उत्तर कोरिया को अमेरिका का जवाब, बम बरसाने वाले उड़ाए विमान

अमेरिका के अधिकारियों ने आज कहा कि उत्तर कोरिया द्वारा हाल ही में किए गए अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण के जवाब में शक्ति प्रदर्शन के लिए अमेरिकी बमवर्षकों ने कोरियाई प्रायद्वीप के ऊपर उड़ान भरी। दक्षिण कोरियाई और जापानी वायु सेनाओं के लड़ाकू विमानों के साथ यूएस बी-1बी बमवर्षकों ने 10 घंटे के द्विपक्षीय मिशन में हिस्सा लेते हुए अभ्यास किया। यह अभ्यास प्योंगयांग द्वारा गत शुक्रवार किए गए दूसरे आईसीबीएम परीक्षण के बाद किया गया। इस परीक्षण के बाद किम जोंग-उन ने कहा कि यह कदम दिखाता है कि देश अमेरिका में किसी भी लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता रखता है।
पैसिफिक एयर फोर्सेज कमांडर जनरल टैरेंस ओ शॉनेसी ने अपने एक बयान में कहा,‘‘उत्तर कोरिया अब भी क्षेत्रीय स्थिरता पर सबसे सन्निकट खतरा बना हुआ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि जरूरत पड़ी तो हम त्वरित, घातक अ‍ैर भारी बल से अपनी पसंद के समय और स्थान पर जवाब देने के लिए तैयार हैं।’’ अपनी प्रतिक्रिया में बीजिंग ने सभी पक्षों से संयम बरतने के लिए कहा है। अमेरिका से पहले हाल ही में उत्तर कोरिया ने अपने दूसरे मिसाइल का टेस्ट किया था जिसपर नेता किम जोंग ने कहा था कि पूरा अमेरिका हमारे निशाने पर है। किम जोंग उन ने शनिवार को कहा कि अंतर्महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का दूसरा परीक्षण यह दिखाता है कि उनका देश अमेरिका के मुख्य भूभागों तक हमला कर सकता है।
परीक्षण के घंटों बाद विश्लेषकों ने कहा कि लॉस एंजिलिस और शिकागो समेत अमेरिका के ज्यादातर इलाके अब उत्तर कोरियाई हथियारों की जद में हैं। कोरियाई सेन्ट्रल न्यूज एजेंसी ने कहा कि ह्वासोंग-14 मिसाइल -14 मिसाइल के 3,725 किलोमीटर की अधिकतम ऊंचाई तक पहुंचने और जापान के समुद्र में गिरने से पहले 998 किलोमीटर की दूरी तक जाने के बाद किम ने बड़ी संतुष्टि जताई। एजेंसी ने कहा कि यह परीक्षण इस बात की पुष्टि करने के लिए किया गया कि मिसाइल अधिकतम दूरी तक जाए और साथ ही मिसाइल के अन्य तकनीकी आयामों की जांच करने के लिए परीक्षण किया गया। एजेंसी ने कहा कि यह मिसाइल ‘‘बड़े आकार वाले, भारी परमाणु आयुध’’ ले जाने में सक्षम है। विश्लेषकों ने अनुमान जताया कि उत्तर कोरिया की पहली आईसीबीएम अलास्का तक पहुंच सकती है तथा यह नई मिसाइल और अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम है।

