मुनिकीरेती पुलिस ने बिना वीजा और पासपोर्ट 18 साल से रह रहे विदेशी को पकड़ा

बिना पासपोर्ट और वीजा के पिछले 18 वर्षों से एक विदेशी नागरिक साधुवेश में तीर्थनगरी में डेरा डाले हुए है। कई साल से अवैध निवास कर रहे विदेशी नागरिक के बारे में पुलिस और एलआईयू को शुक्रवार को पता चल पाया। पुलिस सूचना मिलने के बाद मुनिकीरेती क्षेत्र स्थित नावघाट पहुंची। जब नागरिक से उसके वैध दस्तावेज मांगे गए तो उसने काफी देर तक एलआईयू टीम को प्रवचन के झांसे में उलझाए रखा। आखिरकार स्वीकार किया कि उसके पास कोई पासपोर्ट, वीजा या निवास का कोई वैध दस्तावेज नहीं है।
अवैध रूप से निवास कर रहा जर्मन नागरिक जर्गेन रुडोल्फ 1981 में भारत आया था। इस दौरान पिछले 38 साल से वह महाराष्ट्र सहित दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों में रहा। पिछले 18 साल से वह ऋषिकेश क्षेत्र में स्थान बदल-बदल कर रह रहा है। फिलहाल उसका मौजूदा ठिकाना मुनिकीरेती स्थित नावघाट बना हुआ है। वह गंगा किनारे बने सीढ़ी पर टेंट डालकर रह रहा है। अवैध तरीके से रहने की सूचना मिलने के बाद करीब 12 बजे मुनिकीरेती पुलिस और एलआईयू की सब इंस्पेक्टर उमा चैहान अपनी टीम के साथ पूछताछ को पहुंचे। पूछताछ के दौरान जर्गेन रुडोल्फ ने पहले तो आनाकानी की। बाद में अपना मूल निवास भी बताने से इनकार कर दिया।
बाद में उसने कुछ दस्तावेज दिखाए जिसके मुताबिक वह जर्मन नागरिक है, और 1981 में भारत आ गया था। तब से वह गेरुआ वस्त्र पहने पिछले 18 सालों से तीर्थनगरी में अलग-अलग स्थानों पर रह रहा है। एलआईयू एसआई उमा चैहान के मुताबिक अवैध निवास कर रहे जर्मन नागरिक की सूचना संबंधित एंबेसी को दी जाएगी। फिलहाल अभी मामले की पड़ताल की जा रही है। वहीं थाना अध्यक्ष मुनिकीरेती आरके सकलानी का कहना है कि विदेशी नागरिक के अवैध प्रवास संबंधी मामले की गहन छानबीन हो रही है। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, विदेशी जर्गन रुडोल्फ का कहना है कि उसके पास वीजा, पासपोर्ट सहित सभी वैध दस्तावेज थे। कई साल पहले कुछ बदमाशों ने रुपयों के लालच में सारे दस्तावेज फाड़कर फेंक दिए। उनके पास पैसे भी नहीं हैं। जर्मन एंबेसी में एक बार मदद की गुहार लगाई थी। इसके बावजूद एंबेसी के लोग सहयोग नहीं कर रहे हैं। रुडोल्फ का कहना है कि अब उसने भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर लिया है। उसका नया नाम आशाराम गिरि है। पूरा विश्व मेरा कुटुंब है। परिवार में कोई नहीं है। मां गंगा ही मेरी सबसे बड़ी शुभचिंतक है।

