रेलवे मार्ग पर घूम रहे लोगों को एसडीआरएफ ने दी कोरोना संक्रमण की जानकारी

एसडीआरएफ की टीम ने आज रेलवे मार्ग पर घूम रहे यात्रियों, दुकानदार को कोविड -19 की जानकारी देकर जागरूक किया। इस दौरान टीम ने प्रशिक्षण के जरिए बताया कि लगातार मास्क लगाकर व सामाजिक दूरी को अपनाकर इससे बचा जा सकता है।

एसडीआरएफ के सब इंस्पेक्टर कविंद्र सजवाण ने बताया कि किसी भी वस्तु को छूने के बाद हाथों को सेनिटाइज, या साबून से अच्छे से धोएं। अपने हाथों को कार्य के दौरान मुँह को बिल्कुल न छुएं, किसी भी स्थान पर न छींके व थूकें, घरों में जाकर कमरे में अपने जूते चप्पल न ले जाएं, कपड़ों को वाश करें या धूप में सुखाएं,हाथों को धुलने के तरीके भी बताए गए।

बताया कि ठंडी चीज खाने से बचें, गर्म पानी का सेवन करते रहें। उन्होंने योग को अपनाने पर भी जोर दिया। कहा कि इससे इम्युनिटी बढ़ाई जा सकती है। साथ ही उन्होंने बुजुर्ग, बच्चों का विशेष ध्यान देने पर भी जोर दिया। इस दौरान एसडीआरएफ की ओर से संदीप सिंह, रविन्द्र सिंह, सुमित नेगी आदि उपस्थित रहे।

ट्वीट कर सीएम त्रिवेंद्र ने दी स्वयं के कोरोना पाॅजीटिव होने की जानकारी

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज अपने कोरोना पाॅजीटिव होने की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए लोगों से साझा की। उन्होंने बताया कि वह ठीक है और उन्हें किसी भी प्रकार के कोई सिम्टम्स भी नहीं है।

समरसता व समन्वय सामाजिक उन्नति का मूलमंत्रः प्रो. रविकांत

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय मंच इंटिग्रेटेड एसोसिएशन ऑफ मेडिकल, बेसिक एंड सोशल साइंटिस्ट (आईएएमबीएसएस) की पुस्तिका विमोचन किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने विज्ञान, चिकित्सा एवं सामाजिक समरसता विषय पर व्याख्यानमाला प्रस्तुत की। जिसमें उन्होंने कहा कि हमारे समाज में समरसता एवं एकीकृत होकर कार्य करने की इच्छा शक्ति दृढ़ होने से ही भारत को पुनरू विश्वगुरु की पदवी प्राप्त हो सकती है। कार्यक्रम के तहत आईएएमबीएसएस की ओर से आयोजित रक्तदान शिविर में 35 लोगों ने महादान किया।

