चारधाम यात्राः विजयादशमी के मौके पर धामों के कपाट बंद होने की तिथियां घोषित

उत्तराखंड के चारधाम यानी (बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के कपाट शीतकाल में किस तिथि को बंद होंगे। इसका ऐलान आज किया गया। बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को तीसरे पहर तीन बजकर 35 मिनट पर बंद होंगे। इसी तरह गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर को दोपहर 12.35 मिनट पर बंद होंगे। वहीं, केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज पर 16 नवंबर को प्रातः 8.30 बजे बंद होंगे। साथ ही यमुनोत्री धाम के कपाट 16 नवंबर और गंगोत्री के कपाट अन्नकूट पर्व पर 15 नवंबर को बंद किए जाएंगे।

बदरीनाथ महानिर्माण योजना पीएम की दूरदर्शी योजना में शामिलः पर्यटन सचिव

पर्यटन-धर्मस्व एवं संस्कृति सचिव दिलीप जावलकर ने स्थानीय ब्यापारियों एवं तीर्थ पुरोहितों तथा हक-हकूकधारियों से बदरीनाथ महानिर्माण योजना के विषय में बैठक की तथा मास्टर प्लान के संबंध में लोगों की आपत्तियों एवं शंकाओं का निवारण भी किया। पर्यटन सचिव ने कहा कि बदरीनाथ महानिर्माण योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में लागू हो रही दूरदर्शी योजना है। महानिर्माण योजना पर 424 करोड़ का बजट प्रस्तावित है, जिससे स्थानीय लोगों को लाभ पहुंचेगा तथा बदरीनाथ धाम में यात्री सुविधाओं में वृद्दि होगी। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ मास्टर प्लान को केंद्र के सहयोग से लागू हो रही महत्त्वपूर्ण परियोजना है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बदरीनाथ धाम को अधिक आध्यात्मिक नगरी के रूप में सुविधा-संपन्न बनाने हेतु

उल्लेखनीय है कि यात्री सुविधाओं हेतु मास्टर प्लान तीन चरणों में प्रस्तावित है पहले चरण में शेष नेत्र एवं बदरीश झील का सौंदर्यीकरण शामिल है। दूसरे चरण में बदरीनाथ धाम परिसर तथा आसपास के स्थलों का सोंदर्यीकरण तथा विस्तारीकरण होना है तत्पश्चात तीसरे चरण में शेष नेत्र से बदरीनाथ मंदिर तक आस्थापथ निर्माण प्रस्तावित है।
पर्यटन सचिव ने बदरीनाथ मास्टर प्लान को आध्यात्मिक क्षेत्र बदरीनाथ धाम के विकास हेतु महत्त्वपूर्ण महायोजना बताया है। इससे पहले पर्यटन सचिव ने बदरीनाथ मंदिर में दर्शन किये तथा ब्यवस्थाओं का भी निरीक्षण किया।

बैठक के पश्चात पर्यटन सचिव ने मंदिर के निकटवर्ती स्थानों नारायण पर्वत, मातामूर्ति मार्ग, ब्रह्मकपाल, तप्तकुंड क्षेत्र, बामणी गांव मार्ग आदि स्थानों का पैदल चलकर अवलोकन किया।
इस अवसर पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, उप जिलाधिकारी अनिल चन्याल, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, बदरीनाथ नगर पंचायत अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित, नगर पंचायत अध्यक्ष अरविंद शर्मा, व्यापार सभा के विनोद नवानी आदि मौजूद रहे।

शीतकाल के लिए गोपीनाथ मंदिर में विराजित हुए भगवान रूद्रनाथ

भगवान रूद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए है। शनिवार को पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना के बाद भगवान रूद्रनाथ को गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में विराजित किया गया। इससे पूर्व चतुर्थ केदार भगवान रूद्रनाथ को भक्तों ने नए अनाज का भोग लगाया और परिवार की कुशलता की कामना की।

मंदिर के कपाट बंद होने के बाद सुबह सात बजे पंडित महादेव प्रसाद भट्ट के नेतृत्व में रुद्रनाथ की उत्सव डोली पंचगंगा, पित्रधार, पनार बुग्याल, ल्वींटी बुग्याल होते हुए सगर गांव पहुंची। यहां ग्रामीणों ने अपने आराध्य देवता को भोग लगाया और पूजा-अर्चना की। इस दौरान रुद्रनाथ भगवान की पंचमुखी आरती भी की गई।

