शीतकाल के लिए भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद

रुद्रप्रयाग।
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट पौराणिक परम्पराओ, रीति-रिवाजों व पंचाग गणना के अनुसार शीतकालीन के लिए बन्द कर दिये गये। इस मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने तुंगनाथपुरी पहुंचकर भगवान तुंगनाथ का जलाभिषेक किया।
रविवार को दोपहर 11 बजे मठापति रामप्रसाद मैठाणी, वेदपाठी व हक-हकूकधारियों ने वैदिक मंत्रोच्चारणों, स्थानीय वाद्य यंत्रो की मधुर धुनों के साथ भगवान तुंगनाथ का रुद्राभिषेक व दान किया तथा भृगराज, ब्रह्मकमल, चन्दन, भष्म, अक्षत्र, फल, फलों से भगवान तुंगनाथ के स्ंवयभू लिंग को समाधि दी। समाधि देते ही भगवान तुंगनाथ छः माह शीतकाल के लिए तपस्यारत हो गए। ठीक 12 बजकर बीस मिनट पर तुंगनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बन्द किये गये। हक-हकूकधारियों व पुजारियों ने भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव मूतियांं को डोली में विराजमान कर वस्त्रों व फूलों से सजाया। डोली के साथ चलने वाले देवी-देवताओं के निशानों ने भगवान तुंगनाथ के मुख्य मन्दिर, भूतनाथ, भैरवनाथ, पंच केदार,, पार्वती, रुद्रनाथ मन्दिरों की तीन परिक्रमा की और भोगमण्डी, कार्यकाल कर्मचारियों के आवास व अपने भंण्डारों मे लगे शील व तालों तथा अपने तांबे के बर्तनों की गहनता से जांच की। इसके बाद चल विग्रह उत्सव डोली धाम से प्रस्थान कर सुरम्य मखमली बुग्यालों का भ्रमण कर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंची। 110आज भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली ने चोपता से प्रस्थान कर विभिन्न यात्रों पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुये अन्तिम रात्रि प्रवास भनकुण्ड में करेगी और नौ नवम्बर को भनकुण्ड से प्रस्थान कर विभिन्न यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुये शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ पहुंचकर छः माह शीतकाल के लिए विराजमान होगी। इस मौके पर केदारनाथ के प्रधान पुजार शिवशंकर लिंग, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, उद्योगपति केएस पंवार, प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।

असो हम छठ पूजा करिबे, बाटे महिमा महान गीत ने बांधा समा..

भोजपुरी गायक राजेश व महिमा के गीतों के नाम रही छठ महोत्सव की शाम
त्रिवेणीघाट पर छठ पूजा महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या का समापन