लालू डाल रहे शरद यादव पर डोरे, भाजपा की मुश्किलें बढ़ी

महागठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने से नीतीश कुमार से नाराज शरद यादव बिहार के मुख्यमंत्री पर तो चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन इस बीच वह मोदी सरकार पर हमलावर हैं। पूर्व एनडीए संयोजक ने कालेधन को लेकर बीजेपी को निशाने पर लिया। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे 70 वर्षीय नेता ने ट्वीट कर कहा, ‘विदेशों से कालाधन वापस नहीं आया, जोकि सत्ताधारी पार्टी का एक मुख्य नारा था और ना ही पनामा पेपर्स में नामित लोगों में से किसी को पकड़ा गया।’
राज्यसभा सांसद ने शनिवार को अन्य ट्वीट में कहा था, ‘सरकार कई सेवाओं के नाम पर जनता से काफी सेस अर्जित करती है, लेकिन फिर भी देश में किसी भी क्षेत्र में सुधार नहीं दिख रहा है।’ इससे पहले उन्होंने केंद्र की महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना पर भी सवाल उठाते हुए कहा था, ‘दूसरी योजनाओं की तरह फसल बीमा योजना भी सरकार की असफलता है, जिसके द्वारा केवल प्राइवेट बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया।’
बताया जाता है कि शरद यादव महागठबंधन तोड़े जाने के पक्ष में नहीं थे। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरने के बाद नीतीश ने महागठबंधन तोड़ बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया। नीतीश के इस कदम से शरद यादव नाराज बताए जाते हैं। नीतीश और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उन्हें मनाने की कोशिश भी की, लेकिन वह अब भी ‘नई दोस्ती’ से असहज हैं। इस बीच आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव शरद यादव को अपने पाले में लाने की कोशिश में जुट गए हैं। उन्होंने शरद से आरजेडी जॉइन करने की अपील की है। लालू ने बताया कि इस सिलसिले में उन्होंने शरद यादव से फोन पर बात भी की है।
लालू ने शनिवार को कहा, ‘मैंने शरद यादव से फोन पर बात की है। मैं उनसे अपील करता हूं कि आइये और देश के हर कोने में जाकर इस लड़ाई की कमान अपने हाथों में लें।’ इसके अलावा लालू ने सोशल मीडिया पर भी शरद यादव से साथ आने की अपील की। लालू ने इसे लेकर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘गरीब, वंचित और किसान को संकट/आपदा से निकालने के लिए हम नया आंदोलन खड़ा करेंगे। शरद भाई, आइए सभी मिलकर दक्षिणपंथी तानाशाही को नेस्तनाबूद करें।’ एक दूसरे ट्वीट में लालू ने लिखा, ‘हमने और शरद यादव जी ने साथ लाठी खाई है, संघर्ष किया है। आज देश को फिर संघर्ष की जरूरत है। शोषित और उत्पीड़ित वर्गों के लिए हमें लड़ना होगा।’

तो क्या मरीयम के कारण गई नवाज शरीफ की कुर्सी

पनामा पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दोषी करार देते हुए उन्हें अयोग्य ठहराया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद उन्घ्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके साथ ही पाकिस्तान के वित्त मंत्री को भी अयोग्य करार दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने एक मत से यह फैसला सुनाया है। इसमें जस्टिस आसिफ सईद खान खोसा के अलावा जस्टिस गुलजार अहमद, जस्टिस एजाज अफजल खान, जस्टिस इयाज उल अहसान और जस्टिस शेख अजमत सईद शामिल थे। जस्टिस खोसा वही जज हैं जिन्होंने पांच वर्ष पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अयोग्य करार दिया था। इस फैसले के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

मरियम के छलके आंसू

सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद पाकिस्तान का राजनीतिक भविष्य एक बार फिर दांव पर है। गौरतलब है कि इस मामले की जांच के लिए बनाई गई जेआईटी ने अपनी रिपोर्ट में शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनकर नवाज की बेटी मरियम नवाज और बेगम कुलसुम नवाज की आंखों से आंसू छलक पड़े।

देश की राजनीति पर संकट

नवाज शरीफ से पद से हटाए जाने की सूरत में वहां पर छाई राजनीति अस्थिरता भारत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। ऐसे में देश की राजनीति में शून्य छा जाने से यह भी हो सकता है कि वहां की सत्ता पर एक बार फिर से सैन्य तंत्र हावी हो जाए, जैसा कि पहले होता रहा है। पाकिस्तान का यह इतिहास रहा है कि जब-जब देश की सत्ता कमजोर हुई है तब-तब वहां पर सैन्य ताकत उभरकर सामने आई है।

