राज्य सरकार ने 10वीं और 12वीं के 94 मेधावी छात्रों को सम्मानित किया

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को आई.आर.डी.टी. सभागार, सर्वे चौक देहरादून में आयोजित 10वीं एवं 12वीं परीक्षा में उत्तीर्ण मेधावी छात्र-छात्राओं के ‘सम्मान समारोह’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की ओर से 94 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी मेधावियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें गर्व का अनुभव हो रहा है, आज वे प्रदेश के उन सर्वश्रेष्ठ बच्चों से मिल रहे हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर यह दिखाया है कि शिखर पर जाने के लिए एक स्पष्ट उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है। शिक्षा से जीवन की सभी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। शिक्षा में भक्ति जैसी सारगर्भिता होनी चाहिए। उन्होंने मेधावी विद्यार्थियों से कहा कि यह जीवन की प्रारंभिक सीढ़ी है। जीवन की प्रत्येक सीढ़ी पर आपको चुनौतियां मिलेंगी, जिन पर आपको विवेक और बुद्धि के बल पर पार पाना होगा। न तो मेहनत का कोई विकल्प होता है और न ही शॉर्ट कट कभी हमें स्थायी सफलता की ओर ले जाता है। इसलिए हमें विकल्प रहित संकल्प लेकर लगातार मेहनत करनी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रश्न पत्र के माध्यम से ही जीवन में हमेशा परीक्षा नहीं आती। कई बार ऐसी चुनौतियां आती हैं, जिनका समाधान अपनी पूरी मेधा लगाकर ही पाया जा सकता है। कार्य करने का अवसर जिस भी क्षेत्र में मिले उस क्षेत्र में लीडर की भूमिका में कार्य करें, उस कार्य के प्रति अपना सर्वश्रेष्ठ दें। चुनौतियों का धैर्यपूर्वक सामना करते हुए अपने पुरुषार्थ के बल पर मंजिल प्राप्त करना ही वास्तविक सफलता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी देश का सामाजिक एवं आर्थिक विकास उस देश में विद्यार्थियों को मिलने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नए युग की नई चुनौतियों से निपटने के लिए नई शिक्षा नीति को हमारे सम्मुख रखा गया। नई शिक्षा नीति से जहां एक ओर स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा को नए आयाम प्राप्त होंगे वहीं इससे सभी वर्ग के लोगों को समानता के आधार पर शिक्षा प्राप्त करने के अवसर भी मिलेंगे। स्कूली स्तर पर कौशल विकास से युवा कार्य कुशल बनेंगे। नई शिक्षा नीति के माध्यम से बच्चों को रोजगार परक शिक्षा के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने में भी सहायता मिलेगी। इससे शोध एवं अनुसंधान को भी बढ़ावा मिलेगा तथा विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच विकसित होगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का प्रथम राज्य है जिसने स्कूली शिक्षा में नई शिक्षा नीति को लागू किया है।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए राज्य में तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। देश की रैंकिंग में हमारे 5 विश्वविद्यालयों के नाम हैं। इस बार एनडीए एवं सीडीएस की परीक्षा में राज्य से सर्वाधिक बच्चे चयनित हुए। राज्य में पहली बार मेधावियों को सम्मान देने का कार्य मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है। राज्य सरकार छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए समर्पित सरकार है। सरकार द्वारा मेधावी बच्चों के लिए चार छात्रवृत्ति योजनाएं चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि स्कूलों की प्रवक्ता व एलटी शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्रधानाचार्यों को नामित किया गया है। प्रदेश में अंक सुधार परीक्षा आयोजित की जा रही है।

