प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के नर्सिंग स्टाफ को एम्स दे रहा प्रशिक्षण

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में स्त्री रोग विभाग की ओर से नर्सिंग ऑफिसरों के लिए महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर स्क्रिनिंग ट्रेनिंग प्रोग्राम विधिवत शुरू किया गया। जिसमें एम्स के विशेषज्ञ चिकित्सक प्रशिक्षण देंगे। 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में राज्य सरकार के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात नर्सिंग ऑफिसर प्रशिक्षण ले रहे हैं।
मंगलवार को मुख्य अतिथि एम्स के संकायाध्यक्ष शैक्षणिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रो. जया चतुर्वेदी की देखरेख में आयोजित दस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महिलाओं में सर्वाधिक पाया जाने वाला सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए उनकी नियमिततौर पर स्क्रिनिंग पर जोर दिया। उन्होंने कहा ​कि राज्य सरकार को महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी इस बीमारी को इंगित कर इसके उपचार व रोकथाम को प्राथमिकता देनी चाहिए। संकायाध्यक्ष प्रो. मनोज गुप्ता ने कहा कि तब तक इस तरह की प्रशिक्षण कार्यशालाओं से कोई लाभ नहीं होगा जब तक राज्य सरकार प्रशिक्षित नर्सिंग आफिसरों को अस्पतालों में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं कराती। लिहाजा उत्तराखंड सरकार को इस विषय पर गंभीरता से विचार करने और इसे धरातल पर उतारने की जरुरत है। उन्होंने बताया कि राज्य के चिकित्सकों व नर्सेस को प्रशिक्षित कर दक्ष बनाना एम्स का कर्तव्य है,जिसका निर्वहन संस्थान भली प्रकार से कर रहा है, मगर राज्य सरकार को चाहिए कि वह कार्मिकों की दक्षता का लाभ आम जनमानस तक पहुंचाने की दिशा में कार्य करे। उन्होंने राज्य में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम व उपचार के लिए उत्तराखंड में गायनी ओंकोलॉजिस्ट की तैनाती को नितांत आवश्यक बताया। जिससे ग्रसित मरीजों का राज्य के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ही उपचार हो सके। उन्होंने बताया कि सर्विक्स कैंसर महिलाओं में सर्वाधिक पाया जाने वाला दूसरे नंबर का कैंसर है,लिहाजा इस पर गंभीरता से कार्य करने की आवश्यकता है। स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रो. जया चतुर्वेदी ने प्रशिक्षणार्थियों को महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड की निदेशक डा. सरोज नैथानी ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से मरीजों को राज्य सरकार के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ही इलाज संभव हो पाता है। उन्होंने महिलाओं से अपने परिवार के साथ साथ अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरुक रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य में जनसामान्य के स्वास्थ्य को लेकर और अधिक जिम्मेदारी से कार्य करने की आवश्यकता है। डा. सरोज नैथानी ने समय समय पर राज्य के चिकित्सकों व नर्सिंग आफिसरों के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं के आयोजन के लिए एम्स प्रशासन का आभार जताया। सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सैना ने बताया कि महिलाओं को बच्चेदानी के कैंसर की रोकथाम के लिए स्वयं जागरुक होने व दूसरों को भी जागरुक करने की जरुरत है। उन्होंने बताया कि दुनियाभर में लगभग 1.5 लाख महिलाएं प्रतिवर्ष इस कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं, जागरुकता की कमी, समय पर उपचार नहीं मिलने अथवा किन्हीं अन्य वजहों से इनमें से करीब 40 फीसदी महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। उन्होंने ऐसे मामलों को कम करने के लिए महिलाओं से नियमिततौर पर अपनी स्क्रिनिंग कराने को कहा है, साथ ही नर्सिंग आफिसरों से समुदाय को इस कैंसर को लेकर जागरुक करने पर जोर दिया। प्रशिक्षण कार्यशाला की समन्वयक व एम्स के स्त्री रोग विभाग की कैंसर शल्य चिकित्सक डा. शालिनी राजाराम ने महिलाओं से बच्चेदानी के कैंसर की रोकथाम के लिए समय समय पर अपना स्वास्थ परीक्षण कराने व इसके लिए उपलब्ध वैक्सीन की डोज लगाने को कहा। उन्होंने कहा कि महिलाओं की जागरुकता से ही सर्विक्स कैंसर का खात्मा हो सकता है। इस अवसर पर गायनी विभाग की डा. रूबी गुप्ता, डा. कविता खोईवाल, डा. लतिका चावला, सीएफएम विभाग के डा. अजीत भदौरिया, अस्पताल प्रशासन से डा. पूजा भदौरिया, कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्राचार्य जैवियर वैल्सियाल, एएनएस कमलेश चंद्र आदि मौजूद थे।

