प्रदेश में स्थित केंद्रीय संस्थानों के प्रमुखों से विचार मंथन कर हुई शुरूआत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास सभागार में बोधिसत्व विचार श्रृंखला 3.0 का शुभारंभ किया। उन्होंने प्रदेश में स्थित विभिन्न केंद्रीय संस्थानों एवं तकनीकि उपक्रमों के प्रमुखों से विचार मंथन से इस विचार श्रृंखला की शुरूआत राज्य हित में बताया। इस अवसर पर सचिव शैलेश बगोली, विनय शंकर पाण्डेय भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत द्वारा किया गया।

मकर संक्रांति के पावन अवसर पर सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण हेतु ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से विचार विमर्श को उपयोगी बताते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस अमृत काल में जहाँ 22 जनवरी को हम राम मंदिर के भव्य लोकार्पण के साक्षी बनेंगे वहीं, उत्तराखण्ड में 8 व 9 फरवरी, 2024 को यूकॉस्ट के माध्यम से 18वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन में भारतीय ज्ञान विज्ञान परंपरा, विश्व शांति और सद्भाव पर देश भर के वैज्ञानिक, विषय विशेषज्ञ एक साथ विचार विमर्श करते हुए भावी योजनाओं पर विचार करेंगे। कई सत्रों के साथ-साथ इसका एक सत्र अध्यात्म और विज्ञान है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सदियों से मानव जाति को प्रकृति के साथ अलौकिक जीवन की प्रेरणा देता रहा है। यह क्षेत्र शोध, साधना, आध्यात्म, ज्ञान और विज्ञान का संगम स्थल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आध्यात्म की पवित्र भूमि और ’स्प्रिच्युलिटि ईको जोन की तरह से विकसित करने का मंत्र दिया है। उन्होंने सभी संस्थानों को हल्द्वानी में आयोजित हो रहे विज्ञान प्रौद्योगिकी राज्य सम्मेलन में शामिल होने का आमंत्रण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड विकास एवं प्रतिष्ठा की जिस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित विकास की राह पर कदम बढ़ा चुका है उस पर आने वाले समय में हमें गर्व की अनुभूति होगी।

उन्होंने कहा कि सभी संस्थानों के विद्वानों ने जिस तरह से नवंबर-दिसंबर माह में आयोजित विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन में सहयोग किया उससे सम्पूर्ण विश्व में उत्तराखंड की साख बढ़ी है। अब आवश्यकता है कि हिमालयी राज्यों में आपदा प्रबंधन के नए तौर-तरीके खोजे जायें और आपदा जनित हानि को कम करने के लिए मॉडल विकसित हो। इस आयोजन के माध्यम से सारे विश्व में प्रकृति के प्रति मानव समाज के सामुदायिक दायित्वों और आपदा प्रबंधन में उसके महत्व को उजागर करते हुए हिमालय की ऊंचाइयों से देहरादून डिक्लेरेशन के रूप में एक संदेश प्रसारित हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से पर्वतीय क्षेत्र सहित सारे विश्व के लिए यह डिक्लेरेशन एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होगा। उन्होंने कहा कि आदर्श चम्पावत मिशन के अन्तर्गत इसरो (आई आई आर.एस.) द्वारा डॉ. आरपी सिंह, निदेशक, डॉ. हरीश कर्नाटक के नेतृत्व में व यूकॉस्ट के सहयोग से डेशबोर्ड विकसित किया जा रहा है। यह राज्य के अन्य क्षेत्रों व राज्यों के लिए भी भविष्य में कारगार सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि चंपावत की भौगोलिक स्थिति पूरे उत्तराखण्ड की स्थिति दर्शाती है। इसके लिए यहां का मॉडल पूरे राज्य के लिए उपयोगी साबित होगा। इस पर उन्होंने और अधिक शोध की जरूरत बताई।

