समूची अयोध्या हुई राममय, हर जगह लहरा रही केसरिया पताका

अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए जिस तरह से समूचे क्षेत्र को सजाया जा रहा है, यहां हर घर में उल्लास, जश्न, भजन-कीर्तन का माहौल हो रहा है। इससे त्रेतायुग जैसा माहौल बना हुआ है। शास्त्र और पुराणों में उल्लेख के अनुसार त्रेतायुग में भी कुछ इसी तरह का माहौल था। राम राज्य वाले उस युग में हर कोई प्रेम, श्रद्धा और भजन-कीर्तन में मग्न रहता था। ईश्वर को सदैव स्मरण करना वहां की दैनिक दिनचर्चा थी। न किसी को कोई भय था और न ही अत्याचार होता था। हर जगह दीपक जगमगाते थे। आज एक बार फिर अयोध्या में वैसा ही माहौल देखा जा रहा है। भूमिपूजन से पहले अयोध्या राममय है। मंदिरों में रंग-रोगन, छतों पर केसरिया पताका, दीवारों पर रामायणकालीन नयनाभिराम दृश्य, जगह-जगह तोरण द्वार सजाए गए हैं। 

साकेत कालेज से हनुमानगढ़ी और श्रीरामजन्मभूमि तक पीएम जिस मार्ग से गुजरेंगे वहां के दोनों तरफ घर-दुकान से लेकर धर्मस्थल तक पीले रंग से रंग दिए गए हैं। श्रीरामजन्मभूमि के मुख्य कार्यक्रम स्थल को भव्य सजाया जा रहा है, इसके थाईलैंड से खास फूल मंगाए गए हैं। अवध विवि की छात्राएं फूलों-रंगों, कलश-रंगोली की कलाकृतियों से अयोध्या की मौलिकता की झांकी परिसर में सजा रही हैं। उधर, संत-धर्माचार्य और विहिप-संघ से जुड़े अतिथि अयोध्या पहुंचने लगे हैं। ट्रस्ट ने सभी अतिथियों को चार अगस्त तक कारसेवकपुरम में आने का आग्रह किया है। 
 

इस तरह रहेगा पीएम का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच अगस्त को 11 बजकर 15 मिनट पर साकेत कालेज के हेलीपैड पर उतरेंगे। यहां से हनुमानगढ़ी जाकर 7 मिनट तक पूजन करेंगे, फिर श्रीरामजन्मभूमि के गेट नं. 3 से रामलला के दगबार में 12 मिनट पूजन का कार्यक्रम है, यहां से सीधे गर्भगृह में भूमिपूजन करके राममंदिर की ईंट रखेंगे। यहां 45 मिनट तक संबोधन का कार्यक्रम भी है। वह दो घंटे से अधिक समय यहां पर रहेंगे, सूत्र बताते हैं कि पूजन के बाद हेलीपैड जाने से पहले सीएम योगी के साथ सरयूपूजन भी करने घाट तक जा सकते हैं।

नई शिक्षा नीतिः इंजीनियरिंग के साथ कला और मानविकी विषयों पर भी रहेगा जोर

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत तकनीकी संस्थानों सहित देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में संगीत, थिएटर, कला अ ौर मानविकी के लिए अलग से विभाग बनाया जाएगा। नई नीति के तहत आईआईटी समेत देश के सभी तकनीकी संस्थान होलिस्टिक अप्रोच (समग्र दृष्टिकोण) अपनाएंगे। इसके तहत इंजीनियरिंग के साथ-साथ तकनीकी संस्थानों में कला और मानविकी के विषयों पर जोर दिया जाएगा।

विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों का काम अकादमिक और रिसर्च पर फोकस रहेगा। परीक्षा से लेकर दाखिले तक का काम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के तहत होगा। कौशल आधारित विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