पैक्ड फूड व पेय पदार्थों से पैदा हो रही बीमारियां, चिकित्सकों ने बंद करने दिया जोर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में आयोजित कार्यशाला में देश के राष्ट्रीय महत्व के चिकित्सा संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञ चिकित्सकों ने जनमानस को एनसीडी और मोटापे के संकट को दूर करने के लिए फ्रंट-ऑफ-पैक लेबल (एफओपीएल) पर तत्काल कार्रवाई का मांग की है। उनका कहना है कि पैक्ड फूड व पेय पदार्थों के बढ़ता चलन लोगों के अनेक घातक बीमारियों से ग्रसित होकर असमय मृत्यु का कारण बन रहा है, लिहाजा इसे रोका जाना चाहिए।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीरी साइंसेज, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन, इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड एपिडेमियोलॉजिकल फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने अन्य शीर्ष चिकित्सा संस्थानों के प्रमुख ​चिकित्सकों के साथ अनिवार्य फ्रंट-ऑफ-पैक फूड लेबल के लिए विशेष मांग की है।

बताया गया है कि 135 मिलियन लोग मोटापे और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण होने वाली मौतों की वर्तमान वृद्धि दर है, जबकि भारत खराब भोजन के विनाशकारी प्रभाव का सामना कर रहा है। पैकेज्ड जंक फूड जो अस्वास्थ्यकर आहार का एक प्रमुख घटक है। विशेषज्ञ चिकत्सकों के अनुसार दुनियाभर में किसी भी अन्य जोखिम कारक की तुलना में अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार है और मोटापे, टाइप- 2 मधुमेह, हृदय रोग (सीवीडी) और कैंसर का एक प्रमुख कारण है। मोटापे की महामारी और एनसीडी के प्रसार में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में शर्करा, सोडियम और संतृप्त वसा के उच्च स्तर वाले अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की बाजार उपलब्धता में तेजी का हवाला देते हुए, भारत के शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों ने अपील की है कि इसकी रोकथाम के लिए एक प्रभावी एफओपीएल को अपनाना आवश्यक है।

एम्स ऋषिकेश द्वारा आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीरी साइंसेज, पीजीआईएमईआर, आईपीएचए, नेशनल हेल्थ मिशन, उत्तराखंड और अन्य चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञों ने दावा किया कि यदि देश में नमक, चीनी, संतृप्त वसा के लिए वैज्ञानिक कट-ऑफ सीमा लागू करता है और पैकेज्ड उत्पादों पर स्पष्ट और सरल चेतावनी लेबल अनिवार्य करता है, जैसा कि चिली, मैक्सिको और ब्राजील जैसे देशों में किया गया है तो ऐसा करने से इन तमाम वजहों से होने वाली अकाल मौतों को रोका जा सकता है।

निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने देश के लिए एक मजबूत और प्रभावी एफओपीएल सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि भारत का चिकित्सा समुदाय इस महत्वपूर्ण नीतिगत उपाय के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है, जिससे कि हजारों भारतीय लोगों की जीवन रक्षा हो सकती है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड डॉ. सरोज नैथानी ने कहा कि स्वस्थ भोजन हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा होना चाहिए, हमारे पूर्वजों द्वारा कहा गया है कि “भारत की एक समृद्ध परंपरा है जो ऐसे भोजन की वकालत करता है जो पौष्टिक, शुद्ध और स्वादिष्ट हो, लेकिन बाजार में पैक्ड खाद्य पदार्थों के आने से हमारा जीवन, खानपान बदल गया है। उन्होंने बताया कि युवा आमतौर पर प्रोसेस्ड पैकेज्ड फूड के आदी होने लगे हैं और इस तरह का भोजन आमतौर पर हरेक घर में इस्तेमाल किया जाने लगा है। जो कि स्वास्थ्य वर्धक न होकर जनस्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। उनका कहना है कि इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि य​दि ऐसी खाद्य सामग्री पर कड़ाई से रोक लगाई जाती है तो लगतार बढ़ती हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

उनका कहना है कि आंकड़ों के मुताबिक लगभग 5.8 मिलियन लोग यानि 4 में से 1 व्यक्ति की 70 वर्ष की आयु तक पहुंचने से पहले ही एनसीडी से मृत्यु हो जाती है।

इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) की अध्यक्ष डॉ. सुनीला गर्ग के अनुसार मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग या कैंसर जैसी कई अन्य घातक बीमारियां पैक्ड फूड व पेय पदार्थों के अत्यधिक सेवन से बढ़ रही हैं। लिहाजा दुनियाभर के कई देश इस बात को स्वीकार करने लगे हैं कि उपभोक्ताओं को उनके स्वास्थ्य के अधिकार के हिस्से के रूप में इन उत्पादों के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है जो कि उन्हें दिया जाना चाहिए।