उन्होंने कहा कि सिलक्यारा मिशन की सफलता प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सभी संस्थानों के सहयोग से ही संभव हो सकी है। इसमें पूरे भारत ने एकजुट होकर एक प्लेटफॉर्म पर कार्य किया है। यह निश्चित रूप से ज्ञान विज्ञान के प्रयास और भगवान के आशीर्वाद का प्रतिफल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही अल्मोडा में मानसखण्ड विज्ञान केन्द्र का लोकापर्ण होने वाला है। यह उत्तराखण्ड और पर्वतीय क्षेत्र के लिए भी बड़ी उपलब्धि होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का दशक बताया है। हम इस दिशा में रोड मैप बना कर कार्य कर रहे हैं। राज्य के विकास में जन भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। नीति आयोग से हिमालयी राज्यों के लिये अलग से विकास का मॉडल तैयार करने की अपेक्षा की गई है। राज्य में स्थित सभी वैज्ञानिक संस्थानों को साथ लाकर समग्र एवं सर्वागीण विकास का एकीकृत मॉडल विकसित करना हमारी प्राथमिकता है जिसके माध्यम से हम प्रदेश के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों को विकास की मुख्यधारा के जोड़ते हुए इकोलॉजी एवं इकोनॉमी में बराबर संतुलन बनाते हुए इस दशक को उत्तराखण्ड का दशक बनाने की हमारी माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आंकाशाओं को मूर्त रूप दे सकें। एक सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण के लिए उन्होंने राज्य स्थित सभी प्रतिष्ठित संस्थानों से सक्रिय भागीदारी की भी अपेक्षा मुख्यमंत्री ने की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन तथा वैश्विक निवेश सम्मेलन ने उत्तराखण्ड की पहचान को बढ़ाया है। उन्होंने डी आर डी ओ से डिफेन्स कॉरीडोर से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में पहल करने की भी अपेक्षा की। उत्तराखण्ड को वेडिंग डेस्टिनेशन बनाने की दिशा में भी मुख्यमंत्री ने सभी को सहयोगी बनने को कहा।

इस अवसर पर जिन्होंने अपने सुझाव एवं विचार रखे उनमें निदेशक सी एस आई आर-आई आई पी, देहरादून डॉ हरेन्द्र सिंह बिष्ट, निदेशक वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून डॉ कलाचंद सेन, निदेशक आई आई आर एस, देहरादून डॉ आर पी सिंह, निदेशक रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुप्रयोग प्रयोगशाला केंद्र, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, देहरादून एल सी मंगल, निदेशक उपकरण अनुसंधान और विकास संस्थान, देहरादून डॉ अजय कुमार, निदेशक आई सी ए आर- भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून डॉ एम.मधु, कार्यालय प्रभारी एवं कार्यालय प्रमुख, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण उत्तरी क्षेत्रीय केंद्र, देहरादून डॉ सुशील कुमार सिंह, पर्यावरण विज्ञान विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली प्रो. पी.के. जोशी, निदेशक प्रौद्योगिकी प्रबंधन संस्थान, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, मसूरी श्रीधर कट्टी, ऑनलाइन माध्यम से निदेशक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की प्रो. कमल किशोर पंत, निदेशक आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान, नैनीताल प्रो. दीपांकर बनर्जी, शिक्षाविद्, मुंबई प्रहलाद अधिकारी, प्रमुख पर्यावरण मूल्यांकन और जलवायु परिवर्तन केंद्र, गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा डॉ जे.सी.कुनियाल, निदेशक विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा डॉ लक्ष्मी कांत, निदेशक स्वास्थ्य सुरक्षा एवं पर्यावरण समूह भाबा परमाणु एवं अनुसंधान केंद्र, मुंबई डॉ डी.के.असवाल आदि शामिल थे।

गुजरात सीएम से मिले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दो दिवसीय गुजरात – अहमदाबाद, दौरे पर आज प्रातः गांधीनगर में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से शिष्टाचार भेंट कर उन्हें बाबा केदार का स्मृति चित्र भेंट किया।

इस दौरान उनसे प्रवासी उत्तराखंडियों की माँग पर अहमदाबाद में उत्तराखंड भवन बनाए जाने के लिए सहयोग हेतु अनुरोध किया। साथ ही दोनों राज्यों में गतिमान विभिन्न विकास कार्यों पर चर्चा कर उन्हें देवभूमि भ्रमण हेतु आमंत्रित भी किया।

उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून लागू करने पर सीएम की हुई प्रशंसा

