ईद उल अजहा में नमाज को खुले गुरूद्वारे

जहां एक और धर्म, मजहब के नाम पर रार मची है। वहीं देवभूमि उत्तराखंड में धार्मिक सहिष्णुता की नजीर पेश हुई है। आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ में गुरुद्वारे में ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज मुस्लिम भाईयों ने पढ़ी। बारिश और ठंड को देखते हुए गुरुद्वार प्रबंधन ने नमाज पढ़ने के लिए गुरुवारे के द्वार खोल दिए।
जानकारी के अनुसार चमोली जिले के जोशीमठ में रात भर से भारी वर्षा और ठंड हो रही है। ईद के मौके पर मुस्लिम समाज के लोग नमाज पढ़ना चाहते थे। लेकिन भारी बारिश से खुले मैदान में नमाज पढ़ना मुश्किल हो रहा था। लगभग 600 लोग नमाज अता करने के लिए गांधी मैदान की तरफ आ रहे थे। बारिश और ठंड को देखते हुये जोशीमठ के गुरुद्वारे प्रबंधक ने मुस्लिम भाईयों से गुरुद्वारे में नमाज अता करने के लिए आमंत्रित किया। सभी मुस्लिम समाज के लोगों ने यहां गुरुद्वारे में नमाज पढ़ी। यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद-उल-अजहा की नमाज पढ़ी। इस दौरान देश की एकता और तरक्की की दुआ मांगी गई। नमाज के बाद अन्य धर्म के लोगों ने भी ईद की मुबारक दी और एक दूसरे के गले लगे।

डेरा प्रमुख के बहाने चीन ने कसा भारत पर तंज, कहा भारत पहले अपने आंतरिक मामले सुझलाए

चीन अब डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के मामले में भी कूद पड़ा है और भारत पर तंज कसते हुए कहा है कि वह पहले अपने आंतरिक मामले सुलझा ले।
ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में कहा गया है कि भारत पहले अपने आंतरिक मामलों को सुलझाए। उसमें यह भी कहा गया है कि डेरा सच्चा सौदा की लोकप्रियता और ताजा हिंसा ने भारत की राजनीतिक और सामाजिक समस्या को सबके सामने लाकर रख दिया है।
लेख के जरिए चीन एक बार फिर अपना पुराना राग भी अलापा है। इसमें भारतीय जवानों को वापस बुलाने की मांग की गई है। गौरतलब है कि डोकलाम को लेकर पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई। जब चीन ने भारतीय जवानों पर सिक्किम सीमा पार करने और डोकलाम में चल रहे एक सड़क निर्माण के काम में बाधा डालने का आरोप लगाया। इस विवाद को दो महीने से ज्यादा समय हो गए और चीन लगातार भारत से अपने जवानों को वापस बुलाने की मांग कर रहा है।
राम रहीम का जिक्र करते हुए लेख में लिखा गया है कि पिछले हफ्ते अपने साध्वियों के साथ दुष्कर्म मामले में एक धार्मिक गुरु को दोषी करार दिए जाने के बाद 36 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों जख्घ्मी हो गए। हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश, दिल्ली में हिंसा फैल गई है।
इस धर्म गुरु की जबरदस्त लोकप्रियता दर्शाती है कि भारत एक हाथी की तरह फंस गया है, जो परंपरा और आधुनिकता की मुश्किल से जूझ रहा है। भारतीयों ने दुनिया में हमेशा अपने देश को पवित्रता का गढ़ बताया है, मगर अंधविश्वास और दकियानूसी परंपरा वाली सोच उसके आधुनिकीकरण में मुश्किल बनी है। हम चिंतित हैं कि भारत आंतरिक हिंसा से ध्यान भटकाने के लिए डोकलाम विवाद का इस्तेमाल कर सकता है। राम रहीम की घटना दर्शाती है कि भारत की जनता देश की पारंपरिक राजनीति से मायूस है। बड़ी संख्या में ऐसे नाखुश भारतीय गैर-पारंपरिक धार्मिक गुटों की ओर जा रहे हैं।