उनका कहना है कि दुनिया के देश बीते वर्ष जब कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभाव का सामना कर रहे थे, तब खाद्य और पेय उद्योग जनस्वास्थ्य के लिए खतरनाक पैक्ड फूड व शर्करा युक्त पेय पदार्थों के अपने बाजार का विस्तार कर रहे थे। यूरोमॉनिटर के अनुमान के मुताबिक, भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की बिक्री 2005 में प्रति व्यक्ति 2 किलोग्राम से बढ़कर 2019 में 6 किलोग्राम हो गई है और 2024 में 8 किलोग्राम तक बढ़ने की उम्मीद है।
एम्स ऋषिकेश द्वारा शुरू की गई इस मुहिम के तहत आयोजित कार्यक्रम के समन्वयक व सीएफएम विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि एम्स द्वारा की गई यह पहल जन-जन तक पहुंचनी चाहिए। उनका कहना है कि इसके जनजागरुकता अभियान बनने से ही समुदाय एवं आम नागरिकों का स्वास्थ्य लाभ संभव हो सकता है।
इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आईपीएचए) के अध्यक्ष डॉ. संजय राय ने जोर दिया कि एफओपीएल वास्तव में सार्वजनिक स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।

साइकिल यात्रा का मकसद शरीर को फिट रखना

स्वास्थ्य के प्रति जन सामान्य को जागरुक करने के उद्देश्य से रविवार को स्वास्थ्य सेवा से राष्ट्रीय सेवा के लिए समर्पित अखिल भारतीय अनुषांगिक संगठन नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन, उत्तराखंड प्रांत की एम्स ऋषिकेश इकाई द्वारा ’स्वस्थ जीवनशैली साइकिल यात्रा’ का सफल आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
साइकिल रैली को एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रवि कान्त के साथ ही डीन प्रो. मनोज गुप्ता, एनएमओ अध्यक्ष डा. मीनाक्षी धर, डा. नवनीत मैगन व एनएमओ उत्तराखंड के सचिव डा. विनोद ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस दौरान निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने जन सामान्य को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए संस्था की इस पहल को सराहनीय बताया।
लगभग 10 किलोमीटर साइकिल रैली के आयोजन में फायरफॉक्स साईकिल कंपनी का विशेष सहयोग रहा।
इस अवसर पर नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन उत्तराखंड के प्रदेश सचिव व एम्स ऋषिकेश के सीनियर रेजिडेंट डॉ. विनोद ने बताया की स्वस्थ जीवन शैली साइकिल यात्रा का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े डॉक्टर, नर्सिंग ऑफिसर, व स्टाफ को जागरूक करना व बढ़ती बीमारियों व मानसिक तनाव को दूर करना था।
कार्यक्रम में भाग लेने और सफल बनाने के लिए डा. प्रशांत, पी.सी मीणा, विकास, हंसराज, कौशल, संकेत, सुभम, मोहित, नवीन, सोनू, बृजेश, लोकेश, अंकुर, सुमेर के साथ ही अन्य सभी डाक्टर्स, नर्सिंग ऑफिसरों और मेडिकल स्टूडेंट्स का आभार व्यक्त किया गया।

यह है आगामी योजना
साइकिल यात्रा की प्रारंभिक सफलता को देखते हुए आयोजकों द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक रविवार को एम्स के गेट नंबर-एक से ग्रुप रैली और महीने के पहले रविवार को विशाल जागरुकता रैली निकाली जाएगी।

एम्स ऋषिकेश में डिजीटल बैंक की शुरुआत, लोगों को मिलेंगी कई सुविधाएं

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में पंजाब नेशनल बैंक का डिजिटल बैंक (ईज आउटलेट) ​विधिवत शुरू हो गया है। बैंक अधिकारियों के अनुसार यह पीएनबी का उत्तराखंड में पहला ईज आउटलेट है। बिना मेनपावर के संचालित होने वाले इस डिजिटल बैंक के माध्यम से लोग बैंक से संबंधित तमाम सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं। उक्त सुविधाएं लोगों को बैंक कार्य दिवस के साथ साथ राजकीय व साप्ताहिक अवकाश के दिनों में भी 24 घंटे निर्बाध उपलब्ध हो सकेंगी। शुक्रवार को एम्स परिसर में आयोजित कार्यक्रम में निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी व पीएनबी देहरादून के अंचल प्रबंधक आरडी सेवक ने संयुक्तरूप से पीएनबी/ईज आउटलेट (डिजिटल बैंक) का विधिवत उद्घाटन किया।
इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत जी ने कहा कि संस्थान में पीएनबी की ओर से राज्य का पहला ईज आउटलेट स्थापित होने से ऋषिकेश व आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ-साथ एम्स में उपचार के लिए आने वाले लोगों को 24 घंटे बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। निदेशक एम्स ने पीएनबी ईज आउटलेट के शुभारंभ अवसर पर मौजूद बैंक के अधिकारियों को बधाई दी व जनसुविधाएं मुहैया कराने के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर पीएनबी के अंचल प्रबंधक आरडी सेवक ने कहा कि कोविडकाल ने हमें डिजिटिलाइजेशन का महत्व समझाया है, लिहाजा पीएनबी का डिजिटल बैंक उसी की पहल है, जिससे लोग भीड़भाड़ से दूर अपनी बैंक संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। उन्होंने बताया कि ईज आउटलेट एटीएम, बीएनए पासबुक प्रिंटिंग मशीन और चौक जमा मशीन से युक्त डिजिटल बैंक में लोगों को नकद धनराशि जमा करने, नकदी निकासी, बैंक पासबुक प्रिंटिंग और चेक जमा करने आदि बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
सर्किल हेड वाईएस राजपूत ने बताया कि प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी के देश में डिजिटलाइजेशन की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए पंजाब नेशनल बैंक द्वारा देश के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान एम्स ऋषिकेश में डिजिटल बैंक की सुविधा शुरू की है।
पीएनबी की वीरभद्र शाखा प्रबंधक गजेंद्र चौधरी ने बताया कि एम्स डिजिटल बैंक ब्रांच में रविवार के अलावा अन्य राजकीय अवकाश के दिनों, दूसरे और चौथे शनिवार, बैंक होलिडे में भी अपने ग्राहकों के साथ साथ अन्य बैंकों से जुड़े ग्राहकों को भी यह सुविधा मिल सकेगी।
इस अवसर पर एम्स के डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता, डीएचए प्रो. यूबी मिश्रा, वित्तीय सलाहकार कमांडेंट पीके मिश्रा, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, डीडीओ संदीप सिंह के अलावा पीएनबी के उप अंचल प्रबंधक डीएस भंडारी, अनिल सिन्हा, मंडल प्रमुख राजिंदर भाटिया आदि मौजूद थे।

