मामा सीएम धामी को देख खिल उठे बच्चों के चेहरे

बनबसा स्पोर्ट्स स्टेडियम में राम दल द्वारा आयोजित फुटबॉल प्रतियोगिता के समापन अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सभी खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त करने के उपरांत फाइनल मैच का शुभारंभ किया। खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम से समाज में फैल रहे नशे को समाप्त करने में इस प्रकार के आयोजन साकार होंगे तथा हम जन-जन को इस नशा मुक्ति अभियान से जोड़ते हुए वर्ष 2025 तक प्रदेश को नशा मुक्त प्रदेश बनाए जाने के संकल्प को साकार करने में कामयाब होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में नई खेल नीति लागू की गई है जिससे प्रतिभावान खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है। साथ ही इसका लाभ गरीब तबके के प्रतिभावान को भी मिल रहा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विश्व में आज हर खेल के मैदान में भारत का डंका बज रहा है और हर जगह भारत का झंडा लहरा रहा है।
इस अवसर पर आयोजक राम दल के अध्यक्ष कमलेश भट्ट, जिला पंचायत सदस्य बनबसा रेणु अग्रवाल, जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह भंडारी, नवीन बोरा, राम सिंह जेठी, पुष्कर कापड़ी, एम आर चंन्द, योगेश चंन्द, प्रशासन के उच्चाधिकारी आदि मौजूद रहे।

फिल्म निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा रही-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सिल्वर सिटी में सातवें देहरादून अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बड़ी संख्या में फिल्म निर्माता शूटिंग के लिए उत्तराखंड आ रहे हैं। फिल्म निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में फिल्मकारों के हित में फिल्मांकन की स्वीकृति हेतु ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध करायी गई है। अब एक सप्ताह में फिल्मांकन की स्वीकृति प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड आने वाले समय में फिल्म मेकर्स का पसंदीदा डेस्टिनेशन बनेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देहरादून-दिल्ली एलिवेटेड एक्सप्रेस वे से दिल्ली से देहरादून का सफर महज दो से ढाई घंटे में किया जा सकेगा। उत्तराखण्ड अध्यात्म व योग की धरती है। प्रदेश का लगभग 70 प्रतिशत भूभाग प्राकृतिक सुंदरता व वनों से घिरा हुआ है जो फिल्मांकन के लिये अनुकूल है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक सुरेश गड़िया, फिल्म निर्माता निर्देशक मधुर भंडारकर, रोहित राय, करण प्रधान, अभिनेत्री रूपा गांगुली, दीपा चिखलिया, हास्य कलाकार एहसान कुरैशी आदि उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने बताया कविता को आत्मा की अभिव्यक्ति और दिल से निकली आवाज

