जैन समाज ने महावीर जंयती पर निकालीं शोभायात्रा

ऋषिकेश।
रविवार को भगवान महावीर की जयंती पर श्री दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर से भव्य रथयात्रा निकालीं गई। श्रद्धालु जय महावीरा के जयघोष के साथ रथयात्रा में शामिल हुये। जैन धर्म के 24वें भगवान महावीर की 2616वीं जयंती ऋषिनगरी में धूमधाम से मनायी गयी। जैन श्रद्धालुओं ने ध्वजारोहण से जन्मोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत की। उसके बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने महावीर की प्रतिमा को रथ पर विराजमान कर बैंडबाजे के साथ नगर में शोभायात्रा निकाली।
गौरतलब है कि जैन धर्म के 24वें भगवान महावीर की जयंती को अहिंसा दिन के रुप में मनाया जाता है। नगर के विभिन्न मार्गों में रथयात्रा का फूल वर्षा के साथ स्वागत किया गया। इससे पूर्व देहरादून से आये सुनील जैन, प्रशिक्षु आईपीएस निहारिका भट्ट, देवबंद से आये प्रवीण कुमार जैन ने रथयात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। वक्ताओं ने भगवान महावीर के बताये मार्गों व सिद्धातों पर चलने का आह्वान किया।
महावीर जंयती पर आयोजित रथयात्रा में कैम्ब्रिज पब्लिक स्कूल इन्द्रानगर के छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। छात्रों ने जैन धर्म की विशेषता व संस्कृति का परिचय भी दिया। छात्रों की प्रस्तुति को दर्शकों ने सराहा। कार्यक्रम में ऋषभ, सलोनी, अभिजय, तनु, प्रियांशी, तनिशा, राधिका, अंकित, आर्यन, हर्ष, आरुषि, अंशिका, अनिशा, सत्यम आदि छात्रों ने प्रस्तुति दी। मौके पर प्रधानाचार्य रमा जैन, प्रबंधक मुकेश जैन, अध्यापिका कविता, प्रीति, कमलप्रीत, माया, मंजू, नीलम, किरन आदि मौजूद रहे।

श्रीराम जन्मोत्सव पर नगर में निकाली शोभायात्रा

ऋषिकेश।
बुधवार को राम नवमी के उपलक्ष्य में गोपाल मंदिर ने शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा लक्ष्मणझूला, क्षेत्र बाजार, पुराना टिहरी बस अड्डा मार्ग, मेन बाजार, घाट रोड, हरिद्वार रोड, तिलक रोड, रेलवे रोड होते हुए मंदिर परिसर मुखर्जी मार्ग में संपन्न हुई। शोभायात्रा में दुर्गा माता की झांकी, रामदरबार, विराटराम, पंचवटी, शिव पूजा, कैलाश पर्वत, केवट लीला, वीर बंजरंग बली, राधा कृष्ण और शंकर पार्वती के नृत्यों की झांकियों को दर्शाया गया। बैंड की धुन और शोभायात्रा के दृश्यों को दर्शकों ने खूब सराहा।
इस मौके पर ब्रदीनारायण मिश्र, सतवीर पाल, संजय नागपाल, गौरव यादव, मोहन लाल, बंटी वर्मा, रुपेश कपूर, अभिषेक यादव, जगमोहन मिश्रा, शिवमोहन मिश्रा, प्रभाकर शर्मा, रवि कुन्दनानी, अखिलेश, सचिन आहूजा, संजय शर्मा, हरिमोहन, मिलन, अमित, श्याम, दीपक, ध्रुव, शैलेन्द्र साहनी, जुगल, बब्बल, नरेन्द्र वर्मा, हेमन्त गुप्ता, अनिरुद्ध अग्रवाल आदि मौजूद थे।