आईएएसबीएसएस की ओर से आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अशोक बेरी जी व कार्यक्रम अध्यक्ष एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने अन्य अतिथियों के साथ संस्था की वार्षिक पुस्तिका का विधिवत विमोचन किया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए निदेशक एम्स प्रो. रविकांत ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा में मेडिकल साइंस के साथ- साथ व्यवहारिक ज्ञान को भी सम्मिलित किया जाना नितांत आवश्यक है, जिससे चिकित्सक व आम व्यक्ति के मध्य संवादहीनता नहीं हो। उन्होंने कहा कि कम्यूनिकेशन स्किल के ज्ञान के बिना आप अपनी बात को सही तरीके से दूसरे व्यक्ति तक नहीं पहुंचा सकते। निदेशक एम्स पद्मश्री रवि कांत जी ने कहा कि विदेशों में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में कम्यूनिकेशन स्किल को पाठ्यक्रम में प्रमुखता से शामिल किया गया है,जिसमें उत्तीर्ण होना अनिवार्य शर्त रखी गई है। लिहाजा चिकित्सक को आम व्यक्तियों व मरीजों में अपनी छाप छोड़ने के लिए व्यवहार कुशल होना ही चाहिए। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत जी ने देश की उन्नति के लिए विज्ञान के साथ साथ तकनीकि के विषय पर ध्यान दिए जाने पर जोर दिया।
मुख्य अतिथि आरएसएस की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अशोक बेरी ने कहा कि समाज में एक- दूसरे के प्रति भेदभाव से समाज बंट रहा है,लिहाजा इस मान​सिकता को सामुहिक प्रयासों से समाप्त किया जाना चाहिए, तभी किसी समाज व राष्ट्र की उन्नति हो सकती है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण के बाद विश्व के वैज्ञानिक मनुष्य में रोगों के बढ़ने के कारणों के साथ साथ इम्युनिटी डेवलपमेंट विषय पर शोधकार्य में जुटे हुए हैं। खासकर कोविड19 का दुनिया के मुकाबले भारत में कम असर के मद्देनजर यहां के खान-पान पर खासतौर से अध्ययन कर रहे हैं। मुख्य अतिथि अशोक बेरी ने कहा कि शरीर, मन व बुद्धि के समन्वय के बिना हम जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते हैं। उन्होंने सामाजिक उन्नति के लिए मन में भरे विद्वेष को समाप्त करने पर जोर दिया।
संस्थान के डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने आईएएमबीएसएस की समाज के विभिन्न वर्गों में समन्वय के प्रयासों की सराहना की और इसे अच्छी पहल बताया। उन्होंने कहा कि हमारे समाज को इस तरह के रचनात्मक प्रयासों की नितांत आवश्यकता है। तभी हम प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनिल जोशी, हंस फाउंडेशन के राज्य प्रभारी पदमेंद्र सिंह बिष्ट ने भी विचार रखे।
समारोह में बताया गया कि आईएएमबीएसएस पिछले कई वर्षों से चिकित्सकों, वैज्ञानिकों एवं देश के नीति नियंताओं के मध्य एकीकृत होकर कार्य करने की भावना को उजागर करने को प्रयासरत है। संस्था द्वारा देश के सभी बड़े चिकित्सा संस्थानों एम्स दिल्ली, एम्स ऋषिकेश, एम्स भटिंडा, पीजीआई चंडीगढ़ एवं अन्य संस्थानों के चिकित्सकों को जोड़कर इस एकीकृत भाव को आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सकों एवं वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाने के लिए प्रयासरत है

कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि अशोक बेरी जी व निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत जी ने संस्था की ओर से डा. मनिंदर, डा. अमित गुप्ता, डा. जितेंद्र गैरोला, डा. प्रमोद के अलावा संस्था के सदस्य संदीप, मिथलेश, अनमोल, अवधेश, सरोज भट्ट आदि को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर एम्स की प्रो. सत्यावती राना, डा. बलरामजी ओमर, सूरज भट्ट, डा. सुधांशु, डा. अनिरूद्ध उनियाल आदि मौजूद थे।

नंदा तू राजी खुशी रैया अभियान के तहत बच्चों को वितरित की पोषाहार किट

आज नंदा तू राजी खुशी रेंया एक अभियान टीबी से मुक्ति की ओर में जिला पंचायत सदस्य संजीव चैहान ने सहयोगी बंशी रावत के द्वारा पोषाहार वितरण कराया। पोषाहार वितरण में लाभार्थी और उनके परिजनों के साथ टीबी विभाग से लंकेश भट्ट, देशराज नौटियाल, अभियान की ओर से सहयोगिनी पारुल, लक्ष्मी, नेहा, प्रिय बहन सोनी का सहयोग रहा।

कार्यक्रम में लाभार्थी बच्चों की संख्या 18 रही। पोषाहार वितरण में. दलिया, दाल, मूंगफली, गुड़, दूध, अंडे, फल में कीनू और अमरूद दिए गए।