श्रमिकों की सुविधाओं का ध्यान रही केन्द्र सरकार-भूपेन्द्र यादव

केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव, केन्द्रीय राज्य मंत्री श्रम एवं रोजगार, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस रामेश्वर तेली, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इण्डस्ट्रियल एरिया सिडकुल हरिद्वार स्थित 300 बिस्तरों (50 सुपर स्पेशलिटी बिस्तर सहित) के कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल (ई0एस0आई0सी0 अस्पताल) की साईट का निरीक्षण किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह ई0एस0आई0सी0 अस्पताल पहले 100 बेड का था, जिसे अब 300 बेड़ का किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 15 नवम्बर तक इसकी टेंडर आदि की समस्त औपचारिकताए पूर्णं कर ली जाएंगी तथा इसका निर्माण कार्य जल्द शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने रुद्रपुर स्थित ई0एस0आई0सी0 अस्पताल का जिक्र करते हुए केन्द्र सरकार से इस अस्पताल को उत्तराखण्ड सरकार को संचालित करने की अनुमति देने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून, काशीपुर अस्पताल के लिए जमीन की व्यवस्था जल्द ही कर ली जाएगी। इसके अलावा कोटद्वार, सितारगंज तथा चम्पावत में भी ई0एस0आई0सी0 अस्पताल खोलने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने वन कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि बहुत सारी ऐसी योजनाएं हैं, जिनके कारण कई योजनाओं के संचालित करने की अनुमति नहीं मिल पाती है। उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे अधिकांश अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लग गये हैं।
वैक्सीनेशन के संबंध में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अब वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। इस महीने हमें 20 लाख वैक्सीन मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि दिसम्बर तक सभी को वैक्सीन की पहली डोज जरूर लग जाए। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की प्रशंसा करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने विषम परिस्थितियों में अच्छा कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने अपील करते हुए कहा कि जिन लोगों के द्वारा अभी तक कोरोना वैक्सीन नहीं लगवायी गयी है, वह अपने नजदीक के केन्द्रों पर जाकर वैक्सीन अवश्य लगवा लें।
रामेश्वर तेली, श्रम एवं रोजगार, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री भारत सरकार ने 300 बेड़ के बनने वाले ई0एस0आई0सी0 अस्पताल के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी तथा उन्होंने कहा कि हमने कोविड-19 रिलीफ फण्ड की शुरूआत की है, उन्होंने कहा कि हमने अब उज्ज्वला योजना फेज 2 की शुरूआत की है।
डॉ. हरक सिंह रावत, श्रम मंत्री उत्तराखण्ड सरकार ने कहा कि आज हम सबके लिए खुशी का अवसर है। उन्होंने कहा कि हम काफी समय से इस ई0एस0आई0सी0 अस्पताल के लिए प्रयासरत थे, लेकिन वह धरातल पर आज उतर पाया है। मैं तमाम उद्योगों के कर्मचारियों को बधाई देता हूं।
प्रदेश अध्यक्ष भाजपा मदन कौशिक ने कहा कि सिडकुल काफी बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, इस अस्पताल की मांग काफी समय से हो रही थी, आज यह मांग पूरी हो रही है। उन्होंने कहा कि इसके तैयार हो जाने से हमारे कामगार भाइयों को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध होंगी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक रानीपुर आदेश चौहान ने कहा कि इस अस्पताल के लिए हम 2012 से प्रयासरत थे, काफी प्रयास के बाद आज यह शुभ अवसर आया है।