केदारनाथ में नेपाल भवन को संग्रहालय के रूप में संरक्षित करने का प्रस्ताव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगरानी में किए जा रहे अवस्थापना स्थापना संबंधी कार्यों की प्रगति का जायजा लेने सचिव संस्कृति, भारत सरकार राघवेंद्र सिंह तथा सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर केदारनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने आदि शंकराचार्य की समाधि, नेपाल भवन तथा केदारनाथ लिंचोली मार्ग का निरीक्षण किया।

सचिव पर्यटन जावलकर ने सचिव, भारत सरकार को केदारनाथ में चल रहे विकास कार्यों की प्रगति से रूबरू कराया। कहा कि आदि शंकराचार्य की समाधि पर चल रहे कार्यों को यथाशीघ्र पूर्ण करने के निर्देश कार्यदाई संस्था को दिए गए। इस दौरान उनके साथ प्रसिद्ध उद्योगपति सज्जन जिंदल भी उपस्थित रहे। ज्ञातव्य है कि जिंदल स्टील वक्र्स द्वारा केदारनाथ विकास कार्यों के लिए बड़ी मात्रा में सहयोग राशि उपलब्ध करवाई गई है जिसके माध्यम से शंकराचार्य समाधि स्थल पर निर्माण कार्य संचालित किए जा रहे हैं। भारत सरकार के संस्कृति सचिव द्वारा इस अभूतपूर्व योगदान के लिए उद्योगपति जिंदल का विशेष आभार व्यक्त किया गया।

मौके पर अधिकारियों ने नेपाल भवन का भी निरीक्षण किया और स्थान स्वामी से वार्ता कर इसे संग्रहालय के रूप में संरक्षित करने का प्रस्ताव दिया। सचिव, भारत सरकार की ओर से कुछ स्थानीय घरों का भी निरीक्षण किया गया, इसमें अस्थाई तौर पर संग्रहालय को संचालित किया जा सके। भारत सरकार के संस्कृति सचिव द्वारा केदारनाथ लिंचोली मार्ग का भ्रमण किया गया। जिसमें उनके द्वारा किन्ही चार स्थलों (पडावौं) को धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु ध्यान केंद्र के रूप में विकसित करने का विश्वास दिलाया गया।

देवस्थानम बोर्ड को शासन से पूर्ण सहयोग मिल रहाः सचिव पर्यटन

पर्यटन सचिव जावलकर ने कहा कि राज्य में पर्यटकों के लिए आवाजाही खोल दी गई है। देशभर के श्रद्धालुगण अब देवस्थान पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर चार धामों की यात्रा पर आ सकते हैं। कहा कि देवस्थानम बोर्ड को अपना कार्य केवल पूजा अर्चना तक सीमित न रखते हुए यात्रियों की सेवा के लिए अतिरिक्त कार्य करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को शासन की ओर से पूर्ण सहयोग दिया जा रहा है। बोर्ड के अधिकारी- कर्मचारियों से इस बात की अपेक्षा है कि वे वृहद स्तर पर उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु अपने विजन को विशाल करेंगे।

30 हजार श्रद्धालु कर चुके हैं बाबा केदार के दर्शन
उन्होंने बताया कि अब तक 30,000 श्रद्धालुओं द्वारा बाबा केदार के दर्शन किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटकों के लिए राज्य के द्वार खोले जाने से चारों धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है इससे स्थानीय होटल एवं रिजॉर्ट व्यवसायी, घोड़ा व्यवसाई, छोटे कारोबारियों तथा पर्यटन क्षेत्र के अन्य हित धारकों को लाभ पहुंचेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