नवरात्रों में वास्तु के हिसाब से रखें अंखंड ज्योति

चैत्र नवरात्रि का महापर्व शुरू हो चुका है और भक्‍तों के लिए इसके नौ दिन बेहद बेहद खास होते हैं। खास तौर से घर में घट (कलश) स्‍थापना करने वालों के लिए, जिसका वास्‍तु शास्‍त्र में भी विशेष महत्‍व होता है और अगर वास्‍तु के अनुसार अगर इसे किया जाए तो यह और भी ज्‍यादा शुभ व फलदायी साबित हो सकता है। इसके लिए बस कुछ खास बातों का ध्‍यान रखने की जरूरत है, जैसे कि कई लोगों को इस बात का पता नहीं होगा कि नवरात्रि में अखंड ज्‍योति को किस दिशा में जलाकर रखना चाहिए। तो चलिए आपको इसी तरह के नवरात्रि पूजा व घट स्‍थापना से जुड़े वास्‍तु नियमों से अवगत कराते हैं।
ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा को देवी-देवताओं का स्थान माना गया हैं। इसी दिशा में माता की प्रतिमा और घट की स्थापना करना उचित व शुभ होता है। कलश को गलती से भी नीचे जमीन पर ना रखें, बल्कि चंदन के पटिए पर इसकी स्थापना करें। यह बहुत ही शुभ माना जाता है। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि पूजा वाली जगह के ऊपर कोई गंदे कपड़े आदि पड़े हुए ना हो।
जिस जगह पर माता की प्रतिमा को स्थापित किया गया है, वहां के आस-पास की जगह को थोड़ा खुला रखें। अगर आपने नवरात्र में अखंड ज्यो​ति जलाने का संकल्प लिया हैं तो इसे गलत दिशा में ना रखें। अखंड ज्यो​ति पूर्व-दक्षिण कोण यानि आग्नेय कोण में ही रखने पर शुभ होता हैं। ध्यान रहें पूजा के समय इसका मुंह पूर्व या फिर उत्तर दिशा में होना चाहिए। नवरात्रि में कुछ लोग अपने घर पर लगे ध्वज को भी बदलते हैं, मगर इस बार उसे बदलते हुए उसकी दिशा को ध्यान में जरूर रखें। घर की छत पर उत्तर-पश्चिम कोने पर ही उसे लगाएं।

गंगा किनारे विशेष धर्म का निर्माण बर्दाश्त नहीं: भगवान

ऋषिकेश।
गुरुवार को हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश सह संगठन मंत्री भगवान कार्की ने गंगा किनारे विशेष धर्म के निर्माण को लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहाकि गंगातटों के आसपास इनके निर्माण को बर्दाश्त नही किया जायेगा। टो टूक शब्दों में कार्की ने प्रशासन को चेतावनी दी कि कुनाऊ गांव में गंगा किनारे विशेष धर्म का निर्माण नही होना चाहिये। उन्होंने बैराज रोड स्थित एक केन्द्रीय संस्थान में कार्यरत डॉक्टर की भूमिका पर भी सवाल खड़े किये।
भगवान कार्की ने प्रशासन से वर्षों से अवैध रुप से हो रहे जंगलों के कटान और संदिग्ध लोगों की भूमिका की जांच की मांग भी की। मंच के कार्यकर्ताओं ने यूपी की तर्ज पर प्रदेश में भी कार्रवाई करने की मांग राज्य सरकार से की है। मौके पर संजीव चौहान, नवनीत राजपूत, विकास सेमवाल, भूपेन्द्र राणा, संजय भट्ट, बृजेश चतुर्वेदी, भरत लाल, गजेन्द्र नागर, राजू प्रजापति, जितेन्द्र धाकड़, मुकेश पांडे, पवनजय, राहुल त्रिपाठी, मुकेश, रामजी, मोहनलाल आदि मौजूद थे।

राम मंदिर बनाने को संत समाज सक्रिय

हरिद्वार।
यूपी में भाजपा के बहुमत हासिल करने के बाद अब संत समाज और अखाड़ा परिषद को राम मंदिर बनने की उम्मीद जगी है। वहीं कोर्ट द्वारा मामले को आपसी रज़ामंदी से सुलझाने पर भी संत समाज विचार करने के मूड में है। इसी को लेकर आज संतों ने हरिद्वार में एक अहम बैठक आयोजित की।
अखाड़ा परिषद् के प्रवक्ता मोहन दास बाबा ने राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया है उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण हिन्दुओ की आस्था से जुड़ा हुआ मामला है बीजेपी अगर पूर्ण बहुमत में भी राम मंदिर का निर्माण नहीं कर पाती तो साधु संतो का बीजेपी से विश्वास समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अखाडा परिषद् जल्द राम मंदिर मसले पर बैठक करेगा उन्होंने कहा कि मुस्लिम धर्मगुरु से भी इस सम्बन्ध में बैठक कर विचार विमर्श करेगा
स्वामी हरिचेतनानंद ने कोर्ट का स्वागत करते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय भी जानता है कि वहां रामलला का मंदिर है और पूजा होती है इसलिए उन्हें आगे बढ़कर इस कार्य को संपन्न कराने में मदद करनी चाहिए। संत महेश्वर दास का कहना है कि ये भगवन राम की जन्म भूमि है यदि देश के सभी नागरिकों को इस मंदिर मस्जिद के विवाद से ऊपर उठकर मुद्दे को सुलझाने की ज़रुरत है जिसपर सबको एक समाधान निकालना चाहिए 67 वर्ष बाद अब समाधान निकालना चाहिए। स्वामी ज्ञान देव का कहना है कि जन्म भूमि पर राम मंदिर बनना चाहिए ये कार्य बिना सद्भाव के नहीं हो सकता।

