बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित राज्य बना लद्दाख

भारत सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाकर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐलान कर दिया है। राष्ट्रपति के आदेश पर अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से हटा दिया गया है। इसी के साथ जम्मू और कश्मीर राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया है। जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है।

गौरतलब है कि पिछले 70 सालों से लद्दाख के लोग केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे की मांग करते रहे थे। लद्दाख को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है, मगर, यहां विधानसभा नहीं होगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वहां के लोग काफी लंबे समय से इसे अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मान्यता दिए जाने की मांग कर रहे थे।

लद्दाख की खुबियां
लद्दाख बेहद खूबसूरत है और हर साल देशभर से हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। इसे ठंडा मरूस्थल भी कहते हैं। खासतौर पर मोटरसाइकिलों पर सवार युवा यहां के स्पेशल टूर बनाते हैं। यह उत्तर में कराकोरम पर्वत और दक्षिण में हिमालय पर्वत के बीच स्थित है। लद्दाख के उत्तर में पड़ोसी देश चीन और पूर्व में चीन के कब्जे वाले तिब्बत की सीमाएं मिलती हैं। यह सीमावर्ती इलाका है और इस दृष्टि से इसका सामरिक महत्व भी खास है। लद्दाख समुद्र तल से 9842 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। लद्दाख की राजधानी और प्रमुख शहर लेह है। लेह के उत्तर में कराकोरम दर्रा है।

जम्मू कश्मीर में फहरेगा तिरंगा, अनुच्छेद 370 को केंद्र सरकार ने किया खत्म

सोमवार को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के साथ ही राज्यसभा में राज्य पुनगर्ठन बिल के जरिए सूबे को दो हिस्सों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट कर इन्हें केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने का प्रस्ताव रखा है। इनमें जम्मू कश्मीर को विधायिका शक्ति वाला तो लद्दाख को बिना विधायिका शक्ति वाला केंद्रशासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव है।

बिल पर राज्यसभा ने सोमवार को ही मुहर लगा दी है। अब मंगलवार को लोकसभा में बिल पर मुहर लगते ही जम्मू कश्मीर न सिर्फ विशेष राज्य का दर्जा खो देगा, बल्कि पूर्ण राज्य के रूप में इसका अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा। सोमवार को जब गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370(1) में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए इस अनुच्छेद के अन्य सभी खंडों को निरस्त करने का संकल्प पेश किया तो पूरा सदन हक्का बक्का रह गया।

इसके साथ ही जब शाह ने राज्य पुनगर्ठन बिल के जरिए राज्य को दो हिस्सों में बांटने, पूर्ण राज्य की जगह इन्हें केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने संबंधी प्रस्ताव रखा तो सदन में एकबारगी भूचाल आ गया। शाह ने संकल्प और बिल पेश करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 में समय समय में संशोधन होता रहा है। अब जरूरी है कि राज्य से आतंकवाद के खात्मे और विकास के लिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए।

ये होंगे महत्वपूर्ण बदलाव
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी लागू होगी भारतीय दंड संहिता
राज्य का अपना अलग संविधान खत्म
राज्य का अलग झंडा भी नहीं रहेगा
छह साल की जगह अन्य राज्यों की तरह 5 साल का होगा विधानसभा का कार्यकाल
पूर्ण राज्य और विशेष राज्य का दर्जा होगा खत्म
दो नए केंद्रशासित प्रदेशों का होगा उदय
पूर्ण राज्य की संख्या 29 से घट कर होगी 28
चंडीगढ़ की तरह बिना विधायिका शक्ति वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा लद्दाख

इन्होंने किया समर्थन
राज्य पुनगर्ठन बिल का राजग के इतर बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी ने समर्थन किया।

इन्होंने किया वाकआउट
कांग्रेस, डीएमके ने किया विरोध तो सहयोगी जदयू, सपा ने किया वाकआउट।

लक्ष्मणझूला पुलः वैकल्पिक पुल को मिले तीन करोड़ रूपए

राज्य सरकार ने विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला के पास वैकल्पिक पुल का निर्माण कराने के लिए प्रथम चरण के तहत वित्तीय प्रावधान कर दिया है। शासन ने शुक्रवार को सेतु निर्माण के लिए 3.360 करोड़ रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी। नया वैकल्पिक पुल 150 मीटर का होगा। लोनिवि के उपसचिव जीवन सिंह ने वित्तीय स्वीकृति का शासनादेश जारी किया।

