शहरी विकास मंत्री ने निर्माण कार्यों का किया निरीक्षण

शहरी विकास मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने उत्तराखंड शहरी क्षेत्र विकास एजेंसी के अंतर्गत पेयजल, सीवरेज और ड्रेनेज तथा सड़क निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। इस दौरान मंत्री डॉ अग्रवाल ने निर्माण कार्य पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सरकार विकास कार्यों पर विशेष ध्यान दे रही है जबकि अधिकारी सरकार को पलीता लगा रहे हैं। मंत्री डॉ अग्रवाल की नाराजगी पर अधिकारियों ने मई 2023 तक गडढ़ा भरने, नाली तथा सड़क बनाने का कार्य पूर्ण करने की बात कही। वही, मंत्री डॉ अग्रवाल ने सड़क तथा सीवरेज के लिए बनाए जा रहे मेनहोल को खुलवाकर इसमें उपयुक्त ईंट की गुणवत्ता पर सवाल उठाया और सैंपल को जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए।
गुरुवार को मंत्री डॉ अग्रवाल देहराखास टीएचडीसी कॉलोनी पहुंचे। यहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने मंत्री डॉ अग्रवाल के समक्ष अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि यहां जगह-जगह सड़क के बीचो बीच बड़े गडढे़ हो रखे हैं जिनमें अकसर वाहन धंस जाते हैं। साथ ही रात्रिकाल में लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं।
मौके पर मंत्री डॉ अग्रवाल ने भी स्थानीय लोगों की समस्या को सही पाया। उन्होंने कहा कि जनता के लिए सरकार विकास कार्य करती है, ऐसे में यदि विकास कार्यों से जनता ही असंतुष्ट हो तो यह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा।
इस पर अधिकारियों ने मंत्री को आश्वासन देते हुए कहा कि मई 2023 तक गडढ़ा भरने, नाली व सड़क निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा। इस पर मंत्री अग्रवाल ने कहा कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता का विशेष ख्याल रखा जाए।
इस दौरान मंत्री ने निर्माणाधीन कच्ची सड़क का भी निरीक्षण किया। यहां रखी ईंट की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए मेनहोल को खुलवाया और ईट को निकालकर जांच करने के लिए निर्देश दिए। उन्होंने 1 माह से बंद नाली निर्माण कार्य को भी शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए।
इस दौरान यूयूएसडीए की निदेशक वंदना राजगुरु, अपर निदेशक विनय मिश्रा, मण्डल अध्यक्ष अजय शर्मा, महामंत्री दिनेश सती, महिला मोर्चा मण्डल अध्यक्ष वैजंती माला, उपाध्यक्ष बबली रावत, पार्षद आलोक कुमार, पार्षद राजपाल पयाल, शशि मोहन जोशी, अजय शर्मा, भगवती डोभाल, परियोजना प्रबंधक विपिन तिवारी, सहायक अभियन्ता पवन टोलिया, कनिष्ठ अभियंता शैलेन्द्र भट्ट, मिथिलेश कुमार, टाटा कन्सल्टिंग इंजीनिर्यस के विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
बता दे कि 72.36 करोड की लागत से निर्माण कार्य किया जाना है, जिसमें 13.68 करोड का व्यय किया जा चुका है। इसमें 29 कि0मी0 का सीवरेज नेटवर्क बिछाया जाना था। क्षेत्र में नालियों का निर्माण तथा सड़क सुधार का कार्य भी युद्धस्तर पर किया जा रहा है।

