वैली ऑफ वर्ड्स में पहली बार सूचना और संस्कृति विभाग भी होंगे सहयोगी

आगामी 12-13 नवंबर को देहरादून में वैली ऑफ वर्ड्स का छठा संस्करण आयोजित किया जाएगा। यह पहला अवसर है जब उत्तराखंड सरकार के सूचना एवं संस्कृति विभाग भी इस आयोजन में सहयोगी होंगे। वैली ऑफ वर्ड्स में इस बार 100 लेखक, 40 सेशन और 10 किताबों का विमोचन आकर्षण होगा।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में विशेष प्रमुख सचिव सूचना अभिनव कुमार एवं सेवानिवृत्त आईएएस संजीव चोपड़ा ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वैली ऑफ वर्ड्स का शुभारंभ उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह करेंगे जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहेंगे। 13 नवंबर को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। उन्होंने बताया कि बीते 5 वर्षों से लगातार यह आयोजन देहरादून में हो रहा है। इस बार मुख्यमंत्री की सहमति के बाद उत्तराखंड सरकार भी इसमें भागीदार है। उन्होंने कहा कि वैली ऑफ वर्ड्स के दौरान उत्तराखंड की फिल्म नीति को लेकर भी चर्चा होगी। वर्तमान में इस नीति को लेकर सुझाव आमंत्रित किये गए हैं। विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार ने कहा कि एक दो माह के अंदर फिल्म नीति को फाइनल कर लिया जाएगा। अभी तक आउटडोर शूटिंग पर ही फोकस होता था लेकिन अब प्रयास है कि फिल्म से जुड़ा हर पहलू मसलन लेखन, फोटोग्राफी, सिनेमेटोग्राफी इत्यादि यहीं पर हो।
वैली ऑफ वर्ड्स के दौरान विभिन्न गतिविधियां जैसे नृत्य प्रस्तुति, मंत्रणा कार्यक्रम भी होंगे। उन्होंने कहा कि हमारा पूरा प्रयास है कि देहरादून के वैली ऑफ वर्ड्स को जल्द से जल्द देश के सर्वश्रेष्ठ लिटरेचर फेस्टिवल के तौर पर पहचान मिले। इसके अलावा इस कार्यक्रम के दौरान रूसी एवं इसरायली किताबों पर भी चर्चा की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने सरस मेले में स्वयं सहायता समूहों के प्रयासों की सराहना की

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेसकोर्स में आयोजित सरस मेले में प्रतिभाग कर मेले में प्रतिभागी महिला स्वयं सहायता समूहों को सम्मानित किया। उन्होंने विभिन्न प्रदेशों से आये स्वयं सहायता समूहों के प्रयासों की सराहना करते हुए सरस मेलों के आयोजन को ग्रामीण आर्थिकी एवं महिला सशक्तिकरण को मजबूती प्रदान करने वाला बताया। मुख्यमंत्री ने मेले में स्वयं सहायता समूहों के स्टॉलों का भ्रमण कर उनके द्वारा तैयार किये गये उत्पादों की सराहना की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे आयोजन विभिन्न राज्यों के परम्परागत हस्तशिल्प एवं लोक कलाओं को प्रभावी मंच प्रदान करने के साथ उनके संरक्षण के लिये भी प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। इससे शिल्पियों, बुनकरों एवं कारीगरों को अपने उत्पादों के विपणन के लिये बाजार भी उपलब्ध कराने में भी मदद मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिये महिला स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल का मंत्र दिया है जिससे प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिलेगा तथा जहां बाजारों को उत्पाद मिलेंगे वहीं उत्पादकों को बाजार उपलब्ध होगा। प्रदेश में वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए भी इस तरह के आयोजन महत्वपूर्ण हैं।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक खजान दास, सचिव बी.वी.आर.सी. पुरूषोतम, जिलाधिकारी सोनिका, मुख्य विकास अधिकारी झरना कमठान आदि उपस्थित थे।