प्रदेश सरकार पुराने और जर्जर हो चुके लक्ष्मण झूला पुल से आवाजाही पहले ही प्रतिबंधित कर चुकी है। आवाजाही पर रोक लगाने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोक निर्माण विभाग को जल्द से जल्द वैकल्पिक झूला पुल तैयार करने के निर्देश दिए थे।

उनके निर्देश पर लोक निर्माण विभाग की टीम स्थलीय निरीक्षण करने के बाद सर्वेक्षण में जुट गई। विभाग ने शासन को प्राथमिक आगणन रिपोर्ट सौंपी थी। जिस पर वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है। अब वित्तीय प्रावधान करने के बाद लोक निर्माण विभाग को झूला पुल निर्माण की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर शासन अगले चरण की वित्तीय स्वीकृति प्रदान करेगा।

उत्तराखंड के प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की जरुरतः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पर्वतीय जिलों में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के लिए जिलाधिकारियों को विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। विकासखण्ड स्तर पर यह विचार करना जरूरी है कि कैसे प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में प्रति व्यक्ति आय में 30 हजार रूपये की वृद्धि हुई है। पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिये सरकार प्रयासरत है। इन्वेस्टर समिट में 40 हजार करोड़ रूपये के एमओयू पर्वतीय क्षेत्रों के लिए हुए है। प्रत्येक न्याय पंचायत पर ग्रोथ सेंटर विकसित किये जा रहे हैं। 58 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत किये जा चुके हैं। पिरूल से बिजली बनाने का कार्य किया जा रहा है। सौर ऊर्जा की 600 करोड़ की योजनायें विभिन्न उद्यमियों को पर्वतीय क्षेत्रों के लिए आवंटित की गई हैं। सर्विस सेक्टर में भी काफी इन्वेस्टमेंट पहाड़ों में संभावित है। महिला सशक्तीकरण के लिए एलईडी उपकरण बनाने के लिए ब्लॉक स्तर महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। सरकार ने इन उपकरणों की खरीद की व्यवस्था भी की है।
उत्तराखण्ड की प्रथम मानव विकास रिपोर्ट 2019 इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट नई दिल्ली के सहयोग से तैयार की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य का ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स 0.718 है। इस रिपोर्ट में ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स, लैंगिक विकास सूचकांक, बहुआयामी गरीबी सूचकांक यथा शिक्षा, स्वास्थ्य व जीवन स्तर एवं राज्य में जन्म पर जीवन प्रत्याशा का आकलन किया गया है। मानव विकास सूचकांक में देहरादून प्रथम, हरिद्वार दूसरे व उधमसिंह नगर तीसरे स्थान पर रहे। लैंगिक विकास सूचकांक में उत्तरकाशी प्रथम, रूद्रप्रयाग द्वितीय तथा बागेश्वर तृतीय स्थान पर रहे। बहुआयामी गरीबी सूचकांक में उत्तरकाशी प्रथम, हरिद्वार द्वितीय व चम्पावत तृतीय स्थान पर रहे। उत्तराखण्ड राज्य की जन्म पर जीवन प्रत्याशा 71.3 वर्ष है। पिथौरागढ़ जनपद में जन्म पर जीवन प्रत्याशा सर्वाधिक 72.1 वर्ष है।

