कोविड-19 टीकाकरण हेतु किए जाएं पुख्ता इंतजामः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कोविड-19 के टीकाकरण हेतु पुख्ता इंतजाम किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में अधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग ने कोविड टीकाकरण की दृष्टि से अच्छी तैयारी की है। जो कार्य लगन, धैर्य एवं विश्वास से किया जाता है, उसमें सफलता जरूर मिलती है। मुख्यमंत्री ने कोविड-19 टीकाकरण की तैयारियों हेतु जिलाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात की। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जल्द टीकाकरण की शुरूआत होने की संभावना है। जिस तरह से इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम और अधिकारियों द्वारा पूर्वाभ्यास कराये गये हैं, इसके परिणाम अच्छे होंगे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि बेहतर तालमेल के साथ कार्य करने के अच्छे परिणाम मिलते हैं। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के लिए किसी के मन में भ्रांतियां न रहे, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। इसके लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों, व्यापारी मण्डलों एवं समाज के बुद्धिजीवी वर्गों के साथ बैठकें आयोजित की जाएं। जिलों में मुख्य चिकित्साधिकारियों द्वारा कोविड टीकाकरण के बारे में जानकारी दी जाए एवं इसके लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाए।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने निर्देश दिए कि 12 जनवरी को प्रदेश कि सभी टीकाकरण स्थलों में ड्राई रन आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी जनपद अपने सभी सेशन साइट्स में ड्राई रन आयोजित कराए जाने हेतु सभी तैयारियां सुनिश्चित कर लें। सेशन साइट्स में ड्यूटी चार्ट्स अवश्य लगाएं जाएं, ताकि टीकाकरण अभियान में लगे सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को अपने कार्यों और टाईमिंग की जानकारी रहे। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के रिएक्शन की स्थिति से निपटने के लिए सभी सेशन साइट्स पर ब्लॉक कंट्रोल रूम, डिस्ट्रिक्ट कंट्रोल रूम, पी.एच.सी. एवं सी.एच.सी. इंचार्ज-डॉक्टर का नाम और कॉन्टैक्ट नंबर जरूर प्रदर्शित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि वैक्सीनेसन का डाटा ऑनलाईन या ऑफलाईन उसी दिन पोर्टल पर अपलोड किया जाना सुनिश्चित किया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि सेशन साइट्स में मास्क और सेनिटाइजर की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लिए 140 और एम्बुलेंस की व्यवस्था कर ली गई हैं, जो शीघ्र ही जनपदों को भेजी जाएंगी। उन्होंने कहा कि सभी सेशन साइट के आसपास 108 और अन्य एम्बुलेंस की व्यवस्था रखी जानी चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर एम्बुलेंस उपलब्ध रहें। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग, जो टीकाकरण स्थल पर अकेले नहीं आ सकते, उनके साथ आने वाले परिवार के सदस्य की उम्र 18 वर्ष से कम ना हो इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने टीकाकरण की भ्रांतियों को दूर करने हेतु अखबार, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से प्रचार प्रसार एवं समाज की बुद्धिजीवियों एवं गणमान्य लोगों के साथ बैठकें आयोजित करा कर इस टीकाकरण के प्रति जागरूकता फैलाए जाने पर बल दिया।

इस अवसर पर सचिव अमित नेगी, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, महानिदेशक स्वास्थ्य अमिता उप्रेती आदि उपस्थित रहे।