अगले साल के अंत तक पूरी हो जाएगी चार धाम सड़क परियोजना

केंद्रीय सड़क, परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड में ‘चार धाम’ सड़क संपर्क परियोजना को सरकार 2018 के अंत तक पूरा कर लेगी। 12 हजार करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से जुड़े 10 प्रस्तावों को पर्यावरण मंजूरी भी मिल गई है।
उन्होंने बताया कि पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ने परियोजना पर काम तेज कर दिया है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर है। इस परियोजनाओं से जुड़े अन्य अटके प्रस्तावों को भी जल्द ही मंजूरी प्राप्त हो जाएगी। क्योंकि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय समेत विभिन्न मंत्रालयों के साथ बैठकें जारी हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह लोगों को सबसे बड़ा उपहार होगा। क्योंकि आस्था से जुड़ी चार धाम यात्रा लोगों के एजेंडे में शीर्ष पर रहती है। विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग चार धाम यात्रा के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि 900 किमी के नए अलाइनमेंट पर राजमार्गो का निर्माण किया जा रहा है और सुरंगों का निर्माण भी तेज गति से हो रहा है। यह मार्ग सभी मौसम में खुले रहेंगे।
मालूम हो कि इसी महीने की शुरुआत में गडकरी ने आधारभूत ढांचे पर एक बैठक की अध्यक्षता की थी। इसमें उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों से मंजूरियों के अभाव में लटके चार धाम यात्रा के 18 प्रस्तावों में तेजी लाने का अनुरोध किया था। चार धाम परियोजना की आधारशिला पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी।

ग्रामीणों का आरोप, कभी भी ढह सकता हैं उनका मकान!

चमोली जिले के दुर्गापुर बौंला गांव के समीप टीएचडीसी के द्वारा बनाए जा रहे टनल निर्माण में हो रहे विस्फोटों के कारण यह गांव भूस्खलन के चपेट में है। भूस्खलन होने के कारण दुर्गापुर की निवासी मथुरा देवी का आवासीय मकान खतरे की जद में है। यह मकान कभी भी टूट सकता है। प्रशासन को अवगत कराने के बावजूद भी ना तो अभी तक कोई अधिकारी मौके पर आया और ना तो टीएचडीसी द्वारा द्वारा कोई कार्यवाही की गई है। बता दे चमोली जिला भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील की श्रेणी में आता है। इस आवासीय मकान में मथुरा देवी के अलावा उनकी नातिन रहती है। अधिक वर्षा होने के कारण कभी भी यह मकान टूट सकता है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। अधिक वर्षा होने के कारण यह परिवार मकान टूटने के डर से रात भर सो नहीं पा रहा है। प्रशासन का आलम यह है कि जांच की बात तो कह रहा है लेकिन मौके पर जाने को कोई तैयार ही नहीं है। प्रशासन की इस अड़ियल रवैये से यह लगता है कि वह कोई अप्रिय घटना होने की इंतजार कर रहे हैं।​ वहीं, मामले में एसडीएम कह रहे है कि यह मामला उनके संज्ञान में है और जल्द ही इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।​

टीएचडीसी द्वारा किए जा रहे विस्फोटों के बारे जिले के तमाम अधिकारियों को शिकायती पत्र दिया है। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हमारा मकान कभी भी टूट सकता है, लेकिन हमारी कोई सुध लेने वाला नहीं है। अगर कल के दिन कोई अप्रिय घटना होती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
मथुरा देवी

कंपनी द्वारा किए जा रहे विस्फोटों के कारण पूरा गांव प्रभावित हो रहा है मथुरा देवी का मकान तो कभी भी ध्वस्त हो सकता है।
प्रकाश नेगी ग्राम प्रधान

अधर में लटका छात्रों का भविष्य, ग्रामीणों ने स्कूल में लगाये ताले

नारायणबगड़ क्षेत्र के राजकीय आदर्श इंटर कालेज पैंतोली में शिक्षकों की कमी के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। अभिभावकों ने मंगलवार सुबह स्कूल खुलने से पहुंचकर गेट पर ताला लगा दिया। बाहर बैठकर नारेबाजी करते हुए धरना दिया। विद्यालय के पीटीए अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि वर्ष 2015 में राजकीय इंटर पैतोली को आदर्श विद्यालय का दर्जा दिया गया, लेकिन अध्यापकों की कमी के कारण छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विद्यालय में 215 छात्र-छात्राएं अध्धयनरत हैं। वहीं पांच प्रवक्ता, जिनमें हिन्दी, अंग्रेजी, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और राजनीति शास्त्र के पद खाली हैं। एलटी स्तर पर हिन्दी, विज्ञान और कला के टीचर नहीं हैं।
ग्राम प्रधान सीरी महेन्द्र सती ने बताया कि वर्तमान में इंटर कॉलेज राजकीय जूनियर हाईस्कूल के भवन में संचालित हो रहा है, जो काफी पुराना है। विद्यालय में चारदिवारी न होने के कारण जंगली जानवरों का भय बना रहता है। इस दौरान भगवती सती, मुन्नी देवी दीपक प्रसाद, मोहित गुंसाई, तुला लाल, विपिन दानू, अयोध्या प्रसाद, चंद्रमणी सती, राजकुंवर आदि अभिभावक मौजूद रहे। इस अवसर पर पीटीए की ओर से शिक्षा निदेशक को ज्ञापन प्रेषित कर शीघ्र ही अध्यावकों की नियुक्ति की मांग की गई है।