मानव विकास रिपोर्ट रिपोर्ट में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता, विद्युतीकरण, प्रति व्यक्ति आय के क्षेत्र में राज्य की उपलब्धियों के साथ विकास के मार्ग में मौजूद बाधाओं व चुनौतियों व उनकों दूर करने के लिए मार्गदर्शक उपायों को भी समावेशित किया गया है। जो भविष्य में बेहतर विकास रणनीतियों के निर्माण एवं क्रियान्वयन हेतु राज्य सरकार व विभिन्न विभागों को उत्प्रेरित करती रहेगी। यह रिर्पोट मानव विकास तथा समावेशी विकास को विकास के केन्द्र के रूप में बनाये रखने हेतु राज्य की योजनाओं, नीतियों एवं हस्तक्षेपों के आधार के रूप में कार्य करेगी।
‘ग्रीन एकाउंटिंग ऑफ फॉरेस्ट रिसोर्स, फ्रेमवर्क फॉर अदर नेचुरल रिसोर्स एण्ड इण्डेक्स फॉर सस्टनेबल एनवायरमेंटल परफॉर्मेंस फॉर उत्तराखण्ड स्टेट’ हेतु इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेस्ट मैनेजमेंट, भोपाल के सहयोग से तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में राज्य के वन संसाधनों के आर्थिक महत्व को मौद्रिक रूप में मापने का प्रयास किया गया है। राज्य 18 वन सेवाओं को फ्लो वैल्यू 95,112.60 करोड़ तथा तीन सेवाओं का स्टॉक वैल्यू 14,13,676.20 करोड़ आंकलित हुआ है। इससे राज्य सरकार की लंबे समय से चली आ रही ग्रीन बोनस की मांग को भारत सरकार के समक्ष अधिक प्रभावी ढ़ग से रखने में मदद मिलेगी।
उत्तराखण्ड आर्थिक सर्वेक्षण भाग-2 में उत्तराखण्ड राज्य की अर्थव्यवस्था को समृद्ध कर राज्य को देश के अग्रणी राज्य में शामिल करने के साथ-साथ समान सामाजिक न्याय, पर्यावरण तथा विकास की प्रक्रिया के बीच ताल-मेल को बढ़ावा देने, पर्यटन के क्षेत्र में पर्यटन स्थलों को वैश्विक स्तर का तैयार कर घरेलू तथा विदेशी पर्यटकों के लिए शीर्ष प्राथमिकता प्रदान करना है। राज्य के दूर-दराज पहाड़ी क्षेत्रों में औद्यानिकी के द्वारा कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने तथा पारिस्थितिकी के अनुकूल औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए इसमें मदद मिलेगी। यह रिपोर्ट राज्य द्वारा सतत विकास 2030 के लक्ष्यों की कार्य योजना में भी सहायक होगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. के.एस. पंवार, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, श्रम संविदा सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल, सचिव बी.एस मनराल, अपर सचिव सुरेश जोशी, निदेशक अर्थ एवं संख्या सुशील कुमार, डी.डी.जी. एन.एस.एस.ओ राजेश कुमार, आईआईएमएफ भोपाल की डॉ. मधु वर्मा, आईएचडी नई दिल्ली के डॉ.आई.सी. अवस्थी, ई.एच.आई संस्थान के डॉ. आर.एस. गोयल आदि उपस्थित थे।

भारत की तीनों सेंनाएं आज हर मोर्चें पर अग्रिम स्थिति मेंः त्रिवेन्द्र

शौर्य दिवस के अवसर देहरादून के गांधी पार्क में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कारगिल शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर कारगिल शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की रक्षा के लिए हमारे जवानों ने हमेशा अदम्य साहस का परिचय दिया। उत्तराखण्ड के जवानों ने देश की रक्षा के लिए सभी युद्धों में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। भारत की थल सेना, वायु सेना व नौसेना आज हर मोर्चे पर अग्रिम स्थिति में है। देश को सुरक्षित रखने के लिए शास्त्रों का ज्ञान होना चाहिए वहीं देश की सीमाएं सुरक्षित रखने के लिए शस्त्रों से भी मजबूत होना जरूरी है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सैनिकों व पूर्व सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश स्तर पर अपर मुख्य सचिव नोडल आफिसर होंगे। सैनिकों के लिए सचिवालय प्रवेश हेतु उनका सेना का पहचान पत्र मान्य होगा। उन्हें सचिवालय प्रवेश हेतु अलग से लाईन में खड़ा नहीं होना पड़ेगा। प्रत्येक जनपद में सैनिकों व पूर्व सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए अपर जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री हेल्पलाईन नम्बर 1905 पर कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है, जब तक शिकायतकर्ता संतुष्ट न हो तब तक शिकायत का निस्तारण नहीं माना जायेगा। सीएम हेल्पलाईन नम्बर की प्रत्येक माह मुख्य सचिव समीक्षा करते हैं। समय-समय पर मुख्यमंत्री स्वयं इसकी समीक्षा करेंगे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखण्ड में सैन्य धाम को पांचवें धाम की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि देहरादून में एक विशाल एवं भव्य शौर्य स्थल बनाया जायेगा। इस शौर्य स्थल में देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने वाले सैनिकों का नाम होगा। यह शौर्य स्थल आधुनिक होगा व यहां पर अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। शौर्य स्थल के लिए देहरादून में भूमि चिन्हित कर ली गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों व पूर्व सैनिकों को हर संभव मदद करेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने पदक विजेता सैन्य अधिकारियों, सैनिकों, सैनिकों के परिवारजनों व वीरनारियों को सम्मानित भी किया।