ऋषिकेश में इंडोनेशिया हिन्दू समुदाय केन्द्र खोलने पर मंथन

ऋषिकेश।
गुरुवार को परमार्थ निकेतन में आयोजित चर्चा में धर्मगुरुओं ने ऋषिकेश के गंगा तट पर इंडोनेशिया हिन्दू समुदाय केन्द्र खोलने पर गहन मंथन किया। धर्मगुरुओं ने कहा कि यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान का ऐसा केन्द्र होगा। जहां पर इन्डोनेशिया के संगीतप्रेमी व संस्कृति के वाहक उत्तराखंड की भूमि पर आ सकेंगे। यहां योग की संस्कृति को आत्मसात कर अपने जीवन में बदलाव लायेंगे। स्वामी चिदानन्द मुनि ने कहा कि भारत की संस्कृति और सभ्यता संसार की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। इसमें योग और आयुर्वेद जैसे खजानों के राज छुपे हुये है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक आदन-प्रदान के केन्द्र स्थापित करते है तो इससे अनेक समस्याओं का हल सहजता से निकाला जा सकता है।
गांधीपुरी आश्रम के संस्थापक इन्द्रा उद्यान ने कहा कि यह सांस्कृतिक केन्द्र दो परम्पराओं एवं संस्कृतियों के मिलन का केन्द्र होगा। इंडोनेशिया व बाली के लोग भी भारतीय आध्यात्म, योग एवं आयुर्वेद को आत्मसात कर पायेंगे। बाली से आये प्रतिनिधिमण्डल ने विश्व के सभी व्यक्तियों तक शुद्ध जल एवं शुद्ध प्राणवायु की उपलब्धता को लेकर वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी में सहभाग किया। चिदानंद मुनि ने पर्यावरण व जल स्रोतो को संरक्षित करने का संकल्प करवाया।

मैं आयों तेरे द्वार राधिका रंगू चुनरिया तेरी …

ऋषिकेश।
रविवार को श्री गंगा महासभा के होली मिलन कार्यक्रम में देहरादून के कलाकारों ने समा बांध दिया। स्थानीय गायक विजेन्द्र वर्मा ने भजनों से कार्यक्रम की शुरुआत की। होली मिलन के मधुर संगीत से गंगातट गुंजयमान रहा। सिया संग झूले बगिया में राम ललना, बंसी वाले ने घेर लई भजन पर श्रद्धालु श्रद्धाभाव से खड़े होकर नृत्य करने लगे। भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का भी कार्यक्रम में मंचन किया गया। होली पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने मां गंगा से परिवार और देश की खुशहाली की कामना की।
सांयकालीन गंगा आरती में श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। उसके बाद श्रीराधा कृष्ण की होली का कार्यक्रम आयोजित हुआ। होहो होहो होरी सुंदर श्याम राधिका गौरी, मल्ल काच सिंगार धरयौ है, रसिया को नारि बनावो री, होली खेल रहे नंद लाल मथुरा की कुंज गलिन में, मैं आयों तेरे द्वार राधिका रंगू चुनरिया तेरी होली के गीतों पर श्रद्धालुओं ने राधाकृष्ण के साथ जमकर फूलों की होली खेली।
कार्यक्रम संपन्न होने के बाद श्री गंगा महासभा की ओर से श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण भी किया गया। मौके पर महासभा के अध्यक्ष चन्द्रशेखर शर्मा, महामंत्री राहुल शर्मा, धीरेन्द्र जोशी, विनोद अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण, भानु पंडित, रिटा. कमिश्नर नरेश भारद्वाज, शिखर शर्मा, वसीकरण शर्मा, प्रखर शर्मा, काव्या शर्मा आदि उपस्थित रहे।

