से इस संबंध में विचार विमर्श किया है। सभी राजनीतिक दलों के साथ भी इस संबंध में बैठक कर ली गई है तथा उनके सुझाव प्राप्त कर लिए गए हैं।
रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि हमारी अपेक्षा है यूसीसी पर बनाया गया हमारा ड्राफ्ट सभी को पसंद आए। यूसीसी पर अभी हमारी बैठके निरंतर जारी हैं। इस दिशा में हमें सभी समुदायों का सहयोग मिल रहा है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा-राज्य में जबरन धर्मान्तरण कानूनन अपराध, हमने बनाया है कानून

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को कनखल, हरिद्वार में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित केन्द्रीय मार्ग दर्शक मण्डल की बैठक में प्रतिभाग किया तथा आज के सत्र का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में धर्म एवं संस्कृति का लगातार उत्थाान हो रहा है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्रीराम का भव्य मन्दिर बनाने का कई वर्षों का सपना अब साकार होने जा रहा है। वहां श्रीराम का भव्य व दिव्य मन्दिर तैयार हो रहा है। उज्जैन में महाकालेश्वर ने दिव्य व भव्य स्वरूप प्राप्त कर लिया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद वहां का पूरा स्वरूप ही परिवर्तित हो गया है। वहां पर अब पांच लाख से अधिक श्रद्धालु गंगा से पवित्र जल लेकर वहां आसानी से जलाभिषेक कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आने वाले समय में रोपवे बन जाने से केदारनाथ तथा हेमकुण्ड धाम की यात्रा और भी आसान होने वाली है। चारधाम यात्रा की भांति कुमाऊं में मानसखंड मन्दिर माला मिशन के तहत कार्य किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में समान नागरिक संहिता के लिए बनाई गई समिति ने 90 प्रतिशत से अधिक का कार्य पूरा कर लिया है, जो आगामी 30 जून तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगी। उन्होंने कहा कि राज्य में जबरन धर्मान्तरण की रोकथाम के लिये सख्त कानून बनाया गया है।
बैठक में महामण्डलेश्वर स्वामी परमानन्द गिरिजी महाराज, परम पूज्य शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती, राम राजेश्वरा महाराज, महामण्डलेश्वर विश्वेश्वरानन्द महाराज, महामण्डलेश्वर यतीन्द्रानन्द गिरि, स्वामी विवेकानन्द महाराज, सचिव महानिर्वाणी अखाड़ा रवीन्द्र पुरी, स्वामी गिरधर गिरि महाराज आदि ने अपने-अपने विचार रखे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश के कोने-कोने से आये हुये धर्माचार्यों, सन्त-महात्माओं का एक-एक करके माल्यार्पण करते हुये उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

श्री नानकमत्ता साहिब में हेली सेवा शुरु करने पर होगा विचार-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब पहुंचकर शीश नवाया। इसके पश्चात पुष्कर सिंह धामी ने डेरा कार सेवा पहुंचकर बाबा हरबंश सिंह, बाबा फौजा सिंह, बाबा टहल सिंह की श्रद्धांजलि सभा में पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा हाथ जोड़कर नमन किया। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सरोपा व प्रतीक चिह्न भेंट किया। उन्होंने कहा कि बाबा टहल, हरबंश सिंह, बाबा फौजा सिंह ने स्वयं कष्ट सह कर व भूखे-प्यासे रहकर समाज की भलाई एवं सेवा का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि सिख पंथ ने सदा मानव सेवा एवं सेवा भाव का प्रसार किया है और देश तथा गरीबों की सेवा की है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नानकमत्ता शहर का नाम श्री नानकमत्ता साहिब करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि नानकमत्ता साहिब में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के आवागमन हेतु हेली सेवा शुरू करने की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा में हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले गुरुओं के पराक्रम, तपस्या, त्याग एवं बलिदान तथा उनके संस्कार व व्यक्तित्व की युवा पीढ़ी में झलक हो, इसलिए हमें अपने गुरुओं को याद करना होगा और उनके इतिहास का स्मरण करना होगा। उन्होंने कहा कि गुरुओं ने हमें धर्म, संस्कृति के साथ मान सम्मान से जीवन जीने की प्रेरणा दी है। गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब के जुल्म से धर्म की रक्षा की थी। उन्होंने कहा कि धर्म एवं समाज की रक्षा के लिए गुरु द्वारा दिए गए बलिदान को हम कभी भूल नहीं सकते।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर से धारा 370 हटाकर एक राष्ट्र, एक विधान, एक निशान को लागू किया है। धामी ने कहा कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में कमेटी ड्राफ्ट बनाने का काम कर रही है, ड्राफ्ट पूरा हो जाने पर उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य जब 25 वर्ष पूर्ण कर रहा होगा तब राज्य देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा। धामी ने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए 1064 नंबर लांच किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति रिश्वत घूस आदि लेने की मांग करता है तो 1064 नंबर पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं, शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि कई सारे रिश्वतखोरों एवं भ्रष्टाचारियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरलीकरण, समाधान, निस्तारण के मंत्र को आत्मसात करते हुए सरकार चल रही है। धामी ने कहा कि राज्य में नई कार्य संस्कृति विकसित हो रही है, जिससे कि जरूरतमंदों का काम बिना किसी सिफारिश के स्वतः ही होते चले जाएं।
इस दौरान कमेटी अध्यक्ष हरबंश चुघ, महासचिव अमरजीत सिंह सहित भजन सिंह, राजपाल सिंह, चरणजीत सिंह, पूर्व विधायक डॉ. प्रेम सिंह राणा, जिलाधिकारी युगल किशोर पंत, एसएसपी मंजूनाथ टीसी, संगत आदि उपस्थित रहे।