बता दें कि आस परिवार पिछले पांच साल से लगातार इस नंदा तू राजी खुशी रेंया एक अभियान टीबी से मुक्ति की ओर. को चला रहा है जन सहयोग से यह पोषाहार 30 दिसंबर तक चलेगा। छह से सात माह प्रोटीन युक्त पोषण इसकी आवश्यकता होती है।

30 वर्षीय व्यक्ति की एम्स ऋषिकेश में सफल आरएसओवी सर्जरी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने दिल में छेद, आरएसओवी एवं काॅर्डियक वाॅल्व में रिसाव के कारण सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई का सामना कर रहे एक 30 वर्षीय व्यक्ति की सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया गया है। ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है,जिसे जल्दी ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने मरीज की सफलतापूर्वक जटिल सर्जरी करने वाली टीम की प्रशंसा की है।

चमोली जनपद के जोशीमठ निवासी एक 30 वर्षीय व्यक्ति पिछले कई वर्षों से दिल में छेद की समस्या से ग्रसित था। दिल में छेद होने के कारण उसके काॅर्डियक वाॅल्व में रिसाव भी शुरू हो गया, जिससे उसका हार्ट सही ढंग से कार्य नहीं कर पा रहा था। इस पैदायशी समस्या के कारण उम्र बढ़ने के साथ साथ उक्त व्यक्ति की परेशानी भी लगातार बढ़ने लगी थी। जन्मजात दिल में छेद की वजह से उसे सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई होने लगी थी,लिहाजा उसने समस्या से निजात पाने के लिए उत्तराखंड के विभिन्न छोटे-बड़े अस्पतालों में अपना उपचार कराया, मगर मरीज स्वस्थ होने के बजाए और अधिक गंभीर स्थिति में आ गया। थकहारकर उक्त मरीज ने इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश की ओर रुख किया। जहां सघन परीक्षण के बाद एम्स के काॅर्डियोलाॅजी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने पाया कि उसके दिल में छेद है, जिससे उस स्थान पर दिल के वाॅल्व से रिसाव हो रहा है। इस छेद के कारण मरीज के दिल की बड़ी धमनी का एक हिस्सा भी फट गया था, जिसे रप्चर्ड साइनस ऑफ वॉलसाल्वा (आरएसओवी) कहते हैं। यह स्थिति मरीज के जीवन के लिए बड़ा गंभीर स्तर का था। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार हालांकि उक्त व्यक्ति के दिल में छेद की समस्या जन्मजात थी, लेकिन समय पर उचित इलाज नहीं मिले के कारण मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच गया था। जिसके चलते सांस लेने में कठिनाई और धड़कन तेज चलने के कारण वह कोई भी काम नहीं कर पा रहा था।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि संस्थान के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने इस व्यक्ति के दिल का ऑपरेशन कर उसे नया जीवन प्रदान किया है। उन्होंने बताया कि एम्स में मरीजों को अत्याधुनिक तकनीक से युक्त विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। बताया कि हृदय संबंधी विकारों से जुड़े विभिन्न रोगों के समुचित इलाज व प्रबंधन के लिए ऋषिकेश एम्स में काॅर्डियोलॉजिस्ट, काॅर्डियक सर्जन, काॅर्डियक एने​स्थिटिक्स व रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञों की पूरी टीम उपलब्ध है।

एम्स के काॅर्डियक थोरेसिक सर्जन डाॅ. अनीश गुप्ता के नेतृत्व में काॅर्डियोथोरेसिक विभाग की टीम ने इस जटिल हृदय शल्यक्रिया में सफलता हासिल की। इस बाबत डाॅ. गुप्ता ने बताया कि ऑपरेशन का सबसे कठिन हिस्सा मरीज के हृदय वाॅल्व की मरम्मत करना था। लिहाजा वाॅल्व की मरम्मत में बेहतद गंभीरता बरती गई। उन्होंने बताया कि उक्त मरीज का यह ऑपरेशन अटल आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क किया गया है। बहरहाल रोगी को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है व वह पूरी तरह से स्वस्थ है। बताया कि इस सर्जरी को आरएसओवी सर्जरी के नाम से जाना जाता है। जिसमें दिल के वाॅल्व एवं एन्यूरिज्म के टूटे हुए हिस्से को शल्य क्रिया विधि द्वारा ठीक किया जाता है।

