हिमालयन कान्क्लेव में हिमालयी राज्यों के विकास पर मंथन

हिमालयी संस्कृति, आर्थिकी व पर्यावरण के संरक्षण के लिए सभी हिमालयी राज्य एक मंच पर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पहल पर हो रहे हिमालयन कान्क्लेव में भारत के सभी हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्री, अधिकारी, विशेषज्ञ व हिमालय के संरक्षण पर मंथन करेंगे। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी इसमें शामिल होने पर अपनी सहमति दी है। शासन द्वारा 28 तारीख को मसूरी में प्रस्तावित हिमालयन कान्क्लेव की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि ‘‘हिमालयन कान्क्लेव में हिमालयी राज्यों की समस्याओं व उनके समाधान के लिए गहनता से मंथन किया जाएगा। यह मंथन भविष्य में हिमालयी राज्यों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने में मददगार साबित होगा। इससे नीति आयोग व वित्त आयोग को हिमालयी राज्यों की वास्तविक स्थिति को जानने में आसानी रहेगी।’’

उत्तराखण्ड में पहली बार हो रहा है हिमालयी राज्यों का कान्क्लेव
उत्तराखण्ड में पहली बार हिमालयी सरोकार से जुड़े कान्क्लेव का आयोजन हो रहा है जिसमें तमाम हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, प्रशासकों, अधिकारियों व विशषज्ञों द्वारा प्रतिभाग किया जाएगा। इसमें मुख्यतः उत्तराखण्ड, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, आसाम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम व मणिपुर राज्यों के मुख्यमंत्री व प्रतिनिधि अपने विचार रखेंगे। व्यापक विचार विमर्श के बाद एक हिमालयन ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा जो कि नीति आयोग को प्रेषित किया जाएगा।

ग्लोबल वार्मिंग से हिमालय के इको सिस्टम का संरक्षण
बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारतीय संस्कृति व सभ्यता के मूल स्त्रोत हिमालय व यहां की जीवनदायिनी नदियों पर संकट मंडरा रहा है। हिमालयी इकोलॉजी की रक्षा के साथ कैसे विकास का लाभ यहां के लोगों तक पहुंचाया जा सकता है, कान्क्लेव का मुख्य एजेंडा रहेगा। हिमालय के संसाधनों का उपयोग कैसे यहां की अर्थव्यवस्था को उन्नत करने में किया जा सकता है ताकि यहां के युवा को रोजगार के लिए पलायन न करना पड़े। हिमालय भारतीय सभ्यता का केंद्र बिंदु तो है ही, इसका सामरिक महत्व भी काफी ज्यादा है। सभी हिमालयी राज्यों की सीमाएं दूसरे देशों से जुड़ी हुई हैं। इस दृष्टि से भी कान्क्लेव में चर्चा की जा सकती है।

जल संरक्षण व जल संवर्धन पर भी रहेगा फोकस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलशक्ति मंत्रालय बनाकर जल संरक्षण व जल संवर्धन की बड़ी पहल की है। इसमें हिमालयी राज्यों की सहभागिता बहुत जरूरी है। ग्लेशियरों, नदियों, झीलों, तालाबों व वनों को ग्लोबल वार्मिंग से बचाना भी कान्क्लेव का प्रमुख एजेंडा रहेगा।

सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बनेगी कार्ययोजना
एक ओर जहां हिमालय का संरक्षण जरूरी है वहीं यहां के दूरदराज के गांवों में आधारभूत सुविधाओं का विकास कर स्थानीय लोगों के लिए आजीविका उपलब्ध करवाना भी आवश्यक है। इसके लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर विशेष ध्यान देना होगा। कान्क्लेव में हिमालयी राज्यों में सतत विकास की कार्ययोजना भी तैयार की जाएगी।

नीति आयोग को सौंपा जाएगा ड्राफ्ट
हिमालयन कान्क्लेव में वैचारिक मंथन के बाद प्राप्त निष्कर्षों को एक ड्राफ्ट का रूप देते हुए नीति आयोग को सौंपा जाएगा। इससे नीति आयोग को हिमालयी राज्यों के लिए नीति निर्धारण करने में मदद मिलेगी। नीति आयोग को हिमालयी राज्यों की आकांक्षाओं, आवश्यकताओं व क्षमताओं के बारे में पता चलेगा।