विधायक ज्वालापुर सुरेश राठौर ने कहा कि हमारी सरकार गरीब, मजदूर तथा कमजोर वर्ग के हित में लगातार कार्य कर रही है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये श्रम एवं रोजगार तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भारत सरकार भूपेन्द्र यादव ने कहा कि हमने हरिद्वार के 100 बेड के ई0एस0आई0सी0 अस्पताल को 300 बेड़ के अस्पताल में परिवर्तित कर दिया है तथा इसके लिए धनराशि स्वीकृत की गयी है। उन्होंने कहा कि सारी औपचारिकतायें पूरी करते हुये जल्दी ही इसका भूमिपूजन कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोटद्वार व खटीमा में भी ई0एस0आई0सी0 अस्पताल खोलने की कार्यवाही करेंगे। उन्होंने रुद्रपुर के ई0एस0आई0सी0 अस्पताल का संचालन उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किये जाने के मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड एवं वन मंत्री के अनुरोध पर ई0एस0आई0सी0 अस्पताल रुद्रपुर को उत्तराखण्ड सरकार द्वारा संचालित किये जाने की सहमति प्रदान की।
केन्द्रीय मंत्री यादव ने कहा कि हमने विगत 26 अगस्त को आम श्रमिकों के लिए ई-श्रम पोर्टल लांच किया है, जिसमें अभी तक 20 लाख से अधिक असंगठित मजदूरों ने पंजीकरण करवाया है। उन्होंने कहा हम हर वर्ग तक सरकार की प्रत्येक योजना का लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हमने व्यापारियों के लिए पेंशन योजना लागू की थी, जिसका काफी बड़ी संख्या में व्यापारी वर्ग लाभ उठा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने अभी तक इस योजना का लाभ नहीं उठाया है, वह भी इसका लाभ उठायें।
इस अवसर पर अपूर्व चन्द्र, सचिव श्रम व रोजगार ने बताया कि ई0एस0आई0सी0 मेडिकल सुविधा बीमित कामगारों को निःशुल्क मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराती है। उन्होंने कहा कि इस अस्पताल के लिए लगभग 300 करोड़ स्वीकृत किये गये हैं।
सचिव श्रम व रोजगार ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल (ई0एस0आई0सी0 अस्पताल) पर प्रकाश डालते हुये कहा कि अस्पताल में बेसमेंट में फिजियोथैरपी, योगा, मॉर्चरी, हॉस्पिटल स्टोर्स एवं सर्विस तथा बिल्डिंग सर्विस, ग्राउंड फ्लोर पर इमरजेंसी, मेन एंट्रेस लॉबी, सेन्ट्रल रिसेपशन, रजिस्ट्रेशन डेस्क, रेडियोलॉजी इमेजिंग डिपार्टमेंट, सेन्ट्रल वेटिंग एरिया, हॉस्पिटल किचन, फर्स्ट फ्लोर में ओपीडी कॉम्प्लेक्स, सेकेण्ड फ्लोर में ब्लड बैंक, आईपीडी जनरल वार्ड-136 बेड, थर्ड फ्लोर में कैथलैब, आईपीडी जनरल वार्ड-136 बेड़, फोर्थ फ्लोर में सुपर स्पेशलिटी वार्ड-52 बेड़, डायालिसिस वार्ड-10 बेड, कीमोथैरेपी वार्ड-6 बेड़, आईसीयू-22 बेड़, पीआईसीयू-6 बेड, पांचवें फ्लोर में ओटी कॉम्प्लेक्स-6 ओटीस, लेबर कॉम्प्लेक्स, नर्सरी, एनआईसीयू तथा सिक्स्थ फ्लोर में एडमिन डिपार्टमेंट तथा डायोग्नोस्टिक लैब आदि की सुविधाएं उपलब्ध रहेगी।
इस ई0एस0आई0सी0 अस्पताल का साइट एरिया 5 एकड़ (20234 वर्ग मी0), कुल निर्मित क्षेत्रफल 59,669 वर्ग मी0, कुल ग्राउंड कवरेज 5394 वर्ग मी0, हॉस्पिटल एरिया 40,035 वर्ग मी0 आवासीय एरिया 6600 वर्ग मी0, मल्टीलेवल पार्किंग एरिया 12360 वर्ग मी0, सर्विस ब्लॉक एरिया 674 वर्ग मी0, कुल उपलब्ध करायी जाने वाली पार्किंग में 550 ईसीएस अस्पताल के लिए तथा 56 ईसीएस आवासीय पार्किंग हेतु उपलब्ध करायी जाएगी।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोविड-19 से मृत्यु होने वाले बीमित कामगारों के आश्रितों को ईएसआईसी रिलीफ फण्ड के अंतर्गत, वित्तीय सहायता हेतु प्रमाण पत्र वितरित किये।
इस मौके पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, रामेश्वर तेली एवं मुख्यमंत्री को रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, यतीश्वरानंद, सांसद राज्यसभा नरेश बंसल, मेयर नगर निगम हरिद्वार अनीता शर्मा, महानिदेशक ई.एस.आई.सी. अनुराधा प्रसाद, सचिव श्रम हरबंस सिंह चुग, जिलाधिकारी हरिद्वार विनय शंकर पाण्डेय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, हरिद्वार डॉ. योगेन्द्र सिंह रावत सहित अधिकारीगण एवं जन-प्रतिनिधि उपस्थित थे।