लिबरल एजुकेशन में देश की 64 कलाओं को बढ़ावा मिलेगा। विभिन्न विषयों में दक्षता और क्षमता के आधार पर डिग्री की पढ़ाई होगी। इसका मतलब ज्ञान के साथ कौशल विकसित करना है, जिससे रोजगार के मौके मिलें। स्नातक तक कोर्स 3-4 वर्ष का होगा और कभी भी प्रवेश और पढ़ाई छोड़ने का विकल्प सर्टिफिकेट के साथ मिलेगा।

शिक्षा सुधार योजनाओं में हिंदू मठ, आश्रम, गुरुद्वारा, ईसाई मिशनरी संस्थान, इस्लामिक ट्रस्ट, बौद्ध और जैन समुदाय को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसका मकसद विभिन्न वर्गों को जोड़ना और वैचारिक मतभेद दूर करना है। स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्त्रस्म में बिजनेस व इंडस्ट्री के सुझाव पर बदलाव होगा, ताकि रोजगार पर फोकस किया जा सके। इसके अलावा पूर्व छात्र और स्थानीय समुदाय से सुरक्षा, सफाई पर मदद ली जाएगी।

सीएम ने दी बधाई, कहा नई शिक्षा नीति से बदलेगा भारत
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देश में 28 साल बाद नई शिक्षा नीति लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को बधाई देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति भारत के भविष्य को संवारने में मददगार होगी। इसमें शिक्षा पर जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च करने और कक्षा पांच तक मातृभाषा में शिक्षा देने की बात कही गई है। पारम्परिक मूल्यों का समावेश करते हुए नई शिक्षा नीति को आने वाले समय की चुनौतियों के अनुरूप बनाया गया है।

श्री भरत मंदिर के तीसरे महंत बने वत्सल प्रपन्न शर्मा, नगर में उत्साह

हृषीकेश नारायण श्री भरत मंदिर गद्दी पर महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा तीसरे महंत के रूप में विराजमान हुए। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज की अध्यक्षता में आयोजित पट्टाभिषेक महोत्सव में साधु समाज सहित नगर के तमाम लोगों ने शिरकत की। जनप्रतिनिधियों, समाजिक कार्यकर्ताओं, व्यापारियों सहित आम नागरिकों ने उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

शुक्रवार को पट्टाभिषेक महोत्सव वैष्णव परंपरा के साथ आयोजित किया गया। ब्रह्मलीन महंत अशोक प्रपन्नाचार्य के गुरुस्थान से महंत हरिनारायणचार्य महाराज, डा. रामकमल दास वेदांती महाराज, उत्तराखंड पीठाधीश्वर कृष्णाचार्य महाराज, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, हनुमंत पीठाधीश्वर स्वामी डा. रामेश्वरदास महाराज, जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा को महंताई की चादर ओढ़ाकर पट्टाभिषेक किया। 
बीते आठ जुलाई को श्री भरत मंदिर के महंत अशोक प्रपन्नाचार्य ब्रह्मलीन हो गए थे। उनके बाद से ही श्री भरत मंदिर की गद्दी का स्थान रिक्त चल रहा था।

एक नजर महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा पर…
ऋषिकेश। 15 जनवरी 1983 को महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा का जन्म स्व. महंत अशोक प्रपन्नाचार्य व निशा शर्मा के घर हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा द दून स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने मास्टर आफ बिजनेश एडमिनिस्ट्रेटर किया। अपने छोटे भाई वरूण शर्मा के साथ उन्होंने बाल्यावस्था में स्वामी अहोवल मठ में वैष्णव परंपरा की दीक्षा वर्ष 1995 में ग्रहण की। विन्रम स्वभाव के वत्सल शर्मा शुरूआत से ही स्व. पिता महंत अशोक प्रपन्नचार्य के साथ श्री भरत मंदिर प्रबंधन के साथ जुड़े रहे।