ऋषिकेश।
त्रिवेणीघाट पर आयोजित छठ पूजा महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या का दूसरा दिन भोजपुरी लोक गायक राजेश यादव व गायिका महिमा राज के सुंदर गीतों के नाम रही। इस दौरान असो हम छठ पूजा करिबे, बाटे महिमा महान गीत प्रस्तुति से गायिका महिमा राज ने खूब तालियां बटोरी। वहीं गायक राजेश यादव ने बे पानी पाकिस्तान गीत प्रस्तुत कर पाकिस्तान को जमकर लताड़ा।
रविवार को त्रिवेणीघाट पर सार्वजनिक छठ पूजा समिति की ओर से आयोजित छठ पूजा महोत्सव के दूसरे दिन कार्यक्रम का शुभारम्भ उत्तराखण्ड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, पालिका अध्यक्ष दीप शर्मा व सार्वजनिक छठ पूजा समिति के अध्यक्ष रामकृपाल गौतम ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सांस्कृतिक संध्या से पूर्व कार्यक्रम स्थल पर विधि-विधान के साथ छठ मय्या की पूजा अर्चना की गई। सांस्कृतिक संध्या का आगाज कलाकार सतीश राजभर व साथियों के छठ मय्या के सुंदर भजनों की प्रस्तुति के साथ आरम्भ हुआ। उसके बाद मंच पर पहुंचे भोजपुरी लोक गायक राजेश यादव ने माई महिमा महान, कितना करी हम बखान, मरजी जेकरा पे काइलू, ओकर हो गईल कल्याण भजन प्रस्तुत कर छठ मय्या के चरणों में नमन कर उनका आह्वान किया। बिरहा मुकाबले में सामने पहुंची गायिका महिमा राज ने असो हम छठ पू जा करिबे, बाटे महिमा महान गीत प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। वहीं गायक राजेश यादव ने बे पानी पाकिस्तान हो जाई गीत प्रस्तुत कर आतंकवाद को पनाह देने वाले पाकिस्तान पर निशाना साधा। वहीं राजेश यादव ने भक्ति रस की प्रस्तुति दी।
105
ज्ञान, बैराग, तप, साधना जोग से, प्रेम दुनिया में सबसे वजनदार ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। डला छठ पे आइजा भवनवा, सुनला सजना हमार राजेश यादव की अगली प्रस्तुती ने त्रिवेणीघाट पर पहुंचे श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान ढोलक पर कलाकार प्रकाश, बच्चेलाल जबकि हार्मोनियम पर रामदुलारे व सोनू की सुंदर जुगलबंदी रही। वहीं कोरस में दिनेश, दशरथ व ज्ञान ने गायकों का साथ दिया। महोत्सव में जयपाल जाटव, नागेन्द्र सिंह, दीनदयाल राजभर, परमेश्वर राजभर, राजपाल ठाकुर, चन्द्रेश्वर यादव, मनीष बनवाल, अरूण मनवाल, गिरीश चन्द्र राजभर, धीरज सिंह, जयप्रकाश नारायण, बंसल ठेकेदार, डॉ. राजाराम, आलोक तिवारी, गौरवनाथ राजभर, ऋषि जायसवाल, जितेन्द्र प्रसाद, दिलीप गुप्ता, प्रेम राजभर, राजू गुप्ता, सतीष राजभर, पातीलाल साहनी, राम अवतार साहनी, लाल कुंज शाह आदि उपस्थित थे।
104
मॉ खूब जानती है बेटे की मुराद-किशोर उपाध्याय
रविवार को त्रिवेणीघाट पर आयोजित छठ महोत्सव में पहुंचे उत्तराखण्ड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि मैं छठ मय्या के द्वार पर आया हॅूं, मॉ को बेटे की मुराद जानती है। खुलासा किया कि उन्होंने भी छठ का व्रत लिया है। उन्होंने विधिविधान के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और छठ पूजा कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं गंगा तट पर इस महान पूजा का हिस्सा बन सका।

नहाय-खाय के साथ महापर्व छठ शुरू

छठ पर्व को ऋषिनगरी के बाजार में जमकर खरीदारी

ऋषिकेश।
ऋषिनगरी में छठपर्व की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। स्नानघाट छठ के लिए सजाए गए हैं। शुक्रवार को बाजार में छठ सामग्री खरीदने को भीड़ रही। मुखर्जी मार्केट, हरिद्वार मार्ग, रेलवे मार्ग छठ की पूजन सामग्री से सजे हैं। शुक्रवार को फलों की टोकरी के साथ महिलाओं ने पूजन सामग्री खरीदी। दोपहर के समय बाजार में खरीदारी को लेकर भीड़ रही। सार्वजनिक छठ पूजन समिति त्रिवेणीघाट के अध्यक्ष रामकृपाल गौतम ने बताया कि नहाय-खाय के साथ छठ पर्व शुरू हो गया है। शनिवार को क्लश एवं पंचांग पूजन के साथ भगवान सूर्य, छठ माता की मूर्ति का अनावरण एवं प्राणप्रतिष्ठा होगी। उधर, नगर पालिका मुनिकीरेती क्षेत्र में भी शुक्रवार को गंगाघाटों की सफाई की गई। क्षेत्र के दयानंद आश्रम घाट, शीशमझाड़ी घाट, शत्रुघ्न घाट, परमार्थ घाट पर भी छठ पूजन होगा।
102
मुनिकीरेती पालिकाध्यक्ष शिवमूर्ति कंडवाल ने बताया कि छठ पर्व पर घाटों की साफ-सफाई के साथ प्रकाश की व्यवस्था की गई है।
उधर, ऋषिकेश में सुरक्षा के लिहाज से अतिरिक्त पुलिस कर्मी घाट पर तैनात रहेंगे। सीओ चक्रधर अंथवाल ने बताया कि टप्पेबाजी और छेड़छाड़ की घटनाओं के मद्देनजर सादी वर्दी में भी पुलिस के जवान तैनात रहेंगे। घाट पर पीएसी के जवानों के साथ आसपास के थानों की पुलिस भी लगाई गई है।