डाॅ. अजय मिश्रा ने बताया कि यह संपूर्ण उपचार प्रक्रिया काॅर्डियोलॉजिस्ट विशेषज्ञों द्वारा टीम वर्क के आधार पर की गई। टीम में एंजियोग्राफी, रेडियोलॉजिस्ट, काॅर्डियक एनेस्थेटिस्ट आदि शामिल हैं। टीम नियमिततौर से मरीज की मॉनिटरिंग व देखभाल कर रही है। कॉर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. भानु दुग्गल और डाॅ. यश श्रीवास्तव के अनुसार ऐसे रोगियों के दिल में यदि कोई छेद अथवा वाॅल्व लीक नहीं है, तो एंजियोग्राफी द्वारा इस स्थिति को ठीक किया जा सकता है। लेकिन इस तरह के मामलों में अक्सर ओपन हार्ट सर्जरी ही की जाती है। यह एक असामान्य समस्या है, जो शल्य क्रिया के रूप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है।

सुविधाओं के अभाव में ऋषिकेश का सरकारी अस्पताल बना सफेद हाथीः ‘आप’

प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों में गरीब व असहाय परिवार के मरीजों के सस्ता व मुफ्त इलाज दिलाने के लाख वायदे करें, लेकिन सरकारी अस्पतालों की तस्वीरे इससे बिल्कुल जुदा हैं। ऋषिकेश का सरकारी अस्पताल वर्षों से सुविधाओं के अभाव में बीमार हॉस्पिटल नजर आ रहा है। स्वास्थ्य के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी ने प्रदेश सरकार पर प्रहार किया है।नेपाली फार्म क्षेत्र में आम आदमी पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक में स्वास्थ्य के मुद्दे पर प्रदेश सरकार द्वारा उदासीनता बरतने को लेकर भाजपा सरकार की कढे शब्दों में निंदा की गई।

बैठक में उत्तराखंड सरकार पर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की ओर ध्यान न दिए जाने का गंभीर आरोप लगाते हुए श्आपश् के नेता डॉ राजे सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की ओर ध्यान नहीं दे रही है जिसकी वजह से गरीब एवं मध्यमवर्गीय लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में महंगे उपचार के लिए विवश होना पड़ रहा है। पार्टी के कार्यकर्ताओं की बैठक में सेक्टर प्रभारी हरवेंद्र त्यागी ने कहा कि सरकार की उपेक्षा के चलते गढ़वाल के मुख्य द्वार ऋषिकेश का राजकीय चिकित्सालय सुविधाओं के अभाव में सफेद हाथी बन कर रह गया है। यहां गंभीर रोगियों का उपचार करने के बजाय उन्हें रैफर करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर दी जाती है।

पूर्व विधानसभा प्रभारी नवीन मोहन ने कहा कि चार धाम यात्रा के मुख्य द्वार स्थित ऋषिकेश का राजकीय चिकित्सालय वर्षों से चिकित्सकों की किल्लत को झेल रहा है। ऋषिकेश के तमाम ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा पौड़ी एवं टिहरी जनपद के रोगी भी इसी राजकीय चिकित्सालय में सैकड़ों की तादात में उपचार रौजाना पहुंचते हैं लेकिन चिकित्सको की कमी एवं अनिवार्य रूप से कोविड जांच के कारण उन्हें मायूस होकर प्राइवेट हॉस्पिटलों में महंगे उपचार के लिए विवश होना पड़ता है। बैठक में पार्टी कॉर्डिनेटर दिनेश असवाल, अमित विश्नोई, देवराज नेगी, गणेश बिजल्वाण, दिनेश कुलियाल, प्रवीण असवाल, जगदीश कोहली, सुनील कुमार, मयंक भट्ट, मनोज शर्मा डिम्पल, अंकित नैथानी उपस्थित थे।