टिहरी में आयोजित जर्नी ऑफ टिहरी डैम कार्यक्रम में सीएम ने की शिरकत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं केंद्रीय विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा आयोजित “जर्नी ऑफ टिहरी डैम“ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि टीएचडीसी की टिहरी यात्रा कार्यक्रम के प्रारम्भ से पूर्व अतीत की ओर देखें तो जल विद्युत की अपार संभावनाओं वाले इस राज्य में वर्ष 1906-07 से ही लघु जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना होने लगी थी। 1914 में मसूरी के भट्टाफॉल में स्थापित ग्लोगी जल विद्युत परियोजना जो मैसूर के बाद देश का दूसरा और उत्तर भारत का प्रथम विद्युत संयंत्र था। जिसका वर्तमान में पुनः कायाकल्प किया जा रहा है।
समय के साथ-साथ ग्लोगी जल विद्युत परियोजनाओं से लेकर पंचेश्वर बांध परियोजना सहित लगभग 21 जल विद्युत परियोजनाओं में कई परियोजनायें निर्मित एवं क्रियाशील हैं, कुछ एक निर्माणाधीन हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल विद्युत परियोजना के इस सफर में टीएचडीसी का पदार्पण केन्द्र सरकार के माध्यम से 1989 में हुआ तथा 1990 में इस कार्पाेरेशन को विस्थापित लोगों के पुनर्वास की भी जिम्मेदारी सौंपी गई। 2400 मेगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता वाली इस परियोजना में दो चरण हैं। प्रथम चरण में 1000 मेगावॉट की टिहरी बांध एवं जल विद्युत परियोजना है। द्वितीय चरण में 1000 मेगावाट की टिहरी पम्प स्टोरेज प्लान्ट तथा 400 मेगावाट की कोटेश्वर बांध एवं जल विद्युत परियोजना है। सरकार द्वारा गत वर्ष टी०एच०डी०सी० के जलाशय का जलस्तर 830 मीटर भरने की भी अनुमति प्रदान की गयी। सरकार के इस निर्णय से उत्पादन में, जो पहले 3000 मिलियन यूनिट थी, उसमें जलस्तर बढ़ोत्तरी से 20 मिलियन यूनिट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन हो पाया है। जिससे 770 करोड़ रुपए की आय का प्रतिवर्ष बढ़ोत्तरी हो पा रही है।टिहरी बांध के अतिरिक्त कोटश्वर हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट सहित अन्य हाइड्रो, सौलर, पवन ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन कर रहा है तथा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदारी निभा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ज्भ्क्ब्प्स् देश में ऊर्जा संचय में भारत सरकार की पहल में अग्रणी भूमिका बढ़ाते हुए शीघ्र ही टिहरी च्ैच् परियोजना को पूर्ण करेगा और देश के विभिन्न राज्यों में भारत सरकार द्वारा सौंपी गई विभिन्न स्टोरेज परियोजनाओं में भी द्रुत गति से कार्य आगे बढ़ायेगा।
केंद्रीय मंत्री आर.के.सिंह ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में हाइड्रो पॉवर का महत्व बहुत बढ़ गया। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की मुहिम में क्लीन सोर्सेज ऑफ एनर्जी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने टिहरी हाइड्रो बांध की क्षमता के पूरे उपयोग के लिए सहमति देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि जिन राज्यों के पास हाईड्रो पॉवर का पोटेंशियल है, उन राज्यों की आर्थिकी को बढ़ाने में हाईड्रो पॉवर की अहम भूमिका रही है। हाईड्रो पॉवर के क्षेत्र में उत्तराखंड में भी अनेक संभावनाएं हैं। हैं। उन्होंने कहा कि हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने में कठिनाई तो है, लेकिन समाधान सेंसिविटी से किया जाय तो हाइड्रो प्रोजेक्ट फायदेमंद होते है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टिहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट के अंश के लिए उत्तराखंड सरकार से जो मांग की गई है, उस पर न्यायोचित कार्यवाही की जाएगी। टिहरी बांध से संबंधित पुनर्वास के सभी लंबित मामलों का समाधान किया गया है।
इस अवसर पर सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक किशोर उपाध्याय, जिला पंचायत अध्यक्ष टिहरी सोना सजवान, सचिव ऊर्जा भारत सरकार आलोक कुमार, सीडीओ टिहरी नमामि बंसल, एसएसपी नवनीत भुल्लर, प्रबंध निदेशक टीएचडीसी राजीव विश्नोई मौजूद थे।

