ऋ​षिकेश एम्स में 4 साल में बढ़े छह गुना मरीज

बीते 4 वर्षों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखंड व इसके समीपवर्ती प्रदेशों में ही नहीं वरन समूचे देश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। हालांकि यहां वर्ष 2013 में वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाओं की शुरुआत हो चुकी थी, लेकिन वर्ष 2016 के बाद से इस संस्थान में न केवल विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाई जानी शुरू की गई, अपितु यह देश का पहला ऐसा सरकारी स्वास्थ्य संस्थान भी बन गया, जहां हैली एम्बुलैंस के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों से आपात स्थिति के मरीजों को सीधे अस्पताल परिसर तक पहुंचाया जा सकता है।
एम्स, ऋषिकेश की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का ही प्रमाण है कि पिछले 4 वर्षों के दौरान संस्थान की ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में 6 गुना तक वृद्धि हो चुकी है। जबकि इस दौरान उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों की संख्या में 30 गुना बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

गौरतलब है कि ऋषिकेश में एम्स संस्थान की नींव वर्ष 2004 में 1 फरवरी को रखी गई थी। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सुषमा स्वराज ने अस्पताल की नींव रखते हुए कहा था कि उत्तराखंड की इस देवभूमि में ’एम्स ऋषिकेश’ राज्यवासियों के लिए भविष्य में वरदान साबित होगा, और हुआ भी वही। निर्माण के बाद धीरे-धीरे एम्स अपने स्वरूप में आया तो शुरुआत में कुछ चिकित्सकों की तैनाती होने के बाद वह दिन भी आया जब 27 मई 2013 से यहां मरीजों के स्वास्थ्य जांच के लिए ओपीडी की सुविधा शुरू कर दी गई।

इसके ठीक 8 महीने बाद 30 दिसंबर- 2013 से एम्स अस्पताल में आंतरिक रोगी विभाग (आईपीडी) और फिर 2 जून 2014 से शल्य चिकित्सा की शुरुआत की गई, इसके बाद यहां न केवल उत्तराखंड बल्कि देश के लगभग दर्जनभर अन्य राज्यों से भी मरीजों ने एम्स ऋषिकेश पहुंचना शुरू कर दिया। ओपीडी में मरीजों की आमद में सतत बढ़ोत्तरी के मद्देनजर वर्ष 2016-17 तक के शुरुआती 4 वर्षों तक अस्पताल प्रशासन विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित करने के लिए प्रयासरत रहा। मगर संस्थान ने स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में रफ्तार वर्ष 2016-17 के बाद ही पकड़ी। संस्थान के निदेशक प्रो. रविकांत के कुशल मार्गदर्शन में यहां न केवल आधुनिक तकनीक आधारित उपचार की सुविधा शुरू हुई अपितु उच्च अनुभवी व विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के साथ-साथ गरीब से गरीब मरीज को भी बेहतर उपचार मुहैया कराना एम्स का एकमात्र ध्येय बन गया।

वर्ष 2016 के बाद एम्स ऋषिकेश के खाते में साल दर साल कई उपलब्धियां जुड़ती चली गईं। इनमें 100 से अधिक आफ्टरनून क्लीनिकों का संचालन किया जाना विशेष उपलब्धि में शामिल है। इन क्लीनिकों के शुरू होने पर ओपीडी के अलावा प्रतिदिन सैकड़ों मरीज अलग से देखे जाने लगे। यही नहीं पिछले 4 वर्षों के दौरान एम्स की ओपीडी में मरीजों की 6 गुना बढ़ोत्तरी का आंकड़ा दर्ज होना साबित करता है कि एम्स ऋषिकेश द्वारा उपलब्ध कराई जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं के प्रति आमजन में विश्वास लगातार बढ़ रहा है।

आंकड़ों पर गौर करें तो प्रारंभ से वर्ष 2016-17 तक संस्थान की ओपीडी में 4 लाख 48 हजार 932 मरीजों का पंजीकरण किया गया था। जबकि इसके बाद के चार साल के समयांतराल में 31 दिसंबर- 2020 तक ओपीडी में पंजीकृत मरीजों का आंकड़ा 28 लाख 11 हजार 105 हो चुका है।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि गरीब से गरीब व्यक्ति का समुचित और बेहतर उपचार करने के लिए एम्स संस्थान संकल्पबद्ध है। उन्होंने बताया कि आमजन और खासकर गरीब पृष्ठभूमि के लोगों की चिकित्सा सुविधा के लिए पिछले 4 वर्षों के समयांतराल में एम्स में 100 से अधिक नए क्लीनिक शुरू किए गए हैं। जिनमें लंग कैंसर, ब्रोनिकल अस्थमा, काॅर्डियक इलैक्ट्रोफिजियोलाॅजी, एआरटी, पीडियाट्रिक डेर्मोटोलाॅजी, सीओपीडी, काॅर्निया, काॅस्मेटिक, फीवर, ग्लूकोमा, हार्ट फेलियर, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, स्पेशियल इमरजेंसी मेडिसिन, स्पोर्ट्स इंजरी, स्लीप डिस्ऑर्डर, सर्जिकल ओंकोलॉजी क्लीनिक जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण क्लीनिक शामिल हैं।

