गुरु नानक देव के विचार आज भी प्रासंगिकः महापौर

श्री गुरु नानक देव जी महाराज का प्रकाशोत्सव तीर्थ नगरी में श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया गया। गुरुद्वारा श्री सिंह सभा में दिन भर रागी जत्थों ने गुरु की महिमा का गुणगान किया। कोरोना काल के चलते बेहद सादगीपूर्ण माहौल में आयोजित हुए। गुरु पर्व के दौरान इस वर्ष गुरु महाराज का लंगर तो नही बरता गया लेकिन फिर भी गुरुद्वारे में अमृत संचार हुआ।
महापौर अनिता ममगाई ने भी संगतों सहित गुरुद्वारा परिसर में मत्था टेक शहर की खुशहाली के लिए अरदास कराई। इस मौके पर महापौर ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी महाराज का प्रकाशोत्सव देेेश और दुनियाभर मेें सिर्फ सिख समाज ही नहीं बल्कि मानवता तथा इंसानियत को मानने वाले दुनिया भर के लोग आज मना रहे हैं। उन्होंनेे गुरु नानक जी को नमन करतेे हुए आमजनमानस सेे उनके बनाये गये सिद्धांतों व उनके आदर्शों पर चलने का आह्वान भी किया।
इससे पूर्व गुरुद्वारा परिसर पहुंची महापौर का गुरुद्वारा श्री सिंह सभा की ओर से सम्मान भी किया गया। गुरुद्वारे में आयोजित दोपहर के दीवान में सरदार गोविंद सिंह, गुरबचन सिंह, मंगा सिंह, सरदार इंद्रपाल सिंह, सरदार मक्खन सिंह, सरदार तेजिंदर सिंह, राजेंद्र सिंह, गुरमीत सिंह, कृपाल सिंह, बूटा सिंह, अजीत सिंह, देवेंद्र सिंह, जसविंदर सिंह, अमनदीप सिंह, प्रदीप सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

गंगा स्नान को प्रशासन ’ना’, गाइडलाइन का पालन करे

हरिद्वार में 30 नवंबर के कार्तिक पूर्णिमा (पूर्णमासी) के गंगा स्नान को प्रशासन ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए रद कर दिया है। बाहरी राज्यों से आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए 29 और 30 नवंबर को हरिद्वार जिले की सीमाएं सील रहेंगी। हरकी पैड़ी पर स्नान पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा। कार्तिक पूर्णिमा का गंगा स्नान रद्द होने के बाद हरकी पैड़ी पर कोई भी यात्री या फिर स्थानीय व्यक्ति स्नान को न पहुंच सके इसके लिए हरकी पैड़ी पर पुलिस का पहरा होगा। हरकी पैड़ी और आसपास के गंगा घाटों में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। इसके लिए नगर कोतवाली पुलिस ने दो प्लाटून पीएसी के अलावा 20 दरोगा और 50 कांस्टबल की मांग की है।
हरिद्वार में 30 नंवबर को होने वाले कार्तिक पूणिमा के स्नान पर रद्द कर दिया गया है। साथ ही सीमाओं पर चैकसी बढ़ाने की तैयारी है। सीमाओं को सील किया जाएगा, ताकि कोई भी यात्री हरिद्वार में न आ सकें। स्थानीय लोगों के लिए भी हरकी पैड़ी पर प्रतिबंध किया गया है। उधर श्रीगंगा सभा और व्यापारी इसका विरोध कर चुके है। इनका कहना है कि हरकी पैड़ी को प्रतिबंध से मुक्त किया जाए। बीते बुधवार को प्रशासन के साथ हुई बैठक में व्यापारी और गंगा सभा के पदाधिकारियों ने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी थी।
जिला प्रशासन के आदेशों के पालन के लिए पुलिस पूरी तरह तैयार हो गई है। हरकी पैड़ी पर स्नान के दिन पुलिस का पहरा रहेगा। हरकी पैड़ी, सीसीआर टॉवर समेत अन्य जगह बैरिकेडिंग भी की जाएगी। इसके लिए दो प्लाटून पीएसी के साथ ही 20 दरोगा और 50 पुलिसकर्मियों की मांग की है। यह पुलिसकर्मी स्नान के दिन ड्यूटी करेंगे। नगर कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह ने बताया कि स्नान के रद्द होने के बाद पुलिसकर्मियों की अतिरिक्त ड्यूटी लगाई जाएगी। इसके लिए डिमांड भेज दी गई है।