भाजपा की बढ़ी परेशानी, कैसे एडजस्ट होंगे भाजपा विधायक

राज्य सरकारों की ओर से संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रदेश भाजपा सरकार के साथ ही पार्टी विधायकों की चिंताएं भी बढ़ने लगी हैं। इस निर्णय से सरकार के सामने अब विधायकों को सत्ता में एडजस्ट करने की चुनौती आ खड़ी हुई है तो सरकार में ओहदा पाने के अरमान पाले विधायकों को भी झटका लगा है।
प्रदेश में भाजपा भारी बहुमत से सत्ता में आई है। इस बहुमत के साथ ही भाजपा के सामने कई चुनौतियां भी आई हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती सभी पार्टी विधायकों को उचित सम्मान और सत्ता में हिस्सेदारी देने की भी है। प्रदेश में सरकार बनाने के बाद भाजपा ने क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधते हुए मंत्रिमंडल की संख्या अभी फिलहाल दस तक ही सीमित रखी है।
मंत्रिमंडल में अभी दो पद रिक्त चल रहे हैं। संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक उत्तराखंड में अधिकतम बारह सदस्यीय मंत्रिमंडल हो सकता है। मंत्रिमंडल के इन दो रिक्त पदों पर कई वरिष्ठ विधायकों को दावा है। इनमें लगभग आधा दर्जन विधायक ऐसे भी हैं जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। गाहे-बगाहे ये विधायक अप्रत्यक्ष तौर पर वरिष्ठता के नाते रिक्त मंत्री पदों पर अपना दावा जताने से चूकते भी नहीं हैं।
विधायकों की संख्या बहुत अधिक होने के कारण फिलहाल सरकार और मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल के दो पदों को भरने के मामले में चुप्पी ही साधे हुए हैं। हालांकि, निकट भविष्य में इन पदों का भरना तय है। माना जा रहा था कि मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को भरने के बाद भाजपा बड़ी संख्या में वरिष्ठ विधायकों का मान सम्मान रखने के लिए उनकी संसदीय सचिवों के रूप में तैनाती कर सकती है।
दरअसल, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भी इस परिपाटी के मुताबिक संसदीय सचिवों की तैनाती की थी। कांग्रेस ने सरकार में उठ रहे विरोधी स्वरों को शांत करने के लिए सात विधायकों को संसदीय सचिव का दायित्व दिया था। इन्हें कैबिनेट मंत्रियों जैसे अधिकार तो नहीं थे लेकिन इन्हें सभी सुविधाएं कैबिनेट मंत्रियों समान दी गई थी।
मौजूदा सरकार में भी माना जा रहा था कि आने वाले समय में भाजपा इसी परिपाटी को आगे बढ़ा सकती है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई व्यवस्था के बाद संसदीय सचिव बनाने की परंपरा भी समाप्त हो गई है। इससे सरकार के सामने विधायकों को एडजस्ट करने की चुनौती बढ़ गई है।

आधार लिंक नही कराने पर एक अगस्त ने राशन नही

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की नई व्यवस्था के तहत एक अगस्त से सिर्फ उन्हीं उपभोक्ताओं को खाद्यान्न आवंटित किया जाएगा, जिन्होंने अपना आधार कार्ड राशन कार्ड से लिंक करा लिया है। फिलहाल विभाग आधार न देने वाले उपभोक्ताओं का राशन अपने पास रखेगा और यदि उपभोक्ता जल्द आधार कार्ड जमा कराते हैं तो उन्हें राशन आवंटित कर दिया जाएगा।
आपूर्ति विभाग पिछले दो साल से राशन कार्ड को आधार से लिंक करने की तैयारी कर रहा है। अब शासन से निर्देश जारी होने के बाद विभाग ने इसे अनिवार्य रूप से लागू कर दिया है। उपभोक्ताओं को अपने आधार कार्ड जमा करने के लिए जुलाई तक का समय दिया गया है। देहरादून जिले में कुल चार लाख राशन कार्ड हैं। इनमें से 2.60 लाख कार्डधारक आधार कार्ड से लिंक हो चुके हैं। जबकि 1.40 लाख कार्ड ऐसे हैं जिसमें या तो सिर्फ मुखिया का ही कार्ड जमा हो पाया है या किसी ने भी जमा नहीं किया।

16 तारीख तक राशन अनिवार्य
जिला आपूर्ति विभाग ने खाद्यान्न आवंटन के लिए समय सीमा तय कर दी है। नई व्यवस्था के तहत उपभोक्ताओं को हर हाल में माह की 16 तारीख तक पूरा खाद्यान्न आवंटित कर दिया जाएगा। यदि कोई डीलर तय समय में राशन नहीं बांटता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। नई व्यवस्था के तहत प्रत्येक माह की 23 तारीख से अगले माह 10 तारीख तक राशन डीलर गोदाम से गेहूं, चावल सहित पूरे खाद्यान्न का उठान करेगा।