चीनी बॉर्डर पर सरकार का निर्देश, जल्द सड़क बनाने के दिए आदेश

चीन और भारत में डोकलाम विवाद के बीच सरकार ने बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) की फाइनेंशियल और एडमिनिस्ट्रेटिव पावर बढ़ा दी हैं। सरकार ने इसलिए ये कदम उठाया ताकि 3,409 किलोमीटर लंबे इंडिया-चीन बॉर्डर के पास सड़कें बनाने का काम तेजी से किया जा सके। दरअसल, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इंडिया-चीन बॉर्डर से लगे 61 प्रोजेक्ट लंबे समय से अटके हुए हैं। इंडिया-चाइना बॉर्डर रोड के तहत बनने वाले ये प्रोजेक्ट स्ट्रैटेजिकली इम्पॉर्टेंट हैं व ऐसे इलाकों को सड़कों से जोड़ने का काम कर रहा है, जहां पहुंचना मुश्किल है। असलियत में, सिक्किम सेक्टर में भूटान ट्राइजंक्शन के पास चीन एक सड़क बनाना चाहता है। भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं। करीब 2 महीने से इस इलाके में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं। डिफेंस मिनिस्ट्री नेे कहा, बीआरओ में बदलाव लाने का मकसद काम को सही रफ्तार से पूरा करना है, ताकि आर्मी जरूरत के मुताबिक नतीजे हासिल किए जा सकें। बता दें कि इससे पहले बीआरओ के डायरेक्टर जनरल के पास स्वदेशी मशीनरी और इक्विपमेंट के लिए 7.5 करोड़ और विदेश मशीनरी के लिए 3 करोड़ रुपए के अप्रूवल अथॉरिटी थी।
डिफेंस मिनिस्ट्री ने कहा, बीआरओ को बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियों के साथ बातचीत की भी आजादी दे दी गई है, ताकि काम को जल्द पूरा करने में मदद मिल सके। चीफ इंजीनियर और टास्क फोर्स कमांडर लेवल तक फाइनेंशियल पावर दे दी गई हैं ताकि चीफ इंजीनियर और बीआरओ डायरेक्टर जनरल और डिफेंस मिनिस्ट्री के बीच बातचीत के नजरिए से भी काम में किसी तरह की रुकावट ना आए।

चीन की बढ़ती गतिविधियों से सीमांत जनपद के चरवाहों ने पहाड़ छोड़ा

उत्तराखण्ड के सीमा बडाहोती पर लगातार चीनी और भारतीय सैनिको की बढती चहल कदमी ने इस इलाके में सालो से अपनी बकरियों को चराने वाले चरवाहो को वापस नीचे उतरने पर मजबूर कर दिया है। ताजा खबर है कि चीन की सेना की ओर से चेतावनी दी है जिसमें कहा गया है कि यह चीन की सीमा है और वापस चले जाओ।
इस धमकी के बाद बकरिया चराने वाले चरवाहो ने सीमाओ से नीचे उतरने में ही अपनी भलाई समझी जबकि चरवाहें हर साल ठण्ड शुरू होने पर ही पहाडी सीमाओ से नीचे आते हे। लेकिन सीमाओ पर सैनिको की बढती चहल कदमी से बकरी चराने वाले लोगो ने ठण्ड का मौसम शुरू होने से पहले ही अपनी बकरियो के साथ नीचे की तरफ आने लग गये है। बकरी चराने वाले लोगो का कहना है कि अभी तक इनको यह रहने में कोई परेशानिया नही थी लेकिन सीमा पर चीनी सैनिको के संख्या बढ गई है और बार बार चेतावनी दी जा रही है कि कोइ्र भी जानवर नाले से पार आये तो ठीक नही होगा। जिससे सहमे चरवाहें बकरी लेकर पहाडी से नीचे की तरफ उतरने लगे है।