प्रदेश में बनाई जा रही समान नागरिक संहिता अन्य राज्यों के लिए भी होगी अनुकरणीय-सीएम

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता हेतु सुझावों के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की। मुख्यमंत्री ने समिति के अध्यक्ष और सदस्य गणो के साथ विचार विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रदेश की जनता से वादा किया था कि प्रदेश में समान नागरिक संहिता को लागू किया जाएगा। पहली कैबिनेट बैठक में समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट के लिए समिति के गठन को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री ने समिति के अब तक के कार्यो की प्रशंसा करते हुए कहा कि विशेषज्ञ समिति ने तेजी से काम किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विशेषज्ञ समिति प्रबुद्ध जनो के साथ आम जन से सुझाव प्राप्त कर प्रदेश की जनता के लिये हितकारी समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करेगी। यह दूसरे प्रदेशों के लिये भी अनुकरणीय होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता के संबंध में उत्तराखण्ड की जनता का सकारात्मक रेस्पोंस है। अच्छी भावना के साथ किये गये कार्य सफल होते हैं।

विशेषज्ञ समिति की अध्यक्ष जस्टिस (से.नि.) रंजना प्रकाश देसाई ने बताया कि समान नागरिक संहिता के संबंध मे सुझाव प्राप्त करने के लिये पोर्टल/वेबसाइट https://ucc.uk.gov.in का शुभारंभ किया गया है। इस पर प्रदेश के जनप्रतिनिधि, नागरिक, प्रबुद्धजन, संगठन, संस्थाएं अपने सुझाव अगले 30 दिन अर्थात 7 अक्टूबर तक भेज सकते हैं। समिति हर सुझाव पर पूरी गंभीरता से विचार करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम समान नागरिक संहिता के रूप में आज़ादी के अमृत काल में एक बड़ी इबारत लिखने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता से अपने सुझाव देने का आग्रह करते हुए कहा है कि राज्य सरकार अपने हर वादे को पूरा करने के लिए संकल्पबद्ध है। देश में आज तक किसी भी कानून को बनाते समय इतने बड़े स्तर पर जनता से सुझाव नहीं मांगे गए। प्रदेश के सभी नागरिकों और हितधारकों को एसएमएस और व्हाट्सएप पर पोर्टल के लिंक के साथ अपील भेजी जा रही है। जिसके माध्यम से वे अपने सुझाव एक माह के भीतर दे सकते हैं।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर उत्तराखण्ड के निवासियों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले प्रासंगिक कानूनों – विवाह, तलाक, संपत्ति का अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने और रखरखाव व संरक्षता विषयक सहित – पर मसौदा कानून तैयार करने या मौजूदा कानून में संशोधन करने तथा समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के सम्बंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था।
समिति की अनेक बैठकें हो चुकी हैं जिनमें व्यापक विचार विमर्श किया गया है। अब https://ucc.uk.gov.in का शुभारंभ किया गया है। इस पर प्रदेश के जनप्रतिनिधि, नागरिक, प्रबुद्धजन, संगठन, संस्थाएं अपने सुझाव अगले 30 दिन अर्थात 7 अक्टूबर तक भेज सकते हैं।

इस दौरान समिति के सदस्य जस्टिस (से.नि.) प्रमोद कोहली, मनु गौड़, शत्रुघ्न सिंह (से.नि. आईएएस), प्रो सुरेखा डंगवाल, सदस्य सचिव एवं अपर स्थानीय आयुक्त अजय मिश्रा उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्य सचिव डॉ एस एस संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