स्वास्थ्य संवाद-2021 में बोले सीएम, दिसम्बर तक राज्य में शत प्रतिशत कोविड वैक्सीनैशन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में स्वास्थ्य संवाद 2021 कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं किस तरह और बेहतर हो सकती हैं, इस उद्देश्य से यह संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं है। कोविड के दौरान राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में अनेक कार्य किये गये हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। कोविड की संभावित तीसरी लहर के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं की गई हैं। उत्तराखण्ड के बाहर से आने वाले लोगों को भी ध्यान में रखते हुए व्यवस्था की गई है।

प्रधानमंत्री ने उपलब्ध कराई पर्याप्त वैक्सीन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कोविड के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार से राज्य को हर संभव मदद मिली है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी एवं केन्द्र सरकार का आभार भी व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र से राज्य को प्रर्याप्त कोविड वैक्सीन मिल रही है। 15 दिसम्बर तक राज्य में शत प्रतिशत टीकाकरण किया जायेगा।

कोविड से प्रभावित लाखों लोगों को मिला पैकेज से लाभ
राज्य के सीमित संसाधन होने के बावजूद भी प्रदेश में कोविड 19 से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों के लिए राज्य सरकार द्वारा राहत पैकेज दिये गये हैं। चिकित्सा क्षेत्र के लिए 205 करोड़ रूपये का पैकेज दिया गया है। जिससे लगभग 3 लाख 74 हजार लोग लाभान्वित होंगे। पर्यटन, परिवहन, संस्कृति क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी 200 करोड़ का राहत पैकेज दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के कार्मिकों, आगंनबाड़ी कार्यकत्रियों, आशा फैसिलिटेटर, पटवारी से नायब तहसीलदार तक, विकास से सम्बन्धित विभागों के कार्मिकों एवं कांस्टेबल से सब इंस्पेक्टर तक को कोविड में सराहनीय कार्यों के लिए प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।

हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर हुआ मजबूत
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरिद्वार, रूद्रपुर एवं पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज की कार्यवाही गतिमान है, इन मेडिकल कॉलेज के खुलने से राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को और मजबूती मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधगणों द्वारा भी कोविड टीकाकरण के लिए लोगों को जागरूक किया जाय। कोविड टीकाकरण अभियान के रूप में लिया जा रहा है। विधानसभा क्षेत्रों में समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर लगाये जायेंगे।

कोविड के प्रति जागरूकता
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए इस तरह के स्वास्थ्य संवाद कारगर साबित होंगे। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देशभर में वैक्सीन के लिए महा अभियान चलाया जा रहा है। राज्य में भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत द्वारा भी कोविड की संभावित तीसरी लहर से बचाव के लिए सभी व्यवस्थाएं की गई हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना नियंत्रित तो हुआ है, लेकिन अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। जागरूकता अभियान लगातार चलते रहें।

प्रदेश में 44 लाख लोगों के बने आयुष्मान कार्ड
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के माध्यम से लोगों को कैशलेस उपचार की सुविधा दी जी रही है। इस योजना के तहत अभी तक 44 लाख लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाये जा चुके हैं। इसी तरह राजकीय कार्मिक, पेंशनर्स एवं उनके आश्रितों को भी राज्य सरकार द्वारा कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान की जा रही है।

207 प्रकार की निशुल्क जांचें
राज्य सरकार द्वारा सभी सरकारी चिकित्सालयों में 207 प्रकार की पैथोलॉजी जांच सुविधा निःशुल्क दी जा रही है। कोविड के दृष्टिगत अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर एवं अन्य आवश्यक सामग्रियों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस कार्यक्रम के तहत 08 जनपदों में डायलिसिस की सुविधा प्रदान की जा रही है, शेष जनपदों में भी यह सुविधा जल्द प्रदान की जायेगी। राज्य में 930 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर संचालित किये जा रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि पर्वतीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को और मजबूती प्रदान करनी होगी। कोविड से बचाव के लिए सबको मिलजुल कर कार्य करना होगा। कोविड की संभावित तीसरी लहर के दृष्टिगत व्यवस्थाओं को और मजबूत बनाना होगा।

खुशियों की सवारी का फ्लैग ऑफ
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने प्रसव उपरान्त जच्चा बच्चा को अस्पताल से घर तक निःशुल्क छोड़ने के लिए ’खुशियों की सवारी’ को फ्लैग ऑफ किया।

इस अवसर पर विधायकगण, जिला पंचायत अध्यक्षगण, जनप्रतिनिधिगण एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

अंधतत्व निवारण को नगरभर में निकली साइकिल रैली, नेत्रदान का हुआ आह्वान

एम्स ऋषिकेश के तत्वावधान में आयोजित नेत्रदान पखवाड़े के तहत आज नगरभर में साइकिल जनजागरूकता रैली निकाली गई। इसके माध्यम से लोगों से ब्लाइंडनेस को कम करने के लिए नेत्रदान का संकल्प लेने का आह्वान किया गया। एम्स निदेशक ने इस रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस मौके पर उन्होंने समाज से अंधतत्व निवारण हेतु इस तरह के जनजागरूकता कार्यक्रमों को नितांत आवश्यक बताया, साथ ही रैली में प्रतिभाग करने वाले लोगों का आभार व्यक्त किया। रैली में 150 से अधिक लोग शामिल हुए। जनजागरूकता रैली एम्स से बैराज मार्ग, कोयल घाटी, हरिद्वार रोड तिलक रोड, अंबेडकर चौक होते हुए आगे बढ़ी व देहरादून रोड स्थित जीजी आईसी, हीरालाल मार्ग, परशुराम चौक होते हुए एम्स परिसर में सम्पन्न हुई।