वित्त मंत्री के प्रबंधन से बाजार में आई तेजी, राहत मिलने की उम्मीद

सुस्ती की शिकार अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए केन्द्र सरकार ने एक महीने के भीतर पांच बड़े कदम उठाए। सुधार के इन कदमों की शुरुआत बीती 23 अगस्त को हुई थी, जबकि देशी-विदेशी निवेशकों को राहत देते हुए कर उपकर में बढ़ोतरी का फैसला वापस लिया था। बीती 23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी और घरेलू निवेशकों पर उपकर में बढ़ोतरी का फैसला वापस लेने की घोषणा की थी। उसी दिन बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की नई पूंजी देने, रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों को तुरंत देने जैसी घोषणा की गई थी।
28 अगस्त को वित्त मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था से जुड़ी दूसरी बड़ी घोषणा की थी। सीतारमण ने कोयला खदान और कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दी थी। यही नहीं, गन्ना किसानों और चीनी मिलों को राहत देने के लिए चीनी के निर्यात पर 6,268 करोड़ की सब्सिडी का ऐलान भी किया। डिजिटल मीडिया में भी प्रिंट मीडिया की तरह 26 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिली थी। 30 अगस्त को ही सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को मिला कर चार बैंक बनाने की घोषणा की थी। उस समय कहा गया था कि विलय के बाद ये बैंक न सिर्फ आकार में बड़े होंगे बल्कि इनका कुल कारोबार भी बढ़ कर 55.81 लाख रुपए करोड़ का हो जाएगा। बड़े बैंक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशी बैंकों से मजबूती से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।
बीते 19 सितंबर को वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी बैंक अभी से अक्टूबर तक 400 जिलों में लोन बांटने के लिए शामियाना बैठक का आयोजन करेंगे। इन बैंठकों में खुदरा ग्राहक के साथ साथ नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) की भी उपस्थिति होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घरेलू कंपनियों और नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए अध्यादेश के जरिए कॉरपोरेट कर घटाने की घोषणा की।

फिर उभरा केदारनाथ धाम, सितम्बर मध्य तक 13 करोड़ की अधिकत्तम आय

वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद यात्रियों की संख्या में आई भारी गिरावट के कारण मंदिर की आय लगभग नगण्य हो गई थी। इससे केदारपुरी की आर्थिकी भी पूरी तरह चरमरा गई थी। यहां तक कि मंदिर के कर्मचारी-अधिकारियों का वेतन निकालना भी मुश्किल हो गया था। ऐसे में बदरीनाथ धाम की आय से केदारनाथ धाम से जुड़े कर्मचारियों को वेतन दिया गया।
इसके बाद वर्ष 2017 में मंदिर की आय में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। उस वर्ष बाबा के खजाने में नौ करोड़ की रकम जमा हुई। वहीं, वर्ष 2018 में आय का आंकड़ा 11.5 करोड़ रुपये पहुंच गया। इसमें हेली कंपनियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस वर्ष अब तक केवल हेली सेवाओं से ही मंदिर को छह करोड़ रुपये की आय हो चुकी है। विदित हो कि हेली सेवाओं से आने वाले यात्रियों को श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति वीआइपी दर्शन करवाती है। इसकी एवज में प्रति यात्री 2100 रुपये की रकम मंदिर समिति के पास जमा कराता है।
केदारनाथ धाम में यात्रियों की आमद बढ़ने से इस वर्ष मंदिर की आय में भी जबरदस्त उछाल आया है। अब तक बाबा के खजाने में 13 करोड़ से अधिक की रकम पहुंच चुकी है, जो कि वर्ष 2018 में हुई आय की तुलना में दो करोड़ रुपये अधिक है। अभी मंदिर के कपाट बंद होने में लगभग डेढ़ माह का समय शेष है। अच्छी कमाई होने से मंदिर समिति के कर्मचारी काफी खुश है और अब मंदिर के सौंदर्यकरण व नए अतिथिगृह के निर्माण के साथ ही कर्मचारियों के वेतन-भत्तों की निकासी में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी।
वहीं, केदारनाथ धाम की आय बढ़ने से मंदिर समिति अब तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ और भगवान के शीतकाल पड़ाव स्थल मक्कूमठ में यात्रियों के लिए विश्राम गृह का निर्माण करने जा रही है। इसके अलावा मंदिर समिति के अधीन आने वाले आयुर्वेदिक विद्यालय और संस्कृत विद्यालयों के संचालन भी अब किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी।

आय वर्षवार
वर्ष———————–आय
2019——————-13.40 करोड़ (सितंबर मध्य तक)
2018——————-11.50 करोड़
2017———————9.05 करोड़
2016———————5.30 करोड़

कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर, हरिद्वार, यूएसनगर और देहरादून में बांग्लादेशियों की पहचान करवाएंगे सीएम

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को उत्तराखंड में लागू करने के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने संकेत दिए है। सीएम ने हरिद्वार, यूएसनगर और देहरादून को इस मामले में ज्यादा संवेदनशील माना है। उन्होंने कहा कि चूंकि उत्तराखंड सीमांत प्रदेश है, इसकी सीमा पर शुरू से ही घुसपैठ का अंदेशा रहा है। इसके अलावा मैदानी जिलों में गैर उत्तराखंडी आबादी का फैलाव हुआ है।