अमृत काल में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जायेंगे हमारे युवा-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार की सांय मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में उत्तराखण्ड परिषदीय परीक्षा 2023 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्र छात्राओं को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति उसके शिक्षित एवं सभ्य मानव संसाधन पर निर्भर करती हैं। आज के बच्चे भविष्य के नागरिक है इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आज बच्चे किस प्रकार की शिक्षा एवं संस्कार से जुड़े हैं। छात्रों को भविष्य में इस प्रदेश एवं देश का उत्तरदायित्व लेना है। आने वाले समय में प्रदेश एवं देश की दिशा एवं दशा हमारे मेधावियों द्वारा निर्धारित की जानी है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में युवा पीढ़ी का बौद्धिक स्तर बहुत ऊंचा है तथा शैक्षिक एवं खेल कूद दोनों क्षेत्रों में नवीन प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। हमारे प्रदेश की युवा पीढ़ी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देश का प्रतिनिधित्व कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे छात्र-छात्राओं की यह उपलब्धि सामान्य नहीं है तथा इसे बनाये रखना आसान भी नहीं है। छात्रों द्वारा स्वयं के लिए ऐसा बेंचमार्क बनाया गया है जो कठिन अवश्य है लेकिन असम्भव नहीं है। इस उपलब्धि के लिए छात्रों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने लिए बड़ा लक्ष्य निर्धारित करो तथा उसको प्राप्त करने के लिए छोटे-छोटे पड़ाव बनाओ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति उसके शिक्षित एवं सभ्य मानव संसाधन पर निर्भर करती है। आज के बच्चे भविष्य के नागरिक है इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आज बच्चे किस प्रकार की शिक्षा एवं संस्कार से जुड़े है। अमृत काल के समय में प्रदेश एवं देश की दिशा एवं दशा आप जैसे होनहारों, मेधावियों द्वारा ही निर्धारित की जानी है। हमारे प्रदेश को युवा पीढ़ी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देश का प्रतिनिधित्व कर रही है। आज हमारे प्रदेश के बच्चे प्रत्येक वर्ष सीबीएसई, आईसीएसई एवं अन्य बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले बच्चों की सूची में तो सम्मिलित रहते ही हैं, साथ ही अखिल भारतीय स्तर की आईएएस एवं पीसीएस आदि परीक्षाओं की चयन सूची में भी शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले युवाओं में सम्मिलित रहते हैं। हमारे छात्र सुशांत ने हाईस्कूल परीक्षा में 99 प्रतिशत अंक तथा हमारी छात्रा तन्नू ने इण्टरमीडिएट में 97.6 प्रतिशत अंक प्राप्त किये है। यह हमें बताता है कि आज हमारे बच्चों का बौद्धिक स्तर कितना ऊंचा हो गया है। हाईस्कूल में यदि द्वितीय स्थान की बात करें तो 12 बच्चों के 98 प्रतिशत अंक है तथा इसी प्रकार इण्टरमीडिएट स्तर पर 21 बच्चे ऐसे हैं जिनके 95 प्रतिशत या इससे अधिक अंक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सामान्य परिवार के बच्चों की प्रतिभा स्वयं के साथ समाज के लिए भी प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि हमारे महान लोगों ने साधारण परिवेश में रहकर साधारण से असाधारण की यात्रा तथा धरती से आसमान छूने का कार्य किया है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का छात्रों से परीक्षा पर चर्चा उन्हें प्रेरणा देने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि परीक्षा में अंक प्राप्त करने के साथ ज्ञान प्राप्त करना भी महत्वपूर्ण होता हैं। उन्होंने छात्रों से जीवन में सफलता के लिए विकल्प रहित संकल्प के साथ आगे बढ़ने को कहा। उन्होंने कहा कि छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए प्रदेश में देश का सक्षम नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। इसके तहत अब तक 80 लोगों को जेल में पहुंचाया गया है। हाल ही में हुई 4-5 परीक्षाओं में 5-50 लाख युवाओं ने प्रतिभाग किया तथा साधारण परिवार के युवाओं ने उसमें सफलता पाई है। अब प्रतिभाओं का सम्मान हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञान की परम्परा हमारी विरासत है। प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में देश ज्ञान विज्ञान के साथ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। विविधता वाले हमारे देश को कोरोना काल में सबको सुरक्षित रखने का प्रधानमंत्री के प्रयासों को आज दुनिया के देश अध्ययन कर रहे है। देश की अर्थव्यवस्था 5वें नंबर की हो गई है।
शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य में पहली बार मेधावियों को सम्मान देने का कार्य मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है। राज्य सरकार छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए समर्पित सरकार है। 70 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले कक्षा 6 से स्नातक तक के छात्रों को प्रतिमाह छात्रवृत्ति की व्यवस्था की गई है। राज्य के 146 छात्रों ने एनडीए, सीडीएस की परीक्षा पास की है। उन्हें एक लाख का पारिश्रमिक दिया जा रहा हैं उन्होंने मेधावी छात्रों से अपने सुझाव लिखने को कहा जिसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों की प्रवक्ता व एलटी शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्रधानाचार्यों को नामित किया गया है। प्रदेश में अंक सुधार परीक्षा आयोजित की जा रही है। इस वर्ष 78 बच्चे टॉपर आए है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के विकास में धन की कमी नही होने दी जाएगी।
महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि परीक्षा कोई भी हो उसके परिणाम हमें बेहतर मुकाम तक ले जाते है। छात्रों की सफलता का सम्मान उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। उन्होंने मेधावी छात्रों को उत्तराखण्ड का भावी कर्णधार बताते हुए कहा कि देश के सुनहरे भविष्य की महती जिम्मेदारी भी उन्हें निभानी हैं सकारात्मक ऊर्जा एवं प्रेरणा भी दूसरे छात्रों को उनके प्रयासों से मिलती हैं तथा समाज एवं राष्ट्र सेवा के लिए भी प्रेरित करने का कार्य करती है।
इस अवसर पर 100 मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया तथा अनेक छात्रों ने अपने सुझाव भी रखे। विद्यालयी शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी ने आभार व्यक्त किया।