मां आनंदमयी स्कूल में हुआ कोरोना वायरस टीकाकरण संगोष्ठी का आयोजन

एम्स ऋषिकेश की ओर से आज कोरोना वायरस टीकाकरण को लेकर जनजागरुकता के उद्देश्य से वृहद संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बताया गया कि इसके साथ साथ संवाद का उद्देश्य कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर के बाबत जानकारी देना था। मां आनंदमयी स्कूल रायवाला में आयोजित कार्यक्रम में क्षेत्र के ग्राम प्रधान व अन्य प्रतिनिधियों के साथ साथ आम नागरिकों ने एम्स संस्थान के चिकित्सकों से कोविड19 एवं कोरोना वायरस की रोकथाम को जल्द शुरू होने वाले टीकाकरण अभियान से जुड़े प्रश्नों को पूछा व उनकी शंकाओं का समाधान किया गया।
इस बाबत एम्स ऋषिकेश के द्वारा जनजागरुकता के लिए गठित कोविड-19 कम्युनिटी टास्क फोर्स के नोडल ऑफिसर डॉ. संतोष कुमार एवं उनकी टीम के सदस्यों ने संगोष्ठी में शिरकत कर रहे क्षेत्रवासियों, स्कूली बच्चों, शिक्षकों को कोविड19 वायरस के संक्रमण व इसके बचाव के जरुरी उपायों के साथ साथ कोविड19 की रोकथाम को लेकर शीघ्र शुरू होने वाले टीकाकरण अभियान की जानकारी दी। कार्यक्रम के तहत प्रश्नकाल में स्थानीय नागरिकों ने मुख्यरूप से कोरोना वायरस टीकाकरण के संबंध में सवाल पूछे। उनका प्रश्न था कि कोरोना वायरस सुरक्षा के लिए सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों को टीकाकरण क्यों दिया जा रहा है, हैल्थ केयर वर्करों के साथ साथ आम जनता को भी पहले चरण में ही टीके क्यों नहीं लगाए जा रहे हैं। साथ ही नागरिकों की जिज्ञासा थी कि क्या यह टीका 18 साल से नीचे की आयुवर्ग के बच्चों व किशोरों को भी लगाया जाएगा।

संस्थान के चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि कोविड की वैक्सीन भारत सरकार द्वारा सबसे पहले उन लोगों को दी जा रही है जो लोग कोविड-19 से सीधेतौर पर प्रभावित हो रहे हैं, जिसके तहत प्रथम चरण में हैल्थकेयर वर्करों यानि फ्रंटलाइन वर्करों को कोविड टीकाकरण के लिए चुना गया। लिहाजा कोविड टीकाकरण से कोई भी व्यक्ति आशंकित नहीं हो। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण निपटने के बाद इसका दूसरा चरण शुरू किया जाएगा,जिसमें 50 वर्ष से ​अधिक आयुवर्ग के नागरिकों का टीकाकरण होगा।

नोडल ऑफिसर डा. संतोष ने उन्हें बताया कि मास्क का उपयोग टीके के साथ भी और टीके के बाद भी, लिहाजा कोई भी व्यक्ति मास्क को लेकर हरगिज लापरवाही नहीं बरते। इस अवसर पर स्वयंसेवी नवीन मोहन ने बताया कि एम्स ऋषिकेश द्वारा बनाए गए मास्क बैंक के तहत अब तक विभिन्न विद्यालयों, मलीन बस्तियों में छात्र-छात्राओं व आम नागरिकों को 25000 से अधिक मास्क वितरित किए जा चुके हैं साथ ही सभी स्वयंसेवक एम्स द्वारा गठित कोविड19 कम्युनिटी टास्क फोर्स का हरसंभव सहयोग कर रहे हैं। इस अवसर पर मां आनंदमयी स्कूल के निदेशक अर्पित, एम्स संस्थान डा. भीमदत्त सेमवाल, डा. नवीन, हिमांशु, पंकज आदि मौजूद थे।

उड़ता हुआ पक्षी जमीन पर गिरा, बर्ड फ्लू की खतरा जान लोगों में मची अफरातफरी

ऋषिकेश के हीरालाल मार्ग पर लगातार दो दिन पक्षियों के गिरने से लोगों में हड़कंप मचा हुआ है, कुछ लोग इसे बर्ड फ्लू से जोड़कर भी देख रहे है। ऐसे में देखना यह होगा कि क्या वाकई में हमारे शहर में बर्ड फ्लू की दस्तक हो चुकी है। बहरहाल, दोनों ही दिन पहुंची वन विभाग की टीम बिना सुरक्षा किट पहने उन्हें लेकर गई, जहां उनका परीक्षण किया जाना बाकी है।