निदेशक ने बताया कि वर्ष 2018 सितंबर माह में शुरू हुई ’आयुष्मान भारत’ योजना के तहत 31 जनवरी-2021 तक 35 हजार 350 मरीजों का उपचार किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि देश जब कोविड 19 वैश्विक महामारी के दौरान कोरोना संक्रमितों के इलाज के प्रति एम्स ऋषिकेश ने दो कदम आगे बढ़कर अपनी पूरी जिम्मेदारी का निर्वहन किया व इस आपात स्थिति में संस्थान के चिकित्सकों, नर्सिंग ऑफिसरों, टेक्नीशियनों सहित सभी फ्रंटलाइन वर्करों ने कोविड संक्रमण के जोखिम की परवाह किए बिना अपना संपूर्ण समय मरीजों की सेवा व उनकी जीवनरक्षा के प्रयासों में लगाया।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने पिछले 4 वर्षों के दौरान संस्थान की तमाम उपलब्धियों पर विस्तृत प्रकाश डाला व बताया कि वर्ष 2016-17 तक एम्स में महज 3 ऑपरेशन थियेटर की सुविधा उपलब्ध थी, यह संख्या वर्तमान में बढ़कर 54 ऑपरेशन थियेटर हो गई है। ऐसे में नए ऑपरेशन थियेटरों के स्थापित होने से एक ही समय में कई मरीजों की एकसाथ सर्जरी की जा सकती हैं। अस्पताल में ज्यादा ऑपरेशन थियेटर होने से अब एक ही दिन में कई मरीजों का जीवन बचाया जा सकता है।

बकौल, एम्स निदेशक अस्पताल में पहले मात्र 300 बेड थे। जिनकी संख्या बढ़कर अब 960 हो गई है। सततरूप से सुविधाओं के विस्तारीकरण के मद्देनजर ऋषिकेश एम्स अस्पताल में समूचे उत्तराखंड ही नहीं वरन हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, मेघालय, पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, केरला, हरियाणा, जम्मू एंड कश्मीर, झारखंड आदि राज्यों के मरीजों ने स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाया है। लगातार बढ़ रहे मरीजों के दबाव के मद्देनजर भारत सरकार से लगातार संपर्क कर उच्च अनुभवी व विशेषज्ञ फैकल्टी सदस्यों की नियुक्ति बढ़ाई गई। एम्स निदेशक प्रो. रविकांत के अनुसार वर्तमान में संस्थान में 246 फैकल्टी मेंबर मौजूद हैं, जबकि संस्थान में उनकी ज्वाइनिंग के समय यह संख्या महज 94 थी। एम्स के खाते में दर्ज हो रही नित नई-नई उपलब्धियों के लिए निदेशक ने अपने कर्मठ व अनुभवी चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ की सराहना की, साथ ही उन्होंने संस्थान को उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान पर पहुंचाने के लिए सभी कर्मचारियों के सतत योगदान को मुक्तकंठ से सराहा।

लेप्रोस्कोपी सर्जरी व बेहतर तरीके से टांके लगाने का प्रशिक्षु चिकित्सकों ने लिया प्रशिक्षण

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में आयोजित शिविर में कनिष्ठ व प्रशिक्षु चिकित्सकों ने लेप्रोस्कोपी सर्जरी व बेहतर तरीके से टांके लगाने के गुर सीखे। बताया गया कि यह प्रशिक्षण एक सप्ताह तक जारी रहेगा। जिसमें ईएनटी, सर्जिकल ओंकोलॉजी, गाइनी, जनरल सर्जरी विभाग के कनिष्ठ चिकित्सकों, एमबीबीएस के विद्यार्थियों आदि को प्रशिक्षित किया जाएगा।

एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत की देखरेख में जॉनसन एंड जॉनसन इंस्टीट्यूट के सहयोग से ऑन व्हील प्रोग्राम के तहत सिमुलेशन कौशल के लिए तैयार कि​ए गए स्पेशल सचल वाहन में इस शिविर का आयोजित किया गया। बताया कि सिमुलेशन ​स्किल से फैकल्टी व रेजिडेंट्स चिकित्सकों को प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे वह अपने कार्यक्षेत्र में दक्षता हासिल करेंगे व अभ्यास से वह अपना कार्य कुशलता से कर सकेंगे। लिहाजा यह दक्षता प्रत्येक व्यक्ति में होनी चाहिए जो कि जरुरी है।
प्रशिक्षण कार्यशाला के माध्यम से प्रतिदिन क्रमवार सामान्य शल्य चिकित्सा विभाग, नाक कान गला विभाग, अस्थि रोग विभाग, स्त्री एवं प्रसूति विभाग, कैंसर शल्य ​चिकित्सा विभाग आदि के रेजिडेंट डॉक्टर्स, एमबीबीएस छात्र-छात्राएं बेहतर तरीके से टांके लगाने के साथ ही लेप्रोस्कोपी सर्जरी स्किल में दक्षता हासिल करेंगे।
इस अवसर पर जनरल सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. सोमप्रकाश बासू ने बताया ​कि शल्य चिकित्सा एक विषय है जिसमें ज्ञान के साथ साथ कला और अनुभव की आवश्यकता होती है। लिहाजा यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कनिष्ठ चिकित्सकों, रेजिडेंट डॉक्टरों के कौशल और आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी में मददगार साबित होगा।
उन्होंने बताया कि सिमुलेशन आधारित प्रशिक्षण चिकित्सकों के ज्ञान और कौशल को विकसित करने में सहायक सिद्ध होता है। इस अवसर पर जनरल सर्जरी विभाग की वरिष्ठ सर्जन व आईबीसीसी प्रमुख प्रोफेसर बीना रवि, डीन( एकेडमिक) प्रो. मनोज गुप्ता, डीन (हॉस्पिटल अफेयर्स ) प्रो. यूबी मिश्रा, डा. अनुभा अग्रवाल, डा. प्रतीक शारदा, जॉनसन एंड जॉनसन की ओर से सुमित कौशिक, संदीप राणा आदि मौजूद थे।