गंगा तट पर बनने लगे छठ पूजा स्थल

ऋषिकेश।
नहाय खाय के साथ शुरू होने वाले आस्था पर्व छठ पूजा की तैयारी अब जोर पकड़ने लगी है। ऋषिकेश में गंगा तटों पर अर्घ्य भूमि (छठ पूजा घाट) की साफ-सफाई का कार्य तेज हो गया है। लोग गंगा तटों पर छठ पूजा स्थान तैयार करने में जुट गए हैं। बाजार में भी खरीदारी शुरू होने लगी है। वहीं घरों में महिलाएं छठ महिमा की गीत गाती हुई तैयारी में जुट गई हैं।
छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो गई है। मंगलवार को श्रद्धालुओं ने गंगा तटों पर पत्थरों और रेत के चबूतरे बनाए। उनपर रंगरोगन भी किया। पांच अक्तूबर को एसपी देहात श्वेता चौबे और छह अक्तूबर को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय छठ पूजा में हिस्सा लेंगे। पांच अक्तूबर से शुरू होने के बाद छह अक्तूबर को ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सात अक्तूबर को उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा संपन्न होगी।
103
ऋषिनगरी में बड़ी संख्या में बिहार और पूर्वांचल के लोग रहते हैं। इसलिए त्रिवेणीघाट, दयानंद आश्रम घाट, स्वर्गाश्रम घाट, शीशमझाड़ी, मुनिकीरेती आदि घाटों पर बुधवार को साफ-सफाई का काम चला। लोग घाट पर पत्थर-रेत से चबूतरा बनाने के काम में जुटे रहे। पूजा समिति के अध्यक्ष रामकृपाल गौतम ने बताया कि पहले दिन पांच अक्तूबर को स्कूली बच्चों के साथ स्थानीय कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। दूसरे दिन भोजपुरी लोकगायक अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगे।

चंद्रमा को अर्ध्य दे पति के दीर्घायु की कामना की

गंगातट पर पूजा-अर्चना को जुटी सुहागिनों की भीड़

ऋषिकेश।
बुधवार को करवा चौथ पर दिन ढलते ही त्रिवेणी घाट, स्वर्गाश्रम, लक्ष्मणझूला, तपोवन, मुनिकी रेती, कैलाश गेट सहित गंगा तट के क्षेत्रों में महिलाओं ने दीप जलाकर गंगा की पूजा अर्चना की। सुहागिनों ने चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद अपने पति के दीर्घायु के साथ उनके सुहाग के लिये विशेष अनुष्ठान किये। दिनभ बाजारों में गिफ्ट की खरीददारी के लिये महिलायें अपने पति के साथ शहर के विभिन्न प्रतिष्ठानों पर देखी गई। पति-पत्नी के प्रेम संबंधों के प्रतीक करवा चौथ को लेकर धर्मनगरी में सुहागिनों में खासा उत्साह देखा गया।उधर, दुर्गा मंदिर व इंदिरानगर में महिलाओं ने करवाचौथ पर पूजा-अर्चना कर पति के दीघार्यु की कामना की। पूजन में कुसुम, मीना कंडवाल,हिमानी, लक्ष्मी सजवाण, नेहा, माला देवी, नानकी देवी, वैशाली, आंचल, रीना देवी, मंजू देवी आदि मौजूद थे।
101
ज्योतिष डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी बताते है कि करवा चौथ पर सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ परिवार की सृमद्वि व सुख शांति के लिये व्रत रखती है।चन्द्रमा मन की चंचलता का कारक है।इसलिये सुहागिनें चन्द्रमा से मन को चंचल न करने की प्रार्थना करती है। बताया कि पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़े इसके लिये करवा चौथ पर पति भी पत्नी के साथ व्रत रखने लगे है।