कार्यक्रम में यह भी रहे मौजूद
ऋषिकेश। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, मेयर अनिता ममगाई, अखाड़ा परिषद के महामंत्री महामंडलेश्वर हरिगिरी, निर्मल आश्रम के महंत राम सिंह महाराज, महंत जोध सिंह महाराज, झंडा दरबार देहरादून के महंत देवेन्द्र दास महाराज, तुलसी मानस मंदिर हरिद्वार के महंत महामंडलेश्वर अर्जुनपुरी महाराज, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी महाराज, दक्षिणकालीपीठाधीश्वर महामंडलेश्वर कैलाशनंद ब्रह्मचारी, अवधूत बाबा अरूण महाराज, भरत मिलाप आश्रम के परमाध्यक्ष महंत रामकृपालुुदास महाराज, रामानंदाश्रम के परमाध्यक्ष महंत अभिरामदास महाराज, कैलाश पीठाधीश्वर मुनिकीरेती के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर दिव्यानंद महाराज, हरिहर पीठाधीश्वर हरिद्वार आश्रम के महंत प्रेमानंद महाराज, शिवानंद आश्रम के अध्यक्ष योग स्वरूपानंद महाराज, रामतपस्थली ब्रह्मपुरी परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वरदास महाराज, महंत अखंडानंद महाराज, महंत हरिनारायण महाराज, महंत विश्वेश्वरानंद महाराज, मौनीबाबा महाराज, श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेन्द्रजीत सिंह बिंद्रा, स्वामी पदभनामानंद महाराज आदि शामिल रहे।

पीएम मोदी ने उत्तराखंड को कई सौगातें दीः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अन्तर्गत बने ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का स्थलीय निरीक्षण किया। यहां मुख्यमंत्री ने पौधा रोपण भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने रेल विकास निगम लि. के अधिकारियों से रेलवे स्टेशन में अवस्थापना सुविधाओं की जानकारी ली।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि योग नगरी ऋषिकेश में बने इस रेलवे स्टेशन को आधुनिक स्वरूप दिया गया है। रेलवे स्टेशन के निर्माण में पर्यावरणीय अनुकूलन का विशेष ध्यान रखा गया है। बुजुर्गों व दिव्यागों के हिसाब से अलग से यूटिलिटी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद प्रदेशवासियों को आवागमन की सुविधा तो होगी ही, साथ ही बद्रीनाथ एवं केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को भी काफी सुविधा होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अवस्थापना विकास के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को कई सौगातें दी हैं। ऑल वेदर रोड, हवाई कनेक्टिविटी एवं रेल लाईनों के निर्माण से उत्तराखण्ड में आवागमन की सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। डोईवाला-उत्तरकाशी रेल लाईन बनने के बाद उत्तराखण्ड के चारों धाम रेल कनेक्टिविटी से जुड़ जायेंगे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने रेलवे स्टेशन के निरीक्षण के बाद चन्द्रेश्वर नगर, ऋषिकेश में बन रहे 7.5 एमएलडी के मल्टीपर्पज सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण भी किया। यह एसटीपी नमामि गंगे योजना के तहत उत्तराखण्ड पेयजल निगम द्वारा बनाया गया है। 12 करोड़ रूपये की लागत के इस एसटीपी से चन्द्रेश्वर नाला, ढ़ालवाला नाला एवं श्मशान घाट नाला को टेप करने के बाद शोधन किया जा रहा है। शोधित जल की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप होने पर गंगा नदी में छोड़ा जा रहा है। यह भारत का पहला एसटीपी है, जिसे बहुमंजिला ईमारत के रूप में तैयार किया गया है। इसकी ऊंचाई 21 मीटर है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि गंगा कि निर्मलता एवं अविरलता बनाये रखने के लिए नमामि गंगे के तहत प्रदेश में विभिन्न जगहों पर एसटीपी बनाये जा रहे हैं। गंगा की निर्मलता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रयासों से नमामि गंगे के तहत देशभर में अनेक कार्य हो रहे हैं। एसटीपी से शोधित जल का सिंचाई के लिए भी उपयोग किया जायेगा।