निर्धन लोगों में मेयर अनिता ने बांटी रजाई

खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर लोगों को मेयर अनिता ममगाईं ने रजाई वितरित की। इस दौरान रोटरी क्लब का भी सहयोग लिया गया। मेयर अनिता ने ऐसे निर्धन लोगों की मदद करने के लिए संगठनों से आगे आने की अपील की है।

आज शाम अनिता ममगाई ने आईएसबीटी क्षेत्र में गरीब तबके के लोगों को ठंड से राहत पहुंचाने के लिए रजाईयां बांटी। रोटरी क्लब के सहयोग से चले अभियान के प्रथम चरण में पचास से ज्यादा लोगों को रजाईयां वितरित की गई। मौके पर नगर आयुक्त नरेंद्र क्विरियाल, पार्षद चेतन चैहान, पार्षद कमलेश जैन, पार्षद राजू बिष्ट, पार्षद विजय बडोनी, पार्षद विजेंद्र मोघा, पार्षद अजीत गोलडी, रोटरी क्लब अध्यक्ष नितिन गुप्ता, पवन शर्मा, संजय अग्रवाल, गोविंद अग्रवाल, डॉ हरिओम अग्रवाल, डॉ डीके श्रीवास्तव, नवीन अग्रवाल, संजय बंसल, राकेश फूल, पंकज पावा, गोपाल अग्रवाल, गोपाल डॉ रवि कौशल, डॉ राजेन्द्र गर्ग, मनु कोठारी, सुनील उनियाल, गौरव केन्थुला, नवीन नौटियाल, हेमन्त डंग, नरेंद्र रतूड़ी आदि निगमकर्मी मौजूद रहे।

गठिया का दर्द से परेशान लोगों को इस बातों का रखना होगा ख्याल…

हड्डी से संबंधित रोगों में गठिया का दर्द सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है, विशेषज्ञों की मानें तो गठिया कोई एक बीमारी नहीं बल्कि यह 100 से अधिक बीमारियों का समूह है। आम भाषा में इसे जोड़ों का दर्द भी कहते हैं। जोड़ शरीर के ऐसे भाग में होते हैं, जहां हड्डियां हमारे घुटनों की तरह होती हैं। इससे अक्सर जोड़ों में आकार और संरेखण में बदलाव होता है। चिकित्सकीय भाषा में गठिया को ऑस्टियो आर्थराइटिस कहा जाता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में इस बीमारी के निदान के लिए सभी आधुनिकतम तकनीक से उपचार उपलब्ध हैं।

घरों के भीतर सीमित रहकर काम करने वाली गृहिणियों को सूरज की रोशनी नहीं मिल पाती है, इससे विटामिन डी की कमी से उनकी मांशपेशियां कमजोर हो जाती हैं। ऐसी महिलाओं में पीठ दर्द की समस्या उत्पन्न होने लगती है। सर्दियों में कमरों के भीतर के तापमान की कमी से मांशेपेशियां सख्त होने का खतरा भी रहता है। ऐसे में यह जरूरी है कि नियमिततौर से व्यायाम कर मांशपेशियों को मजबूत रखा जाए। इसके अलावा कंप्यूटर के सामने लगातार काम करने वाले लोगों को भी जोड़ों के दर्द की शिकायत रहती है। खासतौर से गर्दन और पीठ का दर्द उन्हें ज्यादा परेशान करता है।