सीएम ने की कुंभ मेला की समीक्षा, हरिद्वार-ऋषिकेश में कूड़ा निस्तारण करने का दिया निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कुम्भ मेला 2021 की समीक्षा करते हुए स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि हरिद्वार व ऋषिकेश में कूड़ा निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। कुम्भ का आयोजन दिव्य और भव्य होगा। मेला क्षेत्र का सौंदर्यीकरण समय पर पूरा कर लिया जाए। कुम्भ मेले के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बरकरार रखते हुए कोविड के दृष्टिगत सुरक्षित आयोजन किया जाना है। इस संबंध में अखाड़ों के संत महात्माओं का मार्गदर्शन और सहयोग लिया जाएगा। कुम्भ के सभी स्थायी प्रकृति के काम दिसम्बर माह तक पूरे कर लिये जाएं। अस्थायी कामों के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। मुख्य सचिव हर सप्ताह कुम्भ की तैयारियों की समीक्षा करें। स्वास्थ्य विभाग सामान्य रूप से होने वाली तैयारियों के साथ ही कोविड के दृष्टिगत भी योजना बनाकर काम करे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी धर्मशालाओं, आश्रमों व होटलों को कोविड के दृष्टिगत क्या करें और क्या न करें, की मार्गदर्शिका उपलब्ध कराने के साथ ही वहां काम करने वालों को यथासम्भव प्रशिक्षित किया जाए। सभी काम समय पर पूरे हो, इसके लिए दो शिफ्ट में भी काम किया जा सकता है। व्यापार मंडल के सहयोग से अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की जाए। हरिद्वार में सड़कों को जल्द से जल्द दुरुस्त किया जाए। राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ समन्वय स्थापित कर जरूरी काम कराए जाएं।

मेलाधिकारी दीपक रावत ने कुम्भ मेले के विभिन्न कार्यों की प्रगति की जानकारी दी। बताया कि हरिद्वार के कूड़ा निस्तारण के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। इस पर लगभग 35 करोड़ रूपए का व्यय अनुमानित है। हरिद्वार में 1000 बेड का कोविड केयर सेंटर बनाया जाएगा। लगभग 493 चिकित्सकों की व्यवस्था की जा रही है। एम्बुलेंस की भी आवश्यकतानुसार व्यवस्था की जा रही है। बाईक एम्बुलेंस और बोट एम्बुलेंस के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। पूरे कुम्भ मेला क्षेत्र को 23 सेक्टर में विभाजित किया गया है। किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए अतिरिक्त टीमें रिजर्व में रहेंगी। अधिकारियों के लिंक अधिकारी भी नामित किए जाएंगे।

बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव आरके सुधांशु, नितेश झा, शैलेश बगोली, सौजन्या, पंकज पाण्डेय, गढ़वाल मंडल आयुक्त रविनाथ रमन, आईजी अभिनव कुमार, संजय गुन्ज्याल आदि उपस्थित रहे।

अधिष्ठात्री मायादेवी मंदिर में पूजा के बाद मुख्यमंत्री ने पवित्र छड़ी यात्रा को रवाना किया

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हरिद्वार में पंचदशनाम जूना अखाड़े की राज्य के चारधाम व अन्य तीर्थो की यात्रा पर जाने वाली पवित्र छड़ी यात्रा को रवाना किया। मौके पर सीएम ने मायादेवी मन्दिर परिसर से अधिष्ठात्री मायादेवी, छड़ी एवं भैरव देवता की पूजा अर्चना, आरती एवं परिक्रमा भी की। यात्रा पूरे प्रदेश का भ्रमण करने के पश्चात 12 अक्टूबर को वापस हरिद्वार पहुंचेगी।

सीएम त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस छड़ी यात्रा के शुभारम्भ से उत्तराखण्ड में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इस यात्रा को आस्था एवं विश्वास से जुड़ा विषय बताते हुए कहा कि इससे समाज में सौहार्दता भी बढ़ेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आम जनमानस इस छड़ी यात्रा के अवसर पर पवित्र छड़ी का पूजन कर पुण्य के भागी बनेंगे। उन्होंने कोविड-19 के दृष्टिगत छड़ी यात्रा के संचालन के दौरान आवश्यक एहतियात बरतने की भी अपेक्षा आयोजको से की।

जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत स्वामी हरिगिरि ने बताया कि यह पवित्र यात्रा 17 सितम्बर की रात्रि को ऋषिकेश में विश्राम के बाद 18 सितम्बर को ऋषिकेश से देहरादून, मसूरी, लाखामण्डल होते हुये बड़कोट पहुंचेगी। 19 सितम्बर को बड़कोट से जानकी चट्टी होते हुये यमुनोत्री पहुंचेगी तथा उत्तरकाशी में रात्रि विश्राम के बाद 20 सितम्बर को उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम पहुंच जायेगी। पवित्र छड़ी यात्रा में जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय सभापति महंत प्रेम गिरि, महंत शिखर गिरि, महंत रणवीर गिरि, सचिव महंत महेश पुरी आदि शामिल रहेंगे। जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत स्वामी हरिगिरि ने कहा कि छड़ी यात्रा प्रारम्भ करके मुख्यमंत्री ने एक बड़ी परम्परा का शुभारम्भ किया है। इससे पूर्व अधिष्ठात्री मायादेवी मन्दिर परिसर पहुंचने पर मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत किया गया।
इस अवसर पर शहरी विकास, आवास मंत्री मदन कौशिक, मेला अधिकारी दीपक रावत, जिलाधिकारी सी रविशंकर, आईजी संजय गुंजयाल, महंत केदार पुरी, सभापति महंत सोहन गिरि, महंत पृथ्वी गिरि, महंत शिवानन्द सरस्वती, सचिव महंत महेश पुरी, शैलेन्द्र गिरि आदि उपस्थित थे।

पीएम मोदी पर आधारित पुस्तक का सीएम ने किया विमोचन
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भाजपा महानगर कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्म दिवस के अवसर पर पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना की। कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त की। इस अवसर पर देश में कार्यकर्ताओं द्वारा रक्तदान, प्लाज्मा डोनेट एवं अस्पतालों में फल वितरण के कार्य किये जा रहे हैं। यह सप्ताह सेवा सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक कर्मयोगी जिन्होंने अपने जीवन का एक-एक क्षण देश को समर्पित किया है। उनके जन्म दिवस पर पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा जन सहयोग कर सराहनीय कार्य किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कोविड-19 के दौरान कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी लोगों का सहयोग किया है। कोविड से बचाव का सबसे अच्छा तरीका फिजिकल डिस्टेंस और मास्क का उपयोग है। राज्य में कोविड की टेस्टिंग बढ़ाई गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कल राज्य में भाजपा सरकार के साढ़े तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं। इन तीन वर्षों में जनता से किये गये वायदों को पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौरान राज्य सरकार पर कोई भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है।

विस सत्र को लेकर सीएम और स्पीकर ने किया निरीक्षण
23 सितंबर से प्रारंभ होने वाले विधानसभा सत्र को लेकर गुरूवार को सचिवालय स्थित विश्वकर्मा भवन के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने निरीक्षण किया।

कुंभ मेला के कार्यों को टाईमबाउंड तरीके से पूरा करने के निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सीएम आवास में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कुम्भ मेला 2021 की तैयारियों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्भ मेले के स्वरूप के बारे में अखाड़ा परिषद के संत महात्माओं के मार्गदर्शन में कोविड-19 की उस समय की परिस्थिति के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।

संतों के आशीर्वाद से इस आयोजन को सभी धार्मिक परम्पराओं का पालन करते हुए बेहतर तरीके से सम्पन्न किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले के कार्यों को टाईमबाउंड तरीके से पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं की पुख्ता व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाएं। तैयारियों में कोविड-19 की उस समय की सम्भावित परिस्थितियों का भी ध्यान रखा जाए। जहां जरूरी हो, अन्य राज्यों से भी आवश्यक सहयोग के लिये संबंधित अधिकारियों से सम्पर्क कर समन्वय किया जाए। मेलाधिकारी दीपक रावत ने कुम्भ मेला क्षेत्र में सड़क, घाट, पार्किंग, शौचालय, सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट, स्वास्थ्य सुविधाएं आदि की जानकारी दी। आईजी कुम्भ मेला संजय गुन्ज्याल ने क्राउड मैनेजमेंट और ट्रेफिक प्लान पर प्रस्तुतिकरण दिया।

अन्य आध्यात्मिक स्थलों को भी बदरीनाथ के मास्टर प्लान में शामिल किया जाएः मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। साथ ही श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की भी जानकारी दी गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव दिलीप जावलकर आदि उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने निर्देश दिये कि श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि वहां का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व बना रहे। मिनी स्मार्ट, स्पिरीचुअल सिटी के रूप में विकसित किया जाए। होम स्टे भी विकसित जा सकते हैं। निकटवर्ती अन्य आध्यात्मिक स्थलों को भी इससे जोङा जाए। बदरीनाथ धाम के प्रवेश स्थल पर विशेष लाइटिंग की व्यवस्था हो जो आध्यात्मिक वातावरण के अनुरूप हो। बद्रीनाथ का मास्टर प्लान का स्वरूप पर्यटन पर आधारित न हो बल्कि पूर्ण रूप से अधात्मिक हो। प्रधानमंत्री ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की।