अपने घरों में ही मां गंगा का स्मरण कर स्नान करें-अशोक कुमार
पुलिस महानिदेशक लाॅ एंड आर्डर उत्तराखंड अशोक कुमार ने कहा कोविड-19 के दृष्टिगत, 30 नवम्बर 2020 को कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी श्रद्धालुओं से विशेष अपील। उन्होंने कहा कृपया प्रशासन का सहयोग करें और कोरोना काल में अपने घरों में ही मां गंगा का स्मरण कर स्नान करें। आप सभी से अनुरोध है इस वर्ष 30 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर स्नान करने हरिद्वार न आएं।

डूबते सूरज को अघ्र्य देकर व्रती महिलाओं ने की परिवार की सुख समृद्धि की कामना

छठ महापर्व तीर्थनगरी के गंगा घाटों में इस वर्ष अन्य वर्षों की तुलना में सादगी से मनाया गया। जहां प्रत्येक वर्ष पूरा परिवार सामूहिक रूप से गंगा तट पर डूबते सूरज की पूजा करता था, वहीं इस वर्ष परिवार के एक ही सदस्य को आने की अनुमति थी। इसके चलते व्रती महिलाओं ने अपने-अपने घरों की छतों में ही डूबते सूरज को अघ्र्य दिया।

आज सुबह महिलाओं ने गंगा स्नान कर घरों में भगवान सूर्य और छठी मैया की आराधना की। साथ ही पूजन सामग्री की टोकरी तैयार की। दोपहर बाद से ही श्रद्धालुओं ने चंद्रेश्वर नगर, मायाकुंड, शीशमझाड़ी, काले की ढाल, सोमेश्वर नगर, वीरभद्र, आवास विकास, आईडीपीएल, रायवाला, रानीपोखरी आदि क्षेत्रों में गंगा घाटों पर बनाई मेंदी में संकल्प लेकर पूजा की और डूबते सूरज को अघ्र्य देने के लिए गंगा में उतरी। शाम को त्रिवेणी घाट पर दयानंद घाट, रामझूला घाट, साईं घाट आदि पर श्रद्धालु पहुंचे।

नहीं हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम
कोरोना महामारी को लेकर सरकार की ओर से जारी हुई नई गाइडलाइन का पालन करते हुए सार्वजनिक छठ पूजन समिति ने सांस्कृतिक कार्यक्रम न करने का निर्णय लिया। प्रत्येक वर्ष त्रिवेणी घाट पर होने वाले कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है।

केदारनाथ स्थित ईशानेश्वर मंदिर के नव निर्माण में मुंबई के दानी मनोज सोलंकी ने जताई इच्छा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड की बैठक हुई। बैठक में बोर्ड के संचालन से सम्बन्धित विषयों के साथ ही बोर्ड द्वारा तैयार किये विभिन्न ड्राफ्ट रूल को स्वीकृति प्रदान की गई, जिसे शासन को उपलब्ध कराया जायेगा। इसमें पुजारियों, न्यासी, तीर्थ पुरोहितो, पण्डो व हक हकूक धारियों के अधिकारों का विनिश्चय एवं संरक्षण से सम्बन्धित नियमावली भी शामिल है। इस अवसर पर देवस्थानम बोर्ड के लोगो (प्रतीक चिन्ह्) की डिजाइनों पर भी चर्चा हुई। जिनमें कतिपय संशोधन के पश्चात अन्तिम निर्णय लिया जायेगा।
बैठक में श्री बद्रीनाथ धाम में मन्दिर एवं समीपवर्ती स्थलों के विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण के सम्बन्ध में निर्णय लिया गया कि बद्रीनाथ धाम में यात्रियों की संख्या में प्रतिवर्ष हो रही वृद्धि के कारण इस क्षेत्र का विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण आवश्यक है ताकि भविष्य में यात्रियों को दर्शन, यातायात एवं ठहरने की समुचित व्यवस्था हो सके इसके लिए देवस्थानम बोर्ड को इसकी व्यवस्था सौंपे जाने पर विचार किया गया। बोर्ड के स्तर पर इससे सम्बन्धित कार्यवाही सुनिश्चित कर शीघ्र प्रस्ताव तैयार कर शासन को प्रेषित करने पर सहमति बनी। बोर्ड अपने स्तर पर इसके लिये तकनीकि एवं विषय विशेषज्ञों की व्यवस्था भी कर सकेगा। इसके साथ ही बैठक में तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मन्दिर एवं सभा मण्डप आदि के जीर्णोद्धार पर भी सहमति बनी इसके लिये यू.एस.ए. के दानी पंकज कुमार द्वारा धनराशि व्यय करने की इच्छा जतायी है।
केदारनाथ स्थित ईशानेश्वर मन्दिर के नव निर्माण के लिये भी स्वीकृति प्रदान की गई इस मन्दिर के निर्माण के लिये मुम्बई के दानी मनोज सोलंकी ने इच्छा व्यक्त की है। श्री केदारनाथ मन्दिर के पूरब द्वार की मरम्मत पर भी सहमति बनी जिसके लिये धनराशि दानी हरियाणा के श्री यतिन घई ने दान की सहमति दी है।