उत्तराखंडः पहली बार परीक्षाफल सुधार परीक्षा

राज्य सरकार ने 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षा में अनुत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को परीक्षाफल सुधार कार्यक्रम के तहत उत्तीर्ण होने का एक मौका दिया है। यह योजना प्रदेश में पहली बार शुरू की गई है, जिसमें वर्ष 2022-23 में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण छात्र-छात्राएं अपने परीक्षाफल को सुधार सकेंगे। परीक्षा का आयोजन प्रदेश के सभी विकासखंडों के 96 परीक्षा केन्द्रों पर किया जा रहा है, जिसमें हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के 23706 छात्र-छात्राएं शामिल होंगे।
सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा में परीक्षाफल सुधार के दृष्टिगत राज्य सरकार ने एक नई पहल शुरू की है।

जिसके तहत 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षा में अनुत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को उत्तीर्ण होने का एक मौका दिया जा रहा है। इसके अलावा ऐसे परीक्षार्थी जो किसी विषय में कम अंक लाये हों वह भी परीक्षा में शामिल होकर लाभान्वित हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि अक्सर कई छात्र-छात्राएं बोर्ड परीक्षाओं में अच्छा स्कोर तो कर देते थे लेकिन किसी एक या दो विषय में फेल हो जाते थे, जिससे उनका साल बर्बाद हो जाता था। छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुये परीक्षाफल सुधार परीक्षा में परीक्षार्थी हाईस्कूल में अधिकतम दो विषयों तथा इंटरमीडिएट में एक विषय में परीक्षा दे सकता है। परीक्षा के आयोजन के लिये प्रदेशभर के सभी विकासखंडों में एक-एक परीक्षा केन्द्र बनाये गये हैं जबकि जनपद ऊधमसिंह नगर के रूद्रपुर विकासखंड में अधिक परीक्षार्थी होने के कारण दो परीक्षा केन्द्र बनाये गये हैं। परीक्षा का आयोजन 7 अगस्त से 12 अगस्त 2023 तक किया जायेगा। सभी परीक्षाएं एकल पाली में प्रातः 10 से दोपहर 1 बजे तक संपादित की जायेंगी। उत्तर पुस्तिकाओं के संकलन के लिये प्रत्येक जनपद में एक-एक संकलन केन्द्र बनाया गया है। जबकि उत्तर पुस्तिकाओं के मुल्यांकन हेतु मंडल स्तर पर एक-एक मुल्यांकन केन्द्र बनाये गये हैं। परीक्षाफल सुधार परीक्षा में इस बार हाईस्कूल के 13587 छात्र-छात्राओं ने 8 अगल-अलग विषयों तथा इंटरमीडिएट के 10119 छात्र-छात्राओं ने 28 अलग-अलग विषयों में आवेदन किया है। विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. रावत ने सभी छात्र-छात्राओं को परीक्षाफल सुधार परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिये अग्रिम शुभकामनाएं दी।