विश्व कैंसर दिवस पर एम्स ऋषिकेश में हुआ जनजागरूकता कार्यक्रम


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में विश्व कैंसर दिवस पर जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने कैंसर के कारक, बचाव एवं सावधानियों पर व्याख्यानमाला प्रस्तुत की। कैंसर प्रवेंशन इन इंडियन कंटैक्स्ट विषय पर विशेषज्ञों की सामुहिक चर्चा में लोगों को कैंसर के निदान संबंधी जानकारियां दी गई। उधर राज्य सरकार की ओर से विश्व कैंसर दिवस पर आयोजित जनजागरुकता कार्यक्रम के अंतर्गत एम्स ऋषिकेश की ओर से आयोजित साइकिल जनजागरण रैली को एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली में संस्थान के फैकल्टी मेंबर्स, चिकित्सकों व अन्य स्टाफ के प्रतिनिधियों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया।

उन्होंने बताया कि जीवनशैली में परिवर्तन से किस तरह से विभिन्न प्रकार के कैंसर की बीमारी से बचाव किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कुछ कैंसर वैक्सीन द्वारा भी रोके जा सकते हैं जिनमें प्रमुख रूप से बच्चेदानी के कैंसर हैं। ​

डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने बताया कि तम्बाकू व धूम्रपान भारत में होने वाले कैंसर का प्रमुख कारण है और इन पदार्थों का सेवन नहीं करने से भारत में होने वाले एक तिहाई कैंसर को कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कैंसर का इलाज संभव है, किसी भी बड़ी मेडिकल संस्थान जहां कैंसर उपचार उपलब्ध है वहां समय पर इलाज कराने से मरीज रोगमुक्त हो सकता है।
वर्ल्ड कैंसर डे के अवसर पर एम्स के कैंसर विभाग की ओर से संयुक्तरूप से कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें कैंसर से बचाव पर विशेषज्ञों संस्थान की वरिष्ठ सर्जन व आईबीसीसी प्रमुख प्रोफेसर बीना रवि, डा. राजेश पसरीचा, डा. अमित सहरावत, डा. प्रदीप कुमार गर्ग, कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्राचार्य डा. वसंता कल्याणी, डा. अनु अग्रवाल आदि ने विमर्श किया।

इस दौरान भारत में प्रतिवर्ष सामने आने वाले कैंसर के मामलों, महिलाओं व पुरुषों में पाए जाने वाले पांच प्रकार के कॉमन कैंसर, कैंसर की बीमारी का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाने व उसके निदान आदि बिंदुओं पर विशेषज्ञों द्वारा गहन चर्चा की गई। उन्होंने कहा ​कि वर्तमान जीवनशैली में बदलाव से काफी हद तक कैंसर की बीमारी से बचाव संभव है। साथ ही उन्होंने लोगों से कैंसर से सुरक्षा के लिए शराब, धूम्रपान, गुटखा, तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का कदापि सेवन नहीं करने की अपील भी की। विशेषज्ञों की सामुहिक चर्चा के दौरान लोगों ने उनसे कैंसर से संबंधित कई प्रश्न पूछे, जिनका एक्सपर्ट द्वारा समाधान किया गया।

इस अवसर पर डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रो. यूबी मिश्रा, प्रोफेसर एसके अग्रवाल, प्रो. ब्रिजेंद्र सिंह, प्रो. वीके बस्तिया, प्रो. एनके बट्ट, रूचिका रानी, डा. रचित आहुजा,सुरेश गाजी, डा.अंकित अग्रवाल आदि मौजूद थे।

पीएपीवीसी व दिल में छेद की सफल सर्जरी कर दिया जीवनदान

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने राजस्थान निवासी एक व्यक्ति के जन्मजात दिल में छेद होने से साइनस विनोसस डिफैक्ट बीमारी की जटिल सर्जरी कर उसे जीवनदान दिया है। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने चिकित्सकीय टीम की सफलतापूर्वक जटिल सर्जरी को अंजाम देने के लिए प्रशंसा की है।

निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि हम अस्पताल में वर्ल्ड क्लास सुपरस्पेशलिटी सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में अग्रसर हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान का प्रयास है कि यहां विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाएं​, जिससे उत्तराखंड व समीपवर्ती राज्यों के मरीजों को उपचार के लिए दिल्ली, चंडीगढ़ जैसे महानगरों में परेशान नहीं होना पड़े।
गौरतलब है कि राजस्थान निवासी एक व्यक्ति जो कि पिछले दो महीने से सांस फूलने की बीमारी से पीड़ित थे। एम्स अस्पताल में जांच करने पर पता चला कि उनके दिल में जन्म से छेद है,जिसकी उन्हें अभी तक कोई जानकारी नहीं थी। इसके चलते उनके स्वच्छ खून की नसें गलत खाने (भाग) में खुल रही हैं। इसे मेडिकल साइंस में साईनस विनोसस डिफैक्ट एवं पी.ए.पी वीसी के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने राजस्थान में कई चिकित्सकों से संपर्क कर इस बाबत परामर्श लिया। जहां मालूमात हुआ कि ऑपरेशन कराने के बाद मरीज को पेसमेकर की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके बाद उन्होंने इस बीमारी से निजात पाने के लिए एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों से संपर्क साधा, विभाग के शल्य चिकित्सक डा. अनीष गुप्ता जो कि जन्मजात हृदय संबंधी बीमारियों के विशेषज्ञ शल्य चिकित्सक हैं।

उन्होंने डा. अजेय मिश्रा व डा. यश श्रीवास्तव से परामर्श के बाद उनकी इस हाईरिस्क सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। जिसके बाद अब उक्त व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हैं। डा. अनीष ने बताया कि यदि वक्त रहते यह ऑपरेशन नहीं किया जता तो यह बीमारी लाइलाज हो सकती थी, जिससे मरीज का हार्ट फेल हो सकता था।
हार्ट सर्जरी कराने वाले मरीज ने इस ऑपरेशन के लिए एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी का आभार व्यक्त किया है,जिनके अथक प्रयासों की बदौलत उत्तराखंड में ऐसी सुपरस्पेशलिटी सेवाएं एम्स ऋषिकेश में उपलब्ध हो पाई हैं एवं गरीब व बीमारी से दुखी मरीजों को दिल्ली अथवा चंडीगढ़ के अस्पतालों में इलाज के लिए धक्के नहीं खाने पड़ रहे हैं।

साथ ही मरीज ने ऑपरेशन को अंजाम देने वाली चिकित्सकीय टीम के सदस्य नर्सिंग ऑफिसर केशव, गौरव, सबरी नाथन, कलई मणी व तुहीन के साथ साथ वार्ड में भर्ती के दौरान उनका खयाल रखने वाले नर्सिंग ऑफिसर धन सिंह, प्रियंका आदि का भी आभार जताया है।

गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सा विज्ञान केन्द्र के आईसीयू का मुख्यमंत्री ने किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में आपातकालीन चिकित्सा सेवा 108 के बेड़े में 132 नई एम्बुलेंस का फ्लैग ऑफ किया। इन आपातकालीन एम्बुलेंसस का क्रय विश्व बैंक सहायतित उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी परियोजना के माध्यम से किया गया है। उन्होंने गांधी शताब्दी अस्पताल में 10 बेड की आईसीयू यूनिट का भी लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सभी कोरोना वॉरियर्स को प्रमाणपत्र और कोविड वार्ड में मरीजों की सेवा करने वाले सभी डॉक्टरों एवं अन्य कार्मिकों को 11-11 हजार रूपए की धनराशि सम्मान स्वरूप देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में रहा है। आपातकालीन सेवा में 132 नई एम्बुलेंस के सम्मिलित होने से मरीजों को स्वास्थ्य सेवा का त्वरित लाभ मिल सकेगा। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में यह सेवा मरीजों के लिए जीवनदायिनी साबित होंगी। ये एम्बुलेंस एडवांस व बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त हैं। पिछले चार साल में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कुल 271 एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना से अभी तक लगभग 02 लाख 32 हजार लोग लाभान्वित हो चुके हैं। इस योजना से 4200 से अधिक नेत्र रोगी अपना ईलाज करा चुके हैं। राज्य में चिकित्सा सेवाओं को बेहतर करने के लिए हर संभव प्रयास किये गये हैं। 10 माह पूर्व जहां राज्य में कुल 216 आईसीयू बेड व 116 वेन्टीलेटर्स थे, अब बढ़कर 863 आईसीयू बेड व 695 वेन्टीलेटर्स हो गए हैं। जल्द ही तीन मेडिकल कॉलेज रूद्रपुर, हरिद्वार एवं पिथौरागढ़ तैयार हो जायेंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए अनेक प्रयास किये गये हैं।

इस अवसर पर मेयर सुनील उनियाल गामा, सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, सचिव आपदा प्रबंधन एस. ए. मुरूगेशन, प्रभारी सचिव डॉ. पंकज पाण्डेय, अपर सचिव युगल किशोर पंत, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. अमिता उप्रेती, सीएमओ देहरादून डॉ. अनूप डिमरी आदि उपस्थित थे।