पौराणिक मेले संस्कृति के साथ आर्थिकी का भी संसाधन: हरीश रावत

चमोली।
पिण्डर क्षेत्र की पारम्परिक झलक प्रस्तुत करने वाले तीन दिवसीय पिण्डर घाटी सांस्कृतिक एवं पर्यटन मेले का आज समापन हो गया। मेले के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि ऐसे मेलों के माध्यम से हम अपनी पौराणिक विरासत को संरक्षित कर राज्य की आर्थिकी को और अधिक रफ्तार दे सकते है।
मुख्यमंत्री ने 11 वर्षो से आयोजित हो रहे पिण्डर घाटी सांस्कृतिक व पर्यटन मेला समिति को बधाई देते हुए मेला समिति को मेले को भव्य स्वरूप देने के लिए 2 लाख रूपये की धनराशि आर्थिक सहायता के रूप में देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ऐसे मेलो के आयोजन से क्षेत्र की होनहार प्रतिभाओं तथा आर्थिक विकास को उचित मंत्र मिलता है। कहा कि राज्य में अनेक धार्मिक एवं पर्यटन स्थल है तथा राज्य सरकार पर्यटकों को अधिक से अधिक सुविधाऐं मुहैया करा रही है। इस वर्ष 15 लाख से अधिक पर्यटक/श्रृद्धालु श्री बद्रीनाथ धाम के दर्शन के लिए आये है। वर्ष 2017 में हमारा लक्ष्य 30 से 40 लाख पर्यटकों को लाने का है। खेती पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अपने खेतों में भी कार्य करने पर महिलाओं को मनरेगा श्रमिक का दर्जा देकर पारिश्रमिक दिया जायेगा। उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड पहला राज्य है जिसमें किसानों को पेंशन दी जा रही है। साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानीय व परम्परागत खेती को प्रोत्साहन देने के लिए फसलों पर बोनस दिया जा रहा है। उन्होनें कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देेने के साथ ही फल पौधशालाओं की स्थापना की जा रही है। बेमौसमी सब्जी को बढ़ावा देते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में उत्पादित स्थानीय एवं परम्परागत फसलो का समर्थन मूल्य भी दिया जा रहा है।101
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य 2020 तक प्रत्येक परिवार के कम से कम एक सक्षम व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध कराना तथा 2022 तक हर व्यक्ति को काम मुहैया कराना है। विभिन्न विभागों में 30 हजार पदों को भरा जा रहा है जिसमें से 16 हजार पदों पर नियुक्ति की जा चुकी है। जनपद को खुले में शौच से मुक्त होने पर उन्होंने जिला प्रशासन एवं जनपद वासियों को बधाई देते हुए बताया कि अगामी 26 जनवरी तक उत्तराखण्ड राज्य पूर्ण रूप से खुले में शौच से मुक्त राज्य बन जायेगा।
जनपद के सोनला कण्डारा मोटर मार्ग पर मैक्स वाहन दुर्घटना में मृतक परिवारों के प्रति दुःख एवं संवेदना व्यक्त करते हुए मृतक के परिजनों को 50-50 हजार की धनराशि तत्कालिक सहायता के तौर पर देने के निर्देश जिलाधिकारी को दिये। इस अवसर पर ब्लाक प्रमुख राकेश जोशी, जिप सदस्य भावना रावत, मेला समिति के अध्यक्ष सुरपाल सिंह, उपाध्यक्ष नन्दू बहुगुणा, कोषाध्यक्ष कुंवर सिंह रावत, सचिव खीमानन्द खण्डूडी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह रावत, जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन, पुलिस अधीक्षक प्रीती प्रियदर्शनी, सीडीओ विनोद गिरी गोस्वामी, एसडीएम सीएस डोभाल सहित भारी संख्या में मेलार्थी मौजूद थे।