उत्तराखंड को पर्यटन पुरस्कार मिलने पर सीएम ने दी बधाई

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को नई दिल्ली में विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर उत्तराखंड को बेस्ट एडवेंचर टूरिज्म डेस्टिनेशन एवार्ड तथा पर्यटन के सर्वांगीण विकास के लिए प्रथम पुरस्कार प्रदान किये जाने पर प्रदेशवासियों को शुभकामना दी है। मुख्यमंत्री ने इसे प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देने वाला बताते हुए कहा कि इससे उत्तराखंड के नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य एवं पर्यटन क्षेत्रों को देश व दुनिया में पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर राज्य के पर्यटन को यह एक सौगात है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। साहसिक पर्यटन के दृष्टिगत माउंटेनियरिंग, रिवर राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कैम्पिंग, पैराग्लाइडिंग, माउंटेन बाईकिंग आदि गतिविधियों का भी राज्य में काफी विस्तार हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चारधाम कॉरिडोर की तर्ज पर कुमाऊं क्षेत्र में मानस खंड कॉरिडोर बनाने के लिये भी प्रयासरत है। इससे जहां एक ओर क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर पूरे कुमाऊं के आधारभूत ढ़ांचे को भी मजबूती मिलेगी।

पर्यटन के सर्वांगीण विकास के लिए प्रदेश को मिला प्रथम पुरस्कार

विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर उत्तराखंड राज्य को पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा बेस्ट एडवेंचर टूरिज्म डेस्टिनेशन और पर्यटन के सर्वांगीण विकास के लिए प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया है। प्रदेश के पर्यटन व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने मंगलवार को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ से यह पुरस्कार प्राप्त किया। इस अवसर पर सचिव पर्यटन सचिन कुर्वे भी उपस्थित रहे।

उत्तराखंड को ये पुरस्कार मिलने पर पर्यटन मंत्री महाराज ने समस्त प्रदेशवासियों और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को बधाई दी। महाराज ने कहा कि यह सम्मान उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य देश-विदेश के सैलानियों को प्रदेश में आने का निमंत्रण देता है जहां पर्यटन की सभी श्रेणियों में हर प्रकार की सुविधाएं और अवसर उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार को ही मसूरी में हेलीकॉप्टर के माध्यम से हिमालय दर्शन की सेवा का भी शुभारंभ किया गया है।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा पर्यटन विभाग उत्तराखंड में पर्यटकों को आकर्षित करने वाली कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को मिले दोनों पुरस्कार यह सिद्ध करते हैं कि प्रदेश को लेकर पर्यटकों के बीच लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है। श्री महाराज ने कहा कि हिमालय दर्शन सेवा शुरू होने से प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में और बढ़ोत्तरी होगी। पर्यटक जॉर्ज एवरेस्ट से हेलीकॉप्टर के माध्यम से हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियों और उत्तराखंड के अलौकिक नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद ले सकेंगे।

पर्यटन के क्षेत्र में राज्य में उठाये गये नए कदमों की जानकारी देते हुए सतपाल महाराज ने कहा कि पर्यटकों की बढ़ती हुई रूचि को देखते हुए पर्यटन विभाग ने विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर एक बहुत ही आकर्षक फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी कॉन्टेस्ट का भी शुभारंभ किया है। इसके अंतर्गत पांच विभिन्न श्रेणियों में फोटो एवं वीडियो ऑनलाइन आमंत्रित किए जा रहे हैं। इस कॉन्टेस्ट के माध्यम से पर्यटन प्रेमियों को 25 लाख रुपए से भी अधिक के पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।

महाराज ने बताया उत्तराखंड पर्यटन द्वारा देशभर के ट्रैवल इनफ्लुएंसर के लिए भी एक आकर्षक योजना लांच की गई है जिसके अंतर्गत अंग्रेजी ही नहीं अपितु क्षेत्रीय भाषाओं में वीडियो बनाने वाले ट्रैवल इनफ्लुएंसर का इंपैनलमेंट पर्यटन विभाग में किया जाएगा। इसके पश्चात उन्हें उत्तराखंड में विभिन्न स्थानों पर परिचयात्मक भ्रमण अर्थात फैमिलियराइजेशन टूर आयोजित करवाए जाएंगे, जो उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रायोजित होंगे। श्री महाराज ने कहा कि हमारी योजना है कि ट्रैवल और टूरिज्म क्षेत्र के इनफ्लुएंसर्स के माध्यम से उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता, यहां की लोक कलाएं, यहां की ग्रामीण संस्कृति, यहां की एडवेंचरस भू-पारिस्थितिकी, होमस्टे, अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव और पौष्टिक व्यंजन देश के कोने-कोने तक पहुंचें।

पर्यटन मंत्री महाराज ने कहा, प्रदेश में शीतकालीन पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए इस बार कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इनमें अक्टूबर 2022 से जनवरी 2023 तक होने वाला ट्रैक ऑफ द ईयर-पिंडारी ग्लेशियर और बागची बुग्याल, मसूरी व नैनीताल में दिसंबर 2022 में आयोजित होने वाला विंटर लाइन कार्निवाल, दिसंबर 2022 से जनवरी 2023 तक चंपावत में राफ्टिंग चौंपियनशिप, फरवरी 2023 में औली में आयोजित होने वाली नेशनल स्कीइंग चौंपियनशिप और मार्च 2023 में ऋषिकेश में होने वाला अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव जैसे आयोजन शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने की केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से भेंट