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कविता को आत्मा की अभिव्यक्ति तथा दिल से निकली आवाज बताते हुए कहा कि जिसका दिल साफ होगा मन में दया होगी, पीड़ा होगी, वही कविता लिख सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना के बाद पहली बार भाषा विभाग द्वारा सर्वभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन सराहनीय पहल है। मुख्यमंत्री ने कवि सम्मेलन में पधारे कवियों को सम्मानित करते हुए कहा कि कवियों के बारे में कहावत है कि जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि। यही नहीं साहित्य, संगीत एवं कला से विहीन व्यक्ति को पशु के समान माना गया है। हमारे कवि समाज के पथ प्रदर्शक होते हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य आन्दोलनकारियों को नमन करते हुए सभी को राज्य स्थापना की भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि विविधता में एकता हमारी पहचान है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सायं आईआरडीटी सभागार में राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर भाषा विभाग द्वारा आयोजित सर्वभाषा कवि सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछले 22 सालों में उत्तराखण्ड विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ा है। राज्य के विकास के लिये तैयार रोड मैप पर कार्य किया जा रहा है। रोजगार और आर्थिकी को बढ़ावा देने के लिये पर्यटन कृषि बागवानी के क्षेत्र में योजनायें बनायी गयी है। 6 हजार एकड में लेण्ड बैंक बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक निवेशक राज्य में उद्योगों की स्थापना के प्रति आकर्षित हों। स्वयं सहायता समूहों की आर्थिकी को भी मजबूती देने के प्रयास किये जा रहे हैं। लखपति दीदी योजना में 2025 तक 1.25 लाख मातृशक्ति बहनों को लखपति बनाने की योजना बनायी गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माणा में केदारनाथ व हेमकुण्ड साहिब रोपवे के आदि योजनाओं के शिलान्यास के अवसर पर सभी लोगों से अपनी यात्रा व्यय का 5 प्रतिशत धनराशि वहां के स्थानीय उत्पादों के क्रय पर व्यय करने की बात कही। इससे स्थानीय उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में पधारे कवियों से भी अपेक्षा की कि वे अपनी अभिव्यक्ति की ताकत के बल पर इस अभियान को आगे बढ़ाने में सहयोगी बनें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का उत्तराखण्ड के प्रति विशेष लगाव है तथा उन्होंने उत्तराखण्ड को स्वर्ग की संज्ञा दी है। प्रधानमंत्री की अपेक्षाओं के अनुरूप 2025 तक उत्तराखण्ड देश के श्रेष्ठ राज्यों में अपनी पहचान बनाये इसके लिये हम सबको मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। राज्य के विकास की हम सबकी यह सामूहिक यात्रा है।
इस अवसर पर भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हमारा प्रदेश बहुभाषी, बहुधर्मी एवं बहु संस्कृतियों वाला प्रदेश है। राज्य की भाषा एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये भाषा विभाग द्वारा पहली बार यह पहल की है। इस आयोजन को भविष्य में और अधिक प्रभावी बनाये जाने की भी उन्होंने बात कही। उन्होंने मंचाशीन कवियों का आह्वान किया कि वे राज्य के प्रतिभावान युवा रचनाकारों को बेहतर प्लेटफार्म प्रदान करने में मददगार बनें ताकि उनकी भी पहचान देश व दुनिया में हो सके।
इस अवसर पर जिन कवियों ने अपनी कविताओं की प्रस्तुति दी उनमें बुद्धिनाथ मिश्र, अतुल शर्मा, अफजल मगलोरी, अम्बर खरबन्दा, प्रेम साहिल, नीता कुकरेती, बीना बेंजवाल, श्रुति वत्स, बसन्ती मठपाल, गिरीश सुन्दरियाल, दिनेश सुन्दरियाल प्रमुख रहे। निदेशक भाषा संस्थान स्वाति भदोरिया ने सभी का आभार जताया।