बैठक में केदारनाथ मे रावल पुजारी आदि के कक्षों की मरम्मत भविष्य में ऊखीमठ मन्दिर के जीर्णोद्वार, बहुमूल्य पाण्डुलिपियों को डिजिटाइल किये जाने, कार्तिक स्वामी मन्दिर को देवस्थानम बोर्ड के अधीन लाये जाने तथा थैलीसैण्ड स्थित विन्देश्वर मन्दिर के जीर्णोद्वार किये जाने पर सहमति प्रदान की गई।
बैठक में मुख्यमंत्री एवं अध्यक्ष, उत्तराखण्ड देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड त्रिवेन्द्र ने यात्रा मार्गो सहित मन्दिर परिसरो में देवस्थानम बोर्ड के साइनेज होर्डिंग आदि लगाये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ, केदारनाथ मन्दिरों के पुजारियों, पण्डों, पुरोहितों, वाद्य यंत्र वादको आदि का विवरण तैयार किया जाय ताकि जरूरत पड़ने पर इन लोगों को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जा सके। उन्होंने कहा कि ये लोग हमारी संस्कृति के संवाहक हैं।
उत्तराखण्ड देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने बताया कि 25 अक्टूबर तक चारधाम में 1.72 लाख यात्री दर्शनार्थ आये हैं तथा 2 लाख द्वारा रजिस्ट्रेशन किया गया है, जबकि बद्रीनाथ मन्दिर को 7.55 करोड़ तथा केदारनाथ मन्दिर को 75 लाख की आय हुई है।
बैठक में कैबिनेट मंत्री एवं उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड सतपाल महाराज, विधायक महेन्द्र भट्ट, गोपाल रावत, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, सचिव वित्त श्रीमती सौजन्या, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, देवस्थानम बोर्ड के अनिल ध्यानी, प्रमोद नोटियाल, डॉ0 हरीश गौड आदि उपस्थित थे।

चारधाम यात्राः विजयादशमी के मौके पर धामों के कपाट बंद होने की तिथियां घोषित

उत्तराखंड के चारधाम यानी (बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के कपाट शीतकाल में किस तिथि को बंद होंगे। इसका ऐलान आज किया गया। बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को तीसरे पहर तीन बजकर 35 मिनट पर बंद होंगे। इसी तरह गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर को दोपहर 12.35 मिनट पर बंद होंगे। वहीं, केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज पर 16 नवंबर को प्रातः 8.30 बजे बंद होंगे। साथ ही यमुनोत्री धाम के कपाट 16 नवंबर और गंगोत्री के कपाट अन्नकूट पर्व पर 15 नवंबर को बंद किए जाएंगे।

शीतकाल के लिए गोपीनाथ मंदिर में विराजित हुए भगवान रूद्रनाथ

भगवान रूद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए है। शनिवार को पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना के बाद भगवान रूद्रनाथ को गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में विराजित किया गया। इससे पूर्व चतुर्थ केदार भगवान रूद्रनाथ को भक्तों ने नए अनाज का भोग लगाया और परिवार की कुशलता की कामना की।

मंदिर के कपाट बंद होने के बाद सुबह सात बजे पंडित महादेव प्रसाद भट्ट के नेतृत्व में रुद्रनाथ की उत्सव डोली पंचगंगा, पित्रधार, पनार बुग्याल, ल्वींटी बुग्याल होते हुए सगर गांव पहुंची। यहां ग्रामीणों ने अपने आराध्य देवता को भोग लगाया और पूजा-अर्चना की। इस दौरान रुद्रनाथ भगवान की पंचमुखी आरती भी की गई।

प्रशासन की अनुमति के इंतजार में रामलीला के कलाकार, मंच सजकर तैयार

कोरोनाकाल में अनलॉक-5 के तहत अब विशेष शर्तों के साथ धार्मिक आयोजनों को अनुमति मिल रही है। वहीं, देहरादून जिले के ऋषिकेश में रामलीला मंचन को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। रामलीला के लिए कलाकारों ने तैयारी तो कर ली है, लेकिन प्रशासन की अनुमति का इंतजार हो रहा है।