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी से भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से ‘‘मिनी प्रसाद योजना’’ एवं ‘‘स्वदेश दर्शन 2.0’’ के अन्तर्गत विभिन्न प्रस्तावों की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने मिनी प्रसाद योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में 7 प्रस्तावों एवं ‘‘स्वदेश दर्शन 2.0’’ के अन्तर्गत जनपद पिथौरागढ़ के आदि कैलाश, गुंजी, दत्तु तथा मुनस्यारी, जनपद चम्पावत के अन्तर्गत चम्पावत तथा चुखा, जनपद उत्तरकाशी के जादौंग, जनपद पौड़ी गढ़वाल में कण्वआश्रम की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य पर्यटन प्रदेश के रूप में विकसित किये जाने हेतु राज्य सरकार प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि मिनी प्रसाद योजना के अन्तर्गत जनपद अल्मोडा दूनागिरी (लागत 3.35 करोड़), जनपद चम्पावत गोरखनाथ मन्दिर (लागत 2.15 करोड़), जनपद पिथौरागढ़ श्री 1008 बालेश्वर महादेव प्राचीन शिव मन्दिर समूह थल (लागत 2.00 करोड़), जनपद पिथौरागढ पाताल भुवनेश्वर मन्दिर गंगोलीहाट (लागत 1.20 करोड़), जनपद चम्पावत बालेश्वर मन्दिर (लागत 1.41 करोड़), जनपद नैनीताल कैंचीधाम (लागत 4.98 करोड़), जनपद चमोली टिमरसैंण (लागत 4.10 करोड़) का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है। स्वदेश दर्शन योजना 2.0 के अन्तर्गत जनपद पिथौरागढ के आदि कैलाश, गुजी, दत्तु तथा मुनस्यारी जनपद चम्पावत के अन्तर्गत चम्पावत तथा चुखा, जनपद उत्तरकाशी के जादौंग जनपद पौडी गढवाल में कण्वआश्रम के लिए प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति होनी है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से उक्त प्रस्तावों की स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम तथा सचिन कुर्वे भी उपस्थित रहे।

पार्किंग समस्या को लेकर नए प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने सोमवार को सचिवालय में प्रदेश में बनाई जाने वाली नई पार्किंग प्रोजेक्ट्स की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को सभी पार्किंग्स के लिए साइट स्पेसिफिक कम्पलीशन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने खूबसूरत पर्यटन स्थलों में बड़ी-बड़ी पार्किंग्स बनाकर बर्बाद न करने की बात दोहराते हुए कहा कि कोशिश की जाए कि पर्वतीय पर्यटक स्थलों में छोटी-छोटी पार्किंग बनायी जाएं।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में, विशेषकर पर्वतीय शहरों में पार्किंग एक विकराल समस्या बनती जा रही है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को लगातार नए पार्किंग स्थल ढूंढ़ते रहने के निर्देश दिए। कहा कि हर जिले में प्रयोग के तौर पर कम से कम एक प्रोजेक्ट टनल पार्किंग का अवश्य बनाएं। किसी भी पार्किंग प्रोजेक्ट में जहां पर कोई रूकावट आ रही है, सम्बन्धित अधिकारी या सचिव से सम्पर्क कर समस्या का निस्तारण किया जाए। उन्होंने अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन को पार्किंग प्रोजेक्ट्स के लिए डेडीकेटेड अधिकारी लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि डेडीकेटेड अधिकारी को लगाने से कार्य में तेजी आएगी। जिन पार्किंग के निर्माण में कोई समस्या नहीं है, उनमें तुरंत कार्य शुरू कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि पार्किंग प्रोजेक्ट्स की प्रगति की समीक्षा प्रत्येक सप्ताह की जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन सहित सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी एवं वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जनपदों के जिलाधिकारी उपस्थित रहे।