बदरीनाथ व केदारनाथ धाम में स्थानीय लोगों को मिल रहा सहयोग
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि बदरीनाथ धाम व केदारनाथ धाम के विकास कार्यों में स्थानीय लोगों का सहयोग मिल रहा है। निकटवर्ती गांवों में होम स्टे पर काम किया जा रहा है। सरस्वती व अलकनंदा के संगम स्थल केशवप्रयाग को भी विकसित किया जा सकता है। बदरीनाथ धाम में व्यास व गणेश गुफा का विशेष महत्व है। इनके पौराणिक महत्व की जानकारी भी श्रद्धालुओं को मिलनी चाहिए। बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर काम करने में भूमि की समस्या नहीं होगी। केदारनाथ की तरह बद्रीनाथ में भी 12 महीने कार्य किए जाएंगे।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना और चारधाम राजमार्ग परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इससे श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा काफी सुविधाजनक हो जाएगी।

बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि इसमें 85 हैक्टेयर क्षेत्र लिया गया है। देवदर्शिनी स्थल विकसित किया जाएगा। एक संग्रहालय व आर्ट गैलेरी भी बनाई जाएगी। दृश्य एवं श्रव्य माध्यम से दशावतार के बारे में जानकारी दी जाएगी। बदरीनाथ मास्टर प्लान को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मास्टर प्लान को पर्वतीय परिवेश के अनुकूल बनाया गया है।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य के समाधि स्थल का काम तेजी से चल रहा है। सरस्वती घाट पर आस्था पथ का काम पूरा हो गया है। दो ध्यान गुफाओं का काम इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएगा। ब्रह्म कमल की नर्सरी के लिए स्थान चिन्हित कर लिया गया है। नर्सरी के लिए बीज एकत्रीकरण का कार्य किया जा रहा है। ब्रिज का पुनर्निर्माण कर लिया गया है।

5100 दिये जलाकर मनाया गया दीपोत्सव, सीएम त्रिवेन्द्र बोले जन समर्थन से सपना हुआ साकार

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अयोध्या में किये गये राम मन्दिर शिलान्यास को भविष्य के भारत के प्रति प्रधानमंत्री की स्पष्ट सोच को प्रदर्शित करता है। उन्होंने इसे सबका साथ सबका विश्वास का भी मंत्र बताया है।

बुधवार को राम मन्दिर शिलान्यास के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री आवास में अपनी पुत्री श्रृजा के साथ दीपोत्सव कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 21 वीं सदी में इस भूमि पर प्रधानमंत्री द्वारा किये गये राम मन्दिर के शिलाल्यास से यह संदेश भी गया है कि भविष्य के भारत के प्रति प्रधानमंत्री की सोच क्या है। उन्होंने कहा कि आज देश का बहुप्रतीक्षित सपना पूरा हुआ है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली दृढ़ इच्छा शक्ति वाली सरकार तथा जन समर्थन से यह सपना पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज देश व प्रदेश में दीपावली जैसा माहौल है, उन्होंने सबको साथ लेकर प्रदेश को आगे बढ़ाने का संकल्प भी दोहराया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि माता सीता का उत्तराखण्ड से भी सम्बंध रहा है। पौड़ी जनपद के सितोलस्यूँ पट्टी में फलस्वाड़ी के सीतासैण के पास विदाकोटी स्थान पर माता सीता ने भूसमाधि ली थी उसके पास ही ऋषि वाल्मीकि का उत्तराखण्ड का अकेला मन्दिर है जो माता सीता के मन्दिर की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि यहां पर मेला भी आयोजित होता है। इस स्थान पर माता सीता का भव्य मन्दिर बनाकर उसे पहचान दिये जाने की बात भी मुख्यमंत्री ने कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राम मन्दिर के शिलान्यास से राम जन्म भूमि आन्दोलन के साक्षी रहे लोगों को असीम सुख की प्राप्ति हुई है तथा इस आन्दोलन में अपना जीवन उत्सर्ग करने वालों की आत्मा को निश्चित रूप से शांति मिली होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम मन्दिर के निर्माण के लिए जब 1989 में आन्दोलन चल रहा था, तब वे मेरठ में थे। भेष बदलकर हमने इस आन्दोलन में भाग लिया था। हमारे साथ हजारों लोगों ने इस आन्दोलन में भाग लिया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वे परिस्थितियां सामान्य होते ही अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम के दर्शन करेंगे।