अक्टूबर से दिसंबर तक रामलीला, दुर्गापूजा, नवरात्र, दशहरा, ईद, क्रिसमस आदि के आयोजनों को प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है। कोविड 19 की गाइड लाइन के अनुसार कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रमों एवं समारोहों में अधिकतम 200 लोग हिस्सा ले सकेंगे। आयोजकों को मास्क, थर्मल स्क्रीनिंग और दो गज की दूरी आदि नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

इस गाइडलाइन को कुछ दिन पूर्व जारी तो कर दिया गया, लेकिन हकीकत ये है कि रामलीला समितियों को अभी तक प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं मिली है। अनुमति मिलने के बाद ही समितियां आर्थिक व्यवस्था, आयोजन के निमंत्रण, मंचन के लिए आवश्यक तैयारी आदि कर पाएंगी। ऐसे में पहले या दूसरे नवरात्र से रामलीला का मंचन करना कई रामलीला समितियों के लिए मुश्किल होगा।

ऋषिकेश में श्री रामलीला कमेटी सुभाष बनखंडी के महामंत्री हरीश तिवाडी ने बताया कि 1955 से लगातार यहां रामलीला का मंचन किया जा रहा है। रामलीला प्रांगण में हर साल नवरात्र से रामलीला का मंचन आरंभ होता था। इस वर्ष अयोध्या में श्री राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर भी उत्साह का माहौल है। उन्होंने बताया कि इस बार भी रामलीला महोत्सव की सभी
तैयारियां पूर्ण हैं। अब प्रशासन की अनुमति पर आयोजन की स्थिति निर्भर है।

श्री रामलीला कमेटी सुभाष बनखंडी की विशिष्ट पहचान के फलस्वरूप ऋषिकेश के दूर-दूर के स्थानों से श्रद्धालुजन यहां आते रहे हैं। महामंत्री हरीश तिवाडी ने बताया कि चैपाई, रागिनी, गीत संगीत तथा मनोहारी कलात्मक दृश्यों के साथ आयोजित की जाने वाले श्री रामलीला में स्थानीय कलाकारों की ओर से मनोहारी आयोजन किया जाता रहा है। इस वर्ष श्री रामलीला की 62वी पुनरावृत्ति की जा रही है।

इस वर्ष के आयोजन की भी तैयारियां पूरी होने के साथ ही कोविद-19 महामारी के कारण जिला शासन-प्रशासन से आयोजन किये जाने की अनुमति के लिए अनुरोध किया जा चुका है। अनुमति मिलने के बाद ही श्री रामलीला महोत्सव-2020 के आयोजन की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। यदि अनुमति मिलती है तो रामलीला का मंचन सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार किया जाएगा।

शारदीय नवरात्र के नौवें दिन होगा दशहरा, अस्त्र-शस्त्र की पूजा का यह रहेगा समय

कोरोना काल के बीच इस वर्ष शारदीय नवरात्र के नौवें दिन विजयादशमी पर्व पड़ रहा है। इसके अलावा अष्टमी और नवमी की तिथियों की दुर्गा पूजा भी एक ही दिन होगी। नवरात्र को लेकर भक्तों में उत्साह है। सितंबर और अक्टूबर में आने वाले नवरात्र को शरदीय नवरात्र कहा जाता है।

17 अक्तूबर से शुरू होने जा रहे शारदीय नवरात्र में इस बार अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, 24 अक्तूबर को सुबह 6रू58 बजे तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी लग जाएगी। ऐसे में अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन करने वाले भक्त इसी दिन पूजा कर सकते हैं। अष्टमी और नवमी तिथियों की दुर्गापूजा एक ही दिन होगी। नवमी की तिथि को विजयदशमी पर्व मनाया जाएगा।

अधिमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास 16 अक्टूबर को संपन्न होने जा रहा है। इसके बाद माता की भक्ति और उपासना का मुख्य पर्व 17 अक्तूबर से शुरू हो जाएगा, जो इस बार नौ की जगह आठ दिन का रहेगा। 17 से 24 अक्तूबर तक नवरात्र और उसके अगले दिन 25 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।

नवरात्र के नौवें दिन दशमी अर्थात दशहरा होगा। 23 अक्टूबर को सुबह 6ः55 बजे अष्टमी लगेगी, जो 24 की सुबह 6ः54 तक रहेगी। इसके बाद 6ः55 पर नवमी लग जाएगी। उन्होंने बताया कि हवन और कन्या पूजन नवमी को होगा। इसके बाद विजयदशमी पर मध्याह्न में अस्त्र शस्त्र पूजन होगा और दशहरा पूजन का समय दोपहर 1ः52 से 2ः38 तक रहेगा।