करवाचौथ पर खरीददारी को जुटी भीड़

ऋषिकेश।
मंगलवार को ऋषिनगरी के त्रिवेणी घाट, मुखर्जी मार्ग, रेलवे रोड, क्षेत्र रोड, सुभाष चौक, मेन बजार व त्रिवेणी घाट रोड पर सुबह से महिलाओं की भीड़ रही। साड़ी, चूड़ी व ज्वेलरी सहित अन्य दुकानें महिलाओं की भीड़ से अटी नजर आई। महिलाओं ने दुकानों से अपनी मनपंसद चीजों की जमकर खरीददारी की। सुभाष चौक से महिलाएं करवाचौथ की कथा से जुड़ी किताबे व तस्वीरे ले रही थी। महिलाओं की खरीददारी के चलते मुख्य मार्गो से दुपहिया व पैदल चलने वाले को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। खासकर त्रिवेणी घाट रोड व सुभाष चौक पर बहुत दिक्कत रही। बनखण्डी से खरीददारी को पहुंची सीमा व कविता बिष्ट का कहना है कि उनका पहला करवा चौथ है इसलिए वे दो दिन पहले ही बाजार से खरीददारी करने पहुंची है। जिससे वे आराम से अपनी मनपंसद चीजों की खरीददारी कर सके। श्रेया अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने कुछ चीजें ऑनलाइन के जरिए खरीद ली है और बचे हुए सामान की खरीददारी करने पहुंची है।
106

पति की लंबी आयु को रखा जाता है करवा चौथ व्रत
करवा चौथ पर विवाहित महिलाए अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है करवा चौथ के व्रत का पूर्ण विर्ण वामन पुराण में किया गया है। आचार्य पंडित राकेश सेमवाल व सुरेश चन्द्र भट्ट का कहना है कि इस साल करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 26 मिनट से लेकर 6 बजकर 22 मिनट तक का है। इस वर्ष करवा चौथ का दिन चंद्रोदय रात 8 बजकर 38 मिनट पर होगा। करवा चौथ के दिन चन्द्रमा को अघ्र्य देकर ही व्रत पारण किया जाता है।
107

करवा चौथ पूजन विधि
नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। करवा चौथ की पूजा करने के लिए बालू यानी रेत की एक वेदी बनाकर भगवान शिव-देवी पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, चन्द्रमा एवं गणेश जी को स्थापित कर उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद करवा चौथ की कथा सुननी चाहिए तथा चन्द्रमा को अघ्र्य देकर छलनी से अपने पति को देखना चाहिए। पति के हाथों से ही पानी पीकर व्रत खोलना चाहिए। इस प्रकार व्रत को सोलह या बारह वर्षो तक करे उद्यापन कर देना चाहिए।

भगवान जगन्नाथ के जयकारों से गूंज उठी ऋषिनगरी

रथ में विराजे भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलदेव के दर्शन कर पुण्य के भागी बने श्रद्धालु