श्री भरत मंदिर के तीसरे महंत बने वत्सल प्रपन्न शर्मा, नगर में उत्साह

हृषीकेश नारायण श्री भरत मंदिर गद्दी पर महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा तीसरे महंत के रूप में विराजमान हुए। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज की अध्यक्षता में आयोजित पट्टाभिषेक महोत्सव में साधु समाज सहित नगर के तमाम लोगों ने शिरकत की। जनप्रतिनिधियों, समाजिक कार्यकर्ताओं, व्यापारियों सहित आम नागरिकों ने उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

शुक्रवार को पट्टाभिषेक महोत्सव वैष्णव परंपरा के साथ आयोजित किया गया। ब्रह्मलीन महंत अशोक प्रपन्नाचार्य के गुरुस्थान से महंत हरिनारायणचार्य महाराज, डा. रामकमल दास वेदांती महाराज, उत्तराखंड पीठाधीश्वर कृष्णाचार्य महाराज, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, हनुमंत पीठाधीश्वर स्वामी डा. रामेश्वरदास महाराज, जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा को महंताई की चादर ओढ़ाकर पट्टाभिषेक किया। 
बीते आठ जुलाई को श्री भरत मंदिर के महंत अशोक प्रपन्नाचार्य ब्रह्मलीन हो गए थे। उनके बाद से ही श्री भरत मंदिर की गद्दी का स्थान रिक्त चल रहा था।

एक नजर महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा पर…
ऋषिकेश। 15 जनवरी 1983 को महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा का जन्म स्व. महंत अशोक प्रपन्नाचार्य व निशा शर्मा के घर हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा द दून स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने मास्टर आफ बिजनेश एडमिनिस्ट्रेटर किया। अपने छोटे भाई वरूण शर्मा के साथ उन्होंने बाल्यावस्था में स्वामी अहोवल मठ में वैष्णव परंपरा की दीक्षा वर्ष 1995 में ग्रहण की। विन्रम स्वभाव के वत्सल शर्मा शुरूआत से ही स्व. पिता महंत अशोक प्रपन्नचार्य के साथ श्री भरत मंदिर प्रबंधन के साथ जुड़े रहे।

कार्यक्रम में यह भी रहे मौजूद
ऋषिकेश। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, मेयर अनिता ममगाई, अखाड़ा परिषद के महामंत्री महामंडलेश्वर हरिगिरी, निर्मल आश्रम के महंत राम सिंह महाराज, महंत जोध सिंह महाराज, झंडा दरबार देहरादून के महंत देवेन्द्र दास महाराज, तुलसी मानस मंदिर हरिद्वार के महंत महामंडलेश्वर अर्जुनपुरी महाराज, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी महाराज, दक्षिणकालीपीठाधीश्वर महामंडलेश्वर कैलाशनंद ब्रह्मचारी, अवधूत बाबा अरूण महाराज, भरत मिलाप आश्रम के परमाध्यक्ष महंत रामकृपालुुदास महाराज, रामानंदाश्रम के परमाध्यक्ष महंत अभिरामदास महाराज, कैलाश पीठाधीश्वर मुनिकीरेती के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर दिव्यानंद महाराज, हरिहर पीठाधीश्वर हरिद्वार आश्रम के महंत प्रेमानंद महाराज, शिवानंद आश्रम के अध्यक्ष योग स्वरूपानंद महाराज, रामतपस्थली ब्रह्मपुरी परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वरदास महाराज, महंत अखंडानंद महाराज, महंत हरिनारायण महाराज, महंत विश्वेश्वरानंद महाराज, मौनीबाबा महाराज, श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेन्द्रजीत सिंह बिंद्रा, स्वामी पदभनामानंद महाराज आदि शामिल रहे।