मोबाइल नंबर पर करें शिकायत
आपूर्ति विभाग ने उपभोक्ताओं की शिकायतों का निस्तारण करने के लिए शीघ्र नया टोल फ्री नंबर जारी करने की तैयारी कर ली है। तब तक विभाग ने कलक्ट्रेट का मोबाइल नंबर व ई-मेल अगले 10 दिन में सभी दुकानों पर दर्ज करने के निर्देश दिए। ताकि लोग अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें।

गुलदार स्कूल में घुसा और मच गई भगदड़

श्रीनगर के पास बुघाणी मार्ग पर खोला गांव में गुलदार की दहशत है। यहां गुरुवार को दोपहर के समय स्कूल में गुलदार घुस गया। इसके बाद बच्चों और टीचरों की चीख-पुकार मच गई।
जानकारी के अनुसार जूनियर हाईस्कूल स्कूल खोला में गुरुवार को कक्षाएं चल रही थी। स्कूल में उस वक्त चार-पांच बच्चे ही थे। जबकि तीन शिक्षिकाएं मौजूद थीं। सभी एक कमरे में थे। तभी उन्होंने गुलदार के घुर्राने की आवाज सुनीं। सभी सतर्क हो गईं। शिक्षिकाओं ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया। इसी बीच गुलदार स्कूल के आंगन में धमक गया। इससे शिक्षिकाओं ने बच्चों की चीख-पुकार मच गई। यह सुनकर गांव के लोग स्कूल की ओर दौड़ पड़े। काफी देर तक गुलदार आंगन में घुमता रहा। ग्रामीणों को आता देख गुलदार जंगल की ओर भाग निकला।
खोला के नितिन घिल्डियाल व स्कूल की शिक्षिका राधा बिष्ट ने बताया कि स्कूल में गुलदार के घुसने की सूचना मिलने पर गांव वाले स्कूल में पहुंचे। तब जाकर गुलदार वहां से भागा। उन्होंने कहा कि इस घटना से स्कूल के बच्चे व शिक्षिकाएं बुरी तरह से सहमी हुई हैं। सूचना पर श्रीनगर तहसीलदार सुनील राज व वन विभाग की टीम स्कूल में पहुंची। ग्रामीणों ने तहसीलदार व वन विभाग की टीम से गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने तथा गश्त लगाए जाने की मांग की।
तीन लोगों पर झपटा मार चुका है गुलदार
बीते बुधवार को ही गुलदार ने दो अलग-अलग बाइक में सवार तीन लोगों पर झपटा मार दिया था। इस घटना में एक महिला व युवक घायल हो गए थे। उनके पांवों पर गुलदार ने नाखून मारे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार खोला के नरेश कुमार अपनी मां बीना देवी के साथ बाइक से श्रीनगर से खोला गांव जा रहे थे। गांव के नजदीक ही सड़क के ऊपर से गुलदार ने उन पर हमला कर दिया। जिसमें बीना देवी के पांवों पर गुलदार ने नाखून गाड़ दिए। बाइक का हमला होते ही नरेश कुमार ने बाइक की स्पीड तेज कर दी। जिससे वह गुलदार के चंगुल से बच गए। इसी घटना के दस मिनट बाद खोला के निर्मल घिल्डियाल(21) भी श्रीनगर से बाइक से खोला गांव आ रहे थे। घात लगाए बैठे गुलदान ने उस पर भी हमला कर दिया। निर्मल के भी पांव पर गुलदार ने नाखून मारे हैं। किसी तरह निर्मल ने गुलदार से अपनी जान बचाई। सूचना मिलते ही तहसीलदार सुनील राज टीम सहित मौके पर पहुंचे। उन्होंने घायलों को तत्काल संयुक्त अस्पताल पहुंचाकर उपचार दिलाया। उन्होंने कहा कि वन विभाग को क्षेत्र में पिंजरा लगाने के आदेश दे दिए गए हैं।