होली का आध्यात्मिक महत्व समझाया

ऋषिकेश।
रविवार को आध्यात्मिक होली महोत्सव में बीके आरती ने मनायेंगे और मनाया शब्द की व्याख्या की। बताया कि जब कोई व्यकित रुठ जाता है तो उसे मनाया जाता है। उन्होंने होली का आध्यात्मिक महत्व समझाया। बताया कि होली का शब्दिक अर्थ हिज होलीवेस है। हम भगवान के लिए हो और तन, मन, धन, समय, संकल्प, सब भगवान के लिए समर्पित हो। जो बात हो ली या बीत गया उसे चिताओ नही। ये तीनों अर्थ हमारे लिए कल्याणकारी है।
शिवबाबा धरती पर अवतरित होकर होली का सत्य अर्थ बताते है। हम शरीर नही है बल्कि आत्मा, जो अमर, अविनाशी है। उन्होंने रंग के सातों गुण बतायें। दूरदर्शन के प्रोड्यूसर बेजू नैय्यर ने कहाकि मृत्यु के बाद भी जीवन है। आत्मा मा्रती नही है। राजयोग के अभ्यास से ही सरल व सही जीवन जिया जा सकता है। कमलकांत मलिक ने राजयोग की महत्ता को जानकर अपना जीवन जीने की सलाह दी। मौके पर मयूर नृत्य और फूलों की होली भी खेली गयी।

परमार्थ में विदेशियों ने खेली होली

ऋषिकेश।
परमार्थ निकेतन में विदेश से आए योग साधकों ने रविवार को परमार्थ के स्वामी चिदानंद मुनि के साथ होली खेली। उन्होंने होलिका पूजन भी किया। चिदानंद मुनि ने होली त्योहार को एकता, पवित्रता, स्वच्छता और सद्भावना का प्रतीक बताया।
रविवार को परमार्थ योग गार्डन में अमेरिका के योगाचार्य टोमी रोजेन तथा उनके साथ आए 40 योग साधकों ने चिदानन्द मुनि के साथ मिलकर होलिका का पूजन किया। चिदानंद मुनि ने विदेशी साधकों को अपने अंदर की बुराइयों के खात्मे के लिए सकंल्प कराया। उन्होंने कहा कि होली का अर्थ है समर्पित हो जाना। जीवन की हर श्वास को अपने प्रभु को अर्पित करना ही होली है। होली अर्थात पवित्रता। जीवन में दिव्यता का समावेश होना। हमें एकता के रंग में रंग जाना चाहिए और मानवता की सेवा में डूब जाना चाहिए। ईश्वर से प्रार्थना है कि इस पर्व पर हम अपने अंदर निहित आनन्द के स्रोत से जुड़ जाएं ताकि जीवन का हर क्षण उत्सव बन सके। होली अर्थात हो ली। जो हो ली वो हो ली। नए ढंग से जीवन को जिएं। एक नए ढंग से जीने का संकल्प लें। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हमें केवल होलिका दहन से मिलने वाले आनन्द को ही याद नहीं रखना चाहिए बल्कि अपने अंदर निहित जो अशुद्ध विचार हैं, उनका भी त्याग करना चाहिए।

विश्व शांति, सदभाव और प्रेम का संदेश देती मणिकूट पर्वत यात्रा

ऋषिकेश।
उत्तराखंड के परंपरागत वाद्ययंत्रों के साथ पूजा-अर्चना के बाद यात्रा को परिक्रमा के लिए रवाना किया गया। यात्रा में श्रद्धालु झूमते और भजन गाते चल रहे थे। परिक्रमा के दौरान बारह द्वारों पांडव गुफा, गरुड़ चट्टी, फूलचट्टी, कालीकुंड, पीपलकोटी, दिउली, कुशाशील, विध्यवासिनी, गोहरी, बैराज, गणेश चौक और भैरव घाटी की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। लक्ष्मणझूला पुल से परिक्रमा के शुभारंभ पर संत राही बाबा ने कहा कि गुरु तत्व को जागृत करने, विश्व कल्याण, देश की एकता अखंडता और मानव जाति के उत्थान के लिए परिक्रमा यात्रा शुरू की गई है। मणिकूट परिक्रमा समिति के कार्यक्रम संयोजक रमेश उनियाल ने कहा कि पैदल चारधाम यात्रा में चट्टियों का खासा महत्व था। यात्रा के दौरान श्रद्धालु रात्रि विश्राम चट्टियों में ही करते थे, लेकिन सड़कें बनने के बाद चट्टियों और पौराणिक स्थलों का महत्व कम होता जा रहा है। इस लिए ऐसे स्थलों के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि संपूर्ण मणिकूट पर्वत को तीर्थ क्षेत्र घोषित कर तीर्थाटन के रूप में विकसित किया जाए।
यात्रा में मणिकूट हिमालय परिक्रमा समिति के सचिव हितेश राही, नीरज राही, रवि शास्त्री, नवीन कुमार, मुकेश रस्तोगी, प्रेम राही, राही बाबा के विदेशी भक्त सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

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