दरअसल बीते आठ जनवरी को हीरालाल मार्ग पर एक कौआ जमीन पर आ गिरा, उसके मुंह से पानी निकल रहा था, स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष व जीव प्रेमी पंकज गुप्ता को दी। पंकज गुप्ता ने तत्काल पशु चिकित्साधिकारी डा. राजेश रतूड़ी और वन विभाग को सूचित किया।

उधर सूचना पाकर वन बीट अधिकारी दीपक सिंह कैतुरा और वन बीट सहायक राजबहादुर भी पहुंचे और कौअे को लेकर गए। इसी तरह एक वाकया आज भी हुआ, यहां आज एक कबूतर नीचे गिरे, मौके पर टीम आई और लेकर गई। मगर, दोनों ही दिन विभाग की टीम बिना किट पहने पहुंची। वहीं, बर्ड फ्लू की दस्तक भी राज्य में हो चुकी है। इसके बावजूद देवभूमि में अंडा व मांस और शराब आसानी से बिक रहा है। जबकि होना तो इस पर प्रतिबंध चाहिए था।

एम्स ऋषिकेश की ओपीडी में कोविडकाल में पहुंचे ढाई लाख मरीज

कोविड19 के विश्वव्यापी संक्रमण के मद्देनजर गतवर्ष 2020 में लाॅकडाउन के बावजूद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान म्स ऋषिकेश ने ढाई लाख से अधिक मरीजों को कोविड उपचार, आपात व ओपीडी सुविधाएं प्रदान की हैं। जबकि इतना ही नहीं इस दौरान 29 हजार से अधिक मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उनका समुचित उपचार किया गया।

वर्ष 2020 के मार्च महीने में देशभर लाॅकडाउन के बाद हर कोई कोरोना संक्रमित लोगों से दूर भाग रहा था। लोगों के जेहन में विश्वव्यापी महामारी कोविड19 के संक्रमण का खौफ इस कदर बन गया था कि राज्य के अधिकांश अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं भी बंद कर दी गई थी। इन चुनौतियों के बावजूद एम्स ऋषिकेश ने अपनी ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं को मरीजों की सुविधा के लिए निर्बाधरूप से जारी रखा व आपातकाल में अपना फर्ज निभाते हुए संस्थान के चिकित्सकों व नर्सिंग व अन्य स्टाफ ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मरीजों की सेवा की।

इस बाबत संस्थान के डीन हॉ​स्पिटल अफेयर्स प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि कोविडकाल में उपचार की प्राथमिकता कोरोना के मरीजों के लिए निर्धारित की गई थी, साथ ही अनिवार्य और आपात स्थिति के मरीजों का इलाज भी एम्स में 24 घंटे जारी रखा गया। उन्होंने बताया कि गत वर्ष दिसंबर – 2020 तक ढाई लाख मरीज एम्स की ओपीडी में पहुंचे। इनमें से 29 हजार 299 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उनका समुचित उपचार किया गया। जबकि कोरोनाकाल की इसी समयाव​धि में विभिन्न बीमारियों से ग्रसित 10 हजार मरीजों की मेजर सर्जनी भी सफलतापूर्वक की गई। 4500 मरीजों की डायलिसिस व 4000 रोगियों की कीमो थैरेपी दी गई।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश को लेबल 3 श्रेणी में रिजर्व रखा गया था। इस श्रेणी में कोविड संक्रमित उन्हीं मरीजों का उपचार किया जाता है, जो गंभीर अवस्था के होते हैं व जिन्हें ऑक्सीजन, वेन्टिलेटर या आईसीयू में रखे जाने की जरुरत पड़ती है। डीएचए के अनुसार एम्स की लैब में अब तक 1 लाख 20 हजार कोविड सैंपलों की जांच व कोविड स्क्रीनिंग एरिया में अभी तक 46 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इनमें से ढाई हजार कोविड मरीजों का उपचार कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ दिया गया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में एम्स में कोरोना के 92 मरीजों का उपचार चल रहा है।