ऋषिकेश आई बैंक की ओर से आयोजित रैली में एम्स फैकल्टी सदस्यों, वरिष्ठ चिकित्सकों, पीजी डॉक्टरों, सिक्योरिटी गार्ड्स, संस्थान के आई बैंक स्टाफ के सदस्यों के साथ ही रेड राइडर्स ग्रुप, ब्लू राइडर्स, ऋषिकेश साइकिल ग्रुप, लायंस क्लब के सदस्यों, विभिन्न स्कूल कॉलेजों के छात्रों व स्थानीय गणमान्य नागरिकों ने बढ़चढ़कर प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर संस्थान के डीन प्रोफेसर मनोज गुप्ता, आईबीसीसी प्रमुख व वरिष्ठ सर्जन प्रोफेसर बीना रवि, डीएचए प्रो. यूबी मिश्रा, संस्थान के नेत्ररोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल, आई बैंक की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. नीति गुप्ता, वरिष्ठ चिकित्सक डाक्टर रोहित गुप्ता, डा.पीके पांडा, डा.अनुभा अग्रवाल, डा.अनुपम, डा. रामानुज सामंता, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल, विधि अधिकारी प्रदीप पांडे, विक्रम सिंह के अलावा नगर के गणमान्य व्यक्तियों में जयेंद्र रमोला, राकेश मियां, गोपाल नारंग, शैलेंद्र बिष्ट, ज्योति प्रकाश शर्मा, नीरज शर्मा, जितेंद्र बिष्ट, सरदार बूटा सिंह, यशपाल सिंह चौहान आदि मौजूद थे।

श्रीनगर में इंस्टीट्यूट आफ गवर्नमेंट मेडिकल सांइस एंड रिसर्च की सीएम ने की समीक्षा


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर गढवाल में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली गवर्नमेंट इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च की समीक्षा बैठक की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़े चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ सरलीकरण, समाधान व निस्तारण के मंत्र के आधार पर लोगों को स्वास्थ्य लाभ मुहैया कराएं। आगामी 3 महीनों में मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के लिए कौन से प्रोजेक्ट पूरे किए जाने हैं तथा कौन सी योजनाएं व उपकरण केंद्र सरकार की ओर से यहां पर मंगवाये जा सकते हैं, उन पर विशेष ध्यान केंद्रित किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि श्रीनगर का मेडिकल कॉलेज पहाड़ी क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। श्रीनगर के मेडिकल कॉलेज को सभी सुविधाओं से लैस किया जाएगा। साथ ही मेडिकल कॉलेज की स्वास्थ्य संबंधी प्रस्तावों को भी शीघ्र पूरा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के मेडिकल तथा पैरामेडिकल स्टाफ के कार्यों की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि कोविड काल के दौरान मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के स्टाफ ने बेहतरीन कार्य किया है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत जी के नेतृत्व में खिरसू ब्लॉक में शत प्रतिशत वैक्सीनेशन हुआ है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज गढ़वाल क्षेत्र की लाइफ लाइन है। कोरोना काल में श्रीनगर मेडिकल कालेज के चिकित्सकों ने बढ़ चढ़कर कार्य किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की बदौलत ही जुलाई माह तक रिकॉर्ड 30 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा सकी है। उन्होंने कहा कि श्रीनगर मेडिकल कालेज कि विकास कार्य हेतु 15 करोड़ की डी पी आर स्वीकृत हो गई है।

इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष भाजपा मदन कौशिक, केबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, विधायक मुकेश सिंह कोली, विनोद कंडारी, जिला पंचायत अध्यक्ष शांति देवी, गढ़वाल मण्डल आयुक्त रविनाथ रमन, जिलाधिकरी डॉ विजय कुमार जोगदण्डे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी रेणुका देवी, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य सीएम रावत आदि उपस्थित थे।