युवा महोत्सव में अधिक से अधिक युवाओं को प्रतिभाग कराना प्राथमिकता

मुख्य सचिव डॉ.एस.एस. संधु ने सचिवालय में राज्य में युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में संचालित योजनाओं की जानकारी युवाओं तक पहुँचाने हेतु आयोजित किए जा रहे युवा महोत्सव-2023 की तैयारियों के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की। कौशल विकास विभाग अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में युवा महोत्सव आयोजित करने जा रहा है। इस महोत्सव के माध्यम से राज्य सरकार के सभी विभाग अपनी कौशल विकास और रोजगारपरक योजनाओं को युवाओं के समक्ष रखेंगे। इस महोत्सव के दौरान सभी विभाग युवाओं के लिए अपने स्टॉल लगाएंगे, युवाओं के लिए काउंसलिंग सेशन और प्रशिक्षण शिविर आयोजित करेंगे। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को युवा महोत्सव गढ़वाल एवं कुमाऊँ दोनों मंडलों में आयोजित किए जाने के निर्देश दिये।
मुख्य सचिव ने राज्य के युवाओं हेतु संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी अधिक से अधिक युवाओं तक पहुँचाने हेतु प्रत्येक जनपद में इसका लाइव टेलीकास्ट किए जाने के भी निर्देश दिये। इसके लिए शिक्षा विभाग की प्रदेशभर संचालित 500 वर्चुअल कक्षाओं को भी उपयोग में लाया जाए। उन्होंने कहा कि युवाओं को उचित एवं पूर्ण जानकारी मिल सके इसके लिये विशेषज्ञों को भी इसमें शामिल किया जाए। उन्होंने विभिन्न विभागों द्वारा लगायी जाने वाली प्रदर्शनियों को भी अधिक से अधिक समय तक लगाए जाने के निर्देश भी दिये, ताकि अधिक से अधिक युवा लाभान्वित हो सकें। इसके साथ ही मुख्य सचिव द्वारा प्रदेश के विद्यालयों में संचालित 500 वर्चुअल कक्षाओं को विभिन्न प्रकार की काउंसलिंग, व्याख्यान और जानकारियों को छात्र छात्राओं तक पहुँचाने हेतु नियमित रूप से उपयोग में लाए जाने के भी निर्देश दिये गए।
मुख्य सचिव ने कहा कि युवाओं को आगे भी राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न लाभकारी योजनाओं की जानकारी मिलती रहे इसके लिए मोबाइल ऐप भी तैयार किया जाए। सभी विभागों द्वारा संचालित ऐसी योजनाओं की जानकारी इस ऐप में उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने सभी विभागाध्यक्षों को अपने विभागों द्वारा संचालित योजनाओं की पूर्ण जानकारी शीघ्र उपलब्ध कराए जाने के भी निर्देश दिये।
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2019 में आयोजित युवा महोत्सव में क़रीब 10 हजार युवाओं ने प्रतिभाग किया। सेक्टोरियल पंडालों में सभी विभागों द्वारा अपने अपने क्षेत्र के अन्तर्गत संचालित कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण किया जाएगा।
इस अवसर पर सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम, विनोद कुमार सुमन, विजय कुमार यादव, वी. षणमुगम, विनय शंकर पाण्डेय, अपर सचिव अहमद इकबाल एवं योगेन्द्र यादव एवं संयुक्त निदेशक सूचना नितिन उपाध्याय सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

प्रदेश के प्रत्येक बच्चे को कैरियर के सम्बन्ध में परामर्श देने के निर्देश-मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने बुधवार को सचिवालय में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कैरियर काउंसलिंग की व्यवस्था शुरू किए जाने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक बच्चे को कैरियर के सम्बन्ध में परामर्श दिया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक बच्चे की काउंसिलिंग सुनिश्चित हो सके इसके लिए प्रोफेशनल कैरियर काउंसलर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके लिए बच्चों में रुचि और कौशल को जांचने हेतु परीक्षा और उसके परिणाम के उपरांत परामर्श उपलब्ध करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह परामर्श भौतिक रूप से, दूरस्थ क्षेत्रों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम या किसी एक कॉमन सेंटर में बच्चों को बुलाकर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 8वीं कक्षा से ऊपर सभी बच्चों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित किया जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि प्रदेश को आवासीय विद्यालयों से संतृप्त किया जाए। उन्होंने कहा कि छात्रावासों को विद्यालयों के भाग के रूप में ही तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे दूरस्थ क्षेत्र जहां सड़कों एवं आधारभूत सुविधाओं की कमी के कारण उत्कृष्ट विद्यालय में शामिल नहीं किया जा सकता, ऐसे स्कूलों के पास लगे कस्बों और छोटे शहरों में आवासीय विद्यालय तैयार किए जाएं। इससे इन दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चे भी हॉस्टल में रहकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी।
मुख्य सचिव ने प्रदेश के प्रत्येक जनपद में 2, 3 मॉडल लैब भी तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन मॉडल लैब को टॉप क्लास का बनाया जाना है। उन्होंने कहा कि छात्रों को रोस्टर के आधार पर इन प्रयोगशालाओं में भेजा जाए। प्रत्येक छात्र को प्रयोगात्मक कार्य करने का अवसर प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि यह प्रयोगशालाएं आसपास के स्कूलों के सभी बच्चे प्रयोग कर सकें, इसके लिए कौन से स्कूल को किस प्रयोगशाला में जाना है इसका रोस्टर भी तैयार किया जाए।
इस अवसर पर सचिव रविनाथ रमन एवं महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