ऋषिकेश।
मधुबन आश्रम की ओर से आयोजित भगवान जगन्नाथ यात्रा में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। रथ में भगवान जगन्नाथ के साथ भाई बलदेव और बहन सुभद्रा भी विराजमान थे। श्रद्धालुओं ने जहां उनके दर्शन किए, वहीं रथ खींचकर पुण्य का लाभ कमाया। इस दौरान भगवान जगन्नाथ के जयकारों ने ऋषिनगरी गूंज उठी।
शरद पूर्णिमा के अवसर पर रविवार कैलाशगेट स्थित मधुबन आश्रम से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गयी। सबसे पहले सुबह नौ बजे श्री प्रभुपाद रथ में विराजमान हुए। 48 फुट ऊंचे रथ को बेहद आकर्षक फूलों से सजाया गया था। सुबह साढ़े नौ बजे मधुबन आश्रम के भक्तियोग स्वामी महाराज ने विशेष झाड़ू लगाकर रथयात्रा का शुभारंभ किया। रथयात्रा कैलाशगेट से शुरू हुई और हरिद्वार मार्ग होते हुए नगर पालिका ऋषिकेश में संपन्न हुई।
102
रथयात्रा का विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और व्यापारिक संगठनों ने फूल से स्वागत किया। शोभायात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ की आरती की और भोग भी लगाया। रथयात्रा की डोर खींच रहे श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के जयकारे लगा रहे थे।
नगर पालिका ऋषिकेश के प्रांगण में रथयात्रा का समापन हुआ। इस मौके पर नगर पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, विधायक प्रेमचन्द अग्रवाल, पूर्व विधायक सुबोध उनियाल, जयेन्द्र रमोला, प्रेम केडिया, हर्ष, परमानंद दास, पवन, रामानंद राय दास, डीके वार्ष्णेय, किरन आदि मौजूद थे।
101
स्कूल के बच्चे भी शामिल
जगन्नाथ रथयात्रा में स्कूल बच्चे भी शामिल हुए। हालांकि पूर्व के वर्षों की भांति छात्रों की संख्या कम रही, लेकिन रथयात्रा में शामिल छात्रों का उत्साह देखते ही बन रहा था। एनसीसी कैडेट भी रथयात्रा के दौरान व्यवस्था बनाते नजर आए।

खुद को नहीं रोक सके विदेशी
रथयात्रा में श्रद्धालु का उत्साह देखते ही बन रहा था। भगवान जगन्नाथ के जयकारे लगाते हुए श्रद्धालु हरे कृष्ण-हरे कृष्ण की धुन पर नृत्य कर रहे थे। इस दौरान विदेशी पर्यटक भी खुद को नहीं रोक सके। हरे कृष्ण की धूम पर नृत्य करने लगे। यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने विदेशियों का स्वागत किया।

रथयात्रा की शोभा कम रही
हर वर्ष जगन्नाथ रथयात्रा में विभिन्न प्रकार की झांकियां रहती हैं, लेकिन इस बार रथयात्रा की शोभा कम रहने से लोगों को मायूसी झेलनी पड़ी। रथयात्रा में दूर-दूराज के लोग भी शिरकत करते हैं। यात्रा का विशेष आकर्षण रथ और झांकियां ही रहती हैं।

जातिवाद से ऊपर उठने पर ही विश्वगुरु बनेगा भारत

सामाजिक समता अभियान के अंर्तगत नगर पालिका सभागार में विचार गोष्ठी का आयोजन

ऋषिकेश।
बुधवार को नगर पालिका स्वर्ण जयंती सभागार में सामाजिक समता अभियान की पहल पर भेदभाव रहित हिंदू समाज-सशक्त राष्ट्र का आधार विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रुप में पवन गुरु ने भारत को विश्व गुरु बनाने पर जोर दिया। कहाकि विश्वगुरु बनने में सबसे बड़ी बाधा जातिवाद है। जातिवाद के चलते समाज न तो एकजुट हो पाया और न ही समाज में समानता आयी। हमें जातिवाद से ऊपर उठना चाहिये। जातिवाद इंसान की देन है।
श्रीराम व शिवजी की पूजा करने वाले यदि जातिवाद की बाते करते है तो वह बाह्य आडंबर रच रहे है। भौगोलिक दृष्टि से भारत विश्वगुरु है, जरुरत है तो भारत को जातिप्रथा से मुक्ति दिलाने की। जिस दिन जाति प्रथा समाज से मुक्त हो गयी, भारत फिर से विश्वगुरु बन जायेगा।