लिहाजा ऐसे लोगों को अपनी गर्दन और पीठ की मांसपेशियों की मजबूती पर ध्यान देने के साथ ही समय -समय पर फिजियोथैरेपी भी कररनी चाहिए। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार इस श्रेणी के लोगों को अल्ट्रासाउंड थैरेपी, गर्म सिकाई और दर्द से राहत के लिए दवाएं लेना उचित रहता है।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा कि यदि हमारी जीवनशैली स्वस्थ होगी तो हमारा जीवन भी स्वस्थ रहेगा। उन्होंने बताया कि एम्स संस्थान में इस तरह के रोगों से ग्रसित मरीजों के समुचित उपचार की सभी आधुनिकतम मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इसके लिए संस्थान के आॉर्थोेपैडिक विभाग में आधुनिक प्रणाली की उन्नत गैट लैब के अलावा अल्ट्रासाउंड थैरेपी, दर्द प्रबंधन क्लीनिक, पूरी तरह से सुसज्जित भौतिक चिकित्सा व भर्ती करने की सुविधाएं शामिल हैं। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि घुटने के प्रत्यारोपण समेत ऑर्थो की कई अन्य बीमारियों का इलाज आयुष्मान भारत योजना में शामिल है।

ऑर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष अपर आचार्य डाॅ. पंकज कंडवाल ने बताया कि गठिया रोग विशेषकर सर्दियों के मौसम में ज्यादा कष्टकारी होता है। सूर्य से मिलने वाली धूप कम मिलने से लोगों में विटामिन डी की कमी होने की संभावना बढ़ जाती है। विटामिन डी की कमी से ही हड्डियों में दर्द की शिकायत को बढ़ने लगती है। उन्होंने बताया कि नियमिततौर पर संतुलित आहार लेने से विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी इसमें लाभकारी होता है।
संस्थान के जनरल मेडिसिन विभाग में गठिया रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक डाॅ. वेंकटेश एस. पाई ने बताया कि गठिया 2 प्रकार का होता है। पहला जिसे दवाइयों से ठीक किया जा सकता है, जबकि दूसरा जिसके उपचार के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि कम उम्र में होने वाले गठिया में जोड़ों में सूजन और दर्द बने रहने की शिकायत रहती है। इसके अलावा गठिया रोगी सुबह जब सोकर उठता है तो उसके हाथ-पैरों में दर्द की शिकायत बनी रहती है। जबकि बढ़ती उम्र में होने वाले गठिया में जोड़ों के काॅटलेज घिस जाते हैं। ऐसी स्थिति में इसका समस्या का एकमात्र समाधान सर्जरी से ही हो सकता है। लिहाजा इस दशा में घिस चुके काॅटलेज के रिप्लेसमेंट के लिए सर्जरी करनी पड़ती है। डाॅ. वेंकटेश एस. पाई ने बताया कि छोटे बच्चों में गठिया रोग के उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश में आधुनिक तकनीक पर आधारित बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

गठिया रोगियों के लिए आहार प्रबंधन-

● विटामिन, खनिज, एंटीअक्सिडेंट और अन्य पोषक तत्वों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त संतुलित आहार का सेवन करें।

● विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियां, प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ, डेयरी, नट्स, दालें और अनाज को भोजन में शामिल करें। यह अच्छे स्वास्थ्य और वजन को संतुलित बनाए रखने में मदद करेगा।

● भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करें।

● अपने वजन को बढ़ने न दें। शरीर का अतिरिक्त वजन जोड़ों पर तनाव बढ़ाता है। विशेषरूप से घुटनों और कूल्हों जैसे वजन वाले जोड़ों पर इसका ज्यादा असर होता है।

● यदि आपको चिकित्सकीय मदद की आवश्यकता महसूस होती है, तो अपने पारिवारिक चिकित्सक अथवा आहार विशेषज्ञ से सलाह लें।

व्यायाम-
जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों की मजबूती व हड्डियों की ताकत बनाए रखने में व्यायाम खासतौर से मदद करता है। यह अधिक ऊर्जा देने के साथ ही वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।