उत्तराखण्ड में नकल विरोधी कानून लागू करने पर भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया। भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष शशांक रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता बनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भारत का सबसे कठोर नकल विरोधी अध्यादेश जारी किया गया है।
मुख्यमंत्री के द्वारा उठाया गया यह ऐतिहासिक कदम ईमानदार, मेहनती एवं मेधावी युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि पहली बार नकल माफियाओं पर इतनी कठोर कारवाई की गई है। भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में लागू किये गये नकल विरोधी कानून के ऐतिहासिक निर्णय के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भाजयुमो द्वारा प्रदेशभर में जागरूकता रैली का आयोजन किया जायेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश के बेटे एवं बेटियों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ नहीं होने दिया जायेगा। गरीब बच्चों को भी नौकरी के पूरे अवसर मिले, इसके लिए राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल करने वालों और करवाने वालों के लिए सख्त सजा का इसमें प्राविधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग भर्ती परीक्षाओं की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर युवाओं को बरगलाने का कार्य कर रहे हैं। क्योंकि ये लोग चाहते हैं, कि आने वाले कुछ सालों में राज्य में भर्ती परीक्षाएं न हों, जिससे सरकार की छवि खराब हो। सरकार राज्य में भर्ती प्रक्रियाओं में तेजी लाने के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। हमारे युवा बेटों और बेटियों की सरकार से बहुत उम्मीदें हैं। राज्य में नकल विरोधी कानून लागू होने से प्रदेश के युवाओं में ऊर्जा का संचार हुआ है।

आदि शक्ति भगवती की उपासना कर सीएम ने दी प्रदेशवासियों को नवरात्रि की शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चौत्र नवरात्रि की नवमी के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में विधि-विधान से कन्या-पूजन किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विश्व के कल्याण एवं शांति के लिए ’सर्वे भवंतु सुखिनः’की भावना से नौ दुर्गा की प्रतीक नौ कन्याओं को भोजन कराया।

मुख्यमंत्री ने आदि शक्ति भगवती के उपासना पर्व नवरात्रि की भी प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी है।