राष्ट्रीय स्तर पर चयनित होने वाले खिलाड़ियों को विस अध्यक्ष ने किया सम्मानित

ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत टीएचडीसी के परिसर में स्पेशल ओलंपिक भारत उत्तराखंड के तहत दो दिवसीय राज्य स्तरीय चयन शिविर के समापन दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने अध्यक्ष विवेकाधीन कोष से शिविर में प्रतिभाग करने वाले 59 बच्चों को दो- दो हज़ार एवं 15 कोचों को भी दो-दो हज़ार रुपये देने की घोषणा की साथ ही राज्य स्तरीय चयन शिविर का आयोजन करने वाली सूर्यकिरण वेलफेयर सोसाइटी को भी एक लाख रुपये देने की घोषणा की।
टीएचडीसी परिसर के सामुदायिक भवन में आयोजित दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए राज्य स्तरीय चयन शिविर के समापन अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने विभिन्न खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर चयनित होने वाले खिलाड़ियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया।
बता दें कि स्पेशल ओलंपिक भारत उत्तराखंड के तहत राज्य स्तरीय चयन शिविर का आयोजन उत्तराखंड में पहली बार हुआ है जिसमें उत्तराखंड राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से दिव्यांग खिलाड़ियों ने हैंडबॉल, टेबल टेनिस, पावर लिफ्टिंग, बैडमिंटन, वॉलीबॉल एवं स्केटिंग जैसी खेल प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया, इन खेल प्रतियोगिताओं में 50 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया जिनमें 12 बालिका एथलीट एवं 38 बालक एथलीट सम्मिलित हुए साथ ही 15 कोच, 15 स्वयंसेवी एवं 10 खेल विशेषज्ञ भी राज्य स्तरीय चयन शिविर का हिस्सा बने।आयोजन समिति ने बताया कि 30 स्पेशल खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए चयनित किए गए हैं।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि स्पेशल ओलंपिक भारत उत्तराखंड के तहत राज्य स्तरीय चयन शिविर का आयोजन कर स्पेशल खिलाड़ियों को समाज की सामान्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। श्री अग्रवाल ने आयोजको का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस प्रकार के खेल शिविर का आयोजन करने से दिव्यांग खिलाड़ियों को भी आगे आने का मौका मिलेगा।
विस अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि भारत के खिलाड़ियों द्वारा ओलंपिक एवं पैरा ओलंपिक में कई मेडल अपने नाम किए एवं भारत का नाम विश्व में रोशन किया है। उन्होंने कहा कि स्पेशल खिलाड़ियों के प्रदर्शन से अन्य युवाओं को भी खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए प्रेरणा मिलेगी श्री अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड सरकार खेल एवं खिलाड़ियों के लिए संकल्पित है एवं खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह दिनेश सेमवाल, पूर्व प्रधानाचार्य डीबीपीएस रावत, वरिष्ठ खेल कोच डीपी रतूड़ी, नगर निगम पार्षद राजेंद्र सिंह बिष्ट, पैरा ओलंपिक खिलाड़ी नीरजा गोयल, खेल कोच नागेश राजपूत, मंडल अध्यक्ष गणेश रावत, समाज सेवी राजेश भट्ट, सरदार निरपाल सिंह, दिनेश पैन्यूली, रंजन अन्थवाल, सुनील थपलियाल, क्षेत्र पंचायत सदस्य अमर खत्री सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

टिहरी विस्थापित प्रत्येक परिवार को मिलेगा 74.4 लाख का मुआवजा

प्रदेश के पर्यटन, सिंचाई, लोक निर्माण, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के अथक प्रयासों से आखिरकार 20 वर्ष बाद टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित 415 विस्थापित परिवारों को न्याय मिलना संभव हो पाया है।

टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित 415 विस्थापित परिवारों के पुनर्वास संबंधी समस्याओं के निराकरण हेतु 22 जनवरी 2021 को प्रदेश के पर्यटन, सिंचाई, लोक निर्माण, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने टिहरी के जनप्रतिनियों और राज्य सरकार के अधिकारियों को साथ लेकर नई दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह के साथ एक बैठक की थी। बैठक में सतपाल महाराज के साथ टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, विधायक धन सिंह नेगी, घनसाली विधायक शक्ति लाल शाह, प्रताप नगर विधायक विजय सिंह पवार सहित अनेक विभागीय अधिकारी मौजूद थे।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह के साथ हुई उस ऐतिहासिक बैठक में तय किया गया था कि टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित 415 विस्थापित परिवारों के पुनर्वास संबंधी समस्याओं का समाधान न्यायालय की परिधि से बाहर किया जाएगा।

पर्यटन, सिंचाई, लोक निर्माण, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की देखरेख में टिहरी बांध विस्थापित 415 परिवारों को न्याय दिलाने के लिए लगातार चल रहे प्रयासों के तहत जनवरी से मैराथन बैठकों का दौर जारी रहा। जनवरी से अब तक टीएचडीसी अधिकारियों, सचिव सिंचाई उत्तराखंड और जिलाधिकारी टिहरी के बीच हुई अनेक बैठकों का परिणाम यह रहा कि टीएचडीसी ने उत्तराखंड सरकार को एक अंडरटेकिंग दी है। जिसमें कहा गया है कि वह संपार्श्विक क्षति नीति 2013 के तहत गठित तकनीकी समिति की संरचना के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा संशोधित आदेश जारी होने के बाद माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड में दायर अपनी रिट याचिका को वापस ले लेंगा।