शिक्षा मंत्री बोले, 30 जून तक अनिवार्य रूप से डीपीआर जमा करें समस्त बीईओ

राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार, भौतिक संसाधनों में वृद्धि, शिक्षकों की उपलब्धता एवं छात्र संख्या में वृद्धि के दृष्टिगत प्रदेशभर में कलस्टर स्कूलों के गठन का निर्णय लिया है। प्रत्येक विकासखंड में न्यूनतम दो कलस्टर विद्यालय स्थापित किये जायेंगे। जिसकी प्रक्रिया पूर्ण करने की जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारियों को सौंपी गई है। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को चयनित कलस्टर स्कूलों, पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त विद्यालयों के नये भवनों हेतु कार्यदाय संस्थाओं के माध्यम से शीघ्र डीपीआर तैयार कराने के निर्देश दिये गये हैं।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज देहरादून स्थित एक निजी होटल में शिक्षा अधिकारियों की बैठक ली, जिसमें शासन एवं निदेशालय के उच्चधिकारियों के साथ ही प्रदेशभर के खंड शिक्षा अधिकारियों एवं उप खंड शिक्षा अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। विभागीय मंत्री डा. रावत ने करीब तीन घंटे तक चली मैराथन बैठक में चयनित कलस्टर विद्यालयों की संख्या, पीएम-श्री स्कूलों की प्रगति, परिषदीय परीक्षा में छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन, विद्यालय में तैनात शिक्षकों एवं छात्रों की संख्या, मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता, निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण, लम्बे समय से लापता एवं बीमार शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कार्मिकों की स्वैच्छिक एवं अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रगति आदि बिन्दुओं पर विकासखंडवार समीक्षा की। उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये कि चयनित कलस्टर स्कूलों में से वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ब्लॉक में न्यूनतम दो-दो कलस्टर विद्यालयों का गठन करना अनिवार्य है। इसके लिये अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अभिभावकों के साथ पांच से दस किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों के समायोजन की सहमति बनाते हुये सभी बिन्दुओं पर विचार-विमर्श करें। इसके उपरांत अंतिम रूप से चयनित कलस्टर विद्यालयों तथा पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त विद्यालयों के नये भवन निर्माण की कार्यदायी संस्था से डीपीआर बनवाकर शीघ्र मुख्य शिक्षा अधिकारी को सौंपे ताकि समय पर सभी स्कूल भवनों एवं कलस्टर विद्यालयों की डीपीआर स्वीकृति हेतु शासन को उपलब्ध हो सके। शिक्षा मंत्री डा. रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी विद्यालयों में नशा मुक्ति एवं तम्बाकू निषेध अभियान चलाने के साथ ही छात्रों को नैतिक शिक्षा एवं शिक्षकों को आचरण सेवा नियमावली का पालन कराना भी सुनिश्चित करना होगा। इसके लिये उन्होंने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने विकासखंड में विशेष अभियान चलाकर समय-समय पर समीक्षा करने को भी कहा। डा. रावत ने कहा कि जो शिक्षक एवं कर्मचारी लम्बे समय से गायब हैं अथवा लम्बे समय से बीमारी के कारण स्कूलों में अनुपस्थित हैं उनके विरूद्ध नियमानुसार अनिवार्य एवं स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की कार्यवाही भी करें। समीक्षा बैठक में कलस्टर स्कूलों के गठन को लेकर शिक्षा निदेशालय की ओर उप निदेशक डॉ. चेतन नौटियाल के द्वारा प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। इस अवसर पर विभगीय मंत्री ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड द्वारा तैयार आनन्दम्-पाठ्यचर्चा विशेषांक ‘आनंद-पथ’ पत्रिका के द्वितीय संस्करण का विमोचन भी किया। विभागीय सचिव रविनाथ रमन, अपर सचिव योगेन्द्र यादव व महानिदेशक वंशीधर तिवारी ने भी अधिकारियों को विद्यालयों के स्थापना एवं शिक्षा की गुणवत्ता सहित विभिन्न बिन्दुओं पर दिशा-निर्देश दिये।

बैठक में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, अपर सचिव योगेन्द्र यादव, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा वंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी, निदेशक प्राथमिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक रामकृष्ण उनियाल, महावीर सिंह बिष्ट, डॉ. मुकुल सती, जे.एल शर्मा, रघुनाथ लाल आर्य, डा.एस.बी. जोशी, जगमोहन सोनी, चेतन प्रसाद नौटियाल सहित अन्य विभागीय अधिकारी एवं प्रदेशभर से आये खंड शिक्षा अधिकारी उपस्थित रहे।