आर्कषण का केन्द्र बनेगा कांच का झूला पुल

ऋषिकेश में आवाजाही के लिए बंद कर दिए गए पुराने लक्ष्मण झूला के विकल्प के रूप में प्रदेश सरकार जो नया झूला पुल तैयार करने जा रही है, वो कांच का दिखेगा।
अपर मुख्य सचिव (लोनिवि) ओम प्रकाश ने विभाग को झूला पुल को मजबूती के साथ आकर्षक बनाने के लिए ग्लास के आकार में डिजाइन करने को कहा है।
झूला पुल का डिजाइन व डीपीआर तैयार करने को पहले ही 50 लाख रुपये का प्रावधान किया जा चुका है। लोनिवि के मुख्य अभियंता अयाज अहमद के नेतृत्व में इंजीनियरों की एक टीम नया पुल बनाने के स्थान का चयन करने की प्रक्रिया में जुटी है।
यमकेश्वर की विधायक ऋतु खंडूड़ी नए झूला पुल के निर्माण की मांग को लेकर अपर मुख्य सचिव से मिली थी। उन्होंने एसीएस को एक पत्र भी सौंपा। इस पर एसीएस ने उन्हें अवगत कराया किया कि सरकार नया झूला पुल बनाने का पहले ही फैसला कर चुकी है।
उन्होंने बताया कि ये प्रयास हो रहा है कि नया झूला पुल कांच का बनाया जाए ताकि वो आवागमन की सुविधा देने के साथ दर्शनीय भी हो। इस बारे में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने यह जानकारी भी दी कि इस पुल को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि उस पर पैदल चलने वालों और दुपहिया वाहनों के लिए अलग-अलग लाइन होगी। उस पर टेंपू या अन्य तिपहिया वाहन पुल में दाखिल भी नहीं हो पाएंगे।

किसी भी सूरत में नहीं खुलेगा पुराना झूला पुल
अपर मुख्य सचिव (लोनिवि) ओम प्रकाश से साफ कर दिया कि लक्ष्मण झूला पुल को किसी भी सूरत में नहीं खोला जाएगा। उन्होंने विधायक खंडूड़ी को कहा कि सुरक्षा को देखते हुए ही सरकार ने पुल से आवागमन पर रोक लगाई है।

चीन सरकार के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया

इंटरनेट सर्च इंजन गूगल पर चीन की सरकार के साथ मिलकर काम करने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। अमेरिकी सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि उनका प्रशासन इस मामले की जांच करेगा। दरअसल, ट्रंप का बयान टेक अरबपति पीटर थील की उस टिप्पणी के बाद आया है जिसमें उन्होंने भारतीय मूल के अमेरिकी सुंदर पिचाई की अगुआई वाली कंपनी गूगल पर देशद्रोह का आरोप लगाया है। ट्रंप ने ट्वीट किया, श्अरबपति टेक इन्वेस्टर पीटर थील का मानना है कि गूगल पर देशद्रोह के आरोप की जांच होनी चाहिए। उनका आरोप है कि गूगल कंपनी चीन की सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है।श् उन्होंने आगे कहा कि वह (पीटर) एक महान और प्रतिभाशाली शख्स हैं, जो इस विषय को किसी से भी बेहतर तरह से जानते हैं। राष्ट्रपति ने आगे लिखा, ट्रंप प्रशासन इस मामले पर गौर करेगा।
इस बीच, गूगल ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है। 2010 में इस टेक कंपनी ने अपने सर्च इंजन को चीन से बाहर कर लिया था। दरअसल, चीन सरकार उसके सर्च रिजल्ट्स को सेंसर करने की कोशिश कर रही थी। इसके विरोध में गूगल को यह कदम उठाना पड़ा। हालांकि हाल में खबरें आईं थीं कि इसने चीन के लिए अपने सर्च इंजन के एक संशोधित वर्जन पर काम करना शुरू किया है।
हालांकि कंपनी का कहना है कि उसका इरादा इसे लागू करने का नहीं है। ट्रंप पहले भी कई बार गूगल पर अपने और समर्थकों के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का आरोप लगाते रहे हैं। उधर, पीटर थील के बारे में बताया जा रहा है कि वह गूगल के कई प्रतिस्पर्धियों से जुड़े हुए हैं।

