मीरवाइज ने फिर उगला घाटी में जहर, दस आंतकी पैदा होने का किया दावा!

हुर्रियत कांफ्रैंस (एम) चेयरमैन मीरवाइज उमर फारुख के बयान ने एकबार फिर से घाटी में हलचल पैदा कर दी है। मीरवाइज ने कहा कि दिल्ली में बैठी सरकार को लगता है कि हथियार के बल पर जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित की जा सकती है लेकिन मैं उनको कहना चाहूंगा किए अगर आप एक आतंकी को मारोगे तो दस आतंकी पैदा होंगे।
मीरवाइज उमर फारुख को पिछले 57 दिनों से अपने घर में नजरबंद किया गया था। नजरबंद से छूटते ही मीरवाइज उमर फारुख जामिया मस्जिद पहुंचे और भीड़ को संबोधित किया। मीरवाइज ने कहा कि पिछले 70 साल से कश्मीर की यही परंपरा रही है। कश्मीर में लोग पैदा होते हैं और उन्हें मालूम होता है कि यह विवादित क्षेत्र है। इसी सोच के साथ वे युवा होते हैं और एक दिन मारे जाते हैं। यह लड़ाई अनवरत जारी है।
मीरवाइज ने कहाकि कश्मीर के युवा और छात्र आए दिन स्कूल और कॉलेज में प्रदर्शन करते हैं जिसकी वजह से बार-बार घाटी बंद का ऐलान होता है। इससे साफ पता चलता है कि कश्मीर के लोग क्या चाहते हैं। मीडिया पर निशाना साधते हुए मीरवाइज ने कहा कि मीडिया में कश्मीर और कश्मीर के लोगों को लेकर गलत प्रचार किया जा रहा है। ऐसा करने से सरकार को कुछ हासिल होने वाला नहीं है।

चीनी मीडिया ने दी, कांउटडाउन शुरु होने की धमकी!

चीन ने एक बार फिर भारत को धमकी दी है। चीन ने कहा है कि क्या होगा अगर हम उत्तराखंड के कालापानी और कश्मीर में घुस जाएंगे। डोकलाम मुद्दे पर चीन की ओर से इस प्रकार के लगातार बयान आ रहे हैं, इससे पहले मंगलवार को भी कहा गया था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1962 वाली गलती दोहरा रहे हैं।
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने वीडियो जारी कर चेतावनी दी थी कि अगर भारत अपने सैनिक नहीं हटाता तो युद्ध होगा। वीडियो में ये भी कहा गया था कि भारत खुद को विपरीत हालात से निपटने के लिए तैयार नहीं कर रहा बल्कि देश की जनता को सब कुछ ठीक होने का दिलासा दे रहा है।
डोकलाम पर चीन-भारत के बीच गतिरोध अपने चरम पर है। भारत जहां युद्ध को स्थायी समाधान न बताकर शांति से समस्या के हल की वकालत कर रहा है, वहीं चीन की धमकियों का ग्राफ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इस बीच चीन के एक प्रमुख अखबार में संपादकीय लिखा गया है, जिसमें भारत को वक्त रहते हालात सुधारने की नसीहत दी गई है।
चाइना डेली अखबार के संपादकीय में लिखा गया है कि चीन और भारत के बीच युद्ध का काउंटडाउन शुरू हो गया है। इसके आगे लिखा गया है कि भारत को अब जल्द इस दिशा में कोई कदम उठा लेना चाहिए, क्योंकि शांतिपूर्ण समाधान की संभावनाएं खत्म होती जा रही हैं।

ऑपरेशन क्लीन से कश्मीर में होगा आंतकवादियों का सफाया

पिछले वर्ष जुलाई में जब हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी को मारा था, उसके बाद से ही घाटी में घुसपैठ जारी है और माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत खुद कई बार घाटी का दौरा कर चुके हैं। वर्ष 1990 के बाद से घाटी में आतंकियों को खदेड़ने के बाद सबसे बड़ा ऑपरेशन ऑपरेशन क्लीन अप लॉन्च हो चुका है। सेना ने मई में कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन की शुरुआत के साथ ही आतंकियों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान शुरू किया था। इस समय घाटी में करीब 4,000 से ज्यादा सेना के जवान, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान इस ऑपरेशन का हिस्सा हैं।
शनिवार को सेना ने कश्मीर के सोपोर में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को मार गिराया। इसके साथ ही अब तक इस वर्ष सेना ने 122 आतंकियों का खात्मा कर डाला है। दिसंबर 2016 तक सेना ने घाटी में करीब 120 आतंकी मारे थे। आतंकियों के मारे जाने की आंकड़ें मे इजाफा होगा, इस बात की पूरी गारंटी है। सेना ने घाटी से आतंकियों के सफाए के लिए डेडलाइन तय की है। इस डेडलाइन के तहत घाटी में सर्दियों के शुरू होने से पहले सेना ने सभी आतंकियों को मार गिराने और घाटी को आतंकियों से आजाद कराने का लक्ष्य तय किया है। सेना ने कश्मीर के आतंकियों के खिलाफ अब अपनी रणनीति बदल ली है। मई में जब हिजबुल कमांडर सबजार भट को मार गया था तो उस ऑपरेशन ने साफ कर दिया था कि सेना किस तरह से कश्मीर खासतौर पर साउथ कश्मीर में मौजूद आतंकियों के खिलाफ आक्रामक हो गई है।