साथ ही टिहरी बांध परियोजना प्रभावित 415 परिवारों के पुनर्वास को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से जो मुआवजा राशि तय की गई है वह प्रभावित क्षेत्र के तत्समय बाजारी दरों, सोलेशशियम, एक्सग्रेशिया, ब्याज और विकास लागत को जोड़कर प्रति परिवार 74.4 लाख रूपये आंकी गई है। टीएचडीसी और उत्तराखंड सरकार दोनों की सहमति से तय हुआ है कि बांध प्रभावित 415 परिवारों के पुनर्वास हेतु 74.4 लाख का मुआवजा प्रति परिवार के अनुसार दिया जाएगा।

इस समझौते के तहत रौलाकोट गांव के पुनर्वास के बारे में भी तय हुआ है कि ग्राम रौलाकोट के विस्थापन हेतु पुनर्वास निदेशालय के पास लगभग 70 एकड़ भूमि रोशनाबाद, रायवाला, घमंडपुर, आदि गांव में उपलब्ध है जो कि पहले टिहरी बांध प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए अधिग्रहित की गई थी। इसके अलावा लगभग 20 एकड़ भूमि विभिन्न स्थानों पर टीएचडीसी के स्वामित्व में है। क्योंकि उक्त भूमि को विकसित करने की आवश्यकता है इसलिए टीएचडीसी 10.5 करोड़ की राशि इसके लिए वहन करेगा।

कुल मिलाकर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के अथक प्रयासों से 20 वर्षों के लम्बे इन्तजार के बाद अब कहीं जाकर टिहरी बांध परियोजना प्रभावित 415 परिवारों की पुनर्वास संबंधित समस्याओं को लेकर एक बड़ी सफलता मिलती दिखाई दे रही है।

मुख्यमंत्री ने ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में फ्लोटिंग टरबाइन से अवसर तलाशने को कहा

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य की नदियों एवं नहरों में फ्लोटिंग टरबाइन के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएं तलाशने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि सोलर व विंड पावर की भांति ऊर्जा उत्पादन की यह विधि राज्य की नहरों एवं नदियों के अनुकूल होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में नदियों में इस प्रकार के फ्लोटिंग टरबाइन ऊर्जा उत्पादन के साथ ही खेतों की सिंचाई तथा पेयजल आपूर्ति में मददगार हो सके इसकी भी संभावनाएं तलाशी जाएं, इससे वर्षा जल पर आधारित खेतों की सिंचाई की निर्भरता कम होगी। उन्होंने इसके लिए स्थानीय लोगों को भी प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत बताई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की नदियों एवं नहरों का राज्य हित में तकनीकी के माध्यम से ऊर्जा एवं पर्यटन की दृष्टि से बेहतर उपयोग समय की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस दिशा में नदियों व नहरों की क्षमता के उपयोग लागत आदि का भी आधुनिक तकनीकी दक्षता के साथ आकलन करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रयासों से नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा। इस अवसर पर इस संबंध में प्रस्तुतीकरण भी प्रस्तुत किया गया।
बैठक में मुख्यमंत्री के तकनीकी सलाहकार नरेंद्र सिंह, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, सचिव अमित नेगी, नितेश झा, राधिका झा, तीनों ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशकों के साथ ही अन्य संस्थानों के अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।