पांच सदस्यीय कमेटी समान नागरिक संहिता के कानून बनाने को करेगी ड्राफ्ट तैयार

उत्तराखंड से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर है। समान नागरिक संहिता के लिए कानून बनाने हेतु मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कमेटी का गठन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है जो (Dhami Govt formed drafting commitee on Uniform Civil code ) समान नागरिक संहिता का ड्रांफ्ट तैयार करेगी। इसके अलावा एक और रिटायर्ड जज, समाजसेवी, शिक्षाविद और पूर्व आईएएस को भी इस समिति में रखा गया है।

चुनाव के वक्त मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने डंके की चोट पर कॉमन सिविल कोड लागू करने का ऐलान किया था। दूसरी पारी शुरू होते ही धामी सरकार ने इस मुद्दे पर समिति गठित करने का प्रक्रिया शुरू की थी। आज राज्यपाल की स्वीकृति मिलते ही यूसीसी पर गठित समिति अस्तित्व में आ गई है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर धामी सरकार की ड्राफ्टिंग कमेटी में 5 सदस्यों को शामिल किया गया है जिसमें पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को इस कमेटी का चेयरपर्सन बनाया गया है। इसके अलावा पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, हाईकोर्ट के पूर्व जज प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ व दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल को भी कमेटी में शामिल किया गया है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कमेटी गठित होने पर उत्तराखंड राज्य देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए पहल शुरू कर दी है।