गढ़वाल कमिश्नरी के 50 वर्ष पूरे होने पर पौड़ी को मिली कई सौगात

प्रदेश में साहसिक गतिविधियों के लिए अलग से निदेशालय बनाया जाएगा। पौड़ी में सीता माता सर्किट विकसित किया जाएगा। पौड़ी गढ़वाल में 200 करोड़ रूपए से अवस्थापना सुविधाओं का विकास होगा। पौड़ी में रोपवे बनाया जाएगा। स्थानीय नागरिकों के सहयोग से पौड़ी को कलर कल्चर देने का प्रयास किया जाएगा। देवाल में एनसीसी एकेडमी के लिए भूमि स्वीकृत कर दी गई है।

गढ़वाल कमिश्नरी के 50 वर्ष पूरे होने पर पौड़ी में विभिन्न कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने आए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को पौड़ी स्थित सर्किट हाउस में प्रेस वार्ता करते हुए पौड़ी गढ़वाल सहित राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए विभिन्न निर्णयों की जानकारी दी। इस अवसर पर सहकारिता व उच्च शिक्षा मंत्री डा.धनसिंह रावत, विधायक दिलीप सिंह रावत, पौड़ी नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम, आयुक्त डा. बीवीआरसी पुरूषोत्तम भी उपस्थित थे।

पौड़ी में सीता माता सर्किट विकसित किया जाएगा
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि पौड़ी में ‘‘सीता माता सर्किट’’ विकसित किया जाएगा। पौराणिक महत्व के देवप्रयाग स्थित रघुनाथ मंदिर, देवाल स्थित लक्ष्मण मंदिर व फलस्वाड़ी स्थित माता सीता मंदिर को धार्मिक पर्यटन में सीता माता सर्किट के तौर पर विकसित करते हुए इसका प्रचार प्रसार किया जाएगा। इन धार्मिक स्थलों की स्थानीय लोगों में बड़ी मान्यता है परंतु अन्य प्रदेशों के लोगों के इनके बारे कम जानकारी है। इसलिए देश भर के श्रद्धालुओं को यहां के धार्मिक महत्व के बारे बताने के लिए प्रचार प्रसार किया जाएगा।

पौड़ी गढ़वाल में 200 करोड़ रूपए से होगा अवस्थापना सुविधाओं का विकास
मुख्यमंत्री ने कहा कि पौड़ी गढ़वाल में 200 करोड़ रूपए से अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों को विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए निर्देशित किया गया है। इससे पार्कों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। माल रोड़ विकसित की जाएगी। पौड़ी बस अड्डा-कंडोलिया-किंकालेश्वर रोपवे बनाया जाएगा। पौड़ी, खिर्सू, सतपुली, जयहरिखाल आदि स्थानों में विभिन्न सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

स्थानीय सहयोग से पौड़ी में कलर-कल्चर
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय नागरिकों के सहयोग से पौड़ी को कलर कल्चर देने का प्रयास किया जाएगा। पिंक सिटी जयपुर की भांति ही कोशिश की जाएगी कि पौड़ी में इमारतें एक रंग में हों। इससे पौड़ी नगर को एक नई पहचान मिलेगी। लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि भवन निर्माण में पर्वतीय स्थापत्य का प्रयोग हो। इसके लिए आवास नीति में प्रावधान भी किया गया है। इससे बाहर से आने वाले हमारी स्थापत्य कला से परिचित होंगे।

साहसिक गतिविधियों के लिए बनेगा अलग निदेशालय
मुख्यमंत्री ने कहा कि साहसिक गतिविधियों के लिए अलग से निदेशालय बनाया जाएगा। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को इसकी जिम्मेवारी दी जाएगी। हाई वेल्यु टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इसका निर्णय लिया गया है। साहसिक गतिविधियों में पर्वतारोहण, ट्रेकिंग,रॉक क्लाईम्बिंग, माउंटेन बाईकिंग, जिप वायर साईक्लिंग, बंगी जम्पिंग, हॉट एयर बैलून, पैराग्लाईडिंग, वाटर स्पोर्ट्स आदि शामिल हैं। सरकार का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक खर्चीले पर्यटक राज्य में आएं, जिससे यहां के युवाओं को रोजगार के साथ अच्छी आमदनी हो।