प्रतिवर्ष देश में बढ़ रहे स्तन कैंसर के मामले, डब्ल्यूएचओ ने भी जताई चिंता

महिलाओं की आम बीमारी में शामिल ब्रेस्ट कैंसर के मामले देश में साल दर साल बढ़ रहे हैं। जनजागरुकता की कमी से इस बीमारी की ओर शुरुआत में ध्यान नहीं देने के कारण यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है। लिहाजा इस रोग के बढ़ते ग्राफ को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चिंता जाहिर की है। उपचार में देरी और बीमारी को छिपाने से यह बीमारी जानलेवा साबित होती है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रवि कांत का कहना है कि महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरुक नहीं रहतीं। लिहाजा जागरुकता के अभाव के चलते प्रतिवर्ष देश में औसतन 30 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं। उनका कहना है कि सूचना और संचार के इस युग में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है।
निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की सभी विश्वस्तरीय आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं। संस्थान में इसके लिए विशेषतौर पर ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र’ की स्थापना की गई है। जिसमें महिलाओं से जुड़ी इस बीमारी से संबंधित सभी तरह के परीक्षण और उपचार अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा एक ही स्थान पर किया जाता है।

संस्थान के इंटिग्रेडेड ब्रेस्ट कैंसर क्लिनिक ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र ’ की प्रमुख व वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रोफेसद डाॅ. बीना रवि जी ने इस बाबत बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत अधिकांशतरू 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाई जाती है। उन्होंने बताया कि 80 प्रतिशत महिलाओं में इन्वेसिव डक्टल काॅर्सिनोमा के कारण कैंसर होता है। यह कैंसर मिल्क डक्ट में विकसित होता है। शुरुआत में यदि इस पर ध्यान नहीं दिया तो धीरे-धीरे यह गंभीर स्थिति में पहुंचकर ब्रेन, लीवर और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचकर पूरे शरीर में फैल जाता है।

आईबीसीसी प्रमुख प्रो. बीना रवि जी ने बताया कि संस्थान के ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र’ में इस बीमारी की सघनता से जांच कर बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जिसमें विस्तृत जांचों के आधार पर कैंसर के स्टेज का पता लगाया जाता है। साथ ही केंद्र में सर्जरी के माध्यम से गांठ को निकालने और रेडिएशन देने की सुविधा भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि महिला का इलाज करने के दौरान ट्रिपल असिस्मेंट की विधि अपनाई जाती है। जिसमें चरणबद्ध तरीके से मेमोग्राफी, बायोस्पी और महिला की काउन्सिलिंग के 3 चरण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं की छाती में गांठ है अथवा उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत है, उन्हें इस तरह के लक्षणों को छिपाना नहीं चाहिए बल्कि समुचित उपचार के लिए तत्काल अस्पताल पहुंचकर अनुभवी चिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए।
ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षण- स्तन में या बांहों के नीचे गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना अथवा उसमें जलन पैदा होना, पीठ अथवा रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना।

बचाव-
इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरुक रहकर नियमिततौर पर छाती की स्वयं जांच करना जरूरी है। महिलाओं को चाहिए कि इस प्रकार के लक्षण नजर आते ही वह समय पर अपना इलाज शुरू करें, ताकि गंभीर स्थिति आने से पहले ही इस बीमारी का निदान किया जा सके।

कारण-
खराब खान-पान और अनियमित दिनचर्या, धूम्रपान और शराब के सेवन। इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है।

दूध पिलाने से खतरा कम-
बच्चे को अपना स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। आईबीसीसी की चेयरपर्सन प्रो. बीना रवि जी के अनुसार बच्चे को मां का दूध पिलाने से स्तन में गांठें नहीं बनती। साथ ही बच्चे को मां के दूध के माध्यम से संपूर्ण पौष्टिक तत्व भी प्राप्त हो जाते हैं। उनका सुझाव है कि सभी महिलाएं अपने बच्चे को कम से कम 2 साल की उम्र तक स्तनपान जरूर कराएं। बच्चे को अपना दूध पिलाने से महिला में एक विशिष्ट प्रकार के कैंसर की संभावना कम हो जाती है।