यह सवाल तब और भी अधिक ध्वनित हुआ जब हरिद्वार जिले के पिरान कलियर में नासिर नामक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा गया। इस व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि वो बांग्लादेश के ढाका का नागरिक है। इस खुलासे के बाद से हरिद्वार में रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशियों की घुसपैठ एक बड़ी पहेली है। जिसे हल करने के लिए भाजपा विधायक संजय गुप्ता मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी तक से बार-बार मांग उठा चुके हैं।

मिली कायमाबी, भारी विमानों की आवाजाही को मिली हरी झंडी

पंतनगर सहित नैनी सैनी एयरपोर्ट के डायरेक्टर एसके सिंह ने बताया कि वर्तमान में नैनी सैनी हवाई पट्टी कंट्रोल्ड (लाइसेंस्ड) एयरपोर्ट में परिवर्तित हो चुकी है। अभी यहां एटीआर-228 टाइप के विमान ही उतर व उड़ान भर सकते थे। यहां मौजूदा 1382 मीटर के रन-वे पर हाई प्रीसिंजिंग लाइट्स, वीएचएस इक्वीपमेंट व पॉपिंग लगाने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। जिससे यह एटीआर-42 टाइप के विमानों की आवाजाही के उपयुक्त हो गया है। एक सप्ताह पूर्व एक टीम द्वारा सर्वे करने के उपरांत गुरूवार को मान्ट्रियल (कनाडा) से पंतनगर, फिर पिथौरागढ़ पहुंची अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन की 6 सदस्यीय टीम ने जॉन एमाइन के नेतृत्व में एयरोनॉटिकल सर्वे (नैनी सैनी के 20 नॉटिकल मील दायरे में मौजूद पहाड़ियों, आवासों, एयर कंडीशन आदि) किया। टीम की सकारात्मक रिपोर्ट पर शनिवार को पंतनगर पहुंची एएआई के विशेषज्ञों की टीम (इक्वीपमेंट सहित) ने डायरेक्टर से विचार विमर्श कर पिथौरागढ़ के लिए रवाना हुई। यह टीम वहां फाइनल सर्वे (वैमानिक अध्ययन) कर अपनी रिपोर्ट एएआई को सौंपेगी। जिसके सकारात्मक होने पर यहां से भारी विमानों की आवाजाही का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
नैनी सैनी एयरपोर्ट से भारी विमानों की आवाजाही शुरू होने से जहां सीमांत के लोगों को देश के अन्य हिस्सों से कनेक्ट होने का लाभ मिलेगा, वहीं सीमांत में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और लोग सीमांत के नैसर्गिक सौंदर्य से रूबरू हो सकेंगे। 13 सितंबर को देहरादून-पिथौरागढ़ के बीच हवाई सेवा शुरू होने के बाद कल (16 सितंबर) से पिथौरागढ़-पंतनगर के बीच भी हवाई सेवा बहाल होने की संभावना है। फ्लाइट शेड्यूल हमें प्राप्त हो चुका है, लेकिन इस संबंध में हवाई सेवा प्रदाता कंपनी एयर हेरिटेज एविएशन द्वारा फ्लाइट शुरू करने का अधिकृत पत्र प्राप्त होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। एसके सिंह, डायरेक्टर-नैनी सैनी एयरपोर्ट ने बताया कि नैनी सैनी एयरपोर्ट में मौजूद 1382 मीटर के रन-वे को अपग्रेड कर दिया गया है। जिससे यह एटीआर-42 टाइप के विमानों की आवाजाही के उपयुक्त है। विमान के टेक ऑफ करते ही वह किस एंगल में बढ़ेगा इसका सर्वे किया जा रहा है, जल्द ही यहां से बड़े विमानों की आवाजाही शुरू होगी।