गर्भवती महिलाओं के लिए ‘‘प्रोजेक्ट बेदनी‘‘ लाॅन्च

चमोली।
मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में रिखोली-नैल-जागडी-सैरा 7 किमी मोटर मार्ग नव निर्माण कार्य लागत 243.00 लाख, खेती-रंडोली-बेनीताल 2 कि0मी0 मोटर मार्ग लागत 33.60 लाख का शिलान्यास तथा विधान परिसर-भराडीसैंण पहुॅच मार्ग का सुधारीकरण लम्बाई 4.8 कि0मी0 लागत 202.19 लाख व मेहलचैरी-माईथान-नैल देवपुरी 23 कि0मी0 हाॅटमिक्स द्वारा डामरीकरण कार्य लागत 805.68 लाख योजनाओं का लोकापर्ण किया। साथ ही मुख्यमंत्री ने पहाडी क्षेत्र में उच्च जोखिम, गर्भावस्था की पहचान एवं प्रबन्धन हेतु व पूरे देश में अपने आप में अनोखा प्रोजेक्ट ‘‘प्रोजेक्ट बेदनी‘‘ को भी लाॅन्च किया। जिससे पहाडी क्षेत्रों में शिशु एवं मातृत्व मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जनपद के अधिकांश गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं समय से नही मिलती है इस योजना के लाॅन्च से गर्भवती महिलाओं को समय से स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी। प्रोजेक्ट बेदनी के लाॅन्च पर उन्होंने जिले के प्रशासन की जमकर सराहना करते हुए एएनएम व आशा कार्यकत्रियों को प्रोजेक्ट बेदनी किटों का भी वितरण किया।
जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विगत 5 वर्षो में किये गये कार्य आज धरातल पर है। 2013 की भीषण आपदा से उभर कर आज उत्तराखण्ड विकास के पथ पर अग्रसर है तथा भारत के नीति आयोग के अनुसार देश के सबसे तेज तरक्की करने वाले 6 राज्यों में शामिल है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य राज्य से गरीबी को हटाना व पलायन रोकना है। कहा कि विभिन्न विभागों में रिक्त 30 हजार पदों को भरने का कार्य चल रहा है जिसमें से 16 हजार पदों पर नियुक्ति की जा चुकी है। राज्य में 1 हजार सड़कों का निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक प्रगति के लिए हमें शिक्षा, खेती के साथ-साथ हस्तशिल्प/दस्तकारी को भी विकसित करना होगा। कृषि पर जोर देते हुए कहा कि उन्नत खेती के लिए सरकार ने ठोस योजनाऐं तैयार की है। मडुवा, झंगोरा, गहथ, काला भट्ट आदि फसलों के लिए उचित दामों पर मार्केट उपलब्ध कराया जा रहा है।
महिला सशक्तिकरण के तहत महिलाओं के लिए अनेक योजनाऐं संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि जो महिला आज अपने खेतों में भी कार्य करेगी सरकार उसे मनरेगा श्रमिक का दर्जा देकर लाभान्वित करेगी। उन्होंने जिलाधिकारी को जिले में अधिक से अधिक स्वयं सहायता समूह गठित करने के निर्देश देते हुए कहा कि स्वयं सहायता समूहों के खातों में अगले महीने तक 5 हजार की धनराशि सहायता के तौर पर दी जा रही है। स्वयं सहायता समूहों के कार्य शुरू करने पर 20 हजार की धनराशि तथा सामूहिक रूप से खेती करने पर 1 लाख रूपये का अनुदान देने की व्यवस्था की गयी है। कहा कि आज बिटिया के पैदा होने से लेकर पढाई, शादी, बीमारी व बृद्वावस्था तक विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत लाभान्वित किया जा रहा है।
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आगनबाडी एवं आशा कार्यकत्रियों के लिए राज्य स्तर पर 55 करोड़ का फण्ड की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा प्रकार की पेंशन उत्तराखण्ड राज्य दे रहा है और इस अभियान को आगे भी जारी रखा जायेगा। राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न पेंशन योजनाओं की धनराशि को बढाकर 1 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया है। उन्होंने क्षेत्र की जनता को शुभकामनाऐं देते हुए विकास कार्यो में राज्य सरकार के साथ मिलकर कार्य करने का आवाहन किया। मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में अव्यवस्थित ढंग से हो रहे आवासीय भवन निर्माण कार्यो पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी को क्षेत्र के ग्राम प्रधानों के साथ बैठक कर व्यवस्थित ढंग से गैरसैंण में निर्माण कार्य करवाने के निर्देश दिये ताकि भविष्य में रास्ते, सीवर लाइन, सड़के आदि निर्माण कार्यो में परेशानियों का सामना ना करना पडे। है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण में सभी अवस्थापना सुविधाऐं विकसित की जा रही है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह नेगी, पृथ्वीपाल चैहान, मेला अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख गैरसैंण सुमति बिष्ट, क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन, मेला संरक्षक व उपजिलाधिकारी स्मृति परमार सहित अन्य अधिकारी एवं बडी संख्या में क्षेत्रीय जनता मौजूद थी।

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