मास्टर ट्रेनरों ने वैक्सिनेशन सेंसिटाइजेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम की दी जानकारी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में कोविड19 वैक्सिनेशन सेंसिटाइजेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से मास्टर ट्रेनर द्वारा एम्स के चिकित्सकों, नर्सिंग ऑफिसरों व अन्य स्टाफ को कोविड19 टीकाकरण के बाबत प्रशिक्षण दिया गया, साथ ही इस दौरान वैक्सिनेशन सेंटर में रखी जाने वाली जरुरी सावधानियों को लेकर जानकारी दी गई।
इस अवसर पर अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण से जनसामान्य की सुरक्षा के मद्देनजर कोविड टीकाकरण भारत सरकार की उच्च प्राथमिकता में है। जिसके लिए एम्स ऋषिकेश की ओर से कोविड वैक्सिनेशन सेंटर की स्थापना के साथ ही अन्य जरुरी तैयारियां की जा रही हैं। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि कोविड टीकाकरण की तमाम तैयारियों के साथ साथ संस्थान इस बाबत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा रखे गए सुझावों का भी ध्यान रखेगा,जिससे टीकाकरण के कार्य को बखूबी अंजाम दिया जा सके।


संस्थान में सोमवार को आयोजित कोविड19 वैक्सिनेशन सेंसिटाइजेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम का डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कोविड वैक्सीन के लांच होने से आम आदमी के जेहन में इसको लेकर बना भय समाप्त होगा और लोग टीकाकरण के बाद कोरोना संक्रमण के साथ साथ कई तरह की वंदिशों से निजात पा सकेंगे। मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. लतिका मोहन ने कहा कि वृहद स्तर पर आयोजित होने वाले कोविड वैक्सिनेशन कार्य के लिए विशेष तैयारियों के साथ साथ कुशल प्रशिक्षण की जरुरत है, जिससे टीकाकरण कार्य को सही तरीके से अंजाम तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने बताया कि कोविड19 वैक्सिनेशन कार्य के लिए एम्स ऋषिकेश राज्य सरकार को हरसंभव सहयोग देने को तत्पर है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डब्ल्यूएचओ देहरादून के सर्विलांस मेडिकल ऑफिसर डा. विकास शर्मा ने बतौर मास्टर ट्रेनर एम्स के चिकित्सकों, फैकल्टी सदस्यों, नर्सिंग ऑफिसरों व अन्य स्टाफ को कोविड टीकाकरण का प्रशिक्षण दिया। इस दौरान उन्होंने कोविड वैक्सिनेशन सेंटर के प्रारूप के बाबत जानकारी दी, साथ ही वैक्सिनेशन के तहत पंजीकरण, टीकाकरण आदि प्रक्रिया के बाबत विस्तारपूर्वक बताया। इस दौरान एम्स की वैक्सिनेशन टीम के सदस्यों ने उनसे कई सवाल भी पूछे। संस्थान की ओर से संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रो. मनोज गुप्ता व चिकित्सा अधीक्षक प्रो. लतिका मोहन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रशिक्षक डा. विकास शर्मा को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। प्रशिक्षण में कम्यूनिटी मेडिसिन, सिक्योरिटी व क्रिटिकल केयर विभाग के सदस्य शामिल हुए।
इस अवसर पर कोविड वैक्सिनेशन कमेटी की चेयरपर्सन प्रो. वर्तिका सक्सैना, एनाटॉमी विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रिजेंद्र सिंह, डा. बलरामजी ओमर, कोविड टीकाकरण प्रशिक्षण के नोडल ऑफिसर डा. अजीत सिंह भदौरिया, कमेटी के सदस्य सचिव डा. योगेश बहुरुपी, डा. अंकित अग्रवाल, डा. प्रदीप अग्रवाल, डा. संतोष कुमार, डा. महेंद्र सिंह, डा. मीनाक्षी खापरे, डा. स्मिता सिन्हा आदि मौजूद थे।