आकर्षण केन्द्र बन रहा डोबरा-चांटी पुल का डिजाईन

टिहरी झील में बन रहे देश के सबसे लंबे सस्पेंशन डोबरा-चांटी पुल के दोनों सिरे जुड़ चुके हैं और अब आसानी से डोबरा और चांटी के बीच जाया जा सकता है। इसी आकर्षण की वजह से डोबरा पुल पर इन दिनों स्थानीय और बाहर से आने वाले लोगों का जमावडा लगा है। ऐसे में लोनिवि को भी काम के दौरान परेशानी हो रही है। शनिवार को डीएम डॉ. वी षणमुगम ने पुल का दौरा किया और सुरक्षा प्रबंध के निर्देश दिए। डीएम ने चीफ प्रोजेक्टर मैनेजर एसके राय को निर्देश दिये कि जनपद के विभिन्न विभागों में तैनात इंजीनियरों की क्षमता विकसित करने के लिए उन्हें डोबरा-चांटी पुल का स्थलीय निरीक्षण करवाते हुए पुल निर्माण में आयी तकनीकि दिक्कतों एवं तकनीकि कमियों को दूर करने के लिए हुए प्रयासों से अवगत कराया जाए। साथ ही आइआइटी रूड़की व अन्य इंजीनियरिग कॉलेज के छात्र-छात्राओं व प्रोफेसरों को भी क्षमता विकसित करने के मकसद से डोबरा-चांठी पुल निर्माण की तकनीकि का अवलोकन कराया जाय। निर्माणाधीन डोबरा-चांटी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है। जिसमें 440 मीटर सस्पेंशन ब्रिज हैं तथा 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड एवं 25 मीटर स्टील गार्डर चांटी साइड है। पुल की कुल चैड़ाई सात मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चैड़ाई 5.50 (साढ़े पांच) मीटर है, जबकि फुटपाथ की चैड़ाई 0.75 मीटर है। फुटपाथ पुल के दोनों ओर बनाया जा रहा है।