उत्कृष्ट सेवा योगदान सम्मान से एम्स ऋषिकेश को सीएम ने किया सम्मानित

उत्तराखंड सरकार की ओर से आयोजित समारोह में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश को अटल आयुष्मान योजनाध्आयुष्मान भारत योजना के सफल संचालन के लिए उत्कृष्ट सेवा योगदान सम्मान से नवाजा गया है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए एम्स ऋषिकेश की प्रशंसा की और संस्थान को आगे भी मरीजों की सेवा के लिए इसी तरह से सतत प्रयास जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
देहरादून स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में राज्य सरकार की ओर से उत्कृष्ट सेवा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अटल आयुष्मान योजना के बेहतर ढंग से संचालन के लिए एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत को उत्कृष्ट सेवा योगदान पुरस्कार प्रदान किया। समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में स्वास्थ्य के क्षेत्र में एम्स ऋषिकेश महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। जो कि प्रशंसनीय कार्य है। उन्होंने कहा ​कि जन स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए यदि एम्स प्रशासन की ओर से कभी कोई परामर्श अथवा योजना का प्रस्ताव दिया जाता है तो राज्य सरकार उस पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करेगी और उसके क्रियान्वयन के लिए हरसंभव सहयोग किया जाएगा।

इस अवसर पर एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने अटल आयुष्मान योजना के रूप में उत्तराखंड के लोगों को हैल्थ इंश्योरेंस प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया, कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवा की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने जनस्वास्थ्य के लिए प्रतिबद्धता के साथ इस तरह के प्रगतिशील कदम उठाने के लिए मुख्यमंत्री व सरकार को बधाई दी। कहा ​कि देश के अन्य राज्यों को भी जनस्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मामले में उत्तराखंड सरकार का अनुसरण करना चाहिए। बताया कि किसी भी देश की जीडीपी वहां के लोगों के हैल्थ स्टेटस पर निर्भर होती है। लिहाजा एम्स स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर प्रतिबद्धता से कार्य कर रहा है।

निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत उपचार कराने के लिए एम्स आने वाले मरीजों को संस्थान द्वारा हरसंभव सहयोग किया जाता है,जिससे मरीजों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य लाभ मिल सके।

गौरतलब है कि संस्थान में अब तक आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत कुल 35,229 मरीजों का सफलतापूर्वक उपचार किया जा चुका है। जिसमें अटल आयुष्मान योजना के तहत 28,911 मरीजों और आयुष्मान भारत योजना में 6,318 मरीजों का इलाज किया जा चुका है। समारोह में एम्स के आयुष्मान भारत योजना के प्रभारी डा. अरुण गोयल, डा. पूर्वी कुलश्रेष्ठा आदि मौजूद थे।

एम्स ऋषिकेश में अब कराएं बिना सर्जरी के पथरी का उपचार

पथरी स्टोन की समस्या से जूझ रहे रोगियों के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश की ओर से अच्छी खबर है। संस्थान में अब बिना सर्जरी के भी गुर्दे की पथरी का इलाज संभव हो सकेगा। एम्स में अति अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित इस सुविधा का विस्तार करते हुए एडवांस यूरोलाॅजी सेंटर स्थापित कर सेवाओं की शुरुआत कर दी गई है। बताया गया है कि यह उपचार आयुष्मान भारत योजना में शामिल है।

लगातार आधुनिकतम तकनीकियों और मेडिकल सुविधाओं में इजाफा कर रहे एम्स ऋषिकेश ने यूरोलाॅजी विभाग में अति आधुनिक मशीनों को स्थापित कर मरीजों की सुविधा के मद्देनजर यूरोलाॅजिकल सेवाओं में विस्तार किया है।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराना एम्स की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि एडवांस यूरोलाॅजी सेंटर में बिना सर्जरी किए अथवा बिना चीरा लगाए गुर्दे की पथरी के उपचार की सुविधा शुरू कर दी गई है। लिहाजा अब एम्स अस्पताल में उपलब्ध नई तकनीक और सुविधाओं से पथरी तोड़ने के लिए मरीज को बेहोश करने की आवश्यकता नहीं होगी। बताया कि उच्च तकनीक आधारित इस नई सुविधा के शुरू होने से गुर्दे की पथरी का इलाज कराने वाले मरीज को उसी दिन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस सेंटर के वीडियो यूरोडायनेमिक यूनिट में यूरिन की रुकावट संबंधी सभी तरह के परीक्षण आसानी से हो सकेंगे और इस प्रक्रिया में मरीज को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।

संस्थान के यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डाॅ. अंकुर मित्तल ने इस बाबत बताया कि एडवांस यूरोलाॅजी सेन्टर एक समर्पित केंद्र के रूप में कार्य करेगा। इस केंद्र में यूरोलाॅजी से संबंधित सभी तरह की अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं और सर्जिकल की सुविधाएं मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि इस नए केंद्र में अतिरिक्त काॅर्पोरल शाॅक वेव लिथोट्रिप्सी सुविधा उपलब्ध है। जिससे किडनी में स्थित अधिकतम डेढ़ सेमी. आकार की पथरी को बिना ऑपरेशन के तोड़ा जा सकता है। यह तकनीक बहुत ही सटीक और सुविधाजनक है।
डा. मित्तल ने बताया कि इससे मूत्र की पथरी को भी आसानी से हटाया जा सकता है। इस तकनीक से रोगी को बेहोश करने के लिए एनेस्थीसिया देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। ईएसडब्ल्यूएल शाॅक वेव उत्पन्न करके मूत्र में स्थित पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है जो मूत्र मार्ग से आसानी से बाहर निकल जाते हैं। उन्होंने बताया कि एडवांस यूरोलाॅजी सेंटर में आधुनिक व नवीनतम उच्च तकनीक वाली डोर्नियर डेल्टा-2 मशीन लगाई गई है। साथ ही यहां मूत्र पथ की बीमारियों की जांच के लिए यूरोडायनेमिक्स परीक्षण की सुविधा के अलावा एडवांस वीडियो और एंबुलेटरी यूरोडायनामिक्स सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