मुहूर्त का समय
अश्विनी घटस्थापना शनिवार, 17 अक्टूबर, 2020, घटस्थापना मुहूर्त – प्रातः 06ः23 से प्रातः 10ः12 तक, अवधिः 03 घंटे 49 मिनट

मुख्य हरकीपैड़ी क्षेत्र में आम लोगों को स्नान के लिए अनुमति नहीं

2021 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ मेला में सिर्फ मुख्य स्नान पर ही श्रद्धालुओं के लिए पास की व्यवस्था होगी। इसके अलावा सामान्य दिनों में कोई भी श्रद्धालु आकर गंगा में स्नान कर सकता है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने इसकी पुष्टि की है।
उन्होंने बताया कि शाही स्नान का दिन और समय तय होता है। कौन सा अखाड़ा किस समय स्नान करेगा, यह पूर्व निर्धारित होता है। इस दौरान मुख्य हर की पैड़ी क्षेत्र में आम लोगों का स्नान नहीं होता है।

उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर मुख्य स्नान के दिन करोड़ों लोगों के हरिद्वार आने की संभावना रहती है। इसलिए सरकार मुख्य स्नान पर पास व्यवस्था लागू करने पर विचार कर रही है। इसके लिए देखा जा रहा है कि हरिद्वार के घाटों की क्षमता कितनी भीड़ वहन करने की है। इसी आधार पर मुख्य स्नान के दिन श्रद्धालुओं की संख्या तय की जा सकती है। हालांकि इस पर विचार ही चल रहा है, अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।

अन्य आध्यात्मिक स्थलों को भी बदरीनाथ के मास्टर प्लान में शामिल किया जाएः मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। साथ ही श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की भी जानकारी दी गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव दिलीप जावलकर आदि उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने निर्देश दिये कि श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि वहां का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व बना रहे। मिनी स्मार्ट, स्पिरीचुअल सिटी के रूप में विकसित किया जाए। होम स्टे भी विकसित जा सकते हैं। निकटवर्ती अन्य आध्यात्मिक स्थलों को भी इससे जोङा जाए। बदरीनाथ धाम के प्रवेश स्थल पर विशेष लाइटिंग की व्यवस्था हो जो आध्यात्मिक वातावरण के अनुरूप हो। बद्रीनाथ का मास्टर प्लान का स्वरूप पर्यटन पर आधारित न हो बल्कि पूर्ण रूप से अधात्मिक हो। प्रधानमंत्री ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की।

बदरीनाथ व केदारनाथ धाम में स्थानीय लोगों को मिल रहा सहयोग
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि बदरीनाथ धाम व केदारनाथ धाम के विकास कार्यों में स्थानीय लोगों का सहयोग मिल रहा है। निकटवर्ती गांवों में होम स्टे पर काम किया जा रहा है। सरस्वती व अलकनंदा के संगम स्थल केशवप्रयाग को भी विकसित किया जा सकता है। बदरीनाथ धाम में व्यास व गणेश गुफा का विशेष महत्व है। इनके पौराणिक महत्व की जानकारी भी श्रद्धालुओं को मिलनी चाहिए। बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर काम करने में भूमि की समस्या नहीं होगी। केदारनाथ की तरह बद्रीनाथ में भी 12 महीने कार्य किए जाएंगे।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना और चारधाम राजमार्ग परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इससे श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा काफी सुविधाजनक हो जाएगी।

बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि इसमें 85 हैक्टेयर क्षेत्र लिया गया है। देवदर्शिनी स्थल विकसित किया जाएगा। एक संग्रहालय व आर्ट गैलेरी भी बनाई जाएगी। दृश्य एवं श्रव्य माध्यम से दशावतार के बारे में जानकारी दी जाएगी। बदरीनाथ मास्टर प्लान को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मास्टर प्लान को पर्वतीय परिवेश के अनुकूल बनाया गया है।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य के समाधि स्थल का काम तेजी से चल रहा है। सरस्वती घाट पर आस्था पथ का काम पूरा हो गया है। दो ध्यान गुफाओं का काम इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएगा। ब्रह्म कमल की नर्सरी के लिए स्थान चिन्हित कर लिया गया है। नर्सरी के लिए बीज एकत्रीकरण का कार्य किया जा रहा है। ब्रिज का पुनर्निर्माण कर लिया गया है।