प्रदेश में अधिक से अधिक हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स बनाए जाने के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने सचिवालय में प्रदेश में बनाए जा रहे हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स की प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने सभी हेलीपोर्ट्स और हेलीपेड्स की प्रगति पर विस्तार से चर्चा की।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में चार धाम और पर्यटन के साथ ही यहां की खूबसूरती और शांति के कारण टूरिज्म की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे पर्यटकों के पास पैसा तो है पर समय का अभाव है जिसके चलते ऐसे पर्यटक यहां आने से बचते हैं। मुख्य सचिव ने ऐसे पर्यटकों को भी ध्यान में रखते हुए प्रदेश में अधिक से अधिक हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स बनाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जॉय राइड्स की भी असीम संभावनाएं हैं, इसके साथ ही हिमालय दर्शन जैसी योजनाओं को अधिक से अधिक स्थानों से संचालित किया जाए। इसके लिए हेली के साथ ही फिक्स विंग सेवाओं पर भी फोकस किया जाए। उन्होंने कहा कि यहां की खूबसूरती के देखने के बाद इन्हीं में से बहुत से लोग यहां इन्वेस्ट करने को आगे आएंगे।
मुख्य सचिव ने कुछ हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स के लिए कई बार बिड्स फेल होने पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा कि टेंडर करते समय ग्राउंड रियलिटी के अनुसार रेट तय किए जाएं। मुख्य सचिव ने कहा कि हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स का मास्टर प्लान बनाते समय भविष्य की संभावनाओं और आवश्यकताओं को देखते हुए प्लानिंग की जाए। इन हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स का ट्रैफिक प्लान अगले 20, 25, 50 साल के ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए बनाया जाए।
मुख्य सचिव ने हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स के लिए भूमि चयनित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि हमारे उद्देश्य की पूर्ति हो। रीजनेबल रेट पर मिलने पर प्राइवेट लैंड भी खरीदा जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकारी जगह ढूंढने के चक्कर में कई बार हम ऐसी जगह अस्पताल, स्कूल, आईटीआई आदि खोल लेते हैं जहां कोई नहीं जाता है।
मुख्य सचिव ने कहा कि रामनगर में हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने डीएम नैनीताल को रामनगर में हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स की स्थापना को प्राथमिकता पर लिया जाए। उन्होंने कहा कि मसूरी, नैनीताल और हरिद्वार जैसे पर्यटक स्थलों में 2 या 2 से अधिक हेलीपोर्ट्स या हेलीपैड्स बनाए जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि नए प्रस्तावित हेलीपोर्ट्स या हेलीपैड्स में फीजिबिलिटी शीघ्र करवा ली जाए। फॉरेस्ट क्लीयरेंस और लैंड एक्विजिशन के कार्यों में भी तेजी लाते हुए शीघ्र अतिशीघ्र इनका निर्माण कार्य शुरू करवाया जाए।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में इस समय कुल 83 हेलीपैड्स हैं, जिसमें 51 सरकारी और 32 प्राइवेट हैं। साथ ही अंडर कंस्ट्रक्शन हेलीपैड्स की संख्या 22 है। पर्यटन विभाग ने 33 नए हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स प्रस्तावित किए हैं। जनपदों द्वारा 10 नए प्रस्ताव भेजे गए हैं।
इस अवसर पर सचिव दिलीप जावलकर, सीईओ सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी सी. रविशंकर सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित रहे।