कई कंपनियों का निजीकरण करने की तैयार कर रही सरकार

केंद्र सरकार ने अपनी कई कंपनियों का निजीकरण करने की पूरी तैयारी कर ली है। दिपावली से पहले इसका खाका तैयार किया जा रहा है। वहीं अब नई पॉलिसी के तहत नीति आयोग, विनिवेश और पब्लिक असेट मैनेजमेंट विभाग (दीपम) को नोडल विभाग बना दिया गया है।
पब्लिक असेट मैनेजमेंट विभाग की भूमिका बढ़ने के बाद अब जिन मंत्रालयों के अंदर यह कंपनियां आती हैं, उनकी किसी तरह की कोई भूमिका नहीं रहेगी। दीपम, नीति आयोग के साथ मिलकर के उन कंपनियों को देखेगा, जिनमें सरकार अपनी हिस्सेदारी घटा सकती है। वहीं दीपम विभाग के सचिव विनिवेश के लिए बने अंतर-मंत्रालय समूह के उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, जिन कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचेगी, उनकी दो चरणों में बोली लगेगी। पहले चरण में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) मंगाया जाएगा और दूसरे चरण में वित्तीय बोलियां मांगी जाएंगी। पहले चरण के लिए सरकार इच्छुक कंपनियों के साथ बैठक और रोड शो भी करेगी। विनिवेश का पूरा चरण चार से पांच माह में पूरा हो जाएगा।
जिन कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी को बेचने जा रही है, उनमें प्रमुख तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) भी शामिल है। इसके अलावा भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल), कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं। कंटेनर कॉरपोरेशन में 30 फीसदी हिस्सा बेचने को मंजूरी दी गई है।
केंद्र सरकार इसके अलावा टीएचडीसी और नीपको में अपनी हिस्सेदारी को एनटीपीसी को बेचने जा रही है। विनिवेश पर हुई सचिवों की बैठक में कुल आठ सचिव शामिल थे. इनमें दीपम, कानून सचिव, रेवेन्यू सेक्रेटरी, एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी, कॉरपोरेट अफेयर सेक्रेटरी भी शामिल रहे।
इस विनिवेश को करने के बाद सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) का प्रारुप तैयार करेगी। इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने मंत्रियों का समूह एक पखवाड़े में फैसला लेगा। सरकार एयर इंडिया की 30 हजार करोड़ रुपये की उधारी को अपने ऊपर लेगी। ईओआई से निवेशकों को पूरी तरह से पारदर्शिता मिलेगी।
बीपीसीएल की नेटवर्थ फिलहाल 55 हजार करोड़ रुपये है। अपनी पूरी 53.3 फीसदी बेचकर के सरकार का लक्ष्य 65 हजार करोड़ रुपये की उगाही करने का है। इसके लिए ससंद से भी मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। पिछले साल सरकार ने ओएनजीसी पर एचपीसीएल के अधिग्रहण के लिए दबाव डाला था। इसके बाद संकट में फंसे आईडीबीआई बैंक के लिए निवेशक नहीं मिलने पर सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में एलआईसी को बैंक का अधिग्रहण करने को कहा था। सरकार विनिवेश प्रक्रिया के तहत संसाधन जुटाने के लिये एक्सचेंज ट्रेडिड फंड (ईटीएफ) का भी सहारा लेती आई है।

ग्रामीणों का आरोप, कभी भी ढह सकता हैं उनका मकान!

चमोली जिले के दुर्गापुर बौंला गांव के समीप टीएचडीसी के द्वारा बनाए जा रहे टनल निर्माण में हो रहे विस्फोटों के कारण यह गांव भूस्खलन के चपेट में है। भूस्खलन होने के कारण दुर्गापुर की निवासी मथुरा देवी का आवासीय मकान खतरे की जद में है। यह मकान कभी भी टूट सकता है। प्रशासन को अवगत कराने के बावजूद भी ना तो अभी तक कोई अधिकारी मौके पर आया और ना तो टीएचडीसी द्वारा द्वारा कोई कार्यवाही की गई है। बता दे चमोली जिला भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील की श्रेणी में आता है। इस आवासीय मकान में मथुरा देवी के अलावा उनकी नातिन रहती है। अधिक वर्षा होने के कारण कभी भी यह मकान टूट सकता है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। अधिक वर्षा होने के कारण यह परिवार मकान टूटने के डर से रात भर सो नहीं पा रहा है। प्रशासन का आलम यह है कि जांच की बात तो कह रहा है लेकिन मौके पर जाने को कोई तैयार ही नहीं है। प्रशासन की इस अड़ियल रवैये से यह लगता है कि वह कोई अप्रिय घटना होने की इंतजार कर रहे हैं।​ वहीं, मामले में एसडीएम कह रहे है कि यह मामला उनके संज्ञान में है और जल्द ही इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।​

टीएचडीसी द्वारा किए जा रहे विस्फोटों के बारे जिले के तमाम अधिकारियों को शिकायती पत्र दिया है। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हमारा मकान कभी भी टूट सकता है, लेकिन हमारी कोई सुध लेने वाला नहीं है। अगर कल के दिन कोई अप्रिय घटना होती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
मथुरा देवी

कंपनी द्वारा किए जा रहे विस्फोटों के कारण पूरा गांव प्रभावित हो रहा है मथुरा देवी का मकान तो कभी भी ध्वस्त हो सकता है।
प्रकाश नेगी ग्राम प्रधान