साहस का परिचय दे रहे धामी ने दमदार फैसलों से अपने को औरों से अलग साबित किया

यूं तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने साढ़े चार महीने के कार्यकाल में 500 से अधिक फैसले ले चुके हैं पर देवस्थानम बोर्ड पर फैसला लेना उनके लिए आसान काम नहीं था। तमाम वजहों से यह मुद्दा धामी सरकार के लिए पेचीदा बना हुआ था। एक तो अपनी ही पार्टी की पूर्व सरकार के फैसले पर उन्हें पुनर्निर्णय करना था। दूसरा, यह निर्णय इतने सलीके से लिया जाना था जिससे पार्टी पर उसका नकारात्मक प्रभाव ना पड़े और नाराज वर्ग भी संतुष्ट हो जाए। धामी अपने व्यक्तित्व के अनुरूप सभी पक्षों से सहजता से मिले, सरलता से उनको सुना और फिर उन्होंने सूझबूझ के साथ कदम आगे बढ़ाए। अंततः युवा नेतृत्व ने जिस बुद्धिमत्ता के साथ निर्णय लिया उसकी चौतरफा न केवल चर्चा है बल्कि प्रशंसा भी हो रही है। यह फैसला उनकी सियासी परिपक्वता और दूरदर्शिता को भी दर्शाता है।
देवस्थानम बोर्ड का गठन जनवरी 2020 में तब के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। बोर्ड के गठन के जरिए 51 मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था, जिनमें केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री चार धामों मंदिर भी शामिल थे। तब से ही तीर्थ-पुरोहित, हक-हकूकधारी और मंदिरों से जुड़ा हर पक्ष इस फैसले को वापस लेने की मांग पर अड़ा था। जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री पद से त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अचानक विदाई में देवस्थानम बोर्ड के गठन को भी एक कारण माना गया। उनके बाद तीरथ सिंह रावत को प्रदेश की कमान सौंपी गई तो उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले में पुर्नर्विचार किया जाएगा। सियासी परिस्थितियां बदलीं और इसी साल जुलाई में पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया और उसकी रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने का टाइम बाउण्ड वादा किया। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी तो सीएम धामी ने फिर अपने सहयोगी मंत्रियों की एक कमेटी (पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अगुवाई में) गठित कर रिपोर्ट का अध्ययन करने और उस पर अपना सुझाव देने को कहा। बीते सोमवार को मंत्रियों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट संस्तुति समेत मुख्यमंत्री को सौंपी। धामी ने बिना कोई देर किए 30 नवंबर की सुबह देवस्थानम बोर्ड को भंग करने और इस एक्ट को वापस लेने का फैसला सुना दिया।
दरअसल, देवस्थानम बोर्ड छोटा मुद्दा नहीं था। सनातनी संस्कृति और परम्पराओं से जुड़े होने के कारण यह बेहद संवेदनशील बन गया था। खासतौर से भाजपा के लिए जो खुद को सनातन संस्कृति और परम्पराओं का संवाहक मानती है। मामले को इसलिए भी व्यापकता मिली क्योंकि उत्तराखण्ड में स्थित चारधामों से देश और दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। देवस्थानम बोर्ड के गठित होते ही श्रृद्धा के केन्द्र बदरीनाथ और केदारनाथ जैसे मंदिरों की देखभाल, रखरखाव और उनकी व्यवस्थाओं के प्रबंधन से जुड़ी सदियों पुरानी परम्पराओं को बदलने के औचित्य पर चर्चा शुरू हो गई थी। एक पक्ष देवस्थानम बोर्ड की वकालत तो दूसरा इसके विरोध में खड़ा हो गया। मामला सिर्फ सोशल मीडिया में बहस तक सीमित नहीं रहा बल्कि हाईकोर्ट से होते हुए देश की सर्वाेच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। यही एकमात्र ऐसा मुद्दा था जिसे सुलझाने में धामी को अपनी सियासी परिपक्वता साबित करनी थी। चूंकि देवथानम बोर्ड का गठन भाजपा सरकार ने किया था लिहाजा दलगत मजबूरी के चलते धामी इसे एक झटके में वापस नहीं ले सकते थे, वरना इसके दुष्प्रभाव सामने आ जाते। बहुत ही समझदारी के साथ धामी ने स्वच्छ छवि के भाजपा नेता मनोहर कांत ध्यानी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई। कमेटी ने चारधाम के तीर्थ पुरोहितों, विद्वान पण्डितों, हक-हकूकधारियों और मंदिरों से जुड़े भी वर्गों से सिलसिलेवार बात की। एक नहीं कई दौर की बातचीत में सबकी राय ली गई। तसल्ली के साथ सभी पक्षों को सुना गया। कमेटी ने जब अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी तो उस पर संस्तुति देने के लिए मुख्यमंत्री धामी ने फिर एक और कमेटी गठित की जिसमें उन्होंने अपने तीन सहयोगी मंत्रियों सतपाल महाराज, अरविन्द पाण्डेय और सुबोध उनियाल को शामिल किया। मंत्रियों की कमेटी की रिपोर्ट मिलने पहले धामी ने दिल्ली जाकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात कर उनसे इस पर निर्णय को लेकर सहमति ले ली। फिर मंगलवार की सुबह उन्होंने देवस्थानम बोर्ड पर वो फैसला सुनाया जिसका सभी को इंतजार था। अपने इस फैसले से पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव से ऐन पहले एक तीर से कई निशाने साध दिए हैं। उन्होंने एक ऐसा विषय जो चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता था उसे सुलझा लिया, साथ ही नाराज पंडा-पुरोहितों और हकदृहकूकधारियों को भी मना लिया। इस मुद्दे पर विपक्ष की हर रणनीति अब धरी की धरी रह गई है और पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर खुद को उत्तराखण्ड के भविष्य का नेता साबित कर दिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विभिन्न विकास कार्यों हेतु प्रदान की वित्तीय स्वीकृति


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विभिन्न विकास कार्यों हेतु वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा क्षेत्र खटीमा के अन्तर्गत (1) ग्रामसभा ढाह-ढाकी में गिल फार्म से गुरूमेल के ओर मार्ग का डामरीकरण एवं (2) मेनरोड पकड़िया से बंगाली कॉलोनी की ओर मार्ग के डामरीकरण हेतु 1 करोड़ 76 लाख रूपये, विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार के अन्तर्गत विभिन्न 02 निर्माण कार्यों हेतु 2 करोड़ 77 लाख रूपये, विधानसभा क्षेत्र थराली के अन्तर्गत विभिन्न 03 निर्माण कार्यों हेतु 1 करोड़ 30 लाख रूपये, विधानसभा क्षेत्र गंगोलीहाट के अन्तर्गत एनएच-30ए के किमी0 19 से शहीद शंकर सिंह मेहरा के ग्राम नाली तक मोटर मार्ग हेतु 12 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने विधानसभा क्षेत्र चम्पावत के अन्तर्गत दयूरी से चल्थी तक मोटर मार्ग निर्माण हेतु 1 करोड़ 23 लाख रूपये, विधानसभा क्षेत्र गंगोत्री के अन्तर्गत विभिन्न 02 निर्माण कार्यों हेतु 46 लाख रूपये, निकायों की अवशेष वेतन, पेंशन, उपादान एरियर आदि के भुगतान हेतु 26 करोड़ 51 लाख रूपये, शहरी स्थानीय निकायों को 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के क्रम में वित्तीय वर्ष 2020-21 में आबद्ध / अनिर्दिष्ट अनुदान की प्रथम किश्त हेतु 41.80 करोड़ रूपये, शहरी स्थानीय निकायों को वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम किश्त हेतु 62.70 करोड़ रूपये, वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य सैक्टर योजना कैम्पा हेतु 120.33 करोड़ रूपये तथा उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र के नवनिर्मित प्रशासनिक भवन में अतिरिक्त आवश्यक कार्यों हेतु 63.50 लाख रूपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के एक वर्ष होने पर राष्ट्र के नाम हुआ पीएम का ऑनलाइन सम्बोधन