मरीज और तीमारदारों को सरकार ने दिया महंगे इलाज से झटकाः डा. राजे नेगी

आम आदमी पार्टी के नेता डा. राजे नेगी ने सरकार पर तंज कसा है, नेगी ने कहा कि सरकार ने नए साल पर महंगे इलाज का उपहार प्रदेश की जनता को दिया है। कहा कि होना तो इलाज को सस्ता चाहिए था, मगर महंगे इलाज देकर मरीज और तीमारदारों को झटका दिया है, प्रदेश की जनता वैसे ही आर्थिक तंगी से जूझ रही है, ऊपर से अब यह महंगा इलाज।

आज प्रेस नोट जारी करते हुए आप नेता डा. राजे नेगी ने कहा कि इलाज और दवाएं दोनों ही नए साल में महंगे हो गए हैं। सरकारी अस्पतालों में पर्चे और जांच की दरों में 10 फीसदी तक इजाफा हुआ है, तो दवाओं में दो से आठ फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इनमें अधिकांश बीपी, शुगर, बुखार और दर्द निवारक के अलावा सभी प्रमुख एंटीबायोटिक्स दवाएं हैं।कोरोना काल के बीच सरकार द्वारा उपचार एवं दवाओं में की गई अप्रत्याशित वृद्धि का आम आदमी पार्टी ने पुरजोर विरोध किया है।

उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पताल में नए साल से इलाज महंगा हो गया है। रजिस्ट्रेशन से लेकर भर्ती शुल्क और तमाम जांच के लिए मरीज को दस फीसदी अधिक दाम चुकाने पड़ रहे हैं। सरकारी अस्पताल में ओपीडी पर्चा पहले 25 रुपये में बनता था। जिसके लिए अब मरीज को 28 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। अल्ट्रासाउंड का शुल्क 518 से बढ़कर 570 रुपये हो गया है। इसी तरह एक्सरे में भी करीब 18 रुपये की वृद्धि हुई है। नए साल से एक्सरे 182 के बजाए 200 रुपये में किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य सभी जांच, आइपीडी शुल्क आदि भी बढा हैं। उन्होंने सरकार से जनभावनाओं के अनुरूप उपचार के पर्चे एवं अन्य जांच की दरों को वापस लिए जाने की मांग की।

कोविड की स्वदेशी वैक्सीन के लिए सीएम ने किया पीएम का अभिनंदन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कोविड-19 की स्वदेशी वैक्सीन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वैज्ञानिकों का अभिनंदन करते हुए कहा कि पीएम के मार्गदर्शन में कोरोना महामारी से लड़ने के लिए लंबे समय से कोविड-19 स्वदेशी वैक्सीन का इंतजार अब खत्म हो चुका है। कोरोना वैक्सीन विशेषज्ञ समिति की संस्तुति पर ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ और सीरम इंस्टीट्यूट की ’कोविशील्ड’ को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। संपूर्ण देशवासियों के लिए गर्व की बात यह है कि ये दोनों ही वैक्सीन भारत में ही बनी हैं।

कोरोना को मात देकर सीएम त्रिवेंद्र हुए दिल्ली एम्स से डिस्चार्ज

उत्तराखंड के लोगों के लिए अच्छी खबर है, प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली एम्स से आज डिस्चार्ज हो गए हैं। वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं, मगर चिकित्सकों ने उन्हें कुछ दिनों के लिए होम आइसोलेट रहने की सलाह दी है।

दरअसल, कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव होने के बाद सीएम दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए थे। मगर, बुखार व फेफड़ों में तकलीफ के चलते उन्हें 28 दिसंबर को एम्स दिल्ली रेफर किया गया था।

वहीं, मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य होने पर कैबिनेट मंत्रियों व वरिष्ठ नेताओं सहित भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है। हालांकि, डिस्चार्ज होने के बाद वह सीएम त्रिवेंद्र दून नहीं आ रहे हैं। वह दिल्ली स्थित आवास में होम आइसोलेशन में ही रहेंगे।