देवाल में एनसीसी एकेडमी के लिए भूमि स्वीकृत
देवाल में एनसीसी एकेडमी के लिए भूमि स्वीकृत कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एनसीसी एकेडमी बनने पर प्रतिवर्ष यहां प्रशिक्षण के लिए 35-40 हजार लोग आएंगे। इससे यहां आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और स्थानीय लोगों को लाभ होगा। देशभर से आए लोग पौड़ी के बारे में परिचित होंगे जिससे यहां पर्यटन भी बढ़ेगा।

ल्वाली झील से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
ल्वाली झील से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ल्वाली झील में 70 लाख लीटर पानी एकत्र करने की क्षमता होगी। इससे जल-गतिविधियों के साथ यहां पीने के पानी की बैकअप व्यवस्था भी हो सकेगी।

पिथौरागढ़ में देश का सबसे बड़ा ट्यलिप गार्डन बनेगा
पिथौरागढ़ में देश का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन बनेगा। यहां 50 हेक्टेयर में ट्यूलिप गार्डन बनाया जाएगा। इस पर 50 करोड़ रूपए खर्च होंगे। यहां वर्ष में 8 महिने टृयूलिप के फूल देखने को मिलेंगे। पिथौरागढ़ हवाई पट्टी का विस्तार करने का प्रयास किया जा रहा है। टिहरी में सी-प्लेन के लिए 3 जुलाई को एमओयू होने जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ समय में टिहरी में पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। राज्य सरकार के प्रयास सही दिशा में बढ़ रहे हैं।

स्व.पंत ने राज्य में स्वस्थ संसदीय परंपरा की नींव रखीं

उत्तराखंड विधानसभा के सोमवार से शुरू हुए सत्र के पहले दिन दिवंगत कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रकाश पंत को सदन ने नम आंखों से श्रद्धांजलि दी। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने स्वर्गीय पंत को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हुए कहा कि वह प्रदेश के विकास में दिए गए अविस्मरणीय योगदान के लिए हमेशा याद रहेंगे। उन्होंने कहा कि पंत की कार्यशैली और मृदुभाषिता सभी को प्रेरणा देती रहेगी। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा परिसर में स्थित नवीन भवन का नाम स्वर्गीय पंत के नाम पर प्रकाश पंत विधानसभा अतिथि गृह रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि स्व.पंत ने राज्य में स्वस्थ संसदीय परंपरा की नींव डाली।
विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कार्यकारी संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने प्रस्ताव रखा कि प्रश्नकाल समेत सभी कार्यों को निलंबित करते हुए दिवंगत संसदीय कार्य एवं वित्तमंत्री प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि दी जाए। पीठ ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इस मौके पर नेता सदन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वर्गीय पंत के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से रोशनी डाली।

… फिर रो पड़े त्रिवेन्द्र रावत
अपने सहयोगी मंत्री के कार्यों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री रावत फफक पड़े और उनका गला भर आया। उन्होंने कहा कि राज्य से जुड़े तमाम सवालों के समाधान में पंत ने अहम भूमिका निभाई। हमने एक समाधानकर्ता खो दिया, उनकी कमी हमेशा खलेगी। यह कहते-कहते उनका गला भर आया। कुछ देर चुप रहने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि बीमारी ने जब दस्तक दी, तब समझ नहीं सके। जब समझे तो देर हो चुकी थी। सभी ने पंत के स्वस्थ होने की कामना की, मगर नियति को यह मंजूर नहीं थी। इसके बाद फिर वह फफक पड़े।

पंत के चित्र पर माल्यार्पण
सदन में प्रवेश करने से पहले मुख्यमंत्री, मंत्रियों के साथ ही सत्ता पक्ष व विपक्ष के सभी विधायकों ने मुख्य द्वार पर पंत के चित्र पर पुष्पांजलि की। इसके बाद ही सदन में प्रवेश किया।