सितम्बर से गंगा में फिर शुरु होगी राफ्टिंग

ऋषिकेश में राफ्टिंग का बेसब्री से इंतजार करने वाले लोगों के लिए एक सितंबर से तीर्थनगरी में राफ्टिंग के संचालन पर लगी रोक हट जाएगी। जिसके बाद आप एक बार फिर राफ्टिंग का लुत्फ उठा सकते है।
आपको बता दें कि यहां 280 राफ्टिंग कंपनियां हैं और 575 राफ्टों का संचालन उन कंपनियों के तहत किया जाता है। ऋषिकेश में क्लब हाउस से राम झूला तक की राफ्टिंग की जाती है जो कि 9 किलोमीटर की दूरी तय करती है और इसका प्रति व्यक्ति रेट 600 है। ब्रह्मपुरी से रामझूला तक भी 600 प्रति व्यक्ति रेट है और यह भी 9 किलोमीटर की दूरी तय करती है। शिवपुरी से राम झूला तक 15 किलोमीटर की दूरी के हजार रुपए हर एक व्यक्ति से चार्ज किए जाते हैं। शिवपुरी से मरीन ड्राइव तक 10 किलोमीटर की राफ्टिंग में हर व्यक्ति से 600 रुपए चार्ज किए जाते हैं।
कोडियाला से राम झूला तक 35 किलोमीटर की राफ्टिंग में 2500 चार्ज किए जाते हैं तो वहीं कोडियाला से शिवपुरी तक 20 किलोमीटर की राफ्टिंग में हर व्यक्ति से 1500 रुपए लिए जाते हैं। बता दें कि कोडियाला से राम झूला तक तकरीबन 35 किलोमीटर के रास्ते में गंगा के सबसे अधिक खतरनाक और रोमांचक रैपिड पड़ाव पड़ते हैं और पर्यटक इनका खूब आनंद लेते हैं। ऋषिकेश में गंगा घाटी के कोडियाला मुनिकीरेती इको जोन में 1 जुलाई से मानसून के चलते रिवर राफ्टिंग का संचालन नहीं हो रहा है।
राफ्टिंग एक्टिविटी 1 जुलाई से 31 अगस्त तक बंद रहती है। ऐसे में राफ्टिंग के शौकीनों को दो माह का लंबा इंतजार करना पड़ता है। इस साल सीजन में जुलाई तक 5 लाख से ज्यादा सैलानी ऋषिकेश में राफ्टिंग का लुत्फ उठा चुके हैं। इससे करीब 25 हजार से ज्यादा परिवारों की आजी​विका चल रही है। मगर अब बरसात के बाद नए सत्र में राफ्ट एक बार फिर से गंगा नदी में उतरेंगे और लंबे समय के बाद पर्यटक राफ्टिंग का मजा ऋषिकेश में ले सकते हैं।

उत्तराखण्ड में आतिथ्य क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं पर सीएम ने निवेशकों से की चर्चा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राजपुर रोड स्थित होटल में उत्तराखण्ड में पर्यटन क्षेत्र के विकास और निवेशकों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) की ओर से उत्तराखण्ड में आतिथ्य क्षेत्र में निवेश की संभावना विषय पर चर्चा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथ प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन से संबंधित योजनाओं पर तेजी से क्रियान्वयन के लिए सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जायेगा। जिसमें वित्त, आवास, लोक निर्माण विभाग, पुलिस, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं सबंधित विभागों के अधिकारी सदस्य होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड निवेशकों को सुरक्षित निवेश की गारंटी देता हैं। निवेशकों को हर संभव मदद देने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। प्रदेश सरकार का लक्ष्य आने वाले 5 साल में उत्तराखण्ड को पर्यटन क्षेत्र में सर्वाेपरि बनाने का है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए जो भी सुझाव प्राप्त हुए हैं। इन सुझावों को आगे की कार्ययोजना में शामिल किया जायेगा। जो भी समस्याएं पर्यटन क्षेत्र से जुड़े हितधारकों द्वारा रखी गई, उनकी निदान के हर संभव प्रयास किये जायेंगे। सरलीकरण, समाधान, निस्तारण एवं संतुष्टि के भाव से कार्य किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। राज्य में हवाई, सड़क एवं रेल कनेक्टिविटी का तेजी से विस्तार हो रहा है। राज्य में हवाई कनेक्टिविटी बढ़े इसके लिए ए.टी.एफ में 18 प्रतिशत की कमी की गई है। उत्तराखण्ड का नैसर्गिक सौन्दर्य पर्यटकों को उत्तराखण्ड आने के लिए आकर्षित करता है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पर्यटन नीति लागू की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश में नई कार्य संस्कृति आई है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के मूल मंत्र पर देश आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दशक उत्तराखण्ड का दशक होगा। 2025 तक उत्तराखण्ड को हर क्षेत्र में देश को अग्रणी राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। सभी विभागों को अगले 10 सालों का रोडमैप बनाने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 3 माह बाद भी पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों से संवाद किया जायेगा।
सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि निवेशकों के लिए सरकार की ओर से बनाई गई नीतियों का सरलीकरण किया जाएगा। जिससे निवेशकों को उत्तराखण्ड में पर्यटन के क्षेत्र में निवेश करने में आसानी हो सके। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा कि पर्यटन से उत्तराखण्ड का जहां राजस्व बढ़ता हैै वहीं बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार के साधन भी उपलब्ध होते हैं। पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने के बाद पर्यटन में निवेश की असीम संभावनाएं हैं। कार्यक्रम में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों व निवेशकों ने पर्यटन और प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अपने सुझाव भी दिए।
इस अवसर पर सचिव एस.एन. पाण्डेय, पर्यटन क्षेत्र से जुड़े हितधारक एवं विभिन्न राज्यों से आये पर्यटन व्यवसायी मौजूद रहे।