इस अवसर पर डीन एकेडेमिक प्रोफेसद मनोज गुप्ता, मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. लतिका मोहन,डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रो. यूबी मिश्रा, आईबीसीसी की प्रमुख वरिष्ठ सर्जन डा. बीना रवि, डा. मधुर उनियाल, यूरोलाॅजी विभाग के प्रोफेसर एके मंडल, डा. विकास पंवार, डा. सुनील कुमार, डा. शेंकी सिंह, डा. रूद्रा आदि मौजूद थे।

यह हैं एडवांस यूरोलाॅजी सेंटर की विशेषताएं
सेंटर में एक्स-रे, मिक्ट्युरेटिंग सिस्टोयूरेथोग्राम (एमसीयूजी), रेट्रोग्रेड यूरेथ्रोग्राम (आरयूजी), नेफ्रोस्टोग्राम, अल्ट्रासाउंड, ट्रांस-रेक्टल अल्ट्रासाउंड (टीआरयूएस) गाइडेड प्रोस्टेट बायोप्सी तथा इमेज गाइडेड थैराप्यूटिक प्रक्रियाओं की सुविधा उपलब्ध है। इसके लिए यहां नवीनतम इमेजिंग उपकरण, अल्ट्रासाउंड मशीन व सी-आर्म फ्लोरोस्कोपी मशीनें स्थापित की गई हैं।

इस तरह होगा उपचार आसान
यह मशीनें गुर्दे, मूत्राशय, मूत्रमार्ग और प्रोस्टेट में किसी भी मूत्र संबंधी विकार का पता लगा सकती हैं। जिससे उपचार करने में आसानी होती है और मरीज को आईपीडी में भर्ती किए बिना सभी आपातकालीन प्रक्रियाओं को डे-केयर में ही किया जा सकता है। इस सेंटर में एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं उपलब्ध होने से मरीजों की दिक्कतें कम होंगी और उनका समय भी बचेगा। निकट भविष्य में यह केंद्र यूरोलॉजी के लिए नैदानिक सेवाएं प्रदान करने में सहायक होगा। एडवांस यूरोलाॅजी सेंटर में सेवाएं शुरू होने से मूत्र संबंधी विकारों के इलाज के लिए किसी भी मरीज को उत्तराखंड से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

एम्स ऋषिकेशः में अब ’स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक’ की सुविधा भी उपलब्ध

उत्तराखंड के युवाओं और खेल प्रतिभाओं के लिए अच्छी खबर है। स्पोर्टस इंजरी के दौरान चोटिल होने वाले खिलाड़ियों व युवाओं के उपचार की सुविधा के लिए अब एम्स ऋषिकेश में स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक की सुविधा शुरू कर दी गई है। संस्थान में उपलब्ध इस सुविधा का खासतौर से उन खिलाड़ियों को मिल सकेगा जो खेल के दौरान चोटिल अथवा गंभीर घायल हो जाते हैं।

राज्य में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, मगर अभी तक खेल आयोजनों में खिलाड़ियों द्वारा अपने प्रदर्शन के दौरान कईमर्तबा उनके घुटने, कंधे और कूल्हे के लीगामेंट्स, साकेट से संबंधित चोट लगने पर उन्हें उत्तराखंड में बेहतर इलाज नहीं मिल पाता था। वजह उत्तराखंड में अभी तक स्पोर्ट्स इंजरी के समुचित उपचार के लिए कोई विशेष अस्पताल अथवा क्लीनिक नहीं था और न ही अभी तक यहां स्पोर्ट्स इंजरी के समुचित इलाज की ही सुविधा थी। मगर अब एम्स ऋषिकेश में यह सुविधा शुरू हो गई है। जिसके तहत प्रथम चरण में संस्थान में ’विशेष स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक’ का संचालन शुरू किया गया है। यहां स्पष्ट कर दें कि विभिन्न खेलों में प्रदर्शन के दौरान या किसी वाहन दुर्घटना में घायल लोगों के घुटने, कंधे और कूल्हे के लीगामेंट्स अथवा साकेट का इलाज एम्स ऋषिकेश में पहले से उपलब्ध है। जबकि इसी कड़ी में अब संस्थान द्वारा खिलाड़ियों से जुड़े ऐसे मामलों के मद्देनजर एक स्पेशल ’स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक’ की शुरुआत की गई है।