नेता प्रतिपक्ष का गला भर आया
सदन में नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश ने कहा कि पूर्व मंत्री पंत का असामयिक निधन हम सबकी अपूरणीय क्षति है। ज्ञान को विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत करने की कला पंत में थी। यह खूबी कहीं नजर नही आती। उन्होंने पंत से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि हम प्रकाश पंत को कई बार कहते थे कि आबकारी विभाग तुमने गलत लिया, यह तुम्हारे चरित्र के अनुरूप नहीं है। संस्मरण सुनाते-सुनाते वह भावुक हो गईं और गला भर आया। उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने कहा कि स्वर्गीय पंत ऐसे नेता थे, जिन्हें सभी फॉलो करते थे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री के रूप में पंत का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। उनकी धरोहर को चिरस्थायी बनाए रखने का प्रयास होना चािहए।

एलएलबी की पढ़ाई कर रहे थे पंत
मुख्यमंत्री ने कहा कि मृदुभाषी और मुस्कान के साथ हर समस्या का निदान करने वाले पंत में सीखने की गजब की ललक थी। अंतरिम विधानसभा के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने संसदीय ज्ञान के जरिए इसे साबित किया। दिवंगत होने से पहले पंत एलएलबी की पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने पंत के संसदीय व वित्तीय मामलों का ज्ञान, साहित्यिक रचनाओं, कार्यशैली का जिक्र भी किया।

साथी मंत्रियों ने किया पंत को याद
सरकार के मंत्रियों ने भी सदन में अपने साथी दिवंगत प्रकाश पंत को याद किया। कार्यकारी संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि स्व.पंत का राज्य के प्रति उनका समर्पण सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पूर्व मंत्री पंत ने नर सेवा से नारायण सेवा के कथन को फलीभूत किया। जीएसटी काउंसिल में भी पंत ने छाप छोड़ी। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि प्रकाश पंत वह पुंज थे, जिन्होंने राजनीति में उच्च मानदंड स्थापित किए। कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की भांति स्व.पंत ने राज्य के विकास में भूमिका निभाई। कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने कहा कि व्यक्ति पद या पैसे से बड़ा नहीं होता, इंसानियत से बड़ा होता है। प्रकाश पंत ऐसे ही व्यक्ति थे। राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सभी को प्रकाश पंत के व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए। राज्यमंत्री रेखा आर्य ने कहा कि राज्य से जुड़े विषयों में जहां भी कठिनाई आई, उसके निराकरण में प्रकाश पंत ने अहम भूमिका निभाई।

योग को जन आंदोलन बनाने की जरुरतः मुख्यमंत्री

5वें अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पैवेलियन ग्राउंड देहरादून में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हजारों योग साधकों के साथ योगाभ्यास किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नियमित योगाभ्यास हमें मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में मददगार होता है। योगाभ्यास को अपनी दिनचर्या में लाना जरूरी है। योग को जन आन्दोलन बनाने के लिए आम आदमी की सहभागिता को जरूरी बताते हुए कहा कि योग की धारा देवभूमि उत्तराखण्ड से प्रवाहित हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योग भारतीय सभ्यता, संस्कृति तथा जीवन शैली का अभिन्न अंग रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सार्थक प्रयासों से योग को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलना भारत के लिए गर्व की बात है। योग की वजह से वैश्विक पटल पर भारत का विशिष्ट स्थान है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की अपील की थी। 193 देशों ने इसका समर्थन किया था। पतंजलि ने लिखा है जिस प्रकार व्याकरण से भाषा की शुद्धता होती है उसी प्रकार योग से चित्त शुद्ध होता है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भर में योग का महत्व बढ़ा है। योग प्रशिक्षकों की मांग तेजी से बढ़ रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य व मन की शुद्धता के लिए विश्वभर में करोड़ों लोग योगाभ्यास कर रहे हैं। स्वस्थ शरीर व मन से ही सम्पूर्ण विश्व का कल्याण संभव है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गरिमामयी उपस्थित में देहरादून में 60 हजार से अधिक लोगों ने योगाभ्यास किया। जिससे देवभूमि व योग भूमि उत्तराखण्ड को विश्वभर में अलग पहचान मिली। उन्होंने कहा कि आत्मा व परमात्मा के मिलन का एकमात्र साधन योग है।
आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड योग की भूमि रही है। हजारों सालों से ऋषि-मुनियों, महात्माओं ने यहां से देश और दुनिया को योग के माध्यम से स्वस्थ रहने की प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में 250 वैलनेस सेंटर बनाये जायेंगे। एक स्वस्थ जीवन की कल्पना योग से ही जा सकती है। प्रधानमंत्री ने श्री केदारनाथ जी में योग साधना कर बाबा केदार का आशीर्वाद लिया। श्री केदारनाथ जी की यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इससे काफी वृद्धि हुई है।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधायक खजान दास, मुन्ना सिंह चैहान, गोपाल रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी, सचिव आयुष अरविन्द सिंह ह्यांकी आदि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने की केंद्र को प्रेषित प्रस्तावों को जल्द स्वीकृत करने की मांग

