उत्तरायणी मेले पर प्रदेशभर में किया जाएगा भव्य आयोजन-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में उत्तरायणी मेले, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती पर सुशासन दिवस एवं वीर बाल दिवस की तैयारियों को लेकर बैठक ली।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तरायणी मेले में प्रदेशभर में भव्य आयोजन किये जाएं। यह मेला संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन को बढ़ावा देता है। 14 जनवरी को पूरे देश में अलग-अलग रूपों में सूर्य उपासना के पर्व मनाये जाते हैं। उत्तरायणी मेले का उत्तराखण्ड की संस्कृति में विशेष महत्व है। 14 जनवरी को उत्तरायणी उत्सव का मुख्य आयोजन बागेश्वर में किया जायेगा। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से भव्य आयोजन किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को उत्तरायणी मेले के महत्व की जानकारी हो और अन्तराष्ट्रीय फलक पर इसे पहचान दिलाने के लिए प्रदेशभर में भव्य आयोजन किये जाएं। पंच प्रयागों एवं राज्य के अन्य संगम स्थलों एवं महत्वपूर्ण घाटों पर भी उत्तरायणी के दिन सूर्य उपासना के पर्व का आयोजन किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तरायणी पर्व पर सौर ऊर्जा के प्रति जन जागरूकता के लिए इससे सबंधित योजनाएं लांच की जाएंगी। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में सौर ऊर्जा एवं ऊर्जा संरक्षण पर निबंध एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए। बागेश्वर में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाए। जिसमें लोक गीत, लोक नृत्य एवं अन्य आयोजन भी किये जाए। इस पर्व पर उत्तराखण्ड की प्रमुख हस्तियों को भी सांस्कृतिक संध्या के लिए आमंत्रित किया जाए। संगमों पर भव्य आरती की व्यवस्था भी की जाए। हस्तशिल्प एवं फूड फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती पर सुशासन दिवस के अवसर पर प्रदेश में भव्य आयोजन किये जायेंगे। सभी जनपदों में ग्राम चौपाल का आयोजन किया जायेगा। जिनमें मंत्रीगण एवं अन्य जन प्रतिनिधि भी प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन दिवस पर वे स्वयं भी ग्राम चौपाल में प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन दिवस पर प्रदेश के सभी स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक प्रमाण पत्रों का वितरण किया जायेगा। 25 दिसम्बर 2022 से 09 फरवरी 2023 तक प्रमाण पत्रों के वितरण की प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस पर सिख समाज के दसवें गुरू, गुरू गोविन्द सिंह के पुत्रों साहिब जादा जोरावर सिंह और साहिब जादा फतेह सिंह के बलिदान दिवस पर राज्य स्तर पर मुख्य कार्यक्रम देहरादून में आयोजित किया जायेगा। जिला मुख्यालयों पर भी कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। प्रदेश के सभी स्कूलों में वीर बाल दिवस मनाया जायेगा।
बैठक में विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव शैलेश बगोली, सचिन कुर्वे, एच.सी.सेमवाल, विनोद कुमार सुमन, महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक संस्कृति बीना भट्ट, अपर सचिव जगदीश चन्द्र काण्डपाल उपस्थित रहे।

प्रवासी उत्तराखंडियों को उत्तरायणी मेले से जोड़ेगी सरकार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बागेश्वर में मकर संक्रांति पर आयोजित किये जाने वाले उत्तरायणी मेले को भव्य रूप से मनाया जाएगा। इसे राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए हर सम्भव प्रयास किया जाएगा। स्थानीय संस्कृति को प्रमुखता देते हुए प्रवासी उत्तराखण्डियों को उत्तरायणी मेले से जोडा जाएगा। मेले को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिले, इसके लिए देश विदेश के पर्यटकों को बागेश्वर के उत्तरायणी मेले के सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानकारी दी जाएगी। बागेश्वर के उत्तरायणी मेले को पर्यटन मानचित्र पर लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म जयंती पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। अटल जी के जन्म जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है। राज्य सरकार ने सुशासन के लिए अनेक महत्वपूर्ण पहल की हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के अलग राज्य के रूप में निर्माण में अटल जी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने राज्य के लिए विशेष औद्योगिक पैकेज की स्वीकृति देकर राज्य की मजबूत नींव रखी थी। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में राज्य में विकास के अभूतपूर्व काम हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह महाराज के पुत्र साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह ने अपनी छोटी सी उम्र में धर्म की रक्षा के लिये अपने प्राणों का बलिदान दिया था। प्रधानमंत्री ने इस सर्वाेच्च बलिदान के सम्मान में 26 दिसम्बर को “वीर बाल दिवस“ के रूप में मनाये जाने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में भी इस अवसर पर विशेष रूप से राज्य के विद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
उक्त कार्यक्रमों के आयोजन के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की जाएगी। इसमें पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा व अन्य संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे।