109

विचार गोष्ठी में हरविलास गुप्ता, डॉ. हरपाल सिंह, संदीप त्यागी, आजाद सिंह, सच्चिदानंद शर्मा, रवि कटारिया, विधायक विजया बड़थ्वाल ने भी अपने विचार रखे। इस मौके पर अधिवक्ता सुभाष भटट, संजय शास्त्री, ज्योति सजवाण, इन्द्र कुमार गोदवानी, राकेश पारछा, सुभाष वाल्मिकी, अनिता बहल, अशोक पाल, राजेश कुमार, जितेन्द्र भूरी, अनिता ममगाईं, कुसुम जोशी, सरोज डिमरी, पुष्पा मितल आदि उपस्थित थे।

वृश्चिक लग्न में होंगे भगवान केदारनाथ के कपाट बंद

-एक नवंबर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए होगी रवाना
-भगवान तुंगनाथ के कपाट सात नवम्बर को धनु लग्न में होंगे बन्द
-मद्महेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को साढ़े आठ बजे वृश्चिक लग्न में होंगे बंद

रुद्रप्रयाग।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी व पर्वतराज हिमालय की गोद में बसे भगवान केदारनाथ, द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर व तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ धामों के कपाट बन्द होने की तिथियां विजयादशमी पर्व पर पंचाग गणना, पौराणिक परम्पराओं तथा रीति-रिवाजो के अनुसार शीतकालीन गद्दी स्थलों में घोषित की गई।
विजयादशमी पर्व पर भगवान केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ व तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल तुंगनाथ मन्दिर मक्कूमठ में मन्दिर समिति के अधिकारियों, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में तीनों धामों के कपाट बन्द होने की तिथि पंचाग गणना के अनुसार घोषित कर दी गयी। पंचाग गणना के अनुसार एक नवम्बर को प्रातः चार बजे से पूर्व श्रद्धालुओं द्वारा भगवान केदारनाथ का जलाभिषेक किया जायेगा तथा प्रातः चार से छः बजे तक भगवान केदारनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जायेगी। जबकि छः बजे से साढे़ सात बजे तक भगवान केदारनाथ के स्वयं भूलिंग को अनेक प्रकार की पूजार्थ सामाग्रीयों से समाधि दी जायेगी तथा ठीक साढे आठ बजे वृश्चिक लग्न में भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये पौराणिक परम्पराओं व रीति-रिवाजों के साथ बन्द कर दिये जायेंगे। कपाट बन्द होते ही भगवान केदारनाथ शीतकाल के छः माह के लिये समाधि लेकर विश्व कल्याण के लिये तपस्यारत हो जायंगे।
कपाट बन्द होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली अपनी केदारपुरी से शीतकालीन गद्दी स्थल के लिये रवाना होगी तथा लिनचौली, रामबाड़ा, जंगलचट्टी, गौरीकुण्ड, सोनप्रयाग, सीतापुर यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देकर प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंचेगी। दो नवम्बर को रामपुर से प्रस्थान कर शेरसी, बड़ासू, फाटा, मैखण्डा, नारायणकोटी, नाला यात्रा पड़ावों से होते हुए द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। तीन नवम्बर को विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर भैंसारी, विद्यापीठ, जाबरी होते हुए अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर पहुंचकर विराजमान होगी तथा चार नवम्बर से भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा ओंकारेश्वर मन्दिर में विधिवत शुरु होगी। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट भी सात नवम्बर को सुबह दस बजे धनु लग्न में शीतकाल के लिये बन्द कर दिये जायेंगे। कपाट बन्द होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से शीतकालीन गद्दी स्थल के लिये रवाना होगी और सुरम्य मखमली बुग्यालों से होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिये चोपता पहुंचेगी।
आठ नवम्बर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से प्रस्थान होकर बनियाकुण्ड, दुगलबिट्टा, मक्कूबैंड होते हुए बणतोली पहुंचेगी। जहां पर विभिन्न गांवों के श्रद्धालुओं द्वारा भगवान तुंगनाथ को अर्घ्य लगाकर विश्व कल्याण व क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जायेगी। बणतोली में अर्घ्य लगने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अन्तिम रात्रि प्रवास के लिये भनकुण्ड पहुंचेगी तथा नौ नवम्बर को भनकुण्ड से प्रस्थान कर आकाश कामनी नदी पहुंचने पर गंगा स्नान करेगी और शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ पहुंचने पर छः माह शीतकाल के लिये विराजमान होगी तथा दस नवम्बर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा मक्कूमठ में विधिवत शुरु होगी।