ट्रेन की टिकट सस्ती होने के आसार

रेलवे में खाने को लेकर आए दिन कोई न कोई शिकायत मिलती रहती है। ऐसे में बहुत से यात्री चाहते थे कि टिकट के साथ खाना लेना अनिवार्य नहीं होना चाहिए। अगर आप भी ऐसे लोगों में से हैं जो ट्रेन का खाना पसंद नहीं करते हैं, तो आपके लिए रेलवे एक बड़ी खुशखबरी लेकर आया है।
खाने के नहीं देने होंगे पैसे बुधवार को रेलवे ने घोषणा करते हुए कहा है कि अब आपको ट्रेन टिकट खरीदते समय खाने के पैसे देना जरूरी नहीं होगा। यह नया नियम 26 जुलाई से प्रभावी हो चुका है। इसका फायदा सबसे अधिक उन लोगों को होगा, जिन्हें ट्रेन का खाना पसंद नहीं आता था और वह उसका पैसा नहीं देना चाहते थे। अब आप टिकट बुक करते समय चाहें तो खाने का पैसा दें या चाहें तो खाने को टिकट से हटा दें, आपकी मर्जी।
इन ट्रेनों में मिलेगी सुविधा रेलवे ने कैटरिंग को फिलहाल 31 प्रीमियम ट्रेनों में वैकल्पिक बनाया है। इन 31 प्रीमियम ट्रेनों में 7 राजधानी, 6 शताब्दी और दूरंतो शामिल हैं। फिलहाल रेलवे की तरफ से उन 31 प्रीमियम ट्रेनों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया गया है। इसका सीधा मतलब यह है कि इन ट्रेनों की टिकटें सस्ती हो जाएंगी, क्योंकि आपके लिए खाने के पैसे देना वैकल्पिक कर दिया जाएगा।
ये भी होगा बदलाव कैटरिंग सेवा को बेहतर बनाने के लिए आईआरसीटीसी यात्रियों से उनके फीडबैक लेगी। इसके अलावा, भारतीय रेलवे के तहत चल रहे 100 किचन को आईआरसीटीसी को दे दिया जाएगा और साथ ही 20 नए मॉडर्न किचन भी खोले जाएंगे। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि आईआरसीटी के ग्राहकों को बेहतर सेवाएं दी जा सकें।

ट्रेन के खाने में निकली छिपकली, यात्री की तबीयत हुई खराब

ट्रेनों में यात्रियों को परोसे जाने वाले भोजन की क्वॉलिटी की तस्वीर उस वक्त सामने आई, जब एक यात्री को परोसी गई वेज बिरयानी में छिपकली पाई गई। इसके बाद यात्री की तबीयत भी खराब हुई, जिसकी वजह से उसे दवा लेनी पड़ी। इसके बाद बैकफुट पर आए रेलवे बोर्ड ने ट्रेन में भोजन सप्लाई करने वाले ठेकेदार का ठेका रद्द करने का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही अब रेलवे ने चुनींदा राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में यात्रियों को विकल्प देने का फैसला लिया है कि अगर यात्री चाहें तो रेलवे का भोजन लेने से इनकार कर दें। ऐसी स्थिति में टिकट जारी करते वक्त पैसेंजर से भोजन का पैसा नहीं लिया जाएगा।
ट्रेन में खाने में छिपकली मिलने का यह मामला सीएजी की रिपोर्ट के एक सप्ताह के भीतर सामने आया है। पिछले ही सप्ताह सीएजी की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया था कि रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में परोसे जाने वाले खाने की क्वॉलिटी कितनी खराब है। हालांकि, इसके बाद रेलवे ने दावा किया कि वह सुधार के लिए कदम उठा रहा है लेकिन मंगलवार को बिरयानी में छिपकली निकलने का मामला सामने आ गया।
इंडियन रेलवे के सूत्रों के मुताबिक बिरयानी में छिपकली मिलने का मामला पूर्वा एक्सप्रेस में सामने आया। ट्रेन नंबर 12303 के फर्स्ट क्लास में यात्रा कर रहे वकील संतोष कुमार सिंह ने अपने लिए वेज बिरयानी का ऑर्डर किया। उन्हें बिरयानी में छिपकली दिखी। इसके बाद उन्होंने कैटरिंग स्टाफ को इसकी जानकारी दी और बिरयानी की फोटो भी ट्वीट करते हुए रेलमंत्री सुरेश प्रभु को टैग कर दी। बाद में इस यात्री की तबीयत खराब होने पर उसे दवा भी दी गई।
इस मामले के सामने आने के बाद रेलवे ने इस ट्रेन में खाना परोसने वाले कांट्रैक्टर आर.के. असोसिएटस का ठेका रद्द करने का फैसला किया है। महत्वपूर्ण है कि इसी ठेकेदार के खिलाफ पिछले साल भी खराब खाने की शिकायतें आई थीं। उस वक्त रेलवे ने इस पर क्रमश 10 लाख और साढ़े सात लाख रुपये का जुर्माना ठोंका था। अब रेलवे अपने बचाव में दावा कर रही है कि उसने भोजन की क्वॉलिटी को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी है। इसी वजह से उसने इस साल जनवरी से अब तक ट्रेनों में खाना परोसने वाले 12 ठेकेदारों के ठेके रद्द किए हैं।