हर जरुरतमंद को सुलभ ईलाज पहुंचे सरकार कर रही प्रयास-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को जौलीग्रांट स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय में चिकित्सा शिक्षा पर 13 वें राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने कौशल व अनुरूपण उत्कृष्टता केंद्र का लोकार्पण भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयन इन्स्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी राम एक महान मानवतावादी, दार्शनिक, शिक्षक एवं श्रेष्ठ योगी थे। स्वास्थ्य देखभाल और आजीविका कौशल प्रदान करके इस पहाड़ी राज्य में अवसरों की कमी को दूर करने के उद्देश्य से उन्होंने हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट की स्थापना की थी। उनका मत था कि मानव शरीर भगवान का मंदिर है और अपने साथी प्राणियों की निस्वार्थ सेवा करना ही प्रार्थना का सर्वाेच्च रूप है। उनकी प्रेरणा से ही यह संस्थान देश को कई वर्षों से अपनी उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करता रहा है। आज हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान प्रदेश में चिकित्सा के क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट योगदान दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य में चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और चिकित्सा के क्षेत्र में सुधार के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। राज्य में निःशुल्क जांच योजना प्रारम्भ की है। जिसके तहत मरीजों को 207 प्रकार की पैथोलॉजिकल जांचों की निःशुल्क सुविधा दी जा रही है। आज प्रदेश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। प्रत्येक जिले में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। उत्तराखंड में आयुष्मान योजना के अन्तर्गंत 42 लाख 90 हजार से अधिक लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। आयुष्मान योजना के अंतर्गत अब तक 5 लाख 83 हजार से अधिक मरीज मुफ्त में उपचार करा चुके हैं। इस कल्याणकारी योजना के अंतर्गत लाभार्थियों के उपचार पर अब तक 1020 करोड़ खर्च किये जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कोविड महामारी के दौरान आशा वर्कर, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व पर्यावरण मित्रों को पांच माह तक 2-2 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की। हाल ही में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से उत्तराखंड रक्तदान में देश भर में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि योग्यता आधारित चिकित्सा पाठ्यक्रम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का सपना रहा है। अगर हमें आगे बढ़ना है तो अपने छात्रों को सही ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण से सज्जित करना होगा। यह आज के समय की मांग भी है। कोविड महामारी ने सिखाया है कि हम सभी को किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। हमारे मेडिकल कॉलेज को नियमित शिक्षण के साथ-साथ ई-शिक्षण के लिए तैयार रहना चाहिए तथा ई-मॉड्यूल और टेलीमेडिसिन से सुसज्जित रहना चाहिए। ताकि आने वाले समय में हम हर प्रकार से चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट बनें रहें और भविष्य की समस्याओं का सफलतापूर्वक सामना कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे मेडिकल छात्र ही भविष्य के भारत में उत्तम स्वास्थ्य सेवाओं का निर्धारण करेंगें। इसलिए चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता पर हमें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। रोगियों के कल्याण के लिए चिकित्सा शिक्षा से जुड़े छात्रों के कौशल और व्यवहार को परिष्कृत करने पर लगातार ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों से को चिकित्सा शिक्षा, ई-लर्निंग और सिमुलेशन लैब के लिए मजबूत मॉड्यूल विकसित करने हेतु आपस में सहयोग और समन्वय से कार्य करना होगा। उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में देश और दुनिया का नाम रोशन करें। इसके लिये सरकार हरसंभव सहयोग और सहायता प्रदान करेगी।
इस अवसर पर नीति आयोग दिल्ली के सदस्य डॉ. विनोद कुमार पॉल, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय धस्माना, प्रतिकुलपति डॉ. विजेन्द्र चौहान, हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रधानाचार्य डॉ. अशोक देवराड़ी, एसोसिएशन ऑफ हैल्थ प्रोफेशन एजुकेशन की अध्यक्ष डॉ. अंशु मौजूद रहे।

मुख्य सचिव ने फर्जी बिल लगाने वाले अस्पतालों पर शिकंजा कसने के दिये निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में सचिवालय में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण, उत्तराखण्ड की द्वितीय शासकीय सभा की बैठक आयोजित हुयी। बैठक में विभिन्न प्रस्तावों को अनुमोदन प्रदान किया गया।
मुख्य सचिव ने कहा कि आयुष्मान भारत, अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के अंतर्गत 100 प्रतिशत सैचुरेशन किया जाए। राशन कार्ड न होने के कारण जिनके आयुष्मान कार्ड नहीं बन पा रहे हैं, उनके लिए आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड आदि सरकारी पहचान पत्रों को अनुमन्य किया जाए। उन्होंने इसके लिए जनता की शिकायतों के निवारण के लिए प्रभावी प्रणाली तैयार करने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने फर्जी बिल लगाने वाले अस्पतालों पर लगातार जुर्माना लगाने और अस्पतालों की सूचीबद्धता समाप्त किए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि जिन अस्पतालों की सूचीबद्धता समाप्त की जा रही है, उन अस्पतालों की सूची समाचार पत्रों के माध्यम से प्रचारित की जाए। उन्होंने अधिकारियों को ओपीडी को पूर्ण कम्प्यूटरीकृत किए जाने के भी निर्देश दिए। साथ ही, कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में अस्पतालों को बढ़ावा देने हेतु पॉलिसी तैयार की जाए।
इस अवसर पर अध्यक्ष राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण डी. के. कोटिया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने की केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से भेंट