105

द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को साढ़े आठ बजे वृश्चिक लग्न में शीतकाल के लिये बन्द कर दिये जायंगे। कपाट बन्द होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से रवाना होकर मैखम्बा, कुनचट्टी, नानौ, खटारा, बनातोली होते हुये प्रथम रात्रि प्रवास के लिये गौण्डार गांव पहुंचेगी। 23 नवम्बर को गौण्डार से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुंचेगी। 24 नवम्बर से राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर उनियाणा, राऊलैंक, बुरुवा, मनसूना यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुये अन्तिम रात्रि प्रवास गिरिया गांव में करेगी। 25 नवम्बर को गिरिया से प्रस्थान कर फाफंज, सलामी, मंगोलचारी, ब्राह्मणखोली, डंगवाडी होते हुये अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी तथा 26 नवम्बर से भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा ओंकारेश्व मन्दिर में विधिवत शुरु होगी। जबकि भगवान मद्महेश्वर की डोली के ऊखीमठ आगमन पर लगने वाला त्रिदिवसीय मद्महेश्वर मेला 24 नवम्बर से शुरु होगा। इस मौके पर कार्याधिकारी अनिल शर्मा, प्रधान पुजारी राजशेखर लिंग, बागेश लिंग, शशिधर लिंग, पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भट्ट, प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित वैदपाठी यशोधर प्रसाद मैठाणी, विश्वमोहन जमलोकी, गिरिश देवली, सतश्वर प्रसाद सेमवाल, शिवशरण पंवार, राजीव गैरोला सहित मन्दिर समिति के अधिकारिया, कर्मचारी व हक-हकूकधारी मौजूद थे।

हरिद्वार से दिल्ली तक निकलेगी गंगा-यमुना समरसता यात्रा

ऋषिकेश।
प्रेस क्लब सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में समता अभियान के राष्ट्रीय सह संयोजक व उत्तराखंड प्रभारी सचिदानंद शर्मा ने कहा कि 21वीं सदी में भी विकास के मुद्दे को छोड़ कर जाति के मुद्दों को पकडऩे वाला समाज विश्वगुरु नहीं बन सकता।
उन्होंने कहा कि समाज में जातिगत भेदभाव समाप्त कर समरसता बनाने के लिए यात्रा निकाली जा रही है। भारत वर्ष में शंकराचार्य जैसा पद किसी जाति या वर्ग के व्यक्ति तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इस पद पर किसी भी जाति वर्ग का व्यक्ति योग्यता के आधार पर पदासीन होना चाहिए। उन्होंने बताया कि नगरपालिका सभागार में 12 अक्टूबर को सामाजिक समरसता गोष्टी का आयोजन किया गया है। इसमें चिंतन धाम के आध्यात्मिक गुरु पवन गुरु, जूना अखाड़ा के महंत नारायणगिरी, रविदास पंथ के स्वामी वीर सिंह हितकारी, स्वामी जितेंद्र नंद सहित कई संत शामिल होंगे। 13 अक्टूबर को भारत माता मंदिर हरिद्वार से पूर्व शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज यात्रा को रवाना करेंगे। बहादरावाद में योग गुरु बाबा रामदेव यात्रा में शामिल होंगे। 15 अक्टूबर को दिल्ली में यमुना के तट पर यात्रा का समापन होगा।

101