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से भेंट कर नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत केंद्र को भेजे गए विभिन्न प्रस्तावों को जल्द स्वीकृत करने का अनुरोध किया। इनमें केदारपुरी क्षेत्र में 67 करोड़ 64 लाख रूपए लागत से सीवेज प्रबंधन, गंगा की सहायक नदियों सुसवा, कोसी, ढ़ेला, कल्याणी, भेला, पिलाखर, नन्दौर व किच्छा में गिरने वाले नालों के प्रदूषित जल के उपचार के लिए 545 करोड़ 14 लाख रूपए लागत की आठ परियोजनाएं, काशीपुर आई.एण्ड डी व एसटीपी की 97 करोड़ 79 लाख रूपए लागत की परियोजना, केदारनाथ यात्रा के दृष्टिगत महत्वपूर्ण 21 करोड़ 62 लाख रूपए लागत की गौरीकुण्ड सीवेज परियोजना, अगस्तमुनि की 27 करोड़ 17 लाख रूपए लागत की आईएंडडी व एसटीपी परियोजना व शारदा नदी में हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए 43 करोड़ 49 लाख रूपए लागत की टनकपुर सीवेज आईएंडडी व एसटीपी परियोजना शामिल हैं।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी की निर्मलता व अविरलता भारत सरकार व उत्तराखण्ड सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। वर्तमान में नमामि गंगा के अंतर्गत प्रथम चरण में गंगा नदी में विभिन्न नालों व सीवर के पानी से हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए उत्तराखण्ड राज्य के चिन्हित 15 प्राथमिकता के नगरों में 1005.11 करोड़ लागत की कुल 21 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इसके सापेक्ष वर्ष 2017-18 में स्वीकृत की गई 18 योजनाओं में से 8 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, 6 योजनाएं अगस्त 2019 तक, 3 योजनाएं दिसम्बर 2019 तक व 1 योजना फरवरी 2020 तक पूरी कर ली जाएंगी। इसी प्रकार वर्ष 2018-19 में स्वीकृत की गई 03 योजनाओं के संबंध में निविदा प्रक्रिया गतिमान है। इन प्राथमिकता के नगरों में चिन्हित 135 नालों में से 70 नालों को टैप किया जा चुका है और शेष 65 नालों में 61 नालों के लिए इंटरसेप्शन एंड डाईवर्जन की योजनाएं नमामि गंगे परियोजना के तहत स्वीकृत की गई है। इनमें से भी 30 नालों को टैप किया जा चुका है।

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मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से हरिद्वार महाकुंभ के लिए मांगी वित्तीय मदद

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्रीय मंत्री शेखावत से सिंचाई विभाग के अंतर्गत उत्तराखण्ड राज्य की केन्द्र पुरोनिधानित निर्माणाधीन योजनाओं को पूर्ण करने के लिए अवशेष केन्द्रांश 142 करोड़ 52 लाख रूपए व लघु सिंचाई विभाग की केन्द्र पोषित योजनाओं को पूर्ण करने के लिए अवशेष धनराशि 63 करोड़ 57 लाख रूपए यथाशीघ्र अवमुक्त करने के साथ ही लघु सिंचाई विभागके अंतर्गत क्रियान्वित योजनाओं के कार्यों को पूर्ण कराए जाने की समयावधि 31 मार्च 2020 तक विस्तारित करने का भी अनुरोध किया।