एमबीबीएस की कक्षाएं आज से एम्स ऋ़षिकेश में शुरू

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में एक जनवरी 2021 (शुक्रवार) से एम्स ऋषिकेश व एम्स विजयपुर (जम्मू) की नए शैक्षणिक सत्र की एमबीबीएस प्रथम वर्ष की वर्चुअल क्लासेस शुरू हो गई हैं। कोविड19 के मद्देनजर शुरू की गई वर्चुअल क्लास में ऋषिकेश एम्स के 119 व एम्स जम्मू के 35 विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।

एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने कहा कि एम्स ऋषिकेश में शुक्रवार से एमबीबीएस प्रथम वर्ष की कक्षाएं विधिवत शुरू हो गई हैं, जिसमें संस्थान के साथ साथ जम्मू एम्स के विद्यार्थी भी शामिल होंगे। कहा कि हमारी चिकित्सा पद्धति में साइंस के साथ साथ आर्ट भी है। चिकित्सा के विद्यार्थियों को अपने चिकित्सकीय पेशे में सफलता अर्जित करने के लिए विज्ञान के साथ ही कला को भी अनिवार्यरूप से आत्मसात करना होगा, तभी वह मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवा दे सकते हैं।

उन्होंने बताया कि चिकित्सा प्रणाली में प्रत्येक पांच वर्ष के समयांतराल में दवा, उपचार विधि व परीक्षण के तौर तरीकों में बदलाव आ जाता है मगर इसके इस प्रणाली में अपनाई जाने वाली आर्ट में कोई बदलाव नहीं आता। लिहाजा चिकित्सक को पेशेंट के साथ कुशल व्यवहार व बेहतर संबंधों की कला में भी दक्ष होना होगा। उनका कहना है कि भारत में चिकित्सा विज्ञान में मौजूद कला के पक्ष की ओर गौर कम होने लगा है।

कहा कि चिकित्सा के विद्यार्थियों को मरीज के प्रति व्यवहारिक कुशलता के ज्ञान में दक्ष बनाने के लिए आर्ट ऑफ मेडिसिन को साफ्ट स्किल जैसे क्रिएटिव राइटिंग, संगीत, ड्रामा आदि माध्यमों को अपनाया जाएगा, जिसके लिए एम्स संस्थान में प्रोफेशनल डेवलपमेंट एंड हिमेनिटी विभाग स्थापित किया गया है। उन्होंने जोर दिया कि चिकित्सक में अपनी बात मरीज व उसके तीमारदारों तक ठीक से पहुंचाने की दक्षता का होना जरुरी है। साथ ही उसमें सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध व अपने साथियों के साथ अच्छे व्यवहार का ज्ञान होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि एक कुशल चिकित्सक में होलिस्टिक हैल्थ को प्राप्त करने के लिए इमोशनल, सोशल, स्प्रिच्वल, फिजिकल व मेंटल सभी प्रकार के गुणों से परिपूर्ण होना चाहिए। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान में एविडेंस बेस्ड मेडिसिन पर जोर दिया और इसके लिए रेंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल पर ध्यान देने की आवश्यकता बताई।

गौरतलब है कि एम्स विजयपुर (जम्मू) में संस्थान का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। जम्मू एम्स में इस वर्ष से 50 सीटों के साथ एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू कर दी गई है। यह छात्रों का प्रथम बैच है, चूंकि जम्मू का मेंटर इंस्टिट्यूट एम्स ऋषिकेश है, लिहाजा एम्स ऋषिकेश के छात्र छात्राओं के साथ ही एम्स जम्मू की एमबीबीएस की पढ़ाई अपने संस्थान के छात्रों के साथ शुरू की है।

इस अवसर पर संस्थान के डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता, जम्मू एम्स के उप निदेशक कर्नल प्रभात शर्मा, फैकल्टी मेंबर्स डा. मनीषा नैथानी, डा. पूर्वी कुलश्रेष्ठा, फाउंडेशन कोर्स कमेटी की डा. गीता नेगी, डा. हरीश आदि मौजूद थे।