बेटे की शहादत पर बोले पिता, आरपार की लड़ाई हो

कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए उत्तराखंड का एक और लाल शहीद हो गया है। मूल रूप से अल्मोड़ा के कनालीछीना के रहने वाले व हाल निवासी हल्द्वानी के ऊंचा पुल क्षेत्र के हिम्मतपुर मल्ला गांव के मेजर कमलेश पांडे जम्मू कश्मीर के शोफिया क्षेत्र में बुधवार देर रात आतंकियों से लड़ते शहीद हो गए। शहीद मेजर कमलेश पांडे का पार्थिव शरीर दिल्ली पहुंच गया है और देर रात तक हल्द्वानी उनके ऊंचा पुल स्थित उनके आवास में ससम्मान उनका पार्थिव शरीर पहुंचेगा और कल रानी बाग स्थित चित्रशीला घाट में सैन्य सम्मान के साथ शहीद मेजर कमलेश पांडे की अंत्येष्टि की जाएगी। कमलेश पांडे की शहादत का समाचार जैसे ही उनके परिवार के पास पहुंचा तो पूरा परिवार गमगीन हो गया। मेजर कमलेश पांडे 28 साल के थे और उनकी एक दो साल की बेटी भी है और उनकी पत्नी गाजियाबाद में नौकरी करती है जोकि देर शाम तक हल्द्वानी स्थित अपने आवास पहुंच जाएगी। शहीद मेजर कमलेश पांडे के पिता मोहन चंद्र पांडेय भी आर्मी से रिटायर हैं। मोहन चंद्र पांडे आर्मी में हवलदार थे, शहीद मेजर कमलेश पांडे का छोटा भाई भी आर्मी में तैनात है। शहीद के पिता मोहन चंद्र पांडे का कहना है कि उनको अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। लेकिन वह देश के राजनेताओं से चाहते हैं कि एक बार पाकिस्तान से आर पार की लड़ाई हर हाल में होनी चाहिए तभी इस तरह की शहादत रुकेंगे। अपने बेटे को देश की रक्षा में खो चुके है लेकिन उनका मानना है कि जिस तरह घर में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध हुआ। उसी तरह इस बार भी होना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान को तभी सबक मिलेगा। उधर, शहीद कमलेश पांडे के घर पहुंचे आर्मी के अधिकारियों ने परिवार को दिलासा दिलाई और देर शाम तक शहीद मेजर कमलेश पांडे के पार्थिव शरीर को उनके आवास लाए जाने की सूचना दी।

हां मैं एक पाकिस्तानी नागरिक हूं

कश्मीर के कुपवाड़ा में पकड़ा गया आंतकी ने सच कबूला
पाकिस्तान फिर हुआ बेनकाब
नई दिल्ली।
कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के पास नौगाम सेक्टर में हुई मुठभेड़ में पकड़े गए एक जिंदा आतंकी के कबूलनामे से पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो गया है। आतंकी ने कबूल किया है कि वह पाकिस्तान का नागरिक है। उनसे अपने कबूलनामे में कहा गया है कि मैं लाहौर का रहने वाला हूं। मेरा जन्म 17-12-1995 को हुआ था।
बहादुर अली नाम बताने वाले आतंकी ने बताया कि उसे मुजफ्फराबाद से 9 घंटे दूर ट्रेनिंग दी गई थी और ये ट्रेनिंग 21 दिन की थी। सेना की ओर से इस आतंकी को पकड़ा जाना देश और सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी सफलता है क्योंकि इससे पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हुआ है।
सैन्य अधिकारियों की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार ये सभी आतंकवादी विदेशी नागरिक थे। आतंकी के पास कई आधुनिक हथियार भी मिले थे। वहीं खुफिया एजेंसियों ने बहादुर अली से जानकारी हासिल की है। गौरतलब हैं कि हाल ही में कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के पास नौगाम सेक्टर में हुई इस मुठभेड़ सुरक्षा बलों ने चार आतंकवादियों को ढेर कर दिया था और एक अन्य आतंकी को पकड़ लिया।

वो पत्थर-गोले बरसाये तो कैसे रुकेगा पैलेट गन का इस्तेमाल!