एम्स ऋषिकेश में शुरू हुआ स्पेशल लंग क्लीनिक

यदि आप धूम्रपान करते हैं और आपको लम्बे समय से खांसी की शिकायत के साथ थकान महसूस हो रही है, तो सावधान हो जाएं। यह लंग कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार कैंसर से होने वाली मौतों में सर्वाधिक मौतें लंग कैंसर की वजह से होती हैं। ऐसे मरीजों के लिए एम्स ऋषिकेश में अब स्पेशल लंग क्लीनिक शुरू किया गया है। इस क्लीनिक का संचालन प्रत्येक शुक्रवार को किया जाएगा।
फेफड़े के कैंसर में फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने लगती है। चिकित्सकों के अनुसार कईदफा फेफड़े के कैंसर का शुरुआती दौर में पता नहीं चल पाता है और यह अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है। लिहाजा इसके लक्षण अक्सर विलंब से पता चलते हैं।
इस बाबत एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि फेफड़े का कैंसर एक गंभीर बीमारी है लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब कैंसर से छुटकारा संभव है। लक्षणों के आधार पर समय पर उपचार शुरू कर दिए जाने से कैंसर की गंभीर स्थिति से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश में लंग कैंसर के लिए स्पेशल क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। इस बीमारी के समुचित इलाज के लिए एम्स में सभी तरह की आधुनिक मेडिकल सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है।
पल्मोनरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि बीड़ी-सिगरेट आदि धूम्रपान का सेवन करना फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के तम्बाकू उत्पाद, खैनी, गुटखा, सिगार का सेवन करने, धुएं के संपर्क में रहने, घर या कार्य स्थल पर एस्बेस्टस या रेडॉन जैसे पदार्थों के संपर्क में आने और पारिवारिक इतिहास होने के कारण भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।

आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में लंग कैंसर के मरीजों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में एम्स ऋषिकेश में इस बीमारी से ग्रसित औसतन 40 से 50 मरीज प्रति माह आ रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर एम्स के पल्मोनरी विभाग में अलग से लंग क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। इस क्लीनिक में केवल लंग कैंसर से ग्रसित मरीज ही देखे जाएंगे।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
लंबे समय से खांसी-बलगम की शिकायत, खांसी में खून आना, सांस फूलना, सीने में दर्द, वजन का कम होना, चेहरे या गले में सूजन, आवाज बदल जाना, भूख कम लगना, लगातार थकान महसूस होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
शुक्रवार को संचालित होगा लंग क्लीनिक
पल्मोनरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मयंक मिश्रा जी ने बताया कि लंग क्लीनिक प्रत्येक शुक्रवार को अपराह्न 2 से 4 बजे तक संचालित होगा। इस क्लीनिक में केवल वही मरीज देखे जाएंगे, जिन्हें पल्मोनरी विभाग की जनरल ओपीडी से रेफर किया गया हो। लिहाजा जरूरी है कि मरीज पहले पल्मोनरी की ओपीडी में अपना परीक्षण करा लें। क्लीनिक में पल्मोनरी विभाग के अलावा, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के विशेषज्ञ चिकित्सक भी मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे।

प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने कोविड घोटाले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की

प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने कोरोना जांच घोटाले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। न्यायिक जांच पूरी होने तक चिकित्सकों पर कार्रवाई न करने की भी मांग संघ ने की है। मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव व स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजे ज्ञापन में संघ पदाधिकारियों ने कहा कि सभी कमियों या जांच में ठीकरा हमेशा चिकित्सकों पर ही फोड़ा जाता रहा है। इस एक तरफा कार्रवाई का संघ विरोध करता है। भविष्य में संबंधित चिकित्सकों की वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए प्रकरण में उनसे उच्च स्तर के अधिकारियों से ही जांच कराई जाए।
संगठन के प्रांतीय महासचिव डॉ. मनोज वर्मा ने कहा कि सीडीओ हरिद्वार की जांच के आधार पर मेलाधिकारी डॉ. एएस सेंगर व अपर मेलाधिकारी डा एनके त्यागी पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया है। संघ का मानना है कि डॉ. सेंगर व डॉ. त्यागी ने जो भी निर्णय लिए या कार्य किए वह उच्चाधिकारियों के लिखित व मौखिक निर्देशों के बगैर नहीं किए गए होंगे। ऐसे में संघ इस मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग करता है। कोविड नियंत्रण की विषम परिस्थितियों में इन अधिकारियों की सेवाओं को ध्यान में रखते हुए न्यायिक जांच पूरी होने तक उनपर कार्रवाई ना की जाए। उन्होंने कहा कि एसपीएस चिकित्सालय ऋषिकेश के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एनएस तोमर पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटा दिया गया था। फिर संयुक्त चिकित्सालय, नरेंद्रनगर में दो चिकित्सकों के पूरे कोविड-19 नियंत्रण में कार्य करने के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिख दिया गया। अन्य मामलों में भी चिकित्सकों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जा रही रही है। जबकि कोविड नियंत्रण में सभी चिकित्सकों ने संक्रमण के खतरे के बावजूद, सीमित संसाधनों के साथ पूरे समर्पण से अनवरत अपनी सेवाएं दी है। अभी तीसरी लहर की संभावना भी बनी हुई हैं। इस तरह कार्रवाई से चिकित्सकों का मनोबल गिरेगा और तीसरी लहर के प्रभावी नियंत्रण में भी समस्याएं आएंगी।
बैठक में डॉ नरेश नपलच्याल, डॉ एसएन सिंह, डॉ प्रदीप राणा, डॉ आशुतोष भारद्वाज, डॉ प्रताप रावत, डॉ पंकज शर्मा, डॉ पीयूष त्रिपाठी, डॉ मनु जैन, डॉ आलोक जैन, डॉ आरके टम्टा, डॉ मुकेश राय, डॉ संजीव कटारिया, डॉ परमार्थ जोशी आदि उपस्थित रहे।