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मुख्यमंत्री ने की 17 प्रान्तीय मार्गों को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने की मांग

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को उत्तराखण्ड सरकार द्वारा केंद्र को नमामि गंगे योजना में प्रेषित प्रस्तावों की शीघ्र स्वीकृति के लिए मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्री द्वारा इस पर जल्द समुचित कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया गया।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से हरिद्वार महाकुंभ के लिए मांगी वित्तीय मदद

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट की। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से नई दिल्ली में भेंट कर हरिद्वार में वर्ष 2021 में होने जा रहे महाकुम्भ मेला के लिए भारत सरकार से 5000 करोड़ रूपए की वन टाईम ग्रान्ट दिए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2021 में हरिद्वार में महाकुम्भ मेले का आयोजन किया जाना है। इसमें देश विदेश से 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है। महाकुम्भ मेले में अवस्थापना सेवाओं व सुविधाओं विशेषकर आवास, परिवहन, स्वास्थ्य, स्वच्छता व सुरक्षा आदि में विस्तार करना जरूरी है ताकि मेले का सफल आयोजन सुनिश्चित हो सके। संबंधित विभागों द्वारा अवस्थापना सेवाओं व सुविधाओं के विकास के लिए लगभग 5000 करोड़ रूपए के प्रस्ताव उपलब्ध कराए गए हैं। सभी स्थायी व अस्थायी कार्य अक्टूबर 2020 तक पूर्ण कराया जाना आवश्यक है। उत्तराखण्ड राज्य के सीमित आर्थिक संसाधनों को देखते हुए महाकुम्भ मेला 2021 के लिए वनटाईम ग्रान्ट की यथाशीघ्र स्वीकृति प्रदान की जाए। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हरिद्वार महाकुम्भ मेले के सफल आयोजन के लिए केन्द्र सरकार उत्तराखण्ड सरकार की हर सम्भव मदद करेगी।

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उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक तीर्थाटन का बड़ा महत्व: मुख्यमंत्री

भारत में माॅरीशस के उच्चायुक्त जे. गोवर्द्धन ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री आवास में शिष्टाचार भेंट की। श्री केदरानाथ एवं श्री बदरीनाथ की यात्रा पर आये गोवर्द्धन ने उनकी सुखद यात्रा के प्रति मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र का आभार व्यक्त किया। माॅरीशस के उच्चायुक्त गोवर्द्धन ने मुख्यमंत्री को माॅरीशस आने का भी निमन्त्रण दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने तथा चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। केदारनाथ पुनर्निमाण का कार्य अन्तिम चरण में है। चारधाम आॅलवेदर रोड का कार्य तेजी से किया जा रहा है। हेली सेवायें उपलब्ध करायी गई है। इससे राज्य में आने वाले पर्यटकों के साथ ही चार धाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सुविधा होने का ही प्रतिफल है कि आज लाखों की संख्या में लोग उत्तराखण्ड आ रहे है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रवासी हमारे अच्छे अम्बेसडर बन सकते है। इस दिशा में भी राज्य सरकार द्वारा पहल की जा रही है। मुख्यमंत्री ने माॅरीशस के लोगों का अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए किये जा रहे प्रयासों की भी सराहना की उन्होंने कहा की माॅरीशस के लोगों ने भोजपुरी के साथ ही भारत की अन्य भाषाओं को भी बढ़ावा देने का प्रयास किया है। उनका कहना था कि भाषा ही संस्कृति की वाहक होती है।
माॅरीशस के उच्चायुक्त जे. गोवर्द्धन ने माॅरीशस से चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को रियायत देने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्द्रर्य पर्यटन की दृष्टि से अनुकूल तो है ही यहां के चार धाम करोड़ो लोगों की आस्था के केन्द्र भी है। उन्होंने बताया कि माॅरीशस की आबादी 13 लाख है जबकि प्रतिवर्ष 13 लाख पर्यटक वहां आते है उन्होंने पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग की भी बात कही। उन्होंने कहा कि माॅरीशस के लोगों की गंगा के प्रति की बड़ी आस्था है। जे. गोवर्द्धन ने माॅरीशस सरकार द्वारा भोजपुरी सहित अन्य भाषाओं के विकास के प्रति किये जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी तथा इस सम्बन्ध में प्रकाशित विभिन्न पुस्तकें भी मुख्यमंत्री को भेंट की। इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

विशेष संयोग में लाभ उठानें के लिए करें यह काम!