सचिवालय के कार्मिकों को सौगात, नवीनीकृत पालना केन्द्र और स्मार्ट क्लास का शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय परिसर स्थित नवीनीकृत पालना केन्द्र (क्रेच) व स्मार्ट क्लास का शुभारंभ किया। यह क्रेच सचिवालय के कार्मिकों की ड्यूटी के दौरान उनके बच्चों की देखभाल के उद्देश्य से बनाया गया है। क्रेच में ए.सी, रेफ्रिजरेटर, पेयजल हेतु वाटर प्यूरीफायर, बच्चों के आराम करने के लिए बिस्तर, बाल सुलभ वॉश बेसिन, अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था की गई है। इसमें स्मार्ट क्लास की व्यवस्था भी की गई है। क्रेच में आउटडोर खेल उपकरण लगाये गये हैं। फेन्सिंग, चित्रकारी एवं वाल पेंटिंग से इसे सजाया गया है। क्रेच में ऊर्जा की बचत हेतु दो किलोवाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट (सोलर पैनल पावर कंडीशनिंग यूनिट व बैटरी) की व्यवस्था की गई है जिसमें केन्द्र के स्मार्ट क्लास सिस्टम, एल.ई.डी. लाइटिंग एवं समस्त पंखे संचालित हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सचिवालय में कार्मिकों के बच्चों के लिए क्रेच की यह अच्छी सुविधा दी गई है। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुविधा के लिए यहां पर अच्छी व्यवस्था की गई है। इससे जहां सचिवालय में कार्य करने वाले कार्मिकों को बच्चों की देखभाल के लिए अच्छी सुविधा मिलेगी, वहीं बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ सीखने के लिए भी अच्छी व्यवस्थाएं की गई हैं। क्रेच के नवीनीकरण का कार्य मात्र 18 दिनों में कराने के लिए उन्होंने नोडल विभाग महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास के प्रयासों की सराहना भी की।
सचिवालय के कार्मिकों ने सचिवालय परिसर में क्रेच की बेहतर सुविधा और बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए इसमें की गई व्यवस्थाओं के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार भी व्यक्त किया।
इस अवसर पर मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास एच.सी. सेमवाल एवं सचिवालय के कार्मिक उपस्थित रहे।

स्कूलों में फर्नीचर, कम्प्यूटर व खेलकूद का बजट शीघ्र जारी करने के निर्देश

उत्तराखंड में कलस्टर स्कूलों के गठन हेतु धरातल पर काम किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को जनपद स्तर पर बैठक का आयोजन कर सभी पहलुओं पर विचार करने को कहा गया है, ताकि आस-पास के विद्यालयों का विलय कर कलस्टर स्कूलों का गठन किया जा सके। प्रत्येक विद्यालय में ढांचागत सुविधाओं एवं अन्य सामग्री के लिये बजट समय जारी करने के निर्देश दिये गये हैं। वर्चुअल कक्षाओं के संचालन को लेकर राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी तैनात किया जायेगा।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित सभाकक्ष में विद्यालयी शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने कलस्टर स्कूलों के गठन को लेकर विभागीय अधिकारियों को प्रत्येक जनपद में जाकर क्षेत्रीय विधायक, स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अभिभावकों के साथ बैठक कर सभी पहलुओं पर चर्चा करने के निर्देश दिये, ताकि भविष्य में स्कूलों के गठन के उपरांत किसी प्रकार की समस्या का समाना न करना पड़े। उन्होंने प्रदेशभर के जीर्ण-शीर्ण विद्यालयों के नये भवन निर्माण, वृहद एवं लघु मरम्मत सहित फर्नीचर, कप्यूटर, खेल सामग्री आदि का बजट एक माह के भीतर जारी करने के निर्देश अधिकारियों को दिये। इसके अलावा विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को जूते, बैग एवं साइकिल की धनराशि शीघ्र डीबीटी के माध्यम से ट्रांसफर करने को कहा। वहीं बच्चों को पाठ्य पुस्तकें समय पर उपलब्ध न कराये जाने पर विभागीय मंत्री ने नाराजगी जताते हुये अधिकारियों को यथाशीघ्र स्कूलों में पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिये। इसके अलावा उन्होंने आईसीटीई के तहत संचालित वर्चुअल क्लासेज के बेहतर संचालन के लिये स्टेट स्तर पर नोडल अधिकारी तैनात करने को कहा। उन्होंने कहा कि वुर्चअल कक्षाओं का निरंतर संचालन सुनिश्चित किया जाय ताकि दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को इस योजना का भरपूर लाभ मिल सके। विभागीय बजट का समय पर व्यय न होने पर विभागीय मंत्री ने प्रत्येक माह बजट की समीक्षा करने के निर्देश अधिकारियों को दिये, ताकि स्वीकृत बजट समय पर व्यय किया जा सके। इसके अलावा विभागीय मंत्री ने अटल उत्कृष्ट विद्यालयों, निर्माण कार्यों, लम्बे समय से रिक्त पड़े पदों एवं रिक्त पदों के सापेक्ष पदोन्नति, स्थानांतरण एवं पारस्परिक स्थानांतरण की समीक्षा करते हुये विभागीय अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि पात्र शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ शीघ्र शुरू की जाय ताकि वर्षों से दुर्गम क्षेत्रों में तैनात शिक्षकों को सुगम में आने का मौका मिल सके। उन्होंने कहा कि सबसे पहले दुर्गम से दुर्गम श्रेणी के स्थानांतरण किये जाय तत्पश्चात पारस्परिक, अनुरोध व अनिवार्य स्थानांतरण किये जायेंगे।