जनता से किये वादों को पूरा करने के लिए एक माह में लिये महत्वपूर्ण फैसले

उत्तराखण्ड की धामी-2 सरकार ने आज अपना एक माह का कार्यकाल पूरा कर लिया है। इस अवधि में मुख्यमंत्री धामी अटैकिंग मोड में रहे। उनका जोर प्रशासनिक सुधार और सुशासन पर रहा। जीरो टॉलरेंस और पारदर्शी प्रशासन को लेकर उन्होंने सख्त संदेश दिए। कई कड़े फैसलों से भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार किया। भ्रष्टाचारियों की सीधी शिकायत के लिए भ्रष्टाचार मुक्त एप-1064’ भी लॉच किया गया। समान नागरिक संहिता को लागू करने और बाहरी नागरिकों के वैरिफिकेशन पर की गई ठोस पहल की गई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 नवम्बर 2021 को केदारनाथ धाम में आदिगुरू शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण करते हुए कहा था कि आने वाला दशक उत्तराखण्ड का होगा। मोदी जी की इस सोच को सूत्रवाक्य मानकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सधे कदमों से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। अगले एक दशक में उन्हें मोदी जी के इस सपने को हकीकत में बदलना है लिहाजा, अपनी दूसरी पारी में सूझबूझ के साथ वह अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं। अब तक कई ऐसी पहल कर चुके हैं जो आगे चलकर उत्तराखण्ड की तरक्की में मील का पत्थर साबित होंगे। लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने पहली कैबिनेट में ही अपने इरादे साफ कर दिए। समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर चुनाव से पूर्व किए अपने वायदे को पूरा करने की दिशा में उन्होंने महत्वपूर्ण कदम उठाया। धामी 2.0 सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिये विशेषज्ञों की समिति बनाई जाएगी। न्यायविदों, सेवानिवृत्त जजों, समाज के प्रबुद्ध जनों और अन्य स्टेकहाल्डर्स की एक कमेटी गठित की जाएगी जो कि उत्तराखण्ड राज्य के लिये यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी।
मुख्यमंत्री धामी जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखण्ड की संस्कृति एवं शांतिपूर्ण वातावरण को बनाए रखने के लिये जरूरी है कि अराजक तत्व राज्य में प्रवेश न कर पाए। इसके लिये उन्होंने प्रदेशभर में व्यापक स्तर पर नागरिकों का सत्यापन अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं, जिस पर अमल शुरु कर दिया गया है।
तीर्थाटन को बढ़ावा मिले इसके लिए चारधाम सर्किट में आने वाले सभी मंदिरों और गुरूद्वारों में भौतिक ढांचे और परिवहन सुविधाओं का विस्तार करने की योजना बनाई गई है। कुमायूं के प्राचीन मंदिरों को भव्य बनाने के लिये मानसखण्ड मंदिर माला मिशन की शुरूआत जल्द होने वाली है। मिशन मायापुरी के अंतर्गत हरिद्वार को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी और विश्व में आध्यात्मिक पर्यटन के लिये सबसे बड़े स्थलों के रूप में बदलने के लिये उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण का रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी जनहित से जुड़े कई कल्याणकारी फैसले भी ले चुके हैं। निर्णय लिया गया है कि उत्तराखण्ड में वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत अब पात्र पति व पत्नी दोनों को लाभ मिल सकेगा। इतना ही नहीं वृद्धावस्था, निराश्रित विधवा भरण पोषण अनुदान तथा दिव्यांग पेंशन योजना के अंतर्गत प्रदत्त दर 1200 रूपये प्रतिमाह में 300 रूपये की वृद्धि की गई है। अब इनमें प्रतिमाह 1500 रूपये पेंशन प्राप्त होगी।
बुनियादी सुविधाओं के विकास पर भी मुख्यमंत्री धामी लगातार ध्यान दे रहे हैं। उनकी मजबूत पहल पर केंद्र सरकार ने एन.एच. 72 के पांवटा साहिब-बल्लूपुर (देहरादून) खण्ड के उन्नयन और फोर लेन के निर्माण के लिये 1093.01 करोड़ रूपये के बजट की स्वीकृति दी है। पर्वतीय क्षेत्रों में रोपवे नेटवर्क निर्माण के लिये पर्वत माला परियोजना का खाका तैयार कर लिया गया है। नगरीय क्षेत्रों में ट्रेफिक समस्या को दूर करने के लिये पार्किंग सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। सर्फेस पार्किंग के साथ ही मल्टीस्टोरी पार्किंग, केविटी पार्किंग व टनल पार्किंग भी विकसित किये जाने की योजना है। महिला सशक्तीकरण धामी सरकार की प्राथमिकता में है। महिला स्वयं सहायता समूहों की सहायता के लिये एक विशेष कोष गठित करने का निर्णय ले लिया गया है। चुनाव पूर्व जनता से किया गया तीन सिलेण्डर मुफ्त देने के वायदे को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखण्ड राज्य में संचार नेटवर्क की अहमियत धामी सरकार को पता है। लिहाजा, उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में 4 जी/5 जी मोबाईल नेटवर्क एवं हाई स्पीड ब्राडबैंड व फाइबर इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करायी जाने का प्रस्ताव बन चुका है। किसानों का सामाजिक स्तर उठाने और उनकी आय दोगुना करने के उद्देश्य से पीएम किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर ’सीएम किसान प्रोत्साहन निधि’ की शुरूआत की जा रही है। साथ ही धामी सरकार उत्तराखण्ड को जैविक प्रदेश बनाना चाहती है, इसके लिए एक अखिल भारतीय बाजार बनाने को ’उत्तराखण्ड आर्गेनिक्स ब्रांड’ बनाया जा रहा है।
इसमें कोई दोराय नहीं कि उत्तराखण्ड के सीमावर्ती गांवों के नागरिकों का देश की सुरक्षा में भी खासा महत्व है। उन्हें सेकेण्ड डिफेंस लाइन भी कहा जाता है। इस महत्व को समझते हुए मुख्यमंत्री धामी ने अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों से पलायन रोकने और सुविधायें मुहैया करवाने की जोरदार पहल की है। इसके तहत ’हिम प्रहरी योजना’ के जरिए राज्य के भूतपूर्व सैनिकों एवं युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के निकटवर्ती जिलों में बसने के लिये सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी।
मुख्यमंत्री धामी सुशासन पर कड़ा संदेश दे चुके हैं। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस उनकी सरकार की प्राथमिकता है। भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए भ्रष्टाचार मुक्त एप-1064 का शुभारम्भ किया गया है।
स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने में अपना अहम योगदान दे रहे हजारों पर्यावरण मित्रों का एक दिन का मानदेय बढ़ाकर 500 रूपये कर दिया गया है। इसके अलावा, कारवां टूरिज्म द्वारा पर्यटकों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए पॉलिसी बनाने का काम तेजी से आगे बढ़ जा रहा है। लम्बे समय से चली आ रही मांग पूरी करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने शिक्षा मित्रों के मासिक मानदेय 15 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपए किया है। धामी जनता से सीधा संवाद बनाए हुए हैं, एक माह की अवधि में मुख्यमंत्री लगातार आमजन से मिलकर उनकी शिकायतों का निस्तारण कर रहे हैं।