नए आइडिया के साथ काम करें सांसदः प्रधानमंत्री

भारतीय जनता पार्टी की संसदीय बैठक मंगलवार को संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग में हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह व तमाम वरिष्घ्ठ नेता शामिल हुए। बैठक में मौजूद नेताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सभी सांसद राजनीति से हटकर काम करें। जनता से मिलें और सामाजिक कार्य करें। प्रधानमंत्री ने सांसदों को नसीहत देते हुए कहा कि सभी अपने क्षेत्र में रहें और काम के नए आइडिया को अपनाएं।

प्रधानमंत्री मोदी की नसीहत-
– संसद में मौजूद रहें सांसद व मंत्री
– रोस्टर ड्यूटी में अनुपस्घ्थित सांसदों के बारे में शाम तक मुझे दी जाए जानकारी
– राजनीति से हटकर करें काम
– देश के सामने जल संकट है, इसके लिए करें काम
– क्षेत्र के अधिकारियों से संपर्क कर जनता की समस्याओं पर करें विचार
– सरकारी काम और योजनाओ में लें हिस्घ्सा
– अपने क्षेत्र में जाकर सरकार की योजनाओं के बारे में जनता को बताएं
– अपने संसदीय क्षेत्र के लिए कोई एक इनोवेटिव काम करें
– जानवरों की बीमारियों पर भी करें काम

बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहले से पहुंचने वालों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन शामिल हैं।
इससे पहले 14 जुलाई को भाजपा ने लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों को नोटिस जारी कर आज की इस बैठक के बारे में सूचित कर दिया था ताकि सभी इसमें मौजूद रहें। 9 जुलाई को हुई संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों को नए निर्देश थे। उन्होंने सांसदों को गांधी जयंती से लेकर पटेल जयंती यानि कि 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक अपने संसदीय क्षेत्र में 150 किलोमीटर की पदयात्रा करने को कहा था।

गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी को संगीत अकादमी पुरस्कार

उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी और रंगमच और फिल्म समीक्षक दीवान सिंह बजेली को संगीत अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है। संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा जारी प्रेस बयान में यह जानकारी दी गयी है। 26 जून को गोवाहाटी में हुई संगीत नाटक अकादमी की बैठक में यह निर्णय किया गया। 82 वर्षीय बजेली तीस साल तक राजधानी नई दिल्ली से प्रकाशित सभी प्रमुख अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्रों मे रंगमंच की समीक्षा करते रहे हैं। 1937 में अल्मोडा के मन्नान गांव मे जन्मे बजेली टाइम्स ऑफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस तथा पायनियर एवं इकानामिक टाइम्स मे रंगमंच पर लिखते रहे है और वह द हिन्दू के नियमित स्तंभकार रहे हैं। उन्हांने अब तक सैकड़ों नाटको की समीक्षा की है और भारतीय रंगमंच को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। वह पर्वतीय लोककला के भी विशेषज्ञ माने जाते है।
इनके साथ ही पंडित तरुण भट्टाचार्य विख्यात शास्त्रीय गायक मधुप मुद्गल, रंगकर्मी संजय उपाध्याय, अभिनेता टीकम जोशी, लोकगायिका मालिनी अवस्थी समेत 44 कलाकारों को यह पुरस्कार दिये जायेंगे, जबकि प्रख्यात नृत्यांगना एवं राज्यसभा की मनोनीत सदस्य सोनल मानसिंह, मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन समेत चार को साहित्य अकादमी का नया फेलो बनाया गया है। फेलो बनाये जाने पर हर कलाकार को तीन-तीन लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र आदि दिये जायेंगे जबकि अकादमी पुरस्कार के लिए प्रत्येक कलाकार को एक-एक लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिन्ह दिये जायेंगे। राष्ट्रपति नई दिल्ली में एक विशेष समारोह के दौरान कलाकारों को पुरस्कार प्रदान करेंगे।
पंडित भट्टाचार्य ने पुरस्कार दिये जाने पर आभार जताते हुए कहा कि यह संतूर और संतूर के प्रशंसकों का सम्मान है। वह सम्मान की सूचना पाकर बहुत की खुश है तथा अकादमी के प्रति आभार जताते हैं। उल्लेखनीय कि पंडित भट्टाचार्य कोलकाता में संतूर आश्रम का संचालन चलाते हैं तथा युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करते रहे हैं। फेलो बनाये गये दो अन्य कलाकारों में जतिन गोस्वामी और के कल्याण सुन्दरम पिल्लई शामिल हैं। इसके अलावा 18 युवा कलाकारों का बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार के लिए चयन किया गया है। बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार विजेता कलाकार को 25-25 हजार रुपये प्रशस्ति पत्र आदि दिए जायेंगे। संगीत के क्षेत्र में 11, नृत्य के क्षेत्र में नौ, रंगकर्म के क्षेत्र में नौ, पारंपरिक कला में दस कलाकारों को अकादमी पुरस्कार दिए जायेंग। इसके अलावा दो कलाकारों को सम्पूर्ण योगदान के लिए यह पुरस्कार दिए जाएगा। नृत्य में राधा श्रीधर को भारत नाट्यम, इषिरा और मौलिक शाह को कत्थक में संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया जायेगा। नाट्य लेखन में राजीव नायक और एल खिलान्गते को यह पुरस्कार मिलेगा। उत्तराखंड के चर्चित लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी और खड़ताल संगीत के लिए गाजी खान को याक पुरस्कार दिया जायेगा।

वृहद वृक्षारोपण से प्राकृतिक जलस्रोत होंगे पुनर्जीवितः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हरेला पर्व पर रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान के अन्तर्गत मोथरावाला, देहरादून में वृक्षारोपण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक संयोग है कि इस वर्ष गुरू पूर्णिमा व हरेला पर्व एक ही दिन है। उन्होंने गुरू पूर्णिमा व हरेला की सभी प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रिस्पना जलागम क्षेत्र में वृक्षारोपण के लिए 11 क्षेत्र बनाए गये हैं 31 हजार वृक्ष लगाए जा रहे हैं। अधिकांश वृक्ष पीपल, बरगद व बट के लगाये जा रहे हैं। रिस्पना व कोसी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए गत वर्ष भी व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया गया। मोथरावाला में जो वृक्षारोपण किया जा रहा है, उनकी सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को शुद्ध हवा व वातावरण मिल सके इसके लिए सबको वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान देना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला सुख-समृद्धि व जागरूकता का प्रतीक है। हमारे पूर्वजों ने वृक्षों को बचाने के लिए अनवरत प्रयास किये हैं। पीपल, वट व केले वृक्षो का हमारे धार्मिक ग्रंथों में विशेष महत्व था। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को अच्छा पर्यावरण मिले मिले इसके लिए हमें संकल्प लेना होगा।
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि हमें वृक्ष लगाने के साथ ही उनके संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैव विविधता वाला राज्य है। भारत की कुल कुल जैव विविधता में 28 प्रतिशत योगदान उत्तराखण्ड का है। ईकोलॉजी को बचाने की उत्तराखण्ड पर बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हमें अपने पूर्वजों की याद व बच्चों के जन्म व शादी पर वृक्षारोपण करने की पंरपरा को बनाये रखना होगा।
हरेला पर्व पर प्रदेश भर में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया जा रहा है। इस बार हरेला पर्व पर 6.25 लाख पौधे लगाये जा रहे हैं। गत वर्ष हरेला पर्व पर 4.50 लाख पौधे लगाये गये थे। इस अवसर पर मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक विनोद चमोली, भरत चैधरी, भाजपा के नगर अध्यक्ष विनय गोयल, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, सचिव अरविन्द सिंह ह्यांकी, जिलाधिकारी देहरादून सी. रविशंकर, अपर सचिव डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट आदि उपस्थित थे।