निदेशक एम्स प्रो. रविकांत ने इस बाबत बताया कि खिलाड़ियों और युवाओं में इस तरह की समस्याएं आम होती जा रही हैं। लिहाजा इस दिक्कतों को देखते हुए एम्स में शीघ्र ही ’स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर’ खोला जाना प्रस्तावित है। जिसके अंतर्गत पहले चरण में स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक की सुविधा शुरू की गई है। कि स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक में मरीजों के उपचार के लिए ट्रामा सर्जरी विभाग, ऑर्थोपेडिक्स विभाग और फिजिकल मेडिकल विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों की संयुक्त टीम उपलब्ध कराई गई है। जिससे स्पोर्ट्स इंजरी से ग्रसित राज्य के खिलाड़ियों और युवाओं का एम्स ऋषिकेश में ही समुचित इलाज किया जा सके।

निदेशक प्रो. रवि कांत जी के अनुसार उत्तराखंड एवं अन्य राज्यों के आर्मी ट्रेनिंग सेंटर और स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर के सहयोग से सेना के जवानों, खिलाड़ियों तथा अन्य लोगों को इस केंद्र में विशेष प्राथमिकता दी जाएगी।

इस बाबत विस्तृत जानकारी देते हुए ट्रामा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद कमर आजम ने बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी को लिगामेन्ट्स इंजरी भी कहा जाता है। लिगामेन्ट्स इंजरी के दौरान व्यक्ति का घुटना टूट जाना अथवा उसके घुटनों के जोड़ों का संतुलन बिगड़ जाने की समस्या प्रमुख है। इसके अलावा कई बार घुटनों के ज्वाइन्ट्स भी अपनी जगह से खिसक जाते हैं। यह जोड़ एक हड्डी को दूसरी हड्डी से आपस में जोड़ने का काम करते हैं। मगर एक्सरे या सीटी स्कैन में इसका पता नहीं चल पाता है।

प्रो. आजम ने बताया कि जब मरीज की हड्डी घिस जाती है तो बाद में उसे उस जगह दर्द होने लगता है। स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक में ऐसे ही लोगों का इलाज किया जाएगा। संबंधित रोगी स्पोर्ट्स इंजरी की ओपीडी में अपनी जांच करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस स्पेशल क्लिनिक में पंजीकरण की सुविधा के लिए शीघ्र ही एक व्हाट्सएप नंबर जारी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी के मरीजों का इलाज संस्थान में पूर्व से ही किया जा रहा है। लेकिन सेवाओं के विस्तारीकरण के तहत अब विभाग द्वारा विशेष स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक शुरू किया गया है। यह क्लीनिक दैनिकतौर पर ओपीडी के समय संचालित होगा। उन्होंने बताया कि साईकिलिंग, स्केटिंग, क्रिकेट, फुटबॉल, वाॅलीबॉल, बास्केटबॉल आदि खेलों में जिन खिलाड़ियों का घुटना अथवा कोहनी टूट जाती है, उन्हें इस सुविधा से विशेष लाभ होगा। खिलाड़ियों के लिए गेट ट्रेनिंग लैब अथवा रोबोटिक रिहैब मशीन भी एम्स में उपलब्ध है। प्रो. आजम ने बताया कि बीते वर्ष 2020 में एम्स के ट्रामा विभाग में 438 लोगों की लिगामेन्ट्स सर्जरी की जा चुकी है। जबकि पिछले ढाई साल के दौरान लिगामेन्ट्स इंजरी वाले लगभग 2000 लोगों का उपचार किया गया है। जिनमें ज्यादातर मामले बाइक से गिरकर अथवा फिसलकर घुटना टूट जाने की शिकायत वाले लोगों के रहे हैं। उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के लिए यह उपचार योजना के तहत निःशुल्क उपलब्ध है।

स्पोर्ट्स लिगामेन्ट्स इंजरी के लक्षण-
लिगामेन्ट्स इंजरी होने पर एक हड्डी को दूसरी हड्डी से जोड़ने वाले घुटने का जोड़ टूट जाता है। जिससे चलते समय पैरों का बेलेंस बिगड़ना, व्यक्ति का संतुलित होकर न चल पाना, कंधा दर्द करना, सीढ़ी चढ़ने-उतरने में दिक्कत होना, पैरों से लचक कर चलना, हाथ का ठीक तरह से ऊपर न उठना और काम करते हुए हड्डी में दर्द रहना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

त्रिवेंद्र सरकार का बड़ा फैसला, उत्तराखंड में 108 सेवा को 132 नई एंबुलेंस से मिलेगी संजीवनी