एरोबिक व्यायाम-
एरोबिक व्यायाम संपूर्ण फिटनेस में मदद करने के साथ साथ हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है। यह वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है और अधिक सहनशक्ति व ऊर्जा प्रदान करता है।

कम प्रभाव वाले एरोबिक व्यायाम-

इसमें पैदल चलना, साइकिल चलाना, तैरना और एक अंडाकार मशीन का उपयोग करना शामिल है। इसके अलावा जोड़ों के दर्द में योगाभ्यास भी लाभकारी परिणाम देता है।

ठंड के मौसम से जोड़ों का दर्द बढ़ने की शिकायत पर निम्न उपाय करें-

– चिकित्सीय परामर्श से दर्द की दवा लें।

– शरीर में गर्माहट रखें, गर्म कपड़े पहनें, अपने घर को गर्म रखें। गर्म भोजन का ही सेवन करें। गर्म तौलिए व गर्म शॉवर का उपयोग करें।

– सूजन को रोकें-
जोड़ों को सूजन से बचाने के लिए अच्छी तरह से फीटिंग वाले दस्तानों का उपयोग करें। घुटने के बैंड या ब्रेसिज का उपयोग सूजन को कम करने और घुटने की स्थिरता में सुधार लाने के लिए किया जा सकता है।

– सक्रिय रहें-
स्वयं को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखें। ऐसा करने से शरीर के जोड़ वाले अंग मजबूत रहेंगे। धीमी और आसान चाल के साथ व्यायाम करें। दर्द महसूस करने पर विराम लें। तेज दर्द होने पर रुक जाएं, जोड़ों में सूजन या लालिमा नजर आने पर इसे रोक दें।

एम्स में नौ माह का शिशु का सिकुड़ा हार्ट सर्जरी के जरिए हुआ सही

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में कॉर्डियो थोरेसिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने उधमसिंहनगर निवासी एक 9 महीने के शिशु के सिकुड़े हुए हार्ट की सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया है। एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने इस उपलब्धि के लिए चिकित्सकीय टीम की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जरी एक टीम वर्क है। जिसमें बच्चों के दिल के विशेषज्ञ, पीडियाट्रिक सीटीवीएस सर्जन व कॉर्डियक एनेस्थिटिस्ट के अलावा पीडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजिस्ट, कॉर्डियक रेडियोलॉजिस्ट, नर्सिंग आदि की अहम भूमिका होती है। निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश बच्चों के हृदय संबंधी बीमारियों के इलाज का विशेष ध्यान रखते हुए ​भविष्य में हृदय संबंधी सभी गंभीर बीमारियों के समुचित उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराने को प्रयासरत है। जिससे कि मरीजों को हृदय से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए उत्तराखंड से बाहर के चिकित्सालयों में परेशान नहीं होना पड़े।
चिकित्सकों के अनुसार उधमसिंहनगर निवासी 9 महीने के शिशु को बचपन से ही दूध पीने में कठिनाई होती थी। जांच के बाद पता चला कि उसके हार्ट के वाल्ब में जन्म से सिकुड़न है एवं एक पीडीए नामक धमनी जिसे जन्म के बाद बंद होना चाहिए मगर वह नहीं हुई थी। इससे बच्चे के दिल पर अधिक दबाव बन रहा था एवं बच्चे का वजन नहीं बढ़ पा रहा था। इस बच्चे का वजन मात्र 5 किलोग्राम था, उसे दूध पीते वक्त माथे पर पसीना आता था और दूध रुक रुक कर पाता था, जो कि बच्चों में हार्ट फेलियर के लक्षण है। उन्होंने बताया ​कि बच्चे की पहली जांच हल्द्वानी में हुई थी जहां से उसे एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया था।