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक वर्ष की अवधि पूर्ण होने के अवसर पर वर्चुअल माध्यम से देश को सम्बोधित किया। मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत की गई विभिन्न पहलों का शुभारम्भ करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को चरणबद्ध ढंग से देश में लागू किया गया है।

आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित हो रहे अमृत महोत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी इसका हिस्सा बनी है। राष्ट्रीय महत्व की शिक्षा नीति नये भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी, शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे बदलावों की चुनौती का सामना करने में भी इससे मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्या प्रवेश, निष्ठा-2, सफल, एकेडमिक क्रेडिट बैंक, नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर, राष्ट्रीय शिक्षा नीति फोरम, भारतीय सांकेतिक भाषा जैसी पहल हमारे युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता के साथ ही हर क्षेत्र में अपनी क्षमता का विकास करने में मददगार होंगे। उन्हें अब अच्छी पढ़ाई के लिये विदेश जाने के बजाय अब विदेशी यहां पढ़ने के लिये आयेंगे।

नई शिक्षा नीति हमारे युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे सोचने में भी मदद करेगी। अब हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अपनी भाषा में शिक्षा दिये जाने का लाभ देश के गरीब पिछड़े आदिवासी युवाओं को मिलेगा जिन्हें अभी तक भाषाओं की समस्या का सामना करना पड़ता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में तीन लाख से अधिक बच्चों को सांकेतिक भाषा की जरूरत है। साइन लैंग्वेज को भाषा का दर्जा देने से इन्हें इनका लाभ मिल सकेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत एवं शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय के साथ मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित सभा कक्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के एक वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन को सुना।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री का संबोधन हमारे लिए ऊर्जा और पथ प्रदर्शन का कार्य करता है। कहा कि आज देश को शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना कर सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक क्रांतिकारी और युगांतकारी घटना है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक मजबूत आधार स्थापित करेगी, जिसके लिए शिक्षा मंत्री, भारत सरकार धर्मेन्द्र प्रधान सतत प्रयत्नशील हैं। उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों के साथ उत्तराखण्ड तत्परता से खड़ा है। उन्होंने कहा कि विद्या प्रवेश, निष्ठा 2 और सफल, एकेडमिक क्रेडिट बैंक और बहुस्तरीय प्रवेश और निकास के अवसर, क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग कोर्स और कार्यक्रमों की शुरुआत, नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर और राष्ट्रीय शिक्षा तकनीकी फोरम की शुरुआत और उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के सन्दर्भ में दिए दिशा निर्देश सहित भारतीय सांकेतिक भाषा का एक विषय के रूप में शुरुआत तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग भारतीय शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी और सकारात्मक बदलाव की शुरुआत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति एक नये भारत का निर्माण करेगी। युवा पीढ़ी को आधुनिक ज्ञान- विज्ञान के साथ भारतीय संस्कृति से जोङेगी। इसमें हमारे विद्वान शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और उनकी संकल्पनाओं को साकार करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव उच्च शिक्षा दीपेन्द्र चैधरी, रूसा सलाहकार प्रो. केडी पुरोहित, प्रो. एमएसएम रावत, रूसा नोडल एएस उनियाल आदि उपस्थित रहे।