इस बार 3 जून को शनि जयंती और ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या एक साथ मनाई जाएगी। इसके साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। ज्योतिषविदों के मुताबिक इस बार की शनि जयंती लोगों के लिए खास रहेगी। इसके साथ ही एक में दिन तीन शुभ आयोजन होने के चलते इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है।

ऐसा संयोग 149 वर्ष बाद बनने जा रहा है। इससे पहले यह संयोग 30 मई 1870 को बना था। प्रमुख पंडितों का मानना है कि जिन राशियों में शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है। उनके लिए यह दिन विशेष रहेगा। साथ ही वह लोग इस विशेष संयोग के बीच भगवान शनि की पूजा कर लाभ उठा सकते है। शनि जयंती के दिन सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। जिसका प्रभाव 24 घंटे तक रहेगा। इस दिन पूजा पाठ करने से विशेष प्रकार का फल मिलेगा।

शनि जयंती का महत्व
माना जाता है कि इस दिन सूर्य व छाया पुत्र शनि का जन्म हुआ था। सूर्य और चंद्रमा जब वृषभ राशि में होते हैं तो उस समय शनि जयंती मनाई जाती है। इस साल शनि धनु राशि में वक्री होकर गोचर हो रहे हैं। शनि के साथ केतू के गोचर का भी योग है।

न्याय के देवता शनि देव की पूजा
पंडित रामगोपाल ने बताया कि लोग शनिदेव जयंती पर उपवास भी रखते हैं। खासकर उपवास करने वालों को विधिवपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के लिए साफ लकड़ी की चैकी पर काले रंग का कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर शनिदेव की प्रतिमा को स्थापित करें। शनि देव को पंचामृत व इत्र से स्नान करवाने के बाद कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल अर्पित करें।

इसके बाद पूजा करने के दौरान भगवान शनि मंत्र की माला का जाप करना चाहिए। उन्होंने बताया कि शनि देव कर्मदाता व न्याय प्रिय देव हैं। जिस राशि में भगवान शनि का प्रवेश होता है। उसे धर्म व अध्यात्म की पालना करते हुए समाज में न्याय करना चाहिए। भगवान शनि देव अच्छे कर्म करने वालों को बेहतर और बुरे कर्म वालों की बुरे परिणाम देते हैं।

कब से है अमावस्या
दो जून को शाम 4 बजकर 39 मिनट से सोमवती अमावस्या शुरू हो जाएगी। जोकि तीन जून को दोपहर 3 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान व दान करना शुभ माना जाता है। पिंडदान करने से घर और मन में शांति का वास होता है। कार्यक्षेत्र में भी फायदा मिलता है।
किस राशि कैसे बरतें सावधानी

मेष-पैसे निवेश करने से बचें व ड्राइविंग ध्यान से करें। जरूरतमंद को सरसों का तेल व नमक का दान करें।

वृषभ-शनि के ढैय्या का प्रभाव रहेगा। बेहतर आय के साधन बन सकते है। गुड़ व चने का दान करें।

मिथुन-समय समान्य रहेगा। भगवान शिव की आराधना करें व जरूरतमंदों को वस्त्र दान करें।

कर्क-कारोबार में वृद्धि की स्थिति है। विवाद निपटाने में सफलता। गोसेवा करें।

सिंह-विवाद से दूर रहे। पक्षियों को जल व पानी उपलब्ध करवाएं।

कन्या-नया काम शुरू करने से परहेज करें। चावल का दान करें।

तुला-कारोबार संभालकर करें। जरूरतमंद को भोजन व फल भेंट करें।

वृश्चिक-कारोबार व समाज मे ध्यानपूर्वक रहें। जरूरतमंद लोगों व पक्षियों की सेवा करें।