उत्तरायणी का त्योहार और मकर सक्रांति का पर्व हिन्दुओं के लिए है महत्वपूर्ण

उत्तराखंड में हर तीज-त्योहार का अपना अलग ही उल्लास है। यहां शायद ही ऐसा कोई पर्व होगा, जो जीवन से न जोड़ता हो। ये पर्व-त्योहार उत्तराखण्डी संस्कृति के प्रतिनिधि भी हैं और संस्कारों के प्रतिबिंब भी। हम ऐसे ही अनूठे पर्व ‘मकरैंण’ से आपका परिचय करा रहे हैं। यह पर्व गढ़वाल, कुमाऊं व जौनसार में अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है।
मकर संक्रान्ति का त्यौहार उत्तराखण्ड में उत्तरायणी, उत्तरैण आदि नामों से जाना जाता है। उत्तरायणी शब्द उत्तरायण से बना है। उत्तरायण मतलब जब सूर्य उत्तर की ओर जाना शुरू होता है। दरअसल, त्योहार एवं उत्सव देवभूमि के संस्कारों में रचे-बसे हैं। पहाड़ की ‘पहाड़’ जैसी जीवन शैली में वर्षभर किसी न किसी बहाने आने वाले ये पर्व-त्योहार अपने साथ उल्लास एवं उमंगों का खजाना लेकर भी आते हैं।
हिन्दुओं के सबसे पवित्र धार्मिक आयोजनों में से एक मकर सक्रांति भी है। सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 14 जनवरी को पड़ रहा है। मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। साल 1982 में उत्थान मंच में उत्तरायणी मेले का पहली बार आयोजन किया गया था। चार दशक बाद भी पूरे रीति-रिवाजों के साथ इस त्योहार को मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे “संक्रांति” कहा जाता है और तमिलनाडु में इसे “पोंगल पर्व” के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। वहीं असम में “बिहू पर्व” के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस अवसर पर कुमाऊ क्षेत्र के बागेश्वर जिले में प्रसिद्ध उत्तरायणी कौथिक (मेला) का आयोजन किया जाता है। यह उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में आयोजित सबसे बड़े मेलों में से एक है और हर साल 14 जनवरी को आयोजित होने वाले मकर संक्रांति उत्सव के दौरान मनाया जाता है। उत्तरायणी महोत्सव उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में मनाया जाता है। मेले में आने वाले देश-विदेश के पर्यटक व स्थानीय लोग यहां पर होने वाली विभिन्न गतिविधियों के साथ मनोरंजन का भी आनंद लेते हैं। साथ ही, स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठा सकते हैं और राज्य के हस्तनिर्मित शिल्प खरीद सकते हैं। भारत में सबसे लोकप्रिय मेलों में से एक के रूप में जाना जाता है, उत्तरायणी मेला बागेश्वर में शुरू हुआ, लेकिन अब उत्तराखंड के अंदर और बाहर विभिन्न शहरों में फैल गया है। यह त्योहार स्थानीय लोगों के लिए अपनी संस्कृति, विरासत, नृत्य और संगीत को प्रदर्शित करने का एक अवसर है।

यह है घुघुति की कथा
एक राजा था, जिसकी कोई संतान नहीं थी तो मंत्री हर वक्त इस षड्यंत्र में रहता था कि राजा के बाद राज्य उसे मिल जाए। लेकिन एक संत के आशीर्वाद से राजा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई। प्रसन्न होकर रानी मां बेटे को एक माला पहना दी। युवराज थोड़ा बड़ा हुआ और खेलने-कूदने लगा। उसे ये माला बहुत प्रिय थी। रानी अपने बेटे को प्यार से घुघुतिया कहकर बुलाती थी। जब राजकुमार शैतानी करता तो वह कहती कि तंग मत कर नहीं तो तेरी माला कौंवे को दे दूंगी।
फिर वह कहने लगती, काले कौंवा काले घुघुति माला खा ले। यह सुनकर बहुत से कौंवे आ जाते थे। रानी मां उनके लिए भी रोटी और दाने डाल देती। धीरे-धीरे वे कौंवे राजकुमार के मित्र बन गए। उधर मंत्री का षड्यंत्र जारी था। एक दिन उसने राजकुमार का अपहरण कर लिया। जब मंत्री के साथी राजकुमार को लेकर जंगल जा रहे थे तो उसके रोने की आवाज सुनकर बहुत से कौवे आ गए। उन्होंने उसकी घुघती माला पहचान ली और गले से झपट कर उड़ गए। तभी से उत्तराखंड में घुघुती माला बनाए जाने की पंरपरा चल पड़ी। बच्चे घुघुती की बनी माला गले में डाल लेते हैं और कौवों को बुलाते हैं। काले कौवा काले घुघुति माला खा ले। उत्तराखंड की वादियों में ये आवाज आज भी गूंज रही है।

उत्तरायणी का त्यौहार जीवन में सकारात्मक सोच के साथ सदैव कर्म के पथ पर आगे बढ़ने की भी प्रेरणा देता है। यह पावन पर्व मांगलिक कार्यों के शुभारम्भ से भी जुड़ा है। भगवान सूर्य की आराधना का यह पर्व हम सबके जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करता है। कोरोना काल में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोरोना गाइडलाइन का पालन कर पर्व मनाएं। शासन व प्रशासन की ओर से सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं।
-दिलीप जावलकर, सचिव पर्यटन