राज्य में संचालित 108 इमरजेंसी सेवा की अहमियत को त्रिवेंद्र सरकार बखूबी समझ रही है। यही वजह रही कि 108 सेवा के बेड़े को विस्तार देने में राज्य सरकार ने देर नहीं लगाई। 108 सेवा के बेड़े में 132 नई एंबुलेंस शामिल करने पर राज्य कैबिनेट की मुहर इसी ओर इशारा कर रही है।
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में दशक भर पहले 108 इमरजेंसी सेवा का सफर शुरू हुआ था। अपनी शुरूआत से ही इस सेवा ने आम उत्तराखंडी के दिलों-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी है। खासतौर से पर्वतीय जिलों के लिए यह सेवा किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई। बीते वर्षों में 108 इमरजेंसी सेवा की एंबुलेंसों में हजारों नौनिहालों की किलकारियां गूंजी तो हजारों-लाखों घायलों को अस्पतालों तक उपचार के लिए पहुंचाया गया। यहां तक की पहाड़ के दूरस्थ गांवों में अगर कोई गंभीर बीमार हो जाता तो उसे बस यही इंतजार रहता कि किसी तरह रोड हेड तक 108 पहुंच जाए। इसके बाद मरीजों को आसानी से नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया जाता रहा।
अब यह कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से जूझते राज्य को इस सेवा ने हमेशा सहारा देने का काम किया है। यही कारण भी है कि त्रिवेंद्र सरकार शुरू दिन से इस सेवा के सुदढ़िकरण के लिए तत्पर रही है। राज्य सरकार ने अब 108 सेवा को और मजबूती प्रदान करते हुए इसके बेड़े में 132 नए वाहनों को जोड़ने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जानकारों का कहना है कि निश्चित तौर से सरकार का यह निर्णय सराहनीय है। दरअसल, यह एक ऐसी इमरजेंसी सेवा है जिसके लिए कई बार जिलों में एबुलेंस कम पड़ जाती हैं। ऐसे में इसके बेड़े में वाहनों का इजाफा कर सरकार ने इसे मजबूती प्रदान करने का कार्य किया है। अधिक से अधिक वाहन होने का लाभ यह मिलेगा कि जिन इलाकों में अभी तक इस सेवा के वाहनों को लंबी दूरी तय करके पहुंचना पड़ता था, अब नए वाहन मिलने से इमरजेंसी प्वाइंट तक पहुंचने में आसानी होगी।

पोषण जागरूकता कार्यक्रम के तहत मरीज व तीमारदारों को दी स्वस्थ्य दिनचर्या की जानकारी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश की ओपीडी में मरीजों के लिए स्वस्थ खानपान तथा स्वस्थ जीवन के लिए पोषण जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान की आहार एवं पोषण विशेषज्ञ द्वारा मरीजों व उनके तीमारदारों को सही खानपान और दिनचर्या की जानकारी दी गई।
निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि आहार एवं पोषण का महत्व हमारी सामान्य जीवनशैली में कितना अहम होता है। कहा कि सही पोषण नहीं मिलने पर होने वाले रोगों जैसे चयापचय (मैटावोलिज्म) रोगों की रोकथाम में सही पोषण के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

संस्थान की ओपीडी में आने वाले मरीजों के लिए डीन एकेडमिक एवं रेडिएशन ओंकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनोज गुप्ता की देखरेख में स्वस्थ जीवन के लिए पोषण जनजागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। ने बताया कि स्वस्थ्य भोजन से ही हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है तथा सही भोजन से ही हमारा शारीरिक तथा आर्थिक विकास होता है। कार्यक्रम में एम्स फैकल्टी तथा न्यूट्रिशन सोसायटी ऑफ इंडिया की सदस्य प्रो. सत्यवती राणा, डॉ. किरण मीणा व डाॅ. अनु अग्रवाल ने भी विशेषरूप से प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर डिपार्टमेंट ऑफ रेडिएशन ओंकोलॉजी की आहार एवं पोषण विशेषज्ञ डा. अनु अग्रवाल ने ओपीडी में आए मरीजों तथा उनके तीमारदारों को पोषण तथा जीवनशैली को लेकर जागरुक किया। उन्होंने मरीजों को खाद्य पदार्थों के समूहों की विस्तृत जानकारी दी और बताया कि हमारे खाने के साथ खाद्य समूहों को किस प्रकार से अपने प्रतिदिन के आहार में लेना चाहिए। जिसमें उन्होंने खान समूह जैसे अनाज, दाल फल सब्जियों घी तेल चीनी तथा मेवे के अलग अलग प्रकार के बारे में बताया कि किस तरह से इन सभी खाद्य पदार्थों के सभी प्रकार को अपने आहार में सुनिश्चित किया जाए।

इस अवसर पर उन्होंने खाद्य समूह के बाबत बताया कि इन खाद्य समूहों के उपयोग से किस प्रकार से हम अपने शरीर में सामान्य पोषण तत्वों की कमी को पूरा कर सकते हैं। इस मौक पर उन्होंने भोजन से मिलने वाले पोषण तत्व जैसे कार्बोहाईड्रेट्स, प्रोटीन्स, रेशे, पानी तथा सुक्ष्म पोषण तत्व जैसे बिटामिन्स, खनिज पदार्थ की उपयोगिता के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।
सही जीवनशैली के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने मरीजों को बताया कि सुबह सोकर उठने से लेकर रात्रि विश्राम से पहले तक किस तरह से अपने खाने को छोटे छोटे मील्स में विभाजित करें तथा भोजन के बाद की जाने वाली क्रियाओं वॉकिंग आदि पर भी चर्चा की, ताकि मरीज मोटापे तथा भविष्य में होने वाली चयापचय संबंधी बीमारियों से अपनेआप को सुरक्षित कर सके। साथ ही मरीजों को यह भी बताया गया ​कि घर से बाहर निकलते वक्त, अस्पताल आते वक्त अथा अस्पताल में कुछ दिन रुकने की स्थिति में किस तरह का आहार को व्यवस्थित करना चाहिए जिससे हमारे शरीर को सभी तरह के पोषण तत्व मिल सकें।