बैठक में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी, अपर निदेशक रामकृष्ण उनियाल, महावीर सिंह बिष्ट, अजय कुमार नौड़ियाल, संयुक्त निदेशक जे.एल शर्मा, रघुनाथ लाल आर्य, डा. एस.बी. जोशी, उप निदेशक जगमोहन सोनी, चेतन प्रसाद नौटियाल, अनुभाग अधिकारी राकेश सिंह सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

धामी की सौगात, अब स्कूल से ही मिलेंगे हर प्रकार के आवश्यक प्रमाण पत्र

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शासन द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए हैं कि राज्य के समस्त विद्यालयों में कक्षा 11 एवं 12 में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभाग किये जाने की आवश्यकता के दृष्टिगत स्थायी निवास जाति एवं आय तथा अन्य आवश्यक प्रमाण-पत्र विद्यालय में ही उपलब्ध कराये जाएं।
इस संबंध में सचिव शैलेश बगोली ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा हैं कि छात्रों को आवश्यक प्रमाण-पत्र की आवश्यकता एवं इन प्रमाण-पत्रों को प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के दृष्टिगत राज्य के समस्त विद्यालयों में अपणों स्कूल, अपणू प्रमाण नामक पहल के तहत कक्षा 11 एवं 12 में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को स्थायी निवास, जाति एवं आय तथा अन्य आवश्यक प्रमाण-पत्र विद्यालय स्तर पर ही उपलब्ध कराये जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने आदेश जारी किये हैं कि जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मुख्य शिक्षा अधिकारी को सम्मिलित करते हुए समिति का गठन किया जाय। समिति द्वारा जनपद स्तर पर कक्षा 11 एवं 12 में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या का आकलन किया जायेगा। तहसील स्तर पर उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति से विद्यालय में भ्रमण करने वाली टीमों (पटवारी/लेखपाल/कानूनगो एवं सीएससी के डाटा एण्ट्री ऑपरेटर) का तिथिवार रोस्टर तैयार करवाया जायेगा। निवास स्थान, चरित्र, आय एवं पर्वतीय प्रमाण-पत्र एवं अन्य प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने की प्रक्रिया हेतु टाइम फ्रेम का निर्धारण करते हुए कार्ययोजना तैयार की जायेगी। जनपद स्तर पर उक्त कार्यक्रम का साप्ताहिक अनुश्रवण एवं निगरानी की जायेगी।
तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में खण्ड शिक्षा अधिकारियों को सम्मिलित करते हुए समिति का गठन किया जाय। समिति द्वारा तैयार रोस्टर की सूचना से सम्बन्धित विद्यालयों को अवगत कराने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा। प्रमाण-पत्रों हेतु आवश्यक दस्तावेजों की सूचना प्रधानाचार्याे, छात्र-छात्राओं, अभिभावकों तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध करायी जायेगी। तहसील स्तर पर इस कार्यक्रम का दैनिक अनुश्रवण एवं निगरानी की जायेगी। कार्यवाही के पश्चात तहसीलदार स्तर से दैनिक निगरानी के अंतर्गत तिथिवार रोस्टर के अनुसार पटवारी/लेखपाल/कानूनगो एवं सीएससी के डाटा एण्ट्री ऑपरेटर की टीम द्वारा सम्बन्धित विद्यालय का भ्रमण किया जायेगा तथा प्रधानाचार्य से प्रभावी समन्वय स्थापित करते हुए प्रमाण-पत्र हेतु आवश्यक शुल्क/दस्तावेज, ऑनलाईन/ऑफलाईन माध्यम से तहसीलदार/उपजिलाधिकारी कार्यालयों को प्रेषित किये जायेंगे।
आवश्यक शुल्क/दस्तावेज प्राप्त होने के उपरान्त तहसीलदार/उपजिलाधिकारी कार्यालय द्वारा प्रमाण-पत्र निर्गत करते हुए उक्त प्रमाण-पत्र, छात्र-छात्राओं को वितरित किये जाने हेतु एक सप्ताह के भीतर अनिवार्य रूप से सम्बन्धित विद्यालय के प्रधानाचार्य को उपलब्ध करा दिया जायेगा। जिला स्तरीय समिति द्वारा समस्त उप जिलाधिकारी, तहसीलदार तथा खण्ड शिक्षा अधिकारियों से समन्वय स्थापित करते हुए सम्पूर्ण कार्यवाही की प्रभावी मॉनिटरिंग की जायेगी एवं किसी प्रकार की समस्या/कठिनाई उत्पन्न होने पर समिति के स्तर से सम्बन्धित को तात्कालिकता के आधार पर यथावश्यक दिशा-निर्देश निर्गत किये जायेंगे।यह समस्त कार्यवाही अधिकतम दो माह के भीतर सम्पादित कराते हुए, प्रत्येक जनपद की साप्ताहिक सूचना, जिलाधिकारी द्वारा शासन को सलग्न प्रारूपानुसार अनिवार्य रूप से संप्रेषित कराया जाना सुनिश्चित करें।