टीएचडीसी के लिए उपलब्धियों भरा रहा वित्तीय वर्ष

ऋषिकेश।
वरिष्ठ प्रबंधक कॉरपोरेट संचार कपिल प्रसाद दुबे ने बताया कि कॉरपोरेशन ने गुजरात में दो पवन ऊर्जा परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। पाटन में 50 मेगावाट और द्वारिका में 63 मेगावाट परियोजनाओं को पूरा कर केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली 63 करोड़ की जेनरेशन बेस्ड इनसेन्टिव प्राप्त करने की पात्रता पूरी कर ली है। अब कॉरपोरेशन की कुल क्षमता 1513 मेगावाट हो गई है।
कॉरपोरेशन ने अंतरिम लाभांश 104.98 करोड़ केंद्र सरकार और 36.91 करोड़ उत्तर प्रदेश सरकार को दिए हैं। राजस्व वसूली का आंकड़ा 2276 करोड़ तक पहुंच गया है। इसमें पवन ऊर्जा से 23.4 करोड की राजस्व की वसूली शामिल है। पहली बार कॉरपोरेशन ने बाजार से वित्त इकट्ठा करते हुए ई-बिडिंग प्लेटफार्म बांबे स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से बोली लगाई। कॉरपोरेशन ने 300 करोड़ रुपये ग्रीन शू आप्सन के तहत जारी किए लेकिन 600 करोड़ का फंड एकत्र करने में सफलता पाई।
वरिष्ठ प्रबंधक ने बताया कि लक्ष्य 4189.12 मिलियन यूनिट का रखा गया था लेकिन कॉरपोरेशन ने 4370.81 मिलियन ऊर्जा का उत्पादन किया। इसमें टिहरी बांध से 3146.25, कोटेश्वर बांध से 1224.56 और विंड पॉवर से 59.4 मिलियन यूनिट ऊर्जा शामिल है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष में सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ इरीगेशन एंड पावर की ओर से टिहरी परियोजना को बेस्ट मेनटेंड प्रोजेक्ट, एनटीपीसी राजभाषा शील्ड और मानव संसाधन विकास के लिए एचआर एक्सीड अवार्ड भी दिया गया है।

विस्थापितो की समस्या को दरकिनार कर रही सरकार

ऋषिकेश।
आज देश के विकास का प्रतीक बना टिहरी बांध में 16 वर्ष पहले गोदी, सिरांई, माली देवल, उपूं, छाम, गिरांणी, लम्पोखरी, डोबरा, डोबरा प्लास, असेना, बड़कोट, क्यारी, पिनार्स नाम की 12 ग्रामसभा हुआ करती थी जो कि आज बढ़कर 15 ग्राम सभाएं हो चुकी है, लेकिन विकास के प्रतीक टिहरी बांध में अपनी भूमि देने के बाद पुर्नवास विभाग नई टिहरी द्वारा ऋषिकेश के पशुलोक, आमबाग और श्यामपुर क्षेत्र की वन भूमि पर बसाए गए 3000 परिवारों को आज 16 साल बाद भी अपने भूमिधरी अधिकार नही मिल पाया है।
अपने घर, जंगल और प्राकृतिक संसाधनों को त्याग कर ऋषिकेश में बसे ग्रामीणों को भूमिधरी अधिकार न मिल पाने के कारण, इनके स्थाई निवास सहित अन्य कोई प्रमाण पत्र नही बन पाते है। इन्हे जमीन की जमानत पर बैक लोन भी नही मिल सकता है। कारण यह कि तब पुर्नवास विभाग ने इस विस्थापितों को वन विभाग की भूमि पर बसाया गया था जिसके कारण आज तक ग्रामीणों को भूमिधरी का अधिकार नही मिल पाया है।
ऋषिकेश के पशुलोक, आमबाग और श्यामपुर क्षेत्र में टिहरी विस्तापितों के 3000 से अधिक परिवार रहते है जो आज तक ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत और निगर निकाय के चुनावों से वंचित रहे है इन लोगों को केवल लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोट देने का अधिकार है, चुनाव से पूर्व दो मुख्यमंत्री तक यहां आए और राजस्व ग्राम बनाने का वादा किया, लेकिन चुनावी जुमला होने के कारण वादे भूला दिये गये। ऐसे में अब ग्रामीणों ने आन्दोलन शुरू कर दिया है, सामुदायिक भवन में ग्रामीणों का धरना जारी है यही नही नेताओं के वादों से तंग हो चुके ग्रामीणों ने अब आने वाले विधानसभा चुनाव के बहिस्कार की चेतावनी तक दे डाली है, वही ऋषिकेश तहसील प्रशासन का कहना है कि राजस्व ग्राम का प्रस्ताव तहसील द्वारा बहुत पहले ही शासन को भेजा जा चुका है जिस पर शासन कुण्डली मार कर बैठा है।