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी से भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से ‘‘मिनी प्रसाद योजना’’ एवं ‘‘स्वदेश दर्शन 2.0’’ के अन्तर्गत विभिन्न प्रस्तावों की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने मिनी प्रसाद योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में 7 प्रस्तावों एवं ‘‘स्वदेश दर्शन 2.0’’ के अन्तर्गत जनपद पिथौरागढ़ के आदि कैलाश, गुंजी, दत्तु तथा मुनस्यारी, जनपद चम्पावत के अन्तर्गत चम्पावत तथा चुखा, जनपद उत्तरकाशी के जादौंग, जनपद पौड़ी गढ़वाल में कण्वआश्रम की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य पर्यटन प्रदेश के रूप में विकसित किये जाने हेतु राज्य सरकार प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि मिनी प्रसाद योजना के अन्तर्गत जनपद अल्मोडा दूनागिरी (लागत 3.35 करोड़), जनपद चम्पावत गोरखनाथ मन्दिर (लागत 2.15 करोड़), जनपद पिथौरागढ़ श्री 1008 बालेश्वर महादेव प्राचीन शिव मन्दिर समूह थल (लागत 2.00 करोड़), जनपद पिथौरागढ पाताल भुवनेश्वर मन्दिर गंगोलीहाट (लागत 1.20 करोड़), जनपद चम्पावत बालेश्वर मन्दिर (लागत 1.41 करोड़), जनपद नैनीताल कैंचीधाम (लागत 4.98 करोड़), जनपद चमोली टिमरसैंण (लागत 4.10 करोड़) का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है। स्वदेश दर्शन योजना 2.0 के अन्तर्गत जनपद पिथौरागढ के आदि कैलाश, गुजी, दत्तु तथा मुनस्यारी जनपद चम्पावत के अन्तर्गत चम्पावत तथा चुखा, जनपद उत्तरकाशी के जादौंग जनपद पौडी गढवाल में कण्वआश्रम के लिए प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति होनी है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से उक्त प्रस्तावों की स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम तथा सचिन कुर्वे भी उपस्थित रहे।

सड़कों के पैचवर्क का काम जल्द पूरा हो-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में लोक निर्माण विभाग, एनएच और बीआरओ के प्रदेश में निर्माणाधीन और प्रस्तावित कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने मानसखण्ड कोरिडोर को राज्य सरकार का फ्लैगशिप कार्यक्रम बताते हुए इसमें प्रस्तावित कामों में तेजी लाने के निर्देश दिये। बजरंग सेतु को तय समय सीमा दिसम्बर 2022 तक पूर्ण करना सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी निर्णय लेने हैं उन पर बैठक में अंतिम रूप से तय कर लिया जाए। बैठकों का आउटपुट दिखना चाहिए।

डार्क स्पॉट का सर्वेक्षण कर जरूरी कदम उठाए जाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि जितने भी पुल और फ्लाईओवर हैं, वहां गति सीमा के बोर्ड लगाए जाएं। वहां ड्रैनेज की पूरी व्यवस्था हो। दुर्घटनाओं की दृष्टि से प्रदेश में डार्क स्पॉट का सर्वेक्षण कर जरूरी कदम उठाए जाएं। चारधाम यात्रा मार्ग और अन्य मार्गों पर सुरक्षा मानकों के अनुरूप क्रेश बैरियर में कुछ प्रगति हुई है, इसमें और तेजी लाई जाए। सड़कों के पैच वर्क का काम शीघ्रता से किया जाए।

लैंडस्लाइड जोन के ट्रीटमेंट प्लान पर गम्भीरता से काम हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि लैंडस्लाइड जोन के ट्रीटमेंट प्लान पर गम्भीरता से काम किया जाए। जहां सम्भव हो, आपदा प्रबंधन के मिटीगेशन फंड से प्रस्ताव बनाया जाए। वर्षाकालीन में मलबा आने वाले स्थानों का स्थाई समाधान हो।