अधिकारियों को यू-सेट परीक्षा तिथि घोषित करने के निर्देश

प्रदेश में राज्य पात्रता परीक्षा (यू-सेट) शीघ्र आयोजित की जायेगी। यू-सेट के आयोजन के लिये कुमाऊं विश्वविद्यालय के अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं, शीघ्र ही परीक्षा तिथि घोषित कर दी जायेगी। इस परीक्षा को पास करने पर प्रदेशभर के युवाओं की प्रोफेसर बनने की राह और भी आसान हो जायेगी।
सूबे के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि प्रदेश में शीघ्र ही राज्य पात्रता परीक्षा (यू-सेट) आयोजित की जायेगी। उन्होंने बताया कि कुमाऊं विश्वविद्यालय को इस परीक्षा का आयोजन करना है, लिहाजा विश्वविद्यालय प्रशासन को परीक्षा तिथि जल्द घोषित करने के निर्देश दे दिये गये हैं। विभागीय मंत्री डा. रावत ने बताया कि यू-सेट के आयोजन के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से जरूरी दिशा-निर्देश मांगे गये थे, जिस पर यूजीसी की अनुमति मिल चुकी है। उन्होंने बताया कि परीक्षा को पूरी पारदर्शिता के साथ आयोजित करने हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन को ठोस कार्ययोजना बनाने को कहा गया है। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में लम्बे अंतराल के बाद यू-सेट की परीक्षा आयोजित होने जा रही है लिहाजा इस परीक्षा में प्रदेशभर के हजारों छात्र-छात्राएं सम्मिलित होंगी, परीक्षा के सफल आयोजन को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन को सभी औचारिकताएं समय पर पूरे करने को कहा गया है। डॉ. रावत ने उम्मीद जताते हुये कहा कि यू-सेट के सफल प्रतिभागियों राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की राह आसान हो जायेगी। उन्होंने कहा कि यू-सेट में वही कामन विषय शामिल हैं जो मुख्यतः कालेजों में संचालित हैं। जिसमें प्रमुख रूप से हिंदी, इंग्लिश, सोशियल साइंस, हिस्ट्री, ज्योग्राफी, सोशियोलॉजी, फिजिकल एजूकेशन, बायोलॉजी, फिजिक्स, कैमिस्ट्री, इकोनॉमिक्स, कॉमर्स आदि विषय शामिल है।

’क्या है सेट’
स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट (सेट) सहायक प्राध्यापक की नौकरी के लिए अनिवार्य है। इस परीक्षा को पास करने के बाद सीधे तौर पर सहायक प्राध्यापक पद के लिए आवेदन किया जा सकता है। यदि यह नहीं हो तो पीएचडी व नेट होना जरूरी है।