कैबिनेट के बाद सीएम धामी ने की प्रेसवार्ता, लिए फैसलों की दी जानकारी

उत्तराखण्ड सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई जाएगी। कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह जानकारी दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड हमारे भारत का एक ऐसा जीवंत राज्य है जिसकी संस्कृति और विरासत सदियों से भारतीय सभ्यता के मूल में समाहित रही है। भारतीय जनमानस के लिए उत्तराखंड एक देवभूमि है, जो कि हमारे वेदों-पुराणों, ऋषियों-मनीषियों के ज्ञान और आध्यात्म का केंद्र रही है। भारत के कोने कोने से लोग बड़ी आस्था और भक्ति के साथ उत्तराखंड आते है। इसलिए उत्तराखंड की सांस्कृतिक – आध्यात्मिक विरासत की रक्षा अहम है। 130 करोड़ लोगों की आस्था का केंद्र माँ गंगा का उद्गम स्थल भी उत्तराखंड ही है। भारत का मुकुट हिमालय, और उसकी कोख में पनपती प्रकृति उत्तराखंड की धरोहर हैं। इसलिए उत्तराखंड में पर्यावरण की रक्षा भी अहम है।

उत्तराखंड देश के लिए सामरिक दृष्टि से भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। दो देशों की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा होने के कारण भारत के लिए इस राज्य का भौगोलिक और रणनीतिक महत्व काफी बढ़ जाता है। इसलिए राष्ट्ररक्षा के लिए भी उत्तराखंड की भूमिका अहम है।

उत्तराखंड के नागरिकों का भारतीय सेनाओं के साथ एक लंबा और गौरवशाली संबंध रहा है। यहाँ के लोगों ने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने आपको देश की सुरक्षा के लिए समर्पित किया है। इस धरती के कितने ही वीर सपूतों ने देश के लिए अपने सर्वाेच्च बलिदान दिये हैं। यहाँ लगभग हर परिवार से कोई पिता, कोई बेटा, कोई बेटी देश के किसी न किसी हिस्से में हमारी सेनाओं के माध्यम से मातृभूमि की सेवा में जुटा है।

उत्तराखंड की सांस्कृतिक आध्यात्मिक विरासत की रक्षा, यहाँ के पर्यावरण की रक्षा और राष्ट्र रक्षा के लिये उत्तराखंड की सीमाओं की रक्षा ये तीनो ही आज उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए अहम है। इस दृष्टि से नई सरकार ने अपने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद पहली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया कि न्यायविदों, सेवानिवृत्त जजों, समाज के प्रबुद्ध जनो और अन्य स्टेकहोल्डर्स की एक कमेटी गठित करेगी जो कि उत्तराखंड राज्य के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी। इस यूनिफॉर्म सिविल कोड का दायरा विवाह-तलाक, ज़मीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिये समान क़ानून चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों, होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ये यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम होगा और संविधान की भावना को मूर्त रूप देगा। ये भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा, जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की संकल्पना प्रस्तुत करता है। सर्वाेच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर इसे लागू करने पर ज़ोर दिया है। साथ ही, इस महत्वपूर्ण निर्णय में हमें गोवा राज्य से भी प्रेरणा मिलेगी, जिसने एक प्रकार का यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करके देश में एक उदाहरण पेश किया है।

उत्तराखंड में जल्द से जल्द यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने से राज्य के सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों को बल मिलेगा। इससे राज्य में सामाजिक समरसता बढ़ेगी, जेंडर जस्टिस को बढ़ावा मिलेगा, महिला सशक्तिकरण को ताकत मिलेगी, और साथ ही देवभूमि की असाधारण सांस्कृतिक आध्यात्मिक पहचान को, यहाँ के पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी। उत्तराखंड का यूनिफॉर्म सिविल कोड दूसरे राज्यों के लिए भी एक उदाहरण के रूप में सामने आएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उपरोक्त पृष्ठभूमि में उदेश्य को प्राप्त करने के लिए उत्तराखण्ड राज्य में रहने वाले सभी नागरिकों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच करने और मसौदा कानून या मौजूदा कानून में संशोधन के साथ उस पर रिपोर्ट करने के लिए विवाह, तलाक, सम्पत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार से सम्बंधित लागू कानून और विरासत, गोद लेने और रख रखाव और संरक्षता इत्यादि के लिए एक विशेषज्ञों, वुद्धिजीवियों और हितधारकों की एक समिति मा० उच्चतम न्यायालय / मा० उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश / मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में, गठित करने का प्रस्ताव है। राजपत्र में अधिसूचना के माध्यम से उत्तराखण्ड सरकार उपरोक्तानुसार एक समिति का गठन करेगी जिसमें उसकी संरचना, संदर्भ की शर्तें आदि का भी उल्लेख रहेगा।

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