जन समस्याओं को सीएम ने जाना, ज्यादातर समस्याओं का मौके पर कराया निस्तारण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता दर्शन हॉल में जन समस्याओं को सुना। लोगों ने सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य, आर्थिक सहायता से संबंधित समस्याएं मुख्यमंत्री के समक्ष रखी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जन समस्याओं के त्वरित निदान के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। उन्होंने जनता से अपील की कि सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ लें। मुख्यमंत्री ने अधिकांश समस्याओं का मौके पर ही निस्तारण के निर्देश अधिकारियों को दिए। दीर्घावधि के कार्यों में भी उन्होंने तेजी लाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जन समस्याओं के समाधान के साथ ही रोजगार, महिला सशक्तिकरण एवं उत्तराखंड के ग्रामीण विकास पर भी राज्य सरकार का विशेष फोकस है।

बीआरओ द्वारा पुलों के लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम तीरथ

मुख्यमंत्री तीरथ सिह रावत ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा लेह से देश मे बीआरओ द्वारा दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में बनाये गये पुलों (ब्रिजों) का लोकार्पण कार्यक्रम में वचुर्वल प्रतिभाग किया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लेह से बीआरओ द्वारा देश मे बनाये गये 63 पुलों एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सडकों का लोकार्पण कर राष्ट्र को समर्पित किये। जिसमें उत्तराखण्ड में 1928.74 लाख की लागत से कुल 06 पुलों का लोकार्पण किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सम्बोधित करते हुये कहा कि देश के दुर्गम क्षेत्रों में पुल, सडक निर्माण कर कनेक्टीविटी देना सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने बीआरओ को दुर्गम क्षेत्रों मे पुल, सडक निर्माण करने पर बधाई दी व कार्यो की सराहना की। रक्षा मंत्री ने कहा कि पुल व सडकें देश के विकास की गति बढाते हैं तथा सडकें विकास, पर्यटन के साथ ही देश रक्षा की दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि हम समृद्व-सशक्त देश निर्माण मे तेजी से आगे बढ रहे है।

लोकार्पण कार्यक्रम मे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रामनगर से वचुर्वल प्रतिभाग किया। उन्होने कहा कि प्रदेश मे 06 पुलों का लोकार्पण किया गया है। उत्तराखण्ड में जोशीमठ -मलार रोड पर रानी पुल लागत 348.12 लाख, ऋषिकेश- धरासू सडक पर खादी पुल लागत 513.00 लाख, जौलजीबी-मुनस्यारी रोड पर कुरकुटिया ब्रिज लागत 142.00 लाख, जौलजीबी-मुनस्यारी सडक पर जुनालीगढ ब्रिज लागत 649.62 लाख, तवाघाट-घाटियाबागढ सडक पर जुंटीगढ ब्रिज लागत 156.00 लाख तथा मुनस्यारी- बगडियार-मिलन सडक पर लास्पा पुल लागत 120.00 लाख के पुलों का लोकापर्ण किया।

उन्होने कहा कि दुर्गम क्षेत्रों मे पुल सडक निर्माण सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। बीआरओ ने दुर्गम क्षेत्रों मे दिन-रात ठंड व बर्फबारी मे भी लगातार काम कर पुलों का निर्माण किया यह बहुत ही सराहनीय व साहसिक कार्य है। उन्होने कहा इन पुलों के निर्माण से क्षेत्रीय जनता के साथ ही सैन्य गतिविधियों के लिये बहुत सुविधा मिलेगी।

वर्चुवल लोकार्पण मे सांसद अजय टम्टा ने भी प्रतिभाग किया।

तीरथ सिंह रावत के महिला टिप्पणी मामले में यूथ कांग्रेस का प्रदर्शन

महिलाओ पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले में भले ही सीएम तीरथ सिंह रावत ने खुलकर माफी मांग ली हो। मगर, कांग्रेस इसे आज भी निशाना बना रही है। आज चंद्रभागा पुल समीप यूथ कांग्रेस मुनिकीरेती अध्यक्ष रोहित चैहान के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने सीएम का पुतला आग के हवाले कर दिया।

रोहित चैहान ने कहा कि सीएम का बयान भाजपा और आरएसएस की महिलाओं के प्रति सोच को दिखाता है। यूथ कांग्रेस इसकी निंदा करता है। प्रदेश सचिव आईटी संतोष पैन्यूली ने कहा सीएम प्रदेश की बिगड़ती हालत को सुधारने का काम करे, न कि महिलाओं पर नजर रखे।

पुतला फूंकने वालो में सौरभ पोरियाल, अनिल रावत, पर्वत बहुगुणा, रोहित पोखरियाल, अभिषेक सेमवाल, आयुष पंवार, अभिषेक कालूरा, संदीप चैहान, अमन, तुषार आदि मौजूद रहे।