तीन चरणों में होंगे पंचायत चुनाव, 21 अक्टूबर को आयेंगे परिणाम

हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत (ग्राम, क्षेत्र और जिला) चुनाव के लिए सरकार से अनुमोदन मिलने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने देर शाम चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही नगरीय क्षेत्रों और हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्यभर में पंचायत चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। 89 विकासखंडों में त्रिस्तरीय पंचायतों में 66640 पदों के चुनाव तीन चरणों छह अक्टूबर, 11 अक्टूबर और 16 अक्टूबर को मतदान होगा। चुनाव की प्रक्रिया 20 सितंबर को नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ होगी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कसरत चल रही थी। इस बीच पंचायतों में आरक्षण का निर्धारण होने के बाद सरकार की ओर से इस संबंध एक सितंबर को आयोग को सूचना दे दी गई थी। इसके बाद आयोग ने भी चुनाव का प्रस्तावित कार्यक्रम सरकार को भेजा। सरकार की ओर से अनुमोदन होने में हो रहे विलंब के चलते संशय भी बना हुआ था। शुक्रवार को गंगोत्री में आर्ट गैलरी के उद्घाटन और करीब दो दर्जन योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण करने के बाद देहरादून लौटे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुमोदन मिलने के बाद शाम को शासन ने चुनाव के कार्यक्रम को हरी झंडी दे दी। देर शाम राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की अधिसूचना भी जारी कर दी।
राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार 89 विकासखंडों में ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए मतदान तीन चरणों छह अक्टूबर, 11 अक्टूबर और 16 अक्टूबर को होगा। अधिसूचना के मुताबिक पंचायत चुनाव की प्रक्रिया 20 सितंबर से नामांकन दाखिल करने के साथ होगी। 20, 21, 23 व 24 सितंबर को सुबह आठ से शाम चार बजे तक नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे। 25 सितंबर से 27 सितंबर तक नामांकन पत्रों की जांच होगी। 28 सितंबर को सुबह आठ से दोपहर बाद तीन बजे तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। तीनों चरण के लिए यह प्रक्रिया इन्हीं दिनों में चलेगी। अलबत्ता, चुनाव चिह्न आवंटन अलग-अलग तिथियों में होगा। छह अक्टूबर को होने वाले प्रथम चरण के चुनाव के लिए 29 सितंबर को चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे। 11 अक्टूबर के द्वितीय चरण के चुनाव को चार अक्टूबर और अंतिम चरण में 16 अक्टूबर को होने वाले चुनाव के लिए नौ अक्टूबर को चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे। मतगणना 21 अक्टूबर को सुबह आठ बजे से होगी और इसी दिन शाम से परिणाम भी आने लगेंगे।
आयोग की अधिसूचना के बाद संबंधित जिलों में जिलाधिकारी व जिला निर्वाचन अधिकारी 16 सितंबर को अधिसूचना जारी करेंगे। ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य व क्षेत्र पंचायत सदस्य पदों के लिए नामांकन दाखिल करने से लेकर मतगणना तक की सभी प्रक्रिया विकासखंड मुख्यालयों में होगी। अलबत्ता, जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए नामांकन पत्र दाखिला, जांच, नाम वापसी, चुनाव चिह्न आवंटन संबंधी कार्य जिला पंचायत मुख्यालयों पर होंगे। मतगणना संबंधित विकासखंड मुख्यालय पर होगी और जिला पंचायत सदस्य पदों के निर्वाचन के परिणाम जिला मुख्यालय से घोषित किए जाएंगे।
प्रथम चरण (छह अक्टूबर)-द्वितीय चरण -तृतीय चरण (16 अक्टूबर)
अल्मोड़ा-ताकुला, हवालबाग, लमगड़ा, धौलादेवी- चैखुटिया, द्वाराहाट, ताड़ीखेत, भैंसियाछीना- सल्ट, स्यालदे, भिकियासैंण
ऊधमसिंहनगर-रुद्रपुर, गदरपुर -बाजपुर, काशीपुर, जसपुर -खटीमा, सितारगंज
चंपावत- चंपावत -लोहाघाट, बाराकोट -पाटी
पिथौरागढ़-विण (पिथौरागढ़), मूनाकोट, कनालीछीना-बेरीनाग, गंगोलीहाट – धारचूला, मुनस्यारी, डीडीहाट
नैनीताल- हल्द्वानी, रामनगर, भीमताल – कोटाबाग, धारी, रामगढ़ -बेतालघाट, ओखलकांडा
बागेश्वर-बागेश्वर-गरुड़-कपकोट
उत्तरकाशी-भटवाड़ी, डुंडा-चिन्यालीसौड़, नौगांव -मोरी, पुरोला
चमोली- जोशीमठ, दशोली, घाट- कर्णप्रयाग, पोखरी, गैरसैंण -देवाल, थराली, नारायणबगड़
टिहरी-चंबा, जाखणीधार, भिलंगना-थौलधार, जौनपुर, प्रतापनगर -कीर्तिनगर, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर
देहरादून- डोईवाला, रायपुर -सहसपुर, कालसी -विकासनगर, चकराता
पौड़ी- पौड़ी, पाबौ, खिर्सू, कोट, कल्जीखाल -यमकेश्वर, द्वारीखाल, जयहरीखाल, एकेश्वर, दुगड्डा – रिखणीखाल, पोखड़ा, थलीसैंण, नैनीडांडा, बीरोंखाल
रुद्रप्रयाग- ऊखीमठ-जखोली-अगस्त्यमुनि

विक्रम लैंडर का पता चला, संपर्क साधने की कोशिशों में जुटा इसरो

इसरो (ISRO) को चांद पर विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है। ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली है। हालांकि, उससे अभी कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है। ये भी खबर है कि विक्रम लैंडर लैंडिंग वाली तय जगह से 500 मीटर दूर पड़ा है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है।
अब इसरो वैज्ञानिक ऑर्बिटर के जरिए विक्रम लैंडर को संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि, उसका कम्युनिकेशन सिस्टम ऑन किया जा सके। इसरो के सूत्रों ने बताया कि बेंगलुरु स्थित इसरो सेंटर से लगातार विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर को संदेश भेजा जा रहा है ताकि कम्युनिकेशन शुरू किया जा सके।
इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया कि हमें विक्रम लैंडर के बारे में पता चला है, वह चांद की सतह पर देखा गया है. ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल पिक्चर ली है। लेकिन अभी तक कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है। हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कितना काम करेंगे, इसका तो डेटा एनालिसिस के बाद ही पता चलेगा। इसरो वैज्ञानिक अभी यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों भटका। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि विक्रम लैंडर के साइड में लगे छोटे-छोटे 4 स्टीयरिंग इंजनों में से किसी एक ने काम न किया हो। इसकी वजह से विक्रम लैंडर अपने तय मार्ग से डेविएट हो गया. यहीं से सारी समस्या शुरू हुई, इसलिए वैज्ञानिक इसी प्वांइट की स्टडी कर रहे हैं। इसके अलावा चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) से विक्रम लैंडर की तस्वीर ली जाएगी। यह कैमरा चांद की सतह पर 0.3 मीटर यानी 1.08 फीट तक की ऊंचाई वाली किसी भी चीज की स्पष्ट तस्वीर ले सकता है।