धनु-कारोबार में उन्नति व नौकरी में तरक्की की संभावना। असहाय लोगों की मदद करें।

मकर-शनि की साढ़ेसाती होने के चलते समझदारी से मुश्किलों का समाधान करे। पशु व पक्षियों की सेवा करें।

कुंभ-प्रतिभा बनी रहेगी। व्यापार में लाभ की संभावना। फल व मिठाइयों का दान करें।

मीन-कारोबार में सफलता व कार्यक्षेत्र में विस्तार की संभावना। फलों का दान करें।

आचार्य बालकृष्ण को मिला इंफेल्यिुंस प्यूपिल इन हेल्थ केयर अवॉर्ड

आचार्य बालकृष्ण को स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे उनके योगदान को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था यूएनएसडीजी ने उन्हें इंफेल्यिुंस प्यूपिल इन हेल्थ केयर अवॉर्ड से सम्मानित किया है। स्विटजरलैंड में आयोजित शिखर समिट में 50 देशों से लगभग 500 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था।

जेनेवा में हुए आयोजन में आचार्य बालकृष्ण ने संबोधन संस्कृत भाषा में दिया, जिसे अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि संस्कृत देव भाषा होने के साथ-साथ वैज्ञानिक भाषा भी है, जिसका अपना अलग महत्व है और अन्य किसी भाषा में उसकी कोई बराबरी नहीं।

विश्व हेल्थ समिट जेनेवा, स्विटजरलैंड में इंफेल्यिुंस प्यूपिल इन हेल्थ केयर अवॉर्ड से आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण को सम्मानित किया गया। जेनेवा में केन्या के राष्ट्रपति उहरू केन्याता ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्व के 10 सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्व की श्रेणी में स्थान देकर प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया।

दुनिया के 5 उन शीर्ष व्यक्तियों को यह सम्मान दिया गया है, जिन्होंने मानवता के स्वास्थ्य स्तर और उसकी गुणवत्ता में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आचार्य बालकृष्ण के अलावा यह सम्मान पाने वाले चार शीर्ष लोगों में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा एच फोर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर डॉक्टर टेड्रोस एधानोम घेब्रेयेसस, चीन के जाने माने वैकल्पिक चिकित्सा विशेषज्ञ एबे ली, प्रोमेडिका के प्रेसीडेंट और सीईओ रेंडी ओस्त्रा शामिल हैं

सुविधाओं के इंतजाम नहीं, यात्रा शुरू होने में 21 दिन शेष

गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू होने में मात्र 21 दिन शेष है। मगर, सुविधाओं का चारधाम यात्रा के प्रवेश द्वार ऋषिकेश में अभाव बना हुआ है। श्रद्धालुओं के लिए न पानी की समुचित व्यवस्था, न बैठने के लिए उचित स्थान और गंदगी का अंबार जैसे विषयों पर आखिर प्रशासन कब ध्यान देगा। अगर ऐसा ही रहा तो बाहरी राज्यों से यहां लाखों की संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का जत्था आखिर राज्य की क्या छवि लेकर वापस लौटेगा।

यात्रा शुरू होने में एक माह से कम का समय रह गया है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने अतिक्रमण को लेकर बाजार में कुछ दिन औपचारिक अभियान चलाकर खानापूर्ति की थी। अतिक्रमण की यही स्थिति बीटीसी परिसर में भी बनी हुई है। यहां यात्रा के मद्देनजर पसरे अतिक्रमण को हटाने का दावा हर वर्ष किया जाता है। मौजूदा स्थिति यह है कि यहां अतिक्रमण जोरों पर है।

मालवाहक वाहनों का चारधाम यात्रा बस ट्रांजिस्ट कंपाउंड से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन प्रशासन की अनदेखी के कारण पुलिस माल वाहक वाहनों का संचालन बीटीसी के प्रवेश व निकासी मार्गों पर कर रही है। इतना ही नहीं बीटीसी बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने वाले संपर्क मार्ग पर दिन भर माल वाहनों में लोडिंग व अनलोडिंग का सिलसिला जारी है। इससे बद्रीनाथ-केदारनाथ के यात्री वाहनों के साथ ही यहां से विभिन्न मार्गों के लिए संचालित होने वाले निगम की बसों का आवागमन भी बाधित होता है।