नई दिल्ली।
पिछले करीब दो हफ्ते से जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था को संभालने में अग्रिम मोर्चे पर खड़े अर्धसैनिक बलों ने घाटी में पैलेट गन के इस्तेमाल के चलते कुछ युवकों की आंखों में लगी चोट पर दुख व्यक्त किया है। हालांकि, उन्होंने यह साफ कर दिया है कि बेहद चरम स्थितियों में पैलेट गन इस्तेमाल होता रहेगा। वैसे सीआरपीएफ की डीजी के. दुर्गा प्रसाद ने उम्मीद जताई कि भविष्य में दोबारा ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
दिल्ली में वार्षिक सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा, पैलेट गन के इस्तेमाल के चलते युवा घायल हुए हैं उसके लिए माफी चाहता हूं। हम खुद ही इसे कम से कम इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं ताकि कम लोग घायल हों। लेकिन, इसे हम तब इस्तेमाल करते हैं जब भीड़ पूरी तरीके से अनियंत्रित हो जाती है और किसी भी दूसरे तरीके से उस पर काबू नहीं पाया जा सकता।
उन्होंने कहा कि जवानों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है कि वो ऐसी घटनाओं से निपटते समय भावनाओं में ना बहे और सही तरीके का इस्तेमाल करें। सीआरपीएफ के डीजी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ही एक मात्र ऐसी जगह है जहां पर इतनी बड़ी तादाद में पत्थरबाजी होती है और ऐसी स्थिति में जब स्थित बेकाबू हो जाती है उसके बाद जवानों को पैलेट गन का इस्तेमाल करना पड़ता है।
के. दुर्गा प्रसाद ने कहा कि जवानों को निर्देश दिया गया है कि जब कभी भी वह पैलेट गन का इस्तेमाल कश्मीर में करें तो घुटने के नीचे ही फायर करें। उन्होंने कहा कि लोग घायल तब होते हैं जब प्रदर्शनकारी काफी नजदीक आ जाते हैं और जवानों को पायलट गन का इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसे में सामने वाले की जान जाने की भी ख़तरा बना रहता है।

सोशल मीडिया में ब्लैक डे पर मचा घमासान

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सेना के पक्ष में खुल कर उतरे देश के नौजवान
आर्मी का प्रतीक चिन्ह लगा कर रहे समर्थन
दयाशंकर पाण्डेय।
कश्मीर में आंतकी को मार गिराने के बाद देश व विदेशों में भारतीय सेना को निशाना बनाये जाने की घटना के बाद देश के युवा अब खुल कर सेना के समर्थन में आ गये है। दरअसल कश्मीर में सेना के हाथों मारे गये आंतकी के मौत के बाद कश्मीर में हिसंक घटनाएं बढ गई है। पूरे देश में सेकुरलिज्म और तथाकथित नेता आंतकी को मारे जाने की घटना पर संवेदना व्यक्त कर रहे है। पड़ौसी देश 19 जुलाई को इंडियन आर्मी के खिलाफ ब्लैक डे मनाने की खबर सोशल मीडिया में फैल गई है।
क्या इस दिन का इंतजार हर कोई भारतीय करेगा कि कोई पडौसी देश उसकी आर्मी के खिलाफ के ब्लैक डे मनाये? इसी अंदाज में देश का नौजवान अपने गुस्से की प्रतिक्रिया सोशल साईटों में दे रहा है। कश्मीर में सेना के हाथों मारे गये आंतकी वानी के समर्थन में पडौसी देश ही नही हिंदुस्तान के कई राजनेता व धर्मगुरु संवेदना वयक्त कर रहे है। सेना का मनोबल बढाना तो दूर ऐसी प्रतिक्रिया देखने और सुनने को मिल रही जिससे सेना पर दोष मढा जा रहा है।
कश्मीर में जवानों पर हो रहे पथराव व प्रदर्शन के बीच पाकिस्तान ने भारतीय सेना के खिलाफ ब्लैक डे मनाने की घोषणा से देश का नौजवान ने प्रतिक्रिया देनी शुरु कर दी है। 19 जुलाई को युवा, धैर्य व साहस का परिचय दे रही सेना के
का प्रतीक चिन्ह अपनी सोशल साईट्स में शेयर कर रहे है। और सेना के पक्ष में खुलकर प्रतिक्रिया दे रहे है। कई पोस्ट तो युवाओं के आक्रोश से भरी हुई है। सेना के जवानों की तारीफ करने से भी युवा पीछे नही रह रहे है।