कुंभ मेले में मान्यताओं एवं परम्पराओं का रखा जायेगा ध्यान, निर्धारित समय पर होगा आयोजनः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में नगर विकास मंत्री मदन कौशिक एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी एवं अन्य अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ आगामी कुम्भ मेले के आयोजन के संबंध में विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अखाड़ा परिषद के सदस्यों के विचार एवं सुझावों पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने अखाड़ा परिषद के सदस्यों से अपनी समस्याओं से नगर विकास मंत्री को अवगत कराने को कहा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2021 में हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुम्भ निर्धारित समय पर आयोजित होगा। इसका स्वरूप कैसा रहेगा यह उस समय की परिस्थितियों पर भी निर्भर रहेगा। उन्हो।ने कहा कि अखाड़ों द्वारा श्रद्धालुओं के लिये अपने स्तर पर की जाने वाली व्यवस्थाओं के लिये जिनके पास भूमि उपलब्ध होगी उन्हें ग्रान्ट के रूप में धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी, कार्यों की गुणवत्ता आदि की जांच हेतु विभागीय अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्भ से पूर्व हरिद्वार में संचालित सभी स्थायी निर्माण कार्य पूर्ण कर दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि हरिद्वार को जोड़ने वाले पुलों एवं सड़कों के निर्माण में भी तेजी से कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अखाड़ा परिषद के सदस्यों को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान किया जायेगा। अखाड़ों को जोड़ने वाली सड़कों के पुनर्निर्माण के साथ ही अतिक्रमण को हटाने तथा साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने मुख्यमंत्री से हरिद्वार कुम्भ मेले में घाटों का नाम 13 अखाड़ों के ईष्ट देवों तथा सेक्टरों के नाम भी अखाड़ों के नाम पर रखे जाने का अनुरोध किया। उन्होंने अखाड़ों को दी जाने वाली धनराशि से होने वाले कार्यों की गुणवत्ता की जांच आदि के लिये किसी अधिकारी को नामित करने का भी अनुरोध किया, उन्होंने अखाड़ों के सम्पर्क मार्गों की मरम्मत, बिजली, पानी, साफ-सफाई, शौचालयों की मरम्मत आदि के लिए भी मेले से जुड़े अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध मुख्यमंत्री से किया।

रमेश भट्ट के नए गीत का टीजर लांच, ’’मेरी शान उत्तराखण्ड’’ स्वरोजगार अपना रहे युवाओं को समर्पित

कोरोना संकट के बीच अपने घर लौटे प्रवासियों के उत्साहवर्धन के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट का गीत जल्द ही सामने आने वाला है। रमेश भट्ट ने ‘मेरी शान उत्तराखण्ड’ नाम के गीत का एक टीजर अपने फेसबुक पेज पर डाला है, जिसे बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

जय जय हो देवभूमि गीत से धूम मचा चुके रमेश भट्ट का नया गीत ‘मेरी शान उत्तराखण्ड’ बेहद ही खास है और यह जल्द ही सामने आने वाला है। फिलहाल इस गीत के पोस्ट प्रोडक्शन का काम चल रहा है।

इस गीत की खासियत ये है कि इस गीत में कोरोना संक्रमण के चलते घर लौटे प्रवासियों को नई दिशा मिलेगी। देवभूमि उत्तराखंड की महिमा का वर्णन करते हुए रमेश भट्ट ने इस गीत के माध्यम से प्रदेश युवाओं से स्वरोजगार अपनाने और अपनी माटी को संवारने की अपील की है। गीत के बोल हर उत्तराखण्डी में जोश भरने वाले हैं।

फेसबुक में लिंक को देखने के लिए यहां क्लिक करें…
https://www.facebook.com/947292551970436/posts/3451340721565594/