राज्य के प्रस्ताव को केन्द्र ने दी वित्तीय स्वीकृति, बहुरेंगे टिहरी के दिन

बहुपक्षीय विकास बैंकों की मदद से टिहरी झील और उसके जल ग्रहण क्षेत्र के समग्र विकास के राज्य सरकार के एक महत्वकांक्षी प्रस्ताव को केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अंतर्गत प्रदेश सरकार को एशियन डेवलपमेन्ट बैंक तथा ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक के माध्यम से कुल 2030 लाख अमरीकी ड़ॉलर का ऋण मिलेगा। इस परियोजना के अन्तर्गत कोटी कालोनी, नई टिहरी, तिवाड़ गांव, डोबरा चांटी, टिहरी झील तथा मदन नेगी को कलस्टरों के रूप में विकसित किया जायेगा। परियोजना के अन्तर्गत टिहरी झील में चार स्थानों पर जल क्रीड़ा सम्बन्धित केन्द्र, टैन्ट कॉलोनी निर्माण, कोटी कॉलोनी से डोबरा-चांटी तक पर्यटन रोड का निर्माण, होम स्टे कलस्टरों का निर्माण, डोबरा चांटी पार्क, मल्टी लेवल कार पार्किंग, एकीकृत सूचना केन्द्र, मनोरंजन कॉम्पलेक्स, एक्वैटिक कॉम्पलेक्स, 3 स्टार बुटीक होटल, स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर, बायो डायर्वसिटी पार्क, योग एवं पंचकर्म केन्द्र, रोपवे निर्माण, तटीय क्षेत्र में वृहद वृक्षारोपण तथा लाइट एवं साउन्ड लेजर शो आदि विविध कार्य प्रस्तावित है। इस संबंध में एडीबी की टीम शीघ्र ही उत्तराखंड का दौरा करेगी।
इस परियोजना का उद्देश्य टिहरी को उत्तराखंड के ब्रांड टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने का है, जिसे स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए विकसित किया जाएगा। इसके अंतर्गत टिहरी शहर के एतिहासिक महत्व को पुर्नस्थापित करने, पर्यटन ढाँचे को मजबूत बनाने, बेहतर क्षमताओं से युक्त रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने तथा पलायन को कम करने का काम किया जायेगा। परियोजना के उद्देश्यों में पर्यटकों के टिहरी प्रवास की औसत अवधि को बढ़ाकर तीन दिन तक करना भी शामिल है।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा है, इस योजना के माध्यम से उत्तराखंड सरकार टिहरी को स्थानीय लोगों की भागीदारी के साथ एक वैकल्पिक पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करना चाहती है। इस परियोजना से प्रत्यक्ष तौर पर लगभग चालीस हजार और परोक्ष रूप से लगभग दो लाख परिवार लाभान्वित होंगे। उन्हांेने कहा कि इस परियोजना के लिए हरित तकनीकी का प्रयोग किया जायेगा और अनिवार्य सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा। इस परियोजना के अन्तर्गत सतत विकास उद्देश्यों के अनुरूप इस संवेदनशील क्षेत्र में सतत एवं उत्तरदायी पर्यटन को सुनिश्चित किया जायेगा।
उन्होंने कहा परियोजना के माध्यम से बाजार की मांग के अनुरूप क्षमता निर्माण करते हुए स्थानीय लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर मे सुधार लाया जायेगा। परियोजना का उद्देश्य पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना ग्रामीण क्षेत्र को आर्गेनिक होमस्टे के रूप में विकसित कर उत्तरदायी पर्यटन की दिशा में आगे कदम बढ़ाना है। परियोजना में स्वास्थ्य व स्वच्छता के स्तर को बेहतर बनाने के लिए सेनिटेशन की व्यवस्था का प्रस्ताव भी है। सचिव, पर्यटन ने कहा कि परियोजना की वहनीयता को बढ़ाने के लिए स्थानीय संसाधनों का उपयोग किया जायेगा और उर्जा के अक्षय स्रोतों उपयोग सुनिश्चित किया जायेगा। परियोजना के अन्तर्गत कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के उद्देश्य से व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाने की भी योजना है।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार ने वित्त मंत्रालय के समक्ष इस परियोजना का संशोधित प्रस्ताव प्रस्तुत किया था जिसमें टिहरी में पर्यटन अवस्थापना एवं सुविधाओं के विकास के साथ-साथ झील के चारों ओर एक रिंग रोड बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है। प्रस्ताव को नीति आयोग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय के समर्थन के उपरान्त वित्त मंत्रालय द्वारा स्वीकृति दे दी गई है।