जो काम पिछली सरकार ने नहीं किए, वह टीएसआर सरकार ने कर दिखाया

उत्तराखण्ड में कुपोषण से मुक्ति के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पहल पर बड़ी पहल की गई है। मंगलवार को पोषण अभियान 2019 के अंतर्गत ‘‘कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान’’ की शुरूआत हुई। इसमें प्रदेश में चिन्हित 1600 अति कुपोषित बच्चों को मुख्यमंत्री, मंत्रिगणों, विधायकों, अधिकारियों, उद्योगपतियों व अन्य समाजसेवियों द्वारा गोद लिया जाएगा।

शुभारम्भ कार्यक्रम में 20 अति कुपोषित बच्चों को गोद लिया गया
सीएम आवास में अभियान के शुभारम्भ के अवसर पर 20 बच्चों को गोद लिया गया। सीएम ने स्वयं योगिता पुत्री रेखा, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने अनिषा पुत्री गुड़िया, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने निहारिका पुत्री सीमा, विधायक गणेश जोशी ने भूमिका, मेयर सुनील उनियाल गामा ने निहारिका पुत्री प्रियंका, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने नैंसी पुत्री अतर सिंह, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने विनायक पुत्र शीतल, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन ने आयुष पुत्र राजेश्वरी, सचिव डॉ. भूपिंदर कौर औलख ने आन्या, आरके सुधांशु ने अरहम, नीतेश झा ने नैना, शैलेश बगोली ने उमर, सौजन्या ने अभिषेक, हरबंस सिंह चुघ ने राज, अरविंद सिंह ह्यांकि ने हमजा, पंकज पाण्डे ने शुभान, विनोद प्रसाद रतूड़ी ने जोया, बीएस मनराल ने प्रियांशु, बीके संत ने शौर्य व एचसी सेमवाल ने दिव्यांशी को गोद लेकर उन्हें कुपोषण से मुक्त करने की जिम्मेदारी ली है। समाजसेवी व उद्योगपति राकेश ऑबेराय ने अपनी संस्थाओं के माध्यम से 100 कुपोषित बच्चों को गोद लेने की बात कही।

समाज की शक्ति को पहचाना होगाः टीएसआर
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हमें समाज की शक्ति को पहचानना चाहिए। किसी भी समस्या का हल समाज की भागीदारी से हो सकता है। हमारे पूर्वजों ने समाज की ताकत को पहचाना था। हमें भी यह देखना होगा कि कैसे समाज की शक्ति का उपयोग किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष बड़े पैमाने पर सफलतापूर्वक पौधरोपण अभियान चलाए गए थे। इसमें समाज के सभी लोगों ने बढ़-चढ़कर योगदान दिया। कोई भी समस्या दूर की जा सकती है अगर सही तरीके से नियोजन किया जाए, समाज को इसमें जोड़ा जाए और उसे पर्सनल टच दिया जाए। मुख्यमंत्री ने पिथौरागढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों व समाज का सहयोग लेकर बालिका लिंगानुपात में काफी सुधार आया है।

प्रदेश में कक्षा 9 से 12 तक की बालिकाओं का हिमोग्लोबिन टेस्ट कराया जाएगा
उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश में कक्षा 9 से 12 तक की बालिकाओं का हिमोग्लोबिन टेस्ट कराया जाएगा। वर्ष 2022 तक प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पक्का भवन युक्त किया जाएगा। प्रत्येक राशनकार्ड पर 2 किग्रा दाल उपलब्ध कराई जाएगी।

मां स्वस्थ तो बच्चा भी स्वस्थ
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन बच्चों को गोद लिया जा रहा है, उनका नियमित रूप से पूरा ध्यान रखना जरूरी है। उनके माता पिता के सम्पर्क रहना होगा। बच्चे क्या खा रहे हैं, कैसे खा रहे हैं, हर छोटी से छोटी बात पर ध्यान देना होगा। पहला सहयोग बच्चे की मां का चाहिए। अगर मां को पोषण मिले, मां का स्वास्थ्य ठीक हो तो बच्चे का पोषण और स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को कुपोषण से मुक्ति की शपथ भी दिलाई।

अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर आज वायुसेना के बेड़े में हुए शामिल

दुनिया के सबसे घातक हथियारों में शुमार आठ अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर आज भारतीय वायुसेना में आधिकारिक रूप से शामिल हो गए हैं। इन्हें पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया है। भविष्य में ऐसे कुल 22 हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना में शामिल होंगे। अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग ने इस एएच-64ई अपाचे हेलीकॉप्टर को बनाया है। चार साल पहले भारत ने अमेरिका के साथ 22 अपाचे हेलीकॉप्टर का करार किया था। 2022 तक सभी 22 अपाचे हेलीकॉप्टर वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे। भारत ने अमेरिका की कंपनी बोइंग के साथ सितंबर 2015 में 22 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर के खरीद का सौदा किया था। इस सौदे की कुल राशि 9600 करोड़ है।
एएच-64ई अपाचे विश्व के सबसे उन्नत लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक हैं, जिसे अमेरिका सेना इस्तेमाल करती है। यह बेहद कम ऊंचाई से हवाई और जमीनी हमले में सक्षम है। भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि अपाचे के बेड़े में शामिल होने से उसकी लड़ाकू क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी होगी, क्योंकि इनमें भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बदलाव किया गया है।
शुरुआत में इन हेलीकॉप्टरों को हिंडन एयरबेस पर तैनात किया गया था। जहां से आज यानी मंगलवार को कुछ जरूरी उपकरण लगाने के बाद इन्हें पठानकोट एयरबेस पर आधिकारिक तौर पर वायुसेना में शामिल कर लिया गया है। अपाचे रूस निर्मित एमआई-35 हेलीकॉप्टर की जगह लेंगे। अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर में 16 एंटी टैंक एजीएम-114 हेलफायर और स्ट्रिंगर मिसाइल लगी होती है। हेलफायर मिसाइल किसी भी आर्मर्ड व्हीकल जैसे टैंक, तोप, बीएमपी वाहनों को पल भर में उड़ा सकती है। वहीं स्ट्रिंगर मिसाइल हवा से आने वाले किसी भी खतरे का सामना करने में सक्षम है। इसके साथ ही इसमें हाइड्रा-70 अनगाइडेड मिसाइल भी लगा होता है जो जमीन पर किसी भी निशाने को तबाह कर सकता है।

इस हेलीकॉप्टर को दुश्मनों का रडार भी आसानी से पकड़ नहीं पाता है। जिसका प्रमुख कारण हेलीकॉप्टर की सेमी स्टेल्थ टेक्नोलॉजी और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता है। इसमें अत्याधुनिक लांगबो रडार लगा हुआ है जिससे यह नौसेना के लिए भी मददगार साबित होगा।अपाचे मल्टी रोल फाइटर हेलीकॉप्टर है। इसे लेजर, इंफ्रारेड व नाइट विजन सिस्टम से लैस किया गया है, जिससे यह अंधेरे में भी दुश्मनों का काम तमाम कर सकता है। वायुसेना ने सितंबर 2015 में अमेरिकी सरकार और बोइंग के साथ अपाचे हेलीकॉप्टरों के लिए करोड़ों डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अतिरिक्त रक्षा मंत्रालय ने बोइंग से 2017 में 4168 करोड़ रुपये के हथियारों के साथ छह हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी थी। बोइंग ने पूरी दुनिया में 2200 से अधिक अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति की है और भारत 16वां देश है, जिसने इसे अपनी वायुसेना के लिए चुना है। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, इस्राइल, नीदरलैंड्स, सऊदी अरब, जापान और मिस्र की वायुसेना भी इनका इस्तेमाल करती है। एएच-64ई अपाचे ने भारतीय वायुसेना के लिए अपनी पहली सफल उड़ान जुलाई, 2018 में की थी। वायुसेना के पहले दल ने हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण 2018 में अमेरिका में शुरू किया था।

अपाचे पर एक नजर …
– 280 किमी प्रतिघंटे की अधिकतम रफ्तार से भर सकता है उड़ान
– 16 एंटी टैंक एजीएम-114 हेलफायर मिसाइल छोड़ने की क्षमता
– 30 मिलीमीटर की दो गन से लैस
– 1,200 गोलियां भरी जाती है एक बार में

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