खासतौर से युवाओं से किया गया आह्वाहन स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। रमेश भट्ट का कहना है कि प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का जो संकल्प लिया है, वो हर भारतीय को प्रेरित करता है। मुख्यमंत्री ने भी कोरोना संकट को अवसर मानते हुए स्वरोजगार के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। इन्हीं बातों को सोचकर ये ख्याल आया कि क्यों न घर लौटे युवाओं को प्रेरित किया जाय। उनमें जोश भरा जाय, ताकि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी यहां के काम आ सकें, मैं समझता हूं, गीत संगीत इस संदेश को पहुंचाने का सशक्त माध्यम है। उत्तराखण्ड में वो तमाम संसाधन, वो तमाम खूबियां मौजूद हैं जिनका सही इस्तेमाल करके हम उत्तराखण्ड को आत्मनिर्भर बना सकते हैं, ऐसी ही सोच मुख्यमंत्री की भी है। हम सब आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड बनाने के लिए संकल्पित हैं।*

अजय ढौंडियाल के निर्देशन में तैयार हो रहे इस गीत के बोल स्वयं रमेश भट्ट ने लिखे हैं, जबकि ईशान डोभाल ने संगीत तैयार किया है। सिनेमैटोग्राफी संदीप कोठारी ने की है। जल्द ही शिल्पा प्रोडक्शन के बैनर तले यह गीत सबके सामने होगा।

गंगानगर को अब कहा जाएगा शहीद प्रदीप सिंह रावत द्वार

गंगानगर के मुख्य द्वार पर शहीद प्रदीप सिंह रावत के नाम का द्वार स्थापित हो गया है। इसी के साथ इस गंगानगर को अब शहीद प्रदीप सिंह रावत द्वार के नाम से जाना जाएगा। 12 अगस्त को शहीद की दूसरी पुण्यतिथि पर इस द्वार का लोकार्पण विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल करेंगे।

बता दें कि 12 अगस्त 2018 को उड़ी सेक्टर में तैनात तीर्थनगरी के बहादुर जाबांज प्रदीप रावत पुत्र कुंवर सिंह रावत वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनकी शहादत पर पूरी तीर्थनगरी सहित उत्तराखंड गमगीन हुआ था। शहीद की अंतिम यात्रा में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा, जो घर से निकलकर नमन करने न आया हो। शहीद की अंतिम यात्रा में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने उनके घर अपर गंगानगर के मार्ग को शहीद प्रदीप रावत द्वार बनाने की घोषणा की थी। शहीद की पहली पुण्यतिथि 12 अगस्त 2019 को विस अध्यक्ष ने इस द्वार का शिलान्यास किया था। एक साल के भीतर यह द्वार बनकर तैयार हो गया है। अब दूसरी पुण्यतिथि के दिन इस द्वार का लोकार्पण किया जाना है। लोकार्पण के साथ ही अपर गंगानगर को लोग शहीद प्रदीप रावत द्वार के नाम से जानेंगे।

एक नजर शहीद प्रदीप रावत पर…
ऋषिकेश। 10 अक्टूबर 1990 को सैनिक कुंवर सिंह रावत के परिवार में हुआ। तीन बहनों के एकलौते भाई प्रदीप ने प्रारंभिक शिक्षा भगवती देवी पूर्णानंद महाराष्ट्र निवास सरस्वती शिशु मंदिर से की। इसके बाद कक्षा छह से उन्होंने सरस्वती विद्या मंदिर आवास विकास तथा 12वीं की परीक्षा उन्होंने श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज से उत्तीर्ण की। 19 मार्च 2010 में उन्होंने सेना में दाखिला पाया। 10 अक्टूबर 2013 को स्पेशल फ्रन्टियर फोर्स में उनका चयन किया। 02 अप्रैल 2017 में उनकी तैनाती उड़ी सेक्टर में हुई। इसके बाद 12 अगस्त 2018 को वह सीमा पर शहीद हो गए।