केंद्रीय योजनाओं की राज्य स्तर से जरूरी प्रक्रियाओं को समयबद्धता से पूर्ण करना सुनिश्चित हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार के स्तर से संबंधित सभी प्रकरणों पर विस्तृत विवरण बना लिया जाए। केन्द्रीय मंत्रालय के साथ बैठक से पहले हमारी पूरी तैयारी होनी चाहिए। राज्य स्तर से जरूरी प्रक्रियाओं को समयबद्धता से पूर्ण करना सुनिश्चित किया जाए।

बेस्ट प्रेक्टीसेज काम में ली जाएं
गढवाल-कुमाऊँ कनेक्टीवीटी के लिए ज्योलिकोट से कर्णप्रयाग मार्ग में तेजी लाई जाए। कैंचीधाम में बाईपास निर्माण के लिए आवश्यक प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए। शहरों में सङको की स्थिति के बारे में शहरी विकास, आवास और लोक निर्माण विभाग की बैठक आयोजित कर ली जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि काम की गुणवत्ता भी सुनिश्चित हो और सरलीकरण भी हो। बेस्ट प्रेक्टीसेज को प्रयोग में लाया जाए।

निर्माण कार्याे की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एसओपी निर्गत की जा रही
बैठक में बताया गया कि निर्माण कार्याे की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एसओपी निर्गत की जा रही है। मोबाइल लैब की व्यवस्था की कार्यवाही गतिमान है। ऑनलाइन एनआईएस लागू की गई है। ई ऑफिस से पत्रावलियों का निस्तारण किया जा रहा है।

बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम सहित लोक निर्माण विभाग, एनएच, बीआरओ के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिये समेकित प्रयासों की जरूरत-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित सभागार में आयोजित बोधिसत्व विचार श्रृंखला-बिन पानी सब सून विचार संगोष्ठी को सम्बोधित किया। संगोष्ठी में प्रत्यक्ष एवं वर्चुअल रूप से विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव रखे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधिसत्व विचार श्रृंखला के अंतर्गत बिन पानी सब सून के रूप में विचार श्रृंखला की यह 8वीं संगोष्ठी है। उन्होंने कहा कि पानी जीवन का आधार है। जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में समेकित प्रयासों की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र से जुडे विषय विशेषज्ञों एवं बुद्धिजीवियों के विचारों एवं सुझावों को राज्यहित में उपयोगी एवं व्यावहारिक बताया। उन्होंने कहा कि जल के महत्व, संवर्धन एवं संरक्षण से सम्बन्धित संगोष्ठी के मंथन से निकलने वाला अमृत राज्य की लगभग 17 छोटी-बड़ी नदियों का जल स्तर बढ़ाने के प्रयासों को फलीभूत करने वाला होगा।
मुख्यमंत्री नेे कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर और अधिक विषय विशेषज्ञों के सुझावों का लाभ लेने के लिये राज्य स्तर पर एक फोरम का गठन किया जायेगा। उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को जन जन का कार्यक्रम बनाने पर बल देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों की सफलता के लिये सरकार के साथ सभी को सहयोगी बनना होगा। ऐसे कार्यक्रमों का ज्ञान विज्ञान एवं अनुसंधान के माध्यम से आगे बढ़ाना होगा तभी हम अपनी विरासत को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ने में भी सफल हो पायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जन संवर्धन की दिशा में राज्य में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रति जनपद 75 अमृत सरोवर बनाये जा रहे हैं। इस प्रकार प्रदेश में कुल 1275 अमृत सरोवर तैयार किये जायेंगे।
संगोष्ठी में विषय विशेषज्ञों द्वारा दिये गये सुझावों के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बांज के जंगलों के विस्तार, बंजर जमीन को उपजाऊ बनाये जाने तथा चीड के प्रबंधन पर ध्यान दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जल का बेहतर प्रबंधन से ही हम जल को बचा पायेंगे तथा नदियों के जल स्तर को बढ़ाने में सफल हो पायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग की बैठक में उन्होंने हिमालयी राज्यों के लिये अलग नीति बनाये जाने की बात रखी है। राज्य की इकोनॉमी एवं इकोलॉजी का बेहतर समन्वय कर हम संसाधनों का बेहतर उपयोग कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपने व्यवहार में पानी बचाने की प्रवृत्ति को अपनाना होगा। प्रदेश में जल स्त्रोतों के चिन्हीकरण के साथ ही ग्राम इकाइयों को इससे जोड़ने का प्रयास किया जायेगा।
इस अवसर पर पद्म कल्याण सिंह रावत ने गैर हिमानी नदियों को बचाने के लिये बांज व चौड़ी पत्ती के वृक्षों के रोपण पर ध्यान देने के साथ ही चीड़ का वैज्ञानिक प्रबंधन पर बल दिया। उनका सुझाव था कि होम स्टे योजना के तहत पहाड़ी शैली के भवनों के निर्माण के लिये चीड़ के पेड़ों के दोहन की व्यवस्था हो। बंजर खेतों को आबाद करने तथा बुग्यालों को बचाने की दिशा में भी पहल किये जाने का उनका सुझाव था।
पानी राखो आंदोलन के प्रणेता डॉ. सच्चिदानंद भारती ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में जल तलैया बनाने तथा धारे नोले के पुनर्जीवीकरण के लिये सरल व टिकाऊ तकनीकि पर ध्यान दिया जाए, जो लोगों को सहजता से जोड़ने का भी कार्य करें। उनका कहना था क धारे बचेंगे तो नदियां भी बचेंगी।
पर्यावरणविद राजेन्द्र सिंह बिष्ट ने सुझाव दिया कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, पानी के स्त्रोतों का चिन्हीकरण तथा जल संरक्षण के लिये ग्राम पंचायतों को जिम्मेदारी दी जाए। हेस्को के डॉ. विनोद खाती का कहना था कि खेत बंजर होने के कारण पहाड़ों में भूजल संरक्षण में कठिनाई आ रही है।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ वाटर मैनेजमेंट भुवनेश्वर के डॉ. अशोक नायक, रिमोट सेंसिंग के डॉ प्रवीन, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के निदेशक डॉ. प्रशांत राय, जल विज्ञान केन्द्र की सुश्री भक्ति देवी, डॉ रीमा, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी के डॉ. राजेश कुमार सिंह, नौला के श्री बिशन सिंह, कंसल्टेंट श्री भुवन जोशी, वाडिया इंस्टीट्यूट के डॉ. के. सी. सैन, एचएनबी गढ़वाल केन्द्रीय विश्व विद्यालय के प्रो. मोहन सिंह पंवार आदि ने भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव रखे। इस अवसर पर श्री भुपेन्द्र बसेड़ा द्वारा पानी के महत्व को दर्शाने वाली कैच द वाटर-कैच द रेन गीत की भी प्रस्तुति दी गयी।
इस अवसर पर सचिव मुख्यमंत्री आर. मीनाक्षी सुंदरम भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने किया।

चक जोगीवाला और साहब नगर के नदी किनारे बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का भौतिक निरीक्षण

कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने चक जोगीवाला, साहब नगर के नदी किनारे बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का भौतिक निरीक्षण किया। इस मौके पर मानसून से पूर्व सौंग और जाखन नदी के जल को गांव की उपजाऊ भूमि तक आने से रोकने के लिए चैनललाइजेशन के साथ जीआई वायरक्रेट लगाने के निर्देश दिए गए। साथ ही मौके पर निदेशक राजाजी नेशनल पार्क से दूरभाष पर वार्ता भी की।
सोमवार को मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल चक जोगीवाला और साहबनगर के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचे। डा. अग्रवाल ने कहा कि ग्राम चक जोगीवाला और साहबनगर आबादी क्षेत्र में फैला हुआ है। वर्षाकाल के दौरान सौंग और जाखन नदी की बाढ़ से यहां की आबादी प्रभावित होती है।
बताया कि वर्ष 2013 की आपदा के बाद से नदी का बहाव किसानों की उपजाऊ भूमि की ओर हो गया। जिसके चलते गांव में निवासरत लोगों को खेती बाड़ी का खतरा पैदा हो जाता है।
डा. अग्रवाल ने बताया कि इस क्षेत्र में 450 मीटर लंबी सुरक्षा दीवार का निर्माण होना है, जो बाढ़ सुरक्षा का कार्य करेगी और उपजाऊ क्षेत्र में नदी का बहाव को आने से रोकेगी। बताया कि यह कार्य मानसून के बाद प्रारंभ किया जाएगा।
बताया कि वर्तमान में मानसून से पूर्व इस वर्ष बाढ़ से निपटने को चैनललाइजेशन के साथ जीआई वायरक्रेट लगाई जा रही है, जो नदी से बायें तट की सुरक्षा करेगी। उन्होंने अधिकारियों को जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिए। साथ ही मौके पर निदेशक राजाजी नेशनल पार्क से दूरभाष पर वार्ता भी की।
डा. अग्रवाल ने बताया कि नदी के बहाव को किनारे से दूसरी दिशा में परिवर्तित करने के लिए सीसी पर स्पर बनाये जाएंगे। बताया कि यह कार्य 493.37 लाख की लागत से नाबार्ड के द्वारा किया जायेगा।
इस मौके पर सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीसी उनियाल, सहायक अभियंता अनुभव नौटियाल, कनिष्ठ अभियंता दिनेश कुमार, ब्लॉक प्रमुख भगवान सिंह पोखरियाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र नेगी, प्रधान साहबनगर सोबन सिंह कैंतुरा, क्षेत्र पंचायत सदस्य अमर खत्री, अम्बर गुरुंग, माया राम पैन्यूली, शैलेन्द्र रांगड़, धनेश नेगी, धर्म सिंह चौहान सहित ग्रामीण आदि उपस्थित रहे।

कल जारी होंगे उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा के परिणाम

उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा का रिजल्ट 6 जून 2022 को घोषित किया जायेगा। जिसे परिषद की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी कर दिया जायेगा। हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर में राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत की उपस्थिति में घोषित किये जायेंगे।
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की सचिव डॉ नीता तिवारी ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि 6 जून को अपराह्न 4 बजे उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं एवं 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम जारी कर दिये जायेंगे। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर में इस वर्ष के हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट सूबे के शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत की गरिमामयी उपस्थिति में घोषित किये जायेंगे। डॉ तिवारी ने बताया कि परीक्षाफल घोषित होने के उपरांत परिषद कार्यालय रामनगर की आधिकारिक वेबसाइट www-ubse-uk-gov-inwww-uaresults-nic-in पर रिजल्ट जारी किये जायेंगे, जहाँ परीक्षार्थी अपना परीक्षाफल देख सकेंगे। उन्होंने बताया कि परिषद द्वारा बोर्ड परीक्षाएं 28 मार्च 2022 से 19 अप्रैल 2022 के मध्य आयोजित की गई थी जो कि 1333 परीक्षा केन्द्रों में सफलतापूर्वक सम्पादित की गई। इस वर्ष संपादित बोर्ड परीक्षाओं के अंतर्गत हाईस्कूल में कुल 129778 एवं इंटरमीडिएट में कुल 113164 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। परीक्षा के उपरांत दिनांक 25 अप्रैल 2022 से 9 मई 2022 के मध्य उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया गया। विद्यालयी परिषद की सचिव ने बताया कि शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत के निर्देश पर पूरी पारदर्शिता के साथ समय पर बोर्ड परीक्षाओं के परीक्षा परिणाम तैयार किये गये हैं। सोमवार को रामनगर में शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत एवं परिषद के सभापति व निदेशक माध्यमिक शिक्षा डॉ आरके कुंवर सहित विभागीय अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति में बोर्ड परीक्षाओं के परीक्षाफल घोषित कर दिये जायेंगे।