आवश्यक परीक्षण एवं जांच के उपरांत बच्चे की धमनी का संस्थान के पीडियाट्रिक सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों की टीम ने डा. अनीश गुप्ता के नेतृत्व में सफलतापूर्वक किया। चिकित्सक के अनुसार सर्जरी के बाद उसके वाल्ब की दिक्कत काफी हद तक कम हो गई है तथा शिशु की हालत में लगातार सुधार हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया ​कि भविष्य में बच्चे के वाल्ब का आपरेशन किए जाने की संभावना है। ऑपरेशन के बाद शिशु को आईसीयू में डा. अजय मिश्रा की देखरेख में रखा गया व इसके बाद उसे डा. यश श्रीवास्तव की निगरानी में शिफ्ट किया गया।

एम्स का अनुरोध, बच्चों में निम्न लक्षण होने पर पीडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजिस्ट से कराएं जांच – 1-होंठ एवं नाखून का नीला पड़ना, 2- सांस फूलना, 3-वजन न बढ़ना, 4-दूध पीने में कठिनाई या माथे पर पसीना आना, 5-जल्दी थकान होना, 6- धड़कन तेज चलना।

इमरजेंसी में उपचार को लाभकारी साबित हो रहा एम्स का हैलीपेड

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के हैलीपेड का आपात स्थिति में सुदूरवर्ती क्षेत्रों के मरीजों को सीधा लाभ मिलने लगा है। राज्य के सीमांत क्षेत्रों से पिछले 3 दिनों के भीतर ही आपात स्थिति के 4 मरीज उपचार के लिए एम्स अस्पताल पहुंच चुके हैं। जबकि इससे पूर्व भी एक मरीज को इलाज के लिए एयर लिफ्ट कर एम्स लाया गया था।
आज दोपहर करीब एक बजे एयर एंबुलैंस के माध्यम से जनपद चमोली के लंगासू क्षेत्र से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज और अन्य बीमारियों से ग्रसित 55 वर्षीय एक कोविड पाॅजिटिव मरीज को एयरलिफ्ट कर एम्स लाया गया। जबकि दो दिन पूर्व बीते सोमवार को भी राज्य के पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी, उनकी पत्नी रजनी भंडारी को भी हैली एंबुलैंस सेवा के माध्यम से दूरस्थ चमोली गढ़वाल से इलाज के लिए ऋषिकेश एम्स लाया गया था।

इस बाबत एम्स ऋषिकेश के एविएशन एंड एयर रेस्क्यू इंचार्ज डाॅ. मधुर उनियाल ने बताया कि दो महीने पहले पौड़ी जिला मुख्यालय से एक चिकित्सक को हैली एंबुलैंस से एम्स लाया गया था। जो कि स्ट्रोक की वजह से गंभीर स्थिति में थे। लिहाजा एयर एंबुलैंस सेवा के चलते उन्हें समय पर उपचार मिल पाया और स्वास्थ्य होने पर कुछ ही दिनों में उन्हें एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया था। डाॅ. उनियाल ने बताया कि हैली एंबुलैंस सुविधा को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने के लिए एम्स की ओर से राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। जिससे उत्तराखंड के गरीब से गरीब परिवारों को भी इस सुविधा का लाभ मिल सके।

एम्स ऋषिकेश को एयर एंबुलैंस सुविधा से जोड़ने के उद्देश्य से राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 11 अगस्त-2020 को एम्स के हैलीपेड का उद्घाटन किया था। भौतिक और तकनीकी तौर पर यहां हैलीपेड संचालन की अनुमति प्रदान करने से पूर्व 28 जुलाई को डीजीसीए की टीम द्वारा 6 सीटर हैलीकाॅप्टर की ट्राॅयल लैंडिंग भी की गई थी। अब एम्स ऋषिकेश में हैलीपेड की सुविधा होने से इमरजेंसी उपचार की आवश्यकता वाले मरीजों को इसका सीधा लाभ होने लगा है। इससे खासतौर से उन गंभीर मरीजों को त्वरित उपचार मिल पा रहा है जिन्हें सीमांत अथवा सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों से एयर लिफ्ट कर एम्स पहुंचाए जा रहे हैं।