मुख्यमंत्री ने किसके लिए कहा, सोशल मीडिया के नाम पर कलंक है, पढ़े पूरी खबर

(एनएन सर्विस)
राज्य में अब सोशल मीडिया की गतिविधियां पर खुफिया विभाग की नजर होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने खुफिया तंत्र से जुड़ी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वह सोशल मीडिया पर निगाह रखे। यह जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत से बातचीत के दौरान कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बार सोशल मीडिया असामाजिक हो जाता है। उसमें तमाम तरह के ऐसे लोग आ गए हैं जिन्हें देखकर कई बार लगता है कि वो सोशल मीडिया के नाम पर कलंक हैं। वे अपराध कर रहे हैं। इसलिए खुफिया विभाग को सोशल मीडिया पर निगाह रखने को कहा गया है। वे ये देखेंगे कि कहीं किसी का कोई खास एजेंडा तो नहीं है। खुफिया विभाग की उन पर लगातार नजर लगी रहनी चाहिए। जो अच्छे लोग हैं, उन्हेें शाबाशी मिलनी चाहिए।
वहीं, मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के मामलों की समयबद्ध जांच की वकालत की। विजिलेंस विभाग को गोपनीय के स्थान पर खुले रूप से जांच करने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि जांच का फायदा तभी होता है, जब वह समयबद्ध हो। अगर वह समयबद्ध नहीं होती है तो कई बार उसके परिणाम भी प्रतिकूल हो जाते हैं। जो अपराधी होता है, वो अपने बचने के तमाम तौर तरीके निकाल लेता है। इसलिए जांच समयबद्ध होनी चाहिए, तभी उस पर प्रभावी कार्रवाई हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि करप्शन को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि जब मैंने शपथ ली थी, तभी मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कह दिया था कि हम जीरो टालरेंस की नीति पर काम करेंगे। यह तब तक रहेगी जब तक हम हैं। अगर हमारे पास कोई भी तथ्यात्मक जानकारी आती है, उस पर एक्शन करेंगे। हमने एक्शन किए हैं, आगे भी करेंगे।

चौरासी कुटिया को भव्य बनाने के लिए जल्द ही निविदाएं आमंत्रित की जाएगीः डा. हरक

वन मंत्री हरक सिंह रावत शुक्रवार को तीर्थनगरी पहुंचे। वह यहां से श्रीनगर की ओर जा रहे थे, तभी पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया। पत्रकारों की ओर से चौरासी कुटिया के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चौरासी कुटिया का विकास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा। बकायदा शासन स्तर पर इसका रोडमैप तैयार कर लिया गया। जल्द इस संबंध में निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी।

उन्होंने कहा कि तीर्थगरी में स्थित चौरासी कुटिया दुनिया में अपनी पहचान रखती है। लेकिन, हम अभी तक उसे भव्य स्वरूप प्रदान नहीं कर पाए है। लेकिन अब इस संबंध में शासन स्तर पर रोडमैप तैयार कर लिया गया है। इसके लिए प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन को जिम्मेदारी सौंपी गई है। चौरासी कुटिया को भव्य और दिव्य रूप प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी। इसके बाद के विकास का कार्य किया जाएगा।

डॉ. हरक सिंह रावत ने संजय झील के विकास और वन भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों को लेकर भी बातचीत की। उन्होंने कहा संजय झील के विकास में उनके विभाग की ओर से कोई अड़चन नहीं आने दी जाएगी। उनका मानना है कि यह एक थीम पार्क बने, जो शहर की सुंदरता को और बढ़ाए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जो भी मदद चाहिए होगी, उनकी तरफ से दी जाएगी। इसके अलावा वन भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों को लेकर उन्होंने कहा इस संबंध में विभाग जरूरी कानूनी प्रक्रिया को अपनाकर कब्जों को हटाने का काम कर रहा है।

उत्तराखंड अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को देगा गंगाजल

उत्तराखंड सचिवालय में कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने मीडिया से मुखातिब होते हुए बताया कि इस साल कोविड-19 के चलते इस कांवड़ यात्रा नहीं होगी। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार ने यात्रा को स्थगित करने का यह फैसला सामूहिक तौर पर लिया है। इसे ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करने के बाद महत्वपूर्ण फैसला लिया है। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि राज्य सरकार अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को गंगा जल भेंट करेगी। जिसके बाद इन राज्यों की सरकारें भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए हरिद्वार से गंगा जल ले जाने सकेंगी। केवल हरिद्वार तक ही अनुमति होगी।