मृतक किसान का परिवार गरीबी में कर रहा जीवन यापन

स्वाड़ी गांव के मृतक किसान राजू कुमार के परिजन बेहद गरीबी में जीवन-यापन कर रहे हैं। परिवार के मुखिया की मौत के बाद पूरा परिवार चिंतित है। चिंता जीवन-यापन की भी है और बैंक का ऋण चुकाने की भी। जो कमाने वाला था वह तो रहा नही, इसलिए आगे क्या होगा परिवार इसी चिंता में डूबा है। परिवार अभी मौत के सदमें से नही उभर पाया है। रहने के लिए मकान के नाम पर उनके पास दो जर्जर कमरे हैं। एक में परिवार के सात सदस्य रहते हैं और दूसरे कमरे में पशु रहते हैं। मकान भी इतना जर्जर है कि कभी भी गिर सकता है बारिश होने पर उससे पानी टपकता है। गौर करने वाली बात यह है कि उक्त परिवार के पास शौचालय भी नही है। परिवार में कोई भी कमाने वाला नही है। मृतक का सबसे बड़ा बेटा चौबीस साल का अजयवीर भी बेरोजगार है। मृतक का बैंक से लोन ले रखा था और लोन न चुका पाने की वजह से वह कई दिनों से तनाव में था और इसी वजह से उसने आत्म हत्या की। खास बात यह है कि शासन-प्रशासन यह कतई मानने को तैयार नही है कि उसने ऋण की वजह से आत्महत्या की। उसकी पत्नी रोशनी देवी ने बताया कि उसके पति राजू की कोई और समस्या नही थी, उसका किसी से कोई विवाद भी नही था और वह बीमार भी नही था, लेकिन दो बैंको से कर्ज लेने कारण वह कई दिनों से तनाव में था। बैंक कर्मचारी कई बार घर में भी आये और उन्होंने कर्ज चुकाने के लिए कई बार फोन भी किया। इसी तनाव की वजह से उसने आत्म हत्या की है।

योगी ने कंडारी को दिया प्रभावितों की समस्याओं के निदान का आश्वासन

श्रीनगर जलविद्युत परियोजना के प्रभावितों की समस्याओं के निदान को लेकर देवप्रयाग क्षेत्र के विधायक विनोद कंडारी शनिवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले। विधायक विनोद कंडारी ने योगी आदित्यनाथ को बताया कि श्रीनगर जलविद्युत परियोजना के निर्माण से कीर्तिनगर ब्लॉक क्षेत्र विशेषकर चौरास क्षेत्र के दर्जनों गांव की जनता प्रभावित हुई है। निर्माण के दौरान परियोजना की निर्माणदायी कंपनी जीवीके ने प्रभावितों के साथ उनके आर्थिक, सामाजिक पक्षों को लेकर अनुबंध किए, लेकिन उन्हें कंपनी क्रियान्वित नहीं कर रही है। जिससे प्रभावित बुरी तरह परेशान हैं। परियोजना से विद्युत उत्पादन भी हो रहा है। विधायक विनोद कंडारी ने लखनऊ से लौटने पर बताया कि इस मामले में योगी आदित्यनाथ ने पूरी मदद का आश्वासन भी दिया है। पिछले सप्ताह गढ़वाल केंद्रीय विवि के चौरास परिसर स्थित प्रेक्षागृह में प्रभावितों के साथ दिनभर पंचायत भी की थी जिसमें डीएम टिहरी के साथ ही परियोजना निर्माणदायी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।