मदन कौशिक ने कुंभ 2021 के बारे में बताते हुए कहा कि पहले शाही स्नान से पहले स्थाई निर्माण कार्य पूरे कर दिए जांएगे। इसके लिए बजट की कोई कमी नहीं है।

1. राज्य सरकार आगामी कुंभ मेले के सफल आयोजन हेतु प्रयासरत है। कुंभ का आयोजन निर्धारित समय अवधि में संपन्न हो इसके लिए सभी अखाड़ों की भी सहमति है।
2. कुंभ की व्यवस्थाओं के अंतर्गत किए जा रहे स्थाई प्रकृति के कार्यों को निर्धारित अवधि में पूर्ण करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हरिद्वार को जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों, पुलों आदि के निर्माण, पुनर्निर्माण के कार्य प्रगति पर है।
3. राज्य सरकार सभी 13 अखाड़ों को उनके स्तर पर श्रद्धालुओं के लिए की जाने वाली आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु कुंभ मेला प्रयाग की भांति यथासंभव आर्थिक सहयोग दिए जाने पर विचार कर रही है। इससे अखाड़ों को जन सुविधाओं व मूलभूत सुविधाओं के विकास में सुविधा होगी। कार्यदायी संस्था का भी निर्धारण शीघ्र किया जायेगा
4. जिन अखाड़ों के पास अपनी भूमि उपलब्ध होगी, उन्हीं को अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी। अखाड़ों के अधीन होने वाले कार्यों के लिये कार्यदायी संस्था का भी निर्धारण शीघ्र किया जायेगा।
5. श्रावण माह में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कांवड़ मेले को कोविड-19 के दृष्टिगत स्थगित किया जा रहा है, इस संबंध में यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व हिमाचल के मुख्यमंत्रियों से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की वार्ता हुई है। सभी ने वर्तमान संकट को ध्यान में रखते हुए इसके लिये सहमति जतायी है।
6. कांवड़ के दृष्टिगत पड़ोसी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों, उप राज्यपालों एवं मंत्रिगणों के माध्यम से उनके प्रदेशों को गंगाजल उपलब्ध कराने का अभिनव प्रयास राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा।
7. गंगाजल के लिये हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं को उनके समीप के प्रमुख मंदिरों में गंगा जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। प्रदेश सरकार द्वारा पीतल के बड़े कलशों में हर की पैड़ी से गंगा जल भरकर संबंधित प्रदेशों को उपलब्ध कराया जायेगा।
8. कुंभ मेले के स्थायी प्रकृति के कार्यों की व्यापक समीक्षा के लिये मुख्यमंत्री द्वारा नगर विकास मंत्री, सचिव शहरी विकास एवं मेलाधिकारी की समिति गठित की है। समिति द्वारा कार्यों की नियमित समीक्षा की जायेगी। कुंभ के अंतर्गत किये जाने वाले अस्थायी निर्माण कार्यों के सम्बन्ध में भी शीघ्र निर्णय लिया जायेगा।
9. गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी छड़ी यात्रा का संचालन किया जायेगा। इसमें सीमित लोगों द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। यह यात्रा उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक एकता की प्रतीक है। परम्परानुसार जूना अखाड़े से पवित्र छड़ी यमुनोत्री, गंगोत्री होते हुए केदारनाथ और बदरीनाथ जाती है। बदरीनाथ से यह छड़ी कुमाऊं मंडल के विभिन्न तीर्थ स्थलों से होते हुए वापस जूना अखाड़ा हरिद्वार पहुंचेगी और माया देवी मंदिर में प्रतिष्ठित की जाती है।
10. हरिद्वार में चूंकि प्रति माह कोई न कोई आयोजन होता रहता है अतः अवस्थापना सुविधाओं के विकास से इसमें सुविधा होगी। हरिद्वार में आयोजित होने वाले विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों व आयोजनों में भले ही सीमित संख्या में श्रद्धालु आयें लेकिन आते जरूर हैं।